Published By : Admin |
October 9, 2024 | 15:07 IST
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In line with the Prime Minister’s address on the 75th Independence Day, the continuation of Rice Fortification initiative will complement the interventions adopted under the Anaemia Mukt Bharat strategy of the Government of India
Big step towards nutritional security in line with the PM’s vision
జులై 2024 నుంచి డిసెంబర్ 2028 వరకూ ‘ప్రధానమంత్రి గరీబ్ కళ్యాణ్ యోజన’ సహా అన్ని ప్రభుత్వ పథకాల్లో భాగంగా ఫోర్టిఫైడ్ రైస్ (బలవర్ధక బియ్యం) ఉచిత పంపిణీ, ఇతర సంక్షేమ పథకాల కొనసాగింపునకు ప్రధానమంత్రి శ్రీ నరేంద్ర మోదీ అధ్యక్షతన సమావేశమైన మంత్రివర్గం ఆమోదం తెలిపింది. ఈ పథకాలు ప్రస్తుతం అమలవుతున్న విధానాల్లోనే కొనసాగుతాయి. ఆహార సబ్సిడీలో భాగంగా భారత ప్రభుత్వం 100 శాతం నిధులు సమకూర్చుతుండడంతో, ‘పీఎంజీకేఏవై’ ద్వారా బియ్యంలో పోషకాల చేరిక కేంద్రీయ పథకంగా కొనసాగుతుంది. తద్వారా ఏకీకృత వ్యవస్థల ద్వారా పథకం అమలు సాధ్యపడుతుంది.
మన దేశంలో పోషకాహార భద్రత ఆవశ్యకత గురించి 75వ స్వాతంత్ర దినోత్సవంలో ప్రధాని చేసిన ప్రసంగానికి అనుగుణంగా, రక్తహీనత, సూక్ష్మపోషకాల లోపం వంటి వాటిని సరిదిద్దేందుకు అన్ని రాష్ట్రాలు, కేంద్రపాలిత ప్రాంతాల్లో అనేక పథకాలు అమలవుతున్నాయి. ‘లక్షిత ప్రజా పంపిణీ వ్యవస్థ’ (టీపీడీఎస్) ద్వారా ‘బలవర్ధక బియ్యం’ పంపిణీ, ‘సమీకృత శిశు సంరక్షణ సేవలు-ఐసీడీఎస్’, ‘పీఎం పోషణ్’ (పూర్వ ఎండీఎం పథకం), ఇతర సంక్షేమ పథకాలు కొనసాగుతున్నాయి. మార్చి 2024 నాటికల్లా దేశం మొత్తంలో దశలవారీగా బలవర్ధక బియ్యం పథకం అమలు చేయాలని ఆర్థిక వ్యవహారాల కేంద్ర కమిటీ సిఫార్సు చేసింది. మూడు-దశల పథకం అమలు పూర్తవ్వడంతో 2024 మార్చ్ నాటికి, అన్ని ప్రభుత్వ సంక్షేమ పథకాల ద్వారా అందరికీ బలవర్ధక బియ్యం పంపిణీ లక్ష్యాన్ని చేరుకున్నట్లయింది.
2019-2021 మధ్య కాలంలో చేపట్టిన జాతీయ కుటుంబ ఆరోగ్య సర్వే (ఎన్ఎఫ్ హెచ్ఎస్-5) అధ్యయనం ప్రకారం- వయసు, ఆదాయాలకి సంబంధం లేకుండా భారతదేశంలో రక్తహీనత సమస్య తీవ్రంగా ఉందనీ, పిల్లలతోపాటు స్త్రీపురుషులను ప్రభావితం చేస్తోందని తేలింది. ఇనుము ధాతు, బీ-12, ఫోలిక్ యాసిడ్ లోపాలు, వీటితోపాటు విటమిన్లు, ఖనిజాల లోపం కూడా ఉందని తేలింది. ఈ లోపాలు ప్రజల ఆరోగ్యం, ఉత్పాదకతలపై ప్రతికూల ప్రభావాన్ని చూపిస్తున్నాయి.
రక్తహీనత, సూక్ష్మపోషక లోపాల సమస్య పరిష్కారం కోసం ఆహారంలో అదనపు పోషకాలను చేర్చడం- ప్రపంచ వ్యాప్తంగా సమర్ధమైన, సురక్షితమైన పద్ధతిగా గుర్తింపు పొందింది. 65 శాతం భారతీయుల సంప్రదాయ ఆహారం వరి కాబట్టి, బియ్యంలో పోషకాలను చేర్చి అందించాలని ప్రభుత్వం భావించింది. ‘ఫోర్టిఫైడ్ రైస్ కెర్నల్స్’ (ఎఫ్ఆర్కే)ను బియ్యంలో చేర్చడం ద్వారా బలవర్ధక బియ్యం తయారవుతోంది. ‘ఎఫ్ఆర్కే’లో ‘భారత ఆహార భద్రత, ప్రమాణాల సంస్థ’-‘ఎఫ్ఎస్ఎస్ఏఐ’ నిర్దేశించిన ప్రమాణాల ప్రకారం ఇనుము, ఫోలిక్ యాసిడ్, విటమిన్ బీ 12 వంటి సూక్ష్మ పోషకాలను కలుపుతారు.
Text of PM's speech at inauguration of Sri Sri Radha Madanmohanji Temple of ISKCON in Navi Mumbai
January 15, 2025
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The followers of ISKCON spread across the world are tied by the thread of devotion to Lord Krishna which keeps them all connected to each other, which keeps guiding every devotee 24 hours a day, the formula of thoughts of Srila Prabhupada Swami: PM
India is not just a piece of land bounded by geographical boundaries, its a living land, a living culture, the consciousness of this culture is spirituality, if we want to understand India, we have to first imbibe spirituality: PM
The main foundation of our spiritual culture is the spirit of service: PM
हरे कृष्णा – हरे कृष्णा !
हरे कृष्णा – हरे कृष्णा !
महाराष्ट्र के गवर्नर सी. पी. राधाकृष्णन जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री देवा भाऊ, उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी, श्रद्धेय गुरु प्रसाद स्वामी जी, हेमा मालिनी जी, सभी सम्मानित अतिथि, भक्तगण, भाइयों और बहनों।
आज ज्ञान और भक्ति की इस महान धरती पर इस्कॉन के प्रयासों से श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का उद्घाटन हो रहा है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसे अलौकिक अनुष्ठान में अपनी भूमिका निभाने का पुण्य प्राप्त हुआ है। ये इस्कॉन के संतों का अपार स्नेह और अपनापन है, श्रील प्रभुपाद स्वामी का आशीर्वाद है, मैं सभी पूज्य संतों का आभार करता हूँ, उनके चरणों में प्रणाम करता हूँ। मैं अभी देख रहा था, श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर परिसर की जो रूपरेखा है, इस मंदिर के पीछे जो विचार है, इसका जो स्वरूप है, उसमें आध्यात्म और ज्ञान की सम्पूर्ण परंपरा के दर्शन होते हैं। मंदिर में ईश्वर के विविध स्वरूपों के दर्शन होते हैं, जो ‘एको अहम् बहु स्याम’ ये हमारे विचार को भी अभिव्यक्त करते हैं। नई पीढ़ी की रुचि और आकर्षण के अनुरूप यहाँ रामायण, महाभारत, उसको समेटे हुए, उस पर आधारित म्यूजियम भी बनाया जा रहा है। यहां वृंदावन के 12 जंगलों पर आधारित एक उद्यान भी विकसित किया गया है। मुझे विश्वास है, ये मंदिर परिसर, आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को भी समृद्ध करने का एक पुण्य केंद्र बनेगा। मैं इस पुनीत कार्य के लिए इस्कॉन के सभी संतों और सदस्यों को, और महाराष्ट्र के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
साथियों,
आज इस मौके पर मुझे परम श्रद्धेय गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराज का भावुक स्मरण भी हो रहा है। इस प्रोजेक्ट में उनका विज़न जुड़ा हुआ है, भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी अगाध भक्ति का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है। आज वो भौतिक शरीर से भले ही यहाँ न हों, लेकिन उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति हम सब महसूस कर रहे हैं। मेरे जीवन में तो उनके स्नेह का, उनकी स्मृतियों का एक अलग ही स्थान है। उन्होंने जब विश्व की सबसे बड़ी गीता का लोकार्पण करवाया, तो उसके लिए मुझे आमंत्रित किया और मुझे भी वो पुण्य प्रसाद मिला। श्रील प्रभुपाद जी की 125वीं जन्मजयंती के अवसर पर भी मुझे उनका सानिध्य प्राप्त हुआ था। मुझे संतोष है कि आज मैं उनके एक और सपने को पूरा होते देख रहा हूँ, उसका साक्षी बन रहा हूँ।
साथियों,
दुनियाभर में फैले इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति के डोर से बंधे हैं। उन सबको एक-दूसरे से कनेक्ट रखने वाला एक और सूत्र है, जो चौबीसों घंटे हर भक्त को दिशा दिखाता रहता है। ये श्रील प्रभुपाद स्वामी के विचारों का सूत्र है। उन्होंने उस समय वेद-वेदांत और गीता के महत्व को आगे बढ़ाया, जब देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा था। उन्होंने भक्ति वेदांत को जन सामान्य की चेतना से जोड़ने का अनुष्ठान किया। 70 वर्ष की आयु में जब लोग अपने कर्तव्यों को पूरा मान चुके होते हैं, उस समय उन्होंने इस्कॉन जैसा मिशन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने लगातार दुनियाभर का भ्रमण किया, श्रीकृष्ण के संदेश को दुनिया के कोने-कोने में ले गए। आज दुनिया के हर कोने में करोड़ों लोगों को उनकी तपस्या का प्रसाद मिल रहा है। श्रील प्रभुपाद स्वामी की सक्रियता, उनके प्रयास आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
साथियों,
हमारा भारत एक असाधारण और अद्भुत भूमि है। भारत केवल भौगोलिक सीमाओं में बंधा भूमि का एक टुकड़ा मात्र नहीं है। भारत एक जीवंत धरती है, एक जीवंत संस्कृति है, जीवंत परंपरा है। और, इस संस्कृति की चेतना है- यहाँ का आध्यात्म! इसलिए, यदि भारत को समझना है, तो हमें पहले आध्यात्म को आत्मसात करना होता है। जो लोग दुनिया को केवल भौतिक दृष्टि से देखते हैं, उन्हें भारत भी अलग-अलग भाषा और प्रांतों का समूह नजर आता है। लेकिन, जब आप इस सांस्कृतिक चेतना से अपनी आत्मा को जोड़ते हैं, तब आपको भारत के विराट रूप के दर्शन होते हैं। तब आप देख पाते हैं, सुदूर पूरब में बंगाल की धरती पर चैतन्य महाप्रभु जैसे संत अवतरित होते हैं। पश्चिम में महाराष्ट्र में संत नामदेव, तुकाराम, और ज्ञानदेव जैसे संतों का अवतरण होता है। चैतन्य महाप्रभु ने महावाक्य मंत्र जन-जन तक पहुंचाया। महाराष्ट्र के संतों ने ‘रामकृष्ण हरी’, रामकृष्ण हरी के मंत्र से आध्यात्मिक अमृत बांटा। संत ज्ञानेश्वर ने ज्ञानेश्वरी गीता के जरिए भगवान कृष्ण के गूढ ज्ञान को जनसुलभ बनाया। इसी तरह, श्रील प्रभुपाद जी ने इस्कॉन के माध्यम से गीता को लोकप्रिय बनाया। गीता की टीकाएं प्रकाशित कर उसकी भावना से लोगों को जोड़ा। अलग-अलग स्थानों पर जन्में ये सभी संत अपने-अपने तरीके से कृष्ण भक्ति की धारा को गति देते रहे हैं। इन संतों के जन्मकाल में वर्षों का अंतर है, अलग-अलग भाषा, अलग-अलग पद्धति है, लेकिन, बोध एक है, विचार एक है, चेतना एक है। सभी ने भक्ति के प्रकाश से समाज में नए प्राण फूंके, उसे नई दिशा दी, अविरत ऊर्जा दी।
साथियों,
आप सभी परिचित हैं, हमारी आध्यात्मिक संस्कृति की नींव का प्रमुख आधार सेवा भाव है। आध्यात्मिकता में जनार्दन-सेवा और जन-सेवा, एक हो जाते हैं। हमारी आध्यात्मिक संस्कृति साधकों को समाज से जोड़ती है, उनमें करुणा की भावना पैदा करती है। ये भक्ति-भाव उन्हें सेवा-भाव की ओर ले जाता है।
दातव्यम् इति यत् दानम दीयते अनुपकारिणे देशे काले च पात्रे च तत् दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।
श्री कृष्ण ने हमें इस श्लोक में सच्ची सेवा का मतलब बताया है। उन्होंने बहुत सुंदर तरीके से समझाया है कि सच्ची सेवा वही है, जिसमें आपका कोई स्वार्थ न हो। हमारे सभी धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के मूल में भी सेवा भावना है। इस्कॉन जैसी इतनी विराट संस्था भी, इसी सेवा भावना से काम करती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण से जुड़े कितने ही काम आपके प्रयासों से होते हैं। कुम्भ में इस्कॉन सेवा के कई बड़े कार्य कर रहा है।
साथियों,
मुझे संतोष है कि हमारी सरकार भी इसी सेवा भावना के साथ पूरे समर्पण से लगातार देशवासियों के हित में काम कर रही है। हर घर में शौचालय बनवाना, हर गरीब महिला को उज्ज्वला का गैस कनेक्शन देना, हर घर तक नल से जल की सुविधा पहुंचाना, हर गरीब को 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सुविधा देना, 70 वर्ष की आयु से ऊपर के हर बुजुर्ग को इस सुविधा के दायरे में लाना, हर बेघर को पक्के घर देना, ये इसी सेवा भावना के साथ, इसी समर्पण भाव के साथ किए गए कार्य हैं, जो मेरे लिए हमारी महान सांस्कृतिक परंपरा का प्रसाद है। सेवा की यही भावना, सच्चा सामाजिक न्याय लाती है, सच्चे सेक्यूलरिज्म का प्रतीक है।
साथियों,
हमारी सरकार कृष्ण सर्किट के माध्यम से देश के अलग-अलग तीर्थों, धार्मिक स्थानों को जोड़ रही है। इस सर्किट का विस्तार गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा तक है। स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के द्वारा इन स्थानों को विकसित किया जा रहा है। इन मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के अलग-अलग रूपों के दर्शन होते हैं। कहीं वो बाल रूप में दिखते हैं, तो कहीं उनके साथ राधा रानी की भी पूजा होती है। किसी मंदिर में उनका कर्मयोगी स्वरूप दिखाई देता है, तो कहीं राजा के रूप में उनकी पूजा की जाती है। हमारा प्रयास है कि भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े अलग-अलग स्थलों तक पहुंचना और मंदिरों के दर्शन करना आसान हो। इसके लिए विशेष ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं। इस्कॉन भी कृष्ण सर्किट से जुड़े आस्था के इन केंद्रों पर श्रद्धालुओं को लाने में जरूर सहयोग कर सकता है। मेरा आपसे आग्रह है कि आप अपने सेंटर से जुड़ने वाले सभी भक्तों को भारत में कम से कम 5 ऐसे स्थानों पर जरूर भेजें।
साथियों,
पिछले एक दशक में देश में विकास और विरासत को एक साथ गति मिली है। विरासत से विकास के इस मिशन को इस्कॉन जैसी संस्थाओं का महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है। हमारे मंदिर या धार्मिक स्थल तो सदियों से सामाजिक चेतना के केंद्र रहे हैं। हमारे गुरुकुलों का शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने में अहम योगदान रहा है। इस्कॉन भी अपने कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को प्रेरित करता है कि वो आध्यात्म को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। और अपनी परंपरा पर चलते हुए, इस्कॉन के युवा साधक कैसे आधुनिक टेक्नोलॉजी को आत्मसात करते हैं, ये देखना और अद्भुत होता है। और आपका इन्फॉरमेशन नेटवर्क तो दूसरों के लिए सीखने योग्य है। मुझे विश्वास है, इस्कॉन के सानिध्य में युवा सेवा और समर्पण की भावना से राष्ट्रहित में काम करेंगे। इस परिसर में भक्तिवेदांत आयुर्वेदिक हीलिंग सेंटर की सुविधा भी लोगों को मिलेगी। और मेरा तो मत है, दुनिया के लिए मैंने हमेशा संदेश दिया है- ‘हील इन इंडिया’। शुश्रूषा के लिए, और सर्वांगीण रूप से स्वस्थ होने के लिए, well being के लिए ‘हील इन इंडिया’। यहाँ भक्ति वेदान्त कॉलेज फॉर वेदिक एजुकेशन की स्थापना भी की गई है। इनका लाभ हर समाज को होगा, पूरे देश को होगा।
साथियों,
हम सब देख रहे हैं कि वर्तमान समाज जितना आधुनिक हो रहा है, उतनी ही उसे संवेदनशीलता की भी जरूरत है। हमें संवदेनशील इंसानों का समाज तैयार करना है। एक ऐसा समाज जो मानवीय गुणों के साथ आगे बढ़े। एक ऐसा समाज जहां अपनेपन की भावना का विस्तार हो। इस्कॉन जैसी संस्था अपने भक्ति वेदांत के माध्यम से दुनिया की संवेदनशीलता को नया प्राण दे सकती है। आपकी संस्था अपनी क्षमताओं का उपयोग कर, पूरी दुनिया में मानवीय मूल्यों का विस्तार कर सकती है। मुझे विश्वास है कि प्रभुपाद स्वामी के आदर्शों को जीवंत बनाए रखने के लिए इस्कॉन के महानुभाव इसी तरह हमेशा तत्पर रहेंगे। मैं एक बार फिर राधा मदनमोहनजी मंदिर के लिए पूरे इस्कॉन परिवार को, सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।