Govt willing to walk the extra mile with the scientific community: PM Modi

Published By : Admin | January 2, 2020 | 18:25 IST
QuotePM Modi applauds DRDO scientists, says India’s missile programme is one of the outstanding programmes in the world
QuoteGovt willing to walk the extra mile with the scientific community so that it can invest time in emerging technologies and innovations for national security: PM
QuoteDRDO's innovations will play a huge role in strengthening Make in India and in promoting a vibrant defence sector in the country: PM

कर्नाटका के मुख्‍यमंत्री श्रीमान येदियुरप्पा जी, DRDO के चेयरमैन डॉ जी. सतीश रेड्डी जी, DRDO के अन्‍य शीर्ष अधिकारीगण, Apex Committees के Members! Young scientists के labs directors

साथियो, आप सभी को सबसे पहले नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। Happy New Year… ये संयोग ही है कि अब से कुछ समय पहले मैं किसानों के कार्यक्रम में था तुमकुर और अब यहां देश के जवान और अनुसंधान की चिंता करने वाले आप सभी साथियों के बीच में हूं। और कल मुझे साइंस कांग्रेस में जाना है। एक प्रकार से कर्नाटका का मेरा ये प्रवास और 2020 का ये मेरा पहला प्रवास, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान इसकी न्यू इंडिया की भावना को एक प्रकार से समर्पित है। और ये भी हम सबके लिए बहुत गौरव का विषय है कि ये आयोजन Aeronautical Development Establishment में हो रहा है, जहां हम सभी के श्रद्धेय डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम DRDO से जुड़े थे।

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साथियो, ये दशक न्यू इंडिया के रूप में तो महत्‍वपूर्ण है ही है। क्‍योंकि जब 2020 है तो वो एक नया साल नहीं पूरा दशक हमारे सामने आया है। और आने वाले वर्षों में भारत की ताकत क्‍या होगी, विश्‍व में हमारा स्‍थान कहां होगा। ये decade ये भी तय करने वाला है। ये वो दशक है जो पूरी तरह से युवा सपनों का है, हमारे युवा Innovators का है। विशेष तौर पर वो Innovators जो 21वीं सदी में या तो पैदा हुए हैं या फिर 21वीं सदी में युवा हुए हैं। जब मैंने आपसे आग्रह किया था कि DRDO को rethink और खुद को reshape करना चाहिए। 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए नई ऊर्जा के साथ काम करना चाहिए। तो इसके पीछे यही मेरी एक सोच थी कि इसका मतलब ये नहीं कि जो 36 का हो गया वो बेकार हो गया... इसके पीछे मेरी भूमिका यही है कि जो 60 साल, 50 साल, 55 साल इतनी तपस्‍या करके वहां पहुंचे हैं अगर उनके कंधे पर वो 35 से कम आयु वाले को बिठा देते हैं तो दुनिया को एक नए भारत के दर्शन होते हैं। ये जो पुराने लोग हैं उनकी मजबूती के बिना नए का ऊपर जाना संभव नहीं है। और इसलिए ये एक Combination बहुत आवश्‍यक है। और इस विचार के पीछे मेरा अपना भी एक अनुभव है। मैं राजनीतिक जीवन में बहुत देर से आया हूं और शुरू में मैं मेरा पार्टी का organization का काम देखता था। election or moment उन चीजों को करता था। तो मैं जब गुजरात में मैंने शुरुआत की और मेरे सामने पहला एक बड़ा चुनाव की जिम्‍मेवारी आई। मैं बिल्‍कुल नया था, और उस समय अखबारों ने इस चीज को बड़े विस्‍तार से लिखा था। क्योंकि उस समय करीब 90 लोग मेरे ऑफिस में, मेरी मैनेजमैंट में काम करते थे। पूरा चुनाव पूरे राज्‍य भर में लड़ा जाता था लेकिन ऑफिस मैनेजमैंट करीब 90 लोग थे। और Volunteer के रूप में आए थे वो 2-3 महीने के लिए काम करने वाले थे। लेकिन अखबार वालों ने ढूंढ कर निकाला था। ये जो 90 लोग हैं इस पूरी टीम की average age 23 है यानी 23 की average age ग्रुप से मैं चुनाव लड़ा था, और लड़वाया था और हम पहली बार विजयी हुए थे।युवा में restricting capacity बहुत होती है। आप कितने ही अच्‍छे कबड्डी के खिलाड़ी हो, कितने ही बढि़या लेकिन और जीवन में मानो 20 साल तक कबड्डी खेले हैं। National, International खेले हैं लेकिन 60-70 साल की आयु के बाद एक कबड्डी का खेल चल रहा है और आप वहां सिर्फ देखने के लिए गए हैं। क्‍योंकि पूरी जिंदगी कबड्डी खेलें हैं और कोई 18-20 साल का नौजवान जिस तेजी से मूवमेंट करता है, उठता है, पटकता है, तो आप बाहर बैठे मन में अरे-अरे गिर जाएगा, अरे-अरे चोट न लग जाए.... आप खुद भी तो कभी ये करके आए हैं। लेकिन अब वो देख नहीं पाते लगता है अरे-अरे कहीं गिर न जाए। ये साइको‍लॉजी काम करती होगी। ये युवा मन और अनुभवी मन के बीच में एक अंतर होता है। और इसलिए एक मनो‍वै‍ज्ञानिक परिवर्तन विश्‍व की चुनौतियों को स्‍वीकार करने के लिए DRDO में इन दोनों का combination कैसे हो। कभी-कभार एक बहुत बड़े वृक्ष के नीचे छोटा पौधा पनप नहीं पाता है। दोष बड़े वृक्ष का नहीं है। पौधे को भी रहता है कि इनके सामने मुझे ऐसा ही रहना चाहिए। किसी का दोष नहीं है। लेकिन अगर उसी पौधे को कहीं खुले में छोड़ दिया जाए तो देखते ही देखते वट वृक्ष भी गर्व करेगा वाह ये भी मेरे साथ पनप रहा है। इसी एक भूमिका को लेकर के इन पांच Labs से शुरू किया है। और मैं चाहता हूं कि वो गलतियां करे ये पांच Labs पूरा बजट उड़ा दे तो उडा दे एक बार। एक scientist पूरी अपनी जिंदगी तबाह कर देता है जी, तब देश को कुछ मिलता है। तो फिर खजाना क्‍या चीज होती है, आप तो अपनी जिंदगी लगा रहे हो तो सरकार को खजाना लगाने में क्‍या जाता है।

और मुझे संतोष है कि Advanced Technologies के क्षेत्र में 5 Labs स्थापित करने के सुझाव पर गंभीरता से काम हुआ और आज बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और मुंबई में 5 ऐसे संस्थान शुरु हो रहे हैं। और मुझे ये विश्‍वास है कि ये Young Scientist Labs युवा और वैज्ञानिकों के विचार और व्‍यवहार को नई उड़ान देगी। इसका मतलब ये हुआ कि अब ये पहचाना जाएगा कि DRDO-Y लेकिन बोलते समय लगेगा DRDO Why और मैं समझता हूं कि ये पांच लैब DRDO-Y को जवाब देने की ताकत रखते है ये मेरा विश्‍वास है। और हमने सबने मिल करके इसे बल देना है। इन Labs से मिलने वाले results Advanced Technologies के लिए हमारे राष्‍ट्रीय प्रयास का स्‍वरूप intensity का तय करेंगे। ये Labs, देश में उभरती हुई Technologies के क्षेत्र में, Research और Development के स्वरूप को तैयार करने में मदद करेंगी।

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और हां, अपने युवा वैज्ञानिक और मैं इन साथियों से जरूर कहना चाहूंगा कि ये Labs, सिर्फ टेक्नोलॉजी को टेस्ट नहीं करेंगी, वर्ना कभी-कभी तो लगता है ये टेक्नोलॉजी में 2 कदम गए 5 कदम गए मेरे हिसाब से ये सिर्फ टेक्नॉलॉजी को टेस्ट नहीं करेंगी। ये मेरे young scientist के टेंपरामेंट और पेशेंस को भी टेस्ट करने वाली हैं और यही सबसे बड़ा उसका पैरामीटर है।

आपको हमेशा ये ध्यान रखना होगा कि आपके प्रयास और निरंतर अभ्यास से ही भारत सफलता के रास्ते पर आगे ले जाएगा। सिर्फ Positivity or Purpose यही आपकी प्रेरणा के स्‍त्रोत होने चाहिए। आपको हमेशा ये ध्‍यान रखना है। कि 130 करोड़ की आबादी का जीवन सुरक्षित और आसान बनाने का जिम्‍मा आपके कंधे पर है।

साथियो आज का ये कार्यक्रम तो एक शुरुआत भर है। आपके सामने सिर्फ अगला एक साल नहीं, अगला एक दशक है। इस एक दशक में DRDO का मीडियम और लॉन्ग टर्म रोडमैप क्या हो, इस पर बहुत गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। और मैं एक और सुझाव देता हूं। ये पांच लैबस 35 और उसके नीचे की टीम है और जब इस टीम में 36 हो जाएंगे तो क्‍या होगा तो मैं उन लोगो को insurance देता हूं कि अब इस 5 लैब को 45 होने की भी छूट है और 55 होने की भी छूट है। आपको नई पांच 35 वाली बनानी होगी इसको 35 maintain नहीं करना है ये 35 वाला 40 होने दीजिए, ये 35 वाले को 45 होने दीजिए। अब नए पांच 35 वाले करिए। वे जब 35 cross करेगे तो फिर नए 35 वाले पांच कीजिए ये चेन चलती रहनी चाहिए। अगर ये चेन नहीं चलेगी तो यहां 32 वाला बैठा है वो सेाचेगा कि मेरे लिए यहां 3 साल है मैं क्‍या करूं फिर तो मेरा सारा सपना टूट जाएगा। इसलिए जिनको ये दिया है लैब तो जब तक वो न थक जाए तब तक उसके जिम्‍मे छोड़ दिजिए। वे पचास का हो जाए,पचपन का हो जाए साठ का हो जाए करने दीजिए। 5 नई लैब 35 वाली बना दीजिए। और ये पांच का क्रम चलता रहे। तब देखिए आप नयापन का एक क्षेत्र लगातार बनता चला जाएगा। और यही हमें ultimately फायदा करेगा। और सिर्फ हम विचार करने पर न रूके। तय समय के भीतर actionable point पर भी कार्यक्रम भी शुरू होना चाहिए।

मैं DRDO को उस ऊँचाई पर देखना चाहता हूं जहां वो न सिर्फ भारत के वैज्ञानिक संस्थानों की दिशा और दशा तय करे, बल्कि दुनिया के.... और मैं बहुत जिम्‍मेवारी के साथ कह रहा हूं। दुनिया के.... और अन्य बड़े संस्थानों के लिए भी DRDO और हमारी young lab प्रेरणास्रोत बन सकती है। मैं ऐसा क्‍यों कह रहा हूं इसकी ठोस वजह है..... वजह है DRDO का इतिहास, DRDO का प्रर्दशन, DRDO देश का भरोसा।

साथियो आज देश का बेहतरीन Scientific Mind DRDO में है। DRDO की उपलब्धिया अनंत है। अभी मैंने जो exhibition देखी है। जिसमे मौजूदा उपलब्धियों के साथ-साथ भविष्‍य के आपके प्‍लान और प्रोजेक्‍ट की भी जानकारी है। और मुझे इतनी सरल भाषा में आपके नौजवानों ने समझाया कि मुझे भी समझ आ गया कि हां ये तो मैं भी कर सकता हूं। वर्ना स्‍कूल तो नहीं समझ में आता था कुछ। आज आपने समझा दिया। आपने भारत के मिसाइल कार्यक्रम को दुनिया के सबसे उत्कृष्ट कार्यक्रमों में शामिल किया है। और बीता वर्ष तो स्पेस और एयर डिफेंस के क्षेत्र में भारत के सामर्थ्य को नई दिशा देने वाला रहा है। A set... A set के रूप में अत्‍याधुनिक स्‍पेज टेकनोलॉजी का सफल परीक्षण ये निश्चित रूप से 21वी सदी के भारत के capability को define करेगा।

आप सभी के प्रयासों से आज भारत उन बहुत कम देशों में से एक है जिनके पास aircrafts से लेकर के aircraft carrier तक सब कुछ बनाने की क्षमता है। लेकिन क्‍या सिर्फ इतना किया जाना काफी है। जी नहीं... साथियो और...... घर में भी देखा होगा जो बच्‍चा अच्‍छा काम करता है मां-बाप उसको ज्‍यादा परेशान करते हैं वो पांच करता है तो बोलते है सात करो। सात करता है तो बोलते हैं दस करो...... और जो नहीं करता है अरे छोड़ो..... वो करेगा नहीं वो..... उसे छोड़ देते हैं। तो आपकी मुसीबत है कि आपको लोग काम बताते ही रहेंगे।

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देखिए रामचरित्र मानस में एक बहुत बढि़या बात कही है। रामचरित्र मानस में कहा गया है

कवन जो काम कठिन जग माहीं।

जो नहिं होइ तात तुम्‍ह पाहीं।।

यानी इस धरती पर ऐसा कौन सा कार्य है आपसे हो नहीं सकता। तो सब कुछ हो सकता है आपके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है। जैसे जब रामचरित्र मानस जब बना तब उसे मालूम था कभी DRDO होगा। मैं DRDO के लिए भी यही दोहराना चाहता हूं। आपकी क्षमताएं असीम हैं आप बहुत कुछ कर सकते हैं। आपने दायरे का विस्‍तार करिए अपने Performance के Parameters को बदलिए, अपने पंख को पूरी क्षमता से खोलकर आसमान पर एकछत्र राज करने का हौसला तो दिखाइए। अवसर है और मैं आपके साथ हूं।

देश के प्रधानमंत्री के नाते मैं आपके सामने खड़ा होकर कह रहा हूं कि सरकार पूरी तरह आपके साथ, देश के वैज्ञानिकों के साथ, innovators के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलने के लिए आज हिंदुस्‍तान तैयार है। आप सभी इस बात से परिचित है कि आने वाले समय में Air और Sea के साथ-साथ Cyber और Space भी दुनिया के Strategic Dynamics को तय करने वाला है। इसके साथ-साथ Intelligent Machines भविष्‍य की रक्षा सुरक्षा के तंत्र में अहम भूमिका निभाने लायक है। ऐसे में भारत किसी से भी पीछे नहीं रह सकता। अपने नागरिकों, अपनी सीमाओं और अपने हितों की रक्षा के लिए भविष्य की तकनीक पर Investment भी ज़रूरी है और Innovation भी आवश्यक है।

मुझे विश्‍वास है कि न्‍यू इंडिया की आवश्यकताओं और आंकाक्षाओं को पूरा करने में आप कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे, और बल्कि मैं तो ये भी कहूंगा कि आपका विस्‍तार सिर्फ भारत के भीतर तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। DRDO जैसा संस्‍थान दुनिया में मानवता को बहुत कुछ दे सकता है। विश्‍व सुरक्षा में आप बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। आज दुनिया के बहुत से देश हैं जिन्‍हें सीमाओं पर हमले का खतरा नहीं है। अड़ोस-पड़ोस में सारे मित्र देश हैं। लेकिन ये देश भी जिन्‍होंने कभी नहीं सोचा था कि उनको बंदूक तो उठानी पड़ेगी। क्‍योंकि अड़ोस-पड़ोस कभी युद्ध का खतरा ही नहीं था। सीमाएं सुरक्षित थी, शांत थी, खुली थी, प्‍यार भरा माहौल था लेकिन वे देश भी आतंकवाद की चपेट में आ चुके हैं। उनको भी बंदूक उठानी पड़ी।

DRDO ऐसे देशों में भी आंतरिक सुरक्षा बढ़ाने में अपना योगदान दे सकता है। जिन छोटे-छोटे देश के लोगों से मैं मिलता हूं उनकी इतनी आवश्‍यकताएं बढ़ गई है। सीमित संसाधनों के बाद भी इन खतरों के लिए उनको कुछ-कुछ नया सोचना पड़ेगा। हम ऐसे छोटे-छोटे लोगों का हाथ पकड़ करके उनको सुरक्षा की गांरटी दे सकते हैं। ये मानवता का काम होगा। और आपके द्वारा किया गया ऐसा हर कार्य मानवता की बहुत बड़ी सेवा होगा और विश्‍व मंच पर भारत की भूमिका को भी और मजबूत करेगा।

साथियो, Defence Manufacturing के क्षेत्र में, भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए DRDO को नए Innovations के साथ सामने आना होगा। देश में एक Vibrant Defense Sector को बढ़ावा देने में, मेक इन इंडिया को मजबूत करने में DRDO के Innovations की बहुत बड़ी भूमिका है। और इसलिए हमारा ये निरंतर प्रयास होना चाहिए कि design से लेकर development तक हम पूरी तरह से आत्‍मनिर्भर बनें। हमें ऐसा Ecosystem विकसित करना होगा जहां integration और innovation पर संपूर्ण ध्‍यान हो।

साथियो, आज भारत डिफेंस के क्षेत्र में नए-नए रिफॉर्म्‍स की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनिया में जितनी तेजी से स्थितियां बदल रही हैं। टेक्‍नोलॉजी निरंतर हावी हो रही है। भारत सिर्फ पुरानी व्‍यवस्‍थाओं के भरोसे नहीं रह सकता। मैं 19वीं सदी की व्‍यवस्‍थाओं से 21वीं सदी पार नहीं कर सकता अभी इसी हफ्ते अभी इसी हफ्ते, सरकार द्वारा चीफ ऑफ डिफेंस स्‍टाफ की भी नियुक्ति की गई है। ये सीडीएस अपने आप में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है। उसका सीधा संबंध DRDO से जाने वाला है। बरसों पहले इस बात की जरूरत महसूस की गई थी कि भारत में तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल के लिए, ज्‍वाइंटनेस और सिनर्जी के लिए इस तरह का पद होना चाहिए, व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। ये पद, हमारी सरकार का देश के प्रति कमिटमेंट था, जिसे हमने पूरा किया है।

साथियों, हमें परिवर्तन के इस दौर के साथ खुद को निरंतर मजबूत करते रहना है। यही देश की हमसे अपेक्षा है और Young Scientists Labs की स्‍थापना के पीछे भी यही विजन है। आज भविष्‍य के Technological Challenges से तो निपटेंगे ही, DRDO के वर्किंग कल्‍चर में भी नई ऊर्जा का संचार करेंगे, इसी कामना के साथ, आप सभी को एक बार फिर मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई।

आपको और आपके परिवार को फिर एक बार नए वर्ष की मंगलकामना।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन यादव जी, टेक्नोलॉजी के माध्यम से हमारे साथ जुड़े हुए केंद्रीय मंत्री, इंदौर से तोखन साहू जी, दतिया से राम मोहन नायडू जी, सतना से मुरलीधर मोहोल जी, यहां मंच पर उपस्थित राज्य के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा जी, राजेंद्र शुक्ला जी, लोकसभा में मेरे साथी वी डी शर्मा जी, अन्य मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण और विशाल संख्या में आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं। आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमें आशीर्वाद देने आई हैं। मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं।

भाइयों और बहनों,

आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी की तीन सौवीं जन्म जयंती है।140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है, राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे भागीरथ प्रयासों में अपना योगदान देने का है। देवी अहिल्याबाई कहती थीं, कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। आज का कार्यक्रम, उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है। दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। ये सभी प्रोजेक्ट मध्य प्रदेश में सुविधाएं बढ़ाएंगे, विकास को गति देंगे और रोजगार के अनेक नए अवसर बनाएंगे। मैं आज इस पवित्र दिवस पर विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मध्य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,

लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर, ये नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है। उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं, कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है, तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है। ढाई-तीन सौ साल पहले, जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना, कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है, करना आसान नहीं था।

साथियों,

लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जन सेवा, इसे कभी अलग नहीं माना। कहते हैं, वे हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व कांटों से भरा ताज, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा वो काम, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी। उन्होंने गरीब से गरीब को समर्थ बनाने के लिए काम किया। देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया, उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया। औऱ ये मेरा सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया है। आज अगर आप काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएंगे, तो वहां आपको देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी वहाँ पर मिलेगी।

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साथियों,

माता अहिल्याबाई ने गवर्नेंस का एक ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितों को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी गई। रोजगार के लिए, उद्यम बढ़ाने के लिए उन्होंने अनेक योजनाओं को शुरू किया। उन्होंने कृषि और वन-उपज आधारित कुटीर उद्योग और हस्तकला को प्रोत्साहित किया। खेती को बढ़ावा देने के लिए, छोटी-छोटी नहरों की जाल बिछाई, उसे विकसित किया, उस जमाने में आप सोचिए 300 साल पहले। जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने कितने ही तालाब बनवाए और आज तो हम लोग भी लगातार कह रहे हैं, catch the rain, बारिश के एक एक बूंद पानी को बचाओ। देवी अहिल्या जी ने ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमें ये काम बताया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने कपास और मसालों की खेती को प्रोत्साहित किया। आज ढाई सौ-तीन सौ साल के बाद भी हमें बार बार किसानों को कहना पड़ता है, कि crop diversification बहुत जरूरी है। हम सिर्फ धान की खेती करके या गन्ने की खेती करके अटक नहीं सकते, देश की जरूरतों को, सारी चीजों को हमें diversify करके उत्पादित करना चाहिए। उन्होंने आदिवासी समाज के लिए, घुमन्तु टोलियों के लिए, खाली पड़ी जमीन पर खेती की योजना बनाई। ये मेरा सौभाग्य है, कि मुझे एक आदिवासी बेटी, आज जो भारत के राष्ट्रपति पद पर विराजमान है, उनके मार्गदर्शन में मेरे आदिवासी भाई-बहनों की सेवा करने का मौका मिला है। देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा, कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थी और वो जूनागढ़ से गुजरात में, जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर के, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले ये माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया, जो आज भी अनेक परिवारों को वो गहना बन गया है, और जिससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ।

साथियों,

देवी अहिल्याबाई को कई बड़े सामाजिक सुधारों के लिए भी हमेशा याद रखा जाएगा। आज अगर बेटियों की शादी की उम्र की चर्चा करें, तो हमारे देश में कुछ लोगों को सेक्यूलरिज्म खतरे में दिखता है, उनको लगता है ये हमारे धर्म के खिलाफ है। ये देवी अहिल्या जी देखिए, मातृशक्ति के गौरव के लिए उस जमाने में बेटियों की शादी की उम्र के विषय में सोचती थीं। उनकी खुद की शादी छोटी उम्र में हुई थी, लेकिन उनको सब पता था, बेटियों के विकास के लिए कौन सा रास्ता होना चाहिए। ये देवी अहिल्या जी थीं, उन्होंने महिलाओं का भी संपत्ति में अधिकार हो, जिन स्त्रियों के पति की असमय मृत्यु हो गई हो, वो फिर विवाह कर सकें, उस कालखंड में ये बातें करना भी बहुत मुश्किल होता था। लेकिन देवी अहिल्याबाई ने इन समाज सुधारों को भरपूर समर्थन दिया। उन्होंने मालवा की सेना में महिलाओं की एक विशेष टुकड़ी भी बनाई थी। ये पश्चिम की दुनिया के लोगों को पता नहीं है। हमें कोसते रहते हैं, हमारी माताओं बहनों के अधिकारों के नाम पर हमें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं। ढाई सौ-तीन सौ साल पहले हमारे देश में सेना में महिलाओं का होना, साथियों महिला सुरक्षा के लिए उन्होंने गांवों में नारी सुरक्षा टोलियां, ये भी बनाने का काम किया था। यानी माता अहिल्याबाई, राष्ट्र निर्माण में हमारी नारीशक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक हैं। मैं, समाज में इतना बड़ा परिवर्तन लाने वाली देवी अहिल्या जी को आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि आप जहां भी हों, हम सभी पर अपना आशीर्वाद बरसाए।

साथियों,

देवी अहिल्या का एक प्रेरक कथन है, जो हम कभी भूल नहीं सकते। और उस कथन का अगर मोटे-मोटे शब्दों में मैं कहूं, उसका भाव यही था, कि जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है। आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मूल्यों पर चलते हुए काम कर रही है। नागरिक देवो भव:- ये आज गवर्नेंस का मंत्र है। हमारी सरकार, वीमेन लेड डवलपमेंट के विजन को विकास की धुरी बना रही है। सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में माताएं-बहनें-बेटियां हैं। आप भी जानती हैं, गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए जा चुके हैं और इनमें से अधिकतर घर हमारी माताओं-बहनों के नाम पर हैं, मालिकाना हक मेरी माताओं-बहनों को दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई संपत्ति दर्ज हुई है। यानी देश की करोड़ों बहनें पहली बार घर की मालकिन बनी हैं।

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साथियों,

आज सरकार, हर घर तक नल से जल पहुंचा रही है, ताकि हमारी माताओं-बहनों को असुविधा न हो, बेटियां अपनी पढ़ाई में ध्यान दे सकें। करोड़ों बहनों के पास पहले, बिजली, एलपीजी गैस और टॉयलेट जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं। ये सुविधाएं भी हमारी सरकार ने पहुंचाईं। और ये सिर्फ सुविधाएं नहीं हैं, ये माताओं-बहनों के सम्मान का हमारी तरफ से एक नम्र प्रयास है। इससे गांव की, गरीब परिवारों की माताओं-बहनों के जीवन से अनेक मुश्किलें कम हुईं हैं।

साथियों,

पहले माताएं-बहनें अपनी बीमारियां छुपाने पर मजबूर थीं। गर्भावस्था के दौरान अस्पताल जाने से बचती थीं। उनको लगता था, कि इससे परिवार पर बोझ पड़ेगा और इसलिए दर्द सहती थीं, लेकिन परिवार में किसी को बताती नहीं थीं। आयुष्मान भारत योजना ने उनकी इस चिंता को भी खत्म किया है। अब वो भी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज करा सकती हैं।

साथियों,

महिलाओं के लिए पढ़ाई और दवाई के साथ ही जो बहुत जरूरी चीज है, वो कमाई भी है। जब महिला की अपनी आय होती है, तो घर में उसका स्वाभिमान और बढ़ जाता है, घर के निर्णयों में उसकी सहभागिता और बढ़ जाती है। बीते 11 वर्षों में हमारी सरकार ने देश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया है। आप कल्पना कर सकते है, 2014 से पहले, आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले, 30 करोड़ से ज्यादा बहनें ऐसी थीं, जिनका कोई बैंक खाता तक नहीं था। हमारी सरकार ने इन सभी के बैंक में जनधन खाते खुलवाए, इन्हीं खातों में अब सरकार अलग-अलग योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में भेज रही है। अब वे गांव हो या शहर अपना कुछ ना कुछ काम कर रही हैं, आर्थिक उपार्जन कर रही हैं, स्वरोजगार कर रही हैं। उन्हें मुद्रा योजना से बिना गारंटी का लोन मिल रहा है। मुद्रा योजना की 75 प्रतिशत से ज्यादा लाभार्थी, ये हमारी माताएं-बहनें-बेटियां हैं।

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साथियों,

आज देश में 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं, जो कोई न कोई आर्थिक गतिविधि करती हैं। ये बहनें अपनी कमाई के नए साधन बनाएं, इसके लिए सरकार लाखों रुपयों की मदद कर रही है। हमने ऐसी 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लिया है। मुझे संतोष है कि अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा बहनें, लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। अब गांव-गांव में बैंक सखियां लोगों को बैंकिंग से जोड़ रही हैं। सरकार ने बीमा सखियां बनाने का अभियान भी शुरु किया है। हमारी बहनें-बेटियां अब देश को बीमा की सुरक्षा देने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

साथियों,

एक समय था, जब नई टेक्नोलॉजी आती थी, तो उससे महिलाओं को दूर रखा जाता था। हमारा देश आज उस दौर को भी पीछे छोड़ रहा है। आज सरकार का प्रयास है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी में भी हमारी बहनें, हमारी बेटियां आगे बढ़कर के नेतृत्व दें। अब जैसे आज खेती में ड्रोन क्रांति आ रही है। इसको हमारी गांव की बहनें ही नेतृत्व दे रही हैं। नमो ड्रोन दीदी अभियान से गांव की बहनों का हौसला बढ़ रहा है, उनकी कमाई बढ़ रही है और गांव में उनकी एक नई पहचान बन रही है।

साथियों,

आज बहुत बड़ी संख्या में हमारी बेटियां वैज्ञानिक बन रही हैं, डॉक्टर-इंजीनियर और पायलट बन रही हैं। हमारे यहां साइंस और मैथ्स पढ़ने वाली बेटियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज जितने भी हमारे बड़े स्पेस मिशन हैं, उनमें बड़ी संख्या में वैज्ञानिक के नाते हमारी माताएं-बहनें-बेटियां काम कर रही हैं। चंद्रयान थ्री मिशन, पूरा देश गौरव कर रहा है। चंद्रयान थ्री मिशन में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं। ऐसे ही जमाना स्टार्ट अप्स का है, स्टार्ट अप्स के क्षेत्र में भी हमारी बेटियां अदभुत काम कर रही हैं। देश में लगभग पैंतालीस परसेंट स्टार्ट अप्स की, उसमे कम से कम एक डायरेक्टर कोई न कोई हमारी बहन है, कोई न कोई हमारी बेटी है, महिला है। और ये संख्या लगातार बढ़ रही है।

साथियों,

हमारा प्रयास है, कि नीति निर्माण में बेटियों की भागीदारी लगातार बढ़े। बीते एक दशक में इसके लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार में पहली बार पूर्ण कालिक महिला रक्षामंत्री बनीं। पहली बार देश की वित्तमंत्री, एक महिला बनीं। पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक, महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार 75 सांसद महिलाएं हैं। लेकिन हमारा प्रयास है कि ये भागीदारी और बढ़े। नारीशक्ति वंदन अधिनियम के पीछे भी यही भावना है। सालों तक इस कानून को रोका गया, लेकिन हमारी सरकार ने इसे पारित करके दिखाया। अब संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण पक्का हो गया है। कहने का अर्थ ये है कि भाजपा सरकार, बहनों-बेटियों को हर स्तर पर, हर क्षेत्र में सशक्त कर रही है।

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साथियों,

भारत संस्कृति और संस्कारों का देश है। और सिंदूर, ये हमारी परंपरा में नारीशक्ति का प्रतीक है। राम भक्ति में रंगे हनुमान जी भी सिंदूर को ही धारण किए हुए हैं। शक्ति पूजा में हम सिंदूर का अर्पण करते हैं। और यही सिंदूर अब भारत के शौर्य का प्रतीक बना है।

साथियों,

पहलगाम में आतंकियों ने सिर्फ भारतीयों का खून ही नहीं बहाया, उन्होंने हमारी संस्कृति पर भी प्रहार किया है। उन्होंने हमारे समाज को बांटने की कोशिश की है। और सबसे बड़ी बात, आतंकवादियों ने भारत की नारीशक्ति को चुनौती दी है। ये चुनौती, आतंकवादियों और उनके आकाओं के लिए काल बन गई है काल। ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवादियों के खिलाफ भारत के इतिहास का सबसे बड़ा और सफल ऑपरेशन है। जहां पाकिस्तान की सेना ने सोचा तक नहीं था, वहां आतंकी ठिकानों को हमारी सेनाओं ने मिट्टी में मिला दिया। सैंकड़ों किलोमीटर अंदर घुसकर के मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने डंके की चोट पर कह दिया है, कि आतंकवादियों के जरिए छद्म युद्ध, proxy war नहीं चलेगा। अब घर में घुसकर भी मारेंगे और जो आतंकियों की मदद करेगा, उसको भी इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत का एक-एक नागरिक कह रहा है, 140 करोड़ देशवासियों की बुलंद आवाज कह रही है- अगर, अगर तुम गोली चलाओगे, तो मानकर चलों गोली का जवाब गोले से दिया जाएगा।

साथियों,

ऑपरेशन सिंदूर हमारी नारीशक्ति के सामर्थ्य का भी प्रतीक बना है। हम सभी जानते हैं, कि BSF का इस ऑपरेशन में कितना बड़ा रोल रहा है। जम्मू से लेकर पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा तक बड़ी संख्या में BSF की हमारी बेटियां मोर्चे पर रही थीं, मोर्चा संभाल रही थीं। उन्होंने सीमापार से होने वाली फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया। कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स से लेकर दुश्मन की पोस्टों को ध्वस्त करने तक, BSF की वीर बेटियों ने अद्भुत शौर्य दिखाया है।

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साथियों,

आज दुनिया, राष्ट्ररक्षा में भारत की बेटियों का सामर्थ्य देख रही है। इसके लिए भी बीते दशक में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। स्कूल से लेकर युद्ध के मैदान तक, आज देश अपनी बेटियों के शौर्य पर अभूतपूर्व भरोसा कर रहा है। हमारी सेना ने पहली बार सैनिक स्कूलों के दरवाज़े बेटियों के लिए खोले हैं। 2014 से पहले एनसीसी में सिर्फ 25 प्रतिशत कैडेट्स ही बेटियां होती थीं, आज उनकी संख्या 50 प्रतिशत की तरफ आगे बढ़ रही है। कल के दिन देश में एक औऱ नया इतिहास बना है। आज अखबार में देखा होगा आपने, नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी NDA से महिला कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ है। आज सेना, नौसेना और वायुसेना में बेटियां अग्रिम मोर्चे पर तैनात हो रही हैं। आज फाइटर प्लेन से लेकर INS विक्रांत युद्धपोत तक, वीमेन ऑफीसर्स अपनी जांबाजी दिखा रही हैं।

साथियों,

हमारी नौसेना की वीर बेटियों के साहस का ताज़ा उदाहरण भी देश के सामने है। आपको मैं नाविका सागर परिक्रमा के बारे में बताना चाहता हूं। नेवी की दो वीर बेटियों ने करीब ढाई सौ दिनों की समुद्री यात्रा पूरी की है, धरती का चक्कर लगाया है। हज़ारों किलोमीटर की ये यात्रा, उन्होंने ऐसी नाव से की जो मोटर से नहीं बल्कि हवा से चलती है। सोचिए, ढाई सौ दिन समंदर में, इतने दिनों तक समंदर में रहना, कई कई हफ्ते तक जमीन के दर्शन तक नहीं होना और ऊपर से समंदर का तूफान कितना तेज होता है, हमें पता है, खराब मौसम, भयानक तूफान, उन्होंने हर मुसीबत को हराया है। ये दिखाता है, कि चुनौती कितनी भी बड़ी हो, भारत की बेटियां उस पर विजय पा सकती हैं।

साथियों,

नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन हों या फिर सीमापार का आतंक हो, आज हमारी बेटियां भारत की सुरक्षा की ढाल बन रही हैं। मैं आज देवी अहिल्या की इस पवित्र भूमि से, देश की नारीशक्ति को फिर से सैल्यूट करता हूं

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साथियों,

देवी अहिल्या ने अपने शासनकाल में विकास के कार्यों के साथ साथ विरासत को भी सहेजा। आज का भारत भी विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चल रहा है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को देश कैसे गति दे रहे है, आज का कार्यक्रम इसका उदाहरण है। आज मध्य प्रदेश को पहली मेट्रो सुविधा मिली है। इंदौर पहले ही स्वच्छता के लिए दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है। अब इंदौर की पहचान उसकी मेट्रो से भी होने जा रही है। यहां भोपाल में भी मेट्रो का काम तेज़ी से चल रहा है। मध्य प्रदेश में, रेलवे के क्षेत्र में व्यापक काम हो रहा है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने रतलाम-नागदा रूट को चार लाइनों में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी है। इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा ट्रेनें चल पाएंगी, भीड़भाड़ कम होगी। केंद्र सरकार ने इंदौर–मनमाड रेल परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।

साथियों,

आज मध्य प्रदेश के दतिया और सतना भी हवाई यात्रा के नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इन दोनों हवाई अड्डों से बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी बेहतर होगी। अब माँ पीतांबरा, मां शारदा देवी और पवित्र चित्रकूट धाम के दर्शन करना और सुलभ हो जाएगा।

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साथियों,

आज भारत, इतिहास के उस मोड़ पर है, जहां हमें अपनी सुरक्षा, अपने सामर्थ्य और अपनी संस्कृति, हर स्तर पर काम करना है। हमें अपना परिश्रम बढ़ाना है। इसमें हमारी मातृशक्ति, हमारी माताओं-बहनों-बेटियों की भूमिका बहुत बड़ी है। हमारे सामने लोकमाता देवी अहिल्याबाई जी की प्रेरणा है। रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, रानी कमलापति, अवंतीबाई लोधी, कित्तूर की रानी चेनम्मा, रानी गाइडिन्ल्यू, वेलु नाचियार, सावित्री बाई फुले, ऐसे हर नाम हमें गौरव से भर देते हैं। लोकमाता अहिल्याबाई की ये तीन सौवीं जन्मजयंती, हमें निरंतर प्रेरित करती रहे, आने वाली सदियों के लिए हम एक सशक्त भारत की नींव मजबूत करें, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से एक बार बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अपना तिरंगा ऊपर उठाकर के मेरे साथ बालिए –

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!