Our government is working with ‘DevINE’ intentions: PM Modi in Meghalaya

Published By : Admin | December 18, 2022 | 16:22 IST
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“The government has shown the red card to all obstacles that come in the way of development of the North East”
“The day is not far when India will organise such a world cup tournament and every Indian will also cheer for our team”
“Development is not limited to budgets, tenders, laying foundation stones and inaugurations”
“The transformation that we witness today is a result of the change in our intentions, resolutions, priorities and our work culture”
“Central government is spending Rs 7 lakh crore only on infrastructure this year, while 8 years ago this expenditure was less than Rs 2 lakh crore”
“A budget of Rs 6,000 crore has been fixed for the next 3-4 years under PM-Divine”
“The development of tribal areas is the priority of the government while maintaining tradition, language and culture of the tribal society”
“The previous government had a ‘divide’ approach for the North East but our government has come up with ‘DevINE’ intentions”

मेघालय के राज्यपाल ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा जी, मेघालय के मुख्यमंत्री संगमा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री अमित भाई शाह, सर्बानंद सोनोवाल, किरण रिजिजू जी, जी किशन रेड्डी जी, बीएल वर्मा जी, मणिपुर, मिजोरम, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और सिक्किम के सभी मुख्यमंत्री गण और मेघालय के मेरे प्यारे भाइयो और बहनों !

खुबलेइ शिबोन !(खासी और जयंतिया में नमस्ते) नमेंग अमा ! (गारो में नमस्ते) मेघालय प्रकृति और संस्कृति से समृद्ध प्रदेश है। ये समृद्धि आपके स्वागत-सत्कार में भी झलकती है। आज एक बार फिर मेघालय के विकास के उत्सव में सहभागी होने का हमें अवसर मिला है। सभी मेघालय के मेरे भाईयों- बहनों को कनेक्टिविटी, शिक्षा, कौशल, रोजगार की दर्जनों परियोजनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई हो।

भाइयों और बहनों,

ये संयोग ही है कि आज जब फुटबॉल वर्ल्ड कप का फाइनल हो रहा है, तब मैं यहां फुटबॉल के मैदान में ही फुटबॉल प्रेमियों के बीच में हूं। उस तरफ फुटबॉल की स्पर्धा चल रही है और हम फुटबॉल के मैदान में विकास की स्पर्धा कर रहे है। मुझे ऐहसास है कि मैच कतर में हो रहा है, लेकिन उत्साह और उमंग यहां भी कम नहीं है। और साथियों जब फुटबॉल के मैदान में हूं और फुटबॉल फीवर चारों तरफ है तो क्यों न हम फुटबॉल की परिभाषा में ही बात करें, फुटबॉल का ही उदाहरण देके बात करें। हम सबको मालूम है कि फुटबॉल में अगर कोई खेल भावना के विरूद्ध sportsmanship spirit के खिलाफ अगर कोई भी व्यवहार करता है। तो उसे Red Card दिखाकर बाहर कर दिया जाता है। इसी तरह पिछले 8 वर्षों में हमने नॉर्थ ईस्ट के विकास से जुड़ी अनेक रुकावटों को Red Card दिखा दिया है| भ्रष्टाचार, भेदभाव, भाई-भतीजावाद, हिंसा, प्रोजेक्टों को लटकाना-भटकाना, वोट बैंक की राजनीति को बाहर करने के लिए हम ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं। लेकिन आप भी जानते हैं, देश भी जानता है। इन बुराईयों की, बीमारीयों की जड़ें बहुत गहरी हैं, इसलिए हम सबको मिलकर के उसे हटाकर के ही रहना है। हमें विकास के कार्यों को ज्यादा रफ्तार देने और ज्यादा प्रभावशाली बनाने में प्रयासों को अच्छा परिणाम भी नजर आ रहा है। यही नहीं, स्पोर्ट्स को लेकर भी केंद्र सरकार आज एक नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रही है। इसका लाभ नॉर्थ ईस्ट को हुआ है, नॉर्थ ईस्ट के मेरे जवानों को, हमारी बेटें-बेटियों को हुआ है। देश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी नॉर्थ ईस्ट में है। आज नॉर्थ ईस्ट में मल्टीपर्पज हॉल, फुटबॉल मैदान, एथलेटिक्स ट्रैक, ऐसे 90 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। आज शिलॉन्ग से मैं ये कह सकता हूं कि आज भले ही हमारी नज़र कतर में चल रहे खेल पर है, मैदान में विदेशी टीम हैं उन पर हैं, लेकिन मुझे मेरे देश की युवा शक्ति पर भरोसा है। इसलिए विश्वास से कह सकता हूँ कि वो दिन दूर नहीं जब हम भारत में ऐसा ही उत्सव मनाएंगे और तिरंगे के लिए चीयर करेंगे।

भाइयों और बहनों,

विकास सिर्फ बजट, टेंडर, शिलान्यास, उद्घाटन इन्ही ritual तक सीमित नहीं है। ये तो साल 2014 से पहले भी होता रहता था। फीते काटने वाले पहुंच जाते थे।, नेता मालाएं भी पहन लेते थे, जिंदाबाद के नारे भी लग जाते थे। तो फिर आज बदला क्या है? आज जो बदलाव आया है, वो हमारे इरादे में आया है। हमारे संकल्पों में आया है, हमारी प्राथमिकताओं में आया है, हमारी कार्यसंस्कृति में आया है, बदलाव प्रक्रिया और परिणाम में भी आया है। संकल्प, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक कनेक्टिविटी से विकसित भारत के निर्माण का है। इरादा, भारत के हर क्षेत्र, हर वर्ग को तेज विकास के मिशन से जोड़ने का है, सबका प्रयास से भारत के विकास का है। प्राथमिकता, अभाव को दूर करने की है, दूरियों को कम करने की है, कैपेसिटी बिल्डिंग की है, युवाओं को अधिक अवसर देने की है। कार्यसंस्कृति में बदलाव यानि हर प्रोजेक्ट, हर प्रोग्राम समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाए।

साथियों,

जब हमने केंद्र सरकार की प्राथमिकताएं बदलीं,priority बदली, तो पूरे देश में इसका पॉजिटिव असर भी दिख रहा है। इस वर्ष देश में 7 लाख करोड़ रुपए, ये आंकडा मेघालय के भाई-बहन याद रखना, नार्थ ईस्ट के मेरे भाई-बहन याद रखना। सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए केंद्र सरकार 7 लाख करोड़ रुपया खर्च कर रही है। जबकि 8 वर्ष पहले ये खर्च 2 लाख करोड़ रुपए से भी कम था। यानि आज़ादी के 7 दशक बाद भी सिर्फ 2 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचे और 8 वर्षों में लगभग 4 गुणा क्षमता हमने बढ़ाई है। आज इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर अनेक राज्य भी, राज्यों के बीच मे competition हो रही है, स्पर्धा हो रही है, विकास की स्पर्धा हो रही है। देश में जो ये बदलाव आया है उसका सबसे बड़ा लाभार्थी भी आज ये मेरा नॉर्थ ईस्ट ही है। शिलॉन्ग सहित नॉर्थ ईस्ट की सभी राजधानियां रेल-सेवा से जुड़ें, इसके लिए तेज़ी से काम चल रहा है। साल 2014 से पहले जहां हर हफ्ते 900 उड़ानें ही संभव हो पाती थीं, आज इनकी संख्या करीब एक हजार नौ सौ तक पहुंच गई है। कभी 900 हुआ करती थी, अभी 1900 हुआ करेगी। आज मेघालय में उड़ान योजना के तहत 16 रूट्स पर हवाई सेवा चल रही है। इससे मेघालय वासियों को सस्ती हवाई सेवा का लाभ मिल रहा है। बेहतर एयर कनेक्टिविटी से मेघालय और नॉर्थ ईस्ट के किसानों को भी लाभ हो रहा है। केंद्र सरकार की कृषि उड़ान योजना से यहां के फल-सब्जी देश और विदेश के मार्केट तक आसानी से पहुंच पा रहे हैं।

साथियों,

आज जिन प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है, उससे मेघालय की कनेक्टिविटी और सशक्त होने वाली है। पिछले 8 वर्षों में मेघालय में नेशनल हाईवे के निर्माण पर 5 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पिछले 8 वर्षों में जितनी ग्रामीण सड़कें मेघालय में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी हैं, वह उससे पहले 20 वर्षों में बनी सड़कों से सात गुना ज़्यादा है।

भाइयों और बहनों,

नॉर्थ ईस्ट की युवा शक्ति के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी से नए अवसर बनाए जा रहे हैं। डिजिटल कनेक्टिविटी से सिर्फ बातचीत, कम्यूनिकेशन नहीं, उतना ही लाभ मिलता है ऐसा नहीं है। बल्कि इससे टूरिज्म से लेकर टेक्नॉलॉजी तक, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक, हर क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ती हैं, अवसर बढ़ते हैं। साथ ही विश्व में तेज़ी से उभरती डिजिटल अर्थव्यवस्था का सामर्थ्य भी इससे बढ़ता है। 2014 की तुलना में नॉर्थ ईस्ट में ऑप्टिकल फाइबर की कवरेज लगभग 4 गुणा बढ़ी है। वहीं मेघालय में ये वृद्धि 5 गुणा से अधिक है। नॉर्थ ईस्ट के कोने-कोने तक बेहतर मोबाइल कनेक्टिविटी पहुंचे, इसके लिए 6 हज़ार मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। इस पर 5 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया जा रहा है। आज मेघालय में अनेक 4G मोबाइल टावर्स का लोकार्पण इन प्रयासों को गति देगा। ये इंफ्रास्ट्रक्चर यहां के युवाओं को नए अवसर देने वाला है। मेघालय में IIM का लोकार्पण और टेक्नॉलॉजी पार्क का शिलान्यास भी पढ़ाई और कमाई के अवसरों का विस्तार करेगा। आज नॉर्थ ईस्ट के आदिवासी क्षेत्रों में डेढ़ सौ से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं, इसमें से 39 मेघालय में हैं। दूसरी तरफ IIM जैसे प्रोफेशनल एजुकेशन के संस्थानों से युवाओं को प्रोफेशनल एजुकेशन का लाभ भी यहीं मिलने वाला है।

भाइयों और बहनों,

नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए भाजपा की, एनडीए की सरकार पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। इस वर्ष ही 3 नई योजनाएं शुरु की गई हैं, जो या तो सीधे नॉर्थ ईस्ट के लिए हैं या फिर उनसे नॉर्थ ईस्ट का सबसे अधिक लाभ होने वाला है। पर्वतमाला योजना के तहत रोप-वे का नेटवर्क बनाया जा रहा है। इससे नॉर्थ ईस्ट के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में सुविधा बढ़ेगी और टूरिज्म का विकास भी होगा। PM DEVINE योजना तो नॉर्थ ईस्ट के विकास को नई गति देने वाली है। इस योजना से नॉर्थ ईस्ट के लिए बड़े डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स अधिक आसानी से स्वीकृत हो पाएंगे। यहां महिलाओं और युवाओं की आजीविका के साधन विकसित होंगे। पीएम-डिवाइन के तहत आने वाले 3-4 साल के लिए 6 हज़ार करोड़ रुपए का बजट तय किया जा चुका है।

भाइयों और बहनों,

लंबे समय तक जिन दलों की सरकारें रहीं, उनकी नॉर्थ ईस्ट के लिए Divide की सोच थी और हम DEVINE का इरादा लेकर आए हैं। अलग-अलग समुदाय हो, या फिर अलग-अलग क्षेत्र, हम हर प्रकार के डिविजन को दूर कर रहे हैं। आज नॉर्थ ईस्ट में हम विवादों के बॉर्डर नहीं बल्कि विकास के कॉरिडोर बना रहे हैं उस पर बल दे रहे हैं। बीते 8 वर्षों में अनेक संगठनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है, स्थाई शांति की राह पकड़ी है। नॉर्थ ईस्ट में AFSPA की आवश्यकता ना पड़े, इसके लिए लगातार राज्य सरकारों के साथ मिलकर स्थितियों को सुधारा जा रहा है। यही नहीं, राज्यों के बीच सीमाओं को लेकर भी दशकों से जो विवाद चल रहे थे, उनको सुलझाया जा रहा है।

साथियों,

हमारे लिए नॉर्थ ईस्ट, हमारे बॉर्डर एरिया, आखिरी छोर नहीं बल्कि सुरक्षा और समृद्धि के गेट-वे हैं। राष्ट्र की सुरक्षा भी यहीं से सुनिश्चित होती है और दूसरे देशों से व्यापार-कारोबार भी यहीं से होता है। इसलिए एक और महत्वपूर्ण योजना है, जिसका लाभ नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को होने वाला है। ये योजना है वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज बनाना है। इसके तहत सीमावर्ती गांवों में बेहतर सुविधाएं विकसित की जाएंगी। लंबे समय तक देश में ये सोच रही है कि बॉर्डर एरिया में विकास होगा, कनेक्टिविटी बढ़ेगी तो दुश्मन को फायदा होगा। ये सोचा जाता था, मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकता हूं। क्या ऐसा भी कभी सोचा जा सकता है? पहले की सरकार की इस सोच के कारण नॉर्थ ईस्ट समेत देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर नहीं हो पाई। लेकिन आज डंके की चोट पर बॉर्डर पर नई सड़कें, नई टनल, नए पुल, नई रेल लाइन, नए एयर स्ट्रिप, जो भी आवश्यक है एक के बाद एक उसके निमार्ण का काम तेज गति से चल रहा है। जो सीमावर्ती गांव कभी वीरान हुआ करते थे, हम उन्हें वाइब्रेंट बनाने में जुटे हैं। जो गति हमारे शहरों के लिए महत्वपूर्ण है, हमारे बॉर्डर पर भी वही गति होनी आवश्यक है। इससे यहां टूरिज्म भी बढ़ेगा और जो लोग गांव छोड़कर गए हैं, वे भी वापस लौटकर आएंगे।

साथियों,

पिछले साल मुझे वेटिकन सिटी जाने का अवसर मिला, जहां मेरी मुलाकात His Holiness the Pope से हुई। मैंने उन्हें भारत आने का न्यौता भी दिया है। इस मुलाकात ने मेरे मन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। हम दोनों ने उन चुनौतियों पर चर्चा की, जिनसे आज पूरी मानवता जूझ रही है। एकता और समरसता की भावना से कैसे सबका कल्याण हो सकता है, इस पर एकजुट प्रयासों के लिए सहमति बनी। इसी भाव को हमें सशक्त करना है।

साथियों,

शांति और विकास की राजनीति का सबसे अधिक लाभ हमारे जन-जातीय समाज को हुआ है। आदिवासी समाज की परंपरा, भाषा-भूषा, संस्कृति को बनाए रखते हुए आदिवासी क्षेत्रों का विकास सरकार की प्राथमिकता है। इसलिए बांस की कटाई पर जो प्रतिबंध था उसे हमने हटा दिया है। इससे बांस से जुड़े आदिवासी उत्पादों के निर्माण को बल मिला। वनों से प्राप्त उपज में वैल्यू एडिशन के लिए नॉर्थ ईस्ट में साढ़े 8 सौ वनधन केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। इनसे अनेक सेल्फ-हेल्प ग्रुप जुड़े हैं, जिनमें अनेक हमारी माताएं-बहनें काम कर रही हैं। यही नहीं, घर, पानी, बिजली, गैस जैसे सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का भी नॉर्थ ईस्ट को सबसे अधिक लाभ हुआ है। बीते वर्षों में मेघालय में 2 लाख घरों तक पहली बार बिजली पहुंची है। गरीबों के लिए लगभग 70 हज़ार घर स्वीकृत हुए हैं। लगभग तीन लाख परिवारों को पहली बार नल से जल की सुविधा मिली है। ऐसी सुविधाओं के सबसे बड़ी लाभार्थी हमारे आदिवासी भाई-बहन हैं।

साथियों,

नॉर्थ ईस्ट में तेज़ विकास की ये धारा ऐसे ही प्रवाहित होती रहे, इसके लिए आपका आशीर्वाद हमारी ऊर्जा है। अभी कुछ ही दिनों में क्रिसमस का पर्व आ रहा है, ये त्यौहार आ रहा है। आप सभी को आज जब मैं नार्थ ईस्ट आया हूं तो इसी धरती से सभी देशवासियों को, सभी मेरे नॉर्थ ईस्ट के भाई-बहनों को आने वाले क्रिसमस के त्यौहार की अनेक-अनेक शुभकामनाए देता हूं। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। खुबलेई शिबोन ! (खासी और जयंतिया में धन्यवाद) मितेला ! (गारो में धन्यवाद)

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Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism: PM Modi
May 27, 2023
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“Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism”
“Under the guidance of Adheenam and Raja Ji we found a blessed path from our sacred ancient Tamil Culture - the path of transfer of power through the medium of Sengol”
“In 1947 Thiruvaduthurai Adheenam created a special Sengol. Today, pictures from that era are reminding us about the deep emotional bond between Tamil culture and India's destiny as a modern democracy”
“Sengol of Adheenam was the beginning of freeing India of every symbol of hundreds of years of slavery”
“it was the Sengol which conjoined free India to the era of the nation that existed before slavery”
“The Sengol is getting its deserved place in the temple of democracy”

नअनैवरुक्कुम् वणक्कम्

ऊँ नम: शिवाय, शिवाय नम:!

हर हर महादेव!

सबसे पहले, विभिन्न आदीनम् से जुड़े आप सभी पूज्य संतों का मैं शीश झुकाकर अभिनंदन करता हूं। आज मेरे निवास स्थान पर आपके चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। ये भगवान शिव की कृपा है जिसकी वजह से मुझे एक साथ आप सभी शिव भक्तों के दर्शन करने का मौका मिला है। मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां साक्षात आकर के आशीर्वाद देने वाले हैं।

पूज्य संतगण,

हम सभी जानते हैं कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वीरमंगई वेलु नाचियार से लेकर मरुदु भाइयों तक, सुब्रह्मण्य भारती से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जुड़ने वाले अनेकों तमिल लोगों तक, हर युग में तमिलनाडु, भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ रहा है। तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है। बावजूद इसके, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया, जो दिया जाना चाहिए था। अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है। अब देश के लोगों को भी पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक तमिलनाडु के साथ क्या व्यवहार हुआ था।

जब आजादी का समय आया, तब सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर प्रश्न उठा था। इसके लिए हमारे देश में अलग-अलग परंपराएं रही हैं। अलग-अलग रीति-रिवाज भी रहे हैं। लेकिन उस समय राजाजी और आदीनम् के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था। ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का। तमिल परंपरा में, शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था। सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै आदीनम् द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार किया गया था। आज उस दौर की तस्वीरें हमें याद दिला रही हैं कि तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच कितना भावुक और आत्मीय संबंध रहा है। आज उन गहरे संबंधों की गाथा इतिहास के दबे हुए पन्नों से बाहर निकलकर एक बार फिर जीवंत हो उठी है। इससे उस समय की घटनाओं को समझने का सही दृष्टिकोण भी मिलता है। और इसके साथ ही, हमें ये भी पता चलता है कि सत्ता के हस्तांतरण के इस सबसे बड़े प्रतीक के साथ क्या किया गया।

मेरे देशवासियों,

आज मैं राजाजी और विभिन्न आदीनम् की दूरदर्शिता को भी विशेष तौर पर नमन करूंगा। आदीनम के एक सेंगोल ने, भारत को सैकड़ों वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से मुक्ति दिलाने की शुरुआत कर दी थी। जब भारत की आजादी का प्रथम पल आया, आजादी का प्रथम पल, वो क्षण आया, तो ये सेंगोल ही था, जिसने गुलामी से पहले वाले कालखंड और स्वतंत्र भारत के उस पहले पल को आपस में जोड़ दिया था। इसलिए, इस पवित्र सेंगोल का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि ये 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इस सेंगोल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसने गुलामी के पहले वाले गौरवशाली भारत से, उसकी परंपराओं से, स्वतंत्र भारत के भविष्य को कनेक्ट कर दिया था। अच्छा होता कि आजादी के बाद इस पूज्य सेंगोल को पर्याप्त मान-सम्मान दिया जाता, इसे गौरवमयी स्थान दिया जाता। लेकिन ये सेंगोल, प्रयागराज में, आनंद भवन में, Walking Stick यानि पैदल चलने पर सहारा देने वाली छड़ी कहकर, प्रदर्शनी के लिए रख दिया गया था। आपका ये सेवक और हमारी सरकार, अब उस सेंगोल को आनंद भवन से निकालकर लाई है। आज आजादी के उस प्रथम पल को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के समय हमें फिर से पुनर्जीवित करने का मौका मिला है। लोकतंत्र के मंदिर में आज सेंगोल को उसका उचित स्थान मिल रहा है। मुझे खुशी है कि अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ये सेंगोल इस बात की याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है, जनता-जनार्दन के प्रति जवाबदेह बने रहना है।

पूज्य संतगण,

आदीनम की महान प्रेरक परंपरा, साक्षात सात्विक ऊर्जा का प्रतीक है। आप सभी संत शैव परंपरा के अनुयायी हैं। आपके दर्शन में जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना है, वो स्वयं भारत की एकता और अखंडता का प्रतिबिंब है। आपके कई आदीनम् के नामों में ही इसकी झलक मिल जाती है। आपके कुछ आदीनम् के नाम में कैलाश का उल्लेख है। ये पवित्र पर्वत, तमिलनाडु से बहुत दूर हिमालय में है, फिर भी ये आपके हृदय के करीब है। शैव सिद्धांत के प्रसिद्ध संतों में से एक तिरुमूलर् के बारे में कहा जाता है कि वो कैलाश पर्वत से शिव भक्ति का प्रसार करने के लिए तमिलनाडु आए थे। आज भी, उनकी रचना तिरुमन्दिरम् के श्लोकों का पाठ भगवान शिव की स्मृति में किया जाता है। अप्पर्, सम्बन्दर्, सुन्दरर् और माणिक्का वासगर् जैसे कई महान संतों ने उज्जैन, केदारनाथ और गौरीकुंड का उल्लेख किया है। जनता जनार्दन के आशीर्वाद से आज मैं महादेव की नगरी काशी का सांसद हूं, तो आपको काशी की बात भी बताऊंगा। धर्मपुरम आदीनम् के स्वामी कुमारगुरुपरा तमिलनाडु से काशी गए थे। उन्होंने बनारस के केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। तमिलनाडु के तिरुप्पनन्दाळ् में काशी मठ का नाम भी काशी पर रखा गया है। इस मठ के बारे में एक दिलचस्प जानकारी भी मुझे पता चली है। कहा जाता है कि तिरुप्पनन्दाळ् का काशी मठ, तीर्थयात्रियों को बैकिंग सेवाएं उपलब्ध कराता था। कोई तीर्थयात्री तमिलनाडु के काशी मठ में पैसे जमा करने के बाद काशी में प्रमाणपत्र दिखाकर वो पैसे निकाल सकता था। इस तरह, शैव सिद्धांत के अनुयायियों ने सिर्फ शिव भक्ति का प्रसार ही नहीं किया बल्कि हमें एक दूसरे के करीब लाने का कार्य भी किया।

पूज्य संतगण,

सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिलनाडु की संस्कृति आज भी जीवंत और समृद्ध है, तो इसमें आदीनम् जैसी महान और दिव्य परंपरा की भी बड़ी भूमिका है। इस परंपरा को जीवित रखने का दायित्व संतजनों ने तो निभाया ही है, साथ ही इसका श्रेय पीड़ित-शोषित-वंचित सभी को जाता है कि उन्होंने इसकी रक्षा की, उसे आगे बढ़ाया। राष्ट्र के लिए योगदान के मामले में आपकी सभी संस्थाओं का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। अब उस अतीत को आगे बढ़ाने, उससे प्रेरित होने और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करने का समय है।

पूज्य संतगण,

देश ने अगले 25 वर्षों के लिए कुछ लक्ष्य तय किए हैं। हमारा लक्ष्य है कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समावेशी विकसित भारत का निर्माण हो। 1947 में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका से कोटि-कोटि देशवासी पुन: परिचित हुए हैं। आज जब देश 2047 के बड़े लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है तब आपकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। आपकी संस्थाओं ने हमेशा सेवा के मूल्यों को साकार किया है। आपने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का, उनमें समानता का भाव पैदा करने का बड़ा उदाहरण पेश किया है। भारत जितना एकजुट होगा, उतना ही मजबूत होगा। इसलिए हमारी प्रगति के रास्ते में रुकावटें पैदा करने वाले तरह-तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगे। जिन्हें भारत की उन्नति खटकती है, वो सबसे पहले हमारी एकता को ही तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि देश को आपकी संस्थाओं से आध्यात्मिकता और सामाजिकता की जो शक्ति मिल रही है, उससे हम हर चुनौती का सामना कर लेंगे। मैं फिर एक बार, आप मेरे यहां पधारे, आप सबने आशीर्वाद दिये, ये मेरा सौभाग्य है, मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, आप सबको प्रणाम करता हूँ। नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर आप सब यहां आए और हमें आशीर्वाद दिया। इससे बड़ा सौभाग्य कोई हो नहीं सकता है और इसलिए मैं जितना धन्यवाद करूँ, उतना कम है। फिर एक बार आप सबको प्रणाम करता हूँ।

ऊँ नम: शिवाय!

वणक्कम!