4Ps are essential for making the world clean - Political Leadership, Public Funding, Partnerships & People’s Participation: PM Modi
#SwachhBharat While fighting for freedom, Gandhi ji once said that out of freedom and cleanliness, he would give greater priority to cleanliness, says PM Modi
For the #SwacchBharat Mission, I derive inspiration from respected Bapu and followed his guidelines while initiating the movement: PM Modi
Today, I am proud that our nation of 125 crore people is following the footsteps of Gandhi ji, and have turned #SwacchBharat Mission into a success story: PM
So many countries coming together for a cleanliness campaign is an unheard of event, says PM Modi at MGISC #Gandhi150

His excellency संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव António Guterres, स्‍वच्‍छता के संकल्‍प में साथ देने दुनिया भर से आए हुए विभिन्‍न राष्‍ट्रों के माननीय मंत्रीगण, मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी सुषमा जी, उमा भारती जी, हरदीप पुरी जी, रमेश जी, देश और दुनियाभर से आए विशिष्‍ट अतिथिगण, भाइयों और बहनों।

भारत में, पूज्‍य बापू की इस धरती में आप सबका हृदय से बहुत-बहुत स्‍वागत है। सवा सौ करोड़ भारतीयों की तरफ से आप सभी को नमस्‍कार। स्‍वच्‍छता जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपनी प्रतिबद्धता और उस प्रतिबद्धता को एक सामूहिकता के साथ मानव जाति के समने प्रस्‍तुत करना, प्रेरित करने का और इसके लिए आप सभी World leaders, sanitation और sustainable development से जुड़ी विश्‍व की महान हस्तियों के बीच, आप सबके बीच होना मेरे लिए एक बहुत सौभाग्‍य का पल है।

महात्‍मा गांधी International sanitation convention में भाग लेने और अपने देशों के अनुभवों को साझा करने के लिए और एक प्रकार से इस summit को अपने अनुभव से, अपने विचारों से, अपने vision  से समृद्ध बनाने के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

आज जब विश्‍व अनेक चुनौतियों से गुजर रहा है, तब मानवता से जुड़े एक अहम विषय पर इतने देशों का जुटना, उस पर मनन-चिंतन करना अपने-आप में एक अभूतपूर्व घटना है।

आज का ये आयोजन Global sanitation की दिशा में मेरा विश्‍वास है कि आप सबने जो समय दिया है, आप सब शरीक हुए हैं, ये अवसर आने वाले दिनों में मानव कल्‍याण के कार्यों के साथ जुड़ा हुआ एक मील का पत्‍थर साबित होने जा रहा है।

साथियों, आज ही हम महात्‍मा गांधी के 150वें जन्‍म वर्ष में, और 150 वर्ष पूरे विश्‍व में व्‍यापक रूप से मनाने की दिशा में हम कदम रख रहे हैं। पूज्‍य बापू को मैं सभी की तरफ से आदरपूर्वक श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। और मैं देखता हूं कि पूज्‍य बापू का सपना स्‍वच्‍छता से संकल्पित था। और आज उस स्‍वच्‍छता से जुड़े अलग-अलग महानुभावों का मुझे सत्‍कार करने का मौका मिला तो एक प्रकार से श्रद्धांजलि के साथ-साथ कार्यांजलि देने का भी हमें सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ।

आप सबने भी बापू के आश्रम में भी बिताया एक दिन। साबरमती के तट पर, जहां से पूज्‍य बापू ने देश को आजादी की लड़ाई के लिए तैयार किया था। वहां की सादगी, वहां के जीवन को अपने निकट से देखा है। मुझे विश्‍वास है कि बापू के विचार अवश्‍य ही  स्‍वच्‍छता के mission के साथ जुड़े लोगों के लिए एक नई ऊर्जा, नई चेतना, नई प्रेरणा का अवश्‍य एक अवसर बने होंगे। और ये भी बहुत सार्थक है कि आज ही हम Mahatma Gandhi International Sanitation Convention के इस समारोह के समापन अवसर पर भी इकट्ठे हुए हैं।

कुछ समय पहले मुझे यहां कुछ स्‍वच्‍छाग्रहियों के सम्‍मान और पुरस्‍कार देने का अवसर मिला। मैं सभी पुरस्‍कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, पूज्‍य अम्‍मा को विशेष रूप से प्रणाम करता हूं, क्‍योंकि जबसे इस कार्य को प्रारंभ किया, पूज्‍य अम्‍मा ने सक्रिय रूप से, एक प्रकार से इस पूरे अभियान को अपने कंधे पर ले लिया। ऐसे अनेक अनगिनत लोगों ने ऐसे महापुरुषों के, मनुष्‍यों के, इन महामानवों के, मनीषियों के जीवन से प्रेरणा पा करके आज इस स्‍वच्‍छता के अभियान को जनांदोलन बना दिया, एक बहुत बड़ी ताकत बना दी। मैं उन सबको भी आज इस मंच से प्रणाम करता हूं।

साथियों, आजादी की लड़ाई लड़ते हुए गांधी जी ने एक बार कहा था कि वो स्‍वतंत्रता और स्‍वच्‍छता में से अगर कोई पूछेगा तो स्‍वच्‍छता को प्राथमिकता देते हैं। गांधीजी, जिसने आजादी की जंग के लिए जीवन खपा दिया, लेकिन उन्‍होंने भी स्‍वतंत्रता और स्‍वच्‍छता में से स्‍वच्‍छता को प्राथमिकता देने का संकल्‍प करा था।

उन्‍होंने 1945 में अपने विचारों को शब्‍दबद्ध किया था, लिखा था और उस प्रकाशित version में उन्‍होंने constructive program के रूप में उसको प्रस्‍तुत किया था। मैंने जिन जरूरी बातों का जिक्र किया था, उनमें महात्‍मा गांधी के उस document में ग्रामीण स्‍वच्‍छता भी एक महत्‍वपूर्ण पहलू था।

सवाल ये कि आखिर गांधीजी बार-बार स्‍वच्‍छता पर इतना जोर क्‍यों दे रहे थे? क्‍या सिर्फ इसलिए कि गंदगी से बीमारियां होती हैं? मेरी आत्‍मा कहती है, ना। इतना सीमित उद्देश्‍य नहीं था।

साथियों , अगर आप बहुत बारीकी से गौर करेंगे, मनन करेंगे, तो पाएंगे कि जब हम अस्‍वच्‍छता को, गंदगी को दूर नहीं करते तो वही अस्‍वच्‍छता हम में परिस्थितियों को स्‍वीकार करने की प्रवृत्ति पैदा करने का कारण बन जाती है, वैसी प्रवृत्ति पैदा होने लगती है। कोई चीज गंदगी से घिरी हुई है, कोई जगह गंदगी से घिरी हुई है और वहां पर उपस्थित व्‍यक्ति अगर उसे बदलता नहीं है, साफ-सफाई नहीं करता है तो फिर धीरे-धीरे वो उस गंदगी को स्‍वीकार करने लग जाता है। कुछ समय बाद ऐसी स्थिति हो जाती है, ऐसी मन:स्थिति हो जाती है कि वो गंदगी उसे गंदगी लगती ही नहीं है। यानी एक तरह से अस्‍वच्‍छता व्‍यक्ति की चेतना को, उसके thought process को जड़ कर देती है, जकड़ लेती है।

अब इसके उलट दूसरी परिस्थिति के बारे में सोचिए- जब व्‍यक्ति गंदगी को स्‍वीकार नहीं करता, उसे साफ करने के लिए प्रयास करता है तो उसकी चेतना भी  चलायमान हो जाती है। उसमें एक आदत आती है कि वो परिस्थितियों को ऐसे ही स्‍वीकार नहीं करेगा।

पूज्‍य बापू ने स्‍वच्‍छता को जब जनादोंलन में बदला तो उसके पीछे जो एक मनोभाव, वो मनोभाव भी व्‍यक्ति की उस मानसिकता को भी बदलने का था। जड़ता में से चेतन की तरफ जाने का और वो चेतना जड़ता को समाप्‍त करने के लिए जगह, यही तो उनका प्रयास था। जब हम भारतीयों में यही चेतना जागी तो फिर इस स्‍वतंत्रता आंदोलन का जैसा प्रभाव हमने देखा और देश आजाद हुआ।

आज मैं आपके सामने, दुनिया के सामने ये स्‍वीकार करता हूं कि अगर हम भारत के लोग और मेरे जैसे अनेक लोग पूज्‍य बापू के विचारों से परिचित न हुए होते, उनके दर्शन को जानने-समझने की  एक विद्यार्थी के रूप में कोशिश न की होती, उन्‍होंने कही बातों को दुनिया को दे करके तौला न होता, उसे समझा न होता, तो शायद किसी सरकार के लिए ये कार्यक्रम प्राथमिकता न भी बनता।

आज ये प्राथमिकता इसलिए बना, हमने 15 अगस्‍त को लालकिले पर से इस बात को करने का मन इसलिए कर गया क्यूंकि गांधी जी के विचारों, आदर्शों का मन पर एक प्रभाव था। और वही कारण है कि जो आज इस कार्य के लिए बिना कोई अपेक्षा के कोटि-कोटि लोगों को प्रेरणा दे रहा है, जोड़ रहा है।

आज मुझे गर्व है कि गांधीजी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सवा सौ करोड़ भारतवासियों ने स्‍वच्‍छ भारत अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया है। इसी जन भावना का परिणाम है कि 2014 से पहले ग्रामीण स्‍वच्‍छता का जो दायरा लगभग thirty eight percent था, वो आज ninety four प्रतिशत हो चुका है। चार साल में thirty eight percent से ninety four percent पहुंचना, ये जनसामान्‍य की जिम्‍मेदारियों का जुड़ने का सबसे बड़ा सफल उदाहरण है।

 भारत में खुले में शौच से मुक्‍त open defecation free (ODF) गांवों की संख्‍या आज 5 लाख को पार कर चुकी है। भारत के 25 राज्‍य खुद को खुले में शौच से मुक्‍त घोषित कर चुके हैं।

सा‍थियों, चार साल पहले खुले में शौच करने वाली वैश्विक आबादी का sixty percent हिस्‍सा भारत में था। आज ये sixty percent से घट करके twenty percent से भी कम हो चुका है। यानी एक प्रकार से हमारी ये मेहनत विश्‍व के मानचित्र में भी एक नया उत्‍साह, नई उमंग भर रही है। और बड़ी बात ये भी है कि इन चार वर्षों में सिर्फ शौचालय ही नहीं बने, गांव, शहर, ODF ही नहीं बल्कि 90 प्रतिशत से अधिक शौचालयों का नियमित उपयोग भी हो रहा है।

सरकार इस बात की भी निरंतर monitoring कर रही है कि जो गांव-शहर खुद को ODF घोषित कर रहे हैं, वे फिर से पुरानी आदत की तरफ न लग जाएं। इसके लिए behavioural change, और वही सबसे बड़ा काम होता है, उस पर लगातार बल दिया जा रहा है। उस पर investment किया जा रहा है।

साथियों , जब हमने ये अभियान शुरू किया था, तब ये भी सवाल उठा था‍ कि इसके लिए बहुत पैसा खर्च करना पड़ेगा। लेकिन पेसे से ज्‍यादा भारत सरकार ने इस सामाजिक बदलाव को प्राथमिकता दी , उसके महत्‍व को बल दिया और अगर मन में परिस्थिति पलटती है तो हकीकत में परिस्थिति पलटने के लिए सरकार की जरूरत नहीं रहती है, लोग अपने-आप करना शुरू कर देते हैं।

आज जब मैं सुनता हूं, देखता हूं कि स्‍वच्‍छ भारत अभियान ने भारत के लोगों का मिजाज बदल दिया है। किस तरह से भारत के गांवों में बीमारियां कम हुई हैं। इलाज पर होने वाला खर्च कम हुआ है। और जब ऐसी खबर मिलती है, तब कितना संतोष मिलता है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र से जुड़े अलग-अलग संगठनों ने अध्‍ययन भी किया है और अध्‍ययन में भी इस अभियान के नए-नए आयामों को दुनिया के सामने अध्‍ययन के द्वारा उन्‍होंने प्रकट किया है।

भाइयों और बहनों, करोड़ों भारतवासियों ने इस आंदोलन को आशा और परिवर्तन का प्रतीक बना दिया है। स्‍वच्‍छ भारत अभियान आज दुनिया का सबसे बड़ा domino effect सिद्ध हो रहा है।

साथियों, आज मुझे इस बात का भी गर्व है कि स्‍वच्‍छ भारत मिशन की वजह से भारत स्‍वच्‍छता के प्रति, अपने पुरातन आग्रह के प्रति फिर से एक बार जागृत हुआ है। स्‍वच्‍छता का ये संस्‍कार हमारी पुरानी परम्‍परा, संस्‍कृति और सोच में निहित है, विकृत्तियां बाद में आई हैं।  मनुष्‍य के जीवन जीने की सही पद्धति का वर्णन करते समय अष्‍टांग योग के बारे में बताते हुए महर्षि पंतजलि ने कहा था-

शौच संतोष तप: स्‍वाध्‍याय ईश्‍वर प्रणिधान नि नियम:

मतलब समृद्ध जीवन जीने के जो पांच नियम हैं- व्‍यक्तिगत साफ-सफाई, संतोष, तपस्‍या, स्‍वध्‍यन और ईश्‍वर चेतना। इनमें से भी, इन पांचों में भी सबसे पहला नियम स्‍वच्‍छता- ये पतं‍जलि ने भी वकालत की थी। ईश्‍वर की चेतना और तपस्‍या भी स्‍वच्‍छता के बाद ही संभव है। साफ-सफाई का ये सद्गुण भारत के जीवन का हिस्‍सा रहा है।

अभी जब मैं इस हॉल में आ रहा था, तो His excellency António Guterres के साथ मुझे एक प्रदर्शनी देखने का मौका मिला था। उसमें दिखाया गया है कि किस प्रकार सिंधु घाटी सभ्‍यता में Toilet की, sewerage की कितनी बेहतर व्‍यवस्‍था थी।

साथियों ,  His excellency António Guterres  की अगुवाई में संयुक्‍त राष्‍ट्र sustainable development goals हासिल करने की तरफ आगे बढ़ रहा है। इसके तहत 2030 तक दुनिया में स्‍वच्‍छता, खुले में शौच से मुक्ति, clean energy जैसे seventeen लक्ष्‍य तय किए गए हैं। उनको हासिल करने का संकल्‍प किया गया है।

महासचिव महोदय, मैं आज आपको आश्‍वस्‍त कर रहा हूं कि भारत की इसमें अग्रिम भूमिका होगी, हम हमारी चीजों को समय से पहले आगे बढाएंगे। समृद्ध दर्शन, पुरातन प्रेरणा, आधुनिक तकरीर और प्रभावी कार्यक्रमों के सहारे, जन-भागीदारी के सहारे आज भारत sustainable development goals के लक्ष्‍यों को हासिल करने की तरफ भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

हमारी सरकार पर sanitation के साथ ही nutrition पर भी समान रूप से बल दे रहे हैं। भारत में अब कुपोषण के खिलाफ भी जन आंदोलन की शुरूआत की जा चुकी है। वसुधैव कुटुम्‍बकम- यानी  पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हुए हम जो कार्य कर रहे हैं, वो कार्य हमारा समर्पण, आज दुनिया के सामने है, मानव जाति के सामने है।

साथियों, मैं इस बात के लिए आपको बधाई देना चाहता हूं कि चार दिन के इस सम्‍मेलन के बाद हम सब इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि विश्‍व को स्‍वच्‍छ बनाने के लिए four ‘P’ आवश्‍यक हैं, और ये चार ‘P’ का हमारा मंत्र है- political leadership, public funding, partnership, people's participation. दिल्‍ली डेक्लॅरेशॅन के माध्‍यम से आप लोगों ने सर्वव्‍यापी स्‍वच्‍छता में इन चार महत्‍वपूर्ण मंत्रों को मान्‍यता दी है। इसके लिए मैं आप सभी का आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

इस अवसर पर मैं स्‍वच्‍छ भारत मिशन को आगे बढ़ाने वाले लोगों को, करोड़ों-करोड़ों स्‍वच्‍छाग्रहियों को, मीडिया के मेरे साथियों को; और मैं मीडिया का उल्‍लेख इसलिए करता हूं कि स्‍वच्‍छता के अभियान ने मीडिया के संबंध में जो जेनॅरॅल पर्सिप्शन है, उसको बदल दिया है। मेरा देश गर्व के साथ कह सकता है कि मेरे देश के मीडिया की हर छोटी-मोटी इकाई ने- चाहे print media हो या electronic media, उन्‍होंने स्‍वच्‍छता के लिए काम करने वाले लोगों की चर्चा लगातार  की है, अच्‍छी चीजों की चर्चा की है, उसका व्‍यापक प्रचार-प्रसार किया है और ये खबरों से एक प्रकार से प्रेरणा का वातावरण भी बना है। और इसलिए मैं मीडिया का भी और उसके सक्रिय योगदान का आग्रहपूर्वक आभार व्‍यक्‍त करना चाहूंगा।

आप सभी की सहभागिता से, भागीदारी से; वैसे ये मुश्किल काम लग रहा था, लेकिन इस मुश्किल दिखने वाले काम-लक्ष्‍य को साधने की तरफ आज देश आगे बढ़ रहा है। अभी हमारा काम बाकी है। हम यहां संतोष मानने के लिए इकट्ठे नहीं हुए हैं। हम इकट्ठे हुए हैं, अभी जो बाकी है उसको और तेजी से करने की प्रेरणा पाने के लिए।

हमें आगे बढ़ना है और राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी को उनके 150वें जन्‍म दिवस पर स्‍वच्‍छ और स्‍वस्‍थ भारत की भव्‍य काव्‍य कार्यांजलि अर्पण करनी है। मुझे उम्‍मीद है, पूरा विश्‍वास है कि हम भारत के लोग इस सपने को पूरा करके रहेंगे, इस संकल्‍प को सिद्ध करके रहेंगे और उसके लिए जो भी आवश्‍यक परिश्रम करना पड़ेगा, जो भी जिम्‍मेदारियां उठानी होंगी, कोई भारतवासी पीछे नहीं रहेगा।

आप सभी इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर यहां आए, भारत को आपका सत्‍कार करने का अवसर दिया, इसके लिए मैं आप सबका, सभी अतिथियों का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

आज यहां भारत सरकार के पोस्‍टल विभाग की तरफ से इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर पूज्‍य बापू के stamp, उसको भी हमें लोकार्पित करने का अवसर मिला। मैं भारत के डाक विभाग की सक्रियता और postal stamp अपने-आप में एक messenger होता है। वो इतिहास के साथ भी जोड़ता है, समाज के बदलते हुए प्रभावों के साथ भी जोड़ता है।

आज एक महत्‍वपूर्ण अवसर मैं देख रहा था- वैष्‍णव जन तो तेने रे कहिए – पूज्‍य बापू विश्‍व मानव थे। और उनके लिए कहा गया था कि सदियों के बाद जब कोई देखेगा कि ऐसा भी कोई इंसान हुआ था, तो शायद वो कहेगा- नहीं-नहीं, ये तो कल्‍पना होगी, ऐसा भी कोई इंसान हो सकता है? ऐसे महापुरुष थे पूज्‍य बापू। और उनकी जो प्रेरणा थी - वैष्‍णव जन तो तेने कहिए- मन में एक छोटा सा विचार आया था कि दुनिया के 150 देशों में, कोई 150 वर्ष हैं, वहां के जो जाने-माने गीतकार, संगीतकार, गायक, वादक, जो भी लोग हैं, वे मिल करके - वैष्‍णव जन – उसी रूप में फिर एक बार प्रस्‍तुत करें।

मैंने ऐसे ही सुषमा जी से कहा था लेकिन सुषमा जी ने और उनकी पूरी टीम ने, जिस लगन के साथ दुनिया के सब मिशन में बैठे हुए हमारे सा‍थियों ने जिस प्रकार से उसको अहमियत दी, और जिस प्रकार की क्‍वालिटी, ये जो विदेश के लोगों ने इन चीजों को गाया होगा, मैं मानता हूं शायद उन्‍होंने कई दिनों तक प्रेक्टिस की होगी। यानी एक प्रकार से वो गांधी में डूब चुके होंगे।

हमारे पास एक कैसेट आया है, लेकिन मैं विश्‍वास से कहता हूं, उन देशों के ये कला जगत के लोग गांधी में डूब चुके होंगे। उनके मन में प्रश्‍न उठता होगा कि क्‍या बात है, कौन महापुरुष हैं, उन्‍होंने अर्थ समझने की कोशिश की होगी। वैष्‍णव भजन का वैश्विक रूप पहली बार दुनिया के सामने आ रहा है। और मुझे विश्‍वास है कि ये जो प्रयास हुआ ये डेढ़ सौ  साल निमित्‍त, ये स्वर, ये दृश्‍य, ये दुनिया के हर देशों की पहचान और मैं यूएन के महा‍सचिव महोदय को कह रहा था कि आपके मादरे वतन, आपके home country के बांसुरी वादक भी इसमें आज बांसुरी बजा रहे थे।

उन दुनिया के देश के लोग अपने कलाकार को देखेंगे, सुनेंगे, एक curiosity पैदा होगी, इसे समझने की कोशिश होगी। हम भारतीयों को तो पता ही नहीं है कि वैष्‍णव भजन किस भाषा में है। हमारे जेहन में ऐसा उतर गया है कि उसकी मूल भाषा किसी को पता तक नहीं है, हम गाते चले जा रहे हैं। किसी भाषा में पले-बढ़े होंगे, हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में गाने वाले मिल जाते हैं। वैसे ही ये विश्‍व भर में, विश्‍व भर में मानव जाति के जेहन में ये जरूर जगह बना लेगा, ऐसा मेरा विश्‍वास है।  मैं फिर एक बार सुषमा जी की टीम को भी हृदयपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

आज स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में हमें जो परिणाम मिले हैं, ये परिणाम अधिक करने की प्रेरणा देते हैं। हमने कभी ये दावा नहीं किया है कि हमने सब कुछ कर लिया है। लेकिन हमारा विश्‍वास पैदा हुआ है कि जिस चीज से हम डरते थे, हाथ लगाते नहीं थे, दूर भागते थे, उस गदंगी को हाथ लगा करके हमने स्‍वच्‍छता का सृजन करने में सफलता पाई है, और अधिक सफलता पा सकते हैं। जन सामान्‍य को गंदगी पसंद नहीं है। जन सामान्‍य स्‍वच्‍छता के साथ जुड़ने के लिए तैयार है, इस विश्‍वास को बल मिला है।

और इस काम के लिए उमा भारती जी, उनका डिपार्टमेंट, उनकी पूरी टीम, देश भर के नागरिकों ने, भिन्‍न–भिन्‍न संगठनों ने ये जो काम किया है, आज वो बधाई के पात्र हैं, अभिनंदन के अधिकारी हैं। मैं उमाजी को, रमेश जी को और उनकी पूरी टीम को, जिस समर्पण भाव से काम हो रहा है कोई कल्‍पना नहीं कर सकता है बाहर बैठ करके कि सरकारी दफ्तर में बाबुओं की छवि कुछ भी हो। इस काम में मैं कह सकता हूं कि वहां कोई बाबूगिरी नहीं है, सिर्फ और सिर्फ गांधीगिरी, स्‍वचछता गिरी दिखाई देती है।

इतना बड़ा काम एक टीम के रूप में किया गया है। छोटे-मोटे हर मुलाजिम ने, अधिकारी ने इसे अपना कार्यक्रम बना लिया है। ये बहुत rare होता है जी। और मैं इसको बड़ी emotionally attach होने के कारण, मैं बारीकी से देखता हूं तब मुझे पता चलता है कि कितनी मेहनत लोग कर रहे हैं, कितना प्रयास कर रहे हैं, जी-जान से जुटे हुए हैं। तब जा करके देश में बदलाव हमें नजर आने लगता है।

आज मेरे लिए एक संकल्‍प का भी अवसर है, संतोष का भी अवसर है। जब मेरे देशवासियों ने पूज्‍य बापू को सच्‍चे अर्थ में श्रद्धांजलि के साथ कार्यांजलि के रूप में स्‍वच्‍छता की सफलता को आगे बढ़ाया है। मैं फिर एक बार सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

महासचिव जी स्‍वयं समय निकाल करके पूज्‍य बापू की जन्‍म जयंती पर हमारे बची आए और यूएन के जो goals हैं वो goal को हम भारत में कैसे आगे बढ़ा रहे हैं और विश्‍व के इतने दोस्‍त जब इस काम में जुड़े हुए हैं तो उसमें वो स्‍वयं आ करके इसकी शोभा बढ़ाई है, इसके लिए मैं उनका भी आज हृदय से बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद आप सबका।

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PM Modi hails the commencement of 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage in India
December 08, 2025

The Prime Minister has expressed immense joy on the commencement of the 20th Session of the Committee on Intangible Cultural Heritage of UNESCO in India. He said that the forum has brought together delegates from over 150 nations with a shared vision to protect and popularise living traditions across the world.

The Prime Minister stated that India is glad to host this important gathering, especially at the historic Red Fort. He added that the occasion reflects India’s commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

The Prime Minister wrote on X;

“It is a matter of immense joy that the 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage has commenced in India. This forum has brought together delegates from over 150 nations with a vision to protect and popularise our shared living traditions. India is glad to host this gathering, and that too at the Red Fort. It also reflects our commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

@UNESCO”