Published By : Admin |
February 7, 2013 | 14:58 IST
Share
Premier of Canada’s Manitoba province and a delegation led by him calls on Shri Narendra Modi in Gandhinagar
Gujarat and Manitoba province discuss avenues of cooperation in various fields
Shri Modi confirms Gujarat’s participation in Skill Summit to be organized by Manitoba Province in the end of February 2013
On the morning of Thursday 7th February 2013 the premier of Canada’s Manitoba Province Mr. Greg Selinger and a Business-Trade Mission led by him called on Shri Narendra Modi in Gandhinagar. The delegation expressed their desire to strengthen cooperation with Gujarat in various sectors.
Mr. Selinger, who is on his first visit to India congratulated the leadership of Shri Modi on the success of the Vibrant Gujarat Summit and they discussed areas where Gujarat and Manitoba province can strengthen cooperation.
Manitoba province has made great strides in renewable energy, agro-food processing, port-coastal corridor, aerospace manufacturing, food security technology, agro-engineering research and it is keen to form partnerships with Gujarat in these spheres. During the meeting Shri Modi confirmed Gujarat’s participation in the Skill Summit to be held in the end of February, organized by Manitoba province. The Chief Minister also listed out the various avenues where Gujarat and Manitoba province will strengthen cooperation. Mr. Selinger stated that Manitoba province is looking forward to increased cooperation with a progress-oriented state like Gujarat.
The delegation included Chief Secretary of Manitoba province Ms. Anna Rothney among other officials. Principal Secretary Industries Shri Maheshwar Sahu was present on the occasion.
Text of PM's address at the Karyakar Suvarna Mahotsav
December 07, 2024
Share
In our culture, Service has been considered the greatest religion, Service has been given a higher place than devotion, faith and worship: PM
Institutional service has the ability to solve big problems of the society and the country: PM
The vision of Mission LiFE given by India to the whole world, its authenticity, its effect has to be proven by us only, ‘Ek Ped Maa ke naam’ campaign is being discussed all over the world: PM
In a few weeks time in January, 'Viksit Bharat Young Leaders Dialogue' will be organized, in this, our youth will give their ideas to fulfill the resolve of Viksit Bharat outlining their contribution: PM
जय स्वामीनारायण।
परम पूज्य गुरु हरि महंत स्वामी महाराज, श्रद्धेय संत गण, सत्संगी परिवार के सभी सदस्य, अन्य महानुभाव, और विशाल स्टेडियम में पधारे देवियों और सज्जनों।
कार्यकर सुवर्ण महोत्सव के इस अवसर पर मैं भगवान स्वामी नारायण के चरणों में प्रणाम करता हूँ। आज प्रमुख स्वामी महाराज की 103वीं जन्म जयंती का महोत्सव भी है। मैं गुरुहरि प्रगट ब्रह्म स्वरूप प्रमुख स्वामी महाराज को भी नमन करता हूं। भगवान स्वामी नारायण की शिक्षाएँ, प्रमुख स्वामी महाराज के संकल्प...आज परम पूज्य गुरु हरि महंत स्वामी महाराज के श्रम और समर्पण से फलित हो रहे हैं। ये इतना बड़ा कार्यक्रम, एक लाख कार्यकर्ता, युवाओं और बच्चों द्वारा बीज, वृक्ष और फल के भाव को अभिव्यक्त करते हुये सांस्कृतिक कार्यक्रम....मैं आपके बीच भले ही साक्षात उपस्थित नहीं हो सका हूँ, लेकिन मैं इस आयोजन की ऊर्जा को हृदय से महसूस कर रहा हूँ। इस भव्य दिव्य समारोह के लिए मैं परम पूज्य गुरु हरि महंत स्वामी महाराज का, सभी संत जनों का अभिनंदन करता हूँ, उन्हें नमन करता हूँ।
साथियों,
कार्यकर सुवर्ण महोत्सव, सेवा के 50 वर्ष की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 50 वर्ष पहले, स्वयंसेवकों का रजिस्ट्रेशन करके उन्हें सेवा कार्यों से जोड़ने की शुरुआत हुई। उस समय कार्यकर्ताओं का रजिस्ट्रेशन कराने के बारे में कोई सोचता भी नहीं था। आज ये देखकर बहुत खुशी होती है कि BAPS के लाखों कार्यकर पूरी श्रद्धा और समर्पण से सेवा कार्यों में जुटे हैं। किसी संस्था के लिए ये बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूँ।
साथियों,
कार्यकर सुवर्ण महोत्सव, भगवान स्वामी नारायण की मानवीय शिक्षाओं का उत्सव है। ये सेवा के उन दशकों की गौरवगाथा है, जिसने लाखों-करोड़ों लोगों का जीवन बदला। ये मेरा सौभाग्य है कि, मैंने BAPS के सेवा अभियानों को इतने करीब से देखा है, मुझे उनसे जुड़ने का अवसर मिला है। भुज में भूकंप से हुई तबाही के बाद के हालात हों, नरनारायण नगर गांव का पुनर्निर्माण हो, चाहे केरला की बाढ़ हो, या उत्तराखंड में भूस्खलन की पीड़ा हो....या फिर हाल ही में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की आपदा....हमारे कार्यकर साथी हर जगह परिवार भाव से खड़े होते हैं, करुणा भाव से सबकी सेवा करते हैं। हर किसी ने देखा है, कोविडकाल में किस तरह BAPS मंदिर...सेवा केन्द्रों में बदल गए थे।
मैं एक और प्रसंग भी आज याद करना चाहूंगा। लोगों को इसके बारे में बहुत कम पता है। जब यूक्रेन का युद्ध बढ़ने लग गया तो भारत सरकार ने तुरंत ये तय किया कि वहां फंसे भारतीयों को तत्काल सुरक्षित निकालना है। इसके बाद बहुत बड़ी संख्या में भारतीय पोलैंड पहुंचने लग गए थे। लेकिन एक चुनौती थी कि पोलैंड पहुंचे भारतीयों को युद्ध के उस माहौल में कैसे ज्यादा से ज्यादा मदद पहुंचाई जाए। उस समय मैंने BAPS के एक संत के साथ बात की...और ये बात, मुझे लगता है शायद आधी रात बीत चुकी थी, 12 या 1 बजा था रात को, तब मैंने बात की थी। उनसे मैंने आग्रह किया कि बड़ी संख्या में जो भारतीय पोलैंड पहुंच रहे हैं, उनकी मदद के लिए मुझे आपका सहयोग चाहिए। और मैंने देखा कि कैसे पूरे यूरोप से रातों-रात BAPS के कार्यकरों को आपकी संस्था ने एकजुट कर दिया। आप लोगों ने युद्ध के माहौल में पोलैंड पहुंचे लोगों की बहुत बड़ी मदद की। BAPS की ये ताकत, वैश्विक स्तर पर मानवता के हित में आपका ये योगदान बहुत ही प्रशंसनीय है। और इसलिए आज कार्यकर सुवर्ण महोत्सव में, मैं आप सभी का आभार व्यक्त करता हूं। आज BAPS के कार्यकर दुनियाभर में सेवा के माध्यम से करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहे हैं। अपनी सेवा से करोड़ों आत्माओं को स्पर्श कर रहे हैं, और समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति को सशक्त कर रहे हैं। और इसलिए आप प्रेरणा हैं, पूज्य हैं, वंदनीय हैं।
साथियों,
BAPS के कार्य, पूरे विश्व में भारत के सामर्थ्य, भारत के प्रभाव को ताकत देते हैं। विश्व के 28 देशों में भगवान स्वामी नारायण के 1800 मंदिर, दुनिया भर में 21 हजार से ज्यादा आध्यात्मिक केंद्र, सेवा के अलग-अलग प्रकल्पों का काम...दुनिया जब ये देखती है, तो वो इसमें भारत की आध्यात्मिक विरासत, आध्यात्मिक पहचान के दर्शन करती है। ये मंदिर भारत के सांस्कृतिक प्रतिबिंब हैं। विश्व की सबसे प्राचीन जीवंत संस्कृति के केंद्र हैं। कोई भी व्यक्ति जब इनसे जुड़ता है, तो वो भारत के प्रति आकर्षित हुये बिना नहीं रहता। अभी कुछ ही महीने पहले अबू धाबी में भगवान स्वामी नारायण मंदिर की प्रतिष्ठा हुई है। सौभाग्य से मैं भी उस कार्यक्रम में शामिल हुआ। उस कार्यक्रम की, उस मंदिर की पूरी दुनिया में कितनी चर्चा हो रही है। दुनिया ने भारत की आध्यात्मिक विरासत के दर्शन किए, दुनिया ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को देखा…ऐसे प्रयासों से दुनिया को भारत के सांस्कृतिक गौरव और मानवीय उदारता के बारे में पता चलता है। और इसके लिए मैं सभी कार्यकर साथियों को बधाई देता हूं।
साथियों,
आप सभी के बड़े-बड़े संकल्पों का इतनी सहजता से सिद्ध हो जाना, ये भगवान स्वामी नारायण, सहजानंद स्वामी की तपस्या का ही परिणाम है। उन्होंने हर जीव की, हर पीड़ित की चिंता की। उनके जीवन का हर पल मानव कल्याण में समर्पित रहा। उन्होंने जिन मूल्यों की स्थापना की है, आज BAPS उसी प्रकाश को विश्व में फैला रहा है। BAPS के इन कार्यों को एक गीत की कुछ पंक्तियों के माध्यम से समझाया जा सकता है, आपने भी सुना होगा, घर-घर गाया जा सकता है- नदिया न पिये कभी अपना जल वृक्ष न खाये कभी अपने फल नदिया न पिये कभी अपना जल वृक्ष न खाये कभी अपने फल अपने तन का मन का धन का दूजो को दे जो दान है वो सच्चा इंसान अरे...इस धरती का भगवान है।
साथियों,
ये भी मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे बचपन से ही BAPS और भगवान स्वामी नारायण से जुड़ने का अवसर मिला, इस महान प्रवृति से जुड़ने का अवसर मिला। मुझे प्रमुख स्वामी महाराज का जो प्रेम और स्नेह मिला, वो मेरे जीवन की पूंजी है। उनके साथ कितने ही व्यक्तिगत प्रसंग हैं, जो मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। जब मैं सार्वजनिक जीवन में नहीं था, जब मैं मुख्यमंत्री नहीं था, और जब मुख्यमंत्री बना, जब प्रधानमंत्री बना...हर पल, उनका मार्गदर्शन रहा। जब साबरमती में नर्मदा का पानी आया...तो उस ऐतिहासिक अवसर को आशीर्वाद देने परम पूज्य प्रमुख स्वामी जी स्वयं आए थे। बरसों पहले एक बार स्वामी जी के मार्गदर्शन में स्वामीनारायण महामंत्र महोत्सव हुआ था...या उसके अगले साल स्वामी नारायण मंत्र लेखन महोत्सव हुआ। मैं वो पल कभी भूलता नहीं हूं। मंत्र लेखन का वो विचार, अपने आप में अद्भुत था। मुझ पर उनका जो आत्मिक स्नेह था, जो पुत्रवत भाव था...वो शब्दों में कहना मुश्किल है। जनकल्याण के कार्यों में प्रमुख स्वामी महाराज का आशीर्वाद हमेशा मुझे मिलता रहा। आज इस इतने विशाल आयोजन में, मैं प्रमुख स्वामी महाराज की उन स्मृतियों को, उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति को एक कार्यकर के रूप में महसूस कर रहा हूँ।
साथियों,
हमारी संस्कृति में सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। सेवा परमो धर्म:। ये सिर्फ शब्द नहीं, ये हमारे जीवन मूल्य हैं। सेवा को श्रद्धा, आस्था और उपासना से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। कहा भी गया है, जनसेवा तो जनार्दन सेवा के ही बराबर है। सेवा वो है, जिसमें स्व का भाव नहीं रह जाता है। जब आप मेडिकल कैंप में मरीजों की सेवा करते हैं, जब आप किसी जरूरतमंद को खाना खिलाते हैं, जब आप किसी बच्चे को पढ़ाते हैं, तो आप सिर्फ दूसरों की ही मदद नहीं कर रहे होते…इस दौरान आपके अंदर परिवर्तन की एक अद्भुत प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इससे आपकी आध्यात्मिक यात्रा को दिशा मिलती है, मजबूती मिलती है। और ये सेवा जब हजारों-लाखों कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एक ऑर्गनाइज्ड रूप में, संगठित रूप में की जाती है, एक संस्था के रूप में की जाती है, एक आंदोलन स्वरूप किया जाता है...तो अद्भुत परिणाम मिलते हैं। इस तरह की संस्थागत सेवा में समाज की, देश की बड़ी-बड़ी समस्याओं के समाधान का सामर्थ्य होता है। इससे अनेक बुराइयों को खत्म किया जा सकता है। एक कॉमन परपज से जुड़े लाखों कार्यकर्ता, देश की, समाज की बड़ी ताकत बनते हैं।
और इसलिए, आज जब देश, विकसित भारत का लक्ष्य लेकर चल रहा है, तब स्वभाविक रूप से जन-जन का एक साथ आना...और कुछ बड़ा कर दिखाने की भावना...हम हर क्षेत्र में देख रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन हो, नेचुरल फ़ार्मिंग हो, या पर्यावरण को लेकर जागरूकता की बात हो, बेटियों की शिक्षा हो, या आदिवासी कल्याण का विषय हो....देश के लोग आगे बढ़कर राष्ट्र निर्माण की इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। आपसे भी उन्हें बहुत प्रेरणा मिलती है। इसलिए आज मेरी इच्छा है, मेरा मोह है कि आपसे कुछ आग्रह भी करूं।
मैं चाहूँगा, आप सब यहाँ से कुछ संकल्प लेकर जाएँ। आप हर वर्ष एक नया संकल्प लेकर उस साल को विशेष बनाकर, उस संकल्प के लिए समर्पित कर दें। जैसे कोई एक साल केमिकल फ्री खेती को समर्पित करें, कोई एक साल देश की विविधता में एकता के पर्वों को समर्पित करें। हमें युवा सामर्थ्य की सुरक्षा के लिए नशे के खिलाफ लड़ाई का भी संकल्प लेना होगा। आजकल बहुत सी जगहों पर लोग नदियों को पुनर्जीवित कर रहे हैं, तो इस तरह के काम को आप भी आगे बढ़ा सकते हैं। हमें धरती का भविष्य बचाने के लिए sustainable lifestyle का संकल्प लेना होगा। भारत ने पूरी दुनिया को मिशन LiFE का जो विज़न दिया है, उसकी प्रामाणिकता, उसका प्रभाव हमें ही सिद्ध करके दिखाना है।
आजकल एक पेड़ मां के नाम अभियान की चर्चा पूरे विश्व में है। इस दिशा में भी आपके प्रयास बहुत अहम हैं। भारत के विकास को गति देने वाले अभियान जैसे- फिट इंडिया, वोकल फॉर लोकल, मिलेट्स को बढ़ावा देना, ऐसी कई बातें आप कर सकते हैं। युवा विचारों को नए अवसर देने के लिए कुछ ही सप्ताह बाद जनवरी में 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग' उसका भी आयोजन होगा। इसमें हमारे युवा विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए अपने ideas देंगे, अपने योगदान की रूपरेखा तैयार करेंगे। आप सभी युवा कार्यकर इससे भी जुड़ सकते हैं।
साथियों,
श्रद्धेय प्रमुख स्वामी महाराज का विशेष ज़ोर भारत की परिवार संस्कृति पर रहता था। उन्होंने 'घरसभा' के माध्यम से समाज में संयुक्त परिवार की अवधारणा को मजबूत किया। हमें इन अभियानों को आगे बढ़ाना है। आज भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य़ पर काम कर रहा है। अगले 25 वर्षों की देश की यात्रा, जितनी भारत के लिए महत्वपूर्ण है, उतनी ही BAPS के हर कार्यकर के लिए भी अहम है। मुझे विश्वास है, भगवान स्वामी नारायण के आशीर्वाद से BAPS कार्यकरों का ये सेवा अभियान इसी तरह निर्बाध गति से आगे बढ़ता रहेगा। मैं एक बार फिर, आप सभी को कार्यकर सुवर्ण महोत्सव की बधाई देता हूँ।