Under INDI alliance governments, country burned in the fire of communalism: PM Modi in Maharajganj
INDI alliance can divide the country but cannot take the country forward: PM Modi in Maharajganj
Your vote is not just to elect an MP but to elect a strong PM for a strong India: PM in Maharajganj

भारत माता की,

भारत माता की

भारत माता की।

मेरी एक रिक्वेस्ट है, जो हमारे होनहार नौजवान हैं, जो बड़े साहसिक नौजवान हैं। देश को इन नौजवानों की बहुत जरूरत है। मेरी उन नौजवानों को हाथ जोड़ कर के प्रार्थना है कि जहां ऊपर है वहां से नीचे आइए। नीचे उतरिए आप लोग। देखिए कोई भी गिरेगा तो मेरे लिए व बहुत दुखद होगा। आप नीचे उतरिए। जो एकदम पीछे भी अकेले अकेले बैठ गए हैं सब नीचे आ जाइए। देखिए सारा तामझाम बड़ा टेंपररी होता है भाई। अगर ये गिरा तो यहां के लोग भी परेशान होंगे आपकी भी हालत खराब होगी। पहले नीचे उतरिए उसके बाद मैं भाषण आगे करूंगा। मेरे लिए मेरे भाषण से आपकी जिंदगी ज्यादा मूल्यवान है। वो जो लास्ट में दो लोग खंबे पे हैं नीचे आओ भाई। जरा पीछे एकदम आखिर में नीचे आओ, ये सब नीचे आइए भाई। जरा सिक्योरिटी के जो लोग हैं जरा चिंता करें। आपको नीचे आना पड़ेगा भाई। आपको नीचे आना पड़ेगा, आपकी जिंदगी को कुछ भी हो जाए यह मेरे लिए बर्दाश्त नहीं होगा भाई। आप मेरे अपने हैं मैं आपको कैसे परेशान देख सकता हूं। अब आपने मुझे देख लिया है अब सुनना है तो नीचे आएंगे तो अच्छा सुनाई देगा। देखिए जगह छोटी पड़ गई है, मैं देख रहा हूं बाहर भी लाखों की तादाद में लोग खड़े हैं वे शायद सुन भी नहीं पाते होंगे। लेकिन ये नहीं करने दूंगा मैं आइए नीचे। शाबाश! बहुत समझदार हैं सब नौजवान। हां शाबाश, अभी एक रह गया उधर। आ जाइए भाई जल्दी जरा उनको नीचे लाइए अब वो चढ़ तो गए लेकिन परेशान है कैसे उतरें। हां शाबाश नीचे आ जाओ भाई, नीचे आ जाइए आइए। जिन नौजवानों को मैंने नीचे उतारा है अगर उनको उनके सम्मान को अगर कोई चोट पहुंची है तो मैं उनकी क्षमा मांगता हूं, लेकिन आप सब आप सब मेरे परिवार के सदस्य हैं और इसलिए इतने प्यार से परिवार के सदस्य को कहने का मेरा भी तो हक बनता है ना।

भारत माता की।

भारत माता की।

बाबा हंस नाथ की जय!

बाबा महेंद्रनाथ की जय !

ई पवित्र धरती पर हम रउआ लोगन के वंदन अभिनंदन करतानी ! महाराजगंज ने, सीवान ने अपने जोश से पूरे भारत में संदेश दे दिया है फिर एक बार मोदी सरकार। मैं आज इतना खुश हूं खास करके इतनी बड़ी तादाद में माताओं-बहनों को मैं देख रहा हूं। माताओं-बहनों का ये आशीर्वाद ये मेरी बहुत बड़ी ऊर्जा है। और यह समय तो घर में काम का होता है उसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें आशीर्वाद देने आई हैं। जीवन में इससे बड़ा सौभाग्य क्या होता है भाई। साथियों मेरा ये बहुत सौभाग्य है कि इन दिनों मुझे देश के कोने-कोने में देशवासियों के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। पूरे देश में मैं मातृ शक्ति का जो जज्बा देख रहा हूं माताओं-बहनों का जो प्यार देख रहा हूं, हमारे नौजवानों का जो उत्साह देख रहा हूं गांव हो गरीब हो किसान हो एक प्रकार से सारा देश के उज्जवल भविष्य के लिए संकल्प बद्ध हो चुका है और मैं भी आपको गारंटी देता हूं मैं आपके लिए दिन रात मेहनत करूंगा पहले से ज्यादा मेहनत करूंगा, क्योंकि मुझे आपके लिए विकसित बिहार, विकसित भारत बनाना है।

भाइयों-बहनों,

गरीब से गरीब मां-बाप भी हमेशा चाहता है कि जाने के बाद बच्चों को कोई विरासत में देकर के जाए। हर एक के मन में रहता है कि कोई विरासत छोड़ के जाए। भाइयों-बहनों मोदी एक ऐसा इंसान है जिसे अपनी कोई विरासत नहीं है। मेरे लिए तो आप ही मेरी विरासत हैं, आप ही मेरे वारिस हैं, मेरा और कोई वारिस नहीं है और इसलिए मुझे आपका और आपके बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए खपा देना है। मैं नहीं चाहता कि अपने जीवन में आपने जो कष्ट भोगे उसका रत्ती भर भी आपकी आने वाली पीढ़ियों परेशानियों में जीने के लिए मजबूर होना पड़े। इसलिए गरीब कल्याण के बड़े फैसलों के लिए आज मैं आपके गांव आया हूं, आपके बीच आया हूं, आपके आशीर्वाद मांगने के लिए आया हूं। (भाई वहां कोशिश मत करो भैया प्लीज, वहां कोई जगह ही नहीं कहां जाओगे। अब आप मुझे देख नहीं पाओगे। सुन सकते हो जी ये स्क्रीन पर कुछ दिखाई दे तो देखिए। मैं जानता हूं संख्या बहुत ज्यादा है आपको तकलीफ होती होगी। मैं आपकी तकलीफ के लिए मैं खुद क्षमा मांगता हूं लेकिन आप जहां हैं वहीं रहिए, आगे आने की कोशिश मत कीजिए भैया। मेरा तो सौभाग्य है कि इतना कष्ट उठा करके आप हमें आशीर्वाद देने आए हैं।) भाइयों-बहनों आपके उज्जवल भविष्य के लिए देश को केंद्र में फिर एक बार मजबूत सरकार चाहिए।

भाइयों और बहनों,

जैसे-जैसे 4 जून पास आ रहा है, मोदी के लिए इंडी वालों की गालियों और बद्दुवाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा कि मोदी को देश की जनता अगले 5 साल के लिए फिर चुनने जा रही है। जिन्होंने बिहार को जंगलराज दिया, नौजवानों को पलायन दिया, परिवारों को गरीबी दी, जिन्होंने बिहार के लोगों को मारा-तड़पाया, माताओं-बहनों का जीवन बर्बाद किया, जो लोग आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं, जिन्हें अदालत ने घोटाले का दोषी साबित किया है, इन लोगों की आंखों में मोदी चौबीसों घंटे खटकता है। लेकिन इनकी लाख कोशिशों के बाद भी मैं आपकी सेवा में डटा रहूंगा। मैं दिल से जनता की सेवा करता हूं इसलिए देश की जनता से मेरा दिल का रिश्ता है। और इसलिए हर दिल में मोदी है! तभी तो पूरा देश कहता है....फिर एक बार...मोदी सरकार !

साथियों,

ये भूमि, मेधा की भूमि है। राष्ट्रभक्ति की अविरल गंगा यहां बहती है। राजेंद्र बाबू जैसे अनेक सपूत इस धरती ने देश को दिए हैं। ऐसी समृद्ध प्रतिभा वाली धरती की पहचान कांग्रेस और RJD वालों ने रंगदारी टैक्स के लिए बना दी थी। इंडी वालों ने पहले तो यहां से उद्योग-व्यापार का पलायन करवाया और अब ये लोग बिहार के परिश्रमी साथियों का अपमान करने में जुटे हैं। पंजाब में कांग्रेस के एक नेता हैं, दिल्ली में कांग्रेस के शाही परिवार के खासमखास हैं। कांग्रेस के ये नेता कहते हैं कि बिहार के लोगों का बहिष्कार करना चाहिए। ये कांग्रेस के नेता बोल रहे हैं और RJD वाले इनके साथ यहां आपसे वोट मांग रहे हैं। वो कहते हैं कि बिहार के लोगों को ना पंजाब में घर खरीदने देना चाहिए, न ही पंजाब में बिहारियों को कोई अधिकार देना चाहिए। बिहार के लोगों के लिए इतनी नफरत इन लोगों के दिल-दिमाग में भरी पड़ी है। क्या आपने कांग्रेस के शाही परिवार से सुना कि भाई इनका मंत्री बोल रहा है, गलत बोल रहा है। उनका नेता बोल रहा, गलत बोल रहा, ऐसा नहीं बोलना चाहिए। नहीं बोल रहे हैं। यहां RJD के लोगों ने तो कान में रुई ठूंस ली है। बिहार की मान मर्यादा, बिहारियों का सम्मान इंडी गठबंधन वालों के लिए कोई मायने नहीं रखता। साहब मैं गुजरात में था, वहां का मुख्यमंत्री था लेकिन बिहार जब अपने 100 साल मना रहा था मैंने बिहार से अनेक महानुभावों को गुजरात में बुला कर के उनका सम्मान किया था। जब DMK के लोगों ने बिहारियों को गाली दी, जब तेलंगाना के कांग्रेस के नेता ने गालियां दीं, तब भी ये शाही परिवार अपने होठों पर ताले लगा कर के बैठ गया था। क्या जिन्होंने बिहार का अपमान किया, जो दिन रात बिहारियों का अपमान करते हैं, क्या ऐसे कांग्रेस और उनके साथियों को, आरजेडी और उनके साथियों को, आपका एक वोट भी मिलना चाहिए क्या? पूरी ताकत से बताइए, एक वोट भी मिलना चाहिए क्या? एक वोट भी मिलना चाहिए क्या? अरे वोट तो छोड़ो इनको सजा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? इस बार चुनाव में एनडीए के पार्टियों का बटन दबाकर ऐसी सजा दो, ऐसी सजा दो सब पोलिंग बूथ में साफ हो जाएं, करेंगे?

भाइयों और बहनों,

कांग्रेस का शाही परिवार, टुकड़े-टुकड़े गैंग को पाल-पोस रहा है। कांग्रेस, उत्तर और पूर्वी भारत से बदला ले रही है। आपने कांग्रेस को यहां से साफ कर दिया, इसलिए ये आपसे बदला ले रहे हैं। ये भारत को एक करने वाले भगवान राम का विरोध करते हैं। अयोध्या में राम मंदिर बना, आपका गौरव बढ़ा कि नहीं बढ़ा। आपका माथा ऊंचा हुआ कि नहीं हुआ। आपको संतोष हुआ कि नहीं हुआ। रामलला को अपना घर मिल गया आप खुश हुए कि नहीं हुए। ये आरजेडी-कांग्रेस वाले दुखी हैं बताओ। जिस कांग्रेस-आरजेडी की राजनीति भारत के टुकड़े टुकड़े करने वाली है उसको साफ करने की जिम्मेदारी महाराजगंज की भी है और सीवान की भी है।

भाइयों और बहनों,

कांग्रेस-RJD और उसके साथियों ने हमेशा इस देश को पीछे ले जाने का खेल खेला है। ये खुद लाखों करोड़ के मालिक हो गए और जनता रोटी, कपड़ा, मकान के लिए जूझती है। इंडी गठबंधन का मंच, राजनीतिक मंच नहीं लाखों करोड़ों के घोटालेबाज़ों का सम्मेलन है। भ्रष्टाचार का अता-पता उसका नाम है इंडी गठबंधन। इनके मंच पर क़रीब 20 लाख करोड़ रुपये के घोटालेबाज़ एक साथ बैठते हैं। जब ये इकट्ठा होते हैं तो इनमें तीन बुराइयां एकदम साफ नजर आती हैं। कोई अपवाद नहीं है, ये तीन बुराइयां ये इंडी गठबंधन के सबमें समान है। ये तीन बुराइयां क्या हैं, ये इंडी अलायंस वाले घोर कम्यूनल हैं, शत प्रतिशत सांप्रदायिक हैं। दूसरा- ये इंडी अलायंस वाले घोर जातिवादी हैं, शत-प्रतिशत जातिवादी। तीसरा- ये इंडी अलायंस वाले घोर परिवारवादी हैं, शत-प्रतिशत परिवारवादी। अपने बेटे-बेटी के सिवा कुछ करना ही नहीं। ये वो लोग हैं जिनकी सरकारों में देश सांप्रदायिकता की आग में जले। ये वो लोग हैं जिन्होंने सालों तक देश को जातिवाद में बांटकर पिछड़ों का हक़ मारा है। ऐसे लोग बस देश बांट सकते है, ऐसे लोग देश का ख़ज़ाने ख़ाली कर सकते हैं, लेकिन देश को आगे नहीं ले जा सकते।

साथियों,

मोदी ने अपने 10 साल में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। आखिर इंडी गठबंधन वाले अपने 60 साल में ऐसा क्यों नहीं कर पाए? इन लोगों ने गरीब को गरीब रखा ताकि उसके शाही परिवार की जयजयकार होती रहे। कांग्रेस ने देश के कानूनों को ऐसा बनाया, जिससे गरीब असहाय हो। उसे किसी दूसरे की मदद लेनी पड़े।

साथियों,

हमारे यहां आज भी जो पुलिस की व्यवस्था है, वो अंग्रेज़ों की बनाई हुई है। पहली बार मोदी ने उसको बदलने का साहस किया है। पुरानी व्यवस्था के कारण गरीब सालों-साल जेल में सड़ता रहता था। लेकिन आंतकवादी, अपराधी, भ्रष्टाचारी, लुटेरे बड़े-बड़े वकील करके जैसे-तैसे छूट जाते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब मोदी दंड संहिता की जगह, न्याय संहिता लेकर आया है। इससे सामान्य जन को तेज़ी से न्याय मिलेगा। अब आतंकियों का, आपको लूटने वालों का बचना और मुश्किल हो जाएगा।

साथियों,

यहां इतनी बड़ी संख्या में हमारे साथी खेती से जुड़े हैं, किसान हैं। 10 साल पहले तक एक भी रुपया किसानों को कांग्रेस सरकार से मिलता था क्या? पीएम किसान सम्मान निधि से सीवान के किसानों को अबतक करीब 1200 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। सारण के भी किसानों को 1500 करोड़ रुपए मिले हैं। सिर्फ 5 साल में ही इतना पैसा मिला है, वो भी सीधे खाते में।

भाइयों और बहनों,

गरीब का ये बेटा आज आपके जीवन को आसान बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है। आज करोड़ों गरीबों को मुफ्त अनाज मिल रहा है। आज घर-घर नल पहुंचा है, बिजली पहुंची है, टॉयलेट हुआ है। मोदी ने सस्ता सिलेंडर बहनों तक पहुंचाया है। मुझे बहनें बताती हैं कि मुफ्त इलाज की योजना से उनको बहुत फायदा हुआ है।

साथियों,

पक्का घर तो गरीब का सबसे बड़ा सपना होता है। अभी तक बिहार में करीब 40 लाख पक्के घर गरीबों को मिल चुके हैं। और मेरा एक काम करोगे? जरा हाथ ऊपर करके बताओ मेरा काम करोगे? ढीला ढाला नहीं, पूरी ताकत से बताओ करोगे? अच्छा अभी आप गांव गांव जाते होंगे, हर मोहल्ले में जाते होंगे, लोगों से मिलते होंगे, अगर आपको गांव में अभी भी कोई झुग्गी-झोपड़ी में रहता है, कोई मिट्टी की छोटी सी खोली बना कर के रहता है उसको मिलकर के कह देना कि हम मोदी जी की तरफ से आए हैं। उनको कह देना हम मोदी जी की तरफ से आए हैं और 4 जून के बाद तीसरी बार जब मोदी की सरकार बनेगी तो जिनका घर अभी कच्चा है मोदी उसको पक्का घर देगा। मेरी तरफ से बता दोगे? मेरे लिए तो आप ही मोदी हैं आप बता देंगे ना काम हो जाएगा। साथियों, मोदी ने 3 करोड़ नए घर बनाने की गारंटी दी है, इसलिए आप बता दीजिए। उसको कहिए जो 3 करोड़ बनेंगे न, उसमें उस परिवार का भी घर होगा। और आप ये भी जान लीजिए, ये जो आपको घर मिलेगा,उसमें घर की रजिस्ट्री घर की महिला के नाम पर होगी, मकान की मालकिन महिला होंगी।

भाइयों और बहनों,

यहां हमारी बहुत सारी बहनें सखी मंडलों से, दीदियों के समूहों से भी जुड़ी हैं। महिलाओं के ऐसे सभी समूहों के लिए आने वाले 5 साल समृद्धि लेकर आने वाले हैं। बहनें ड्रोन पायलट बनेंगी और ड्रोन से खेती करके कमाई करें, ये योजना मोदी ने बनाई है। मोदी की गारंटी- 3 करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने की है। जब माताओं-बहनों की आय बढ़ेगी, तो परिवार की, गांव की खरीद शक्ति बढ़ेगी। यही तो विकसित भारत का रास्ता है।

साथियों,

आपका वोट, सिर्फ MP चुनने के लिए नहीं है। आपका वोट, एक मज़बूत भारत के लिए मज़बूत PM चुनने का भी है। इसलिए, महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिगरीवाल जी, सीवान से बहन विजय लक्ष्मी जी को और गोपालगंज से आलोक कुमार सुमन जी को ज्यादा से ज्यादा वोटों से जिताना है। जिताएंगे? घर घर जाएंगे? ज्यादा मतदान कराएंगे? अच्छा मेरा एक काम करेंगे? मेरा एक काम करेंगे? क्यों ठंडे पड़ गए भाई। इनके लिए तो बड़े उत्साह से बोल रहे हो इनके लिए बोला तो हाथ ऊपर कर दिया मेरे लिए बोला तो हाथ नीचे हो गया। मेरा एक काम करोगे, पक्का करोगे। यहां से ज्यादा से ज्यादा घरों में जाना, ज्यादा से ज्यादा परिवारों में मिलना और सबको जाके कहना कि अपने मोदी जी आए थे। मोदी जी ने आपको जय श्री राम कहा है। मेरा जय श्रीराम हर घर में पहुंचा दोगे, हर परिवार में पहुंचा दोगे?

बोलिए भारत माता की,

भारत माता की,

भारत माता की।

बहुत-बहुत धन्यवाद

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Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM Modi
November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!