The full stress of our Government is on upliftment of poor: PM Modi

Published By : Admin | November 1, 2016 | 21:59 IST
Development is the only way to solve the problems that India is facing: PM Modi
Our skilled youth can pull themselves out of poverty and help fuel the engine of growth: PM Modi
The Centre, states, municipalities and panchayats should work together to eradicate poverty: PM Modi
Skilled youth can pull themselves and others out of poverty & add to the country’s economy: PM
People with sufficient skills can help boost the country's economy: PM Modi

मंच पर विराजमान छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्रीमान बलराम दास जी टंडन, छत्तीसगढ़ के जनप्रिय मुख्यमंत्री डॉ. रमण सिंह जी, केन्द्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान विष्णु देव जी, छत्तीसगढ़ विधनसभा के अध्यक्ष श्रीमान गौरीशंकर अग्रवाल जी, छत्तीसगढ़ सरकार के सभी मंत्री वरय, सांसद श्री रमेश जी, मंच पर विराजमान सभी महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए छत्तीसगढ़ के मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों।

अभी तो देश दीपावली के त्योहार में डूबा हुआ है। सब ओर दिवाली मनाई जा रही है और ऐसे समय मुझे छत्तीसगढ़ आने का अवसर मिला। मैं आप सबको दीपावली के इस पावन पर्व की बहुत – बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आज मेरा एक विशेष सौभाग्य है, जब माताएं, बहने आशीर्वाद देती हैं, तो आपके कार्य करने की शक्ति अनेकों गुणा बढ़ जाती है। आज पूरे छत्तीसगढ़ से भाईदूज के इस त्योहार पर लाखों की तादाद में बहनों ने मुझे आकर के आशीर्वाद दिया है। विशेषकर मेरी आदिवासी बहनों ने मुझे आशीर्वाद दिया है। मैं इन सभी बहनों को नमन करता हूं। और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं आपका ये भाई मां भारती के कल्याण के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों की भलाई के लिए आपके आशीर्वाद से कार्य करने में कोई कमी नहीं रखेगा।

आज छत्तीसगढ़ के हमारे गवर्नर हम सबके वरिष्ठ नेता श्रीमान बलराम दास जी का भी जन्मदिन है। मैं उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और आज एक ऐसा महत्वपूर्ण दिवस है, जिसके लिए हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी जी का जितना धन्यवाद करें उतना कम है। आज पूरे छत्तीसगढ़ की तरफ से, पूरे मध्यप्रदेश की तरफ से, पूरे उत्तर प्रदेश की तरफ से, पूरे उत्तराखंड की तरफ से, पूरे बिहार की तरफ से, पूरे झारखंड की तरफ से हम सब अटल बिहारी वाजपयी का बहुत –बहुत धन्यवाद करते हैं। उनका अभिनन्दन करते हैं कि उन्होंने छत्तीसगढ़ का निर्माण किया।

किसी राज्य की रचना इतने शांतिपूर्ण ढंग से हो, प्यार भरे माहौल में हो अपनेपन की भावना को और अधिक ताकत दे इस प्रकार से हो, आने वाली हर पीढ़ी को छत्तीसगढ़ का निर्माण हो, झारखंड का निर्माण हो, उत्तराखंड का निर्माण हो दीर्घ दृष्टि से सबको साथ लेकर के हर किसी का समाधान करते हुए लोकतांत्रिक परम्पराओं का और मर्यादाओं का पालन करते हुए राज्य रचना कैसे की जाती है, ये वाजपयी जी ने बहुत बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है। वरना हम जानते हैं। हमारे देश में राज्यों के निर्माण ने कैसी – कैसी कटुता पैदा की। कैसा विखवाद पैदा कर दिया। अलग राज्य बनकर के विकास की यात्रा के बजाय अगर सही ढंग से काम नहीं होता है, तो हमेशा-हमेशा वैर भाव के बीच फलते फूलते रहते हैं। हम भाग्यशाली हैं कि वाजपयी जैसे महान नेता उन्होंने हमें छत्तीसगढ़ दिया। कौन सोचता था कि 16 साल पहले जब छत्तीसगढ़ बना, किसने सोचा था कि हिन्दुस्तान के राज्‍यों की विकास की यात्रा में ये आदिवासी विस्तार वाला नक्सल प्रभावी इलाका भी हिन्दुस्तान के विकसित राज्यों के साथ भी टक्कर लेगा। और विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ेगा। 13 साल तक डॉ. रमण सिंह जी को सेवा करने का मौका मिला है। और हम लोगों का मंत्र रहा है। विकास का। देश की हर समस्या का समाधान सिर्फ और सिर्फ एक ही मार्ग से हो सकता है और वो मार्ग है विकास का।

हमें जहां – जहां सेवा करने का अवसर मिला है। उन सभी राज्यों में और वर्तमान में भारत सरकार में हम विकास के पथ पर आगे बढ़ने का पूरा समर्पित भाव से प्रयास कर रहे हैं। आज मेरा ये भी सौभाग्य है। के हम सबके मार्गदर्शक जिनके चिंतन की आधारशिला पर उनके चिंतन के प्रकाश में हम हमारी नीतियां बनाते हैं रणनीति तैयार करते हैं। और समाज के आखिरी छोर पर बैठे इंसान के कल्‍याण के लिए हम पवित्र भाव से, सेवा भाव से अपने आपको खपाते रहते हैं। वो हमारे प्रेरणा पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, जिनकी जन्मसदी का वर्ष है। और हमने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्मशताब्दी वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में साल भर सरकारें, समाज, स्वच्छिक संगठन, गरीबों के कल्याण के कार्यक्रमों पर अपना समय केन्द्रित करें। आज उस महापुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा का मुझे लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला। और जनपद से राजपथ तक एक आत्मपथ का भी जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चिंतन का एक परिचय एक शब्द में करना है तो है एकात्मता वो एकात्म पथ का निर्माण किया है। मैं आज सुबह जब से आया हूं। हर जगह पर जाकर के योजनाओं को देख रहा था। बड़े मन को प्रभाव पैदा करने वाली योजनाओं की रचना हुई है। निर्माण कार्य उत्तम हुआ है। और आज नहीं जब 50 साल के बाद कोई छत्तीसगढ़ आएगा, नया रायपुर देखेगा, एकात्म पथ देखेगा, तो उसे लगेगा कि हिन्दुस्तान का एक छोटा सा राज्य भी क्या कमाल कर सकता है। आदिवासी इलाका भी कैसी नई एक रौनक ला सकता है। इसका संदेश कि आज एक प्रकार से शिलान्यास हुआ है। ये 21वीं सदी, छत्तीसगढ़ में आज जो नींवें रखी जा रही हैं। आज जो योजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। गरीब से गरीब के कल्याण के कार्यों को बल दिया जा रहा है। Make In India के द्वारा यहां की जो प्राकृतिक संपदा है। उसे मूल्यवृद्धि करके भारत की अर्थव्यवस्था में भी बल देने का प्रयास छत्तीसगढ़ की धरती से, छत्तीसगढ़ के नागरिकों द्वारा, छत्तीसगढ़ की सरकार के द्वारा डॉ. रमण सिंह जी की टीम के द्वारा जो काम हो रहा है। उसका प्रभाव पूरी शताब्दी पर रहने वाला है। ये ऐसी मजबूत नींव तैयार हो रही है। जो छत्तीसगढ़ का भाग्य बदलने वाली है। इतना ही नहीं वो हिन्दुस्तान का भाग्य बदलने में भी अपनी अहम भूमिका अदा करने वाली है।

मुझे आज डॉ. रमण सिंह जी अपने प्रिये प्रोजैक्ट जंगल सफारी में भी घूमने के लिए ले गये थे। और लग रहा था कि टाइगर उनको पहचानता था। आंख में आंख मिलाने के लिए चला आया था। मुझे विश्वास है कि न सिर्फ छत्तीसगढ़ के लोग देश के अन्य भागों से भी Tourism के दृष्टि से ये प्राकृतिक माहौल में तैयार किया गया जंगल सफारी को देखने के लिए लोग आएंगे। Tourism के विकास की बहुत संभावना है। और छत्तीसगढ़ के पास Tourism को बल देने के लिए अंतरनिहित बहुत सी ताकत पड़ी हुई है। यहां की शिल्प कला Tourism के आकर्षण का एक  महत्व अंग होती है। यहां के जंगल, यहां के प्राकृतिक संपदा टूरीस्ट लोग आज Back to Basic की तरफ जाने के मूड के बने हैं। जब उनको Eco Tourism के लिए Invite किया जाए तो एक बहुत बड़ी संभावना छत्तीसगढ़ के जंगलों में Eco Tourism की पड़ी हुई है। और Tourism ऐसा क्षेत्र है कि जिसमें कम से कम पूंजी निवेश से अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। एक कारखाना लगाने में जितनी पूंजी लगाएं। उससे जितनों को रोजगार मिलता है। उससे दसवें हिस्से की पूंजी लगाकर के अधिक लोगों को रोजगार Tourism से मिलता है। और Tourism एक ऐसा क्षेत्र है गरीब से गरीब कमाता है। ऑटो रिक्शा वाला भी कमाएगा। खिलौने बेचने वाला कमाएगा, फल फूल बेचने वाला कमाएगा, चॉकलेट बिस्किट बेचने कमाएगा, चाय बेचने वाला भी कमाएगा। ये गरीब से गरीब को रोजगार देता है। और इसलिए ये नया रायपुर ये जंगल सफारी एकात्म पथ विकास के धाम तो है ही है लेकिन भविष्य में Tourism के Destination बन सकते हैं। और जिस प्रकार से डॉ. रमण सिंह जी मुझे लगातार इन चीजों का ब्यौरा दे रहे थे। मुझे विश्वास है जिन सपनों को उन्होंने संजोया है वो बहुत ही निकट भविष्य में पूरा छत्तीसगढ़ के आंखों के सामने होंगे। और रमण सिंह जी के नेतृत्व में होंगे। ये बड़े संतोष की बात है।

भाइयों बहनों मैं जब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशदी की बात कर रहा हूं तब इस देश में गरीबी को मिटाने के लिए गरीब से मुक्ति के लिए, केन्द्र हो राज्य हो, पंचातयत हो या पालिका हो। हम सबने मिलकर के पूरी ताकत लगाकर के गरीबी से मुक्ति का जंग कंधे से कंधा मिलाकर के लड़ना है। और गरीबी से मुक्ति का मार्ग गरिबी में जिनको जिन्दगी गुजारनी पड़ी है। उनको सौगातें बांट कर नहीं रोक सकता है। उनको सामर्थवान बनाने से हो सकता है। अगर उसे शिक्षित किया जाए। उसे हुनर सिखाया जाए। उसे कार्य करने के लिए औरजार दिये जाएं, उसे काम करने का अवसर दिया जाए तो वो सिर्फ अपने परिवार की गरीबी हटाएगा ऐसा नहीं वो अड़ोस  पड़ोस के भी दो परिवारों की गरीबी हटाने की भी ताकत उसमें आ जाती है। और इसलिये Empowerment of Poor उस दिशा में हमने काम को बल दिया है।

हम जानते हैं गरीब बच्चों को सरकार की योजनाएं तो चलती हैं टीकाकरण की, आरोग्य के लिए लेकिन उसके बावजूद भी जो मां पढ़ी लिखी है थोड़ी जागरूकता है वहां के स्थानीय लोग जरा सक्रीय हैं, तो तो टीकाकरण हो जाता है गरीब का बच्चा आने वाली बीमारी से बचने के लिये सुरक्षा कवच प्राप्त कर लेता है। लेकिन अभी भी हमारे देश में अशिक्षा है। गरीब मां को पता नहीं है बच्चे को क्या क्या टीका लगवाना होता है। और लाखों बच्चे सरकारी योजनाएं होते हुए भी बजट का खर्च होते हुए भी टीकाकरण से बच जाते थे । हमने एक इन्द्रधनुष योजना बनाई है। इस इन्द्रधनुष योजना के तहत routine  में टीकाकरण होता है । वहां अटकना नहीं है ।           गांव गांव गली गली गरीब के घर जाकर के खोजना है। कौन बच्चे हैं जो टीकाकरण से छूट गए हैं। मेहनत चल रही है लेकिन हमरे सारे साथी लगे हैं। और लाखों की तादाद में ऐसे बालकों को ढूंढ कर निकाला और उसका टीकाकरण कर के उनके आरोग्य के लिए ताकत देने का प्रयास हमने किया। सफलतापूर्वक अभियान चलाया। सिर्फ योजना आंकड़ों से नहीं परिणाम से प्राप्‍त करने तक जोड़ना इस बात में बल दिया है।

एक जमाना था Parliament के Member को 25 गैस कनेक्शन की कूपन मिला करती थी और सैकड़ों लोग, बड़े – बड़े लोग उन एमपी साहब के अगल बगल में घूमते रहते थे कि अरे साहब जरा एक गैस कनेक्शन का कूपन दे दो। घर में गैस कनेक्शन लगाना है। बड़े – बड़े लोग सिफारिश लगाते थे। और कभी अखबारों में आया करता था कि कुछ एमपी तो गैस के कुपन ब्लैक में बेच देते थे। ऐसी भी खबरें आती थी। गैस कनेक्शन पाना कितना कठिन था। ये बहुत पुरानी बात नहीं दस पंद्रह साल पहले भी लोग ये जनता थी। भाइयों बहनों मैंने बीड़ा उठाया कि मेरी गरीब माताएं जो लकड़ी के चूल्हे जलाकर के धूंए में अपनी जिन्दगी गुजार दी। एक गरीब मां जब लकड़ी का चूल्हा जलाकर के खाना पकाती है तो चार सौ सिगरेट जितना धुआं उसके शऱीर में हर दिन जाता है। आप कल्‍पना कर सकते हैं। एक गरीब मां अगर हर दिन उसके शरीर में चार सौ सिगरेट का धुआं जाएग, तो उस मां की तबीयत का हाल क्या होगा। उन बच्चों का क्या हाल होगा। और मेरे देश के भविष्य का क्या हाल होगा। क्या हम हमारी गरीब माताओं को ऐसी जिन्दगी जीने के लिए मजबूर करते रहेंगे या उनको उनके नसीब में छोड़ देंगे। हमने बीड़ा उठाया है। आने वाले तीन साल में इन गरीब परिवारों में पांच करोड़ परिवारों में लकड़ी के चूल्हे और धूएं से मुक्ति दिलाकर के प्रधानमंत्री उजवला योजना के तहत गैस का कनेक्शन पहुंचाना गैस का चूल्हा पहुंचाना और जंगलों को काटने से बचाना लकड़ी लेने के लिए जो माताओं को मेहनत करनी पड़ती थी उससे बचाना जब जरूरत पड़े तब बच्चों को खाना खिला सके ऐसी व्यवस्था देना बड़ा र्पुजोश काम चालया है।

भाइयों बहनों जिसके मूल में एक ही विचार है एक ही भावना है। देश को गरीबी से मुक्ति दिलाना। भाइयों बहनों हम मेक इन इंडिया का अभियान चला रहे हैं। क्यों? हमारे देश के पास नौजवान हैं। इनके पास मजबूत भूजाएं हैं। दिल भी है दिमाग भी है। अगर उनको अवसर मिले तो दुनिया में उत्तम से उत्तम चीज बनाने की ताकत ये हमारे नौजवान रखते हैं । उनको हुनर सीखना है अगर हुनर सिखाया। Skill Development किया मेरे नौजवान अपने पैरों पर खड़े रहने की ताकत रखते हैं। हमारी सरकार बनने के बाद हमने skill development का अलग मंत्रालय बनाया। अलग minister  बनाया। अलग बजट आवंटित किया। और पूरे देश में सरकार के द्वारा राज्यों के द्वारा केन्द्र के द्वारा उद्योग के द्वारा public private partnership द्वारा  जो भी model जहां भी लागू हो सकता है लागू करके skill development का बड़ा अभियान चलाया। skill development कहां से चलाया सुखी परिवार के बच्चे तो अच्छी से कॉलेजों में जगह पा लेते हैं। विदेशों में जाकर ये गरीब का बच्चा है जो तीसरी कक्षा तक, पांचवी कक्षा तक बड़ी मुश्किल से पढ़ता है और पढ़ना छोड़ देता है। और फिर Unskilled Labour के नाते जिन्दगी गुजार देता है। हम ऐसे बालकों को ढूंढ़ ढूंढ़ कर के Skill Development की ओर काम कर रहे हैं। ताकि गरीब से गरीब का बच्चा भी सम्मान के साथ अपने हाथ के हुनर के बल पर अपना भविष्य निर्माण कर सके। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। क्योंकि हमें देश को गरीबी से मुक्ति दिलानी है। काम कितना ही कठिन क्यों न हो। लेकिन देश का भला गरीबी की मुक्ति में ही है। अगर गरीबी से मुक्ति नहीं लाते बाकि पचासों चीजें कर लें देश का भाग्य नहीं बदल सकता। और इसलिए हमारा पूरा जोर पूरी ताकत गरीब के कल्याण के लिए लगी हैं। हमारा किसान परिवार बढ़ता चला जा रहा है। जमीन का दायरा कम होता जाता है। जमीन का बंटवारा होता रहता है पीढ़ी दर पीढ़ी। कम जमीन में पेट भऱना घर चलाना कभी-कभी मुश्किल हो जाता है। किसी किसान के तीन बेटे हैं और बाप को पूछो, क्‍या सोचा है तो कहेंगे कि एक बेटे को तो खेती रखूंगा दो को कहीं शहर में भेज दूंगा रोजी-रोटी कमाने। हमें हमारी कृषि को हमारी खेती को viable बनाना है। छोटी जमीन में भी ज्यादा उत्पादन हो। मूल्यवान उत्पादन हो। और प्राकृतिक आपदा में भी मेरे किसान को संकटों से जुझने की ताकत मिले। ऐसी अर्थव्यवस्था कृषि अर्थव्यवस्था हो। किसान जो पैदा करता है उसको पूरे देश में मार्केट मिलना चाहिए। अड़ोस पड़ोस के कुछ दलाल व्यापारी उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर के माल छीन लें। ये स्थिति बंद होनी चाहिए। और इसके लिए हमने E-NAM से पूरे देश में मंडियों का ऑनलाइन नेटवर्क खड़ा किया। अपने मोबाइल फोन से किसान कहां ज्यादा दाम मिलता है वहां अपना माल बेच सकता है ऐसी व्यवस्था को विकसित किया है ।

मैंने आज यहां देखा कृषि का स्‍टोर इन्होंने भी E-NAM लोगों को समझ देने की व्यवस्था छतीसगढ़ ने की है। पूरे देश में किसानों को एक समान मार्केट मिले। किसान की मरजी से उसको दाम मिले। उस पर बल देने का काम किया। आजकल प्राकृतिक आपदाएं कभी अकाल तो कभी भयंकर बारिश कभी फसल तैयार होने के बाद बारिश किसान तबाह हो जाता है। पहली बार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मेरे देश के किसानों को सुरक्षा का एक गारंटी दिया गया। और बहुत कम पैसों से बीमा की योजना है। किसान को बहुत कम देना है। अधिकतम पैसा सरकार देगी। भारत सरकार देगी। अगर जून महीने में उसको फसल बोना है, लेकिन जुलाई तक बारिश ही नहीं आई। उसने फसल बो ही नहीं पाया। तो फसल तो खराब नहीं हुई। उसको तो बीमा नहीं मिल सकता। हमने ऐसी प्रधानमंत्री बीमा योजना बनाई है कि प्राकृतिक संकट के कारण वो बो नहीं पाया। तो भी उसका हिसाब लगा करके उसने एक इंच भी जमीन बोई नहीं होगी। तो भी उसके साल भर की आय का हिसाब लगाकर के उसको बीमा का पैसा मिलेगा। पहली बार देश में ऐसा हुआ है।

फसल तैयार हो गई फसल तैयार होने तक बारिश वारिश सब अच्छा रहा। सोला आने फसल हो गई खेत में फसल का ढेर पड़ा है। बस एक दो दिन में किसी का ट्रेक्टर मिल जाए फिर तो मार्केट मे जाना ही जाना है और अचानक बारिश आ जाए। पूरा फसल तैयार की गई बर्बाद हो जाए। अब तक ऐसा होता था तो insurance वाले कहते थे । भई जब तुम्हारी फसल खड़ी थी तो तुम्हारा कोई नुकसान नहीं हुआ तो पैसा नहीं मिलेगा। हम एक ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए हैं। कि फसल की कटाई के बाद ढेर पड़ा है। और 15 दिन के भीतर भीतर कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए और नुकसान हो गया तो प्रधानमंत्री फसल योजना बीमा के जरिये किसान को पैसा मिलेगा। यहां तक की व्यवस्था है। मेरे देश के किसान को सुरक्षित करना साथ साथ किसान के लिए मूल्यवृद्धि करना। किसान जो पैदावार करता है।  उसकी मूल्यवृद्धि हो। Value addition  हो। अगर वो आम पैदा करता है तो आम का आचार बनता है। तो ज्यादा मंहगा बिकता है। अगर वो टमाटर पैदा करता है लेकिन टमाटर का कैचअप बनता है तो ज्यादा मंहगा बिकता है। वो दूध पैदा करता है। और दूघ बेचता है तो कम पैसा मिलता है । दूध की मिठाई बना बेचता है तो ज्‍यादा पैसा मिलता है । ये मूल्यवृद्धि होनी चाहिए। Value addition  होना चाहिए। छत्तीसगढ़ ने कई ऐसे कार्यक्रम शुरू किए हैं मैं देख रहा था। जिसमें किसान जो पैदा करता है। उसमें  Value addition  है। अगर गन्ना पैदा करने वाला किसान गन्ने बेचता रहेगा तो कमाएगा नहीं। लेकिन शुगर तैयार हो जाती है। गन्ने से किसान भी कमाता है। और इसलिए हमारा बल गांव, गरीब,किसान, मजदूर, नौजवान इनके सामर्थ को कैसे बढ़ावा मिले देश विकास की नई ऊंचाइयों को कैसे पार करे। उस दिशा में एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं। देश की सरकार cooperative federalism को लेकर के cooperative competitive federalism को बल दे करके आगे बढ़ रही है। हम चाहते हैं कि राज्यों राज्यों के बीच में स्पर्धा हो। विकास की स्पर्धा हो। अगर एक राज्य open defecation free हुआ तो दूसरे राज्य का मिशन भी बन जाना चाहिए कि हम भी पीछे नहीं रहेंगे। हम भी कर के रहेंगे। अगर एक राज्य उद्योग की एक धारा को पकड़ता है तो दूसरा राज्य दूसरी धारा पकड़ कर के कि हां देखो मैं आपसे आगे निकल गया। हम स्पर्धा चाहते हैं राज्यों के बीच में । विकास की स्पर्धा चाहते हैं। और भारत सरकार इस विकास के यात्रा में जो तेज गति से आगे आना चाहता है। ऐसे सभी राज्यों को किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना हर प्रकार की मदद करने के लिए हमेशा हमेशा प्रतिबद्धता है। छत्तीसगढ़ भविष्य के विकास के लिये जो भी योजना लाएगा। छत्तीसगढ़ ने जिन-जिन योजनाओं को लाया है। दिल्ली में बैठी हुई सरकार छत्तीसगढ़ के कंधे से कंधा मिलाकर के खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी। और छत्तीसगढ़ को नई ऊंचाईयों में ले जाने में हम कभी भी पीछे नहीं रहेंगे। मैं फिर एक बार छत्तीसगढ़ के इस राज्योत्सव के समय पर छत्तीसगढ़ के कोटी कोटी जनों को अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। छत्तीसगढ़ के उज्जवल भविष्य के लिए भारत सरकार की तरफ से पूर्ण सहयोग के लिए आश्वासन देता हूं। और आइये हम सब मिलकर के छत्तीसगढ़ को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएं इसी एक शुभकामना के साथ मेरे साथ बोलिये भारत माता की जय। आवाज दूर दूर तक जानी चाहिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

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PM chairs 50th meeting of PRAGATI
December 31, 2025
In last decade, PRAGATI led ecosystem has helped accelerate projects worth more than ₹85 lakh crore: PM
PM’s Mantra for the Next Phase of PRAGATI: Reform to Simplify, Perform to Deliver, Transform to Impact
PM says PRAGATI is essential to sustain reform momentum and ensure delivery
PM says Long-Pending Projects have been Completed in National Interest
PRAGATI exemplifies Cooperative Federalism and breaks Silo-Based Functioning: PM
PM encourages States to institutionalise PRAGATI-like mechanisms especially for the social sector at the level of Chief Secretary
In the 50th meeting, PM reviews five critical infrastructure projects spanning five states with a cumulative cost of more than ₹40,000 crore
Efforts must be made for making PM SHRI schools benchmark for other schools of state governments: PM

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 50th meeting of PRAGATI - the ICT-enabled multi-modal platform for Pro-Active Governance and Timely Implementation - earlier today, marking a significant milestone in a decade-long journey of cooperative, outcome-driven governance under the leadership of Prime Minister Shri Narendra Modi. The milestone underscores how technology-enabled leadership, real-time monitoring and sustained Centre-State collaboration have translated national priorities into measurable outcomes on the ground.

Review undertaken in 50th PRAGATI

During the meeting, Prime Minister reviewed five critical infrastructure projects across sectors, including Road, Railways, Power, Water Resources, and Coal. These projects span 5 States, with a cumulative cost of more than ₹40,000 crore.

During a review of PM SHRI scheme, Prime Minister emphasized that the PM SHRI scheme must become a national benchmark for holistic and future ready school education and said that implementation should be outcome oriented rather than infrastructure centric. He asked all the Chief Secretaries to closely monitor the PM SHRI scheme. He further emphasized that efforts must be made for making PM SHRI schools benchmark for other schools of state government. He also suggested that Senior officers of the government should undertake field visits to evaluate the performance of PM SHRI schools.

On this special occasion, Prime Minister Shri Narendra Modi described the milestone as a symbol of the deep transformation India has witnessed in the culture of governance over the last decade. Prime Minister underlined that when decisions are timely, coordination is effective, and accountability is fixed, the speed of government functioning naturally increases and its impact becomes visible directly in citizens’ lives.

Genesis of PRAGATI

Recalling the origin of the approach, the Prime Minister said that as Chief Minister of Gujarat he had launched the technology-enabled SWAGAT platform (State Wide Attention on Grievances by Application of Technology) to understand and resolve public grievances with discipline, transparency, and time-bound action.

Building on that experience, after assuming office at the Centre, he expanded the same spirit nationally through PRAGATI bringing large projects, major programmes and grievance redressal onto one integrated platform for review, resolution, and follow-up.

Scale and Impact

Prime Minister noted that over the years the PRAGATI led ecosystem has helped accelerate projects worth more than 85 lakh crore rupees and supported the on-ground implementation of major welfare programmes at scale.

Since 2014, 377 projects have been reviewed under PRAGATI, and across these projects, 2,958 out of 3,162 identified issues - i.e. around 94 percent - have been resolved, significantly reducing delays, cost overruns and coordination failures.

Prime Minister said that as India moves at a faster pace, the relevance of PRAGATI has grown further. He noted that PRAGATI is essential to sustain reform momentum and ensure delivery.

Unlocking Long-Pending Projects

Prime Minister said that since 2014, the government has worked to institutionalise delivery and accountability creating a system where work is pursued with consistent follow-up and completed within timelines and budgets. He said projects that were started earlier but left incomplete or forgotten have been revived and completed in national interest.

Several projects that had remained stalled for decades were completed or decisively unlocked after being taken up under the PRAGATI platform. These include the Bogibeel rail-cum-road bridge in Assam, first conceived in 1997; the Jammu-Udhampur-Srinagar-Baramulla rail link, where work began in 1995; the Navi Mumbai International Airport, conceptualised in 1997; the modernisation and expansion of the Bhilai Steel Plant, approved in 2007; and the Gadarwara and LARA Super Thermal Power Projects, sanctioned in 2008 and 2009 respectively. These outcomes demonstrate the impact of sustained high-level monitoring and inter-governmental coordination.

From silos to Team India

Prime Minister pointed out that projects do not fail due to lack of intent alone—many fail due to lack of coordination and silo-based functioning. He said PRAGATI has helped address this by bringing all stakeholders onto one platform, aligned to one shared outcome.

He described PRAGATI as an effective model of cooperative federalism, where the Centre and States work as one team, and ministries and departments look beyond silos to solve problems. Prime Minister said that since its inception, around 500 Secretaries of Government of India and Chief Secretaries of States have participated in PRAGATI meetings. He thanked them for their participation, commitment, and ground-level understanding, which has helped PRAGATI evolve from a review forum into a genuine problem-solving platform.

Prime Minister said that the government has ensured adequate resources for national priorities, with sustained investments across sectors. He called upon every Ministry and State to strengthen the entire chain from planning to execution, minimise delays from tendering to ground delivery.

Reform, Perform, Transform

On the occasion, the Prime Minister shared clear expectations for the next phase, outlining his vision of Reform, Perform and Transform saying “Reform to simplify, Perform to deliver, Transform to impact.”

He said Reform must mean moving from process to solutions, simplifying procedures and making systems more friendly for Ease of Living and Ease of Doing Business.

He said Perform must mean to focus equally on time, cost, and quality. He added that outcome-driven governance has strengthened through PRAGATI and must now go deeper.

He further said that Transform must be measured by what citizens actually feel about timely services, faster grievance resolution, and improved ease of living.

PRAGATI and the journey to Viksit Bharat @ 2047

Prime Minister said Viksit Bharat @ 2047 is both a national resolve and a time-bound target, and PRAGATI is a powerful accelerator to achieve it. He encouraged States to institutionalise similar PRAGATI-like mechanisms especially for the social sector at the level of Chief Secretary.

To take PRAGATI to the next level, Prime Minister emphasised the use of technology in each and every phase of the project life cycle.

Prime Minister concluded by stating that PRAGATI@50 is not merely a milestone it is a commitment. PRAGATI must be strengthened further in the years ahead to ensure faster execution, higher quality, and measurable outcomes for citizens.

Presentation by Cabinet Secretary

On the occasion of the 50th PRAGATI milestone, the Cabinet Secretary made a brief presentation highlighting PRAGATI’s key achievements and outlining how it has reshaped India’s monitoring and coordination ecosystem, strengthening inter-ministerial and Centre-State follow-through, and reinforcing a culture of time-bound closure, which resulted in faster implementation of projects, improved last-mile delivery of Schemes and Programmes and quality resolution of public grievances.