Text of PM’s address at the first International Ramayana Mela

Published By : Admin | February 23, 2015 | 16:10 IST

उपस्थित सभी महानुभाव,

मैं विदेश विभाग को बधाई देता हूं कि उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रम की रचना की। वैश्विक संबंध अब सिर्फ एक ट्रैक पर नहीं होते हैं। वैश्विक संबंध में धीरे धीरे Soft Power मुख्य धारा बन गया है और Soft Power के द्वारा ही वैश्विक संबंधों को उर्जा मिलती है, ताकत मिलती है। भारत में भी अपने वैश्विक संबंधों को diplomatic जो चैनल हैं, उसके सिवाय, जो हमें विरासत में मिली हुई शक्ति है, उसका भी भरपूर उपयोग करना चाहिए। ये संबंध बहुत लंबे अर्से तक परिणामकारी होते हैं।

विश्व में जहां जहां भगवान बुद्ध की presence है, सामूहिक रूप से वे देश हमसे जुड़े रहें तो हमारी कितनी बड़ी ताकत बन सकती है। विश्व में जहां जहां राम और रामायण से संपर्क रहा है, जो लोग गर्व करते हैं, उसी एक तंतु के साथ जोड़ करके आज उसको अगर संबंधों को विकसित किया जाए, तो संबंध अपनेपन वाले बन जाते हैं। वे Diplomatic Relation से भी अधिक ताकतवर बन जाते हैं, एक next level उसका प्राप्त होता है। उस अर्थ में यह प्रयास वैश्विक संबंधों को और अधिक गहरे करने के लिए, वैश्विक संबंधों को और अधिक व्यापक करने के लिए और वैश्विक संबंधों में एक अपनेपन के commitment के element को जोड़ने के लिए बहुत ही उपकारक होंगे, ऐसा मैं मानता हूं। इसको हमें अलग अलग तरीके से बढ़ाना भी चाहिए। ये जो पहलू है, उसमें भारत की एक विशिष्ट शक्ति है, उसकी भी दुनिया को पहचान होती है, कि हमारे पास विश्व को देने के लिए क्या कुछ नहीं है।

जब रामायण सीरियल चलता था, हमें मालूम है, हमारे देश में कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता था। कोई कल्पना कर सकता है क्या! कि 20वीं सदी उतरार्ध में देश की युवा पीढ़ी को भी रामायण इतना आकर्षित कर सकती है..और सहस्रों वर्ष से न उसको समय की सीमा रही, न उसे भौगोलिक सीमा रही। दुनिया के कितने भूभाग में ये बात पहुंची और जहां पहुंची वहां अपनापन बना लिया। ..और वो समय था, जैसा सुषमा जी ने कहा संबंधों का रूप क्या हो..जब वो रामायण सीरियल चलता था तो घर में भी, परिवार में संबोधित करने की स्टाइल बदलने लगी थी। भाईश्री, तातश्री, मातृश्री, ऐसे ही बालक भी घर में बोलने लगे थे, मनोरंजन के लिए करते होंगे, लेकिन उसमें एक मेसेज था। एक नई, हमारे शास्त्रों की विरासत..संबधों और संबोधन की परंपरा क्या हो, लोग सीखने लगे थे। आज भी यहां की सांस्कृति विरासत कैसी है।

आज जब हम खबरें पढ़ते हैं, महिलाओं पर अत्याचार की, कितनी पीड़ा होती है, लेकिन रामायण का कालखंड ऐसा था कि एक नारी पर अत्याचार देखकर जटायु बलि चढ़ने के लिए तैयार हो गया। जटायु निशस्त्र था, लेकिन फिर भी, इतनी बड़ी शक्ति के साथ लड़ाई लड़ रहा था, एक नारी के सम्मान और गौरव के लिए। क्या जटायु हमारी प्रेरणा नहीं बन सकता है? अभय और निर्भय का संदेश जटायु से ज्यादा कौन दे सकता है? और इस अर्थ में कहें तो रामायण की बातें..जिन विषयों की उसमें चर्चा है, वो आज भी कितनी relevant है।

मैं देख रहा था, रामायण में कुछ बातें जो कही गई हैं..आज हम लोग infant mortality, स्वाइन फ्लू ये सब चर्चा करते हैं..माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर..रामराज्य की जो कल्पना की गई है तो रामायण में कहा गया है-

अपमृत्यु नहीं, कवनि ऊ पीरा। सब सुंदर, सब बिरूज सरीरा।।

मैं समझता हूं कि हेल्थ के लिए..इससे बड़ा हैल्थ सेक्टर के लिए कोई मेसेज नहीं हो सकता है। और कहा है- non dies prematurely, all were physically healthy and strong. अब से उस समय रामराज्य की कल्पना में हैल्थ सेक्टर के लिए कहा गया है।

सामाजिक संबंध कैसे होने चाहिएं। आज social harmony की चर्चा हो रही है। उस समय भी संदेश था –

सब नर करहि परस्पर प्रीति। चलहि स्वधर्म निरति श्रुतनीति।।

There is social harmony and environment of mutual trust and love among all; are fulfilling their Dharma, their responsibility.

आज जिन विषयों के साथ हम कभी कभार सोचते हैं कि भई हम कैसे रास्ते खोजें, रामराज्य की कल्पना में, रामायण की कल्पना में इन विषयों को बहुत अच्छे ढंग से कहा गया है.....नागरिक धर्म के लिए कहा गया है-

सब उदार सब परोउपकारी। विप्र चरण सेवक नर नारी।।

All are generous and giving, all men and women are in service of others.

मैं समझता हूं जिस रामराज्य की कल्पना में, जिस रामायण की चैपाईयों में आज भी हम हमारी समस्याओं के समाधान खोज सकते हैं। हमारे निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन के माध्यम से, हम समाज में किस प्रकार से काम कर सकते हैं, इसका संदेश-

बैर न कर कहु सन कोई। राम प्रताप विसमता खोई।।

By the grace of Ram all disparity, differences melt down and non engage in enmity.

हर विषय पर हमें वहां संदेश मिलता है। मैं मानता हूं कि ये जो पांच दिवस का उत्सव यहां होने वाला है, विश्व के अलग अलग देशों में कालक्रम से अलग अलग वो परंपरा विकसित हुई है। मनोरंजन के साथ संस्कार की भी इसमें प्रक्रिया है। हमारी महान विरासत के लिए गर्व करने की भी प्रक्रिया है।

ये अच्छा है....मेरी एक सोच रही है कि विदेश विभाग, ये दिल्ली से जुड़ गया तो दुनिया जुड़ गई, ये सोच बदलनी होगी। ये देश बहुत बड़ा विशाल है। हिंदुस्तान हर एक राज्य का भी एक वैश्विक परिवेश व उसका एक स्थान होना चाहिए, पहचान होनी चाहिए। इस कार्यक्रम को कई नगरों में ले जाया जा रहा है। वो एक शुभ शुरूआत है। ये दुनिया हमारे देश के अलग अलग कोने को भी जाने। हमारी अलग अलग परंपराओं को भी जानें। हमारे अलग अलग जगहों पर रहने वाले लोग दिल्ली के बाहर भी दुनिया को जानने समझने का प्रयास करें। एक विशाल भारत का रूप विश्व के साथ जुड़ता रहे, उसका भी प्रयास है।

मैं फिर एक बार विदेश विभाग को और लोकेश जी को हृदय से बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद।

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नमस्कार!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी धर्मेंद्र प्रधान जी, देशभर से हमारे साथ जुड़े राज्यपाल श्री, शिक्षा जगत के महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज विकसित भारत के संकल्पों को लेकर बहुत ही अहम दिन है। मैं सभी गवर्नर्स को विशेष बधाई दूंगा कि उन्होंने विकसित भारत के निर्माण से जुड़ी इस वर्कशॉप का आयोजन किया है। देश की युवा शक्ति को दिशा देने का दायित्व जिन साथियों पर है, उनको आप एक मंच पर लाए हैं। शिक्षण संस्थानों की भूमिका व्यक्ति निर्माण की होती है, और व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होता है। और आज जिस कालखंड में भारत है, उसमें व्यक्ति निर्माण का अभियान बहुत ज्यादा अहम हो गया है। मैं आप सभी को वॉयस ऑफ यूथ वर्कशॉप की सफलता के लिए अग्रिम शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

हर देश को इतिहास एक ऐसा कालखंड देता है, जब वो अपनी विकास यात्रा को कई गुना आगे बढ़ा लेता है। ये एक तरह से उस देश का अमृतकाल होता है। भारत के लिए ये अमृतकाल इसी समय आया है। ये भारत के इतिहास का वो कालखंड है, जब देश, एक क्वांटम जंप लगाने जा रहा है। हमारे इर्द- गिर्द ही ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने एक तय समय में ऐसा ही क्वांटम जंप लेकर खुद को विकसित बना लिया। इसलिए ही मैं कहता हूं, भारत के लिए भी यही समय है, सही समय है। हमें इस अमृतकाल के पल-पल का लाभ उठाना है, हमें एक भी पल गंवाना नहीं है।

साथियों,

हम सभी के सामने प्रेरणा के लिए, आजादी का हमारा लंबा संघर्ष भी है। जब हम एक ध्येय के साथ, एक जोश-एक जज्बे के साथ, आज़ादी को अंतिम लक्ष्य मानकर मैदान में उतरे, तब हमें सफलता मिली। इस दौरान, सत्याग्रह हो, क्रांति का रास्ता हो, स्वदेशी को लेकर जागरूकता हो, सामाजिक और शैक्षणिक सुधार की चेतना हो, ये सारी धाराएं एक साथ मिलकर आज़ादी के आंदोलन की ताकत बन गईं थीं। इसी कालखंड में काशी हिंदू विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, विश्वभारती, गुजरात विद्यापीठ, नागपुर यूनिवर्सिटी, अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, आंध्र यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ केरल, ऐसे अनेक संस्थानों ने देश की चेतना को सशक्त किया। यही वो कालखंड था, जब हर धारा में युवाओं के भीतर आज़ादी को लेकर नई चेतना का संचार हुआ। आज़ादी के लिए समर्पित एक पूरी युवा पीढ़ी खड़ी हो गई। एक ऐसा विचार देश में बन गया कि जो भी करना है, वो आज़ादी के लिए करना है और अभी करना है। कोई चरखा कातता था, तो वो भी आजादी के लिए। कोई विदेशी सामान का बहिष्कार करता था, वो भी आज़ादी के लिए। कोई काव्य पाठ करता था, वो भी आज़ादी के लिए। कोई किताब या अखबार में लिखता था, वो भी आज़ादी के लिए। कोई अखबार के पर्चे बांटता था, तो वो भी आज़ादी के लिए। ठीक इसी तरह, आज हर व्यक्ति, हर संस्था, हर संगठन को इस प्रण के साथ आगे बढ़ना है कि मैं जो कुछ भी करूंगा वो विकसित भारत के लिए होना चाहिए। आपके लक्ष्य, आपके संकल्पों का ध्येय एक ही होना चाहिए- विकसित भारत। एक शिक्षक के तौर पर आप ये सोचें कि ऐसा क्या करेंगे कि विकसित भारत के लक्ष्य में देश की मदद हो? एक विश्वविद्यालय के तौर पर आप ये सोचें कि ऐसा क्या करें कि भारत तेजी से विकसित बने? आप जिस क्षेत्र में हैं, वहां ऐसा क्या हो, किस तरह हो कि भारत विकसित बनने के अपने मार्ग में तेजी से आगे बढ़े?

साथियों,

आप जिन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को रिप्रेजेंट करते हैं, वहां आपको देश की युवा ऊर्जा को इस एक लक्ष्य के लिए चैनलाइज़ करना है। आपके संस्थानों में आने वाला हर युवा, कुछ न कुछ विशेषताओं के साथ आता है। उसके विचारों को, चाहे वो कितने भी विविध क्यों न हो, उन सबको विकसित भारत के निर्माण की धारा से जोड़ना है। मैं चाहूंगा कि आप सभी Viksit Bharat@2047 के विजन में कंट्रीब्यूट करने के लिए अपने दायरे से बाहर जाकर भी सोचें, out of box सोचें। देश के हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अधिक से अधिक युवा इस अभियान में शामिल हो सकें, इसके लिए भी आपको विशेष अभियान चलाना चाहिए, नेतृत्व करना चाहिए, सरल भाषा में चीजों को व्यक्त करना चाहिए। आज ही MyGov के अंदर Viksit Bharat@2047 section लॉन्च हुआ है। इसमें विकसित भारत के विजन के लिए Ideas का एक सेक्शन है। और क्योंकि Idea की शुरुआत ही ‘I’ से होती है, इसलिए इसमें ऐसे Ideas चाहिए, जिसमें वर्णन हो कि मैं स्वयं भी क्या कर सकता हूं। और आइडिया में जैसे ‘I’ सबसे पहले है, इंडिया में भी ‘I’ सबसे पहले है। यानि हमें अगर सफलता पानी है, लक्ष्यों की प्राप्ति करनी है, उचित परिणाम लाना है तो स्वयं के ‘I’ से ही शुरू होता है। इस MyGov पर इस online ideas के portal पर 5 अलग-अलग थीम्स पर सुझाव दिए जा सकते हैं। सबसे बेहतरीन 10 सुझावों के लिए पुरस्कार की भी व्यवस्था की गई है।

साथियों,

जब मैं सुझावों की बात करता हूं, तो आपके सामने खुला आसमान है। हमें देश में एक ऐसी अमृतपीढ़ी को तैयार करना है, जो आने वाले वर्षों में देश की कर्णधार बनेगी, जो देश को नेतृत्व और दिशा देगी। हमें देश के एक ऐसी नौजवान पौध को तैयार करना है, जो देशहित को सर्वोपरि रखे, जो अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखे। हमें सिर्फ शिक्षा और कौशल तक ही सीमित नहीं रहना है। एक नागरिक के तौर पर चौबीसों घंटे देश के नागरिक कैसे सजग रहें, इस दिशा में भी प्रयास बढ़ाने आवश्यक हैं। हमें समाज में वो चेतना लानी है, कैमरे लगे हों या ना लगे हों, लोग ट्रैफिक की रेड लाइट जंप ना करें। लोगों में कर्तव्यबोध इतना ज्यादा हो कि वो समय पर दफ्तर पहुंचें, अपने दायित्वों को निभाने के लिए आगे बढ़कर काम करें। हमारे यहां जो भी प्रॉडक्ट बने, उसकी क्वालिटी इतनी बेहतर हो कि मेड इन इंडिया देखकर, लेने वाले का गर्व और बढ़ जाए। जब देश का हर नागरिक, जिस भी भूमिका में है, जब वो अपने कर्तव्यों को निभाने लगेगा, तो देश भी आगे बढ़ चलेगा। अब जैसे प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल से जुड़ा विषय है। जब जल संरक्षण को लेकर गंभीरता बढ़ेगी, जब बिजली बचाने को लेकर गंभीरता बढ़ेगी, जब धरती मां को बचाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल कम होगा, जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के प्रति गंभीरता होगी, तो समाज पर, देश पर, हर क्षेत्र में बहुत ज्यादा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मैं ऐसे कितने ही उदाहरण आपको गिना सकता हूं।

आप भी मानेंगे कि ये छोटी-छोटी बातें हैं। लेकिन इनका impact बहुत बड़ा होता है। स्वच्छता के जनआंदोलन को नई ऊर्जा कैसे दी जाए, इसके लिए भी आपके सुझाव अहम होंगे। हमारे युवा कैसे आधुनिक लाइफस्टाइल के साइडइफेक्ट्स का मुकाबला करें, इसके लिए आपके सुझाव अहम होंगे। मोबाइल की दुनिया के अलावा हमारे युवा बाहर की दुनिया भी देखें, ये भी उतना ही जरूरी है। एक शिक्षक के तौर पर आपको ऐसे कितने ही विचारों की Seeding वर्तमान और अगली पीढ़ी में करनी है। और आपको खुद भी अपने विद्यार्थियों का रोल मॉडल बनना है। देश के नागरिक जब देश के हित की सोचेंगे, तभी एक सशक्त समाज का निर्माण होगा। औऱ आप भी जानते हैं कि जिस तरह समाज का मानस होता है, वैसी ही झलक हमें शासन-प्रशासन में भी नजर आती है। मैं अगर शिक्षा के क्षेत्र की बात करुं, तो उससे जुड़े भी कितने ही विषय हैं। तीन-चार साल के कोर्स के बाद हमारे शिक्षण संस्थान प्रमाण पत्र देते हैं, डिग्रियां देते हैं। लेकिन क्या हमें ये सुनिश्चित नहीं करना चाहिए कि हर छात्र के पास कोई न कोई स्किल अनिवार्य रूप से हो? ऐसी चर्चाएं, इससे जुड़े सुझाव ही विकसित भारत की यात्रा का मार्ग स्पष्ट करेंगे। इसलिए आपको अपने हर कैंपस, हर संस्थान और राज्य के स्तर पर इन विषयों पर मंथन की एक व्यापक प्रक्रिया के रूप में आगे बढ़ना चाहिए।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण का ये अमृतकाल वैसा ही है, वैसा ही समय है, जैसे हम अक्सर परीक्षाओं के दिनों में देखते हैं। विद्यार्थी अपने परीक्षा के प्रदर्शन को लेकर बहुत आत्मविश्वासी होते हैं, लेकिन फिर भी अंतिम समय तक वो कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ता है। हर विद्यार्थी अपना सब कुछ झोंक देता है, समय का पल-पल एक ही ध्येय से जोड़ देता है। और जब परीक्षा की तारीखें आ जाती हैं, डेट डिक्लेयर हो जाती है, तो ऐसा लगता है कि पूरे परिवार की परीक्षा की तारीख आ गई है। सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार ही एक अनुशासन के दायरे में हर काम करता है। हमारे लिए भी देश के नागरिक के तौर पर परीक्षा की डेट डिक्लेयर हो चुकी है। हमारे सामने 25 साल का अमृतकाल है। हमें चौबीसों घंटे, इसी अमृतकाल और विकसित भारत के लक्ष्यों के लिए काम करना है। यही वातावरण हमें एक परिवार के रूप में बनाना ये हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है।

साथियों,

आज दुनिया की आबादी तेज़ी से बुज़ुर्ग हो रही है औऱ भारत युवाशक्ति से सशक्त है। एक्सपर्ट बताते हैं कि आने वाले 25-30 वर्षों तक वर्किंग एज पॉपुलेशन के मामले में भारत सबसे अग्रणी रहने वाला है। इसलिए भारत के युवाओं पर पूरी दुनिया की नज़र है। युवाशक्ति, एजेंट ऑफ चैंज भी है और बेनिफिशरीज़ ऑफ चैंज भी है। आज जो युवा साथी, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ में हैं, उनके करियर को भी यही 25 साल तय करने वाले हैं। यही युवा नए परिवार बनाने वाले हैं, नया समाज बनाने वाले हैं। इसलिए ये तय करना कि विकसित भारत कैसा हो, ये हक भी सबसे अधिक हमारी युवा शक्ति को ही है। इसी भाव के साथ सरकार, देश के हर युवा को विकसित भारत के एक्शन प्लान से जोड़ना चाहती है। देश के युवाओं की आवाज़ को विकसित भारत के निर्माण की नीति-रणनीति में ढालना चाहती है। युवाओं के साथ आप सबसे ज्यादा संपर्क में रहते हैं, इसलिए इसमें आप सभी साथियों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है।

साथियों,

हमें प्रगति के जिस रोडमैप पर चलना है, वो सिर्फ सरकार तय नहीं करेगी, उसे देश तय करेगा। देश के हर नागरिक का इनपुट उसमें होगा, सक्रिय भागीदारी उसमें होगी। सबका प्रयास यानि जन भागीदारी, एक ऐसा मंत्र ,है जिस से बड़े से बड़े संकल्प सिद्ध होते हैं। स्वच्छ भारत अभियान हो, डिजिटल इंडिया अभियान हो, कोरोना से मुकाबला हो, वोकल फॉर लोकल होने की बात हो, हम सभी ने सबका प्रयास की ताकत देखी है। सबका प्रयास, से ही विकसित भारत का निर्माण होना है। आप सभी विद्वत जन, स्वयं भी देश के विकास के विजन को शेप करने वाले लोग हैं, युवा शक्ति को चैनलाइज़ करने वाले लोग हैं। इसलिए आपसे अपेक्षाएं कहीं अधिक हैं। ये देश का भविष्य लिखने का एक महाअभियान है। आपका हर सुझाव, विकसित भारत की इमारत की भव्यता को और निखारेगा। एक बार फिर आप सभी को आज के इस वर्कशाप की तो शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन आज से जो आंदोलन शुभारंभ हो रहा है, और मेरा पक्का विश्वास है कि 2047 तक हम विकसित भारत बना सकते हैं, मिलकर के बना सकते हैं। आज यात्रा का आरंभ हो रहा है, नेतृत्व शिक्षाविदों के हाथ में है, नेतृत्व विद्यार्थियों के हाथ में है, नेतृत्व शिक्षण जगत के इंस्टीट्यूशन्स के हाथ में है, और ये अपने आप में देश बनाने वाली और स्वयं को भी बनाने वाली पीढ़ी का कालखंड है। उन सबके लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं है। धन्यवाद!