Indian diaspora should be looked at, not just in terms of its numbers, but also in terms of its strength: PM
World's keenness to engage with India has risen. Our diaspora can play a vital role in furthering India's engagement with the world: PM
World wants to engage with India. In such times “fear of the unknown” can be biggest obstacle. Indian diaspora can help overcome: PM
India has never attacked another nation. Indian soldiers have made sacrifices for protecting foreign lands in the two world wars: PM

आज 02 अक्तूबर है, महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री इन दो महापुरुषों क पुनःस्मरण लेकिन जब आज प्रवासी भारतीय केन्द्र का लोकार्पण हो रहा है। यह बहुत ही सुसंगत है कि हम इसे 02 अक्तूबर को कर रहे हैं। महात्मा गांधी हिंदुस्तान छोड़कर चले गए थे। लेकिन ये देश की पुकार उन्हें वापस ले आई। और विश्व में पहुंचे हुए किसी भी हिन्दुस्तानी के लिए इस घटना से बड़ी कोई प्रेरणा नहीं हो सकती। और ये एक ऐसी घटना है जो विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को भारत के साथ जुड़ने का अर्थ क्या है। हमारा ये जुड़ाव कैसे इसका एहसास कराता है।

सालों तक हम देखते आए हैं एक ही शब्द सुनते आए हैं। के हमारे लोग पढ़ लिखकर के तैयार होते हैं विदेशों में चले जाते हैं। Brain Drain, Brain Drain ये शब्द हम सुनते आए हैं। लेकिन विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को सिर्फ संख्या के रूप में नहीं, अगर शक्ति के रूप में देखें तो ये Brain Drain की हमारी जो चिंता थी इसको Brain Gain में Convert किया जा सकता है।

नदी में पानी बहुत बहता रहता है। लेकिन कोई डेम बना दे, ऊर्जा उत्पादन कर दे, तो वही पानी एक नई शक्ति का स्रोत बन जाता है। विश्व में फैले हुए भारतीय समुदाय में भी सार्थकता तो है। कोई ऐसी स्थापना की जरूरत है, जो उस ऊर्जा को Convert करके राष्ट्र में उजाला फैलाने के लिए काम ला सके। जब नीति आयोग की रचना हुई तो उस नीति आयोग ने अपने प्रमुख काम को लिखा है उसने उसमें एक स्थान पर और शायद भारत के Document में ये पहला ऐसा Document होगा, जिसमें प्रवासी भारतीयों के सामर्थ्य को स्वीकारा गया है। और प्रवासी भारतीय को विश्व भर में करीब पौने तीन करोड़ लोग या तो मूल भारतीय हैं या तो प्रवासी भारतीय हैं। और दुनिया के करीब डेढ़ सौ से ज्यादा देशों मे कभी – कभी तो हमारा मिशन पहुंचा हो या न पहुंचा हो कोई न कोई प्रवासी भारतीय जरूर पहुंचा है।

कई देश ऐसे हैं कि जहां, मिशन की शक्ति से अनेक गुना शक्ति प्रवासी भारतीयों की है। कई मिशन ऐसे हैं, जो बड़ी कुशलता से अपना कारोबार चलाते हैं। उस मिशन के मुखिया प्रवासी भारतीयों की ताकत पहचानते हैं और वे लगातार साल भर उस देश में प्रवासी भारतीयों को जोड़ कर के भारत की बात पहुंचाने के लिए बहुत कुशलता से काम करते हैं। ऐसे छुटपुट-छुटपुट प्रयास निरंतर चलते रहते हैं। लेकिन अब एक प्रयास है इसको एक संगठित शक्ति के रूप में हम कैसे प्रयोग करेंगे।

भारत के प्रति जिज्ञासा बढ़ी है, विश्व का भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा है। ऐसे समय Fear of Unknown बहुत बड़ा Obstacle होता है। और ये Fear of Unknown जो है उसको मिटाने की अगर किसी की ताकत है तो विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय में है। वो उस देश के व्यक्ति को अरे भई चिंता मत करो मैं वहीं का हूं। एक बार अगर वो कह दे हां मैं वहीं का हूं, तो फिर भई Confidence level इतना बढ़ जाता है कि जो Fear of Unknown है वो फिर खत्म हो जाता है। अच्छा-अच्छा आप हिन्दुस्तान के हैं। अगर वो पूछ ले कि आप कब गए थे तो वो थोड़ा मुश्किल में आ जाएगा। लेकिन अगर नहीं पूछता है तो उसको विश्वास कर लेगा कि हां भई ये सज्जन मुझे मिले हैं ये तो हिन्दुस्तान के हैं, तो चलो मैं भी जा सकता हूं। 

विश्व में फैला हुआ भारतीय समुदाय विश्व में जो जिज्ञासा पैदा हुई है। विश्व में जो आकर्षण पैदा हुआ है। इसके लिए कोई बहुत बड़ा बीज अगर कोई बन सकता है। मिशन से भी ज्यादा अगर उसके शब्दों पर कोई विश्वास करेगा, तो फैला हुआ हमारा भारतीय समुदाय। और इसलिए हमारे लिये आवश्यक है के हम पहले विश्व भर में फैले हुए हमारे भारतीय समुदाय से अपने आप को कनेक्ट करें। जुड़ना जरूरी है।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने बहुत उत्तम शुरुआत की थी। प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। बाकी सरकारों ने भी इसको Continue रखा और प्रवासी भारतीय दिवस के माध्यम से मिशन का भी एक ध्यान केन्द्रित हुआ कि मेरे अनेक कामों में ये भी एक महत्वपूर्ण काम है और उसके कारण प्रवासी भारतीय ये अनुभूति करने लगे कि भई अब दुनिया के किसी भी छोर पर क्यूं न हो। लेकिन हमारे लिये कहीं जगह है कि हां भई कोई हमारा ख्याल करने वाला है।

पिछले दो वर्ष में आपने देखा होगा कि मानवता के मुद्दों पर भारत ने विशेष कर के भारत के विदेश विभाग ने एक अपनी एक प्रतिष्ठा अर्जित की है। किसी देश में बीस-पच्चीस देश के लोग फंसे हों, उसमें भारतीय समुदाय के लोग होंगे। दुनिया के बड़े से बड़े देश सबसे पहले भारतीय एम्बेसी को सम्पर्क करते हैं कि भई हमारे लोग वहां फंसे हैं। आपका देश तो जरूर कुछ करता होगा। हमारे लोगों को भी जरा बचा लेना। और विश्व के 80 से ज्यादा देश ऐसे होंगे, जिनको पिछले दो साल में भारतीयों के साथ-साथ संकट से बचाने का बड़ा काम विदेश विभाग के नेतृत्व में भारत ने किया है।

नेपाल में भूकम्प आया। उस भूकम्प के बाद हम अपने भारतीय भाइयों की चिंता कर सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हमने मानवता के आधार पर जिस-जिस की मदद कर सकते हैं, उन सब को मदद पहुंचाई। संकट चाहे यमन को हो, संकट चाहे मालदीव का हो मानवता, ये हमारा Central Inspiration स्वभाव है। और उसी के आधार पर जिन बातों के लिए दुनिया के कुछ देशों की जागीर मानी जाती थी आज भारत को भी मानवता के मुद्दों पर एक प्रमुख Contributor के रूप में विश्व को स्वीकार करना पड़ा है। और वो हमारे शब्दों से नहीं सिर्फ हमारे महान सांस्कृतिक विरासत से नहीं, सिर्फ हमारे भव्य इतिहास से नहीं, हमारी वर्तमान की घटनाओं से ये संभव हुआ है। वो तो था ही था। लेकिन घटनाओं ने भारत सरकार के वर्तमान व्यहवार के कारण ये बात लोगों के गले उतरती नहीं।

हम कल्पना कर सकते हैं प्रथम विश्व युद्ध की, द्वितीय विश्व युद्ध की। ये देश कभी जमीन का भूखा नहीं रहा है। इस देश ने कभी भी दुनिया में कहीं भी आक्रमण नहीं किया है। लेकिन इसके बावजूद भी किसी और के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा हमारे जवान प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हो गए। डेढ़ लाख संख्या कम नहीं होती। लेकिन हम भारतीय हैं। उन शहीदों के साथ जुड़ कर के विश्व को हमारे इतने बड़े बलिदान का एहसास नहीं करा पाएगी। और इन दिनों जब मैं भी दुनिया में जाता हूं तो मैं यह बात अगर वहां कहीं छोटा सा भी स्मारक है तो बड़े आग्रह से चला जाता हूं। विश्व इस बात को स्वीकार करे कि हम वो लोग हैं जो किसी के लिए मरते हैं। हम वो लोग हैं जो किसी के लिए बलिदान देते हैं। हमारी ये महान परम्परा है ये हमारी उज्ज्वल गाथा है। और ये हमारी जो ताकत है। इसका एहसास दुनिया को मानवता से लेकर सामर्थ तक कराते रहना ये हम लोगों की जिम्मेवारी है।

आने वाले दिनों में भी विश्व जिस रूप में भारत को अब देख रहा है भारत से अपेक्षा कर रहा है। उसमें बहुत बड़ी भूमिका विश्व भर में फैले हुए हमारा भारतीय समुदाय कर सकता है। हमारा भारतीय समुदाय दुनिया के देशों में जाकर के राजनीति नहीं करता है। वो सत्ता हथियाने के खेल में नहीं जुड़ता है। वे वहां रहकर के समाज की भलाई के लिए क्या काम हो सकता है उसकी चिंता करता है। दुनिया के किसी भी देश में जाइए अगर सौ साल से भारतीय समुदाय रह रहा है अगर पचास साल से रह रहा है, अगर बीस साल से उनके पड़ोस में रह रहा है, कहीं से भी भारतीय समुदाय का वहां रहने से वहां के समुदाय को कभी भी कोई दिक्कत नहीं होती। कितनी आसानी से उनमें घुल मिल जाता है। अपने उसूलों को बनाए रखता है लेकिन सबको अपना पन महसूस होता है। और यही तो हमारे संस्कारों का परिणाम है हमारी सांस्कृतिक विरासत है। हमारा व्यक्ति कहीं जाकर के ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा’ जैसे मिल जाते हैं वैसे ही हमारे लोग मिल जाते हैं। और उसको वो उस अपने पन के कारण हमारी एक ताकत बन जाती है। ये भारतीय समुदाय की विशेषता है। हिन्दुस्तान के पास Tourism के Development के लिये बहुत संभानाएं हैं। विश्व में सबसे तेज गति से Grow करने वाला व्यवसाय है।

आप दुनिया के कुछ देशों में जाएंगे आपको Entertainment के लिये बहुत कुछ मिलेगा। लेकिन मानव इतिहास की महान विरासत देखनी है तो हिन्दुस्तान जैसे ही कुछ देश हैं जहां लोगों को आकर्षण हो सकता है। हम उनको इतनी बढ़िया होटल देंगे। हम उसको हमारा कितना बढ़िया आर्किटैक्चर दिखाएंगे। विश्व के सामने अगर हम भारत के पास विश्व को परोसने के लिए Tourism के क्षेत्र से जो विरासत है। दुनिया के कई देशों में जाइए पूछिए कि भई पुरानी चीज तो कोई 200 साल पुरानी बताएगा कोई 400 साल पुरानी बताएगा। हमारे यहां कोई आएगा तो हम पांच हजार साल से शुरू करेंगे। दुनिया को देने के लिए हमारे पास क्या कुछ नहीं है। प्रवासी भारतीय दिवस के भारत इस Confidence के साथ हम इस काम को कर सकते हैं। हम करना चाहते हैं।

प्रवासी भारतीय दिवस केन्द्र जो सौ साल पहले हिन्दुस्तान से बाहर गया है। उसको इतना पता है कि मेरा रंग, मेरा ब्लड इस देश से जुड़ा हुआ है। लेकिन यहां आने के बाद उसको पूछने वाला कोई नहीं है। कौन हो तुम। न घर का पता है न गांव का पता है। ये उसको लगेगा कि हां चलो मुझको एक घर मिल गया। वे चाहकर के मेरा बिस्तर लेकर के पूछताछ करके अपनी जगह बना पाऊंगा। ये पौने तीन करोड़ विश्व में फैले हुए लोगों का एक ऐसा केन्द्र बना है, जो वो जो निकल पड़े सिर्फ वेबसाइट पर देखा होगा। वो आकर के उसे कोई तो मिल जाएगा अपनेपन से बात करेगा। आइए भइया अच्छा बिहार के स्टेशन जाना है। ठीक है देखिए ऐसे-ऐसे जाया जाता है। अच्छा आपका ये गांव था। देखिए कोशिश करते हैं देखें मिल जाता है आपका कोई रिश्तेदार। ये एक बहुत बड़ी Dedicated व्यवस्था है। मुझे विश्वास है विश्व भर में फैले हुए प्रवासी भारतीयों के लिए बहुत ही मुबारक हो।

मुझे बताया गया कि करीब 60-70 देशों में प्रवासी भारतीय नागरिक इस कार्यक्रम को देख रहे हैं, सुन रहे हैं। Technology के माध्यम से। आज यहां एक और प्रस्ताव का भी आयोजन हुआ। भारत के प्रति जिज्ञासा कितनी बड़ी है उसका सबसे बड़ा कारण योग है। पूरा विश्व योग के उत्सव को मनाने के लिए जिस प्रकार से initiative दे रहा है। दुनिया की सरकारें, दुनिया के राष्ट्र नेता सब लोग जुड़ रहे हैं। योग के प्रति एक श्रद्धा का भाव बन चुका है। मानसिक तनाव से गुजर रहे आपाधापी से गुजर रहे समाज को अगर भीतर से शांति देने की ताकत किसी में है, तो भारत में विकसित हुई एक व्यवस्था है। जिसमें शरीर, मन, बुद्धि सबको जोड़ने का सामर्थ्य है। 21 जून को जब अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस मनाया गया। उस समय मैंने देश भर में योग के साथ जुड़े हुए लोगों से आह्वान किया था। खासकर के भारत के नागरिकों के लिए। कि योग प्रचारित हो अच्छी बात है। योग के आभामंडल का विस्तार होता जाए खुशी की बात है। लेकिन योग अगर रोग मिटाता है, तो सामान्य मानवी के लिए बहुत उपकारक होता है। और मैंने योग के जो जानकार लोग हैं उनसे आग्रह किया था कि भारत में तेज गति से डायबिटीज़ बढ़ रहा है। और हर उम्र में डायबिटीज़ नजर आ रहा है। और डायबिटीज़ एक ऐसी व्यवस्था है, जो बाकी सब बीमारियों को निमंत्रण देती है। वो सबसे बड़ा होस्ट है। हर एक को वो स्वीकार नहीं। और इसलिए क्या योग के माध्यम से हम डायबिटीज़ से बच सकते हैं क्या ? क्या योग के माध्यम से डायबिटीज़ है तो उसको कंट्रोल कर सकते हैं क्या? या Relatively योग को Follow करें तो डेडिकेटली हम डायबिटीज़ से मुक्त हो सकते हैं क्या?

इस विषय के ज्ञाता लोगों से लगातार हमने प्रयास किया। और मुझे बताया गया कि एक प्रोटोकॉल तैयार किया है की इतनी चीजें करने से इस इस प्रकार से करने से डायबिटीज़ से राहत मिल सकती है। उसका जो उन्होंने प्रोटोकॉल का जो बुक था मुझे आज रिलीज़ किया है। डॉ. नागेन्द्र जी योग के Expert हैं वो यहां मौजूद हैं। आयुष मंत्रालय इस काम को देखता है वो भी मौजूद है।

और ये भी बहुत ही योग्य हैं कि स्वयं महात्मा गांधी प्राकृतिक पद्धति से ही स्वास्थ्य की चिंता करने की पक्षधार रहे हैं। नेचरोपैथी में उनकी बड़ी श्रद्धा थी। आज उसी 2 अक्तूबर को जिनकी हम अंतर्राष्ट्रीय भारतीय समुदाय का केन्द्र का शुभारंभ कर रहे हैं। और यही तो हैं जो विश्व में योग फैला है। सुसंगत है कि आज इसी समारोह के साथ-साथ इस बुकलेट को भी लॉन्च किया गया है। वो कौन है जो आने वाले दिनों में काम करेगा। आज ही के विषय जब पिछली बार प्रवासी भारतीय दिवस शुरू हुआ था। तब एक विषय मैंने रखा था।

और मैं विदेश मंत्रालय का हृदय से अभिनन्दन करता हूं। वरना सरकार में विचार आता है, विचार आने के बाद मीटिंग होती है, मीटिंग होने के बाद नये विचार आते हैं। फिर एक मीटिंग होती है जिसमें पुराना विचार खोजना पड़ता है कि मूल विचार क्या था। उसके बाद फिर मीटिंग होती है, फिर चर्चा होती है। फिर वो फाइनेन्स में जाकर के अटकता है। सरकार ऐसे चलती है सब जानते हैं। लेकिन विदेशी विभाग है। नौ महीने के भीतर – भीतर इतने बड़े काम को अंजाम दिया और वो था Quiz Competition विश्व भर के समुदाय को भारत को जानने के लिए खासकर के युवा पीढ़ी हमारी हमारा देश क्या था कैसा था। और क्या विशेषताएं थी। और आज टेक्नॉलॉजी के कारण बहुत सरल है। ऑनलाइन Quiz Competition में भारत की जानकारी देने वाले हजारों सवाल जवाब मौजूद हैं।

और दुनिया के कई देशों ने वहां के नौजवानों ने ऑनलाइन आकर के Competition में हिस्सा लिया। कल्पना बाहर का अच्छा परिणाम दिखाया उन्होंने। कभी-कभी हिन्दुस्तान के बच्चों से भी बारीकी से पूछोगे ताजमहल के विषय में तो शायद नहीं बता पाएगा। ये बाहर रहने वाले बच्चों ने खोज कर के तैयार किया और वो बता पा रहे हैं। एक ऐसा आंदोलन शुरू हुआ है ऑनलाइन जो आने वाले दिनों में विश्व भर में फैले हुए भारतीयों को भारत की हर जानकारियों को वो पाएगा। ये जानकारियां सिर्फ ज्ञानवर्द्धन नहीं है, सिर्फ उसकी भारत के प्रति लगाव बढ़ाएगा ऐसा नहीं है, वो जानकारियां हैं जब वो स्कूल में जाता होगा, कॉलेज में जाता होगा, अपने दोस्तों के साथ बैठता होगा। उसको शेयर करता होगा आपको मालूम है हिन्दुस्तान ऐसा है आपको मालूम है हिन्दुस्तान में मैंने ऐसा पढ़ा है। आपको मालूम है हिन्दुस्तान में ऐसी घटना घटी थी। उसके साथियों को भी ये Tourism का बीज बो देगा। ये Quiz Competition भविष्य की सबसे Successful Tourism के लिए बीज बोने का काम करेगा।

और मैं बधाई देता हूं , कुछ winner हुए हैं। जो आए हैं उनको भी भारत दर्शन का अवसर मिलने वाला है। कुछ लोगों ने शायद भारत दर्शन कर लिया होगा। बहुत से लोग ऐसे होंगे जो पहली बार हिन्दुस्तान आए हों शायद ऐसा भी संभव है। लेकिन मैं न्यूजीलैंड से आए हुए वरुण को बधाई देता हूं। साउथ अफ्रीका से आए हुए अखिल को बधाई देता हूं। केन्या से कार्तिक, यूएसए से आदित्य, आयरलैंड से श्वेता, यूएई से आदित्य ये सब winner हैं। उन सबको जो अवॉर्ड देने का मुझे अवसर मिला। लेकिन मैं फिर से एक बार आप ने जो उत्साह दिखाया। उसकी मैं अपेक्षा करूंगा। पूरी दुनिया से करीब पांच हजार लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। लेकिन मैं उन पांच हजार लोगों से अपेक्षा करूंगा कि इस बात को आगे बढ़ाना आपका काम है। और आप ऑनलाइन सबको मोबिलाइज कीजिए। पचास हजार नौजवान कैसे Competition में भाग लें इस पर देखिए और बड़ी Competition हो और उसमें से भी विजयी होकर लोग आएं। मैं इसके लिए विजेताओं को शुभकामना देता हूं। विदेश विभाग को इस काम को इतने कम समय में सफलतापूर्वक करने के लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं। और विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को आज 02 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जन्म जयंति पर एक बहुत उत्तम नजराना एक प्रवासी महात्मा गांधी आपको दिया है ये केन्द्र आपका है आपका आशियाना है। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister’s departure statement ahead of his visit to Jordan, Ethiopia, and Oman
December 15, 2025

Today, I am embarking on a three-nation visit to the Hashemite Kingdom of Jordan, the Federal Democratic Republic of Ethiopia and the Sultanate of Oman, three nations with which India shares both age-old civilizational ties, as well as extensive contemporary bilateral relations.

First, I will be visiting Jordan, on the invitation of His Majesty King Abdullah II ibn Al Hussein. This historic visit will mark 75 years of establishment of diplomatic relations between our two countries. During my visit, I will hold detailed discussions with His Majesty King Abdullah II ibn Al Hussein, H.E. Mr. Jafar Hassan, Prime Minister of Jordan, and will also look forward to engagements with His Royal Highness Crown Prince Al Hussein bin Abdullah II. In Amman, I will also meet the vibrant Indian community who have made significant contributions to India–Jordan relations.

From Amman, at the invitation of H.E. Dr. Abiy Ahmed Ali, Prime Minister of Ethiopia, I will pay my first visit to the Federal Democratic Republic of Ethiopia. Addis Ababa is also the headquarters of the African Union. In 2023, during India’s G20 Presidency, the African Union was admitted as a permanent member of the G20. In Addis Ababa, I will hold detailed discussions with H.E. Dr. Abiy Ahmed Ali and also have the opportunity to meet the Indian diaspora living there. I will also have the privilege to address the Joint Session of Parliament, where I eagerly look forward to sharing my thoughts on India’s journey as the “Mother of Democracy” and the value that the India–Ethiopia partnership can bring to the Global South.

On the final leg of my journey, I will visit the Sultanate of Oman. My visit will mark 70 years of the establishment of diplomatic ties between India and Oman. In Muscat, I look forward to my discussions with His Majesty the Sultan of Oman, and towards strengthening our Strategic Partnership as well as our strong commercial and economic relationship. I will also address a gathering of the Indian diaspora in Oman, which has contributed immensely to the country’s development and in enhancing our partnership.