ووٹ بینک کی سیاست کرنے والوں کے لئے کوئی جگہ نہیں ہے۔ اس طرح کی سیاست ملک کی ترقی کو تباہ کر دیتی ہے: وزیر اعظم مودی
کانگریس کو ترقی کی سیاست کبھی منظور نہیں ہوئی : وزیر اعظم مودی اجمیر میں
ووٹ بینک کی سیاست محض الیکشن تک ہی محدود نہیں ہوتی بلکہ یہ پورے نظام کو تباہ کر دیتی ہے اور انتظامیہ پر اس کے تباہکار اثرات مرتب ہوتے ہیں: وزیر اعظم مودی
وزیر اعظم مودی نے عوام سے اپیل کی کہ ووٹ بینک کی سیاست کرنے کی اجازت نہ دی جائے۔
کانگریس کیوں حقائق پر چناؤ نہیں لڑ رہی ہے۔ وہ کیوں جھوٹ پھیلا رہے ہیں اور برا بھلا کہہ رہے ہیں، وزیر اعظم کا سوال
کانگریس کو سرحد پر سپاہیوں کی جانوں کی قربانی پر فخر نہیں ہے، کانگریس نے سرجیکل اسٹرائیکس کو خوار کرکے رکھ دیا ہے: وزیر اعظم مودی

मंच पर विराजमान राजस्थान की लोकप्रिय और यशस्वी मुख्यमंत्री बहन वसुंधरा जी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान मदन लाल सैनी जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री प्रकाश जावड़ेकर, अर्जुनराम मेघवाल, विजय गोयल, राज्यवर्धन राठौड़, गजेन्द्र सिंह शेखावत, पी. पी. चौधरी, सी. आर. चौधरी; राज्य सरकार में भिन्न-भिन्न जिम्मेवारियां निभा रहे हमारे विधान सभा के अध्यक्ष श्रीमान कैलाश जी, भाई ओमप्रकाश माथुर जी, हमारे वरिष्ठ नेता गुलाबचन्द जी, मंच पर विराजमान अन्य सभी महानुभाव और इतनी भयंकर गर्मी में भी ये विशाल जन सागर, ये उमंग, ये उत्साह, ये र्जा, आपलोगों ने राजस्थान के उज्ज्वल भविष्य की हस्तरेखा आज लिख दी है।

अभी हमारे प्रदेश अध्यक्ष जी बता रहे थे कि आप चुनाव के समय भी हमें समय दीजिए; मैं प्रदेश अध्यक्षजी को विश्वास दिलाता हूं कि मैं वही नरेन्द्र मोदी हूं जो कभी हमारे सैनी जी के साथ स्कूटर पे बैठकर संगठन का काम किया करता था। और इसलिए, देश और दुनिया के लिए भले ही मैं प्रधानमंत्री हूं लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लिए तो मैं एक कार्यकर्ता हूं, और एक कार्यकर्ता के नाते पार्टी जब भी, जो भी जिम्मेवारी मुझे देती है उसको जी-जान से लग करके पूरा करने का प्रयास करता हूं। आगे भी, आप सब मिल करके जितनी बार मुझे आने के लिए कहेंगे, जहां-जहां जाने के लिए कहेंगे, छोटे से बूथ की मीटिंग के लिए भी कहेंगे, ये कार्यकर्ता हाजिर है।

हमारे यहां एक परंपरा है कि जब कोई यात्रा करके आता है तो परिचित, रिश्तेदार, जान-पहचान वाले, जो यात्रा करके आते हैं, उनका स्वागत और उनको प्रणाम करने के लिए पहुंच जाते हैं, क्योंकि हमारे यहां मान्यता है कि जो यात्रा करके आता है वो बहुत पुण्य कमा के आता है और जब हम उसके दर्शन करते हैं, उनके आशीर्वाद लेते हैं तो पुण्य का कुछ हिस्सा हमारे भी नसीब आता है। मेरा आज सौभाग्य है कि चार-साढ़े चार हजार किलोमीटर की यात्रा करके राजस्थान के साढ़े सात करोड़ देवी-देवता रूपी नागरिकों के दर्शन करके, उनके आशीर्वाद ले करके वसुंधरा जी जब यहां पधारी हैं, तो मेरा भी ये सौभाग्य है आज उनका स्वागत करने का, उनका सम्मान करने का और मुझे भी इस पुण्य कार्य में शरीक होने का अवसर मिला, मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं।

ये यात्रा सरल नही होती है। और उसमें भी विरोधी दल में रह करके जो मर्जी पड़े बोलने की छूट होती हो, मानसिक संतुलन न हो, जहां जाएं जो बोलना है बोल दिया, कोई पूछने वाला न हो, तब यात्रा बड़ी सरल होती है, तालियां भी बहुत बजती हैं। लेकिन पांच साल सरकार चलाने के बाद, पल-पल का, पाई-पाई का हिसाब देने के लिए जनता-जनार्दन के बीच जाना, ये बहुत बड़ी जनता के प्रति समर्पण भाव के बिना संभव नहीं होता। और ये काम भारतीय जनता पार्टी जहां भी हो, चाहे राजस्थान हो, चाहे मध्यप्रदेश हो, चाहे छत्तीसगढ़ हो, कहीं पर भी जनता के बीच में जा करके जनता के सामने अपने कार्य का हिसाब देना, भारतीय जनता पार्टी कभी भी मुंह नहीं छिपाती है। हम जानते हैं और हमें झूठ बोलने की आदत नहीं है

हमलोग ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ काम करने वाले लोग हैं। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’, इस मूलभूत सिद्धांत को लेकर के एक नई राजनीति को समर्पित लोग हैं। एक तरफ वोट बैंक की राजनीति का खेल, दूसरी तरफ ‘सबका साथ सबका विकास’, इस नई राजनीति का दायित्व दोनों में आसमान-जमीन का अंतर होता है। जो वोट बैंक की राजनीति करते हैं, उनको कभी हिन्दू-मुस्लिम का खेल करने में मजा आता है, कभी अगड़े-पिछड़े का खेल करने में मजा आता है, कभी ये जाति, ये बिरादारी...कभी वो जाति, वो बिरादरी...कभी शहर, कभी गांव...कभी अमीर, कभी गरीब...कभी पुरुष, कभी स्त्री…कभी बुजुर्ग, कभी युवा; जहां मौका मिले टुकड़े करो, जहां मौका मिले दरार पैदा करो, जहां मौका मिले एक-दूसरे के सामने कर दो, वो लड़ते रहेंगे और हम एक को गले लगा करके अपना चुनावी उल्लू सीधा कर लेंगे, ये वोट बैंक की राजनीति का खेल चलता है।

तोड़ना सरल होता है, जोड़ने के लिए जिंदगी खपानी पड़ती है, तब जा करके जुड़ता है। हम जोड़ने वाले हैं, समाज के हर तबके को, समाज के हर वर्ग को। भूभाग भी कोई बहुत आगे निकल जाए, कोई भूभाग बहुत पीछे रह जाए, ये भी हमें मंजूर नहीं है। और इसलिए जब भी किसी को फुर्सत मिले, भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की, हमारी कार्यसंस्कृति का अगर लेखा-जोखा करना है, तो करके देखिए कि ‘सबका साथ सबका विकास’, ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’, इस मंत्र की ताकत क्या है, उसमें भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकल्प कैसे प्रदर्शित होता है, कैसे मुखर करके आता है। और, ये वोट बैंक की राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित नहीं रहती है। बड़े बड़े विद्वान बताने वाले अपने-आप को, कलम के धनी, घंटों तक डिबेट का सामर्थ्य रखने वाले लोग भी, ये बहुत बड़ी गलती कर बैठते हैं कि उनको भी लगता है कि वोट बैंक की राजनीति सिर्फ चुनाव तक सीमित है। जी नहीं, ये पूरी व्यवस्था को तबाह कर देती है।

वोट बैंक की राजनीति करने वाले दल अगर सरकार में बैठते हैं, तो बाबुओं में भी, मुलाजिमों में भी, अफसर में भी, पूरे सरकारी कैडर को भी उस वोट बैंक के तहत बांट देते है और फिर उन्हीं को पद देते हैं। जिले के अंदर उन्हीं अधिकारियों को भेजते हैं जो उनके वोट बैंक के समीकरण में फिट होते हैं। और उसके कारण आधी सरकारी ब्यूरोक्रेसी जब तक ये वोट बैंक वाली सरकार रहती है, सरकारी काम से दूर हो जाती है, ठंडे हो जाते हैं, दफ्तर में आते हैं, बैठते हैं, कहते हैं भई हमें कौन पूछता है। इसके कारण शासन व्यवस्था को ऐसी दीमक लग जाती, हर कोई दूसरे को शक की नजर से देखता है, हर कोई काम में अड़ंगे डालने का रास्ता खोजता है, हर कोई दूसरे को विफल करने में लगा रहता है और परिणाम…वोट बैंक की राजनीति करने वाले सत्ताधीशों को चार चांद लग जाते हैं, लेकिन वो गरीब मुलाजिम, सामान्य परिवार से आया हुआ व्यक्ति वो शासन के अंदर पांच साल के लिए एक प्रकार से अपने आप को कोसता रहता है कि मैं यहां कहां गया। और इसलिए कभी भी ये वोट बैंक की राजनीति करने वालों को अब हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में कृपा करके मत घुसने दीजिए। जैसे अफसरों के तबादले उनका वोट बैंक चलता है, वैसे पूरी पुलिस डिपार्टमेंट, उसको जाति के रंग में रंग देते हैं और इसके कारण शासन-व्यवस्था हमेशा के लिए एक गंभीर बीमारी की शिकार हो जाती है।

हम जब ‘सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय’ इस मंत्र को लेकर चलते हैं तो हम गवर्नेस को, उसके उसूलों को बनाए रखने के लिए जी जान से जागृ प्रयास करते रहते हैं और तब जा करके विकास की दिशा सही रहती है। जब बजट आवंटन करना होता है, कहीं रोड बनाना हो, कहीं नहर बनानी हो, कहीं तालाब बनाना हो, कहीं बिजली पहुंचानी हो, ये वोट बैंक की राजनीति करने वाले हिसाब लगाते हैं कि हमें वोट देने वाली जो बिरादरी है वो तो उस इलाके में है ही नहीं, तो फिर तय करते हैं कि उनके लिए बजट देने की जरूरत नहीं है, ऐसा नाम मात्र का खाका भर दीजिए, हमें तो उसी बिरादरी को धन आवंटन करना है जहां से भविष्य में वोट मिलेंगेऔर इसलिए जो राज्य का सर्वांगीण विकास होना चाहिए वो नहीं होता है। दुर्भाग्य है, साठ साल तक कांग्रेस ने देश में यही परंपरा पैदा की है वरना ये देश, यहां के नागरिक...छोटा सा भी अवसर मिल जाए तो अपने पुरुषार्थ से, अपने पराक्रम से अपने क्षेत्र को, अपने गांव को अपने कार्य को चार चांद लगा देने की ताकत रखते हैं, लेकिन ये राजनीति कांग्रेस को मंजूर नहीं थी।

अभी वसुंधरा जी बता रही थीं कि न उन्होंने उसके नेता जी को देखा, न वो विधान सभा में आए, न उन्होंने गरीबों के लिए कोई सवाल उठाया, न उन्होंने कभी बहस की। अरे वंसुधरा जी, आप उन पर इतनी नाराज क्यूं होती हो, हिंदुस्तान में वो कहीं ऐसा नहीं करते जी, किसी भी राज्य मे नहीं करते क्योंकि उनको तो एक परिवार की आरती उतारो, उस परिवार की परिक्रमा करो, उनकी राजनीति चल जाती है। ये तो हम लोग हैं जो साढ़े सात करोड़ लोगों को परिक्रमा करने के लिए चले जाते हैं, उनकी चरण रज माथे पर चढ़ाते हैं क्योंकि हमलोगों का हाई कमान ये राजस्थान की साढ़े सात करोड़ की जनता है, उनका हाई कमान एक परिवार है। अब आप कहोगे कि वो साढ़े सात करोड़ के लिए काम करें कि वो परिवार के लिए करें। ये राजस्थान को उनसे कोई अपेक्षा है क्या? ये परिवार की पूजा करने वालों से कोई अपेक्षा है क्या? ये परिवार की परिक्रमा करने वाले आपका भला करेंगे क्या? वो उनका भला करने में से समय निकाल कर आपकी चिंता करेंगे क्या? सारा राजस्थान जानता है वसुंधरा जी, आप चिंता ही छोड़ दीजिए।

भाइयो-बहनो, वो बजट आवंटन में भी इसी प्रकार का खेल करते हैं और बाद में उनके वोट बैंक को सुलभ हो…वहां बजट देते तो हैं, लेकिन बाद में अपनी राजनीति को बचाए रखने के लिए वहां जो सरफिरे लोग होते हैं, दबंग लोग होते हैं, वो फिर शुरू हो जाते हैं…ये कॉन्ट्रैक्ट तो मेरे भतीजे को मिलना चाहिए, ये ठेका मेरे मामा के बेटे को ही मिलना चाहिए। और, वोट बैंक की राजनीति में ये जो दबे हुए लोग हैं, उन्हीं के भरोसे जीने वाले लोग...फिर बजट भी ऐसे लोगों के हाथ में दे देते हैं जो विकास का काम करें या ना करें...कागज पर रिपोर्ट बन जाती है, रुपये चोरी हो जाते हैं, देश इसी के कारण बर्बाद हुआ है। आप बताइए, क्या फिर से राजस्थान की धरती पर, क्या फिर से हिंदुस्तान में कहीं पर भी इस प्रकार की विकृतियों को प्रवेश देना है क्या, उनको फिर से घुसने देना है क्या, समाज को तोड़ने देना है क्या, भाई-भाई के बीच में दीवार पैदा करने देनी है क्या, जो रास्ता प्रगति का पकड़ा है उससे फिर से एक बार तबाही के रास्ते पर जाना है क्या?

भाइयो-बहनो, बड़ी मुश्किल से 60 साल के बाद देश ने एक दिशा पकड़ी है, अब किसी भी हालत में उनको फिर से यहां देखने का भी मौका नहीं देना है। मैंने एक बार सार्वजनिक रूप से कहा था, लोकतंत्र का भला इसमें है कि जागृत विरोधी दल हो, जनता को समर्पित विरोधी दल हो, जनता के हर सवाल को लेकर के संवेदनाओं के साथ सरकार को सजग रने का काम करता हो, जनता की भलाई के कामों में गति आए उसके लिए नए-नए सुझाव देता हो, सत्ता दल और विरोधी दल के बीच जनता की भलाई के कामों के लिए एक तीव्र स्पर्धा होती हो। लेकिन दुर्भाग्य है, जो लोग 60 साल तक सत्ता में विफल रहे वो विरोधी दल के रूप में भी विफल रहे। अध्यन करना नहीं, ऐसा तो नहीं है कि सरकार चलाते समय कोई कमी नहीं रहती है, ऐसा तो नहीं है कि सरकार चलाते समय दो अपेक्षाएं अधूरी नहीं रहती हैं...हम तो स्वीकार करते हैं, लेकिन वो मेहनत नहीं करते हैं और इसलिए उनको झूठ का सहारा लेना पड़ता है, झूठी बातें बोलनी पड़ती हैं, अनाप-शनाप भाषा का प्रयोग करना पड़ता है...वरना हकीकतों के आधार पर हम कहते हैं कि आप इतने रास्ते पहले बनाते थे, हम इतने बनाते हैं। आइए, हो जाए बहस, वो भाग जाते हैं। नहीं, उसकी बहस नहीं।  

भाइयो-बहनो, मैं देख रहा था...वसुंधरा जी, उनको समय तो ज्यादा नहीं मिला, 10 मिनट में उन्होंने भाषण अपना पूरा किया लेकिन इतने कम समय में उन्होंने जो उपलब्धियां बताईं, ये उपलब्धियां सुनने के बाद  अगर मैं राजस्थान का मतदाता होता तो सबसे पहला काम...भारतीय जनता पार्टी की सरकार दुबारा बना देता। आखिरकार, सरकार का काम है सामान्य मानवी की जिंदगी में सुविधाएं पैदा करना, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करना और हमने एक के बाद एक, हमने इस काम को पूरा करने का प्रयास किया है। आप देखिए, आज कोई कल्पना कर सकता है कि बिजली के बिना कोई जिंदगी जी सकता है।

भाइयो, अगर घर में भी एक रात बिजली चली जाए और मोबाइल फोन चार्ज न हुआ हो तो आप सो पाते हैं क्या, आप मोबाइल फोन लेकर के कहीं और भागते हैं कि नहीं, अरे यार चार्जिंग करा दो...ये होता है कि नहीं होता है। बिजली के बिना कोई जिंदगी नहीं काट सकता है, ये स्थिति है। लेकिन ये कांग्रेस की कृपा देखिए...इतने सालों के शासन के बाद भी...जब वसुंधरा जी आईं...दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को सेवा करने का अवसर मिला...राजस्था में 13 लाख परिवार ऐसे थे जो 18वीं शताब्दी में, अंधेरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर थे। हमने बीड़ा उठाया पहला, हिंदुस्तान के हर गांव में बिजली पहुंचाएंगे और पिछले साल बीड़ा उठाया, हर घर में बिजली पहुंचाएंगे और मैं वसुंधरा जी को बधाई देता हूं कि भारत सरकार के इस कार्यक्रम को उन्होंने बड़ी जीवटपूर्वक राजस्थान में लागू किया और करीब 13 लाख परिवारों को बिजली पहुंचाने का काम पूरा कर दिया है।

भाइयो-बहनो, ये काम छोटा नहीं है। सामान्य मानवी की जिंदगी में बदलाव लाना और अब भी जिन परिवारों में अभी बिजली पहुंची नहीं है उसके लिए भी राजस्थान सरकार जी-जान से जुटी हुई है और भारत सरकार पूरी तरह उनको सहयोग कर रही है। और हमने तय किया है...महात्मा गांधी के 150वें जयंती समारोह तक हिंदुस्तान में एक भी परिवार, एक भी परिवार 18वीं शताब्दी में जीने के लिए मजबूर नहीं होगा, उसके घर में भी बिजली होगी

भाइयो-बहनो, यहां जो द्रव्यवती नदी...17 करोड़ रुपये का रिवर फ्रंट का काम...मैं जरूर मानता हूं कि टूरिज्म के लिए हिंदुस्तान की एक प्रकार से राजस्थान राजधानी है। देश और दुनिया के टूरिस्ट राजस्थान की ओर खिंचे चले आते हैं। यहां की मरुभूमि भी इसलिए उनको आकर्षित करती है क्योंकि यहां के नागरिकों का आदर-सत्कार का जो भाव है उसको वो अनुभव करता है और इसलिए दुनिया खिंचकर के चली आती है। उसको बढ़ाने के लिए...आज जैसा वसुंधरा जी अब यहां से पुष्कर जा रही हैं.. पुष्कर का विकास, वो हिंदुस्तान के तीर्थयात्रियों के लिए, दुनिया में आध्यात्मिक खोज से निकले लोगों के लिए एक बहु बड़ा श्रद्धा का केंद्र है और उसके पीछे उन्होंने जो मेहनत की है, वो मेहनत एक स्थान का विकास नहीं है, वो राजस्थान की अर्थव्यवस्था के विकास का एक र्जा केंद्र बन रहा है और जो बहुत बड़ा फायदा करने वाला है।

भाइयो-बहनो, मैं पिछले हफ्ते भी राजस्थान आया था। लेकिन मैं वो भारत सरकार के एक कार्यक्रम के तहत आया था। हमारी तीनों जल सेना, थल सेना, वायु सेना, इनकी एक महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए मैं आया था, लेकिन जिनको भारतीय जनता पार्टी की प्रगति से परेशानी होती है उन्होंने लिख दिया मोदी बिगुल बजाएंगे चुनाव का। लेकिन वहां मुझे सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल पूर्ण होने पर पराक्रम पर्व मनाने का अवसर मिला, जोधपुर की धरती पर अवसर मिला। ये वीरों की भूमि पर अवसर मिला। लेकिन भाइयो-बहनो, आज भी हम सब पृथ्वीराज के पराक्रम को याद करते हैं कि नहीं करते हैं, करते हैं कि नहीं करते हैं। पृथ्वीराज चौहान को याद कर-कर के हमें प्रेरणा मिलती है कि नहीं मिलती है, हमारे रोंगटे खड़े होते हैं कि नहीं होते हैं, वीरता का भाव पैदा होता है कि नहीं होता है। हमारे में से किसी ने पृथ्वीराज चौहान को देखा था क्या...नहीं देखा था। लेकिन हर राष्ट्र के जीवन में त्याग, तपस्या, वीरता, संवेदना, करुणा, दया, ममता... ये सदगुणों की घटनाएं पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेरणा देती रहती हैं और इसलिए हर पीढ़ी का दायित्व होता है कि ऐसी घटनाओं का बार-बार स्मरण किया जाए और समयानुकूल अच्छी चीजों को लेकर के आगे जाने का संकल्प किया जाए।

सर्जिकल स्ट्राइक मेरे देश के वीर जवानों का बहुत ही बड़ा पराक्रम है। दुश्मन के दांत खट्टे करने की ताकत मेरे देश का जवान रखता है। कौन हिंदुस्तानी होगा जिसको हमारे इन वीरों के प्रति गर्व न हो! क्या हो गया है कांग्रेस पार्टी को...क्या राजनीति ने आपको इतना नीचे धकेल दिया है कि पहले आपने सर्जिकल स्ट्राइक की बेइज्जती करने की कोशिश की, मेरे वीर जवानों के पराक्रम को लांछन लगाने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ा और अब जब उसका पराक्रम पर्व करके, वीर गाथा को याद करके देश की युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिल रही थी, तो उसमें भी गंदी हरकतें करने से आप बाज नहीं आए। शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों से, शर्म आनी चाहिए ऐसी राजनीति से, शर्म आनी चाहिए ऐसी सोच से।

भाइयो-बहनो, देश का किसान हो, देश का जवान हो...मैं देख रहा था वसुंधरा जी किसानों के लिए किए कामों की बातें कर रही थीं, यहां से तालियाँ बंद नहीं हो रही थीं भाई। और भारत सरकार ने भी... मैं जरा कांग्रेस वालों से पूछना चाहता हूं ये देश के किसानों के लिए एमएसपी की मांग कितने सालों से थी भाई और आपको कौन रोक रहा था, क्यूं नहीं किया आपने, क्या तकलीफ हुई आपको। लेकिन आपको परवाह नहीं थी, किसानों की चिंता नहीं थी। हमने वादा किया था कि लागत का डेढ़ गुना हम किसानों को एमएसपी देंगे, हमने ये वादा पूरा किया है। और आपको तकलीफ ये नहीं है, आपको तकलीफ ये है कि मोदी ने कर कैसे दिया, अब मोदी के खिलाफ बोलेंगे क्या, दिन-रात उनको इसी की चिंता रहती है। अरे आप परवाह क्यों करते हो, आप तो दिन-रात सुबह उठते ही झूठ मैन्युफैक्चर कर देते हो, आपको क्या तकलीफ है। और आपका झूठ आपको जीने की ताकत दे रहा है, जीते रहो, ये झूठ में ही जीते रहो, 100 साल जीते रहो, जहां हो वहां जीते रहो।

भाइयो-बहनो, आज हमने एमएसपी का इतना बड़ा निर्णय..कोई कल्पना कर सकता है इस एमएसपी के कारण, अगर मैं उसका हिसाब लगाऊं, तो हिंदुस्तान के किसान का करीब-करीब 62 हजार करोड़ रुपया उसको अतिरिक्त आय होने वाली है, एक्सट्रा इन्कम। जो कांग्रेस का शासन होता तो उनकी जेब में इतने पैसे नहीं जाते, ये भाजपा सरकार है, किसान की जेब में 62 हजार करोड़ रुपया अधिक जाने वाला है और एक बार नहीं हर फसल के बाद जाने वाला है, हर साल खेती का सीजन पूरा होने के बाद जाने वाला है। उपरांत, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना..वसुंधरा जी बता रही थीं कि अकेले राजस्थान में 3,000 करोड़ रुपया फसल बीमा का प्राप्त हुआ। अगर मोदी ने 1,000 करोड़ का भी पैकेज दिया होता तो हेडलाइन बन जाती, अकेले राजस्थान में 3,000 करोड़ रुपया फसल बीमा का मिल जाए, ये अपने-आप में बहुत बड़ी घटना होती है। लेकिन भाइयो-बहनो, कुछ लोगों को देश की प्रगति में विश्वास नहीं है, विकास में उनका विश्वास नहीं है, उनको तो तोड़-फोड़ की राजनीति, अपनी दुकान चलती रहे, किसी की कृपा से अपना गुजारा चलता रहे..और इसलिए बोलने वाले भी और उनके गाजे-बाजे बजाने वाले भी…ये सारी टोली विकास के मुददो पर चर्चा करने की हिम्मत नहीं करती।

भाइयो-बहनो, मैं विश्वास से कहता हूं हमारी दिशा सही है, हमारी नीति स्पष्ट है, हमारी नीयत पर कोई शक नहीं कर सकता है और जिस दिशा में जा रहे हैं हम मेहनत में कोई कमी नहीं रखते हैं। जी-जान से जुटे हैं क्योंकि ये हमारे लिए ये सवा सौ करोड़ का हिंदुस्तान, सवा सौ करोड़ देशवासी यही हमारा परिवार है, उन्हीं का कल्याण, इसी में हमारा जीवन का संतोष है और उसी बात को लेकर के हम आगे चल रहे हैं। भाइयो-बहनो, हमारी माताएं, बहनें, सरकार में काम करने वाली बहनें, मैं उनको जरा याद दिलाना चाहूंगा आज सरकार में भी  30 परसेंट के करीब महिलाएं काम कर रही हैं, करीब-करीब सब विभाग में, और, शिक्षा में और आरोग्य में तो और ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं।

दुनिया के अमीर से अमीर देशों ने जो काम नहीं किया है, दुनिया के सुखी-संपन्न देशों ने जो काम नहीं किया है, दुनिया के फॉरवर्ड माने जाने वाले देशों ने जो काम नहीं किया है, ऐसा गरीब देश, दुनिया जिसको पिछड़ा देश मानती है उस हिंदुस्तान ने कर के दिखाया है। क्या किया है मालूम है आपको? कोई चर्चा ही नहीं कर रहा है। हमारी सरकार मे काम करने वाली बहनें उनको प्रसव के समय जो छुट्टी मिलती है, डिलीवरी के टाइम पे, वो पहले बहुत कम मिलती थी और इसलिए जब बच्चे को मां की जरूरत होती थी तब मां दफ्तर चली जाती थी, काम के लिए जाना पड़ता था; ये एक ऐसी प्रगतिशील सरकार है, शासन में बैठी हुई सभी बहनों को मैं याद करना चाहता हूँ, ये ऐसी प्रगतिशील सरकार है कि हमने डिलीवरी की छ्ट्टी 26 हफ्ते कर दी। छह महीने, ताकि बच्चे का मां के नाते वो लालन-पालन कर सके और पगार के साथ उसकी आय चालू रहेगी। ये बड़ा प्रगतिशील निर्णय है।

समाज के हर तबके लिए, सबका साथ सबका विकास, इसको मिलेगा उसको नहीं मिलेगा ये खेल हमारा नहीं है। और, एक तरफ शासन में काम करने वाली हमारी बहनों को इतना बड़ा अधिकार दिया तो दूसरी तरफ तीन तलाक के कारण जिनकी जिंदगी तबाह हो जाती थी, उन बहनों को सुरक्षा देने के लिए हमने कानून लाने का काम किया और हमने कानून लाया। हम वोट बैंक की राजनीति नहीं करते हैं। अगर महिला की बात करते हैं, तो सभी महिलाओं के साथ समान व्यवहार होना चाहिए, हिंदू-मुसलमान भेद नहीं होना चाहिए, हम भेद के खिलाफ हैं।

मैं भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्रियों को, विशेष कर वसुंधरा जी को, शिवराज जी को इस बात के लिए बधाई देता हूं; भारत सरकार ने ये बलात्कारी प्रवृत्ति, राक्षसी मनोवृति वाले लोगों के खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाने का हमने कानून बनाया, फांसी की सजा के सिवाय कुछ नहीं। और, मुझे इस बात का संतोष है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, पिछले कुछ महीनों में कानून बनने के बाद कभी एक महीने में सजा हो गई, कभी दो महीने में सजा हो गई, कहीं पर पांच दिन में सजा हो गई और फांसी की सजा हो गई। अब हमारा काम है कि सजा हो गई है फांसी की, इस बात को प्रचारित करें ताकि उस राक्षसी मनोवृत्ति के लोगों को भय पैदा हो, जितने घंटे बलात्कार की बातें होती हैं उससे 10 गुना ज्यादा फांसी की बात होनी चाहिए ताकि अपने-आप इस प्रकार के विकृत राक्षसी लोगों को सबक सीखने का मौका मिलेगा। भाइयो-बहनो, इन चीजों को करने के लिए समाज के प्रति समर्पण का भाव लगता है, राजनीति में हिम्मत के साथ निर्णय करने की ताकत लगती है, और ये ताकत दिखाकर के हमने काम किया है।

भाइयो-बहनो, प्रधानमंत्री आवास योजना, हम टुकड़ो में नहीं सोचते हैं, हम चीजों को पूर्णता में सोचते हैं और पूर्णता के साथ सोचते हैं इसके कारण हमने ये भी निर्णय किया। घर तो पहले भी मिलते थे; दो साल, तीन साल के बाद उन घरों का क्या हाल होता था? हम संपूर्ण आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर घर देते हैं, बिजली देते हैं, नल देते हैं, नल में जल देते हैं, शौचालय देते हैं, गैस का कनेक्शन देते हैं। एक प्रकार से परिवार के जीवन स्तर में तुरंत बदलाव आए उसके लिए आवश्यक सारी बातें उसके साथ जोड़ देते हैं। हम टुकड़ों में नहीं पूर्णता पर विश्वास करते हैं। पहले तो क्या था, पहले जमीन का टुकड़ा देंगे एक चुनाव जीतेंगे, फिर घर का शिलान्यास होगा, दीवार 2-4 फीट ऊपर आ जाएगी, दूसरा चुनाव जीत लेंगे, फिर मकान बन जाएगा, तीसरा चुनाव जीत लेंगे, फिर गैस की बातें करेंगे, चौथा चुनाव जीत लेंगे, फिर बिजली की बात करेंगे, फिर पांचवां चुनाव, सब चीजें पांच चुनाव के हिसाब-किताब में, हमने इस परंपरा को तोड़ दिया है। उस परिवार को सब कुछ मिलना चाहिए, एक साथ मिलना चाहिए, जल्दी मिलना चाहिए, चुनाव का इंतजार नही करना चाहिए। हम टुकड़ों में सोचने वाले लोग नहीं हैं, हम संपूर्णता को लेकर चलने वाले लोग हैं। और इसलिए भाइयो-बहनो, हम उस दिशा में काम करते हुए आगे जब बढ़ रहे हैं।

आज यहां वसुंधरा जी ने एक बात का उल्लेख किया पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना। राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर परियोजना के बाद कोई भी बड़ी सिंचाई व पेयजल परियोजना की नींव नहीं रखी गई। मुझे पता है कि राजस्थान में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की मांग काफी समय से उठ रही थी और जब मैं जुलाई में जयपुर आया था तब भी मैंने इसका जिक्र किया था। साथियो, भारत सरकार द्वारा बहुत गंभीरता के साथ इस योजना का तकनीकी अध्ययन कराया जा रहा है, इस प्रोजेक्ट से जुड़े सारे पहलुओं का लेखा-जोखा करने के बाद पूरी संवेदनशीलता के साथ हम इस पर फैसला लेंगे और चंबल बेसिन की नदियों पर आधारित इस परियोजना से राजस्थान की दो लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इतना ही नहीं, इस परियोजना से अजमेर, जयपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, झालावाड़, बारण, कोटा, बूंदी, टौंक, अलवर, भरतपुर और धौलपुर यानि 13 जिलों में रहने वाली राजस्थान की 40 प्रतिशत जनता को पीने का मीठा पानी भी मिलेगा।

भाइयो-बहनो, ये दिल्ली में बैठे हुए पंडितों को पता नहीं चलेगा कि राजस्थान अपनी परंपरा बदलने जा रहा है। पहले राजस्थान की परंपरा बनी रही थी और लोगों ने मान लिया था कि एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी, एक बार कांग्रेस, एक बार बीजेपी। अब राजस्थान ने फैसला कर लिया है फिर एक बार बीजेपी। मैं विश्वास दिलाता हूं...आप इस संकल्प को लेकर के जाइए...हर बूथ कमल बूथ, हर बूथ सबल बूथ, मेरा बूथ सबसे मजबूत। मैं नहीं मानता हूं अगर हम बूथ जीत गएं तो चुनाव हारने के लिए कोई रास्ता नहीं है और बूथ जीत गए तो भाइयो-बहनो, चुनाव  जीतना पक्का होता है। और इसलिए देखिए, प्रकृति भी हमारा साथ देने के लिए आई है; विजय की आंधी भी चल पड़ी है राजस्थान की धरती में। जब धरती माता आशीर्वाद देने आती है तो विजय निश्चित हो जाती है और उस विजय को लेकर के आगे बढ़ें, पूरे संकल्प को साकार करने के लिए चल पड़ें।

मेरी तरफ से आप सबको बहुत-बहुत शुभकामना है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister Welcomes Release of Commemorative Stamp Honouring Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II
December 14, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi expressed delight at the release of a commemorative postal stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran) by the Vice President of India, Thiru C.P. Radhakrishnan today.

Shri Modi noted that Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II was a formidable administrator endowed with remarkable vision, foresight and strategic brilliance. He highlighted the Emperor’s unwavering commitment to justice and his distinguished role as a great patron of Tamil culture.

The Prime Minister called upon the nation—especially the youth—to learn more about the extraordinary life and legacy of the revered Emperor, whose contributions continue to inspire generations.

In separate posts on X, Shri Modi stated:

“Glad that the Vice President, Thiru CP Radhakrishnan Ji, released a stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran). He was a formidable administrator blessed with remarkable vision, foresight and strategic brilliance. He was known for his commitment to justice. He was a great patron of Tamil culture as well. I call upon more youngsters to read about his extraordinary life.

@VPIndia

@CPR_VP”

“பேரரசர் இரண்டாம் பெரும்பிடுகு முத்தரையரை (சுவரன் மாறன்) கௌரவிக்கும் வகையில் சிறப்பு அஞ்சல் தலையைக் குடியரசு துணைத்தலைவர் திரு சி.பி. ராதாகிருஷ்ணன் அவர்கள் வெளியிட்டது மகிழ்ச்சி அளிக்கிறது. ஆற்றல்மிக்க நிர்வாகியான அவருக்குப் போற்றத்தக்க தொலைநோக்குப் பார்வையும், முன்னுணரும் திறனும், போர்த்தந்திர ஞானமும் இருந்தன. நீதியை நிலைநாட்டுவதில் அவர் உறுதியுடன் செயல்பட்டவர். அதேபோல் தமிழ் கலாச்சாரத்திற்கும் அவர் ஒரு மகத்தான பாதுகாவலராக இருந்தார். அவரது அசாதாரண வாழ்க்கையைப் பற்றி அதிகமான இளைஞர்கள் படிக்க வேண்டும் என்று நான் கேட்டுக்கொள்கிறேன்.

@VPIndia

@CPR_VP”