उपस्थित सभी महानुभाव,

मैं विदेश विभाग को बधाई देता हूं कि उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रम की रचना की। वैश्विक संबंध अब सिर्फ एक ट्रैक पर नहीं होते हैं। वैश्विक संबंध में धीरे धीरे Soft Power मुख्य धारा बन गया है और Soft Power के द्वारा ही वैश्विक संबंधों को उर्जा मिलती है, ताकत मिलती है। भारत में भी अपने वैश्विक संबंधों को diplomatic जो चैनल हैं, उसके सिवाय, जो हमें विरासत में मिली हुई शक्ति है, उसका भी भरपूर उपयोग करना चाहिए। ये संबंध बहुत लंबे अर्से तक परिणामकारी होते हैं।

विश्व में जहां जहां भगवान बुद्ध की presence है, सामूहिक रूप से वे देश हमसे जुड़े रहें तो हमारी कितनी बड़ी ताकत बन सकती है। विश्व में जहां जहां राम और रामायण से संपर्क रहा है, जो लोग गर्व करते हैं, उसी एक तंतु के साथ जोड़ करके आज उसको अगर संबंधों को विकसित किया जाए, तो संबंध अपनेपन वाले बन जाते हैं। वे Diplomatic Relation से भी अधिक ताकतवर बन जाते हैं, एक next level उसका प्राप्त होता है। उस अर्थ में यह प्रयास वैश्विक संबंधों को और अधिक गहरे करने के लिए, वैश्विक संबंधों को और अधिक व्यापक करने के लिए और वैश्विक संबंधों में एक अपनेपन के commitment के element को जोड़ने के लिए बहुत ही उपकारक होंगे, ऐसा मैं मानता हूं। इसको हमें अलग अलग तरीके से बढ़ाना भी चाहिए। ये जो पहलू है, उसमें भारत की एक विशिष्ट शक्ति है, उसकी भी दुनिया को पहचान होती है, कि हमारे पास विश्व को देने के लिए क्या कुछ नहीं है।

जब रामायण सीरियल चलता था, हमें मालूम है, हमारे देश में कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता था। कोई कल्पना कर सकता है क्या! कि 20वीं सदी उतरार्ध में देश की युवा पीढ़ी को भी रामायण इतना आकर्षित कर सकती है..और सहस्रों वर्ष से न उसको समय की सीमा रही, न उसे भौगोलिक सीमा रही। दुनिया के कितने भूभाग में ये बात पहुंची और जहां पहुंची वहां अपनापन बना लिया। ..और वो समय था, जैसा सुषमा जी ने कहा संबंधों का रूप क्या हो..जब वो रामायण सीरियल चलता था तो घर में भी, परिवार में संबोधित करने की स्टाइल बदलने लगी थी। भाईश्री, तातश्री, मातृश्री, ऐसे ही बालक भी घर में बोलने लगे थे, मनोरंजन के लिए करते होंगे, लेकिन उसमें एक मेसेज था। एक नई, हमारे शास्त्रों की विरासत..संबधों और संबोधन की परंपरा क्या हो, लोग सीखने लगे थे। आज भी यहां की सांस्कृति विरासत कैसी है।

आज जब हम खबरें पढ़ते हैं, महिलाओं पर अत्याचार की, कितनी पीड़ा होती है, लेकिन रामायण का कालखंड ऐसा था कि एक नारी पर अत्याचार देखकर जटायु बलि चढ़ने के लिए तैयार हो गया। जटायु निशस्त्र था, लेकिन फिर भी, इतनी बड़ी शक्ति के साथ लड़ाई लड़ रहा था, एक नारी के सम्मान और गौरव के लिए। क्या जटायु हमारी प्रेरणा नहीं बन सकता है? अभय और निर्भय का संदेश जटायु से ज्यादा कौन दे सकता है? और इस अर्थ में कहें तो रामायण की बातें..जिन विषयों की उसमें चर्चा है, वो आज भी कितनी relevant है।

मैं देख रहा था, रामायण में कुछ बातें जो कही गई हैं..आज हम लोग infant mortality, स्वाइन फ्लू ये सब चर्चा करते हैं..माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर..रामराज्य की जो कल्पना की गई है तो रामायण में कहा गया है-

अपमृत्यु नहीं, कवनि ऊ पीरा। सब सुंदर, सब बिरूज सरीरा।।

मैं समझता हूं कि हेल्थ के लिए..इससे बड़ा हैल्थ सेक्टर के लिए कोई मेसेज नहीं हो सकता है। और कहा है- non dies prematurely, all were physically healthy and strong. अब से उस समय रामराज्य की कल्पना में हैल्थ सेक्टर के लिए कहा गया है।

सामाजिक संबंध कैसे होने चाहिएं। आज social harmony की चर्चा हो रही है। उस समय भी संदेश था –

सब नर करहि परस्पर प्रीति। चलहि स्वधर्म निरति श्रुतनीति।।

There is social harmony and environment of mutual trust and love among all; are fulfilling their Dharma, their responsibility.

आज जिन विषयों के साथ हम कभी कभार सोचते हैं कि भई हम कैसे रास्ते खोजें, रामराज्य की कल्पना में, रामायण की कल्पना में इन विषयों को बहुत अच्छे ढंग से कहा गया है.....नागरिक धर्म के लिए कहा गया है-

सब उदार सब परोउपकारी। विप्र चरण सेवक नर नारी।।

All are generous and giving, all men and women are in service of others.

मैं समझता हूं जिस रामराज्य की कल्पना में, जिस रामायण की चैपाईयों में आज भी हम हमारी समस्याओं के समाधान खोज सकते हैं। हमारे निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन के माध्यम से, हम समाज में किस प्रकार से काम कर सकते हैं, इसका संदेश-

बैर न कर कहु सन कोई। राम प्रताप विसमता खोई।।

By the grace of Ram all disparity, differences melt down and non engage in enmity.

हर विषय पर हमें वहां संदेश मिलता है। मैं मानता हूं कि ये जो पांच दिवस का उत्सव यहां होने वाला है, विश्व के अलग अलग देशों में कालक्रम से अलग अलग वो परंपरा विकसित हुई है। मनोरंजन के साथ संस्कार की भी इसमें प्रक्रिया है। हमारी महान विरासत के लिए गर्व करने की भी प्रक्रिया है।

ये अच्छा है....मेरी एक सोच रही है कि विदेश विभाग, ये दिल्ली से जुड़ गया तो दुनिया जुड़ गई, ये सोच बदलनी होगी। ये देश बहुत बड़ा विशाल है। हिंदुस्तान हर एक राज्य का भी एक वैश्विक परिवेश व उसका एक स्थान होना चाहिए, पहचान होनी चाहिए। इस कार्यक्रम को कई नगरों में ले जाया जा रहा है। वो एक शुभ शुरूआत है। ये दुनिया हमारे देश के अलग अलग कोने को भी जाने। हमारी अलग अलग परंपराओं को भी जानें। हमारे अलग अलग जगहों पर रहने वाले लोग दिल्ली के बाहर भी दुनिया को जानने समझने का प्रयास करें। एक विशाल भारत का रूप विश्व के साथ जुड़ता रहे, उसका भी प्रयास है।

मैं फिर एक बार विदेश विभाग को और लोकेश जी को हृदय से बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद।

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कांग्रेस अब ‘एमएमसी’ - मुस्लिम लीग माओवादी कांग्रेस में बदल गई है: सूरत हवाई अड्डे पर पीएम मोदी
November 15, 2025
बिहार ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है और अगर हम बिहार के लोगों से मिले बिना सूरत से विदा लेते, तो हमारी यात्रा अधूरी लगती: पीएम मोदी
कांग्रेस अब MMC; मुस्लिम लीगी-माओवादी कांग्रेस बन गई है: सूरत एयरपोर्ट पर पीएम मोदी
कांग्रेस पिछले 6 चुनाव में भी उतने विधायक नहीं जिता पाई, जितने हमारे सिर्फ एक राज्य में जीत गए हैं: बिहार चुनावों में NDA की जीत पर पीएम मोदी
बिहार विधानसभा चुनाव में विजयी NDA गठबंधन और पराजित महागठबंधन के बीच 10% वोटों का अंतर है: पीएम मोदी

भारत माता की, भारत माता की।

बिहार का ऐतिहासिक विजय हुआ हो और अगर हम सूरत से आगे जा रहे हों और बिहार के लोगों को मिले बिना जाएं तो लगता है यात्रा अधूरी रह गई। और इसलिए गुजरात में रहने वाले और खास करके सूरत में रहने वाले मेरे बिहारी भाइयों का हक बनता है और इसलिए मेरी स्वाभाविक जिम्मेवारी भी बनती है कि आप लोगों के बीच आकर के इस विजयोत्सव की कुछ पल का मैं भी हिस्सा बनूं। अचानक कार्यक्रम बन गया। मैं सुबह जा रहा था डेडियापाड़ा तो यहां के हमारे साथियों ने मुझे कहा कि बिहार के लोगों की इच्छा है अगर आप 5-10 मिनट बाहर आ जाएं तो लोग आ जाएंगे। और मैं देख रहा हूं दूर-दूर तक काफी मात्रा में लोग बाहर भी दिखते हैं।

साथियों,
आप भी जानते हैं बिहार के लोग भी जानते हैं। हम वो पार्टी हैं जब हम गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में आपने मुझे काम दिया था। तब भी हमारा एक मंत्र था कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। हमारी मूलभूत सोच रही है यह हमारा देश, नेशन फर्स्ट। और इसलिए काम भले गुजरात में करते थे, काम भले गुजरात की जिम्मेवारी को निभाने का था, लेकिन गुजरात का विकास भी भारत के विकास के लिए। यही मंत्र हमारे लिए हिंदुस्तान का हर कोना, हिंदुस्तान का हर राज्य, हिंदुस्तान का हर भाषा-भाषी नागरिक यह हमारे लिए पूजनीय है, वंदनीय है। और इसलिए बिहार का भी गौरव करना, बिहार के सामर्थ्य का स्वीकार करना। यह हमारे लिए बहुत सहज बात है। और मैं सूरत के मीडिया के लोगों को कहूंगा कि वे लोग थोड़ा रिसर्च करेंगे तो उनके अखबारों में एक चीज छपी हुई है। जब बिहार के 100 साल हुए तो बिहार में तो उसका जश्न होना बहुत स्वाभाविक था। लेकिन बिहार के बाहर हमने गुजरात में बिहार के 100 साल आन-बान-शान के साथ मनाए थे। इतना ही नहीं हमने बिहार के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में, जिन्होंने प्रगति की थी, जिन्होंने बिहार की विकास यात्रा में योगदान किया था। ऐसे भिन्न-भिन्न क्षेत्र के 100 लोगों को सूरत में बुला के उनका सार्वजनिक सम्मान किया था। क्योंकि बिहार की वह टैलेंट, बिहार का वह सामर्थ्य, उसकी ताकत हम भली-भांति पहले से जानते रहे हैं।

साथियों,
यह चुनाव सूरत में रहने वाले बिहार के मेरे भाई बहनों की तो पल-पल की नजर थी। और मैंने देखा है कि बिहार के लोगों को राजनीति समझानी नहीं पड़ती है। वह दुनिया को राजनीति समझाने की ताकत रखते हैं। देखिए इस चुनाव में एनडीए गठबंधन जो विजय हुआ है। और महागठबंधन जो पराजित हुआ है, उस दोनों के बीच में 10 प्रतिशत जितने वोट का फर्क है। 10 प्रतिशत। यह बहुत बड़ी बात है जी। यानी सामान्य मतदाता ने एकतरफ़ा और मुद्दा क्या विकास। आज बिहार के अंदर विकास के प्रति जो ललक है हर जगह पर महसूस होती थी। और मैंने देखा था जब कोविड के समय देशभर से हमारे श्रमिक भाई-बहन मुसीबत में थे। लॉकडाउन था। पैदल चल-चल के अपने वतन की ओर जा रहे थे। ट्रेन में लोगों को ले जाना यह भी चिंता का विषय था। कहीं फैल ना जाए। लेकिन मुझे एक बार वीडियो कॉन्फ्रेंस से बिहार के लोगों से बात करने का मौका मिला। और जो उन्होंने मुझे बताया वो बड़ा मेरे लिए सुखद था। वे पैदल गए थे। कई लंबे-लंबे समय तक पैदल चले। व्हीकल मिला, फिर पैदल गए। कुछ लोगों ने वहां जाकर के इस समय का उपयोग करके कोई न कोई व्यवसाय शुरू किया। और जब मेरी उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात हुई तो मैं हैरान था कि इतने कम समय में उन्होंने इतनी प्रगति कर दी थी। तो उन्होंने कहा कोविड हमारे लिए तो आशीर्वाद बन गया। बोले अब हम तो किसी राज्य में वापस नहीं जाएंगे। हम तो यही रहेंगे। यह बिहार के लोगों की ताकत है। और वही बिहार आज दुनियाभर में छाया हुआ है। दुनिया में कहीं जाइए। बिहार की टैलेंट आपको नजर आएगी। और ऐसा बिहार अब विकास में नई ऊंचाई को प्राप्त करने का मिजाज दिखा रहा है। इस चुनाव में उस मिजाज के दर्शन हुए हैं। बिहार की माताएं-बहनें और बिहार के नौजवान। महिला-युवा एक ऐसा माय कॉम्बिनेशन बना है जिसने आने वाले अनेक दशकों की राजनीति का नींव मजबूत कर दी है दोस्तों। और जो राजनीति के लोग हैं, जो राजनीति पर विवेचना करते हैं उनको कई महीने लगने वाले हैं बिहार के चुनाव नतीजों का क्या-क्या प्रभाव होने वाला है इसका एनालिसिस करने में। और मैं साफ मानता हूं। हिंदुस्तान की राजनीति में, इस चुनाव में आपने देखा होगा। पिछले दो साल से बिहार में ये जमानती नेता, जो जमानत पर घूम रहे हैं, वे बिहार में जा जाकर के जातिवाद जातिवाद का भाषण देते रहते थे। और उनसे जितनी ताकत थी उन्होंने जातिवाद का जहर फैलाने की कोशिश की थी। और पुराने जमाने से उनको लगता था शायद इससे उनका खेल हो जाएगा। बिहार के इस चुनाव ने जातिवाद के उस जहर को पूरी तरह नकार दिया है। यह देश के लिए बहुत ही उज्जवल संकेत है। बिहार के अंदर सार्वजनिक कार्यक्रमों में गैरकानूनी तरीके से जमीन कब्जा करके, मकानों को कब्जा करके जो वक्फ बना दिया जाता था। हमने देखा था तमिलनाडु में हजार साल पुराने गांव के गांव वक्फ प्रॉपर्टी बना दिए गए थे। देशभर में चिंता बन पड़ी थी। तब जाकर के हमने पार्लियामेंट में कानून पास किया वक्फ को लेकर के। बिहार के इस चुनाव में ये जमानती नामदार, उनके साथी दल सार्वजनिक रूप से वक्फ कानून को फाड़ देते थे और ये कहते थे कि हम जीत करके आएंगे, वक्फ कानून को लागू नहीं होने देंगे। बिहार के लोगों ने इस सांप्रदायिक जहर को भी विकास की राह पर चलते हुए पूरी तरह नकार दिया है।

साथियों,
वहां पर बिहार के वरिष्ठ नेता आपने पिछले दो तीन साल के बिहार विधानसभा के दृश्य देखे होंगे। जिस प्रकार से नीतीश कुमार को अपमानित करने की फैशन बन गई थी। ऐसे भद्दे शब्दों का उपयोग होता था। जो पार्लियामेंट में भी जो दूसरे नामदार हैं वो भी पार्लियामेंट की सारी मर्यादाएं तोड़ के जिस प्रकार की भद्दी हरकतें करते हैं, वैसी पटना में होती थी। ना देश की जनता इसे स्वीकार करती है। और ना ही बिहार की जनता कतई इसको स्वीकार कर सकती है। ऐसी कई बातें हैं जिन्होंने इनके प्रति पूरी तरह नफरत का माहौल इस चुनाव में नजर आ रहा था। साथियों, समाज के सब वर्ग ने, बिहार के सभी क्षेत्र ने एनडीए को, एनडीए के साथी दलों को अभूतपूर्व समर्थन दिया है। अगर मैं जहां दलित समुदाय के प्रभाव वाले क्षेत्र वाली सीटें 38 सीटें, उनमें 34 सीटें एनडीए जीत गया। ये इतना बड़ा झूठ फैलाते थे। दलित समाज ने उनको ठुकरा दिया।

साथियों,
देश ये मुस्लिम लीगी माओवादी कांग्रेस को, एमएमसी, मुस्लिम लीग माओवादी कांग्रेस देश तो अस्वीकार कर चुकी है। कांग्रेस पार्टी में जो राष्ट्रीय विचारों से पले-बढ़े लोग हैं। जिन्होंने कभी इंदिरा जी और राजीव गांधी जैसे लोगों के नेतृत्व में काम किया है। ऐसे कांग्रेस का बहुत बड़ा वर्ग ये नामदार की हरकतों से आज दुखी है। वह कहते हैं कांग्रेस को कोई बचा नहीं सकता है। ये हालत हो गई है। एक दो दशक में 50-60 साल तक एकछत्र राज करने वाले लोग इस प्रकार से खत्म हो जाएं, ये साफ-साफ उनके लिए आत्मनिरीक्षण का विषय है। वे अपने साथियों को भी पराजय के कारण नहीं समझा पा रहे। वे अपनी पार्टी को भी पराजय के कारण समझा नहीं पा रहे हैं और इसलिए सरल रास्ता ढूंढ लिया है। कभी ईवीएम हरा देता है, कभी इलेक्शन कमीशन हरा देता है, कभी मतदाता सूची का शुद्धिकरण हरा देता है। एक ऐसी बहानेबाजी उन्होंने खोज ली है। वो बहानेबाजी खुद को तो शायद कुछ दिन ठीक रखेगी। लंबे अरसे तक उनके कैडर को स्वीकार्य नहीं होगा। मुझे मालूम है पार्लियामेंट में जब युवा कांग्रेस के सांसद मिलते हैं जो फर्स्ट टाइम कांग्रेस के सांसद हैं या उनके इंडिया अलायंस के सांसद है वो मिलते हैं वो कहते हैं साहब क्या करें? हमारी तो कैरियर खत्म हो रही है। मैंने कहा क्या हुआ? बोले हमें संसद में बोलने का अवसर ही नहीं मिल रहा है। हर बार संसद को ताला लगा दो। यही करते रहते हैं। वह अपने क्षेत्र में जवाब नहीं दे पा रहे हैं। वह कह रहे अगर हम हमारे क्षेत्र के विषयों को संसद में नहीं उठाएंगे तो दोबारा हमें कौन भेजेगा? पूरा युवा वर्ग कांग्रेस का जो पहली बार पार्लियामेंट में आया है वे अपने भविष्य को लेकर के चिंतित हो गया है।

साथियों,
ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है। हमें विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना है। हमें विकसित भारत के संकल्प को पूरा करके रहना है दोस्तों। मैं जानता हूं स्वदेशी उनके मुंह से नहीं निकलता है। आत्मनिर्भर भारत उनके मुंह से नहीं निकलता है। विकसित भारत बनना चाहिए वो नहीं निकलता है। क्योंकि उनकी प्राथमिकता ही यह देश नहीं है। ये देश के लोग नहीं है। यह देश के लोगों का भविष्य नहीं है। मैं नौजवान साथियों को कहना चाहता हूं, जिनकी सोच युवाओं के उत्कर्ष के लिए नहीं हो सकती है, उनको युवा कभी स्वीकार नहीं कर सकता है। और इसलिए साथियों बिहार के चुनाव नतीजे हिंदुस्तान की राजनीति के अत्यंत महत्वपूर्ण नतीजे हैं। और मैंने कल भी कहा था कि लोकसभा के चुनाव के बाद जितने राज्यों में चुनाव हुए सब जगह पर उनकी हालत खराब है। पांच या छह राज्यों में चुनाव हुए उन सबके कुल मिला के कांग्रेस को जो एमएलए मिले हैं उससे ज्यादा कल हमें अकेले बिहार में मिले। ये हाल है। लेकिन साथियों हर विजय हमारे लिए जिम्मेवारी लेकर के आता है। हर विजय हमें कुछ ज्यादा देश के लिए करने की प्रेरणा देता है। हर विजय जन सामान्य के साथ जुड़ने की हमें प्रेरणा देता है। इस मंत्र को लेकर के हमें चलना है। आज जनजातीय गौरव दिवस है। भगवान बरसा मुंडा की 150 वर्ष हुए हैं। आज उनकी जन्म जयंती है। हम सबके लिए यह जनजातीय गौरव दिवस भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आज जो शानदार कार्यक्रम डेडियापाड़ा में मुझे करने का अवसर मिला। इस महत्वपूर्ण अवसर में उसको भागीदार होने का मुझे अवसर मिला। और अभी सूरत के लोगों के दर्शन करने का अवसर मिला। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मेरे साथ बोलिए भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम। वंदे मातरम।

बहुत-बहुत धन्यवाद।