BJP believes in 'Rashtra Bhakti' and serving the society: PM Modi

Published By : Admin | May 8, 2018 | 14:01 IST
We only have one mantra, 'Sabka Saath Sabka Vikas': PM Modi
Congress can go to any extent for power, their game is to plot brothers against each other, says the PM
Protecting the girl child is our commitment. We believe in the mantra of 'Beta Beti Ek Samaan': PM Modi in Koppal
We have embarked on a journey to make our villages smoke-free, we are ensuring cooking gas for the poor women in villages, says the PM
Congress did nothing to promote tourism and rich history of Karnataka, alleges PM

मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगना चाहता हूं। और मैं क्षमा इसलिए मांग रहा हूं कि यहां के जो हमारे व्यवस्थापक हैं। उन्होंने जो सभा की कल्पनी की थी। और उसके हिसाब से पंडाल बनाया था लेकिन यह पंडाल बहुत ही छोटा पड़ गया। पंडाल से भी चार गुणा लोग बाहर धूप में तप रहे हैं। आपको ताप में तपना पड़ रहा है। आपको कष्ट हुआ है। इसके लिए मैं आपसे क्षमा मांगता हूं लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। आप जो ये ताप में तप कर रहे हो ...। ये आपका तप मैं बेकार नहीं जाने दूंगा। मैं आपका ये प्यार, आपका ये आशीर्वाद, आपकी ये तपस्या मैं इसे ब्याज समेत लौटाऊंगा। विकास करके लौटाऊंगा।

हमारा देश अगर भगवान राम का स्मरण करता है तो माता सबरी को भी कभी भूलता नहीं है। और राम-सबरी का संवाद निर्बाध प्रेम, आस्था, भक्ति, उसका प्रतीक हम सबको आज भी प्रेरणा देता है।

हम भारतीय जनता पार्टी के लोग भी राष्ट्रभक्ति, जनता जनार्दन की भक्ति, गरीबों की सेवा ...। उसी भाव को लेकर के आप सबकी सेवा में रत है। हम लोगों का एक ही मंत्र है सबका साथ, सबका विकास।

लेकिन दूसरी तरफ एक ऐसी पार्टी है जिसने आजादी के 70 साल में 60 साल तक खुद ने राज किया है। लेकिन उस पार्टी का मंत्र है - उनका परिवार, यही उनका संविधान है। उनका परिवार, यही उनकी सरकार है। वो सरकार चलाते हैं तो भी परिवार के लिए, सरकार गिराते हैं तो भी परिवार के लिए। सत्ता पाने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं। देश तोड़ो, पंथ तोड़ो, जाति तोड़ो, परिवार तोड़ो, बिरादरी तोडो, भाई से भाई को लड़ाओ और उनकी कुर्सी बचाओ। यही उनका खेल है। कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक सोच कितनी विकृत है। देश के भीतर कैसे जहर घोलने वाली है। आपको उनके कारनामे देखोगे तो साफ-साफ नजर आएगा।

येदुरप्पा जी जब कर्नाटक के सीएम थे तब उन्होंने कर्नाटक की समृद्ध विरासत के प्रचार, प्रसार, संरक्षण, संवर्धन के लिए एक अभियान चलाया था। और उसका प्रारंभ यहीं आपका क्षेत्र हम्पी से किया था। ताकि भावी पीढ़ियों को उससे प्रेरणा मिले। लेकिन मुझे बताया गया कि जैसे ही उनकी सरकार बनी। उन्होंने बच्चों के दिमाग में भी जहर घोलना शुरू किया। येदुरप्पा की योजना बंद कर दी। और स्कूल के बच्चों को भी स्कूल में अगर पर्यटन पर जाते हैं, ट्रिप जाने के लिए जाति के आधार पर स्थानों पर जाने का फैसला किया। इससे बड़ा दुर्दशा क्या हो सकता है।

बंधु भगनी।

आपके क्षेत्र मे एक से एक बढ़कर एक धरोहर है। हमारी पूर्वजों की दी हुई विरासत है। ये धरती तो जैन काशी के रूप में भी जानी जाती है लेकिन इस सरकार ने न उसके प्रचार के लिए कुछ किया, न प्रसार के लिए कुछ किया। न टूरिज्म डवलपमेंट के लिए कुछ किया और न ही यात्रा के लिए कुछ भी नहीं किया। कोई भी देश अपने इतिहास की, अपने सांस्कृतिक विरासत की, अपनी सामाजिक धरोहर की कभी भी उपेक्षा नहीं कर सकता है।

भाइयो बहनो।

देश की सांस्कृतिक विरासत का सामर्थ्य बने। इसके लिए भारत सरकार ने एक स्वदेश दर्शन योजना बनाई है। 5 हजार करोड़ रुपए की लागत से इस योजना के तहत लोगों को यात्रा करने की सुविधाएं बढ़े। अलग-अलग सर्किट डवलप हो, बुद्ध सर्किट हो, महात्मा गांधी हो, स्वतंत्रता सेनानी का सर्किट हो, भगवान राम का सर्किट हो, महावीर जैन सर्किट हो, रेगिस्तान का सर्किट हो, समुद्र तट का सर्किट हो। ऐसी एक स्वदेश दर्शन योजना का 5 हजार करोड़ रुपए की योजना हमने बनाई है ताकि एक भारत श्रेष्ठ भारत उसको बल मिले।

यहां के अनेगुंडी और हम्पी का भी महात्म्य है। यह क्षेत्र महावीर हनुमान की जन्मस्थली और भगवान राम के वनवास के अहम क्षेत्रों से जुड़ी हुई है। देश के कोने-कोने से लोग जा सके। इसलिए हमने हमने हवाई यात्रा का नेटवर्क बनाने की आकर्षक योजना बनाई है। अब हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में बैठकरके ऐसे स्थानों पर जा सके, ये काम हमने किया है।

मैं भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक को और येदुरप्पा जी को भी बधाई देता हूं कि उन्होंने वचन पत्र में ये वादा किया है कि इस प्रकार के यात्रा स्थानों को विकास के लिए, टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए, देशभर से पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ...।

बंधु भगनी।

दो साल पहले आपको याद होगा, मैंने इसी धरती की संतान मल्लमा ...। मल्लमा को मैंने मेरे मन की बात कार्यक्रम में उसका जिक्र किया था। इस गांव की छोटी-सी बच्ची मल्लमा, उसने शौचालय बनाने की जिद पकड़ी, शौचालय बनाने का अभियान चलाया और परिवर्तन कैसे आता है पूरे देश को दिखाने का काम यहां की बेटी मल्लमा ने किया था। मुझे खुशी है आज, मल्लमा जैसी लाखों बेटियां पूरे देश में स्वच्छ अभियान को आगे बढ़ा रही है। मैं इस धरती को विशेष नमन करता हूं जिस धरती ने हमारी मल्लमा जैसी बेटी को जन्म दिया।

भाइयो बहनो।

शौचालय ये सुविधा मात्र नहीं है। यह नारी के सम्मान के साथ जुड़ा हुआ है। ये नारी के इज्जत के साथ जुड़ा हुआ है। कोई कल्पना कर सकता है। गांव के अंदर हमारी मां-बहन, खुले में शौच जाना पड़ता है। वह अंधेरे का इंतजार करती है। सुबह सूरज उगने से पहले चली जाती है। दिनभर बेचारी जाती नहीं है। परेशानी हो तो भी जाती नहीं है। और शाम तक सूरज ढलने का इंतजार करती है। क्या मेरी माताओं-बहनों को इस अत्याचार से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...।

भाइयो बहनो।

जब मैं लालकिले पर से शौचालय की बात कही तो लोगों ने मेरी आलोचना की, मेरा मजाक उड़ाया। और नामदार तो इस कामदार का मजाक उड़ाने में कभी पीछे ही नहीं रहते हैं। लेकिन सोने की चम्मच लेकरके पैदा हुए नामदार को  उस गरीब मां की मुसीबत का पता कैसे चलेगा। वो तो मजाक उड़ाएंगे। लेकिन हम तो गरीबों के लिए जीते हैं, गरीबों के लिए जिंदगी खपाने वाले लोग हैं।

भाइयो बहनो।

आपको जानकरके खुशी होगी कि देश को इस चीज की कितनी जरूरत थी। भले लोग मेरा मजाक उड़ाते हो। लेकिन 2014 में मेरी सरकार बनी। उसके पहले देश में गांवो में शौचालय का कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत था। 4 साल की कड़ी मेहनत, मल्लमा जैसी बेटियों के साथ, आज वो कवरेज 40 प्रतिशत से 4 साल में 80 प्रतिशत पहुंचा दिया है।

आपने कल्पना की है। हमारे देश में मां। गरीब मां। लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाती है। मैंने बचपन में मेरी मां को लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाते देखा है। पूरा घर धुएं से भर जाता था। हम बच्चे घर में खांसते रहते थे। मां परेशानी झेलती थी। लेकिन हमें खाना खिलाती थी। ऐसी करोड़ों माताएं, मेरे देश में जिंदगी गुजारती थी। और एक मां लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाती है तो 400 सिगरेट का धुआं हर दिन उसके शरीर में जाता है। उस मां के शरीर का हाल क्या होगा। और इसलिए हमने बीड़ा उठाया। मेरी गरीब से गरीब मां को, येलकड़ी के चूल्हे से खाना पकाने से मुक्ति दूंगा। उसको गैस का कनेक्शन दूंगा। और मुझे आज खुशी है कि इतने कम समय में 4 करोड़ परिवारों में मुफ्त गैस कनेक्शन देकरके, लकड़ी के चूल्हे के धुएं से माताओं-बहनों को मैंने मुक्ति दिलाई है।

भाइयो बहनो।

ये कांग्रेस का एक और पाप मैं आपको गिनाना चाहता हूं। आपको मालूम है कि आज देश में कई जिले ऐसे हैं जहां हजार अगर लड़के पैदा होते हैं तो सिर्फ 800, 850, 900 लड़कियां पैदा होती हैं। जबकि समाज में जितनी लड़के पैदा होने चाहिए, उतनी लड़कियां पैदा होनी चाहिए। लेकिन पुरानी सरकारों के दरम्यान मां के गर्भ में ही बेटियों को मार दिया जाता था। सरकार सोती रहती थी। बेटियों की संख्या कम होती गई। हमने बीड़ा उठाया है, बेटी बचाने का। मां के गर्भ में बेटियों को नहीं मारने देंगे। बेटा बेटी एक समान, इस अभियान को चलाया है। और उसका परिणाम है कि हजार बेटों के सामने नए जन्म होने वाली बेटियां पैदा होना शुरू हुआ है। आगे चलकरके ये गड्ढा भी भर जाएगा। ये काम हम कर रहे हैं।

बेटियों को शिक्षा मिले, 18 साल की उम्र के बाद, एक जीवन में सुरक्षा महसूस हो, इसके लिए सुकन्या समृद्धि योजना के तहत बेटियों के नाम अगर कोई पैसे जमा करता है तो अधिक ब्याज देने की योजना बनाई। और आज बैंकों में बेटियों के नाम करोड़ों-करोड़ रुपये के बैंकों के खाते में जमा हुए हैं। जब बेटी 18 साल की होगी, ये रुपया उनको ब्याज सहित मिलेगा।

कभी-कभी कुछ राक्षसी मनोवृत्ति वाले लोग, विकृत मानसिकता वाले लोग हमारी बेटियों पर राक्षसी कृत्य करके, बलात्कार करके, उनकी जिंदगी बर्बाद करते हैं, बेटियों को मौत के घाट उतार देते हैं।

भाइयो बहनो।

ये मोदी सरकार है जिसने फैसला लिया है कि अगर बेटियों के साथ ऐसी राक्षसी व्यवहार होगा तो ऐसा करने वालों को फांसी पर लटका दिया जाएगा। ये कानून हमने बनाया है।

साथियों।

मैं कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी को बधाई देता हूं। श्रीमान येदुरप्पा जी को बधाई देता हूं कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टों में, भारतीय जनता पार्टी के वचन पत्र में वादा किया है कि वे महिला सशक्तीकरण को और तेजी से आगे बढ़ाएंगे। येदियुरप्पा जी ने वादा किया है। 15 मई को भाजपा की सरकार बनने के बाद कर्नाटक की महिलाओं के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की राशि से स्त्री उन्नति फंड बनाया जाएगा। महिलाओं के नेतृत्व में कॉ-ऑपरेटिव मूवमेंट चलाई जाएगी, महिलाओं की को-ऑपरेटिव सोसाइटियां बनाई जाएगी। स्त्री उन्नति स्टोर का पूरे राज्य के अंदर जाल बिछाया जाएगा।

कर्नाटक की महिला बहने माताएं।

एक बहुत बड़ा काम येदुरप्पा की सरकार करना चाहती है। 15 मई के बाद भाजपा सरकार बनके बाद करना चाहती है। जो वुमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप है। अगर वो पैसे ब्याज से लेंगे तो सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज से 2 लाख रुपये की राशि इन महिलाओं को दी जाएगी। ये बहुत बड़ा क्रांतिकारी विचार येदुरप्पा जी ने रखा है।

पशुपालन और डेयरी उद्योग को बल मिले, महिलाओं को एक अतिरिक्त काम मिले, गांव की महिलाओं को काम मिले। इसलिए सौ करोड़ रुपया डेयरी फार्मिंग की योजना के लिए उन्होंने तय किया है। महिला उद्यमियों के लिए 100 करोड़ की लागत से 30 नए क्लस्टर बनाए जाएंगे।

बंधु भगनी।

कर्नाटक की एक विशेषता रही है। यहां के संत, यहां की ऋषि परंपरा, यहां के महंत, यहां के मठ, यहां के मंदिर हर पल समाज के कल्याण के लिए कोई न कोई नई योजना बनाते हैं, कुछ न कुछ समाज के लिए लगातार कर रहे हैं, सदियों से कर रहे हैं। यही कर्नाटक की विशेष पहचान है।

जल संचय के क्षेत्र में कवि मठ जतरा ...। ये कवि मठ जतरा ने जो काम किया है। मैं समझता हूं कि आने वाली पीढ़ियां याद करेगी। ऐसी महान काम इस धरती पर करके देश को दिशा दी है। मुझे बताया गया है कि पिछले वर्ष जल दीक्षा कार्य चलाया गया। समाज को ताकतवर बनाने का कैसा बड़ा अभियान यहां लोग चलाते हैं। मैं उनको नमन करता हूं।

भाइयो बहनो।

हमारा किसान ...। हमारा किसान ऐसी ताकत रखता है, अगर किसान को पानी मिल जाए तो मेरा किसान मिट्टी में से सोना पैदा कर सकता है। कर्नाटक का ये हमारा क्षेत्र जो सदियों से भदखड़जा के रूप में जाना जाता था। चावल का कटोरा। आज बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। तुंगभद्रा और अला-मट्टी ऐसे डैम होने के बाद भी, ये सरकार सोई पड़ी है। और इसके कारण किसान पानी के बिना तरस रहा है। लेकिन ये कांग्रेस के एक अहंकारी नेता, ये अहंकारी सरकार, यहां का अहंकारी मुख्यमंत्री, खुद को कुछ समझ नहीं आता है लेकिन किसी से कुछ सीखने को भी तैयार नहीं है। अरे हिन्दुस्तान में और राज्यों ने पानी के लिए क्या काम किया है। बगल में महाराष्ट्र में डीसिल्टिंग का बड़ा काम किया है। उससे भी कुछ सीखते तो आज कर्नाटक के किसान का यह हाल न होता।

आपके 5 साल इस सरकार ने बर्बाद किए हैं। अरे बगल में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार को अभी तो 2-3 साल हुआ है। और दो साल के भीतर-भीतर उन्होंने डिसिल्टिंग का अभियान चलाया, सारे बांधों को गहरा किया, पानी संरक्षण ज्यादा किया और किसानों को कम अधिक मात्रा में मदद करने में सफल हुए। और यहां की सरकार ने 5 साल बर्बाद कर दिया।

भाइयो बहनो।

मैं आपको एक विनती करता हूं। एक सवाल कांग्रेस के लोगों को पूछना। जो भी कांग्रेस वाला मिले। वोट मांगने आए। इस इलाके कि जनता उससे सवाल पूछे। पूछोगे ...। जरा जोर से बताओ। पक्का पूछोगे ...। आंख में आंख मिलाकर पूछोगे ...। उनसे जवाब मांगोगे ...। उनको इतना पूछिए। कृष्णा बी ...। कृष्णा बी सिंचाई योजना के लिए आपने 2 हजार करोड़ रुपये का वादा किया था कि नहीं किया था ...। अगर वादा किया थो 2 हजार करोड़ रुपया गया कहां ...। जरा जवाब दो ...। मुझे यहां से बता रहे हैं कि 2 हजार नहीं, 10 हजार करोड़ रुपए कहा था। जवाब मांगोगे ...।  जवाब मांगोगे ...। मांगोगे ...। अगर जवाब नहीं मिला तो सजा दोगे ...। सजा दोगे ...। 12 मई को उखाड़के फेंक दोगे ...।

भाइयो बहनो।

जब जगदीश सत्तार हमारे मुख्यमंत्री थे। मेरे मित्र जगदीश सत्तार ने कृष्णा बी योजना की परिकल्पना की थी। लेकिन उनके जाने के बाद कांग्रेस सरकार ने ताले लगा दिए।

हमारा किसान शक्तिशाली हो, हमारा गांव सामर्थ्यवान हो, इसलिए किसान को सशक्त होना जरूरी है। हमने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत खेत में पानी पहुंचाने का बड़ा अभियान उठाया है। जो डैम 30-35 साल से कुछ काम नहीं होता था। वो सारे काम शुरू करवाए हैं। और आने वाले एक साल के भीतर-भीतर सारे काम पूरा करके किसानों को पानी पहुंचाने का अभियान चलाने वाले हैं।

भाइयो बहनो।

हमारे इस राज्य में भी 4 हजार करोड़ रुपये लगाकर पांच पड़े सिंचाई के बड़े प्रोजेक्ट भारत सरकार लागू कर रही है। एक पूरा हो गया है और बाकी चार भी जल्दी पूरे होने को है। लेकिन कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार करने से खाली हो तब किसानों का सोचेगी ना और पानी के बारे में सोचेगी ना। उनको पैसों में रुचि है किसान के लिए पानी में रुचि नहीं है।

भाइयो बहनो।

हमने एक बड़ा ऐतिहासिक निर्णय किया है। आजादी के बाद कोई सरकार नहीं कर सकी। ऐसा बड़ा ऐतिहासिक निर्णय हमने किया है। अब किसान अपने खेत में जो पैदा करेगा, उसको काम करने में जो खर्च लगेगा। अगर वो मजदूर लाता है, बीज लाता है, दवाई लाता है, फर्टिलाइजर लाता है, किसी से किराए पर मशीन लाता है, किराए पर पशु लाता है, खुद के परिवार के लोग मजदूरी करते हैं, जो खर्च होगा सारा गिनकर के एमएसपी का डेढ़ गुना दिया जाएगा। ये निर्णय हमने किया है। हमने 22 हजार ग्रामीण हाटों को अपग्रेड करने की योजना बनाई है। ताकि किसान को पांच-दस किमी के रास्ते पर अपनी पैदावार बेचने की उत्तम सुविधा मिल जाए और उसको अपनी पैदावार का सही दाम मिल जाए।

हमने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए हैं। एक प्रकार से यह किसान की जीवन रक्षा योजना है। हमारे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रक्षा योजना है। ये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसान को बुआई से पहले, बुआई के दौरान, फसल पैदान होने के बाद, फसल बाजार में जाने से पहले अगर कोई भी प्राकृतिक नुकसान होगा तो सभी समय उसको फसल बीमा का पैसा मिलेगा। ये देश पहली बार हमने ऐसी योजना देश में लाए हैं। इसी वर्ष में इसी फसल बीमा योजना के तहत अकेले कर्नाटक के किसानों को 1100 करोड़ रुपये की क्लेम राशि मिली है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इतनी बड़ी राशि किसानों के पास इस प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जिसकी तो अभी शुरुआत है। तो भी इसका लाभ पहुंचा है।

मेरे प्यारे भाइयो बहनो।

येदुरप्पा की सरकार बनानी है। किसानों की सरकार बनानी है। किसानों के कल्याण के लिए सरकार बनानी है। और इसलिए 12 मई को घर-घर जाना है। एक-एक मतदाता से मिलकरके पोलिंग बूथ तक लाना है और भारी से भारी, ज्यादा से ज्यादा मतदान कराना है।

भाइयो बहनो।

अब मतदान को 4 दिन बाकी है। मैं आपसे आग्रह करता हूं। क्या आप घर-घर जाएंगे ...। जोर से जवाब दीजिए। घर-घर जाएंगे ...। मतदाताओं को मिलेंगे ...। मतदान करवाएंगे ...। ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाएंगे ...। कांग्रेस को उखाड़ फेकेंगे ...। भाजपा की सरकार आएंगे ...। भाजपा को जीताएंगे ...। येदुरप्पा की सरकार बनाएंगे ...। ये मिजाज आपका बताता है। 15 मई को जब परिणाम आएगा तो कांग्रेस कहीं नजर नहीं आएगी। स्वच्छ, सुंदर, सुरक्षित कर्नाटक निर्मिष सोना बन्नी ऐल्लरू कै जोड़ी सी। सरकार बदली सी, बीजेपी गेल्ली सी। सरकार बदली सी, बीजेपी गेल्ली सी। सरकार बदली सी, बीजेपी गेल्ली सी। सरकार बदली सी, बीजेपी गेल्ली सी। बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

 

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The essence of Vande Mataram is Bharat, Maa Bharati: PM Modi
November 07, 2025
The essence of Vande Mataram is Bharat, Maa Bharati, the eternal idea of Bharat: PM
During the colonial era, Vande Mataram became the proclamation of the resolve that India would be free, and the chains of bondage would be broken by the hands of Maa Bharati: PM
Vande Mataram became the voice of India’s freedom struggle, a chant on every revolutionary’s lips, a voice that expressed every Indian’s emotions: PM
Vande Mataram reminds us not only of how our freedom was won, but of how we must safeguard it: PM
Whenever the national flag unfurls, these words rise instinctively from our hearts— Bharat Mata ki Jai! Vande Mataram!: PM

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम!

वंदे मातरम, ये शब्द एक मंत्र है, एक ऊर्जा है, एक स्वप्न है, एक संकल्प है। वंदे मातरम, ये एक शब्द मां भारती की साधना है, मां भारती की आराधना है। वंदे मातरम, ये एक शब्द हमें इतिहास में ले जाता है। ये हमारे आत्मविश्वास को, हमारे वर्तमान को, आत्मविश्वास से भर देता है, और हमारे भविष्य को ये नया हौंसला देता है कि ऐसा कोई संकल्प नहीं, ऐसा कोई संकल्प नहीं जिसकी सिद्धि न हो सके। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं, जो हम भारतवासी पा ना सकें।

साथियों,

वंदे मातरम के सामूहिक गान का ये अद्भुत अनुभव, ये वाकई अभिव्यक्ति से परे है। इतनी सारी आवाजों में एक लय, एक स्वर, एक भाव, एक जैसा रोमांच, एक जैसा प्रवाह, ऐसा तारतम्य, ऐसी तरंग, इस ऊर्जा ने ह्दय को स्पंदित कर दिया है। भावनाओं से भरे इसी माहौल में, मैं अपनी बात को आगे बढ़ा रहा हूं। मंच पर उपस्थित कैबिनेट के मेरे सहयोगी गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी, अन्य सभी महानुभाव, भाइयों और बहनों।

आज हमारे साथ देश के सभी कोने से लाखों लोग जुड़े हुए हैं, मैं उनको भी मेरी तरफ से वंदे मातरम से शुभकामनाएं देता हूं। आज 7 नवंबर का दिन बहुत ऐतिहासिक है, आज हम वंदे मातरम के 150वें वर्ष का महाउत्सव मना रहे हैं। ये पुण्य अवसर हमें नई प्रेरणा देगा, कोटि-कोटि देशवासियों को नई ऊर्जा से भर देगा। इस दिन को इतिहास की तारीख में अंकित करने के लिए आज वंदे मातरम पर एक विशेष कॉइन और डाक टिकट भी जारी किए गए हैं। मैं देश के लक्ष्यावदी महापुरुषों को, मां भारती के संतानों को वंदे मातरम, इस मंत्र के लिए जीवन खपाने के लिए आज श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, और देशवासियों को इस अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं सभी देशवासियों को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी देता हूं।

साथियों,

हर गीत, हर काव्य का अपना एक मूल भाव होता है, उसका अपना एक मूल संदेश होता है। वंदे मातरम का मूल भाव क्या है? वंदे मातरम का मूल भाव है- भारत, मां भारती। भारत की शाश्वत संकल्पना, वो संकल्पना जिसने मानवता के प्रथम पहर से खुद को गढ़ना शुरू कर दिया। जिसने युगों-युगों को एक-एक अध्याय के रूप में पढ़ा। अलग-अलग दौर में अलग-अलग राष्ट्रों का निर्माण, अलग-अलग ताकतों का उदय, नई-नई सभ्यताओं का विकास, शून्य से शिखर तक उनकी यात्रा, और शिखर से पुनः शून्य में उनका विलय, बनता बिगड़ता इतिहास, दुनिया का बदलता भूगोल, भारत ने ये सब कुछ देखा है। इंसान की इस अनंत यात्रा से हमने सीखा और समय-समय पर नए निष्कर्ष निकाले। हमने उनके आधार पर अपनी सभ्यता के मूल्यों और आदर्शों को तराशा, उसे गढ़ा। हमने, हमारे पूर्वजों ने, हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने, हमारे आचार्यों ने, भगवंतों ने, हमारे देशवासियों ने अपनी एक सांस्कृतिक पहचान बनाई। हमने ताकत और नैतिकता के संतुलन को बराबर समझा। और तब जाकर, भारत एक राष्ट्र के रूप में वो कुन्दन बनकर उभरा जो अतीत की हर चोट सहता भी रहा और सहकर भी अमरत्व को प्राप्त कर गया।

भाइयों-बहनों,

भारत की ये संकल्पना, उसके पीछे की वैचारिक शक्ति है। उठती-गिरती दुनिया से अलग अपना स्वतंत्र अस्तित्व बोध, ये उपलब्धि, और लयबद्ध, लिपिबद्ध होना, लयबद्ध होना, और तब जाकर के ह्दय की गहराई से, अनुभवों के निचोंड़ से, संवेदनाओं की असीमता को प्राप्त कर करके वंदे मातरम जैसी रचना मिलती है। और इसलिए, गुलामी के उस कालखंड में वंदे मातरम इस संकल्प का उद्घोष बन गया था, और वो उद्घोष था- भारत की आज़ादी का। माँ भारती के हाथों से गुलामी की बेड़ियाँ टूटेंगी, और उसकी संताने स्वयं अपने भाग्य की भाग्य विधाता बनेंगी।

साथियों,

गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था- “बंकिमचंद्र की आनंदमठ केवल उपन्यास नहीं है, ये स्वाधीन भारत का एक स्वप्न है”। आप देखिए, आनंदमठ में वंदे मातरम का प्रसंग, वंदे मातरम की एक-एक पंक्ति के, बंकिम बाबू के एक-एक शब्द के, उसके हर भाव के, अपने गहरे निहितार्थ थे, निहितार्थ हैं। ये गीत गुलामी के कालखंड में रचना तो जरूर हो गई उस समय, लेकिन उसके शब्द कुछ वर्षों की गुलामी के साये में कभी भी कैद नहीं रहें। वो गुलामी की स्मृतियों से आज़ाद रहें। इसलिए, वंदे मातरम हर दौर में, हर कालखंड में प्रासंगिक है, इसने अमरता को प्राप्त किया है। वंदे मातरम की पहली पंक्ति है- “सुजलाम् सुफलाम् मलयज-शीतलाम्, सस्यश्यामलाम् मातरम्।” अर्थात्, प्रकृति के दिव्य वरदान से सुशोभित हमारी सुजलाम् सुफलाम् मातृभूमि को नमन।

साथियों,

यही तो भारत की हजारों साल पुरानी पहचान रही है। यहाँ की नदियां, यहाँ के पहाड़, यहाँ के वन, वृक्ष और यहां की उपजाऊ मिट्टी, ये धरती हमेशा सोना उगलने की ताकत रखती है। सदियों तक दुनिया भारत की समृद्धि की कहानियाँ सुनती रही थी। कुछ ही शताब्दी पहले तक, ग्लोबल GDP का करीब एक चौथाई हिस्सा भारत के पास था।

लेकिन भाइयों-बहनों,

जब बंकिम बाबू ने वंदे मातरम की रचना की थी, तब भारत अपने उस स्वर्णिम दौर से बहुत दूर जा चुका था। विदेशी आक्रमणकारियों ने, उनके हमले, लूटपाट अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियाँ, उस समय हमारा देश गरीबी और भुखमरी के चंगुल में कराह रहा था। तब भी, बंकिम बाबू ने, उस बुरे हालात के स्थितियों में भी, चारों तरफ दर्द था, विनाश था, शोक था, सबकुछ डूबता हुआ नज़र आ रहा था, ऐसे समय बंकिम बाबू ने समृद्ध भारत का आह्वान किया। क्योंकि, उन्हें विश्वास था कि मुश्किलें कितनी भी क्यों ना हों, भारत अपने स्वर्णिम दौर को पुनर्जीवित कर सकता है। और इसलिए उन्होंने आह्वान किया, वंदे मातरम।

साथियों,

गुलामी के उस कालखंड में भारत को नीचा और पिछड़ा बताकर जिस तरह अंग्रेज़ अपनी हुकूमत को justify करते थे, इस प्रथम पंक्ति ने उस दुष्प्रचार को पूरी तरह से ध्वस्त करने का काम किया। इसलिए, वंदे मातरम केवल आज़ादी का गान ही नहीं बना, बल्कि आज़ाद भारत कैसा होगा, वंदे मातरम ने वो ‘सुजलाम सुफलाम सपना’ भी करोड़ों देशवासियों के सामने प्रस्तुत किया।

साथियों,

आज ये दिन हमें वंदे मातरम की असाधारण यात्रा और उसके प्रभाव को जानने का अवसर भी देता है। जब सन् 1875 में बंकिम बाबू ने बंगदर्शन में “वंदे मातरम्” प्रकाशित किया था, तो कुछ लोगों को लगता था कि ये तो केवल एक गीत है। लेकिन, देखते ही देखते वंदे मातरम भारत के स्वतंत्रता संग्राम का, कोटि-कोटि जनों का स्वर बन गया। एक ऐसा स्वर, जो हर क्रांतिकारी की जबान पर था, एक ऐसा स्वर, जो हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त कर रहा था। आप देखिए, आज़ादी की लड़ाई का शायद ही ऐसा कोई अध्याय होगा, जिससे वंदे मातरम किसी न किसी रूप से जुड़ा नहीं था। 1896 में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने कलकत्ता अधिवेशन में वंदे मातरम गाया। 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ। ये देश को बांटने का अंग्रेजों का एक खतरनाक एक्सपेरिमेंट था। लेकिन, वंदे मातरम उन मंसूबों के आगे चट्टान बनकर के खड़ा हो गया। बंगाल के विभाजन के विरोध में सड़कों पर एक ही आवाज़ थी- वंदे मातरम।

साथियों,

बरिसाल अधिवेशन में जब आंदोलनकारियों पर गोलियाँ चलीं, तब भी उनके होंठों पर वही मंत्र था, वही शब्द थे- वंदे मातरम! भारत के बाहर रहकर आज़ादी के लिए काम कर रहे वीर सावरकर जैसे स्वतंत्र सेनानी, वो जब आपस में मिलते थे, तो उनका अभिवादन वंदे मातरम से ही होता था। कितने ही क्रांतिकारियों ने फांसी के तख्त पर खड़े होकर भी वंदे मातरम बोला था। ऐसी कितनी ही घटनाएँ, इतिहास की कितनी ही तारीखें, इतना बड़ा देश, अलग-अलग प्रांत और इलाके, अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग, उनके आंदोलन, लेकिन जो नारा, जो संकल्प, जो गीत हर जबान पर था, जो गीत हर स्वर में था, वो था- वंदे मातरम।

इसलिए, भाइयों-बहनों,

1927 में महात्मा गांधी ने कहा था- "वंदे मातरम हमारे सामने संपूर्ण भारत का ऐसा चित्र उपस्थित कर देता है, जो अखंड है।"श्री अरबिंदो ने वंदे मातरम को एक गीत से भी आगे, उसे एक मंत्र कहा था। उन्होंने कहा- ये एक ऐसा मंत्र है जो आत्मबल जगाता है। भीकाजी कामा ने भारत का जो ध्वज तैयार करवाया था, उसमें बीच में भी लिखा था- “वंदे मातरम”

साथियों,

हमारा राष्ट्र ध्वज समय के साथ कई बदलावों से गुजरा, लेकिन तब से लेकर आज तक हमारे तिरंगे तक, देश का झण्डा जब भी फहरता है, तो हमारे मुंह से अनायास निकलता है- भारत माता की जय! वंदे मातरम! इसीलिए, आज जब हम उस राष्ट्रगीत के 150 वर्ष मना रहे हैं, तो ये देश के महान नायकों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि है। और ये उन लाखों बलिदानियों को भी श्रद्धापूर्वक नमन है, जो वंदे मारतम का आह्वान करते हुए, फांसी के तख्त पर झूलते हुए, जो वंदे मातरम बोलते हुए, कोड़ों की मार सहते रहे, जो वंदे मातरम का मंत्र जपते हुए बर्फ की सिल्लियों पर अडिग रहे।

साथियों,

आज हम 140 करोड़ देशवासी ऐसे सभी नाम-अनाम-गुमनाम राष्ट्र के लिए जीने-मरने वालों को श्रद्धांजलि देते हैं। जो वंदे मारतम कहते हुए देश के लिए बलिदान हो गए, जिनके नाम इतिहास के पन्नों में कभी दर्ज ही नहीं हो पाए।

साथियों,

हमारे वेदों ने हमें सिखाया है- "माता भूमिः, पुत्रोऽहं पृथिव्याः"॥ अर्थात्, ये धरती हमारी माँ है, ये देश हमारी माँ है। हम इसी की संतानें हैं। भारत के लोगों ने वैदिक काल से ही राष्ट्र की इसी स्वरूप में कल्पना की, इसी स्वरूप में आराधना की है। इसी वैदिक चिंतन से वंदे मातरम ने आज़ादी की लड़ाई में नई चेतना फूंकी।

साथियों,

राष्ट्र को एक geopolitical entity मानने वालों के लिए राष्ट्र को माँ मानने का विचार हैरानी भरा हो सकता है। लेकिन, भारत अलग है। भारत में माँ जननी भी है, और माँ पालनहारिणी भी है। अगर संतान पर संकट आ जाए, तो माँ संहारकारिणी भी है। इसलिए, वंदे मातरम कहता है- अबला केन मा एत बले। बहुबल-धारिणीं नमामि तारिणीं रिपुदल-वारिणीं मातरम्॥ वंदे मातरम, अर्थात् अपार शक्ति धारण करने वाली भारत माँ, संकटों से पार भी कराने वाली, और शत्रुओं का विनाश भी कराने वाली है। राष्ट्र को माँ, और माँ को शक्ति स्वरूपा नारी मानने का ये विचार, इसका एक प्रभाव ये भी हुआ कि हमारा स्वतन्त्रता संग्राम, स्त्री-पुरुष, सबकी भागीदारी का संकल्प बन गया। हम फिर से ऐसे भारत का सपना देख पाये, जिसमें महिलाशक्ति राष्ट्र निर्माण में सबसे आगे खड़ी दिखाई देगी।

साथियों,

वंदे मातरम, आज़ादी के परवानों का तराना होने के साथ ही, इस बात की भी प्रेरणा देता है कि हमें इस आज़ादी की रक्षा कैसे करनी है, बंकिम बाबू के पूरे मूल गीत की पंक्तियाँ हैं- त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरण-धारिणी कमला कमल-दल-विहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् नमामि कमलाम् अमलां अतुलाम् सुजलां सुफलाम् मातरम्, वंदेमातरम! अर्थात्, भारत माता विद्यादायिनी सरस्वती भी है, समृद्धि दायिनी लक्ष्मी भी हैं, और अस्त्र-शास्त्रों को धारण करने वाली दुर्गा भी हैं। हमें ऐसे ही राष्ट्र का निर्माण करना है, जो ज्ञान, विज्ञान और टेक्नोलॉजी में शीर्ष पर हो, जो विद्या और विज्ञान की ताकत से समृद्धि के शीर्ष पर हो, और जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर भी हो।

साथियों,

बीते वर्षों में दुनिया भारत के इसी स्वरूप का उदय देख रही है। हमने विज्ञान और टेक्नोलॉजी की फील्ड में अभूतपूर्व प्रगति की। हम दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरे। और, जब दुश्मन ने आतंकवाद के जरिए भारत की सुरक्षा और सम्मान पर हमला करने का दुस्साहस किया, तो पूरी दुनिया ने देखा, नया भारत मानवता की सेवा के लिए अगर कमला और विमला का स्वरूप है, तो आतंक के विनाश के लिए ‘दश प्रहरण-धारिणी दुर्गा’ भी बनना जानता है।

साथियों,

वंदे मातरम से जुड़ा एक और विषय है, जिसकी चर्चा करना उतना ही आवश्यक है। आज़ादी की लड़ाई में वंदे मातरम की भावना ने पूरे राष्ट्र को प्रकाशित किया था। लेकिन दुर्भाग्य से, 1937 में वंदे मातरम के महत्वपूर्ण पदों को, उसकी आत्मा के एक हिस्से को अलग कर दिया गया था। वंदे मातरम को तोड़ दिया गया था, उसके टुकड़े किए गए थे। वंदे मातरम के इस विभाजन ने देश के विभाजन के बीज भी बो दिये थे। राष्ट्र निर्माण का ये महामंत्र, इसके साथ ये अन्याय क्यों हुआ? ये आज की पीढ़ी को भी जानना जरूरी है। क्योंकि वही विभाजनकारी सोच देश के लिए आज भी चुनौती बनी हुई है।

साथियों,

हमें इस सदी को भारत की सदी बनाना है। ये सामर्थ्य भारत में है, ये सामर्थ्य भारत के 140 करोड़ लोगों में है। हमें इसके लिए खुद पर विश्वास करना होगा। इस संकल्प यात्रा में हमें पथभ्रमित करने वाले भी मिलेंगे, नकारात्मक सोच वाले लोग हमारे मन में शंका-संदेह पैदा करने का प्रयास भी करेंगे। तब हमें आनंद मठ का वो प्रसंग याद करना है, आनंद मठ में जब संतान भवानंद वंदे मातरम गाता है, तो एक दूसरा पात्र तर्क-वितर्क करता है। वह पूछता है कि तुम अकेले क्या कर पाओगे? तब वंदे मातरम से प्रेरणा मिलती है, जिस माता के इतने करोड़ पुत्र-पुत्री हों, उसके करोड़ों हाथ हों, वो माता अबला कैसे हो सकती है? आज तो भारत माता की 140 करोड़ संतान हैं। उसके 280 करोड़ भुजाएं हैं। इनमें से 60 प्रतिशत से भी ज्यादा तो नौजवान हैं। दुनिया का सबसे बड़ा डेमोग्राफिक एडवांटेज हमारे पास है। ये सामर्थ्य इस देश का है, ये सामर्थ्य माँ भारती का है। ऐसा क्या है, जो आज हमारे लिए असंभव है? ऐसा क्या है, जो हमें वंदे मातरम के मूल सपने को पूरा करने से रोक सकता है?

साथियों,

आज आत्मनिर्भर भारत के विज़न की सफलता, मेक इन इंडिया का संकल्प, और 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ते हमारे कदम, देश जब ऐसे अभूतपूर्व समय में नई उपलब्धियां हासिल करता है, तो हर देशवासी के मुंह से निकलता है- वंदे मातरम! आज जब भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बनता है, जब नए भारत की आहट अंतरिक्ष के सुदूर कोनों तक सुनाई देती है, तो हर देशवासी कह उठता है- वंदे मातरम! आज जब हम हमारी बेटियों को स्पेस टेक्नोलॉजी से लेकर स्पोर्ट्स तक में शिखर पर पहुँचते देखते हैं, आज जब हम बेटियों को फाइटर जेट उड़ाते देखते हैं, तो गौरव से भरा हर भारतीय का नारा होता है- वंदे मातरम!

साथियों,

आज ही हमारे फौज के जवानों के लिए वन रैंक वन पेंशन लागू होने के 11 वर्ष हुए हैं। जब हमारी सेनाएं, दुश्मन के नापाक इरादों को कुचल देती हैं, जब आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवादी आतंक की कमर तोड़ी जाती है, तो हमारे सुरक्षाबल एक ही मंत्र से प्रेरित होते हैं, और वो मंत्र है – वंदे मातरम!

साथियों,

मां भारती के वंदन की यही स्पिरिट हमें विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। मुझे विश्वास है, वंदे मातरम का मंत्र, हमारी इस अमृत यात्रा में, माँ भारती की कोटि-कोटि संतानों को निरंतर शक्ति देगा, प्रेरणा देगा। मैं एक बार फिर सभी देशवासियों को वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। और देशभर से मेरे साथ जुड़े हुए आप सबसे बहुत-बहुत धन्यवाद करते हुए, मेरे साथ खड़े होकर के पूरी ताकत से, हाथ ऊपर करके बोलिए–

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

बहुत-बहुत धन्यवाद!