संचालक: मैं आपकी अनुमति से अपना विचार साझा करने के लिए ऑपरच्यूनिटी दूंगा। माननीय प्रधानमंत्री जी, हमारे बीच में हमारे असम के सांसद दिलीप साकिया जी ने अपने लोकसभा क्षेत्र में सांसद खेल महोत्सव आयोजित करा। उसमें शांति कुमारी, हमारी एक एथलीट इस उत्सव में जुड़ी हैं और उन्होंने मुझे आग्रह करा है कि मैं प्रधानमंत्री जी से बात करन चाहती हूं। संवाद करना चाहती हैं। तो मैं सुश्री शांति कुमारी को कहता हूं कि आइए, आप प्रधानमंत्री जी के साथ अपना विचार साझा करिए। माननीय प्रधानमंत्री जी।
शांति कुमारी: नमस्ते सर।
प्रधानमंत्री: शांति जी नमस्ते।
शांति कुमारी: नमस्ते सर।
प्रधानमंत्री: बैठिए, बैठिए बेटा। जरा अपने विषय में बताइए शांति जी। और आपने कबड्डी को क्यों चुना?
शांति कुमारी: हेलो सर।
प्रधानमंत्री: हां शांति जी, मुझे सुनाई दे रहा है बेटा, बोलो बेटा।
शांति कुमारी: सर क्वेश्चन फिर से बोलिए
प्रधानमंत्री: आप अपने बारे में बताइए और दूसरा मैं पूछना चाहता था आपने कबड्डी को ही क्यों चुना?
शांति कुमारी: नमस्ते सर। मेरा नाम शांति कुमारी बोरो। मैं आसाम के दोरांग जिले के भोटरा गांव, टेटली भंगुरी में रहती हूं। सर, मेरे पिता का नाम है नारायण बोरो। मेरा पिता एक किसान है और मां का नाम प्रतिमा बोरो। मेरा मां घर वाली है। घर पे काम-काज करती है और मेरा, मुझे लेकर मेरे घर पे तीन बहनें हैं। मैं सबसे छोटी हूं। मैं कबड्डी को पहले हमारे भोटरा में स्पोर्ट्स क्लब में देखा था। मुझे नहीं पता था कि कबड्डी इतना बड़ा गेम है। पहले मैंने वहां पे प्रैक्टिस किया और मैं इंडिया टीम में भी सलेक्शन मिला था। तो ट्राइल में भी गया था। स्टेट लेबल मैंने चार बार खेला है सर। और फिर मैं कबड्डी को इतना बड़ा गेम नहीं पता था। कबड्डी को मैंने 2022 में खेला था। कबड्डी में इतना...
प्रधानमंत्री: अच्छा शांति, इस बार ये इतनी छोटी उम्र में ही कबड्डी खेलने की प्रेरणा ये कहाँ से आपको हासिल हुई? और क्या घर में आपके जन्म के बाद बहुत शांति हो गई तो ये आपका नाम शांति रख लिया गया।
शांति कुमारी: सर, मैंने छोटी उम्र से ही गेम खेला और गेम खेल के, मुझे कबड्डी खेल कर जैसा नाम शांति है, वैसा ही बहुत शांति मिला है सर।
प्रधानमंत्री: अच्छा आप 10th क्लास में पढ़ती भी हैं और प्रैक्टिस भी कर रही हैं। और घर में 10th की क्लास मतलब एक ऐसा वातावरण बन जाता है जैसे कर्फ्यू लग जाता है। माता-पिता, टीचर सब लग जाते हैं कि टेंथ है, टेंथ है, टेंथ है। तो आप ये दोनों चीजें कैसे मैनेज करती हो?
शांति कुमारी: मैं, यहां हमारा असम का बेस्ट प्लेयर भी हूं और हमारा यहां का एमपी सर, दिलीप सर ने बहुत अच्छा परफार्मेंस दिया था। और दिलीप सर ने, पहले हम कबड्डी को मिट्टी में गेम खेलते थे, कट बनाके। हमारा दिलीप सर ने हमारे गेम खेलने के लिए, खेलो इंडिया में हमारा भर्ती हो गया। और इसके बाद हमें गेम खेलने के लिए मैट में, मैट दिलवाया। हम लोग यहां खेलो इंडिया सेंटर में प्रेक्टिस कर रहा है। और मेरी घर की सपोर्ट से, मेरी कोच की सपोर्ट से, मेरी सभी की सपोर्ट से मैंने खेलकर यहां तक पहुंचा है। इसलिए उन लोगों को, सभी को मैं धन्यवाद बोलना चाहती हूं सर। सर, आपको भी धन्यवाद देती हूं।
प्रधानमंत्री: वाह-वाह, शांति आपने बताया कि आपने खेल, पढ़ाई, ट्रेनिंग सब, बहुत अच्छे से मेहनत कर रही हैं। सांसद खेल प्रतियोगिता के माध्यम से आपको खेलने का इतना अच्छा प्लेटफार्म मिला। ये जानकर भी मुझे अच्छा लगा। हमारी सरकार देश में हर तरह से खिलाड़ियों की मदद कर रही है। हमारी कोशिश है कि हमारे खिलाड़ियों का पूरा जोश, पूरी ताकत, ट्रेनिंग के समय भी और खेलते समय भी और उनका प्रदर्शन लगातार सुधरता रहे। आप लगातार मेहनत कीजिए, सफल होते रहिए...आपको 10th की परीक्षा के लिए भी मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं। और कबड्डी के मैदान में भी आप देश का नाम रोशन करें। बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत आशीर्वाद बेटा।
संचालक: प्रधानमंत्री जी, बंगाल के दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र के हमारे गुणवंश छेत्री भी हमारे साथ जुड़े हैं। वो भी आपके बातचीत करना चाहते हैं। मैं गुणवंश छेत्री जी दार्जिलिंग से कहूंगा कि आप प्रधानमंत्री जी से बात कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री: गुणवंश छेत्री जी नमस्ते।
गुणवंश: आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार।
प्रधानमंत्री: गुणवंश, आपको तो हॉकी विरासत में मिली है। क्या पिताजी आपको हॉकी की बारीकी बताते हैं?
गुणवंश: हां सर, मेरे पिताजी मुझे बहुत सारे टिप्स देते हैं। कभी भी ओवरकॉन्फिडेंट नहीं होना, कभी भी प्रेशर में नहीं आना है। हमेशा इजी खेलना है।
प्रधानमंत्री: अच्छा, जब आप खेलते हैं, तो क्या आप चाहते हैं कि पिताजी आपका खेल देखें। या फिर आपको लगता है कि अगर पिताजी मैदान में रहे, तो डांट-पड़ताल पड़ जाएगी। तो उसके बजाए अच्छा है कि वो घर में ही रहें।
गुणवंश: नहीं सर, मैं चाहता हूं कि मेरे पिताजी हमेशा मेरे साथ ग्राउंड में रहें और मुझे मेरे खेल को देखें। और मैंने मिस्टेक्स की हैं। और मैं चाहता हूं कि वो मुझे मिस्टेक्स ठीक करने के लिए मदद करें।
प्रधानमंत्री: अच्छा गुणवंश, आप दिन में कितना समय प्रैक्टिस के लिए निकालते हो?
गुणवंश: सर, सुबह पांच बजे उठकर प्रैक्टिस करने जाता हूं, सर।
प्रधानमंत्री: अब आप पांच बजे उठते हो और जो बच्चे अभी सुन रहे हैं ना वो तो कभी सूर्योदय भी नहीं देखते हैं। और आप पांच बजे उठकर मेहनत कर रहे हो।
गुणवंश: जी सर,
प्रधानमंत्री: तो आपके सारे दोस्तों को भी लगता होगा कि इतनी मेहनत क्यों कर रहे हो।
गुणवंश : हां जी सर।
प्रधानमंत्री: अच्छा गुणवंश जी, ये बताइए कि आपकी हॉकी की यात्रा में ये जो सांसद खेल महोत्सव चल रहा है और सांसद महोदय आपके बगल में भी बैठे हैं, तो इसके कारण आपको कितनी मदद मिल रही है?
गुणवंश: सर, मुझे सांसद खेल महोत्सव में मुझे कॉन्फिडेंस मिला। मैं और अच्छे से खेलने के लिए और मुझे इसमें बेस्ट गोल कीपर भी मिला था।
प्रधानमंत्री: गुणवंश, आपको घर और बाहर दोनों जगहों पर शानदार कोच मिले हैं। आपने अपनी सफलता की यात्रा शुरू कर दी है। आप लगातार मेहनत कीजिए और हां पिताजी की बातों पर हमेशा ध्यान दीजिएगा। उनका अनुभव आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। आपको बस मेहनत करनी है। और मुझे अच्छा लगा, पांच बजे उठ करके आप मैदान में पहुंच जाते हैं, ये अपनेआप में इसके प्रति आपका कितना कमिटमेंट है। ये दिखाई दे रहा है। और मैं विश्वास से कहता हूं कि आप जिस प्रकार से मेहनत कर रहे हैं। आपकी मेहनत जरूर रंग लाएगी। मेरा बहुत-बहुत आशीर्वाद हैं आपको।
गुणवंश: थैंक्यू सर।
संचालक: प्रधानमंत्री जी, हमारे तमिलनाडु के राज्यसभा के सांसद एवं केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन जी ने भी नीलगिरी तमिलनाडु में सांसद खेल महोत्सव का आयोजन करा है। उसमें एक 14 वर्षीय साइकिल, पोलो और कबड्डी तीनों गेम्स खेलने वाली नेशिका के.पी. भी आपसे बात करना चाहती है। नेशिका जी आप प्रधानमंत्री जी से बात कर सकती हैं।
नेशिका: नमस्ते सर।
प्रधानमंत्री: नेशिका जी वणक्कम।
नेशिका: वणक्कम सर।
प्रधानमंत्री: अच्छा जरा नेशिका जी, आप अपने बारे में कुछ बताइए। आप क्या करती हैं, कौनसा खेल खेलती हैं।
नेशिका: मैं एसएसवीएम की छात्रा हूं। नेशनल लेवल साइकिल पोलो और स्टेट लेवल कबड्डी प्लेयर हूं।
प्रधानमंत्री: वाह, अच्छा आपने बताया कि आप दो-दो खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। आप ये कैसे मैनेज करती हैं। दो खेलों में एक साथ, पूरा फोकस दे पाना जरा कठिन काम होता है।
नेशिका: सर, खेल मेरी पढ़ाई को कभी डिस्टर्ब नहीं करता। मैं रोज स्कूल के बाद एक घंटा प्रैक्टिस करती हूं। मेरे पैरेंट्स और स्कूल दोनों सपोर्ट करते हैं।
प्रधानमंत्री: अच्छा, अगर आपको एक स्पोर्ट्स को चुनना हो तो आप कौनसा खेल चुनोगी?
नेशिका: सर मैं कबड्डी चुनूंगी। क्योंकि बचपन से खेल रही हूं और यह हमारे राज्य का खेल है और मुझे कबड्डी प्लेयर होने पर गर्व है।
प्रधानमंत्री: आपके बगल में पीटी उषा जी बैठी हैं। वो बचपन से इसी में लगी हैं। आप उनसे कुछ बातें की क्या आज?
नेशिका: हां सर, उनसे सीखना मेरे लिए गर्व की बात है।
प्रधानमंत्री: आपको सांसद खेल महोत्सव का जो ये कार्यक्रम मैं पीछे लगा हुआ हूं, देशभर के एमपीज को कहता हूं कि हर साल एक बार खेल महोत्सव का आयोजन करना चाहिए। और धीरे-धीरे मैंने देखा कि सभी एमपी बराबर काम कर रहे हैं। आपके यहां भी भले हमारे राज्यसभा के सांसद हैं, लेकिन वो भी कर रहे हैं। ये सांसद खेल महोत्सव से आपको कितनी मदद मिली?
नेशिका: सर, सबसे पहले तो आपको धन्यवाद। इसके बाद एल मुरुगन जी को धन्यवाद, जिन्होंने यहां इसका आयोजन किया और इसमें हमें टैलेंट दिखाने का मौका मिला और स्किल डेवलप करने में मदद मिली। धन्यवाद सर।
प्रधानमंत्री: नेशिका, हमारे देश के हर शहर में, हर गांव में टैलेंट का भंडार भरा हुआ है। आप एक नहीं, दो-दो खेल और सिर्फ खेल ही नहीं आप उसमें शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। आप दोनों खेलों की जो अच्छाई है, उसे अपनी ताकत बनाइए। और जब कोई स्थिति आए कि आपको एक खेल चुनना है तो खूब सोच-समझकर फैसला लीजिएगा। मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत आशीर्वाद है। वणक्कम।
नेशिका: थैंक्यू सर।
संचालक: प्रधानमंत्री जी, स्वाभाविक है कि और लोग चाहते हैं कि हम आपके संवाद करें। लेकिन सभी को तो हम ऑपरच्यूनिटी नहीं दे सकते हैं। लेकिन अंत में हमारे सिरसा में सुभाष बारला जी ने भी हरियाणा में बहुत अच्छा सांसद खेल महोत्सव करा। और बॉक्सिंग और कुश्ती हमारी हरियाणा की ताकत रही है स्पोर्ट्स में। ऐसे ही हमारे एक युवा खिलाड़ी नीरज कुमार वे आपसे बात करना चाहते हैं। नीरज आप प्रधानमंत्री जी से बात कर सकते हो।
नीरज: सर जी, राम राम हम सभी की तरफ से।
प्रधानमंत्री: नीरज राम राम
नीरज: और कैसे हो
प्रधानमंत्री: मैं तेरे जैसा ही हूं। अच्छा नीरज, ये नीरज नाम सुनकर ही तुम्हें लगा होगा कि मेरा नाम नीरज है मैं भी नीरज चोपड़ा बन जाऊं।
नीरज: हां जी।
प्रधानमंत्री: अच्छा नीरज, अपने बारे में कुछ बताइए?
नीरज: मेरा नाम नीरज है जी। मेरे पिताजी का नाम श्री बलवान सिंह है और वे कोआपरेटिव सोसाइटी में अपनी जॉब करते हैं और मम्मी अपना घर का काम करती है। मैं हरियाणा के टोहाना के गांव डांगरा से रहने वाला हूं। और मैं बॉक्सिंग फील्ड का खिलाड़ी हूं, जिसमें मैं नेशनल मेडलिस्ट भी हूं।
प्रधानमंत्री: अच्छा, आपने क्या अब खेलों में आगे करियर बनाने के बारे में सोचा है।
नीरज: हां जी। मेरा ये ही सोच राख्या है कि भई अब बॉक्सिंग से ही करना है जी। जो भी करना है। मैं चाहता हूं कि मैं भारत देश के लिए ओलंपिक और गोल्ड मेडल लाकर देऊं जी।
प्रधानमंत्री: आप क्या दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बाक्सर्स के मैच कभी इंटरनेट पर देखते हैं क्या?
नीरज: हां जी। विश्व के और अपने देश के भी घणे बॉक्सर हैं जी अच्छे अच्छे। जिनकी मैं फाइट देखूं जी और उन्होंने मोटिवेट होउं जी और उन्हें सीखूं जी कि किस तरह मारण लाग रहे हैं और मारकर गेरण लाग रहे है।
प्रधानमंत्री: तो ये मोबाइल फोन पर बैठे रहते होंगे तो पिताजी कहते होंगे कि जाओ खेलो, ये क्या कर रहे हो तुम, ऐसा तो नहीं होता है ना।
नीरज: हां ये तो है जी, कई बार आ जाए सामणे तो फिर इंटरेस्ट बणे ही रहे जी बॉक्सिंग में। हम भी देख लया जी किस तरह मारण लाग रया है। आपां भी गेर दियां तगड़े मार के।
प्रधानमंत्री: सांसद खेल महोत्सव इसमें आप कब से खेल रहे हैं। क्योंकि सांसद खेल महोत्सव लगातार पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है। और सांसद खेल महोत्सव में खेलने का जो मौका मिला है, ये जो एक्सपोजर और प्रतिस्पर्धा आपको एक खेल में सुधार करने के लिए बहुत काम आती है। खेलते रहना एक तरीका है लेकिन स्पर्धा से निकलते रहना ये भी उतना ही महत्व है। तो वो आपको कैसे मदद कर रहा है।
नीरज: ये जी हमारे सांसद खेल महोत्सव, हमारे आदरणीय श्री सुभाष बराला जी ने करवाए हैं। इनके नेतृत्व में हुए, इतने बढ़िया गेम हुए जी, जबर्दस्त कि कभी देक्खे ही नहीं कि इस तरह के गेम भी होओगे कदे। और हमारे इसमें सुविधा इतनी बढ़िया थी जी कि आणा, जाणा, रहणा, खाणा-पीणा, घर से लेकर जाणा और छोड़ के आणा। जमां तगड़ा कर राक्खा था जी। जिमें सारे बालकां ने स्वाद आ गया।
प्रधानमंत्री: क्या नीरज, आज मैं ये मानकर जाऊं कि आने वाले समय में हमारा एक और हरियाणवी बॉक्सर देश को गोल्ड मेडल जिताएगा?
नीरज: हां जी।
प्रधानमंत्री: देखिए, सब लोग तालियां बजा रहे हैं अभी से।
नीरज: जरूर जी, आप ये मान के चालो जी। आणे वाले ओलंपिक में या फिर उसके अगले में जरूर जी आपसे मिलूं जी और वो मेडल आपके हाथ लेकर देऊं जी कि ये अपने देश का मेडल है जी। अपने देश का झंडा सबसे ऊपर हो गया। और ईब अपणै ठाठ से रहो।
प्रधानमंत्री: देखिए नीरज, मैं तो हंसी-मजाक कर रहा हूं। मेरी कोई बात को आप प्रेशर की तरह मत लीजिएगा। मस्ती से खेलते रहिए। मेडल तो अब अपने आप आएगा। आप अपनी मस्ती में रहिए। मैं अपने सभी खिलाड़ियों से कहता हूं कि जीत-हार से ज्यादा महत्वपूर्ण है सीखना। आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं। खेल के मैदान में कोई हारता ही नहीं है। एक जीतता है, दूसरा सीखता है। आप लोग लगातार प्रयास करते रहें और अपनी ट्रेनिंग, एक्सपोजर, डाइट इस तरह की चिंताओं से मुक्त रहें। आपकी इस तरह की चिंता करने के लिए सरकार है। मैं सभी खिलाड़ियों को और सभी प्रतिभागियों को पूरा मन लगाकर प्रयास करने का आग्रह करूंगा। मुझे विश्वास है कि परिणाम जरूर आएंगे। मेरी तरफ से आप सबसे बात करने का मौका मिला। मैं आपका बहुत शुक्रगुजार हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
नीरज: थैंक्यू सर।


