नमस्ते। मैं तय नहीं कर पा रहा हूं कि किस विषय पर बोलूं और आप क्या सुनना चाहते होंगे. फिजी की यह मेरी पहली मुलाकात है, और भारत की प्रधानमंत्री की 33 साल के बाद मुलाकात है। यहां के जीवन में ऐसे कई मूल्य हैं जो हमें और भारत को जोड़ते हैं और यह भारत का भी दायित्व बनता है और फिजी का भी दायित्व बनता है कि हम उन मूल्यों को जितना अधिक बढ़ावा दें, उन मूल्यों को जितनी अधिक ताकत दें, उतना हमारी विशालता में भी फर्क पड़ेगा और हमारी ताकत में भी बढ़ोतरी होगी।

लोकतंत्र। Democracy. आज दुनिया में उसका जो मूल्य है, उसको जो महत्म्य है, किसी न किसी रूप में दुनिया के सभी देश लोकतंत्र की ओर आगे बढ़ने के लिए मजबूर हुए हैं। कुछ लोग चाहते हुए करते होंगे, कुछ लोग मजबूरन करते होंगे, लेकिन आज विश्व में एक वातावरण बना है कि अगर वैश्विक प्रवाह में हमें अपनी जगह बनानी है तो लोकतंत्र दुनिया के साथ जुड़ने का एक सबसे सरल रास्ता बन गया है। फिजी ने बहुत उतार-चढ़ाव देखें हैं, लेकिन एक खुशी की बात है कि कुछ महीने पहले लोकतांत्रिक ढंग से आपने अपनी सरकारी चुनी है। फिर एक बार फिजी ने लोकतंत्र में अपनी आस्था प्रकट की है और जब फिजी लोकतंत्र में आस्था प्रकट करता है, तब वो सिर्फ फिजी तक समिति नहीं रहता है। लोकतंत्र एक ऐसी ताकत है जो फिजी को विश्व के लोकतांत्रिक फलक पर उसकी जगह बना देता है, और लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है, जहां हर एक को अपना जीवन, अपना लक्ष्य, अपने इरादे, अपने सपने, उसे साकार करने का रास्ता चुनने का हक रहता है। वो अपनी जिंदगी के फैसले एक राष्ट्र के रूप में भी एक सामूहिक मन के साथ कर सकता है। अगर कोई गलती भी हो जाए तो लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है कि उस में सुधार की पूरी संभावना रहती है।

मैं आशा करूंगा कि फिजी ने जो लोकतंत्र के मार्ग को स्वीकार किया है, वो और फले-फूले-खिले। यहां का मन भी लोकतंत्रिक बने, व्यवस्थाएं भी लोकतांत्रिक बने और न सिर्फ फिजी.. इस भू-भग के और छोटे-छोटे कई टापू है, देश है, उनके जीवन पर भी फिजी की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का प्रभाव पैदा हो और मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में यहां का लोकतंत्र और अधिक मजबूत होगा, और अधिक सामर्थ्यवान होगा।

दुनिया में एक क्षेत्र पर आज सर्वाधिक ध्यान केंद्रित हो रहा है और वो है - ज्ञान, शिक्षा। दुनिया इस बात को मानती है कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और अगर 21वीं सदी ज्ञान की सदी है, तो 21वीं सदी में जो भी आगे बढ़ना चाहता है, जो भी अपनी जगह बनाना चाहता है, वो गरीब से गरीब देश क्यों न हो, अमीर से अमीर देश क्यों न हो। ताकतवर देश क्यों न हो, लेकिन उसे भी ज्ञान अर्जित करने के मार्ग पर जाना पड़ेगा, ज्ञान के आधार पर आगे बढ़ना पड़ेगा। और ज्ञान के फलक इतने विस्तृत हो रहे हैं। पूरा ब्राह्माण ज्ञान पिपासुओं के लिए एक पूरा खुला मैदान है और पूरे ब्रह्माण की जो स्थिति है उसमें आज मनुष्य जो जानता है वेा शायद एक प्रतिशत भी नहीं जानता होगा। अभी तो और कुछ जानना बाकी है। और उसके लिए ज्ञान हो, रिचर्स हो, प्रयोग हो। इस पर जितना बल मिलता है उतना ही जीवन नई ऊंचाईयों को प्राप्त करता है और हमारी universities, हमारे शिक्षा के दान एक तो उनका रास्ता यह हो सकता है। जो किताबों में है वो परोसते चल जाए। पीढ़ी दर पीढ़ी हम देते चले जाए। हमारे दादा जो कितना पढ़ते थे, हम भी वही पढ़े और हमारे पोते जो पढ़ने वाले हैं हम भी उनके लिए छोड़ कर चले जाए। तो वो जीवन की स्थगितता होती है, एक रूकावट आ जाती है। लेकिन हर पीढ़ी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ खोज करके जाती है, नये आविष्कार करके जाती है। कुछ नया प्राप्त करके दुनिया को देने का सामर्थ्य रखती है।

तो खोज करने वाली जो पीढ़ी है, वो क्षेत्र के लोग हैं, वो relevant बने रहते हैं, नहीं तो वो भी irrelevant हो जाते हैं। और इसलिए universities का काम रहता है कि मूलभूत तत्वों को तो जरूरत हमें पढ़ाना पड़ेगा, लेकिन मूलभूत तत्वों को पढ़ने-पढ़ाने के बाद उन्हीं मूलभूत तत्वों के आधार पर नये आविष्कार की और कैसे चला जाए? नई खोज के लिए कैसे चला जाए? मानव कल्याण की जो आवश्यकतायें है, वो आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम क्या कर सकते है?

विश्व ने पिछले 200 साल में जितने अविष्कार किए हैं, उससे ज्यादा गत 30-40 साल में किये है। जगत पूरी तरह बदल चुका है। नये आविष्कारों ने जीवन को समेट लिया है। हम कल्पना कर सकते हैं 20 साल पहले मोबाइल फोन का क्या रोल था और आज क्या रोल है। एक information technology ने जीवन को कैसे बदल दिया। जीवन की तरफ देखने का दृष्टिकोण कैसे बदल गया, जीवन जानने के रास्ते कैसे बदल गए। एक अविष्कार पूरे युग को कैसे बदल देता है, यह हमारे सामने हुई घटना है। क्योंकि हम उस जीवन को भी जानते हैं जबकि मोबाइल फोन या connectivity नहीं थी और हम उस जीवन को भी जानते हैं जो उसके बिना जीने के लिए मुकश्किल कर देता है। उन दोनों चीजों के हम साक्षी है। अब ऐसे अवस्था के लोग हैं जो दोनों के बीच ऐसे खड़े हैं जो कल भी देखा है और आने वाले कल की संभावना भी देख रहे हैं और यही हमें प्रेरणा देती है। और इसलिए universities वो सिर्फ ज्ञान परोसने के केंद्र नहीं होते हैं, universities ज्ञान अर्जित करने के केंद्र बनते हैं, सम्बोधन करने के केंद्र बनते हैं और मुझे विश्वास है भले ही यह university नहीं हो, लेनिक यह नई university भी आने वाले दिनों में एक पूरे region के लिए, यहां की पूरी समस्याओं के लिए, सामान्य मानव के जीवन में बदलाव लाने के लिए वो कौन सा सामर्थ्य पड़ा हुआ है। जिस सामर्थ्य को तब तक हमने छुआ नहीं है, उस सामर्थ्य को कैसे छुआ जाए? और उसमें हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं, इसकी दिशा में अगर प्रयास होता है तो मैं मानता हूं कि university गया, काम सार्थक हो जाता है।

भारत में नई सरकार बनी है। अभी तो इस सरकार की उम्र छह महीने है। लेकिन भारत सिर्फ भारत के लिए नहीं जी सकता है। न ही भारत का निर्माण सिर्फ भारत के लिए बना है। हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने, महापुरूषों ने यह हमेशा कहा है कि भारत एक वैश्विक दायित्व को लेकर पैदा हुआ है। उसका जीव मात्र के लिए जगत मात्र के लिए कोई-न-काई दायित्व है। और उस दायित्व को पूरा करने के लिए उस देश को पहले सज्य होना पड़ता है। अपने आप को सामर्थ्यवान बनाना पड़ता है। भारत वो देश नहीं है कि वहां के करोड़ो-करोड़ो नागरिक भरने के लिए देश चलाया जाए। भारत वो देश है जिसने विश्व को कुछ देने की जिम्मेदारी उसके सिर पर है। वो क्या देगा, कब देगा, कैसे देगा, कौन देगा - यह तो समय ही तय करेगा। लेकिन उसका कोई वैश्विक दायित्व है इस बात में किसी को कोई आशंका नहीं है।

दुनिया कहती है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। और कुछ लोग कहते हैं कि एशिया में.. कुछ लोगों को लगता है कि चीन की सदी है। किसी को लगता है कि हिंदुस्तान की सदी है। लेकिन इस बात में किसी को कोई दुविधा नहीं है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। अगर 21वीं सदी ज्ञान की सदी है, और 21वीं सदी एशिया की सदी है तो फिर तो भारत की जिम्मेदारी और बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन क्योंकि जब-जब मानवजात ने ज्ञान युग में प्रवेश किया है तब-तब भारत विश्व गुरु के स्थान पर रहा है। पूरा पाँच हजार साल का इतिहास देखा जाए। सोने की चिडि़या कहलाता था। ज्ञान युग - उसका नेतृत्व हमेशा भारत ने किया है। शायद बाहुबल में वो काम नहीं आया होगा, धनबल में भी काम नहीं आया होगा, लेकिन जब ज्ञान के बल के सामर्थ्य की बात आती है तो भारत हमेशा आगे निकल चुका है। और इसलिए भारत का दायित्व बनता है कि वो ज्ञान के माध्यम से और नई विधाओं का आविष्कार करके दुनिया के सामने अपनी ताकत को दिखाए। और भारत में सामर्थ्य है। तभी भारत ने मंगलयान में सफलता प्राप्त की। कुछ लोगों को लगता होगा कि भई लोग चंद्र पर जा रहे हैं अब मंगल पर गए उसमें क्या है, लेकिन पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचने वाले हम अकेले हैं। और आज diesel और petrol के दाम इतने है कि एक किलोमीटर कहीं जाना है तो कम से कम दस रुपये खर्चा होता है। हमें मंगलयान पहुंचने में एक किलोमीटर का सिर्फ सात रुपया खर्चा हुआ है।

यह संभव इसलिए होता है कि युवा शक्ति में सामर्थ्य है और भारत ने इसे एक सौभाग्य भी माना है, एक जिम्मेवारी भी मानी है और एक अवसर भी माना है। सौभाग्य यह है कि हम उस युग के अंदर है, जबकि दुनिया में हिंदुस्तान सबसे जवान है। 65% जनसंख्या हिंदुस्तान की 35 साल से कम उम्र की है। जिस देश में 800 मिलियन लोग जो 35 साल से कम उम्र के हैं, जबकि सारी दुनिया में सबसे ताकतवर देश भी बूढ़े होते चले जा रहे हैं, तो यह एक अवसर है, पूरे मानव जात की सेवा करने के लिए हिन्दुस्तान के नौजवान के पास अवसर है। उसे अपने आप को सज्य करना होगा। और हमारी सरकार का प्रयास यह है कि हमारी युवा शक्ति को अवसर दें। और इसमें बहुत बड़ा अभियान चलाया है - Skill India. दुनिया को जो work force की जरूरत है उस प्रकार का Human Resource Development कैसे हो, Skill Development कैसे हो? हर भुजा में हुनर कैसे हो? ताकि वो दुनिया को कुछ-न-कुछ दे सके। और ये हुनर ही तो है जिसके कारण सदियों पहले भारतीय दुनिया के कोने-कोने में पहुंचे थे - आपके पूर्वज Fiji भी तो आए थे।

वो हुनर, वो सामर्थ्य, विश्व के आवश्यकताओं के अनुसार हो हुनर। विश्व पर बोझ बनने के लिए नहीं। विश्व के भले-भलाई के लिए इस युवा शक्ति को Skill Development के माध्यम से सजय करना, जोड़ना, उसका एक Global Exposure बने। उसका सोचने का दायर Global बने। वे वैश्विक परिवेश में सोचने लगे। वे वैश्विक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपने आप को सज्य करने के लिए आतुर हो। ऐसी एक व्यवस्था को बनाने का प्रयास हमने प्रारंभ किया है, और मुझे पूरा भरोसा है कि ये जिम्मेदारी हिन्दुस्तान निभाएगा। दुनिया की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भारत इस काम को कर पाएगा।

एक जमाना था शिक्षा का महत्व था। अक्षर ज्ञान का महत्व था। पढ़ने-पढ़ाने का महत्व था। लेकिन वो युग बहुत पीछे रह गया है। आज कितने ही पढ़े-लिखे क्यों न हों, लेकिन अगर आप Information Technology और Computer से अनभिज्ञ हैं, अगर आपको अज्ञान है, तो कोई आपकों शिक्षित मानने को तैयार नहीं है। परिभाषा बदल गई है। और ये नई Technology की गति इतनी तेज है कि अगर आप Computer पर काम कर रहे हैं और अगर आपकी माता जी देखें, या दादी मां देखे, तो गर्व करें, कि “वाह बेटा तूझे इतना कुछ सारा आता है! कैसे करते हो?” लेकिन अगर आपका दस साल का पोता देख ले तो कहता है “क्या दादा! आपको कुछ नहीं आता है!” ये इतना अंतर है दो पीढ़ी में कि जिस काम के लिए आपकी दादी मां गर्व करती है कि मेरा पोता बहुत अच्छा जानता है, उसी व्यक्ति को उसी काम करता हुआ देख करके पोता कहता है कि “दादा तुम्हें कुछ नहीं आता है। आप अनपढ़ हो।“

आप कल्पना कर सकते हैं तीन पीढ़ी मौजूद हों तब कितने दायरे में ज्ञान विज्ञान और technology ने कितना बड़ा दायरा बदल दिया है। और तब जा करके, हम उससे अछूते नहीं रह सकते हैं। एक समय था गरीब और अमीर के बीच की खाई की चर्चा हुआ करती थी। Haves and have-nots की चर्चा हुआ करती दुनिया के अंदर। आने वाले उन दिनों में चर्चा होने वाली है Digital Divide की। और पूरा विश्व अगर Digital Divide का शिकार बन गया, तो जो पीछे रह गया है उसको आगे जाने में दम उखड़ जाएगा। और इसलिए कैसे भी करके दुनिया को इस Digital Divide के संकट से बचाना पड़ेगा। भारत ने कोशिश की है - Digital India का सपना देखा है। जैसे एक सपना देखा Skill India, दूसरा सपना देखा है Digital India. आधुनिक से आधुनिक विज्ञान, आधुनिक से आधुनिक टेक्नोलॉजी उसकी वहां अंगुलियां पर होनी चाहिए। वो सामर्थ्य में से होना चाहिए।

और भारतवासियों के संबंध में लोगों का देखने का दृष्टिकोण बहुत अलग है। मुझे एक घटना बराबर स्मरण आती है। मैं एक बार Taiwan गया था। Taiwan में जो उनका interpreter था, वो Computer Engineer था। और मेरी कोई वहां 7-8 दिन की वहां tour थी, तो मेरे साथ रहता था। वो Taiwanese Chinese language जो लोग उपयोग करते है, वह बोलता है तो मुझे वह interpret करता था, वही काम करता था। 24 घंटों मेरे साथ रहता था, तो धीरे-धीरे दोस्ती हो गई। दोस्ती हो गई तो एक दिन फिर हिम्मत करके उसने मुझसे पूछा, आखिर दिनों में, कि “मैं आपके एक बात पूंछू? आपको बुरा नहीं लगेगा न?”

मैंने कहा, “नहीं नहीं आप पूछिए।“

“नहीं-नहीं, आपको बुरा लग जाएगा।“

बेचारा संकोच कर रहा था पूछ नहीं रहा था। मैंने कहा “बताइए न क्या पूछना है?”

उसने कहा कि “हमने सुना है, पढ़ा है, कि हिन्दुस्तान तो जादू टोना करने वालों लोगों का देश है। Black Magic वालों का देश है। सांप-सपेरों का देश है।“

बोला “सचमुच में ऐसा देश है?”

मैंने कहा “मुझे देखकर क्या लगता है? मैं तो कोई जादू-वादू तो करता नहीं हूं।“

उसने कहा “नहीं, आपको देखने के बाद ही मन करता है कि पूंछू कि क्या है”

मैंने कहा “तुम्हारा सवाल सही है। एक ज़माना था, हमारे पूर्वज सांप-सपेरे की दुनिया में जीते थे। लेकिन अब हमारा बड़ा devaluation हो गया है। अब हमारे में वो सांप वाली ताकत रही नहीं। और इसलिए हम अब mouse से खेलते हैं।“

और हिन्दुस्तान का नवजान mouse पर उंगली दबार कर दुनिया को हिलाने की ताकत रखता है आज – ये सामर्थ्य हमने पैदा किया है। ये नया Digital World है। उसमें भारत के नवजानों ने अपना कमाल दिखाई है। लेकिन इतने से ही सीना तानकर रहने से काम नहीं चलने वाला है। हमने आने वाली शताब्दी के अनुसार को सज्य करना होगा, और वो हम अगर कर पाते हैं तो और नई ऊंचाईयों को पार करना होगा। और वो हम अगर कर पाते हैं तो हम विश्व को बहुत कुछ दे सकते हैं। हमारा प्रयास उस दिशा में है। हमने एक ऐसा अभियान चलाया है जो यहां हिन्दुस्तान के लोग रहते हैं उनकों जरूर मन को पसंद आया होगा। और वो है स्वच्छता का अभियान. Cleanliness. आपके बच्चें हिन्दुस्तान आने की बात होती होगी तो कहते होंगे "नहीं!" उनका नाक सिकुड जाता होगा। हम ऐसा देश बनाएंगे, आपके बच्चों को वहां आने का मन कर जाए। उसको नाक सिकुड़ने की इच्छा नहीं होगी। उसको आने का मन कर जाएगा ऐसा देश बनाना है। और उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।

आज सुबह में आया, यहां के सरकार ने बहुत ही स्वागत किया सम्मान किया। हमने कुछ घोषणाएं की हैं, कुछ निर्णय किए हैं। एक तो भारत की तरफ दुनिया का बहुत ध्यान है सारी दुनिया भारत की तरफ देख रही है - जाना चाहती हैं आना चाहती हैं। लेकिन आपको कभी-कभी लगता होगा कि अस्पताल जाना अच्छा है, embassy जाना बुरा है। मैं भले ही Fiji में पहली बार आया हूं, लेकिन आपकी पीड़ा का मुझे पता रहता है। लेकिन आप सज्जन लोग हैं इसलिए शिकायत करते नहीं हैं।

हमने निर्णय किया है, कि अब फिजी से और यह Pacific महासागर के टापूओं से आने वाले लोगों के लिए Visa-On-Arrival. बाते छोटी-छोटी होती है, लेकिन वो ही बदलाव लाती है। और उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

आज भारत ने यह भी कहा है कि फिजी मैं Small or Medium Level की जो industries हैं, उनको upgrade करने के लिए Five Million American Dollar फिजी को हम देंगे। फिजी के नागरिकों को भारत scholarships देती है, यहां के students को, यहां के Trainees को - हमने निर्णय किया है कि वो संख्या अब double कर दी जाएगी।

जो समुद्री तट पर रहने वाले देश हैं। भारत के पास भी बहुत बड़ा समुद्री तट है और जब Global Warming की चर्चा होती है तो समुद्री तट पर रहने वाले सबसे ज्यादा चिंतित होते हैं और कभी पढ़ ले Nostradamus की आघाई तो उनको तो कल ही दिखता है, कल ही डूबने वाला है। और कभी अख़बार में आ जाता है कि दो मीटर समुद्र चढ़ जाने वाला है और कभी तीन मीटर, तो वो सोचता है कि मेरा घर तो दूर ले जाओ भाई। एक बहुत बड़ा तनाव रहता है। और उसमें भी एक बार ज्यादा ही waves में उछाल आया तो यार लगता है कि अब तो आया, मौत सामने दिखती है। Global Warming की चिंता है। दुनिया को चिंता है। और ऐसी जगह पर रहने वालों को ज्यादा चिंता है। भारत भी उसमें से एक है। इसकी समस्या का समाधान खोजना पड़ेगा। हमारी जीवनशैली को बदलना पड़ेगा। Exploitation of the nature - यह crime है यह हमें स्वीकार करना पड़ेगा। Milking of nature - इतना ही मनुष्य को अधिकार है। Exploitation of the nature - मनुष्य को अधिकार नहीं है। तो जो बिगड़ा सो बिगड़ा, लेकिन आगे न बिगाड़े - यह जिम्मेवारी हमने निभानी होगी। पूरे विश्व को निभानी होगी। लेकिन जो बिगड़ा है उसको भी बनाने की कोशिश करनी होगी। और इसलिए इस बार हमने तय किया है - One million American dollar से एक Adaption Fund के रूप में एक fund बनाया जाएगा, ताकि इस भू-भाग में Technologically upgradation करके इस Global Warming के दु:भाव से कैसे बचा जा सके, यहाँ के जीवन को कैसे रक्षा मिले, उस दिशा में काम करने का हमने निर्णय किया है।

Global Warming की चर्चा करता हैं तो energy एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा चिंता का विषय रहता है। और उसके लिए हमने तय किया है कि renewal energy हो, solar energy हो, wind energy हो, इसकी generation के लिए, इस प्रोजेक्ट को करने के लिए 70 Million American dollar का line of credit देने का।

फिजी की Parliament की Library आधुनिक बने, E-Library बने, उसकी जिम्मेवारी भी भारत लेगा ताकि, हां, उस Library का उपयोग हर कोई कर सके।

यहां राजदूत भवन बनाने का सोचा है। आप लोग मिलकर देखिए, बनाइये, हम लोग आपके साथ रहेंगे।

तो कई ऐसी बाते हैं जिसको ले करके हम देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास... और वो मोदी नहीं कर रहा है, यह सवा सौ करोड़ देशवासी कर रहे हैं। हर हिंदुस्तानी के मन में जज्बा पैदा हुआ है - उसको लगता है “नहीं, मेरा देश ऐसा नहीं रहना चाहिए” । और कभी कभी तो लगता है कि लोग बहुत आगे है, सरकार बहुत पीछे है। लेकिन जिस तेज गति से आज देश चल पड़ा है। वो चलता रहेगा और भारत लोकतांत्रिक मूल्य के कारण, वसुधैव कुटुंभकम की भावना के कारण “सर्वे भवंतु सुखीना, सर्वे संतु निरमाहया” यह भाव के कारण, जिसकी सोच, जिसके विचार-आचार में यह चिंतन पडा है, वो अगर ताकतवर होता है, तो फिजी का भी भला होता है, इस उपखंड का भी भला होता है, मानवजाति का भी भला होता है। हरेक की भलाई में काम आने वाला देश बन सकता है। तो मैंने प्रारंभ में कहा था – वैश्विक दायित्व को निभाने के लिए राष्ट्र को तैयार होना चाहिए। और जिस दिशा में दुनिया जा रहा रही है, उसमें लगता है कि भारत मूलभूत चिंतन के द्वारा विश्व की बहुत बड़ी सेवा कर सकता है। और उस दिशा में काम करने का प्रयास चल रहा है।

मुझे आप सब के बीच आने का अवसर मिला। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। university को मैं मेरी शुभकामनाएं देता हूं। मैं चाहूंगा कि यहां से भी ऐसे रत्न पैदा हो, जो पूरी मानवजात की सेवा करने का सामर्थ्य रखते हो - ऐसी यहां की शिक्षा- दीक्षा बने।

बहुत-बहुत शुभकमानाएं।

धन्यवाद।

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Text of PM Modi's speech at public meeting in Chaibasa, Jharkhand
November 04, 2024
Every single vote you cast will guarantee development and ensure the protection and respect of our tribal heritage: PM in Jharkhand rally
Be vigilant against the conspiracy of Congress and its allies: PM Modi in Chaibasa
When I say we need to build a Viksit Bharat, a Viksit Jharkhand, I say this for the better future of your children: PM

जय जोहार !

ये भगवान बिरसा मुंडा और शहीद पोटो हो के पराक्रम की धरती है। झारखंड की ये भूमि, जनजातीय गौरव, जनजातीय मान-मर्यादा की साक्षी रही है। ये माटी, उस आदिवासी शौर्य की साक्षी रही है, जिसने भारत की आज़ादी, भारत की संस्कृति और विरासत की रक्षा की है। इस धरा ने, भगवान बिरसा मुंडा, पोटो हो, तिलका मांझी, चांद-भैरव, निलांबर-पितांबर, सिद्धो-कान्हो जैसे अनगिनत वीरों को जन्म दिया। आदिवासी बलिदान का अमर साक्षी, हमारा ये सेरेंगसिया शहीद स्मारक भी है। ये हमारे ‘हो’ आदिवासी वीरों की गाथा कहता है। इतिहास गवाह है कि कैसे कोल्हान ने अत्याचारी अंग्रेज़ी सेना को टक्कर दी थी। आज फिर कोल्हान ने, JMM-कांग्रेस-RJD की अत्याचारी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कमर कस ली है। हर कोई कह रहा है कि इस बार कोल्हान नया इतिहास रचने जा रहा है। जो सालों-साल नहीं हुआ, वो इस साल होने जा रहा है। चाईबासा की इस विशाल रैली का संदेश भी यही है। आज मैं इस चुनाव अभियान में पहली बार आया हूं। और ये मेरी दूसरी रैली है। दोनों रैली को देखने के बाद मैं दावे से कहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी-एनडीए इतिहास में मिले किसी भी परिणाम से और अधिक सीटों के साथ सरकार बनाएगी। और ये मैं आपके आशीर्वाद के कारण कह रहा हूं। आपका ये उत्साह, ये उमंग, ये जोश, इसके कारण कह रहा हूं। पूरा झारखंड एक सुर में कह रहा है- रोटी, बेटी और माटी की पुकार, झारखंड में भाजपा-NDA सरकार ! रोटी, बेटी और माटी की पुकार, झारखंड में भाजपा-NDA सरकार ! पूरी ताकत से बोलिए सब। रोटी-बेटी और माटी की पुकार, रोटी-बेटी और माटी की पुकार, रोटी-बेटी और माटी की पुकार।

 

साथियों,

भाजपा के लिए, आदिवासी भाई-बहनों की आकांक्षा, उनका स्वाभिमान हमेशा सर्वोपरि रहा है। जब पहली बार, भाजपा सरकार बनी, दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी को सेवा करने का अवसर मिला। अटल जी देश के प्रधानमंत्री बने, तब जाकर आदिवासी समाज को अलग राज्य मिले। छत्तीसगढ़ और झारखंड, ये दो राज्य बनाने का सौभाग्य भाजपा को ही मिला है। बीते दशक में हमने आदिवासी समाज के योगदान को देश-दुनिया के सामने रखने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। रांची में धरती आबा बिरसा मुंडा का इतना भव्य संग्रहालय बना है। हमने ही भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है। इस बार तो 15 नवंबर से धरती आबा की डेढ़ सौवीं जन्मजयंति के उत्सव शुरु होने वाले हैं। आने वाले 2 सालों तक ये उत्सव देश के हर कोने में चलेगा, पूरे देशभर में चलेगा, आदिवासी समाज के एक सपूत ने देश के लिए कितना बड़ा योगदान किया, इससे देश का बच्चा-बच्चा परिचित होगा।

साथियों,

ये क्षेत्र ‘हो’ भाषा से समृद्ध है, यहां की पहचान ‘हो’ भाषा से है। और आप तो जानते हैं, हमारी सरकार लगातार मातृ भाषा पर बल दे रही है, मातृभाषा का सम्मान करती है। "हो" भाषा को बहुत अपमान झेलने पड़े हैं, उपेक्षा झेलनी पड़ी है। अब ये मोदी की गारंटी है, "हो" भाषा के अपमान का समय खत्म होगा। "हो" भाषा को उचित सम्मान मिले, यहां की और भी भाषाओं को भी उचित सम्मान मिले, इसके लिए हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और पूरा प्रयास करने का वादा करते हैं। ये विकास भी और विरासत भी के हमारे संकल्प को मजबूत करने वाली बात है।

साथियों,

भारत के इतिहास में, कांग्रेस और RJD, इनसे बड़ा आदिवासी विरोधी कोई नहीं हुआ। ये जो हमारे नौजवान हैं, इनको वो पुराने दिन याद दिलाना ज़रूरी है। 80 के दशक में जब बिहार और दिल्ली, दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी, झारखंड तब अलग नहीं हुआ था, बिहार का हिस्सा था, तब यहां क्या हुआ था? आप ज़रा अपने माता-पिता, अपने दादा-दादी से पूछिए, अपने गांव के बुजुर्गों को पूछिए। उनको गुवा गोलीकांड जरूर याद होगा। जिस तरह की बर्बरता अंग्रेजों ने की थी, वैसी ही बर्बरता यहां कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों का खून बहाकर की थी। यहां कांग्रेस सरकार ने हमारे आदिवासी भाइयों को गोलियों से भून दिया था। हमारे वो आदिवासी पूर्वज सिर्फ अपना हक मांग रहे थे। वो अलग झारखंड राज्य मांग रहे थे। मत भूलिए, तब आरजेडी के नेता भी कहते थे कि झारखंड उनकी लाश पर बनेगा। आपकी आकांक्षाओं से आपके सपनों से इतनी ज्यादा नफरत है इन लोगों को। अब देखिए, जो RJD झारखंड बनाने को सहमत नहीं था, झारखंड बनाने की बात करने वालों को कुचलना चाहता था। उस RJD की गोदी में कौन बैठा है? JMM जाकर उनकी गोदी में बैठ गया है। कांग्रेस और RJD आदिवासियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। और JMM की सच्चाई भी किसी से छिपी नहीं है। जिस कांग्रेस के दामन पर आदिवासियों के खून के छींटे हैं, आज JMM उसी के कंधे के सहारे सरकार चला रही है। जिन्होंने झारखंड का हमेशा विरोध किया, JMM ने सत्ता के लालच में उन्हीं को गले लगा लिया। झारखंड राज्य के लिए अपना बलिदान देने वालों का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता।

साथियों,

भारत को विकसित बनाने के लिए आदिवासी समाज का विकास और मुख्यधारा से आदिवासी समाज को जोड़ना, ये हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। ये आदिवासी समाज की उचित भागीदारी के बिना संभव नहीं होगा। इसलिए, भाजपा ने, NDA ने, आदिवासी भागीदारी पर हमेशा बल दिया है। अभी हाल में ही, भाजपा ने हमारे पड़ोस में एक आदिवासी नौजवान को ओडिशा का मुख्यमंत्री बनाया है। इतना ही नहीं, हमारे साथ जुड़ा छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री हमारे आदिवासी साथी हैं। अनेक राज्यों में आदिवासी संतान राज्यपाल के नाते, गवर्नर के नाते राज्य सरकार का मार्गदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार के अनेक शीर्ष पदों पर आज हमारे आदिवासी भाई-बहन उसका नेतृत्व कर रहे हैं। आज देशभर के आदिवासी कल्याण की जिम्मेदारी ओडिशा के हमारे जुएल ओरांव जी और मध्य प्रदेश के दुर्गादास उइके जी के पास है। देशभर को पोर्ट, शिपिंग के विकास की जिम्मेदारी, हिंदुस्तान को पूरी दुनिया से जोड़ने की जिम्मेदारी हमारे सर्बानंद सोनोवाल जी जो आदिवासी समाज के गौरव हैं, वो संभाल रहे हैं। देश में महिला और बाल कल्याण की जिम्मेदारी हमारी आदिवासी बहन सावित्री ठाकुर जी के पास है।

साथियों,

दूसरी तरफ कांग्रेस-RJD को देखिए, कांग्रेस ने किसी आदिवासी को अपना अध्यक्ष नहीं बनने दिया। कांग्रेस ने कभी किसी आदिवासी बेटे-बेटी को देश का राष्ट्रपति भी नहीं बनने दिया। इतना ही नहीं, हम जब एक आदिवासी महिला को देश का राष्ट्रपति बनाने निकले, तो उन्होंने उसका भी घोर विरोध किया। उनको पराजित करने के लिए षडयंत्र किए। ये भाजपा और NDA ही है, जिसने देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति दी है। भाजपा, आदिवासी समाज को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है।

साथियों,

JMM-कांग्रेस-RJD, कभी आदिवासियों का सम्मान नहीं कर सकतीं। उन्हें तो आपका अपमान करने की आदत है। इन लोगों ने कोल्हान की संतान, कोल्हान के गौरव हमारे चंपई सोरेन जी का भी घोर अपमान किया है। इन लोगों ने जिस तरह अपमानित करके चंपई सोरेन जी को मुख्यमंत्री पद से हटाया, ये पूरे देश ने देखा है। ये सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं है। ये कोल्हान का अपमान है। ये आपका अपमान है। आप मुझे बताइए, ये आपका अपमान है कि नहीं है? इस अपमान के लिए आप JMM को सज़ा देंगे? जरा हाथ ऊपर करके बताइए, सजा देंगे?

साथियों,

वोट के लिए ये JMM और कांग्रेस वाले आदिवासी बेटियों का अपमान करने से भी नहीं चूकते। आज द्रौपदी मुर्मू जी के रूप में देशभर के आदिवासियों की एक सशक्त आवाज हमारे पास है। लेकिन JMM-कांग्रेस और इनके साथियों को आदिवासी महिला राष्ट्रपति बर्दाश्त नहीं हो रही हैं। ये लोग उन्हें अपशब्द कहने का भी कोई मौका नहीं छोड़ते। हमारी बहन सीता सोरेन के साथ इन्होंने क्या किया, ये भी हम सभी ने देखा है। कांग्रेस के एक नेता ने बहन सीता सोरेन जी के लिए जो कुछ कहा है, वो हर आदिवासी माता-बहन-बेटी का अपमान है। अभी महाराष्ट्र में भी, एक बहन चुनाव लड़ रही है। कैसी गंदी भाषा का प्रयोग किया गया उनके लिए, ये इनकी आदत है। और आप देखिए, यहां के जो मुख्यमंत्री हैं, उनकी तरफ से एक शब्द तक नहीं निकला। यही JMM की सच्चाई है। सत्ता सुख में JMM को आदिवासी महिलाओं का अपमान भी स्वीकार है। कांग्रेस से तो देश को कोई उम्मीद है ही नहीं। महाराष्ट्र में भी भाजपा की महिला नेता को लेकर जिस प्रकार की बातें इनके साथी करते हैं, उसे पूरे देश ने देखा है। माताएं-बहनें चौंक गई हैं कि हमारे देश की बहन-बेटियों के लिए ये कांग्रेस वाले उनके साथी ऐसी गंदी भाषा बोलते हैं। इसलिए महाराष्ट्र के लोग भी कांग्रेस और उसके साथियों को सबक सिखाने को तैयार बैठे हैं।

साथियों,

मेरा लंबा समय आदिवासी क्षेत्रों में माताओं-बहनों के संघर्षों को देखते हुए गुजरा है। अभाव और गरीबी में भी वे कैसे परिवार और समाज को संभालती हैं, मैंने इसे अपनी आंखों से देखा है। इसलिए, भाजपा-NDA की हर योजना के केंद्र में माताएं-बहनें रहती हैं। मैंने लाल किले से कहा है कि भारत को विकसित बनाने के लिए नारीशक्ति को सशक्त करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। मुझे खुशी है कि झारखंड भाजपा ने महिलाओं को सशक्त करने वाला संकल्प पत्र कल ही जारी किया है। अभी झारखंड में गोगो दीदी योजना की घर-घर में चर्चा है। गोगो दीदी योजना को झारखंड की हर माता-बहन ने गले लगाया है। गोगो दीदी योजना ने झारखंड की माताओं-बहनों के मन में एक नई ऊर्जा भर दी है। इस योजना के तहत हर महीने माताओं-बहनों के खाते में 2100 रुपए आएंगे, हर महीने 2100 रुपए। झारखंड भाजपा ने 500 रुपए में गैस सिलेंडर, और साल में 2 सिलेंडर मुफ्त देने का भी वायदा किया है। झारखंड की बेटियों को बी-एड, नर्सिंग और दूसरे प्रोफेशनल कोर्स के लिए मुफ्त पढ़ाई का वायदा भी बहुत बड़ा है। इससे आदिवासी बेटियों को भी बहुत लाभ होगा। साथियों, आज पूरी दुनिया में भारत के नौजवानों के टैलेंट की मांग है। अभी जर्मनी के नेता यहां आए थे। उन्होंने कहा हम भारत से हर साल 90 हजार लोगों को बुलाएंगे। दुनिया में जहां-जहां हमने समझौते किए हैं। दुनिया में हमारी नर्सिंग वाली बहनों की बहुत बड़ी मांग है। मुझे विश्वास है झारखंड में पढ़-लिखकर आगे बढ़ने वाले बेटे-बेटियां उनको भी कभी आस्ट्रेलिया कभी न्यूजीलैंड यूरोप के देशों में उनका मान-सम्मान बहुत बढ़ने वाला है। साथियों, गर्भवती माताओं के लिए पोषण किट और 21 हज़ार रुपए की सहायता, मां और बच्चे, दोनों के जीवन को सुरक्षित बनाएगा। झारखंड भाजपा ने राज्य में 21 लाख घर बनाने का भी ऐलान किया है। इन घरों में से ज्यादातर घर महिलाओं के नाम ही होंगे। महिलाओं के नाम पहली बार कोई संपत्ति होगी। सशक्त नारी, विकसित भारत औऱ विकसित झारखंड के मार्ग को भी सशक्त करेगी।

साथियों,

यहां इतनी बड़ी संख्या में हमारे युवा साथी आए हैं। 5 साल पहले JMM और कांग्रेस वालों ने आपसे कितने सारे वादे किए थे। नौकरी देंगे, भत्ता देंगे, कहा था या नहीं? इन्होंने जो कहा था, वो पूरा किया क्या? अगर ये अपने वादे पूरा करते तो यहां से काम की तलाश में नौजवानों पलायन करने की नौबत नहीं आती। इन्होंने झारखंड के नौजवानों को नौकरी तो नहीं दी, लेकिन भर्ती माफिया के हवाले जरूर कर दिया। ऐसा कोई पेपर नहीं जो बीते 5 वर्षों में लीक नहीं हुआ। पेपर-लीक माफिया ने झारखंड के नौजवानों का भविष्य बर्बाद कर दिया। आप चिंता मत कीजिए युवा साथियों, भाजपा-NDA सरकार, इस माफिया को कड़ा सबक सिखाएगी। एक भी बचने वाला नहीं है। आप चाहते हैं ना कि पेपर लीक के दोषियों को कड़ी सजा मिले? चाहते हैं कि नहीं चाहते? पेपर-लीक और अवैध तरीके से हुई भर्तियों की जांच कराई जाएगी। झारखंड भाजपा का ऐलान है, 3 लाख सरकारी भर्तियां, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराई जाएंगी। अभी हरियाणा में चुनाव हुआ, वहां के लोगों ने तीसरी बार भाजपा सरकार बनाई। और भाजपा ने वादा किया था कि आने के तुरंत बाद बिना खर्ची- बिना पर्ची 25 हजार लोगों को रोजगार देंगे और सरकार आने के दूसरे दिन ही बिना खर्ची- बिना पर्ची 25 हजार लोगों को नौकरी का ऑर्डर मिल गया। उनकी तो डबल दिवाली हो गई। साथियों, जो युवा अपना बिजनेस करना चाहते हैं, उनको ट्रेनिंग दी जाएगी, बैंक से लोन दिया जाएगा और भत्ता भी दिया जाएगा। युवा साथी भत्ता के तौर पर झारखंड के युवाओं को 2 हजार रुपए दिए जाएंगे। कोचिंग के लिए और उच्च शिक्षा के लिए भी युवाओं को बहुत बड़ी मदद देने की घोषणा की गई है।

साथियों,

गरीब का संघर्ष क्या होता है, मैंने उसको जीया है, निकट से देखा है। तभी तो बीते 10 वर्षों में गरीबों के लिए सबसे बड़ी योजनाएं हमने बनाईँ। इन्हीं योजनाओं का परिणाम है कि 10 सालों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। झारखंड में भी गरीबी दूर करने के लिए भाजपा प्रतिबद्ध है। इसलिए झारखंड भाजपा ने गरीबों का जीवन आसान बनाने के लिए शानदार घोषणाएं की हैं। भाजपा-NDA सरकार झारखंड के हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए काम करेगी। धान का MSP बढ़ाकर 3100 रुपए करने और दाना-दाना खरीदने की गारंटी दी है। इसका फायदा सभी किसानों को होगा। और इसलिए मेरा एक काम करोगे आपलोग? जरा हाथ ऊपर करके बताइए, मेरा एक काम करोगे? किसानों को जाकर के बताइए कि भाजपा ने कहा है कि अब धान का MSP 3100 रुपए होगा। आदिवासी परिवार जो भी वन उत्पाद इकट्ठा करते हैं, उन उत्पादों को NDA की नई सरकार जरूर खरीदेगी। इससे आदिवासी परिवारों की आय बढ़ेगी। पंचायत के मुखियाओं को जो भत्ता मिलता है, उसमें भी बढ़ोतरी की जाएगी। पेसा कानून के तहत पंचायती राज को भी और सशक्त किया जाएगा।

साथियों,

कांग्रेस और उसके साथी दलों ने लंबे समय तक आदिवासी समाज को गरीब रखा है, अभावों में रखा। कांग्रेस को तो आदिवासी कल्याण के लिए अलग मंत्रालय बनाने तक की सुध नहीं थी। ये काम भी भाजपा-NDA ने ही किया। भाजपा और NDA सरकार की नीति अलग है। जिनको कभी किसी ने नहीं पूछा, उनको मोदी पूजता है। मैं आपको दो बड़ी योजनाओं के बारे में बताऊंगा, जो आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक योजनाएं हैं। आदिवासी कल्याण से जुड़ी इन दोनों योजनाओं पर हम एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रहे हैं, एक लाख करोड़ रुपए। पहली योजना है- धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान। दूसरी योजना है- पीएम जनमन अभियान। ये दोनों ही योजनाएं झारखंड से शुरू की गई हैं। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान से देश के 60 हज़ार से अधिक आदिवासी गांवों का विकास किया जाएगा। 60 हजार आदिवासी गांव एक साथ। इससे ऐसे हर गांव में रोड, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, मोबाइल नेटवर्क, ऐसी सारी आधुनिक सुविधा बनाई जाएगी। आदिवासी भाई-बहनों के लिए ट्राइबल मार्केटिंग सेंटर बनाए जाएंगे। होम स्टे बनवाने के लिए मदद दी जाएगी। इस अभियान के तहत आदिवासी युवाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं पीएम जनमन अभियान, उन आदिवासी बस्तियों पर फोकस कर रहा है जो विकास में सबसे पीछे रह गईं हैं। आज पीएम-जनमन से झारखंड के अनेक गांवों में विकास के काम हो रहे हैं।

साथियों,

भाजपा-NDA का प्रयास है कि देश के हर नागरिक को, हर क्षेत्र को बेहतरीन आरोग्य सुविधाएं मिलें। झारखंड में AIIMS का निर्माण इसी उद्देश्य से किया गया। लेकिन JMM-कांग्रेस-RJD की सरकार, मानवता की सेवा के इस काम में भी रोड़े अटकाने का ही काम कर रही है। आप याद कीजिए, मैंने यहां चाईबासा में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया था। लेकिन बीते 5 साल से JMM सरकार ने इस मेडिकल कॉलेज का काम लटकाए रखा है। यहां भाजपा सरकार बनने के बाद, पूरे झारखंड में अस्पताल और मेडिकल कॉलेज बनाने की गति तेज़ की जाएगी। मेरा लक्ष्य है, यहां के बच्चे डॉक्टर बन सकें, यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हों। इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प दिया गया है। हमने देश के हर परिवार में 70 वर्ष से ऊपर के हर बुजुर्ग के लिए 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज देने का फैसला किया है। झारखंड भाजपा ने तो बुजुर्गों को 15 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की घोषणा की है। यहां भाजपा-NDA सरकार बनने के बाद सिकल सेल की बीमारी के विरुद्ध भी लड़ाई तेज़ होगी। ये आदिवासी समाज की बहुत बड़ी सेवा होगी।

साथियों,

भाजपा-एनडीए के प्रयासों के बीच आपको JMM-कांग्रेस-RJD से बहुत सावधान रहना है। JMM-कांग्रेस-RJD ने झारखंड की अस्मिता को संकट में डाल दिया है। झारखंड की डेमोग्राफी, यहां की पहचान को बदलने की साजिश हो रही है। इसलिए JMM-कांग्रेस-RJD पर घुसपैठिया समर्थक गठबंधन का ठप्पा लग गया है। क्योंकि घुसपैठिए इनका सबसे बड़ा वोट बैंक बन गए हैं। JMM और कांग्रेस मिलकर इन घुसपैठियों के फर्जी कागज बनवा रहे हैं, इनके हर गलत काम को संरक्षण दे रहे हैं। यहां तक कि जब कोर्ट में इनसे पूछा गया, तो वहां भी इन्होंने झूठ बोला कि घुसपैठ नहीं हो रही है। घुसपैठिए, आदिवासी बेटियों को निशाने पर ले रहे हैं। झूठ-फरेब, छल-कपट से शादी करके, आदिवासियों की ज़मीन हड़प रहे हैं। ये आपकी रोटी भी छीन रहे हैं, ये आपकी बेटी भी छीन रहे हैं और आपकी माटी को भी हड़प रहे हैं। इसलिए आपको रोटी, बेटी और माटी, सबकी पुकार को याद रखना है। हमें झारखंड की अस्मिता को बचाना है, झारखंड की पहचान को बचाना है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, यहां भाजपा-NDA सरकार बनेगी, आपने निर्धार किया है, बनने वाली है। घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए हर कदम उठाए जाएंगे। नई सरकार, अवैध तरीके से हड़पी गई भूमि को फिर से आदिवासी बेटियों के नाम करने के लिए कानून बनाएगी।

साथियों,

आदिवासी अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए ही बाबा साहेब आंबेडकर ने आदिवासी आरक्षण की शुरुआत करवाई थी। लेकिन उस समय भी नेहरू जी ने आदिवासियों को आरक्षण का विरोध किया था। इसके बाद जितने साल सरकार पर गांधी परिवार का कब्जा रहा, ये लोग आरक्षण के खिलाफ रहे। अब एक बार फिर इन लोगों ने खुला ऐलान कर दिया है कि– आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण को समाप्त कर देंगे। औऱ साथियों, आदिवासियों से उनका आरक्षण का अधिकार छीनकर ये लोग उसे अपने वोटबैंक को देंगे। इन लोगों ने एक और तरीका निकाला है। ये स्कूलों-कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित कर रहे हैं। इससे इन संस्थानों में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण मिलना बंद हो जाता है। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश से भी आपको सावधान रहना है।

साथियों,

मैं आपके बीच से निकलकर यहां पहुंचा हूं। मेरे लिए, आप सभी ही मेरा परिवार हैं। इसलिए जब मैं कहता हूं कि विकसित भारत बनाना है, झारखंड को विकसित बनाना है तो ये सबकुछ आपके बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ही कहता हूं.। मेरे लिए आप ही मोदी हैं। आप घर-घर जाइए और सभी से कहिए कि भाजपा-आजसू-JDU-LJP के सभी उम्मीदारों को विजयी बनाना है। मैं आपसे आग्रह करता हूं पोलिंग बूथ पर जाइए, घर-घर जाइए, फिर एक बार अभूतपूर्व विजय के साथ भाजपा-NDA की सरकार बनाइए।

मेरे साथ बोलिए,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय !