Text of PM’s interaction with students at Education City, Dantewada

Published By : Admin | May 9, 2015 | 19:23 IST

प्रश्न- आप को काम करने की प्रेरणा कहाँ से मिलती है?

प्रधानमंत्री जी:
बहुत बार खुद की घटनाओं से ज्‍यादा और की घटनाओं से प्रेरणा मिलती है। लेकिन उसके लिए हमें उस प्रकार का स्‍वभाव बनाना पड़ता है। कठिन से कठिन चीज में किस प्रकार से जीवन को जीया जा सकता है। आप लोगों में से पढ़ने का शौक किस-किस को है? वो मास्‍टर जी कह रहे हैं, वो किताबें नहीं उसके सिवाय किताबें पढ़ने का शौक.. ऐसे कितने हैं.. हैं ! आप लोग कभी एक किताब जरूर पढि़ए Pollyanna…..Pollyanna कर के एक किताब है। मैंने बचपन में पढ़ी थी वो किताब। हर करीब-करीब सभी भाषाओं में उसका भाषांतर हुआ है। 70-80 पन्‍नों की वो किताब है, और उस किताब में एक बच्‍ची का पात्र है, और उसके मन में विचार आता है, कि हर चीज में से अच्‍छी बात कैसे निकाली जा सकती है।

तो उसने घटना लिखी है, उसके घर के बगीचे में जो माली काम कर रहे थे, वो बूढ़े हो गये और शरीर ऐसा टेढ़ा हो गया, तो एक बार बच्‍ची ने जाके पूछा कि दादा कैसे हो? तो उन्‍होंने कहा कि नहीं-नहीं अब तो बूढ़ा हो गया, देखिए मैं बड़ा ऐसे ऊपर खड़ा भी नहीं हो सकता हूं, मेरी कमर ऐसी टेढ़ी हो गई है, बस मौत का इंतजार कर रहा हूं। तो बच्‍ची ने कहा नहीं-नहीं दादा ऐसा मत करो। देखिए भगवान आप पर कितना मेहरबान है। पहले आप खड़े होते थे और बगीचे में काम करने के लिए आपको ऐसे मुड़ना पड़ता था। अब भगवान ने ऐसी व्‍यवस्‍था कर दी आपको बार-बार मुड़ना नहीं पड़ता है और अब बगीचे के काम आप आसानी से कर सकते हैं। यानी एक घटना एक के लिए दुख का कारण भी दूसरे के लिए वो प्रेरणा का कारण थी और इसलिए मैं मानता हूं कि घटना कोई भी हो हमारा उसके तरफ देखने का दृष्टिकोण कैसा है, उसके आधार पर जीवन की प्रेरणा बनती है। तो मैं आप सबको कहूंगा और यहां की व्‍यवस्‍था को कहूंगा लाइब्रेरी में पांच-छह किताबें Pollyanna की रखें और बारी-बारी से सब बच्‍चे पढ़ लें। कभी एसेंबलिंग में मीटिंग हो तो उसमें भी पर कोई न कोई प्रसंग बताएं। ठीक है!

प्रश्‍न – आप कितने घंटे काम करते हैं, तनाव का सामना कैसे करते हैं?

प्रधानमंत्री जी: मैं कितने घंटे काम करता हूं, इसका हिसाब-किताब तो मैंने किया नहीं है, और इसका आनंद इसलिए आता है कि मैं गिनता ही नहीं हूं कि मैंने कितने घंटे काम किया जब हम गिनना शुरू कर देते हैं कि मैंने इतने घंटे काम किया, ये काम किया, वो काम किया, तो फिर लगता है यार बहुत हो गया। दूसरा आप लोगों ने देखा होगा अपने अनुभव में जब मास्‍टर जी ने आपको कोई Home work दिया हो और उस Home work जब मास्‍टर जी लिखवाते हैं तो ओ ओ! ये तो Saturday-Sunday खराब हो जाएगा! सब टीचर ने इतना लिखवा कर दिया है। लेकिन जब कमरे में जा करके लिखना शुरू कर देते हैं और Home work पूरा कर देते हैं तो आपने देखा होगा जैसे ही Home work पूरा हो जाता होगा, आपकी थकान उतर जाती है। आपने देखा है कि नहीं ऐसा, काम पूरा होते ही थकान उतर जाती है या नहीं उतर जाती है। जब तक काम बाकी है तब तक थकान लगती है कि नहीं लगती है। तो ये बात पक्‍की है कि काम की थकान कभी नहीं होती, काम न करने की थकान होती है, एक बार कर देते हैं, तो काम का आनंद होता है। संतोष होता है, और इसलिए जितना ज्‍यादा काम करते हैं, उतना ज्‍यादा आनंद मिलता है। जितना ज्‍यादा काम करते हैं ज्‍यादा संतुष्‍ट होता है।

दूसरा, एक पुरानी कथा है बहुत बढि़या कथा है, कोई एक स्‍वामी जी, पहाड़ पर किनारे बैठे थे और एक आठ साल की बच्‍ची अपने तीन साल के भाई को उठा करके पहाड़ चढ़ने जा रही थी, तो स्‍वामी जी ने पूछा अरे बेटी तुम्‍हें थकान नहीं लगती क्‍या ? तो उसने जवाब में नहीं ये तो मेरा भाई है, तो स्‍वामी जी ने बोला मैं ये नहीं पूछ रहा हूं कि तुम्‍हारे साथ कौन है, मैं ये पूछ रहा हूं कि तुम्‍हें थकान नहीं लगती इतना बड़ा पहाड़ चढ़ना है, तुम अपने छोटे भाई को ले करके चढ़ रही हो, तुम्‍हें थकान नहीं लगती। नहीं नहीं पंडत जी मेरा भाई है। तो स्‍वामी जी ने फिर से पूछा। अरे मैं तुम्‍हें नहीं पूछ रहा हूं कि कौन है, मैं तुमसे पूछ रहा हूं कि तुझे थकान नहीं लग रही है, तो उसे अरे नहीं स्‍वामी जी मैं आपको बता रही हूं न की मेरा भाई है। कहने का तात्‍पर्य ये था कि जो अपनो के लिए जीते हैं, तो थकान कभी नहीं लगती। समझे! मुझे सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे अपने लगते हैं। मेरे, मैं उन परिवार का सदस्‍य हूं सवा सौ करोड़ का देशवासियों का मेरा परिवार है। उनके लिए कुछ करने का आनंद आएगा या नहीं आएगा और मेहनत करने का मन करेगा या नहीं करेगा। अपनों के लिए जीने का मन करेगा या नहीं करेगा। फिर थकान लगेगी! बस यही है इसका कारण।

प्रश्‍न – जीवन की सबसे बड़ी सफलता किसे मानते हैं, श्रेय किसे देते हैं?

प्रधानमंत्री जी:
जीवन को सफलता और विफलता के तराजू से नहीं तौलना चाहिए, जिस दिन हम सफलता-विफलता, सफलता-विफलता इसी के हिसाब लगाते रहते हैं, तो फिर निराशा आ जाती है। हमारी कोशिश ये रहनी चाहिए कि एक ध्‍येय ले करके चलना चाहिए। कभी रूकावट आए, कभी कठिनाइयां आए, कभी दो कदम पीछे जाना पड़े, लेकिन अगर उस ध्‍येय को सामने रखते हैं तो फिर ये सारी बातें बेकार हो जाती हैं। तो एक तो सफलता और विफलता को जीवन के लक्ष्‍य को पाने के तराजू के रूप में कभी देखना नहीं चाहिए, लेकिन विफलता से बहुत कुछ सीखना चाहिए। ज्‍यादातर लोग सफल इसलिए नहीं होते है वो विफलता से कुछ सीखते नहीं है। हम विफलताओं से जितना ज्‍यादा सीख सकते हैं, शायद सफलता उतना हमें शिक्षा नहीं देती। मेरा जीवन ऐसा है जिसको हर कदम विफलताओं का ही सामना करना पड़ा और मैं सफलताओं का हिसाब लगाता नहीं हूं, न सफल होने के मकसद से काम करता हूं। एक लक्ष्‍य की प्राप्ति करनी है अपनी भारत मां की सेवा करना। सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा करना। विफलता-सफलता आती रहती है। लेकिन कोशिश करता हूं, विफलता से ज्‍यादा से ज्‍यादा सीखने का प्रयास करता हूं।

प्रश्‍न - आप राजनीति में नहीं होते तो क्‍या होते?

प्रधानमंत्री जी:
देखिए जीवन का सबसे बड़ा आनंद ये होता है, बालक रहने का.. बालक बने रहने का कितना आनंद होता है और जब बड़े हो जाते हैं तब पता चलता है कि बालकपन छूटने का कितना नुकसान होता है तो अगर ईश्‍वर मुझे पूछता कि क्‍या चाहते हो तो मैं कहता जिन्‍दगी भर बालक बना रहूं।

प्रश्‍न – कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता का राज।

प्रधानमंत्री जी:
मैं समझता हूं अभी मुझे ये सवाल पूछा ही गया है, करीब-करीब वैसा ही सवाल है। जीवन में किसी को भी अगर कोई भी क्षेत्र हो अगर सफल होना है तो हमें पता होना चाहिए कि मुझे कहा जाना है, हमें पता होना चाहिए कि किस रास्‍ते जाना तय है, हमें पता होना चाहिए, हमें पता होना चाहिए कैसे जाना है, हमें पता होना चाहिए कब तक जाना है। अगर इन बातों में हमारी सोच एकदम स्‍पष्‍ट होगी तो फिर विफलताएं आएंगी तो भी, रूकावटें आएंगी तो भी आपका लक्ष्‍य कभी ओझल नहीं होगा। ज्‍यादातर लोगों को क्‍या होता है अगर आज कोई अच्‍छी movie देख करके आ गए तो आप पूछोगे कि आप क्‍या चाहते हो तो शाम को कह देगा, मैं actor बनना चाहता हूं।

आज कहीं world cup देख करके आया किसी ने पूछ लिया कि क्‍या चाहते हो तो बोले मुझे cricketer बनना है। युद्ध चल रहा है सेना के जवान शहीद हो रहे है, तो खबरें आ रही है तो मन करता है नहीं-नहीं अब तो बस सेना में जाना है और देश के लिए मर-मिटना है। ये जो रोज नए-नए विचार करते हैं उनके जीवन में कभी भी सफलता नहीं आती और इसलिए हमारी मन की जो इच्‍छा है वो seal होनी चाहिए। आज एक इच्‍छा कल दूसरी इच्‍छा परसों तीसरी इच्‍छा, तो फिर लोग कहते हैं- ये तो बड़ा तरंगिया! ये कल तो ये सोचता था-ये सोचता था, ये तो बेकार है.. तो इच्‍छा seal होनी चाहिए और जब इच्‍छा seal हो जाती है, तो अपने आप में संकल्‍प बन जाती है और एक बार संकल्‍प बन गया फिर पीछे मुड़ करके देखना नहीं चाहिए। बाधाएं हो कठिनाईयां हो, तकलीफें हो हमें लगे रहना है। सफलता आपके कदम चूमती हुई चली आएंगी।

अच्‍छा आप में से.. यहां रहते हो, इतना बड़ा परिसर है, आपमें से कभी किसी को बहुत अच्‍छे खिलाड़ी बनने की इच्‍छा होती है? Sports man! है किसी को.. हरेक को पढ़-लिख करके बाबू बनना है। अभी मैं पूछूंगा पुलिस अफसर किस को बनना है, तो सब हाथ ऊपर करेंगे, डॉक्‍टर किसने बनना है, सब हाथ ऊपर करेंगे, ऐसा ही होता है न! अच्‍छा आपके मन में.. कुछ बनने के लिए कर रहे हो काम क्‍या? क्‍या बनने के लिए कर रहे हो? जो डॉक्‍टर बनने के लिए कर रहे हैं, वो जरा खड़े हो जाएं, जो डॉक्‍टर बनने के लिए मेहनत कर रहे हैं.. बैठिए। जो कलेक्‍टर बनने के लिए काम कर रहे हैं वो कौन-कौन हैं? .. अच्‍छा। जो लोग आईआईटी में जाना चाहते हैं, उसके लिए कर रहे हैं वो कौन-कौन हैं? एक बात बताऊं? अगर सपने देखने हैं तो बनने के सपने कम देखो करने के सपने ज्‍यादा देखो और एक बार करने के सपने देखोगे तो आपको उसे करने का आनंद और आएगा।

लेकिन मैं चाहूंगा.. इतना बढि़या परिसर है, अभी से तय करना चाहिए कि तीन खेल में, तीन खेल के अंदर... तो ये हमारी धरती, ये हमारी आदिवासियों की भूमि.. हम दुनिया में नाम कमा करके ले आएंगे और आप देखिए ला सकते हैं। आपने एक साल पहले देखा होगा, पड़ोस में, झारखंड में अपनी बालिकाएं.. कोई साधन नहीं था उनके पास लेकिन अंतर्राष्‍ट्रीय जगत में गए। बेचारों के पास वो कपड़े भी नहीं थे, कुछ नहीं था, विमान क्‍या होता है ये मालूम भी नहीं था लेकिन दुनिया में नाम कमा करके आ गए, खेल के अंदर। .. झारखंड की आदिवासी बालिकाएं थी। हमारे मन में इरादा रहना चाहिए कि सिर्फ खेलने के लिए नहीं, एक अच्‍छा खिलाड़ी बनने के लिए मैं एक माहौल बनाऊंगा। मैं खुद एक अच्‍छा खिलाड़ी बनूंगा। .. और जहां ये परिसर होता है वहां अच्‍छे खिलाड़ी तैयार करने की संभावना होती है, talent search करने की संभावना होती है और मैं चाहूंगा कि इस बढि़या परिसर में.. ।

दूसरा, आपमें से कितने लोग हैं जो बिल्‍कुल सप्‍ताह में एक दिन भी खेलने की बात आए तो कमरे के बाहर नहीं निकलते, शर्मा जाते हैं, घबरा जाते हैं, कितने हैं? .. हां बताएंगे नहीं आप लोग। देखिए जीवन में खेल-कूद होना चाहिए, कितना भी पढ़ना क्‍यों न हो। दिन में तीन-चार बार तो पसीना आना ही चाहिए, इतनी मेहनत करनी चाहिए, दौड़ना चाहिए, खेल-कूद करना चाहिए। उससे पढ़ाई को कोई नुकसान नहीं होता। sports है, तो sports man spirit आता है और sports man spirit आता है तो जीने का भी एक अलग आनंद आता है। तो करेंगे? करेंगे? दिन में चार बार पसीना छूट जाए, ऐसा करेंगे? तो क्‍या इसके लिए धूप में जाकर खड़े रहेंगे क्‍या? ऐसा तो नहीं करेंगे न।

धन्‍यवाद

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PM’s conversation with Kapoor family on 100 years of Raj Kapoor
December 11, 2024
Raj Kapoor had established the soft power of India at a time when the term itself was not coined: PM
There is a huge potential for Indian cinema in Central Asia, there is a need to work towards tapping the same, efforts must be made to reach to the new generations in Central Asia: PM

Ranbir Kapoor: For the past week, our WhatsApp family group has been actively debating how we should address you—Prime Minister Ji or Pradhan Mantri Ji! Reema Bua calls me every day, asking what to say and how.

Prime Minister: Brother, I am also a part of your family. Say whatever you feel like.

Woman: Hon'ble Prime Minister, Shri Narendra Modi Ji!

Prime Minister: Cut!

Woman: You have graciously invited us here today, spending your valuable time. On the occasion of Raj Kapoor's 100th birthday, we thank you. I was reminded of a few lines from one of Papa's films: Mai na rahungi, tum na rahoge, lekin rahengi nishaniyan!

Prime Minister: Wow!

Woman: The respect and love you have shown us are immeasurable. Today, the entire nation will witness the reverence Narendra Modi Ji, our Prime Minister, has extended to the Kapoor family.

Prime Minister: Kapoor Sahab has made an immense contribution! I consider it my privilege to welcome you all here. Raj Sahab's 100th birthday marks a golden milestone in the journey of Indian cinema. From Neel Kamal in 1947 to 2047, this century-long journey signifies an extraordinary contribution to the nation. In today's diplomatic circles, there is considerable discussion about soft power. During an era when the term 'soft power' had not even been coined, Raj Kapoor Sahab had already established Bharat's influence on the global stage through his work. This was a monumental service to the country.

Woman: Something similar happened with Ranbir. He was sitting in a car, and the Russian taxi driver asked, Are you from India? Then he started singing a song. He told him, I am Raj Kapoor's grandson—tell him son!

Ranbir Kapoor: I told him I was his grandson, and I always got free taxi rides because of that.

Prime Minister: Perhaps something could be done, especially in Central Asia. A film should be made that resonates deeply with the minds and hearts of the people there. Raj Sahab, even after so many years, still holds a strong emotional connection with them. That, in itself, is remarkable.

Woman: These days, even young children are being taught a variety of songs!

Prime Minister: That shows the lasting impact on their lives. I believe there is immense potential in Central Asia. We should work to revive this connection, linking it to the new generation and strengthening the bond. Such creative endeavours should be initiated, and they certainly can be achieved.

Woman: He received so much affection that his name became internationally recognised. You could call him a cultural ambassador in a small way. But today, I must say this: while he may have been a small cultural ambassador, our Prime Minister has elevated India onto the global stage, and we are so proud. Each member of this family is very proud.

Prime Minister: Indeed, the country's global standing has significantly increased. Take yoga, for example. Today, no matter where you go in the world, you’ll find tremendous appreciation for yoga.

Woman: My mother and I, along with Bebo, Lolo, and all of us, are deeply interested in yoga.

Prime Minister: Whenever I meet world leaders, whether during lunch or dinner, the conversation around me often revolves solely around yoga.

Person: This film is a humble tribute to my grandfather. It’s actually my first film as a producer, and I had always dreamed of creating something with my family. This project encapsulates everything dear to us.

Woman: May I share something? These are my grandsons, my children. They never had the chance to meet their grandfather, yet they are creating this film to honour him. Armaan has done extensive research, and this work is, in part, a tribute to him.

Person: Everything we have learned comes from films, and much of it has been taught to us by our mother.

Prime Minister: When you conduct research, in a way, you immerse yourself in that world—you live it. You are truly fortunate because, even though you never met your Nanaji, you have the opportunity to experience his life through this work.

Person: Yes, absolutely. This has been a big dream of mine, and I am incredibly grateful that my entire family is a part of this project.

Prime Minister: I recall the influence of his films. During the Jan Sangh era, there was an election in Delhi, and the Jan Sangh lost. Advani Ji and Atal Ji, upon facing defeat, said, “What shall we do now?” They decided to watch a film to lift their spirits. They went to watch a Raj Kapoor movie. The night passed, and by morning, they found renewed hope. It was as if, despite their loss, a new dawn awaited.

I also remember being in China, and one of your father’s songs was playing. I asked a colleague to record it on a mobile phone, and I sent it to Rishi Sahab. He was overjoyed.

Alia: I think you recently visited Africa, and I saw a clip of you standing with a soldier who was singing one of my songs. That clip went viral, and many people sent it to me. Everyone was so happy to see it. I have always felt that songs have a unique ability to unite the world. Hindi songs, in particular, hold a special place—they transcend language barriers. People may not always understand the words, but they sing along regardless. I have noticed this often during my travels, especially with Raj Kapoor’s songs. Even today, there’s something deeply sentimental and universal about our music that creates an instant connection. Speaking of which, I had a question—do you still get a chance to listen to songs?

Prime Minister: Yes, I do as I enjoy music, and whenever I get the opportunity, I make sure to listen.

Saif Ali Khan: You are the first Prime Minister I have had the honour of meeting, and you have met us personally—not once, but twice. You exude such positive energy, and your dedication to your work is truly admirable. I would like to congratulate you on all that you do and thank you for opening your doors, meeting with us, and being so approachable. Thank you very much.

Prime Minister: I remember meeting your father, and I was hoping that today I would get the chance to meet three generations of your family. But you didn’t bring the third generation along.

Karisma Kapoor: We really wanted to bring them.

Woman: They are all big actors, we are not in the greater field, my children are trying their level best. And we were invited by the Prime Minister. Thank you, Papa!

Ranbir Kapoor: We are organising a retrospective of Raj Kapoor's work on the 13th, 14th, and 15th of December. The Government of India, NFDC, and NFAI have been incredibly supportive. We have restored 10 of his films, both audio and visual, and they will be showcased in 160 theatres across 40 cities in Bharat. We are hosting the premiere on the 13th in Mumbai, and we have invited the entire film industry to join us.