Text of the speech at HT Leadership Summit

Published By : Admin | December 4, 2015 | 14:57 IST
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India is heading towards a brighter future, says Prime Minister Modi
Among world economies, India is seen as one of the fastest growing: PM Modi
Having a stable Government is a very big thing and this can't be ignored. Fractured mandates always have uncertainty: PM
Business environment in India is improving at great pace: PM Modi
India is not going to progress from Delhi. States have most important role in India's progress. States & Centre must work together: PM
World must know about the strengths of our states: PM Modi
Happy to cite that over 40 lakh people have given up LPG subsidy. This shows our country is changing: PM Modi
For first time, Rupee bond has been accepted for Railways at London Exchange: PM Narendra Modi
Development of India's eastern part cannot be ignored. They are areas with great potential: PM Modi
There are 18,000 villages in India, which do not have electricity. We are commited to electrify them: PM

उपस्थित सभी महानुभव और इस summit में पधारे हुए सभी वरिष्ठजन

आपने विषय तय किया है कि हम उज्वल भारत की दिशा में है या नहीं ?

मुझे विश्वास है कि ये जो दो दिन मंथन चलेगा पक्ष-विपक्ष में अनेक विचार उभरकर के आएंगे, नए सुझाव आएंगे, स्थितियों का मूल्याकंन होगा, परिस्थिति का आंकलन होगा और उस सब के द्वारा कुछ न कुछ बातें उभर कर आती हैं जो देश के लिए काम आती हैं।

मैं हिन्दुस्तान टाइम्स को और शोभना जी को बधाई देता हूं कि पिछले 12 साल से लगातार ये उनका अनुष्ठान चल रहा है, जिसमें सभी विचार के पक्ष-विपक्ष के विचार के लोग आते हैं, मिलते हैं, संवाद करते हैं। आज जो वैश्विक परिस्थिति है उसमें By and large इस बात को स्वीकृति मिली हुई है कि दुनिया की बड़ी economies में भारत सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश है। और जब भारत सबसे आगे बढ़ने वाला देश माना गया है, तो दूसरी तरफ देखें, तो विश्व की स्थिति पूरी तरह Slowdown की है। China की तो बहुत सी चीजें पिछले दिनों उजागर हुई। Euro region के अंदर 1.5 percent GDP आकर के अटक गया है और ऐसे में world bank कह रही है कि भारत का जीडीपी 7.5 percent और already पिछले तीन महीने का जो हिसाब आया है वो 7.4 आया। अगर आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो, ये हम मानकर के चलते हैं कि भारत उज्वल भविष्य की दिशा में बहुत ही सफलता पूर्वक आगे बढ़ रहा है। ये अचानक नहीं होता है और आज की भारतीय स्थिति को समझना है तो एक वैश्विक संदर्भ में देखना होता है।

दूसरा, हमारे बीते हुये कल के संदर्भ में भी देखना आवश्यक होता है। अगर हम हमारे बीते हुए दो साल, पांच साल जो भी तय करें उसको अगर हम नजरअंदाज कर दें और फिर तराजू लेकर के बैठेंगे तो बात सही नहीं निकलेगी। लेकिन मैं जानता हूं कि यह बहुत मुश्किल काम है। क्योंकि इसके लिए एक खुला मन चाहिए, एक साहस चाहिए कि हम कहां थे, किस हालात में थे। अब उसमें से निकलना कितना कठिन था। चारों तरफ निराशा का माहौल था। यहां बैठे हुए जो उद्योगकार हैं, वो एक पैर तो already बाहर रख चुके थे और दूसरा ले जाने की तैयारी कर रहे थे। अगर इस रूप को पहले ध्यान में लिया जाए और फिर देखा जाए, तो पता चलेगा कि हां भाई ये समझने के लिए मोदी की जरूरत नहीं है, अपने आप समझ आता है कि काफी बदलाव आया है। और इसलिये मैं आशा करूंगा कि हम चीजों को इन दो प्रमुख बातें हैं, एक वैश्विक परिवेश, एक हमारा बीता हुआ कल। और ये जो कुछ भी परिणाम आया है एक तो stable government होना वो अपने आपमें एक बहुत बड़ा योगदान होता है। इसे कोई नकार नहीं सकता है। कितनी ही अच्छी पार्टी हो, अच्छे लोग हों लेकिन अगर factual mandate है, तो आशंकाओं का माहौल बना रहता है। करेंगे नहीं करेंगे, कर पाएंगे नहीं कर पाएंगे। तो सबसे पहले जो बदलाव आया है, जो हमें उज्वल भविष्य की दिशा में ले जाने वाले का अगर सबसे पहला कोई क्रेडिट जाता है और सबसे पहला यशस्वी कदम कोई है तो हिन्दुस्तान की जनता ने उन्होंने बहुमत वाला mandate दिया। Credit goes to सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी है। ये बहुत बड़ा काम देश की जनता ने किया है।

सरकार जब परिवर्तन लाती है अचानक नहीं लाती, एक लम्बा परिश्रम करना पड़ता है। अब हमें मालूम है कि world bank ease of doing business का rating करती रहती है। कई वर्षों से या तो हम स्थिर हैं या फिर लुढ़क जाते हैं। आगे जाने की तो अवस्था हमारे नसीब में ही नहीं थी। और हम भी ऐसे आदी हो गये थे कि हां गुजारा कर लो। मन से हमनें उस स्थिति को स्वीकार कर लिया था। इतने कम समय में अचानक 12 point उछलकर के आगे बढ़ना। दुनिया के जितने भी लोग मिलते हैं वो इस बात को ध्यान से कह रहे हैं कि भई इतना बड़ा jump कैसे लगा। और ease of doing business तब होता है जब राज्य सरकारें, केन्द्र सरकारें मिलकर के निश्चित दिशा में सुधार अभियान चलाते हैं। सरलीकरण करते हैं। Minimum Government Maximum Governance को साकार करते हैं। 20 forms हैं उसको 2 कर देते हैं। प्रक्रिया तीन साल चलती है, उसको छह महीने में ले आते हैं। ऐसे एक-एक चीज , और इसके लिए मैंने पहले राज्यों के सभी अधिकारियों को बुलाया। एक 100 point का चार्टर दिया। दो दिन का workshop किया। आग्रह किया।

लेकिन सबसे खुशी की बात इस form में समझने वाली जो बात है, वो यह है, 12 point उछल कर जाना अच्छी बात ,है अच्छी दिशा है। लेकिन उसमें सबसे बड़ी महत्वपूर्ण बात है, उन राज्यों ने कमाल करकर के दिखाया है। जिसकी तरफ कभी हिन्दुस्तान की आर्थिक जगत वालों का ध्यान कभी जाता ही नहीं है। ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, ease of doing business में ये rank profile बढ़ा है अपना। इसका मतलब यह हुआ कि हिन्दुस्तान के मुख्य धारा में जिन राज्यों को आर्थिक विकास यात्रा में योगदान कभी गिना नहीं जाता था, वे आज lead role कर रहे हैं। इसका मतलब ये हुआ कि राज्यों में एक नई ताकत, नई ऊर्जा, नया विश्वास पैदा हुआ है। भारत को आगे बढ़ना है तो दिल्ली से देश आगे नहीं बढ़ सकता है। राज्यों के मजबूत खम्बों पर ही देश खड़ा हो सकता है। और अगर हम इस psyche करके चलते हैं कि दिल्ली देने वाला है और राज्य लेने वाला है। तो देश आगे नहीं बढ़ेगा। राज्य और दिल्ली दोनों मिलकर के कंधे से कंधा मिलाकर के चलें, एक दिशा में चलें, गति समान बनाने की कोशिश करें। परिणाम अपने आप निकल आएंगे।

नीति आयोग का जो गठन हुआ है। उसका मूल प्रयास यह है कि राज्य और केन्द्र मिलकर के काम करें। पहली बार केन्द्र और राज्य के पैसों का आवंटन कैसे किया जाए 14 Finance commission ने 42 percent रुपये राज्यों को देने के लिए कह दिया। स्थिति ये बनी है कि आज देश का जो पूरा खजाना है उस खजाने में से करीब 65 प्रतिशत खजाना राज्यों की जेब में है, सिर्फ 35 प्रतिशत दिल्ली के पास है। ये पहले कभी नहीं था। पहले reverse था। 35 प्रतिशत राज्यों के पास था 65 प्रतिशत दिल्ली के पास। ये बदलाव आया। उसके बाद करना था तो मैंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों की कमेटी बनाई उनको कहा कि देखिए भाई ये काम करना है आप मिल बैठकर के तय करके लाओ। अब तक क्या होता था दिल्ली तय करता था ये करेंगे ये नहीं करेंगे। पहली बार हुआ कि राज्यों ने मुख्यमंत्रियों ने मिलकर के तय किया कि ऐसा करिए। और मैं राज्यों के मुख्यमंत्रियों का अभिनन्दन करता हूं कि उन्होंने भी दिल्ली के प्रति उदारता भी रखी और अपनी चिंता भी की और ऐसा एक समावेशी व्यवस्था बना कर के दी जिसको हमने लागू कर दी । हम राज्यों को कैसे साथ लें। हमारे देश में हम चाहते हैं export हो लेकिन राज्यों का agenda ही नहीं है। और इसलिये quality production, quality packaging, quality branding ये राज्यों की कोई initiative है क्या, राज्यों के उसकी incentive, कोई scheme है क्या। export करने वालों के लिए राज्य कुछ करता है क्या। पहली बार हमने राज्यों में Export Promotion Council बनाने का आग्रह किया। और राज्यों को कहा कि आप अपने राज्य में इसके लिये जो काम करने वाले लोग हैं उनको जरा प्रोत्साहित कीजिये उनको मिलिये उनकी कठिनाइयां समझिये औऱ ग्लोबल मार्केट में वो कैसे जा सकते हैं।

उसी प्रकार से हमारा इतना बड़ा देश है। हम इंडिया कहते हैं, भारत कहते हैं, तो दुनिया को ये समझ नहीं आता कि हम क्या कह रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा उसको मुम्बई का पता है, दिल्ली का पता है, कलकत्ता का पता है। IT revolution के बाद बैंगलोर, हैदराबाद का पता है। पूरे हिन्दुस्तान की ताकत विश्व को मालूम नहीं है। हमारे राज्यों को दुनिया पहचाने ये बहुत आवश्यक है। हमारे राज्यों की अपनी-अपनी ताकत है। पहली बार हमने विदेश व्यवस्था के अंदर राज्यों को जोड़ने का सक्रिय प्रयास किया है। विदेश विभाग में special राज्यों के लिए अलग डिपार्टमेंट बनाया है। और विश्व के नेताओं का राज्यों से मिलना-जुलना बढ़े, राज्यों की ताकत पहचाने। भारत इतना बड़ा विशाल देश है, हम सिर्फ दिल्ली से हिन्दुस्तान दुनिया को नहीं दिखा सकते। राज्यों की ताकत दिखाएंगे तो बदलाव आएगा। ये जो दिशा है वो दिशा बदलाव लाती है।

कभी-कभार आर्थिक दृष्टि से हम लोग उस सोच के लोग हैं। मान लीजिये यानी इसमें दोष, कुल मिलाकर हमने कई वर्षों से जो सुना है हमारी जो सोच बनी है, तो हम चीजों को उसी दायरे में देखते हैं। अगर दिल्ली सरकार ये कहे कि हम एक साल में 20 हजार मेगावाट बिजली के कारखाने लगाएंगे। डेढ़ लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश करेंगे। तो आर्थिक जगत में जरूर लिखा जाएगा वाह, सरकार कुछ कर रही है। बड़ा कमाल का काम कर रही है। सरकार बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। क्या मोदी ने decision ले लिया। क्यों 21 हजार मेगा वॉट बिजली एक साल में , लेकिन मोदी ने छोटा काम किया| हिन्दुस्तान के 100 शहरों के साथ MOU किया LED Bulb, street light में LED Bulb बदलना, घरों में LED Bulb बदलना अब तक बीस शहरों का काम पूरा कर दिया। 83 शहरों का काम चल रहा है। जिस दिन ये 100 शहरों का काम पूरा हो जाएगा LED का उस दिन इस देश में 21500 मेगा वॉट बिजली बचेगी। 21500 मेगा वॉट बिजली अगर मोदी कारखाना लगाता है तो हिन्दुस्तान टाइम्स में तो मैं नहीं कह सकता हूं। लेकिन किसी न किसी अखबार में तो Headline हो जाती है। मोदी ने 21500 मेगा वॉट का बिजली का कारखाना लगा दिया। क्योंकि हमने वो सोचा है। 21500 मेगा वॉट बिजली के कारखाने ने सवा लाख करोड़ रुपया का investment मतलब देश का सवा लाख करोड़ रुपया बच गया। LED Bulb लगाने से इन 100 शहरों को और उन सौ शहरों के नागरिकों को हर साल 45000 करोड़ रुपये की बचत होगी। 45000 करोड़ रूपये आप कल्पना कर सकते हैं कि बदलाव कैसे आता है।

अभी मैंने एक छोटा सा Pilot project के रूप में काम किया। चंडीगढ़ में हमने कहा कि जरा technology का उपयोग करके थोड़ा बारीकी से देखें चंडीगढ़ को कैरोसीन मुक्त बनाना। विनोद शर्मा अगर यहां होंगे तो उनको कुछ ओर सुनाई देगा। मैं कैरोसीन मुक्त कह रहा हूं। चंडीगढ़ में हर वर्ष 30 लाख लीटर कैरोसीन जाता है। उसमें subsidy जाती है करीब साढ़े तीन करोड़ रूपये की। अब चंडीगढ़ ऐसा शहर है जहां लोगों के पास गैस सिलेंडर भी है फिर कैरोसीन जा रहा है। मतलब कहीं गड़बड़ है। मैंने टेक्नोलोजी का उपयोग किया। मैंने कहा देखो भई और आप जानकर के हैरान होंगे 80 percent कैरोसीन उन घरों में जाता ही नहीं था। फिर भी सरकार का जाता था। और पैसे जाते थे। import करना पड़ता था, खर्च होता था। कहीं ओर चला जाता था। हमने तय किया कि भई जहां गैस सिलंडर है, घर में बिजली उसको कैरोसीन की क्या जरूरत है उसको कोई जरूरत ही नहीं। 80 प्रतिशत कैरोसीन बचा। लेकिन ये जांच करते समय ध्यान में आया कि 3200 गरीब परिवार ऐसे थे जिनमें कैरोसीन का इस्तेमाल होता था। हमने तय किया कि उनको गैस सिलंडर पहुंचाएंगे। और चंडीगढ़ को कैरोसीन मुक्त करेंगे। चंडीगढ़ को कैरोसीन मुक्त करना मतलब सरकार की तिजोरी में बहुत बड़ी मात्रा में subsidy चोरी होती थी बंद हो गई। Environment को जो नुकसान हो रहा था बंद हो गया। 30 लाख लीटर कैरोसीन जो की डीज़ल में मिक्स होता था, जो total pollution समस्या पैदा करता था वो रुक गया। 30 लाख लीटर कैरोसीन जो की हम विदेशों से import करते थे, देश का फॉरन एक्सचैंज जाता था वो रुक गया। crude oil लाते थे refine करते थे।

मैं देश के संदर्भ में, मैं सिर्फ ये चीजें बताता हूं कि दिशा क्या है। इससे पता चलता है कि आप देखिये गैस सिलंडर, हमारे यहां गैस सिलंडर को हमने Direct Benefit Transfer के साथ जोड़ दिया बैंकों में सीधा subsidy देना शुरू कर दिया। पहले जितने गैस सिलेंडर जाते थे और जब डायरेक्ट बेनिफिट सीधा बैंक Account में जाने लगा, तो करोड़ो की तादाद में गैस सिलंडर लेने वाले कोई निकले ही नहीं। मतलब करोड़ों गैस सिलंडर बच गए यानी की करोड़ों गैस सिलंडर की subsidy बच गई। यानी targeted subsidy। आज देश में अगर मोदी ये निर्णय करता कि हम इतनी subsidy कट कर देंगे। तो जो अपने आप को reformist मानते हैं, वे हफ्ते भर मोदी की तालियां बजाते कि यार subsidy मोदी ने निकाली है। है आदमी में दम है। लेकिन Targeted Subsidy कर के leakages रोक कर के देश के धन को बचाने वाला मोदी reform नहीं दिखता है। और इसलिये सोचने वालों को भी दिशा पकड़नी पड़ेगी कि हम जिसे काम मानते थे। वो ही काम नहीं होता है, जो हम परिणाम चाहते थे, वो परिणाम किसी और रास्ते से भी आ सकता है। देश का भी भला हो सकता है और welfare state के नाते हमारा रास्ता नहीं चला जाता। और इसलिए हम चीजों को कैसे बनाते हैं।

हमारे देश में हम लोगों का स्वभाव कैसा है। हम मान लीजिये विमान में जा रहे हैं, क्योंकि यहां सब विमान वाले बैठे हुए हैं। कुछ पढ़ने की किताबें कुछ चीज बगल वाले सीट खाली है वहां रख दी। हमारी तो सीट पर हम बैठे हैं। बगल वाली सीट हमारी नहीं है। लेकिन हमनें अपनी कुछ चीजें रखी हैं कुछ छोटा बैग,पाउच,किताब रख दी। और विमान चलने से पहले-पहले आखिरी इंसान आ गया और उसकी वो सीट वहां बैठ गया। तो हमें क्या लगता है मेरी सीट ले ली। this is our Psychology यानी जो सीट मेरी नहीं है , सिर्फ मैंने किताब रखी है, उसका मूल मालिक आ गया तो भी मुझे लगता है मेरी सीट ले ली है। हम उस मनोवैज्ञानिक aवस्था में काम करते हैं इसको हम इंकार नहीं कर सकते और ऐसे मनोस्थिति के अंदर अगर मोदी कहता है। जब आपको ईश्वर ने इतना दिया है ये गैस सिलंडर 400-500 की subsidy में क्या लगा है क्यों लेते हो। और मुझे खुशी है मैंने ज्यादा campaign नहीं किया। इस देश के 40 लाख से अधिक लोगों ने गैस सिलेंडर की subsidy छोड़ दी। जो देश बगल वाले की सीट छोड़ने को तैयार नहीं वो खुद की चालीस लाख लोग गैस सिलंडर छोड़ दें। मतलब देश का जन-मन विकास की दिशा में कितना बदला है। इसका ये उदहारण है। और इसलिए बदलाव कैसे आते हैं। ये बदलाव हमें ध्यान आते हैं। हमने भी तय किया कि जिन्होंने 40 लाख गैस subsidy छोड़ी है। ये पैसे मैं सरकार की तिजोरी में नहीं ले जाऊंगा। उन्होंने अगर इतनी उदारता बताई है तो सरकार का भी दायित्व बनता है कि उसको समाज की ताकत में convert करें। इसलिये हमने क्या किया चालीस लाख उन गरीब परिवारों को ढूंढा। इनकी गैस subsidy के बदले में गैस सिलेंडर उनको दिया। subsidy उनको ट्रांसफर की और जो घर में लकड़ी का चूल्हा जलाते थे, खुद का स्वास्थ खराब करते थे, बच्चे रोते रहते थे, पर्यावरण का नुकसान होता था उन चालीस लाख परिवारों को बाहर निकालने का काम किया इतना ही नहीं कोशिश यह है कि जिसने subsidy छोड़ी है उसको हम बताते हैं कि तुम्हारे वाली subsidy राजस्थान के उस गांव में पहुंची है। कैसे बदलाव आता है। ये सब संभव है।

रेलवे, किसी ने सोचा होगा क्या कि दुनिया के बाजार में रुपये की इतनी बड़ी ताकत हो माफ करना मुझे ये हो जाने के बाद भी अभी कइयों को समझ में नहीं आया कि कुछ काम हुआ है। पहली बार London Stock Exchange में रेलवे के लिए रुपये बॉन्ड को स्वीकृति मिलना, वरना गोल्ड चलता है, डॉलर चलता है, पॉउन्ड चलता है, रुपया दुनिया के बाजार में नहीं चलता है। पहली बार लंदन एक्सचैंज ने रुपये बॉन्ड को हमने मंजूरी दे दी रुपया बॉन्ड निकला। अब दुनिया का कोई भी व्यक्ति निवेश करेगा रुपये में करेगा और उसको वापस भी रुपया मिलेगा। ये रुपये की प्रतिष्ठा विश्व में बनना। अब धीरे-धीरे मैं एनटीपीसी को भी उसमें ले जाने वाला हूं। हो सकता है हम सिंगापुर जाएं, लंदन जाएं कहीं और जाएं लेकिन विश्व के बाजार में हमारी ये साख पैदा होना ये अपने आप में आर्थिक विकास के लिए एक साख, साख बहुत बड़ी बात होती है जी। साख बहुत बड़ी बात होती है।

हमारे देश में आपको हैरानी होगी जानकर के और कभी आप जाओगे तो देखना, रेल जाती है ऊपर ब्रिज बना है। एक तरफ यहां बना है एक तरफ यहां से बना है। बीच में खाली है। तो रेलवे वाले permission नहीं देते। अब बन चुका है वो तोड़ने वाला तो है नहीं। permission लेकिन दो-दो साल चार-चार साल हमने एक फॉर्मूला बनाया कि महीने में जिने लोग होंगे एक बार exchange करेंगे बातों को और फॉर्मूला के तहत clear कर देंगे। आज इस प्रकार का कोई project pending नहीं पड़ा है। जो दो-दो, तीन-तीन साल पड़ा रहता था। चीजों को गति कैसे दी जाती है।

हमारे देश में मेरी ये सोच है कि आज हमारे देश का विकास कितना ही क्यों न हो ...मान लीजिए साइकल में हम हवा भरते हैं। तो नापते हैं कि 40 डिग्री हवा गई कि 30 डिग्री गई। मीटर ठीक बताता है लेकिन मान लीजिए कि साइकल की ट्यूब में एक कोने में फुग्गा हो जाए गुबारा हो जाए और हवा वहां चली जाए तो मीटर तो ठीक बताएगा, लेकिन साइकल चलेगी क्या। मैं समझा पा रहा हूं। साइकल की पूरी ट्यूब में समान रूप से हवा पहुंचनी चाहिए तब साइकल चलेगी। अगर उसी ट्यूब में उतने ही point वाली हवा गुब्बारा हो जाए तो साइकल नहीं चल सकती। उसी प्रकार से देश की इकोनोमी भी अगर पश्चिम भारत में ही चलती रहे और पूर्वी भारत में विकास न हो तो ये देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता है। ये बात हमें समझनी होगी पूर्वी उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, असाम हो, बंगाल हो, नॉर्थ ईस्ट हो, ओड़िशा हो, ये ऐसे potential क्षेत्र हैं हिन्दुस्तान के second green revolution की ताकत eastern India में पड़ी हुई है। हमारी पूरी योजना का केन्द्र बिन्दु वो होना चाहिए देश की economy को नई ताकत मिलेगी।

उसी प्रकार से अभी चार दिन पहले एक महत्वपूर्ण काम हुआ, अच्छा होता देश के मीडिया जगत का उस पर ध्यान गया होता। भारत में Railway Engine बनेंगे। कई वर्षों से फाइलें चल रही थीं। फैसला नहीं हो रहा था। Foreign Direct Investment, चालीस हजार करोड़ रुपया। दो railway engine बनाने के उद्योग के लिए already agreement हो गया। काम शुरू हो गया। पिछले हफ्ते की बात है और दोनों major policy है Eastern India को develop करना है। ये दोनों कारखाने बिहार में लगेंगे। और निर्णय अभी किया है मैंने चुनाव के पहले नहीं किया है। कहने का तात्पर्य आपने देखा होगा बजट को बारीकी से हमनें infrastructure में बहुत बड़ी राशि Eastern India में लगाई है। पहली बार हम Eastern India को gas grid से जोड़ रहे हैं।

देश में fertilizer आप 80 हजार करोड़ रुपये यूरिया fertilizer subsidy जाती है। जितने अर्थशास्त्री हैं वो कहते हैं ये पैसे बरबाद कर रहे हो। reform लाओ, subsidy रद्द करो। क्या उसके कोई उपाय है कि नहीं है। हमने एक निर्णय किया। कुछ लोग कहेंगे हमारे समय में हुआ अब मैं उस विवाद में जाना नहीं चाहता हूं। लेकिन कोई भी चीज का परिणाम जब तक उस चीज को 100 percent नहीं करते नहीं आता है। टोकन करने से नहीं आता है। हमें मालूम है हमारे देश में यूरिया में बहुत subsidy दी जाती है करीब 80 हजार करोड़ रुपया। लेकिन कोई देखता नहीं कि ये यूरिया किसान के पास जाता है कि नहीं जाता। यह subsidized यूरिया Chemical Industries के लिए raw material है।

इसलिए क्या होता है कि subsidized यूरिया की चोरी होती है, Chemical Industry वाले मार लेते हें। वो processing करके अपना product बाजार में बेच देते हैं। नाम आता है किसान का, इसको कैसे रोका जाए। हमने तय किया यूरिया को 100 percent Neem Coating किया जाएगा। एक बार यूरिया को Neem Coating किया तो वो खेती के सिवा किसी और काम में आ ही नहीं सकता है। हिंदुस्तान में जितना यूरिया produce होता है, उसका काम पूरा हो गया है। Imported जो यूरिया है, उसका within a month पूरा हो जाएगा। उसका मतलब हुआ कि यूरिया की चोरी गई, चोरी मतलब subsidy बची, मतलब अगर reformist को ठीक लगे तो इसको reform कहना चाहिए।

कामों में efficiency, कामों में target, कामों को कैसे चलाना अगर उस दिशा में हम चलते हैं, हम कैसे परिणाम ला सकते हैं। इसका मैं उत्तर, नमूना दे रहा हूं। At the same time हमने क्या होता था पहला मालूम है कि जो fertilizer कारखाना होता है उसकी inefficiency एक प्रकार से incremental beneficiary रहती थी, ऐसी scheme थी कि भई आपका अगर उत्पादन खर्च 50 रुपया हुआ तो आपको उस प्रकार की subsidy मिलेगी। अगर production cost 100 हो गया, उस प्रकार से मिलेगी मतलब जितना बुरा करोगे उतना ही ज्यादा सब्सिडी मिलेगी। ये चलता था। हमने आकर तय किया सबकी input cost की जो कीमत है वो common कर दी। गैस को वो हमने common कर दिया सारी चीजें। अब हमने कह दिया सबका rate fix होगा। बाजार में जाएगा सब्सिडी fix होगी। अब उनका efficiency level बढ़ाने की नौबत आ गई है। चीजों को अगर थोड़ा involve होकर के बदलते हैं तो चीजें बदलती हैं।

हमारे देश में, मैं हिसाब लगा रहा था करीब 85 major projects, installed projects, शिलान्यास पता नहीं किस प्रधानमंत्री ने किया होगा, वो तो पत्थर शायद गुम हो गया होगा और अरबों-खरबों रुपयों के project, मैंने review शुरू किया। आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूं करीब 60-65 project उसमें से already काम आगे बढ़ने लग गया। अभी आपने देखा होगा डाभोल का power generation , Maharashtra में दो साल से बंद पड़ा था अभी पिछले महीने चालू हो गया|हमारे देश में बिजली के कारखाने, कोयला उत्पादन बंद था, बिजली के कारखाने बंद थे। बिजली नहीं थी, उद्योग बंद थे, उद्योग बंद थे, रोजगार नहीं था। रोजगार नहीं था, Economy ठप पड़ी थी। कैसा विष चक्र चल रहा था। कोयले पर हमने ध्यान केंद्रित किया और highest coal उत्पादन record break कर दिया हमने। बिजली को पहुंचाया और भारत आजाद होने के बाद सबसे ज्यादा बिजली पैदा करने का record हमने तोड़ दिया। अब ये बिजली पैदा होने का record टूटने का काम है कि नहीं मैं नहीं जानता हूं लेकिन हुआ है। बिजली का झटका लगे, बिजली बंद हो, तब तो हमारा ध्यान जाए लेकिन बिजली इतनी तेज गति से सुधार हो आज करीब साढ़े 8 प्रतिशत growth है उसका, छोटी बात नहीं है।

Infrastructure विकास के लिए ये सबसे अहम चीज है, वो बदलाव ला रही है तो ये चीजें हैं परिवर्तन कैसे आता है उसका देखते हैं। एक दिन मैं देख रहा था, आजादी के 60 साल हो गए, बिजली पहुंचनी चाहिए। मैं फिर कहता हूं, मैं किसी की आलोचना करने नहीं आया हूं। आजादी के 70 साल होने आए हैं, 18 हजार गांव, जहां आज बिजली का खंभा भी नहीं है। मैंने अफसरों को पूछा, ऐसा तो नहीं है कोई पुरानी सरकारों ने तय नहीं किया होगा, उन्होंने भी किया होगा। कोई ऐसा थोड़ा चाहेगा कि काम न हो लेकिन किया होगा। मैंने कहा नहीं जी मुझे ऐसा नहीं करना है, मुझे परिणाम चाहिए और मैंने 15 अगस्त को लाल किले से कह दिया 1000 दिन में मैं 18 हजार गांव में बिजली पहुचाऊंगा। अब जो काम 70 साल में नहीं हुआ वो अगर मैं हजार दिन में करना चाहता हूं तो आप जानते हैं कि कितनी तकलीफ होती है लेकिन मुझे 1000 दिन में 18 हजार गांव करने हैं तो per day मुझे करीब-करीब मुझे 19 गांव Per day मुझे बिजली पहुंचानी चाहिए per day तब जाकर के...... आप सबसे मेरा आग्रह है कि आप Mobile Phone पर एक App ले लीजिए, download कीजिए ग्रामीण विद्युतीकरण यहां से बाहर जाकर के, यहां तो शायद जैमर होगा लेकिन आप कीजिये और उसमें आप देख सकते हैं कि per day किस गांव में क्या काम हो रहा है, इतनी transparency और आज 100 दिन हुए हैं। मैंने घोषणा की करीब-करीब 100 दिन हुए हैं अब तक मुझे 1900 गांवों में बिजली का काम पूरा करना चाहिए था। कल रात को मैंने देखा जरा यहां आने से पहले App पर तो 3004 गांव पूरे हो चुके हैं और आप अपने mobile phone पर देख सकते हैं कि किस गांव में क्या चल रहा है। खंभे पहुंचे हैं, तार पहुंचा, लोग पहुंचे उसमें जो engineer काम कर रहा है उसका mobile number और e-mail address भी रखा है। कहने का तात्पर्य ये है कि challenge रूप में काम स्वीकार किया है। आजादी के 70 साल बाद जब वो अपने गांव में बिजली देखेगा। मुझे बताइए वो बिजली गरीब के काम आयेगी कि नहीं आयेगी। देश गरीब के काम आ रहा है कि नहीं आ रहा है। अगर हम तय करें, चीजें बदल सकते हैं।

हमने सागरमाला, भारतमाला, भारतनेट कुछ ऐसे initiative लिए हैं। आज global economy में Port sector बहुत ही important है। अगर हम उस पर ध्यान नहीं देते हैं लेकिन हमारा देश क्या था रेलवे अलग, Port अलग, रेलवे वाला train कहां लगाता है, जहां political MP का pressure आता है वहां 2 kilometer डाल देता है और Parliament में भी पूरे रेलवे बजट पर ताली नहीं बजती उसके गांव में रेल आई या नहीं उस पर बजती है....हमने कहा कि चलिए, हम Port Sector का अपना रेल department बनाएं और Port Rail Department बनाया इधर से ये रेल जाएगी औऱ वो Port से इधर दोनों रेल जुड़ेंगी और जब तक हम Port को Rail Connectivity से नहीं जोड़ते हैं, हमारे goods transportation को global level का नहीं बनाते हैं। हम Globally competitive बन ही नहीं सकते हैं। ये Infrastructure का एक ऐसा क्षेत्र हमने चुना है और आने वाले दिनों में जाएंगे। हमारे देश में जो reformist लोग हैं वो कहेंगे आप disinvestment करो, ये सरकार है यार देखो। Strike होती है उसको कोई पूछने वाला नहीं, पहले page पर Photo आती है मोदी मुर्दाबाद-मोदी मुर्दाबाद यानि देश कैसे चल रहा है।

हमने Shipping company सब लोग कहते हैं घाटे में कई चल रही थी, कई सालों से घाटे में चल रही थी। आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं, घाटे में से तो बाहर निकाला इस वर्ष भारत की Shipping company profit में जा रही है। यानि हमारे पास दो ही रास्ते हैं क्या, एक या तो disinvestment करो या बंद कर दो। तीसरा रास्ता भी है उसको corporatize करो, उसको culture बदलो, work culture बदलो और apolitical कर दो, efficiency लाओ, आप स्थितियों को बदल सकते हो। ऐसे अनेक initiative हैं। जिसके कारण मुझे मालूम नहीं समय का क्या हाल है तो मुझे parliament जाना है। खुशखबरी है कि parliament चल रही है और इसकी credit मोदी को नहीं जाती है, सभी दलों को जाती है, सभी दलों को जाती है। मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि आप कोई भी sector ले लीजिए, मैं अनगिनत गिना सकता हूं, एक सप्ताह भर मैं भाषण कर सकता हूं। देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमेशा कार्यक्रमों के आधार पर हम सोचते हैं तो एक सीमा आ जाती है। सबसे पहली बात होती है नीयत और मैं मानता हूं सफलता का मूल आधार नीयत होती है और नीयत के प्रकाश में कौन-सी नीति बनती है और उस नीति को लागू करने के लिए कौन सी राणनीति लाते हो और उस रणनीति को सफल करने के लिए कौन सा आपका time table है, road map है, implementation speed है।

आज देश में विचारों की, सुझावों की कमी नहीं है। आवश्यकता है उत्तम बातों को लागू करना, धरती पर उतारना। मेरा प्रयास है चीजों को धरती पर कैसे उतारूं और आज मैं कह सकता हूं कि जितनी चीजें देखते हैं आप अचानक नहीं हुई हैं एक बहुत ही सजग प्रयास का परिणाम हैं कि जिसके कारण ये संभव हुआ है और ये प्रयास निरंतर चलते रहेंगे, ये देश आगे बढ़कर रहेगा, आप विश्वास कीजिए।

सारी दुनिया इस बात को मान रही है और हमारा problem क्या है जी, विवेकानंद जी ने सालों तक यहां काम किया लेकिन जब तक शिकागो से चिल्लाए नहीं देश को पता नहीं चला, लेकिन अब दुनिया कह रही है कि देश आगे बढ़ रहा है तो यहां के लोग भी मान लेंगे मुझे विश्वास है और जिधर भी देखोगे देश आगे बढ़ रहा है।

मैं फिर एक बार इस समारोह में मुझे आने के लिए निमंत्रण दिया, मैं आपका आभारी हूं।

मेरी कोशिश रही है कि जिस विषय पर आप चाहते थे उस विषय पर मैंने बोलने का प्रयास किया है क्योंकि मुझे आदत नहीं है इधर-उधर जाने की चुनाव है तो उस mood में होता हूँ। यहां हूं तो उस mood में होता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद

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“Awaken the nation, initiate a movement”
“Subscribe to my channel and hit the Bell Icon to receive all my updates”

My YouTuber friends, today I am extremely happy to be here among you as a fellow YouTuber. I am also just like you, not any different. Since 15 years, I have also been connected to the country and the world through a YouTube channel. I also have subscribers in decent numbers.

I have been told that a big community of about 5,000 creators, aspiring creators is present here today. Some work on gaming, some educate on technology, some do food blogging, while some are travel bloggers or lifestyle influencers.

Friends, for years, I have been observing how your content impacts the people of our country. And we have an opportunity to make this impact even more effective. Together, we can bring transformation in the lives of a vast population in our country. Together, we can empower and strengthen many more individuals. Together, we can easily teach and make crores of people understand important matters. We can connect them with us.

Friends, although there are thousands of videos on my channel, the most satisfying for me has been when I talked to lakhs of students in our country through YouTube on subjects like exam stress, expectation management, productivity.

When I am amidst such a big creative community of the country, I feel like talking to you about some topics. These topics are connected with mass movement, the power of the people of the country is the basis for their success.

The first topic is cleanliness - Swachh Bharat became a big campaign in the last nine years. Everyone contributed to it, children brought an emotional power to it. Celebrities gave it heights, people in all corners of the country turned it into a mission and YouTubers like you made cleanliness more cool.

But we don't have to stop. Till the time cleanliness does not become India’s identity, we won’t stop. Therefore, cleanliness must be a priority for each one of you.

The second topic is - Digital payments. Due to the success of UPI, India today has 46 percent share in digital payments of the world. You should inspire more and more people of the country to make digital payments, teach them to make digital payments in simple language through your videos.

Another topic is Vocal For Local. In our country, so many products are made at the local level. The skill of our local artisans is amazing. You can promote them also through your work, and help in making India's local turn global.

And I have one more request. Inspire others also, make an emotional appeal that we will buy the product that has the fragrance of our soil, which has the sweat of a labourer or artisan of our country. Whether it's Khadi, handicrafts, handloom, or anything else. Awaken the nation, initiate a movement.

And one more thing I'd like to suggest from my side. Along with the identity that you have as a YouTuber, can you add an activity. Consider putting a question at the end of each episode or provide action points to do something. People can do the activity and share it with you. This way, your popularity will also grow, and people will not just listen but also engage in doing something.

I really enjoyed talking to all of you. What do you say at the end of your videos... I will also repeat it: Subscribe to my channel and hit the Bell Icon to receive all my updates.

Wishing you all the best.