श्रीमान राज्यपाल महोदय जी, आदरणीय मुख्यमंत्री जी, मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, वित्त एवं रक्षा मंत्री श्रीमान अरूण जेटली जी, नौसेना के अध्यक्ष श्रीमान धवन जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव, उपस्थित जल सेना, थल सेना, नभ सेना के सभी प्रमुख अधिकारी, देवियों एवं सज्जनों, कल हमने आजादी का पर्व मनाया। लेकिन, उस आजाद भारत की रक्षा का काम हमारे सेना के जवान कर रहे हैं, चाहे वो नौसेना हो, थल सेना हो या वायुसेना हो। लेकिन बदलते हुए युग में, बाहुबल से ही सिर्फ रक्षा नहीं होती है। विज्ञान और टेक्नोलोजी के युग में बाहुबल के साथ रक्षा के क्षेत्र में बुद्धि बल का महात्म्य बहुत बढ़ गया है।
आज जो आईएनएस कोलकाता, नौसेना के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित हो रहा है, वह भारत के बुद्धिबल का भी परिचायक है। भारत के ही टेक्नीशियनों ने, भारत के ही इंजीनियरों ने, भारत के ही रक्षा विशेषज्ञों ने इसका निर्माण किया है। अब तक भारत में युद्ध क्षेत्र के लिए संरक्षा क्षेत्र के लिए जिन भी चीजों का निर्माण हुआ है, उसमें आईएनएस कोलकाता सबसे बड़ा इंडिजेनस निर्माण कार्य है। मैं इसके लिए देश के इस युवा बुद्धि बल को, उनके सामर्थ को भी हृदय से अभिनंदन करता हूं। और जब हम आज आईएनएस कोलकाता राष्ट्र को समर्पित करते हैं, उसी पल हम विश्व को भारत की इस बुद्धि धन का परिचय भी दिला रहे हैं, भारत की निर्माण क्षमता का भी परिचय दिला रहे हैं। युद्ध लड़ना, युद्ध जीतना कुछ मात्रा में अब कठिन नहीं भी है । लेकिन युद्ध हो ही नहीं, उसकी गारंटी तो तब होती है, जब आपका सैन्य बल आधुनिक हो, सामर्थवान हो, शस्त्रास्त्रों से लैस हों, विश्व की किसी भी ताकत से अधिक सामर्थवान हो। अगर ये आपका सामर्थ है तो युद्ध कभी आता ही नहीं है। और इसलिए हमारी सेनाओं के सामर्थ के लिए आधुनिक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने का एक हेतु, युद्ध का निवारण भी होता है। एक बार सामर्थ की अनुभूति हो, कभी कोई भारत की तरफ आंख ऊंची कर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता है। और इसलिए भारत अपनी शक्ति को उस दिशा में बढ़़ाना चाहता है। ताकि किसी को भी भारत के सामर्थ को देखते ही, हमारे जवानों के सामर्थ को देखते ही, हमारे बाहुबल, बुद्धिबल का , सामर्थ को देखते ही कभी उसे भारत की ओर आंख करने का दु:साहस नहीं होगा। यह मुझे विश्वास है।
मैं महाराष्ट्र की धरती पर खड़ा हूं। यहां के समुद्र तट से जब नौसेना की बात करता हूं तब छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मरण होना बहुत स्वाभाविक है। नौसेना के उदय में, नौसेना की कल्पना में सबसे प्रथम यदि किसी का योगदान था तो छत्रपति शिवाजी महाराज का था। और तब भारत छोटे छोटे जहाजों से जब विश्व व्यापार की ओर बढ़ रहा था तब छत्रपति शिवाजी महाराज को यह ध्यान आया था कि विश्व व्यापार के लिए भी सामुद्रिक सुरक्षा का महात्म्य है। और उसी में से सर्वप्रथम नौसेना का प्रारंभ इसी समुद्र तट पर हुआ था। बढ़ते-बढ़ते आज इसने एक वैश्विक रूप ले लिया है। सामुद्रिक तट से जुड़े हुए सभी राष्ट्र नौसेना की आवश्यकता को माना है। भारत का तो विशाल समुद्री तट है। विश्व व्यापार बढ़ता जा रहा है। विश्व व्यापार के लिए भी सामुद्रिक सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण बनी है और उसमें भारत अपनी भूमिका निभा रहा है। यह आईएनएस कोलकाता एक प्रकार से समुद्र में तैरता हुआ कम्यूनिकेशन का एक बहुत बड़ा, आधुनिक से आधुनिक संपुट है। यह हमारे ही नवयुवकों ने एक तैरती हुई साामुद्रिक व्यवस्था में टेक्नोलोजी को तैयार किया है। यह आने वाले दिनों में व्यापार जगत से जुड़े हुए लोगों के लिए भी, सामुद्रिक व्यापार से जुड़े हुए लोगों के लिए भी, इस कम्यूनिकेशन टेक्नोलोजी के माध्यम से एक सुरक्षा की गारंटी का अहसास होगा।
भारत सामर्थवान बने, भारत शक्तिशाली बने, हमारे सेना के जवान राष्ट्ररक्षा में कभी भी पीछे न रहे, हमारे सेना के जवान राष्ट्र रक्षा में कभी भी पीछे न रहे, उनको कभी यह महसूस न हो कि दुनिया की तुलना में हमारे संसाधन कम पड़ रहे हैं। हमारी व्यवस्थाएं कम पड़ रही हैं, यह कभी उसे महसूस न हो, इसके लिए उसके सामर्थ के साथ आधुनिक टेक्नोलोजी, आधुनिक, संसाधनों को भी जोड़ने का हमारा मकसद है और उसी मकसद के तहत आज राष्ट्र के चरणों में ये आईएनएस कोलकाता का समर्पण राष्ट्र की सैन्य शक्ति को बढ़ावा देगा, नौसेना के आत्म विश्वास को बढावा देगा और इस तरह के निर्माण कार्य के अंदर भारत की युवा टेलेंट को भी प्रोत्साहन देगा। ऐसा मुझे पूरा विश्वास है।
इस नई सरकार ने अपने बजट में डिफेन्स आफसेट के लिए विश्व की तकनीक को लाने के लिए, विश्व के डिफेन्स के क्षेत्र में उद्योगकारों को लाने के लिए, महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। और उस फैसलों के कारण आज देश, सुरक्षा के क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी मात्रा में उसे इंपोर्ट करना पड़ता है। हर छोटी-मोटी चीज विदेशों से लानी पड़ती है। इस एक निर्णय के कारण भारत अपने रक्षा संसाधनों में आने वाले वर्षों में आत्म निर्भर बनेगा। हमारे ही जवान, हमारी युवा पीढ़ी अनेक इनोवेशन करेगी। निर्माण कार्य होगा और वो भी एक दिन कभी आएगा जब भारत, जो आज सुरक्षा के लिए जिन चीजों का इंपोर्ट करता है, हम वह सपना देखते हैं कि दुनिया के अनेक देशों को भारत एक्सपोर्ट करने की ताकत वाला बन जाए। यह हमारी सुरक्षा के लिए और अधिक उपयोगी होगा। उन विचारों को ले कर यह सरकार आगे बढ़ रही है। मैं आप सबको इस अवसर पर विशेष कर नौसेना के जवानों को बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि सेना में यह हमारे जवान जो यूनिफार्म में खड़े हैं, सवा सौ करोड़ का देश जो भले ही यूनिफार्म में नहीं हैं लेकिन यूनाइट होकरके आपके पास खड़ा है, आपके पीछे खड़ा है। कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। आपका गौरव गान करता है। और यही तो राष्ट्र की शक्ति होती है। जिस राष्ट्र की शक्ति के माध्यम से हम विश्व के सामने सर ऊंचा कर के खड़े रह सकते हैं।
मुझे विश्वास है नौसेना के हमारे सारे जवान, नौसेना के हमारे सभी सेनानायक भारत की शक्ति का, भारत के समर्थन का, सवा सौ करो़ड़ देशवासियों की उनके प्रति जो श्रद्धा है, उस श्रद्धा के अनुकूल राष्ट्र रक्षा में कभी भी कमी नहीं रखेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है। मैं नौसेना के सभी जवानों को, सेनानायकों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।
भारत माता की जय।