For us, ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’ is about serving the people: PM Modi

Published By : Admin | October 12, 2018 | 17:16 IST
QuoteNumerous measures undertaken in the last four years to enhance the quality of life of our citizens: PM Modi
QuoteHuman rights should not be about only slogans but it should be an integral part of our values: PM Modi
QuoteFor us, ‘Sabka Saath, Sabka Vikas’ is about serving the people: PM Modi
QuoteWith focus on justice for all, the government is increasing the number of e-Courts, strengthening the National Judicial Data Grid: Prime Minister Modi
QuoteWith the use of technology, we are making the system transparent and protecting the rights of citizens: PM Modi
QuoteTo empower the Divyangs, we have strengthened the Rights of Persons with Disabilities Act: PM Modi

मंच पर विराजमान मंत्रीपरिषद के मेरे साथी श्रीमान राजनाथ सिंह जी, श्री मनोज सिन्‍हा जी, NHRC Chairperson जस्टिस एस.एल.दत्‍तू जी, आयोग के सदस्‍य गण, यहां उपस्थित सभी नए महानुभाव, देवियो और सज्‍जनो !

राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग आज 25 वर्ष पूर्ण कर रहा है। इस अहम पड़ाव पर पहुंचने के लिए आप सभी को, देश के जन-जन को बहुत-बहुत बधाई। इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर आप सभी के बीच आकर मुझे बहुत ही अच्‍छा लग रहा है।

साथियो, बीते ढाई दशक में राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सामान्‍यमानवी के गरीब, पीड़ित, वंचित, शोषित की आवाज बनकर राष्‍ट्र निर्माण को दिशा दिखाई है। न्‍याय और नीति के पद पर चलते हुए आपने जो भूमिका निभाई है, उसके लिए International Human Rights Institutions ने निरंतर आपकी संस्‍था को ‘A’Status दिया है। ये भारत के लिए गर्व की बात है।

साथियो, मानव अधिकार की रक्षा हमारी संस्‍कृति का अहम हिस्‍सा है। हमारी परम्‍पराओं में हमेशा व्‍यक्ति के जीवन निमित समता, समानता उसकी गरिमा के प्रति सम्‍मान, इसको स्‍वीकृति मिली हुई है। अब यहां प्रारंभ में जिस श्‍लोक का उच्‍चार हुआ, वो बाद में राजनाथ जी ने भी विस्‍तार से कहा – ‘सर्वे भवन्‍तु सुखेन’ की भावना हमारे संस्‍कारों में रही है।

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गुलामी के लंबे कालखंड में जो आंदोलन हुए उनका भी ये महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहा है। साथियों आजादी के बाद इन आदर्शों के संरक्षण के लिए ही एक मजबूत तंत्र विकसित किया गया था। हमारे यहां तीन स्‍तरीय शासन व्‍यवस्‍था है- एक स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष न्‍याय व्‍यवस्‍था है, active media है और सक्रिय civil society है। अधिकारों को सुनिश्चित करने वाले NHRCजैसे अनेक संस्‍थान, कमीशन और tribunal भी हैं। हमारी व्‍यवस्‍था उन संस्‍थाओं की आभारी है जो गरीबों, महिलाओं, बच्‍चों, पीड़ितों, वंचितों, आदिवासियों समेत हर देशवासी के अधिकार को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा पंचायत राज सिस्‍टम या फिर स्‍थानीय निकायों से जुड़ी व्‍यवस्‍था मानव अधिकारों के सुरक्षा तंत्र का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। ये संस्‍थाएं सामान्‍य जन के हम को, विकास के लाभ को, जन कल्‍याणकारी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। ये संस्‍थाएं महिलाएं, वंचित वर्गों के सशक्तिकरण और भागीदारी में भी बहुत बड़ा योगदान दे रही हैं।

साथियो, मानव अधिकारों के प्रति इसी समर्पण ने देश को 70 के दशक में बहुत बड़े संकट से उबारा था। Emergency, आपातकाल के उस काले कालखंड में जीवन का अधिकार छीन लिया गया था, बाकी अधिकारों की तो बात ही क्‍या करें। उस दौरान सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले हजारों-लाखों लोग जेलों में भर दिए गए थे, लेकिन भारतीयों ने अपनी परिपाटी के इस मत्‍वपूर्ण पहलू को, मानव अधिकारों को अपने प्रयत्‍नों से फिर हासिल किया। मानव अधिकारों, मूल अधिकारों की श्रेष्‍ठता को फिर से स्‍थापित करने वाली उन सभी संस्‍थाओं को, सभी जनों को मैं आज के इस पावन अवसर पर आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियो, मानव अधिकार सिर्फ नारा नहीं होना चाहिए, ये संस्‍कार होना चाहिए, लोकनीति का आधार होना चाहिए। मैं मानता हूं कि पिछले साढ़े चार वर्षों की ये बहुत बड़ी उपलब्धि रही है कि इस दौरान गरीब, वंचित, शोषित समाज के दबे-कुचले व्‍यक्ति की गरिमा को, उसके जीवन-स्‍तर को ऊपर उठाने के लिए गंभीर प्रयास हुए हैं। बीते चार वर्षों में जो भी कदम उठाए गए हैं, जो भी अभियान चलाए गए हैं, जो योजनाए बनी हैं, उनका लक्ष्‍य यही है और हासिल भी यही है।

सरकार का फोकस इस बात पर रहा है कि सामान्‍य मानवी की मूल आवश्‍यकताओं की पूर्ति उसकी जेब की शक्ति से नहीं बल्कि सिर्फ भारतीय होने भर से ही स्‍वाभाविक रूप से हो जाए। हमारी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास’ इस मंत्र को सेवा का माध्‍यम मानती है। ये अपने-आप में ही मानव अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी की तरह काम कर रही है।

सा‍थियो, आप सभी इस बात से भलीभांति परिचित रहे हैं कि बेटियों के जीवन के अधिकार को लेकर कितने सवाल थे। बेटी को अवांछित मानकर गर्भ में ही हत्‍या करने की विकृत मानसिकता समाज के कुछ संकुचित-सीमित लोगों में बंट रही थी।

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आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान की वजह से हरियाणा-राजस्‍थान समेत अनेक राज्‍यों में बेटियों की संख्‍या में भारी वृद्धि हुई है। अनेक मासूमों के जीवन को अधिकार मिला है। जीवन का अर्थ सिर्फ सांस लेने से नहीं है, सम्‍मान भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है।

मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि दिव्‍यांग, ये ‘दिव्‍यांग’ शब्‍द आज कुछ भारतीयों के लिए सम्‍मान का सूचक बन गया है। इतना ही नहीं, उनके जीवन को सुगम बनाने के लिए ‘सुगम्‍य भारत’ अभियान के तहत, सरकारी बिल्डिंग्‍स हों, एयरपोर्टस हों, रेलवे स्‍टेशन हों, वहां पर विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। गरीब को खुले आसमान के नीचे झुग्‍गी में जीवन बिताना पड़े, मौसम के थपेड़े उसको सहन करने पड़ें, ये भी तो उसके अधिकार का हनन है। इस स्थिति से उसको बाहर निकालने के लिए ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत हर बेघर गरीब को आवास देने का अभियान चल रहा है। और सपना है 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल होंगे, हिन्‍दुस्‍तान में हर उस व्‍यक्ति को मकान मिलना चाहिए, जिसके सिर पर छत नहीं है।अब तक सवा सौ करोड़ से अधिक भाई-बहनों को घर की चाबी मिल चुकी है।

साथियो, घर के अलावा गरीब को ‘उज्‍ज्‍वला योजना’ के तहत मुफ्त गैस कनेक्‍शन भी दिया जा रहा है। ये योजना सिर्फ एक welfare scheme भर नहीं है। इसका संबंध समानता से है, गरिमा के साथ जीवनयापन करने से है। इससे देश की साढ़े पांच करोड़ से अधिक गरीब माताओं-बहनों को आज साफ-सुथरी धुंआमुक्‍त रसोई का अधिकार मिला है। ये परिवार इस अधिकार से सिर्फ इसलिए वंचित थे क्‍योंकि उनका सामर्थ्‍य नहीं था, उनका जेब खाली था।

इतना ही नहीं, जब देश में बिजली की व्‍यवस्‍था है, बिजली पैदा हो रही है, तब भी हजारों गांव, करोड़ों परिवार अंधेरे में थे।सिर्फ इसलिए क्‍योंकि वो गरीब थे, दूर-सुदूर के इलाकों में बसे थे। मुझे खुशी है कि बहुत ही कम समय में उन 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंची है, जो आजादी के इतने वर्षों बाद भी 18वीं शताब्‍दी में जीने के लिए मजबूर थे।

इतना ही नहीं, ‘सौभाग्‍य योजना’ के तहत 10-11 महीनों के भीतर ही डेढ़ करोड़ से अधिक परिवारों को रोशनी की समानता मिली है, उनके घर में बिजली का लट्टू जल रहा है।

सा‍थियो, अंधकार के साथ-साथ खुले में शौच की समस्‍या भी गरिमापूर्ण जीवन के रास्‍ते में एक बहुत बड़ा रोड़ा थी। शौचालय न होने की मजबूरी में जो अपमान वो गरीब भीतर ही भीतर महसूस करता था, वो किसी को बताता नहीं था। विशेषतौर पर मेरी करोड़ों बहन-बेटियां, उनके लिए dignity से जीने के अधिकार का हनन तो था ही, बल्कि जीने के अधिकार को ले करके भी गंभीर सवाल था। बीते चार वर्षों में देशभर के गांव-शहरों में जो सवा नौ करोड़ से अधिक toilet बने हैं, इससे गरीब बहनों-भाइयों के लिए स्‍वच्‍छता के अलावा सम्‍मान के साथ जीवन का अधिकार भी सुनिश्चित हुआ है। और उत्‍तर प्रदेश की सरकार ने तो, उत्‍तर प्रदेश सरकार ने तो शौचालय को ‘इज्‍जतघर’ नाम दिया है। हर शौचालय के ऊपर लिखते हैं ‘इज्‍जतघर’।

गरीब के जीवन, उसके स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ा एक और अधिकार, जो हाल में ही मिला है और जिसका जिक्र श्रीमान राजनाथ जी ने किया, वो है PMJAY यानी आयुष्‍मान भारत योजना। ये कितना बड़ा अधिकार है इसका प्रमाण आपको हर रोज मिल रहा है। मीडिया में देश के कोने-कोने से आ रही खबरें बहुत संतोष देने वाली हैं। बेहतरीन अस्‍पतालों की सुविधा होने के बाद भी जो व्‍यक्ति संसाधन के अभाव में अच्‍छे इलाज से वंचित था उसको आज इलाज का हक मिला है।Launch होने के सिर्फ दो-ढाई हफ्ते के भीतर ही 50 हजार से अधिक बहन-भाइयों का इलाज या तो हो चुका है या इलाज चल रहा है।

सा‍थियो, स्‍वास्‍थ्‍य के साथ-साथ आजादी के अनेक दशकों तक करोड़ों देशवासियों की आर्थिक आजादी एक छोटे से दायरे में सीमित थी। सिर्फ कुछ लोग बैंक का उपयोग कर पा रहे थे, ऋण ले पा रहे थे। लेकिन बहुत बड़ी आबादी अपनी छोटी-छोटी बचत भी रसोई के डिब्‍बे में छुपाने के लिए मजबूर थी। हमने स्थिति की गंभीरता को समझा। ‘जनधन अभियान’ चलाया। और आज देखते ही देखते करीब 35 करोड़ जनों को बैंक से जोड़ा, आर्थिक आजादी के अधिकार को सुनिश्चित किया।

इतना ही नहीं ‘मुद्रा योजना’ के माध्‍यम से उन लोगों को स्‍वरोजगार के लिए बैंकों से गारंटी फ्री लोन दिया जा रहा है जो कभी सिर्फ साहूकारों पर निर्भर हुआ करते थे।

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भाइयो और बहनों, हमारी सरकार ने कानून के माध्‍यम से अपनी सरकार की नीति और निर्णयों में भी निरंतर मानव अधिकारों को सुनिश्चित किया है। उन्‍हें और मजबूत करने का प्रयास किया है। अभी हाल ही में मुस्लिम महिलाओं को ‘तीन तलाक’ से मुक्ति दिलाने वाला कानून इस कड़ी का हिस्‍सा है। मुझे उम्‍मीद है कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों से जुड़े इस अहम प्रयास को संसद द्वारा भी स्‍वीकृति मिलजाएगी।

गर्भवती महिलाओं को वेतन के साथ मिलने वाले अवकाश को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने का फैसला भी हमारी इसी सोच का नतीजा है। एक प्रकार से वो नवजात शिशु के अधिकार की हमने रक्षा की है। उसके पास उसकी मां 6 महीने तक रह पाएं, ये अपने-आप में बड़ा निर्णय है। दुनिया की progressive countries में भी अभी ये होना बाकी है।

हमारी महिलाओं को night shift में काम करने में आने वाली कानूनी अड़चनों को दूर करने और इस दौरान उन्‍हें पर्याप्‍त सुरक्षा मिले, ये काम भी इस सरकार ने ही किया है।

दिव्‍यांगों के अधिकार को बढ़ाने वाला ‘Rights of Person with Disabilities’ Act’ उनके लिए नौकरियों में आरक्षण बढ़ाना हो या फिर Transgender Persons Protection of Rights Bill, ये मानव अधिकारों के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं।

एचआईवी पीड़ित लोगों के साथ किसी तरह का भेदभाव न हो, उन्‍हेंसमान उपचार मिले, उसे भी कानून द्वारा सुनिश्चित करने का काम हमने किया है।

साथियो, न्‍याय पाने के अधिकार को और मजबूत करने के लिए सरकार e-courts की संख्‍या बढ़ा रही है, national judicial data grid को सशक्‍तकर रही है। National judicial data grid से अब तक देश की 17 हजार से ज्‍यादा अदालतों को जोड़ा जा चुका है। केस से संबंधित जानकारियां, फैसलों से जुड़ी जानकारियां ऑनलाइन होने से न्‍याय प्रक्रिया में और तेजी आई है और लंबित मामलों की संख्‍या में कमी आई है। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को tele-law scheme के माध्‍यम से कानूनी सहायता भी दी जा रही है।

भाइयो और बहनों, नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सरकार आधुनिक टेक्‍नोलॉजी के इस्‍तेमाल और व्‍यवस्‍था में पारदर्शिता बढ़ाने पर निरंतर जोर दे रही है। UIDAI act, इसे लाकर सरकार ने न सिर्फ आधार को कानूनी रूप से मजबूत किया है बल्कि आधार का उपयोग बढ़ाकर देश के गरीबों तक सरकार योजनाओं का पूरा लाभ पहुंचाने का प्रयास सफलतापूर्वक किया है।

आधार एक तरह से देश का सबसे बड़ा टेक्‍नोलॉजी आधारित सशक्तिकरण कार्यक्रम बन गया है। हाल ही में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने सरकार के कार्यों की प्रशंसा भी की है। इसी तरह public distribution system को टेक्‍नोलॉजी द्वारा पारदर्शी बनाकर सरकार ने गरीबों को सस्‍ताअनाज मिलना सुनिश्चित किया है। वरना, पहले क्‍या होता था, कैसे होता था, ये भी हम सभी भलीभांति जानते हैं।

इसी तरह लोगों को अपने अधिकार प्राप्‍त करने में दिक्‍कत न हो, इसके लिए अनेक प्रक्रियाओं को भी सुधारा गया है, अनेक नियमों में भी बदलाव किया गया है।Self attestation को बढ़ावा देना या फिर भारतीय सशस्‍त्र सेनाओं में Short Service Commissionके माध्‍यम से नियुक्‍त महिला अधिकारियों को पुरुष समकक्षों की तरह स्‍थाई कमीशन का फैसला सरकार की इसी approach का हिस्‍सा है।

नियमों में ऐसे बहुत छोटे-छोटे बदलावों ने बहुत बड़े स्‍तर पर प्रभाव डाला है। जैसे बांस की परिभाषा बदलने की वजह से देश में दूर-दराज वाले इलाकों में रहने वाले आदिवासी भाई-बहनों को अब बांस काटने और बांस के परिवहन का अधिकार मिला है। इससे उनकी आय वृद्धि पर व्‍यापक असर पड़ रहा है।

सा‍थियो, सबको कमाई, सबको पढ़ाई, सबको दवाई और सबकी सुनवाई, इस लक्ष्‍य के साथ ऐसे अनेक काम हुए हैं जिससे करोड़ों भारतीय भीषण गरीबी से बाहर निकल रहे हैं। देश बहुत तेज गति से मध्‍यम वर्ग की बहुत बड़ी व्‍यवस्‍था की तरफ बढ़ रहा है। ये सफलता अगर मिली है तो उसके पीछे सरकार के प्रयास तो हैं ही, उससे भी अधिक जन-भागीदारी है। देश के करोड़ों लोगों ने अपने कर्तव्‍यों को समझा है। अपने व्‍यवहार में परिवर्तन के लिए खुद को प्रेरित किया है।

भाइयो और बहनों, हमारे फैसले, हमारे कार्यक्रम तभी स्‍थाई रूप से सफल हो सकते हैं अगर जनता उनसे जुड़ती है। मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि जन-भागीदारी से बड़ा सफलता का मंत्र कुछ भी नहीं हो सकता।

मुझे बताया गया है कि अपने रजत जयंती समारोह के दौरान NHRC द्वारा देशभर में जन-जागरण के अनेक अभियान चलाए गए हैं। इसमें तकनीक की मदद भी ली जा रही है। थोड़ी देर पहले ही एक डाक टिकट का लोकार्पण किया गया। NHRC की website के नए version को भी launch किया गया है। इससे उन लोगों को निश्चित रूप से सुविधा होगी जिनको मदद की आवश्‍यकता है। मेरा सुझाव है कि सोशल मीडिया के माध्‍यम से भी NHRC व्‍यापक प्रचार-प्रसार का लाभ उठाएं। मानव अधिकारों के प्रति जागरूकता तो जरूरी है ही, साथ में नागरिकों को उनके कर्तव्‍यों, उनके दायित्‍वों की याद दिलाना भी उतना ही जरूरी है। जो व्‍यक्ति अपने दायित्‍वों को समझता है, वो दूसरे के अधिकारों का भीसम्‍मान करना जानता है।

मुझे ये भी एहसास है कि आपके पास बहुत बड़ी संख्‍या में शिकायतें आती हैं, जिनमें कई गंभीर भी होती हैं। आप हर शिकायत की सुनवाई करते हैं, उनका निपटारा करते हैं। लेकिन क्‍या ये संभव है कि

जिस वर्ग या जिस क्षेत्र से जुड़ी शिकायतें आती हैं, उनके बारे में एक databaseतैयार हो, उसका एक विस्‍तृत अध्‍ययन किया जाए। मुझे विश्‍वास है कि इस प्रक्रिया के दौरान कई ऐसी समस्‍याएं भी मिलेंगी जिनका एक व्‍यापक समाधान संभव है।

Sustainable Development Goalsहासिल करने के लिए आज सरकार जो भी प्रयास कर रही है, उसमें NHRC की भूमिका बहुत महत्‍वपूर्ण है। आपके सुझावों का सरकार ने हमेशा स्‍वागत किया है। देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए, उनके अधिकार सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिपल प्रतिबद्ध है। एक बार फिर NHRC को, आप सभी कोSilver Jubileeके इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। देश में रचनात्‍मक परिवर्तन के लिए हम सभी मिलकर आगे बढ़ते रहेंगे।

इसी कामना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM to visit Madhya Pradesh on 31st May
May 30, 2025
QuoteOn the occasion of 300th birth anniversary of Lokmata Devi Ahilya Bai Holkar, PM to participate in Lokmata Devi Ahilyabai Mahila Sashaktikaran Mahasammelan in Bhopal
QuotePM to lay the foundation stone of ghat construction works worth over Rs 860 crore on Kshipra River
QuoteIn a boost to last mile air connectivity in the region, PM to inaugurate Datia and Satna airports
QuotePM to also inaugurate passenger services on Super Priority Corridor of the Yellow Line of Indore Metro

On the occasion of 300th birth anniversary of Lokmata Devi Ahilya Bai Holkar, Prime Minister Shri Narendra Modi will visit Madhya Pradesh on 31st May. He will participate in Lokmata Devi Ahilyabai Mahila Sashaktikaran Mahasammelan at around 11:15 AM in Bhopal. He will inaugurate and lay the foundation stone of multiple development projects in Bhopal and address a public function.

Prime Minister will participate in Lokmata Devi Ahilyabai Mahila Sashaktikaran Mahasammelan. He will also release a commemorative postage stamp and a special coin dedicated to Lokmata Devi Ahilyabai. The Rs 300 coin will feature a portrait of Ahilyabai Holkar. Prime Minister will also present the National Devi Ahilyabai Award to a woman artist for contribution in tribal, folk, and traditional arts.

Prime Minister will lay the foundation stone for ghat construction works worth over Rs 860 crore on the Kshipra River, related to the upcoming Simhastha Mahakumbh 2028 in Ujjain. Various structures like barrage, stop dam, and vented causeway to regulate the water flow of the rivers will also be built.

In a major boost to last mile air connectivity, Prime Minister will inaugurate Datia and Satna airports, opening new opportunities for industry, tourism, education, and healthcare in the Vindhya region.

In line with his commitment to improve travel infrastructure in the cities, Prime Minister will inaugurate passenger services on the Super Priority Corridor of the Yellow Line of Indore Metro. It is expected to reduce traffic and pollution while offering a comfortable commute to passengers.

Prime Minister will transfer the first installment for the construction of 1,271 Atal Gram Sushasan Bhawans worth over Rs 480 crore. These buildings will provide permanent infrastructure to gram panchayats, helping them manage administrative functions, conduct meetings, and maintain records more efficiently.