QuotePM Narendra Modi launches various development projects in Varanasi
QuotePM Narendra Modi launches Integrated Power Development Schemes in Varanasi
QuotePM Narendra Modi lays of foundation stone for Varanasi Ring Road Phase-I
QuotePM Narendra Modi lays of foundation stone for development of NH-56 from Varanasi to Babatpur
QuotePM lays of foundation stone for Chowk Substation of Varanasi under IPDS
QuotePM lays of foundation stone for Kajjatpur Substation of Varanasi under IPDS
QuotePM Narendra Modi dedicates Trauma Centre at Banaras Hindu University to the Nation
QuotePM Modi inaugurates passenger reservation facility at Ramnagar Post Office
QuoteI had urged you all to work on cleanliness and everyone worked together to make Varanasi clean: PM
QuoteIt is essential to give an impetus to tourism in Varanasi: PM
QuoteThrough Jan Bhagidari, we have to take India ahead: PM Modi
QuoteApart from public & private sectors, ‘personal’ sector is an important engine of economic growth: PM

विशाल संख्‍या में पधारे मेरे बनारस के प्‍यारे भाइयों और बहनों,

ये कार्यक्रम तो बनारस की धरती पर हो रहा है लेकिन ये कार्यक्रम पूरे हिंदुस्तान के लिए हो रहा है। ये बनारस की धरती है, जिसने सदियों से मानव जाति को ज्ञान का प्रकाश दिया और ज्ञान का प्रकाश देने वाली ये नगरी ऊर्जा वाला प्रकाश भी देने का नेतृत्‍व करने जा रही है और इसलिए मैं देशवासियों को बधाई देता हूं, बनारस वासियों को विशेष बधाई देता हूं।

वैसे तो ये समारोह एक है लेकिन इस एक समारोह में सात कार्यक्रम लगे हैं, सात। एक तो आपने अभी-अभी video देखा कि बिजली के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन लाने के लिए पूरे देश में हम क्‍या करने जा रहे हैं। दूसरा, वाराणसी में एक कठिनाई लम्‍बे अर्से से चली है, वाराणसी वासियों की एक मांग अनेक वर्षों से रही है और वो है वाराणसी के रिंग रोड की मांग। आज इस मंच से उस रिंग रोड के कार्यक्रम का भी शिलान्‍यास हो रहा है। काशी तीर्थयात्रियों का धाम है, विश्‍व के टूरिस्‍टों का भी आकर्षण है, लेकिन एयरपोर्ट से काशी पहुंचने तक आने वाले यात्री के मन में से विश्‍वास उठा जाता है के मैं सही जगह पर जा रहा हूं कहीं और जा रहा हूं और उसका मूल कारण काशी से बाबतपुर हवाई अड्डे तक का जो मार्ग है उसकी दुर्दशा। आज यहां से उस काम का भी शिलान्‍यास हो रहा है कि जिसमें उस रास्‍ते को चौड़ा किया जाएगा, आधुनिक बनाया जाएगा, सौंदर्यीकरण किया जाएगा ताकि काशी पहुंचने वाला विश्‍व का या देश का कोई भी यात्री आते ही अनुमान करेगा कि मैं किस भव्‍य और पुरातन नगरी में प्रवेश कर रहा हूं उसका उसको अनुमान हो जाएगा।

आज ये जो देशभर के लिए IPDS योजना का प्रारंभ हुआ उस IPDS योजना को लागू करने के लिए बनारस में दो नए Substation…Chowk Substation का शिलान्‍यास भी आज इस मंच से हो रहा है और योजना को लागू करने का काम आज आरंभ हो रहा है। एक Chowk Substation, दूसरा Kazzakpura Substation, ये दो Substations का भी शिलान्‍यास आज इसी मंच से हो रहा है। बनारस में आरोग्य की सुविधा में एक नया नजराना...कुछ समय से जो Trauma Centre चालू हुआ है, यहां के नागरिकों को उसकी सेवाएं उपलब्‍ध हैं, आज उसका लोकार्पण भी यहां हो रहा है। उसी प्रकार से गंगा घाट पर ही बसा हुआ हमारा रामनगर, धीरे-धीरे उसकी आबादी बढ़ रही है, उस तरफ के नागरिकों के लिए सुविधा की आवश्‍यकता रहती थी कि रेलवे रिजर्वेशन के लिए उनको यहां तक आना पड़ता था अगर उसकी व्‍यवस्‍था वहां हो जाए तो आज रामनगर कस्‍बे में VSAT के माध्‍यम से रेलवे रिजर्वेशन सुविधा का भी आरंभ करने का यहां पर एक समारोह हो रहा है। एक प्रकार से इस एक मंच पर से देश के लिए एक योजना और काशीवासियों के लिए उस योजना के समेत कुल सात योजनाओं का लोकार्पण करते हुए मुझे गर्व हो रहा है।

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मैं काशी बहुत बार आता था। पार्टी कार्यकर्ता के नाते संगठन का काम करने के लिए आता था, इस धरती का एक आकर्षण था उसके लिए भी आता था, लेकिन हर बार ऊपर की तरफ नजर करता था तो मैं चौंक जाता था। जहां भी देखो तार ही तार लगे रहते थे। इतने पुरातन शहर की शोभा उन तार के झुंड को देखते ही खराब हो जाती थी। तो जब मैं सांसद चुना गया और एक नागरिक अभिवादन था उसमें मैंने कहा था भाई इसको तो हटाना है। और आज मुझे खुशी है कि 572 करोड़ रुपया पूरे काशी में एक नई ऊर्जा भर देगा। कभी-कभी बिजली बंद हो जाना, तार पुराने हो जाना, Transmission लाइनें खराब हो जाना, बाबा आदम के जमाने की चीजें लटकी पड़ी हुई हैं किसी को ठीक करने के लिए फुरसत नहीं है, गाड़ी चलती रहती है, ये खराब हुआ चलिए ठीक कर लो, उधर खराब हुआ, ठीक कर लो, patchwork का काम चलता रहा है। और ये मुसीबत सिर्फ बनारस की नहीं है। हिंदुस्‍तान के कई शहर हैं और जिसके कारण बिजली का line loss भी बहुत होता है, नागरिकों को परेशानी भी बहुत होती है, और इसलिए बिजली को पहुंचाने वाला जो पूरा Infrastructure है उसको आधुनिक बनाने की आवश्‍यकता है, Smart बनाने की आवश्‍यकता है। और एक प्रकार से बनारस को जो Smart City बनाने की कल्‍पना है उसकी पहली शुरूआत ये बिजली के माध्‍यम से हो रही है। और ये बनारस, आज जो पसंद किया गया है, पूरे देश की योजना को लागू करने के लिए, लोगों को लगता होगा कि प्रधानमंत्री यहां से MP है इसलिए हो रहा है। मैं रहस्‍य बता देता हूं। ये कारण तो बाद में आता है। पहला कारण ये है कि हमारे जो ऊर्जा मंत्री हैं पीयूष गोयल जी, उनके पिताजी बनारस में इंजीनियर हुए, BHU में। वो यहीं पढ़ते थे और यहीं से इंजीनियर बने थे और यहीं से समाज सेवा के लिए भी निकले थे, तो स्‍वाभाविक रीत है पीयूष जी को लगा होगा कि जो आपके पिताजी की शिक्षा-दीक्षा भूमि रही है वहीं से इस कार्यक्रम को आरंभ किया जाए, ताकि पिताजी को भी संतोष होगा और इसलिए आज बनारस से पूरे देश को ये नजराना मिल रहा है। पूरे देश में इस योजना के पीछे 45 हजार करोड़ रुपया लगने वाला है और उसके कारण ऊर्जा के क्षेत्र में जो धांधलियां चल रही हैं, जो परेशानियां चल रही हैं उनसे शहरी क्षेत्र को बहुत बड़ी मुक्‍ति मिलने वाली है। काम बड़ा है, काम कठिन है, लेकिन इसको किए बिना कोई चारा भी नहीं है और इसलिए क्‍योंकि हमारा एक सपना है कि 2022, जब देश आजादी के 75 साल मनाएगा। जब आजादी के 75 साल हम मनाएंगे तब जिन्‍होंने हमें आजादी दी, जो आजादी के लिए फांसी के तख्‍त पर चढ़ गए, जिन्‍होंने आजादी के लिए जवानी जेलों में खपा दी, जिन्‍होंने आजादी के लिए अपने शरीर पर ब्रिटिश सल्‍तनत के कोड़े झेले उनको हम जवाब क्‍या देंगे। यही देंगे कि आपने हमें आजादी दी, हमने मौज की। लेकिन जो सपना आपने देखा था वो तो हमने पूरा नहीं किया, ये बात तो हमें मंजूर नहीं हो सकती। क्‍या किसी हिन्‍दुस्‍तानी को ये बात मंजूर हो सकती है? क्‍या आजादी देने वाले को उनके सपनों के अनुकूल देश बनाके देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए। आजादी के 75 साल जब मनाए, तब देशवासियों का योगदान होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? देश में बदलाव होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? एक अच्‍छा हिन्‍दुस्‍तान, देशभक्‍तों के सपनों का हिन्‍दुस्‍तान पूरा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? उसमें एक महत्‍वपूर्ण काम है 24 घंटे, 365 दिन बिजली। आज बिजली चार घंटे, छ घंटे, आठ घंटे मिलती है। हमारा सपना है गांव हो, जंगलों का इलाका हो, दूर-सुदूर एक झोपड़ी हो, 2022 जब आजादी के 75 साल हो तब गरीब से गरीब के घर में भी 24 घंटे बिजली मिलती हो, ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए और इसके लिए एक महत्‍वपूर्ण काम उसके infrastructure का जिसमें आज 45 हजार करोड़ रुपया और अकेले काशी के लिए 572 करोड़ रुपया लगाकर के ये बदलाव का आज प्रारंभ हो रहा है।

मुझे आप सब के आशीर्वाद चाहिए। बाबा भोलेनाथ के आशीर्वाद चाहिए ताकि, ताकि देश में ये ऊर्जा पहुंचाने का काम, देश को ऊर्जावान बनाने के लिए एक बहुत बड़ी नींव का पत्‍थर बना रहे, उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। बनारस बढ़ता चला गया। अगल-बगल के जिलों से जो भी यातायात है, शहर के बीच से गुजरना पड़ता है। शहर के ट्रेफिक के मामले भी बड़े गंभीर है। परेशानियों का तो हिसाब लगाओ तो बढ़ती ही जाती है। उससे मुक्‍ति दिलाने के लिए एक महत्‍वपूर्ण काम था यहां रिंग रोड बनना चाहिए ताकि बाहर से जिसको गुजरना है शहर को disturb किए बिना वो काम चलता रहे। बहुत बड़ा काम है, करीब 600 करोड़ रुपयों का काम है। आज उसका भी शिलान्‍यास हुआ है और इस इलाके में काशी के साथ अगल-बगल के जितने जिले हैं उन जिलों को जोड़ने वाले रास्‍ते भी बनाने हैं ताकि उन सभी गांवों का लाभ हो। करीब-करीब 11 हजार करोड़ रुपया उसके लिए आबंटित करने का निर्णय किया गया है। आने वाले दिनों में अड़ोस-पड़ोस के जितने जिले हैं, काशी के साथ जुड़े हुए और तब जाकर के पूरा इलाका एक आर्थिक विकास का growth centre बन सकता है। एक बहुत बड़ा केन्‍द्र बन सकता है और इसलिए बिजली, पानी, सड़क ये तीन क्षेत्रों में हम इस प्रकार का यहां पर जाल बिछाएं ताकि जो पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के विकास के सामने सवालिया निशान होते हैं उससे हम मुक्‍ति दिला सके। उन बातों को बनारस की धरती से भले शुरू होते हो, लेकिन पूरे उत्‍तर प्रदेश में, पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में खास इस जाल को फैलाने की दिशा में हमने काम को आरंभ किया है और आने वाले दिनों में देखते ही देखते उसके नतीजे दिखेंगे।

अभी आपने देखा, आप लोग भी घाट पर जाते हैं और LED की रोशनी आने के बाद तो मुझे बताया गया कि बहुत लोग जाते हैं, देखने के लिए जाते हैं। आपने देखा होगा कितना बड़ा बदलाव आया है। हम चाहते हैं हर परिवार में, मेरे काशी के हर परिवार में बिजली का बिल कम होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। आप चाहते हैं कि बिजली का बिल कम हो? आप चाहते हैं आपके पैसे बचे? सचमुच में चाहते हो? तो मेरी एक बात मानोगे, पक्‍का मानोगे? वादा करो, भोले बाबा को याद करके वादा करो। आप अपने घर में जितने बल्‍ब है, ट्यूब लाइट है, LED लगा दीजिए। आप देखिए, आपका बिजली का बिल एकदम से कम हो जाएगा, आपके पैसे बच जाएंगे और रोशनी बढ़ जाएगी। ये double मुनाफा वाले काम है और पूरे भारत में मुझे आंदोलन खड़ा करना है कि पुराने जो बिजली के बल्‍ब है उससे मुक्‍ति लीजिए। ये नई technology है, जो हमारी आंखों के लिए अच्‍छी है, रोशनी के लिए अच्‍छी है और जेब के लिए भी अच्‍छी है। हम काशी में एक आंदोलन चलाए। सब लोग उस बात को आगे बढ़ाए तो काशी के अंदर भी हम इसका लाभ ले सकते हैं और मैंने देखा है street light. काशी की जो Street light है उन Street light को भी LED में convert करना है उसके कारण काशी महानगर पालिका का जो बिजली का बिल है वो भी बहुत कम हो जाएगा और वो जो पैसे बचेंगे वो काशी को अगर स्‍वच्‍छता के लिए लगा दिए गए तो मेरा काशी चमकता रहेगा। शाम को रोशनी से चमकेगा और दिन में सफाई से चमकेगा और दुनिया के लोग आएंगे तो एक नई काशी को देखकर के जाएंगे।

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मैं काशीवासियों का आज हृदय से एक बात के लिए अभिनंदन करना चाहता हूं, आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। मैं जब चुनाव जीतकर के यहां आया था और गंगा आरती में बैठा था। मां गंगा के आशीर्वाद लेकर के मैं यहां से गया था, बाद में प्रधानमंत्री पद के शपथ लिए थे। पहले मैं आज इस धरती को नमन करने आया था और उस दिन मैंने कहा था, उस दिन मैंने कहा था कि बनारस के नागरिकों ने बनारस की सफाई की जिम्‍मेवारी लेनी चाहिए। बनारस के नागरिकों ने बनारस को साफ-सुथरा रखना चाहिए। ये बात मैंने कही थी। आज देश में इस प्रकार की बात करना सरल नहीं होता है। लेकिन मैंने देखा कि बनारस के लोगों ने मेरी इस बात को सर आंखों पर लिया और बनारस के नागरिकों के अनेक संगठन तैयार हुए, अनेक नौजवान तैयार हुए। महिलाएं, लड़कियां, कॉलेज की लड़कियां, इन लोगों ने बनारस को साफ बनाने का, स्‍वच्‍छ रखने का एक बड़ा अभियान उठाया है और उस अभियान के तहत बनारस को आगे सुंदर बनाने का काम चल रहा है।

मैं देख रहा हूं, मैं देख रहा हूं कि आज बनारस विकास की नई ऊंचाइयों पर जाने का एक केन्‍द्र बिन्‍दु बना है। चाहे road का infrastructure हो, चाहे रेल का infrastructure हो, चाहे बिजली की व्‍यवस्‍था हो, चाहे skill development का काम हो, चाहे हमारे बुनकरों के कल्‍याण का काम हो, इन सभी विषयों पर आज बनारस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक बड़ा अभियान आज हमने प्रारंभ किया है और इसी काम के लिए आज मुझे यहां आने का अवसर मिला।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना के द्वारा इस देश के गरीबों को बैंक account के द्वारा आने वाले दिनों में एक आर्थिक व्‍यवस्‍था के मूल केन्‍द्र में लाने में है। एक बड़ा सफल प्रयास हुआ है। मुझे विश्‍वास है कि इसके कारण आने वाले दिनों में परिवर्तन आएगा।

पिछले कुछ दिनों से उत्‍तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों को लेकर के एक परिस्‍थिति पैदा हुई है। मैंने उत्‍तर प्रदेश सरकार से पूछा कि मामला क्‍या है, उन्‍होंने मुझे बताया कि अभी तक हमारे पास कोर्ट का ऑर्डर आया नहीं है। कोर्ट ने मौखिक सूचना दी है, लेकिन लिखित ऑर्डर नहीं आया है। आज मैंने शिक्षा मित्रों के कुछ नेताओं को बुलाया था। उनकी समस्‍या समझने का मैंने प्रयास किया और मैंने उनको कहा कि आप जरा मुझे बताइए तो उनकी भी तकलीफ थी कि उनके पास कोर्ट का ऑर्डर नहीं था। कोर्ट क्‍या कहना चाहती थी वो भी जानकारियां नहीं थी। मैंने उनसे कहा है कि कोर्ट का ऑर्डर आते ही मेरे पास भेजिए। भारत सरकार भी इसका अध्‍ययन करेगी और उत्‍तर प्रदेश सरकार को जो हमें सुझाव देने होंगे वो भी हम सुझाव देंगे। लेकिन मैं शिक्षक मित्रों से आज एक अनुरोध करना चाहता हूं। मैंने सुना था कि हमारे उत्‍तर प्रदेश के एक शिक्षा मित्र ने आत्‍महत्‍या की। मैं आज, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं। अभी कोर्ट का ऑर्डर नहीं आया है और हम अपने जीवन को संकट में डाले तो समस्‍या का समाधान नहीं होता है। शिक्षक मित्र, आत्‍महत्‍या करके वो तो चला जाएगा, लेकिन बाद में उस परिवार का क्‍या होगा, उन बच्‍चों का क्‍या होगा और इसलिए मेरी मेरे शिक्षक मित्रों से अनुरोध है कि जीवन में कभी लड़ाई हारनी नहीं चाहिए, हौसला खोना नहीं चाहिए। आत्‍महत्‍या का मार्ग हमारा नहीं हो सकता। एक बार कोर्ट का ऑर्डर आने दीजिए। उत्‍तर प्रदेश सरकार क्‍या कहना चाहती है, उसको देखकर के ज़रा सुने। मैं भी समझने का प्रयास करूंगा और उत्‍तर प्रदेश सरकार से मुझे जो भी बात करनी होगी उसको मैं करने की जिम्‍मेवारी लेता हूं और मैं आपकी बात उत्‍तर प्रदेश सरकार को आपके MP के नाते मैं अवश्‍य पहुंचाऊंगा और मुझे विश्‍वास है कि मेरे शिक्षक मित्र जो विद्यार्थियों के जीवन को तैयार करते हैं, जो विद्यार्थियों का हौसला बुलंद करते हैं। जो विद्यार्थियों को जीने की प्रेरणा देते हैं उनके जीवन में आत्‍महत्‍या का मार्ग कभी उचित नहीं हो सकता है। उत्‍तर प्रदेश की सरकार भी इन संवेदनशील मामलों को पूरी तरह गंभीरता से लेती है, ऐसा मुझे विश्‍वास है और इसलिए कोर्ट का ऑर्डर आने दीजिए। उत्‍तर प्रदेश सरकार को समय दीजिए। उत्‍तर प्रदेश सरकार मैं नहीं मानता हूं कि आपके साथ अन्‍याय करना चाहेगी और मैं भी उत्‍तर प्रदेश सरकार से बात करूंगा। समाधानकारी रास्‍ते क्‍या हो सकते हैं, इसका मार्ग खोजा जाएगा। भारत माता की।

भाइयों-बहनों आज काशी में tourism को बढ़ावा देना बहुत आवश्‍यक है। आज प्रात: मैंने tourism को बल मिले उस प्रकार की रिक्‍शाओं का भी लोकार्पण किया है। वो अपने आप में भविष्‍य में tourist सेंटरों के लिए एक मॉडल बनने वाला है। हम यहां के छोटे-छोटे लोगों को भी उस काम में जोड़ना चाहते हैं। आपने जब मैं बनारस आया तो बनारस के कुछ लोगों ने मुझे कहा था कि 7 अगस्‍त को Handloom Day घोषित करना चाहिए। बनारस के बुनकरों की मांग थी। आज मुझे गर्व से कहना है कि आज उसने हमें हैंडलूम दिवस घोषित कर दिया। चेन्‍नई के अंदर उसका बड़ा समारोह किया और मेरे काशी के बुनकर चेन्‍नई आए थे और उनका भी मान-सम्‍मान बढ़ाने का मुझे अवसर मिला था।

काशी की जो शक्‍ति है वो उसकी कलाकारी की विधि है। काशी की जो संस्‍कृति है वो उसकी कला विधि में है। काशी की जो शक्‍ति है वो उसकी संगीत की विरासत में है। काशी को आगे तो बढ़ना है, काशी को आधुनिक भी बनना है। लेकिन साथ-साथ काशी को अपनी इस विरासत को भी अपने साथ बचाए रखना है। इसको भी बचाए रखना है और उसको लेकर के हम काशी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। अनेक क्षेत्रों में आपने देखा होगा हमारे केन्‍द्र के ढेर सारे मंत्री बारी-बारी से आए हैं। अनेक नई योजनाओं को उन्‍होंने बल दिया है। उन्‍होंने अनेक नई योजनाओं का एक cumulative effect होने वाला है कि काशी एक नई ऊंचाइयों को प्राप्‍त करेगा।

और मैं काशीवासियों को विश्‍वास दिलाता हूं कि आपने मुझे MP बनाया है और आप ही के लोग हो, जिनके कारण आज मुझे प्रधानमंत्री पद पर बैठने का और देश की सेवा करने का सौभाग्‍य मिला है। देश चहुं और विकास कैसे करे, देश में नौजवानों को रोजगार कैसे मिले और हो सके तो अपने ही इलाके में रोजगार कैसे मिले, उसको लेकर के skill development का एक बहुत बड़ा अभियान जिसके कारण देश के कोटि-कोटि नौजवान, जिसके हाथ में डिग्री का कागज तो होता है, लेकिन हाथों में हुनर नहीं होता है और सिर्फ कागज से गाड़ी चलती नहीं है। उसके हाथ में हुनर होना चाहिए, कौशल्‍य होना चाहिए। दुनिया में हम सबसे युवा है। 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की है। 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की है उन भुजाओं में अगर कौशल्‍य हो, तो पूरी दुनिया को महारत करने की ताकत हिन्‍दुस्‍तान के नौजवान में आ जाती है और इसी बात को लेकर के skill development के द्वारा पूरे देश में एक विकास की नई ऊंचाई बनाने के लिए हमने प्रयास किया है।

आपने देखा होगा मैंने 15 अगस्‍त को लाल किले पर से एक घोषणा की थी और मैंने कहा था ये जो interview नाम की चीज है। driver चाहिए तो भी interview, peon चाहिए तो भी interview, छोटा clerk चाहिए तो भी interview और उसके कारण लाखों नौजवान रोजगार के लिए किसी न किसी की सिफारिश ढूंढते हैं। कोई न कोई बिचौलिया उनके हाथ लग जाता है और नौकरी मिले या न मिले उसका जेब तो काट ही लेते हैं। और छोटी जगह पर बहुत बड़ी मात्रा में interview होते हैं। बहुत बड़ी मात्रा में लोग भर्ती करने पड़ते हैं। अगर एक-एक व्‍यक्‍ति से 5-5, 10-10 हजार रुपया भी लूटना शुरू करे तो गरीब आदमी के 10 हजार रुपया, वो जीवन भर का कर्जदार बन जाता है और इसलिए मेरी सरकार ने एक मैंने 15 अगस्‍त को सुझाव दिया था कि interview नाम की चीज बंद होनी चाहिए। और आज मैं नौजवानों को कहता हूं कि मेरी सरकार उस दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ी है। कुछ department ने already काम चालू कर दिया है। अभी दो दिन पहले मुझे रेलवे वालों ने बता दिया कि उनकी एक level के नीचे की जो भर्ती है, बोले बिना interview लिए हम online exam लेकर के पूरा कर लेंगे। हमारे नौजवान को रोजगार के लिए इस प्रकार से परेशानियां भुगतनी पड़े और आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में भी जो बुराईयां घुस गई हैं उसकी सफाई होके रहेगी ये मैं नौजवानों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं।

हम सबने मिल करके जन-भागीदारी से देश को आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है। आज पूरा दिन मैंने जो बिताया है, एक एक मिनट सिर्फ और सिर्फ विकास की बातों पर ही मैंने लगाया है। जब से मैं यहां Land किया हूं हर विषय जिनसे मिला जिनसे बातें कीं और आज मैं बनारस के सभी जीवन के क्षेत्र के लोगों से मुझे मिलने का सौभाग्‍य मिल गया है। बहुत बातें उनसे की मैंने। पूरे दिन भर उनकी बातें सुनता रहा। उनसे विषयों को समझता रहा और केंद्र बिंदु सिर्फ विकास था। और मेरा ये विश्‍वास है कि हमारी सारी समस्‍याओं का समाधान भी सिर्फ एक ही बात से होने वाला है, उस बात का नाम है विकास। अगर विकास होगा तो रोजगार मिलेंगे, रोजगार मिलेंगे तो गरीबी से लड़ाई लड़ पाएंगे, रोजगार मिलेंगे तो बच्‍चों को शिक्षा दे पाएंगे। रोजगार मिलेंगे विकास की नई ऊंचाईयां होंगी, व्‍यवस्‍थाएं विकसित होंगी और इसलिए सरकार व्‍यवस्‍थाओं को भी विकसित करना चाहती है और नागरिकों को सामर्थ्‍यवान भी बनाना चाहती है। आर्थिक सामर्थ्‍य देना चाहती है, शैक्षणिक सामर्थ्‍य देना चाहती है, आरोग्‍य की दृष्टि से अच्‍छे दिन आएं उसके जीवन में, उसके लिए लगातार प्रयास कर रही है।

आज पूरे विश्‍व ने भारत की जय-जयकार करना शुरू किया है ये पहले नहीं था। पूरी दुनिया भारत के प्रति देखने को तैयार नहीं थी। अभी हमने जून महीने में अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस- इसका हमने विश्‍व के समाने प्रस्‍ताव रखा। हर हिंदुस्‍तानी को खुशी होगी और बनारस वालों को ज्‍यादा खुशी होगी क्‍योंकि वो चीजें हैं जो बनारस की धरती से पनपी हैं। अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस किया और अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस को दुनिया के hundred and ninety three countries, 193 देशों ने उसको समर्थन किया और विश्‍व के सभी देशों ने योगा दिवस को मनाया। ये सिर्फ योगा दिवस को मनाना मतलब हाथ-पैर हिलाने वाला मसला नहीं है भारत के साथ जुड़ने का मसला है। ये योग विश्‍व को भारत के साथ योग करता है जुड़वाता है। ये वो योग है जो हमें जोड़ रहा है, एक ही बात कितना बड़ा बदलाव ला सकती है इसके उदाहरण हैं। आज पूरा विश्‍व भारत के प्रति‍ आशा की नजर से, गर्व की नजर से देख रहा है। और इसी बातों से देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में एक अवसर पैदा होता है और उस अवसर की पूर्ति के लिए हम दिन-रात कोशिश कर रहे हैं। मां गंगा की सफाई का अभियान पांचों राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों को साथ ले करके जहां से गंगा गुजरती है, सभी पांचों राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों को साथ ले करके उस योजनाओं को लागू कर रहा हो और मैंने एक ही आग्रह किया है कि बाकी कुछ आप कर पाओ के न कर पाओ कम से कम गंगा में अब गंदगी नहीं चाहिए, गंदगी जानी नहीं चाहिए, कोई भी शहर अपना गट्टर का पानी गंगा में जाने न दे इतना प्रबंध राज्‍य सरकारों ने करना चाहिए। उसके लिए दंड देना पड़ेगा दें, दंड देने के लिए तैयार है। अभी माता अमृतानंदमयी केरल में है, आश्रम केरल में है लेकिन मां गंगा के लिए 100 करोड़ रुपयों का दान दे दिया। सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल में मां गंगा के प्रति‍ इतना भक्ति है, सब देशवासी गंगा के लिए कुछ न कुछ करने के लिए तैयार हैं लेकिन शुरूआत हमें करनी पड़ेगी। जिम्‍मेवारी हमें लेनी पड़ेगी। राज्‍यों के पास जो दायित्‍व हैं उसको राज्‍यों को पूरा करना पड़ेगा। और भारत सरकार कंधे से कंधा मिला करके राज्‍यों के साथ काम करेगी और मां गंगा की सफाई का काम हमें समय-सीमा में पूरा करना है।

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मैं जानता हूं ये काम कठिन है ।1984 से nineteen eighty four से ये विषय चल पड़ा है। हजारों करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और इसलिए योजना की सफलता के प्रति आशंकाओं का कारण भी है। उसके बावजूद भी हमने अपने प्रयास छोड़ने नहीं चाहिए। हमने इतने बड़े देश ने इस एक काम को करके दिखाना चाहिए। और गंगा शुद्ध हो, गंगा साफ हो, गंगा गंदगी से मुक्‍त हो इस गंगा के बेटे के नाते हम सबका दायित्‍व बन जाता है और उस दायित्‍व को हम सबने निभाना चाहिए।

और मुझे विश्‍वास है भाइयो एक जागरूकता आई है। स्‍वच्‍छता का अभियान देख लीजिए, एक जागरूकता आई है, एक बदलाव आया है। घर में बच्‍चे भी कूड़ा-कचरा फेंकने वालों को टोकते हैं ये पहले कभी नहीं होता था। स्‍वच्‍छता एक दिन में आने वाली ऐसा कोई सोचता नहीं था। पहले भी कोई सोचता नहीं था। लेकिन पहली बार मैं नहीं मानता हिंदुस्‍तान की संसद ने स्‍वच्‍छता के ऊपर कभी debate की हो। लेकिन जबसे मैंने स्‍वच्‍छता अभियान चलाया है आज संसद भी स्‍वच्‍छता के विषय पर चर्चा करती है, विपक्ष में बैठे हुए हमारी आलोचना भी करते हैं, लेकिन कम से कम भारत की संसद को स्‍वच्‍छता के लिए बात करने के लिए फुरसत तो मिली। ये छोटी बात नहीं है और संसद, संसद स्‍वच्‍छता के लिए इतनी जागरूक हो जाए तो बात नीचे पहुंचेगी ये मेरा पूरा विश्‍वास है भाइयो।

हमारे देश में विकास के लिए दो शब्‍द हम हमेशा देखें हैं आर्थिक विकास औद्योगिक विकास। एक शब्‍द प्रयोग चलता है private sector, दूसरा शब्‍द प्रयोग चलता है public sector. यानी government के जो PSUs हैं वो हैं, या तो कॉरपोरेट हाउस हैं बड़े-बड़े उद्योग कार हैं। ये हमने आर्थिक जो विकास की पटरी है वो इन दो पटरी पर आर्थिक गाड़ी चलाने का प्रयास किया है। मैं मानता हूं ये दो पटरी पर जितनी गाड़ी तेज जानी चाहिए जा नहीं सकती है। Public Sector, Private Sector इन्‍हीं दो पिलर पर अगर हम हिंदुस्‍तान को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो उतनी ताकत नहीं मिलेगी। और इसलिए मैं तीसरे सेक्‍टर पर बल दे रहा हूं। एक तरफ है Public Sector, Private Sector और मैं एक विचार ले करके चल रहा हूं, Personal Sector, एक individual भी देश की बहुत बड़ी अमानत है। ये Personal Sector कैसे आगे बढ़े? Private Sector, Public Sector की बराबरी में Personal Sector दो कदम आगे कैसे चले उस योजना को ले करके मैं काम कर रहा हूं।

और उस Personal Sector में आता है एक योजना हमने बनाई है मुद्रा बैंक की। हमारे देश में करीब 6-7 करोड़ लोग है जो छोटे और निम्‍न स्‍तर के व्‍यापारी है। छोटा-मोटा उद्योग चलाते हैं। एकाध-दो एकाध लोगों को रोजगार देते हैं। छोटा कारोबार चलाते हैं, लेकिन किसी के पास हाथ फैलाते नहीं, अपने बलबूते पर खड़े रहते हैं। इन लोगों की ताकत इतनी है कि करीब-करीब 15 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं, ये छोटे-छोटे लोग। दूध बेचने वाला भी एकाध बच्‍चे को इनको रोजगार देता है। अगर ये personal sector है। ये personal sector को अगर ताकत दी जाए। जो आज 15 करोड़ को नौकरी देता है वो कल 30 करोड़ को नौकरी दे सकता है, इतनी ताकत उसमें है। और इसलिए बाल काटने वाला हो, धोबी हो, चाय बेचने वाला हो, पकौड़े बेचने वाला हो, रिक्‍शा चलाने वाला हो, सब्‍जी बेचने वाला हो, फ्रूट बेचने वाला हो, छोटे-मोटे दुकान पर readymade कपड़े बेचता हो, प्रसाद बेचता हो छोटे-छोटे लोग। इस personal sector को ताकतवर बनाना है मुझे। उसको आर्थिक मदद करनी है और मुद्रा बैंक से किसी भी प्रकार की गारंटी के बिना 10 हजार से 50 हजार रुपए तक देना उस नागरिक को देना ताकि उसको साहूकार की ब्‍याज की चुंगल से बाहर निकले और वो अपने पैरों पर खड़ा हो जाए, उस दिशा में एक बहुत बड़ा अभियान चलाने वाले हैं। ये personal sector भारत के लिए बहुत बड़ी आर्थिक moment बन सकता है। हमने 50 साल तक private sector, public sector की बात की है, अब वक्‍त है हम personal sector पर बल दे और personal sector के द्वारा एक-एक व्‍यक्‍ति की उद्यमशीलता। उसको पैसे चाहिए पैसे दे, technology चाहिए technology दे, skill development करना है तो skill development दे, उसको नौजवान की जरूरत है, नौजवान दे, उसको उद्योग जगाने के लिए जगह चाहिए तो जगह दे, व्‍यापार करने के लिए अवसर चाहिए तो अवसर दे। पूरा खुला पल्ला दें, आप देखिए हिन्‍दुस्‍तान का ये सामान्‍य व्‍यक्‍ति, हिन्‍दुस्‍तान को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।

और इसलिए आज मैं काशी की धरती पर पहली बार ये personal sector के विषय को मैं प्रकट कर रहा हूं और आने वाले दिनों में इस personal sector काशी की धरती से आशीर्वाद लेकर के सवा सौ करोड़ देशवासी, 65 प्रतिशत लोग, 35 से कम आयु के लोग वो personal sector है जिसको एक ताकत देकर के मुझे देश को आगे बढ़ाना है। आप मुझे आशीर्वाद दीजिए, मेरे साथ बोलिए भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बधुत-बहुत धन्‍यवाद।

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প্ৰতিগৰাকী ভাৰতীয়ৰ তেজ উতলি আছে: মন কী বাতত প্ৰধানমন্ত্ৰী মোদী

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আদমপুৰ বিমান ঘাটিত সাহসী বায়ু যোদ্ধা আৰু সৈনিকসকলৰ সৈতে প্ৰধানমন্ত্ৰীৰ মত-বিনিময়ৰ অসমীয়া অনুবাদ
May 13, 2025
Quoteবায়ু যোদ্ধা আৰু সৈনিকৰ সৈতে মত বিনিময় কৰি আমাৰ দেশ ৰক্ষাৰ ক্ষেত্ৰত তেওঁলোকৰ সাহস আৰু পেছাদাৰিত্ব প্ৰশংসনীয়ঃ প্ৰধানমন্ত্ৰী
Quote'ভাৰত মাতা কি জয়' কেৱল শ্লোগান নহয়, নিজৰ দেশৰ সন্মান আৰু মৰ্যাদাৰ বাবে নিজৰ প্ৰাণ বাজি লগোৱা প্ৰতিজন জোৱানৰ শপত: প্ৰধানমন্ত্ৰী
Quoteঅপাৰেচন সিন্দুৰ হৈছে ভাৰতৰ নীতি, উদ্দেশ্য আৰু নিৰ্ণায়ক সামৰ্থ্যৰ ত্ৰিত্বঃ প্ৰধানমন্ত্ৰী
Quoteতেওঁ কয় যে যেতিয়া ভাৰতীয় সেনাই পাৰমাণৱিক ব্লেকমেইলৰ ভাবুকি নষ্ট কৰে, তেতিয়া আকাশ আৰু পৃথিৱীত মাত্ৰ এটা বাৰ্তাহে প্ৰতিধ্বনিত হয়-‘ভাৰত মাতা কি জয়’
Quoteতেওঁ সৈনিক আৰু তেওঁলোকৰ পৰিয়ালৰ প্ৰতি তেওঁলোকৰ ত্যাগক স্বীকৃতি দি সমগ্ৰ দেশৰ প্ৰতি গভীৰ কৃতজ্ঞতা প্ৰকাশ কৰে
Quoteমহাৰাণা প্ৰতাপৰ বিখ্যাত ঘোঁৰা চেতকৰ বিষয়ে লিখা শাৰীৰ উদ্ধৃতি দি তেওঁ মন্তব্য কৰে যে এই শব্দবোৰ এতিয়া ভাৰতৰ উন্নত আধুনিক অস্ত্ৰ-শস্ত্ৰৰ সৈতে নিখুঁতভাৱে অনুৰণন ঘটিছে
Quoteতেওঁ মন্তব্য কৰে যে বিৰোধীসকলৰ কোনো ধাৰণা নাছিল যে তেওঁলোকৰ দুৰ্গ কেতিয়া ধ্বংসাৱশেষলৈ পৰিণত হয়
Quoteতেওঁ দেশৰ বিমানঘাটিসমূহ চোৱাচিতা কৰা নেতৃত্বৰ প্ৰতি গভীৰ শলাগ লৈ ভাৰতীয় বায়ুসেনাৰ প্ৰতিজন বায়ুযোদ্ধাৰ প্ৰতি আন্তৰিক প্ৰশংসা প্ৰকাশ কৰে। দেশৰ ৰক্ষাৰ ক্ষেত্ৰত তেওঁলোকৰ অসাধাৰণ প্ৰদৰ্শন আৰু অদম্য নিষ্ঠাক তেওঁ প্ৰশংসা কৰে
Quoteতৃতীয়টো হ’ল, ভাৰতে আৰু সন্ত্ৰাসবাদী মাষ্টাৰমাইণ্ড আৰু তেওঁলোকক আশ্ৰয় দিয়া চৰকাৰসমূহৰ মাজত পাৰ্থক্য নকৰে। “ৰাষ্ট্ৰীয় নিৰাপত্তা আৰু সন্ত্ৰাসবাদ বিৰোধীতাৰ প্ৰতি নিজৰ দৃঢ় দৃষ্টিভংগীৰ লগত খাপ খুৱাই বিশ্বই এতিয়া এই নতুন আৰু সংকল্পবদ্ধ ভাৰতক স্বীকৃতি দিছে”, প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে দৃঢ়তাৰে কয়
Quoteতেওঁ ভাৰতৰ সংহত আকাশ আৰু স্থল যুদ্ধ ব্যৱস্থাৰ ফলপ্ৰসূতাক আলোকপাত কৰি ঘোষণা কৰে যে এই স্তৰৰ যৌথতা এতিয়া ভাৰতৰ সামৰিক শক্তিৰ এক নিৰ্ণায়ক বৈশিষ্ট্য হৈ পৰিছে

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

 

কেইদিনমান পূৰ্বে এই শ্ল’গানৰ শক্তি বিশ্বই প্ৰত্যক্ষ কৰিছে। ভাৰত মাতা কী জয় কেৱল এক শ্ল’গানেই নহয়, বৰঞ্চ এয়া ভাৰত মাতাৰ সন্মান আৰু মৰ্য্যাদা অক্ষুণ্ণ ৰাখিবলৈ নিজৰ প্ৰাণো বিসৰ্জন দিবলৈ কুণ্ঠাবোধ নকৰা দেশৰ প্ৰতিগৰাকী জোৱানৰ সংকল্পও। এয়া হৈছে দেশখনৰ বাবে জীয়াই থাকিব বিচৰা, কিবা এটা সাধন কৰিব বিচৰা প্ৰতিগৰাকী নাগৰিকৰ কণ্ঠ। সকলো ক্ষেত্ৰতে ভাৰত মাতা কী জয়ৰ অনুৰণন ঘটে। ভাৰতৰ সৈন্যসকলে ভাৰত মাতা কী জয় বুলি কোৱা মাত্ৰেকে শত্ৰুৰ অন্তৰ কঁপি উঠে। আমাৰ ড্ৰোনে শত্ৰুৰ দুৰ্গ ধ্বংস কৰোঁতে, আমাৰ মিছাইলে লক্ষ্যত উপনীত হওঁতে শত্ৰুৱে ভাৰত মাতা কী জয় ধ্বনি শুনিবলৈ পায়! ৰাতিৰ আন্ধাৰতো যেতিয়া আমাৰ সূৰ্য্য উদয় হয়, তেতিয়া শত্ৰুৱে শুনে - ভাৰত মাতা কী জয়! আমাৰ বাহিনীসমূহে পাৰমাণৱিক ভাবুকিক বিফল কৰোঁতে আকাশৰ পৰা পাতাললৈ মাথোঁ এটা ধ্বনিয়েই গুঞ্জৰিত হয় – সেয়া হৈছে ভাৰত মাতা কী জয়!

বন্ধুসকল,

সঁচাকৈয়ে, আপোনালোক সকলোৱে আজি লক্ষ-লক্ষ ভাৰতীয়ক গৌৰৱান্বিত কৰিছে, প্ৰতিগৰাকী ভাৰতীয়ৰ মন গৌৰৱৰ মনোভাৱেৰে ভৰাই তুলিছে। আপোনাসৱে ইতিহাস ৰচনা কৰিছে। আৰু মই আপোনালোকক চাবলৈ পুৱাই আপোনাসৱৰ মাজলৈ আহিছোঁ। সাহসী লোকৰ পদাংক পৃথিৱীত পৰা মাত্ৰেকে পৃথিৱী ধন্য হয়, সাহসী লোকক দেখাৰ সুযোগ লাভ কৰা মাত্ৰেকে জীৱন ধন্য হৈ পৰে। আৰু সেইবাবেই মই ইয়ালৈ ৰাতিপুৱাই আহিছোঁ আপোনালোকক চাবলৈ। আজিৰ পৰা বহু দশকৰ পাছতো যেতিয়া ভাৰতৰ এই শৌৰ্য্যৰ বিষয়ে আলোচনা কৰা হ’ব, তেতিয়া ইয়াৰ আটাইতকৈ গুৰুত্বপূৰ্ণ অধ্যায় হ’ব আপোনালোক আৰু আপোনাসৱৰ সংগীসকল। আপোনালোক সকলো বৰ্তমানৰ লগতে দেশৰ ভৱিষ্যৎ প্ৰজন্মৰ বাবেও এক নতুন প্ৰেৰণা হৈ পৰিছে। এই বীৰ ভূমিৰ পৰা আজি বায়ুসেনা, নৌসেনা আৰু সেনাবাহিনীৰ সকলো বীৰ জোৱান, আমাৰ বিএছএফ-ৰ বীৰ জোৱানসকলক প্ৰণাম জনাইছোঁ। আপোনালোকৰ বীৰত্বৰ বাবেই অপাৰেচন সিন্দূৰৰ প্ৰতিধ্বনি দেশখনৰ চুক-কোণে শুনা গৈছে। এই সমগ্ৰ অভিযানৰ সময়ত প্ৰতিজন ভাৰতীয়ই আপোনালোকৰ কাষত থিয় দিছিল, প্ৰতিজন ভাৰতীয়ই আপোনালোকৰ মংগলৰ বাবে প্ৰাৰ্থনা কৰিছিল। আজি দেশৰ প্ৰতিজন নাগৰিকে আপোনালোকৰ দৰে প্ৰতিগৰাকী সৈনিক আৰু তেওঁলোকৰ পৰিয়ালৰ ওচৰত কৃতজ্ঞ আৰু তেওঁলোকৰ ওচৰত ঋণী।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰ কোনো সাধাৰণ সামৰিক অভিযান নহয়। বৰঞ্চ এয়া ভাৰতৰ নীতি, উদ্দেশ্য আৰু নিৰ্ণায়কতাৰ সংগম। ভাৰত বুদ্ধৰ ভূমিৰ লগতে গুৰু গোবিন্দ সিং জীৰো ভূমি। গুৰু গোবিন্দ সিং জীয়ে কৈছিল – “सवा लाख सेएक लड़ाऊं , चि ड़ि यन तेमबाज़ तड़ुाऊं , तबैगु गोबि दं सि हं नाम कहाऊं।“ অৰ্থাৎ অশুভ শক্তিক বিনাশ কৰিবলৈ আৰু ন্যায় প্ৰতিষ্ঠা কৰিবলৈ হাতত অস্ত্ৰ তুলি লোৱাটো আমাৰ পৰম্পৰা। আৰু সেইবাবেই আমাৰ ভগ্নী-কন্যাসকলৰ সিন্দূৰ কাঢ়ি নিয়া মাত্ৰেকে আমি সন্ত্ৰাসবাদীক নিধন কৰিলোঁ। সিহঁত কাপুৰুষৰ দৰে লুকাই আহিছিল। সিহঁতে পাহৰি গৈছিল যে সিহঁতে যাক প্ৰত্যাহ্বান জনাইছিল, সেয়া হৈছে ভাৰতীয় সেনাবাহিনী। সেই ভাৰতীয় সেনায়েই সন্ত্ৰাসবাদৰ সকলো বৃহৎ ঘাটি, সন্ত্ৰাসবাদীৰ ৯ টা আত্মগোপনৰ স্থান ধ্বংস কৰিলে, ১০০ৰো অধিক সন্ত্ৰাসবাদীক নিধন কৰিলে। সন্ত্ৰাসৰ পৃষ্ঠপোষকবোৰে এতিয়া বুজি পাইছে যে ভাৰতৰ প্ৰতি চকু ফুৰালে এটাই মাত্ৰ পৰিণাম হ'ব – সেয়া হৈছে ধ্বংস। ভাৰতৰ নিৰীহ লোকৰ ৰক্তপাত হ’লে এটাই প্ৰতিফল হ'ব – সেয়া হৈছে ধ্বংস। ভাৰতীয় সেনা, ভাৰতীয় বায়ুসেনা আৰু ভাৰতীয় নৌসেনাই পাকিস্তানী সেনাক পৰাস্ত কৰিছে। যাৰ ওপৰত এই সন্ত্ৰাসবাদীবোৰে নিৰ্ভৰ কৰিছিল। আপোনালোকে পাকিস্তানী সেনাকো কৈছে যে পাকিস্তানত এনে কোনো ঠাই নাই য’ত সন্ত্রাসবাদীয়ে বহি শান্তিৰে উশাহ ল’ব পাৰে। আমি সিহতঁৰ ঘৰত সোমাই নিধন কৰিম আৰু সিহতঁক পলায়নৰো সুযোগ নিদিওঁ। আৰু আমাৰ ড্ৰোন, আমাৰ মিছাইলৰ পৰাক্ৰম, পাকিস্তান এইবোৰ কথা ভাবি বহু দিন শুব নোৱাৰিব। कौशल दि खलाया चाल म, उड़ गया भयानक भाल म। नि र्भी क गया वह ढाल म, सरपट दौड़ा करवाल म। এই শাৰীবোৰ মহাৰাণা প্ৰতাপৰ বিখ্যাত ঘোঁৰা চেটক সম্পৰ্কে লিখা হৈছে যদিও এই শাৰীবোৰ আজিৰ আধুনিক ভাৰতীয় অস্ত্ৰ সম্ভাৰৰ লগতো খাপ খাই পৰিছে।

মোৰ সাহসী বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰৰ জৰিয়তে আপোনাসৱে দেশৰ আত্মবিশ্বাস বৃদ্ধি কৰিলে, দেশখনক ঐক্যবদ্ধ কৰিছে আৰু ভাৰতৰ সীমান্তক সুৰক্ষিত কৰিছে, ভাৰতৰ আত্মসন্মানক নতুন শিখৰত উপনীত কৰিছে।

বন্ধুসকল,

আপোনালোকে এনে এক কৰ্ম সম্পন্ন কৰিলে, যি অভূতপূৰ্ব, কল্পনাতীত, আশ্চৰ্য্যকৰ। আমাৰ বায়ুসেনাই পাকিস্তানৰ ইমান গভীৰতাত থকা সন্ত্ৰাসবাদীৰ ঘাটিবোৰক লক্ষ্য কৰি লৈছিল। আধুনিক প্ৰযুক্তিৰে সজ্জিত পেছাদাৰী শক্তিয়েহে এই কাম কৰিব পাৰে, সীমান্তৰ সিপাৰে লক্ষ্যত আঘাত হানিব পাৰে, মাত্ৰ ২০-২৫ মিনিটৰ ভিতৰতে পিন-পইন্ট লক্ষ্যত আঘাত কৰিব পাৰে। আপোনালোকৰ গতি আৰু নিখুঁততা ইমানেই অধিক আছিল যে আপোনালোকৰ পৰাক্ৰমত শত্ৰু স্তম্ভিত হৈ পৰিছিল। সিহতঁৰ বুকু কেতিয়া বিদীৰ্ণ হ’ল, সিহঁতে গমেই নাপালে।

বন্ধুসকল,

আমাৰ লক্ষ্য আছিল পাকিস্তানৰ ভিতৰত থকা সন্ত্ৰাসৰ ঘাটিত আঘাত কৰা, সন্ত্ৰাসবাদীক নিধন কৰা। কিন্তু পাকিস্তানে নিজৰ যাত্ৰীবাহী বিমান ব্যৱহাৰেৰে যি ষড়যন্ত্ৰ ৰচনা কৰিছিল, মই কল্পনা কৰিব পাৰিছোঁ যে সেই মুহূৰ্তটো কিমান কঠিন আছিল, যেতিয়া অসামৰিক বিমানখন দৃশ্যমান হৈছিল আৰু মই গৌৰৱান্বিত যে আপোনাসৱে অত্যন্ত সাৱধানতাৰে অসামৰিক বিমানখনৰ ক্ষতি নকৰাকৈ কেৱল লক্ষ্যস্থানহে ধ্বংস কৰিছিল, আপোনাসৱে ইয়াৰ উচিত প্ৰত্যুত্তৰ প্ৰদান কৰিছিল। মই গৌৰৱেৰে ক’ব পাৰোঁ যে আপোনালোক সকলোৱে নিজৰ লক্ষ্যত উপনীত হৈছে। পাকিস্তানৰ কেৱল সন্ত্ৰাসবাদীৰ আত্মগোপনৰ স্থানেই নহয়, সিহঁতৰ কু-অভিপ্ৰায় আৰু সিহঁতৰ সাহস, উভয়েই পৰাস্ত হৈছে।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰত হতাশ হৈ শত্ৰুৱে আমাৰ একাধিক বিমান ঘাটিকো আক্ৰমণ কৰিবলৈ কেইবাবাৰো অপচেষ্টা কৰিছিল। ই আমাক বাৰে-বাৰে টাৰ্গেট কৰিছিল যদিও পাকিস্তানৰ কু-অভিপ্ৰায় প্ৰতিবাৰেই বিফল হৈছিল। পাকিস্তানৰ ড্ৰোন, ইউএভি, পাকিস্তানৰ বিমান আৰু ইয়াৰ মিছাইল, এই সকলোবোৰ আমাৰ শক্তিশালী বায়ু প্ৰতিৰক্ষাৰ সন্মুখত ধ্বংস হৈ গ’ল। দেশৰ সকলো বিমান ঘাটিৰ সৈতে জড়িত নেতৃত্বৰ মই আন্তৰিকতাৰে শলাগ লৈছোঁ, ভাৰতীয় বায়ুসেনাৰ প্ৰতিগৰাকী এয়াৰ-ৱাৰিয়ৰ, আপোনালোকে সঁচাকৈয়ে এক আশ্চৰ্য্যকৰ কাম কৰিলে।

বন্ধুসকল,

সন্ত্ৰাসবাদৰ বিৰুদ্ধে ভাৰতৰ লক্ষ্মণ ৰেখা এতিয়া অতিশয় স্পষ্ট। এতিয়া যদি পুনৰ কোনো সন্ত্ৰাসবাদীয়ে আক্ৰমণ সংঘটিত কৰে, তেন্তে ভাৰতে ইয়াৰ উপযুক্ত প্ৰত্যুত্তৰ প্ৰদান কৰিব। আমি চাৰ্জিকেল ষ্ট্ৰাইকৰ সময়ত, এয়াৰ ষ্ট্ৰাইকৰ সময়ত এয়া প্ৰত্যক্ষ কৰিছোঁ। এতিয়া অপাৰেচন সিন্দূৰ ভাৰতৰ নতুন স্বাভাৱিক অৱস্থা। আৰু কালি কোৱাৰ দৰে ভাৰতে এতিয়া তিনিটা নীতিৰ সিদ্ধান্ত গ্ৰহণ কৰিছে, প্ৰথম - যদি ভাৰতত সন্ত্ৰাসবাদীয়ে আক্ৰমণ সংঘটিত কৰে, তেন্তে আমি নিজৰ ধৰণেৰে, নিজৰ চৰ্ত অনুসৰি, নিজৰ সময়মতে সঁহাৰি জনাম। দ্বিতীয় - ভাৰতে কোনো ধৰণৰ পাৰমাণৱিক ব্লেকমেইল সহ্য নকৰে। তৃতীয়তে, সন্ত্ৰাসবাদৰ পৃষ্ঠপোষকতা কৰা চৰকাৰ আৰু সন্ত্ৰাসবাদৰ পৰিকল্পনাকাৰীক দুই পৃথক ব্যৱস্থা হিচাপে গণ্য নকৰোঁ। ভাৰতৰ এই নতুন ৰূপটো, এই নতুন ব্যৱস্থাটো বুজি পাই বিশ্বখনো আগবাঢ়িছে।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰৰ প্ৰতিটো মুহূৰ্তই ভাৰতীয় বাহিনীৰ শক্তিৰ সাক্ষ্য বহন কৰিছে। এই সময়ছোৱাত আমাৰ বাহিনীৰ সমন্বয়, মই সঁচাকৈয়ে ক’ম, এয়া অতিশয় উত্তম আছিল। সেনাবাহিনীয়েই হওঁক, নৌসেনাই হওঁক বা বায়ুসেনাই হওঁক, সকলোৰে সমন্বয় আছিল গভীৰ। নৌসেনাই সমুদ্ৰত নিজৰ আধিপত্য প্ৰতিষ্ঠা কৰিছিল। সেনাই সীমান্ত শক্তিশালী কৰিলে। আৰু ভাৰতীয় বায়ুসেনাই প্ৰতি আক্ৰমণৰ লগতে দেশখনক ৰক্ষা কৰিছিল। বিএছএফ আৰু আন-আন বাহিনীসমূহেও আচৰিত ধৰণৰ সামৰ্থ্য প্ৰদৰ্শন কৰিছে। সংহত বায়ু আৰু স্থল যুদ্ধ ব্যৱস্থাই এক বৃহৎ কাম কৰিছে। আৰু এয়াই হৈছে ঐক্য, এয়া এতিয়া ভাৰতীয় শক্তিৰ এক শক্তিশালী পৰিচয় হৈ পৰিছে।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰৰ সময়ছোৱাত জনশক্তিৰ লগতে মেচিনৰ সমন্বয়ও আচৰিত ৰূপ ধাৰণ কৰিছিল। ভাৰতৰ পৰম্পৰাগত বায়ু প্ৰতিৰক্ষা ব্যৱস্থাই হওঁক যিয়ে বহু যুদ্ধ দেখিছে বা আকাশৰ দৰে আমাৰ মেড ইন ইণ্ডিয়া প্লেটফৰ্মেই হওঁক, এছ-৪০০ৰ দৰে আধুনিক আৰু শক্তিশালী প্ৰতিৰক্ষা ব্যৱস্থাই অভূতপূৰ্ব শক্তি প্ৰদান কৰিছে। শক্তিশালী নিৰাপত্তা ঢাল হৈ পৰিছে ভাৰতৰ পৰিচয়। পাকিস্তানে একাধিক প্ৰচেষ্টা চলোৱাৰ পিছতো আমাৰ বিমান ঘাটি বা আমাৰ আন প্ৰতিৰক্ষা আন্তঃগাঁথনিৰ কোনো ক্ষতি হোৱা নাই। আৰু ইয়াৰ কৃতিত্ব আপোনালোক সকলোৰে আৰু মই আপোনালোক সকলোৰে বাবে গৌৰৱান্বিত, সীমান্তত নিয়োজিত প্ৰতিজন সৈনিক, এই অভিযানৰ সৈতে জড়িত প্ৰতিজন ব্যক্তি এই কৃতিত্বৰ গৰাকী।

বন্ধুসকল,

আজি আমাৰ হাতত নতুন আৰু অত্যাধুনিক প্ৰযুক্তিৰ এনে সামৰ্থ্য আছে যাৰ সৈতে পাকিস্তানে প্ৰতিদ্বন্দ্বিতাই কৰিব নোৱাৰে। যোৱা দশকত বায়ুসেনাকে প্ৰমুখ্য কৰি আমাৰ সকলো বাহিনীয়েই বিশ্বৰ ভিতৰতে সৰ্বোত্তম প্ৰযুক্তি লাভ কৰিছে। কিন্তু আমাৰ সকলোৰে জ্ঞাত যে নতুন প্ৰযুক্তিৰ উপযোগিতাৰ সমান্তৰালকৈ প্ৰত্যাহ্বানো সমানেই জটিল। জটিল আৰু অত্যাধুনিক ব্যৱস্থাসমূহ ৰক্ষণাবেক্ষণ কৰা, দক্ষতাৰে চলোৱাটো এক পৰম দক্ষতাৰ বিষয়। আপোনাসৱে প্ৰযুক্তিক কৌশলৰ সৈতে সংযোগ কৰি দেখুৱাইছে। আপোনালোকে প্ৰমাণ কৰিলে যে আপোনাসৱ এই কৌশলত বিশ্বৰ ভিতৰতে শ্ৰেষ্ঠ। ভাৰতীয় বায়ুসেনা এতিয়া কেৱল অস্ত্ৰৰেই নহয়, ডাটা আৰু ড্ৰোনেৰেও শত্ৰুক পৰাস্ত কৰাত বিশেষজ্ঞ হৈ পৰিছে।

বন্ধুসকল,

পাকিস্তানৰ অনুৰোধৰ পিছতহে ভাৰতে সামৰিক কাৰ্য্যকলাপ স্থগিত ৰাখিছে। যদি পাকিস্তানে পুনৰ সন্ত্ৰাস কাৰ্য্যকলাপৰ অপচেষ্টা বা সামৰিক দুঃসাহস প্ৰদৰ্শন কৰে, তেন্তে আমি ইয়াক উপযুক্ত প্ৰত্যুত্তৰ দিম। আমি নিজৰ চৰ্তত, নিজৰ ধৰণেৰে এই উত্তৰ দিম। আৰু এই সিদ্ধান্তৰ ভেটি, ইয়াৰ আঁৰত লুকাই থকা বিশ্বাস হৈছে আপোনালোক সকলোৰে ধৈৰ্য্য, সাহস, পৰাক্ৰম আৰু সজাগতা। আমি এই সাহস, এই আবেগ, এই মনোভাৱ অক্ষুণ্ণ ৰাখিব লাগিব। আমি অহৰহ সজাগ হৈ থাকিব লাগিব, আমি সাজু হৈ থাকিব লাগিব। আমি শত্ৰুক সোঁৱৰাই থাকিব লাগিব যে এয়া নতুন ভাৰত। এই ভাৰতে শান্তি কামনা কৰে, কিন্তু, যদি মানৱতাক আক্ৰমণ কৰা হয়, তেন্তে এইখন ভাৰতে যুদ্ধৰ মঞ্চত শত্ৰুক কেনেকৈ নিধন কৰিব লাগে সেই বিষয়েও ভালদৰেই জানে। এই সংকল্প গ্ৰহণেৰে পুনৰ এবাৰ কওঁচোন আহক

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম।

আপোনালোক সকলোকে অশেষ ধন্যবাদ জনালোঁ।