PM Modi's interview to Hindustan

Published By : Admin | March 3, 2022 | 09:22 IST

सवाल : प्रधानमंत्री जी, उत्तर प्रदेश का चुनाव अब अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा है। आपने खुद यहां दर्जनों रैलियों को संबोधित किया है। आपको इस चुनाव से क्या उम्मीद है?

जवाब : देखिए, उत्तर प्रदेश ने इस बार एक नया इतिहास रचने का संकल्प लिया है। यूपी के लोग ठान बैठे हैं कि पिछले पांच वर्षों से राज्य में विकास की जो गति रही है, उसे रुकने नहीं देना है। पांच साल पहले राज्य में कानून—व्यवस्था की जो स्थिति थी, उसकी भयावह यादें आज भी यहां के लोगों के जेहन में हैं। हमारी बेटियों में जो खौफ था, उसकी स्थिति का अंदाजा आपके अखबार के हर पाठक को होगा। यूपी की वो कानून व्यवस्था, वहां के लोगों के लिए आज भी एक काला अध्याय है। उन अनुभवों से अब यूपी के लोग फिर नहीं गुजरना चाहते इसलिए लोग खुद आगे बढ़कर योगी जी की सरकार की वापसी सुनिश्चित कर रहे हैं। जिस तरह का भ्रष्टाचार यूपी में था, उसका बहुत बड़ा खामियाजा हमारे गरीब को उठाना पड़ता था।

भाजपा सरकार ने वहां जो काम किया है, उसने दलितों, पिछड़ों, वंचितों, महिलाओं और युवाओं की आकांक्षाओं को नई उड़ान दी है। पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के अलग—अलग इलाकों में जब मैं रैलियां कर रहा हूं तो इस जन भावना को प्रत्यक्ष महसूस कर रहा हूं। राज्य में हर तरफ विकास को लेकर जो एक वातावरण तैयार हुआ है, उससे लोगों में एक जबरदस्त उत्साह है। आने वाले समय में इस विकास को और अधिक ऊंचाई देने की उनकी ललक बढ़ चुकी है।

पांच चरणों के जो चुनाव हुए हैं, उसने भाजपा सरकार की वापसी तय कर दी है। जनता ने अपना मत सुना दिया है लेकिन जिन जगहों पर मतदान होना बचा है, मैं वहां के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे लोकतंत्र के इस उत्सव में अपने उत्साह को बनाए रखें। खुद वोट करने जाएं और अपने आसपास के लोगों को भी प्रेरित और प्रोत्साहित करें।

सवाल : भारतीय जनता पार्टी के सामने 2017 और 2019 के चुनावों की भांति इस बार भी एक गठबंधन चुनाव लड़ रहा है। इस गठबंधन से भाजपा को कैसी चुनौती मिल रही है?

जवाब : आप इसको गठबंधन नहीं, मौकापरस्ती कहिए, मिलावट कहिए। मौकापरस्ती विश्वासघात करती है और मिलावट कभी स्वास्थ्यवर्धक नहीं होती। दरअसल, यह कुछ परिवारवादी पार्टियों का अपने अस्तित्व को बचाए रखने का एक प्रयास भर है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि इन लोगों ने 2017 में जिस दल को साथी बनाया, उसे चुनाव हारने के बाद छोड़ दिया। 2019 में फिर नए दल को साथी बनाया और लोकसभा चुनाव बुरी तरह हारने के बाद उसे भी छोड़ दिया, अब फिर नए साथी के साथ चुनाव मैदान में हैं। घोर परिवारवादी दल को चुनाव में अपनी हार का ठीकरा फोड़ने के लिए कुछ दल चाहिए होते हैं। आप खुद देखिए, दो चरणों के बाद इनके गठबंधन के साथी, अब आसपास दिखना भी बंद हो गए हैं।

आपको एक बात और समझनी होगी। जो लोग बार—बार साथी बदल रहे हैं और अपने साथियों के ही सगे नहीं हैं, वे जनता के सगे हो सकते हैं क्या? जनता के सामने इनके गठबंधनों की कलई पूरी तरह से खुल चुकी है। उत्तर प्रदेश के मतदाता एक बार फिर इनके गठबंधन को करारा जवाब दे रहे हैं, क्योंकि अपने स्वार्थ की राजनीति करने वाले ये दल कभी जन—आकांक्षाओं पर खरे नहीं उतर सकते।

सवाल : आपने एक भाषण में उस वृद्धा का उल्लेख किया जो सरकारी सहायता से खुश थी और कह रही थी कि हमने नमक खाया है, हम धोखा नहीं देंगे। क्या आपको लगता है कि ये लाभार्थी जाति और धर्म से परे जाकर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करेंगे?

जवाब : आपके सवाल में ही इसका जवाब छिपा है। जवाब सिर्फ नहीं है कि किसको वोट करेंगे और किसलिए वोट करेंगे, बल्कि इस बात का भी जवाब है कि मतदान को लेकर लोगों की सोच इस बार किस प्रकार से काम कर रही है। यूपी का गरीब आज देख रहा है कि उनके सुख—दुख का साथी कौन है। हमारे देश में जबरन एक सिद्धांत गढ़ दिया गया था, ‘गुड इकोनॉमिक्स इज बैड पॉलिटिक्स’। बीस साल से राज्य हो या फिर केंद्र सरकार, मुझे सरकार के मुखिया के तौर पर लोगों की सेवा करने का सौभाग्य मिला है। इस अनुभव से मैं कह सकता हूं कि किसी जमाने में ये थ्योरी ठीक रही होगी, लेकिन समय बदल गया है। आर्थिक क्षेत्र में नीति, नीयत और निर्माण का महत्व है। मेरा लगातार प्रयास रहा है कि योजना हर उस लाभार्थी तक पहुंचे, जिसके लिए बनी है। गरीब हो या मध्यम वर्ग, लाभ हर किसी तक बिना किसी भेदभाव, बिना किसी परेशानी के पहुंचना चाहिए। इसके लिए मैंने आर्थिक नीतियों और ‘गुड गवर्नेंस’ को रेल की दो पटरियों की तरह माना है।

इन सारे प्रयासों का सबसे बड़ा परिणाम यह मिला कि देश के नागरिको में विश्वास जागा है कि जो मेरे हक का है वो मुझे जरूर मिलेगा, सरकार जो कर रही है वो मेरे लिए कर रही है। आज आप देख रहे हैं कि जहां—जहां ‘डबल इंजन’ की सरकार है, गरीबों में भाजपा के प्रति एक स्नेह, एक ‘अंडरस्टैंडिंग’ एक ‘अंडरकरंट’ है।

आज नहीं तो कल विद्वान जरूर इसका उल्लेख करेंगे कि भारतीय जनता पार्टी ने भारत की राजनीति को बदलने में, कार्यसंस्कृति को बदलने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मैं ये भी कहूंगा कि महामारी भले आज 100 साल बाद आई है, लेकिन हमारा ग्रामीण क्षेत्र, महामारी से बनी परिस्थितियों से बहुत अनजान नहीं रहा है। वो जानता है कि महामारी के साथ कितना बड़ा संकट आता है। दुनिया के बड़े—बड़े देशों की सरकारें भी अपने नागरिकों की मदद नहीं कर पाईं। उन देशों की तुलना में आज भारत ने जिस तरह अपने नागरिकों का साथ दिया, ज्यादा से ज्यादा लोगों का जीवन बचाने का प्रयास किया, ये यूपी के साथ ही पूरे देश के लोग देख रहे हैं।

लोगों ने यह भी देखा कि महामारी से जंग में भारत ने किस प्रकार तेजी से वैक्सीन तैयार की और ‘सबको वैक्सीन—मुफ्त वैक्सीन’ अभियान चलाया। लोग आज महसूस कर रहे हैं कि अगर इतनी बड़ी आपदा के समय पहले के भ्रष्ट और परिवारवादी लोग सरकार में होते तो न जाने उनका क्या हाल हुआ होता! ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ के सुधी पाठक भी जानते हैं कि पहले की सरकारों की घोषणाओं का क्या हाल होता था? आज जब हमारी सरकार डीबीटी के जरिए सीधे लोगों के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करती है तो लोगों को महसूस होता है कि कोई है, जो मुसीबत के वक्त उनके साथ है। कोई है, जो खेती—किसानी के खर्चों में उनका हाथ बंटाता है। कोई है, जो संकट में अन्न—अनाज की कमी नहीं होने देता, घर का चूल्हा नहीं बुझने देता। यही वो बातें हैं जो यूपी में ‘डबल इंजन’ की सरकार को लोगों का भरपूर आशीर्वाद दिला रही हैं। उन बुजुर्ग मां ने भी ऐसे ही करोड़ों लोगों के दिल की बात कही है।

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सवाल : भाजपा ने 2014, 2017 और 2019 के चुनावों में जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में अपने मतों में विस्तार किया, उससे जाहिर होता है कि मतदाताओं ने जाति का मोह छोड़कर मतदान किया। क्या आपको मतदाताओं की प्रवृत्ति में कोई बदलाव नजर आता है?

जवाब : देखिए, मैं पिछले कई दशकों से चुनावी राजनीति से जुड़ा हूं। जिस सामाजिक व्यवस्था में हम रहते हैं और जिस घर में मेरा जन्म हुआ उसके हिसाब से एक जाति मेरे अस्तित्व के साथ भी जरूर जुड़ी हुई है। हालांकि, मेरा मानना है कि मेरी अपनी कोई जाति नहीं है। मेरी जाति के लोग इतने ताकतवर भी नहीं हैं कि वो राजनीतिक रूप से किसी सीट पर हार जीत का फैसला कर सकें। फिर क्या कारण है कि देश ने मुझे प्रधानमंत्री बनाया?

मुझे संतोष है कि अपने राजनीतिक जीवन में मैंने सामाजिक एकता को हमेशा बल दिया। मैंने हर जाति के गौरव का हमेशा सम्मान किया, क्योंकि समाज के हर वर्ग का, हर जाति का देश के विकास में सदियों से कोई ना कोई योगदान रहा है। मैंने अपनी राजनीति में उस जातिवाद को नहीं बढ़ाया, जिसमें किसी एक जाति के प्रति नफरत का भाव पैदा हो। मैं मानता हूं कि हर जाति में नेता होने चाहिए, लेकिन उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अपनी जाति के विकास के माध्यम से देश का विकास होना चाहिए। इसके उलट हम देखते हैं कि अधिकतर जगहों पर जो जातिवादी नेता हैं, वो सिर्फ अपने परिवार का भला करने लगते हैं। उनके लिए जाति का उत्थान उनके समाज का नहीं बल्कि उनके परिवार का उत्थान बन जाता है। इससे पूरी जाति का बहुत नुकसान होता है। यह बात उत्तर प्रदेश के लोग बहुत अच्छी तरह समझ चुके हैं।

मुझे इस बात का भी संतोष है कि युवा इस बात को देख रहे हैं, समझ रहे हैं और सिर्फ अपने परिवार की तिजोरी भरने वाले जातिवादी नेताओं को निरंतर नकार रहे हैं। अब लोग अपने विकास के लिए, राज्य के विकास के लिए, देश के विकास के लिए वोट देते हैं।

मैं एक और बात कहना चाहूंगा। मैं ‘प्रो पीपुल, गुड गवर्नेन्स’ को हर समस्या का समाधान मानता हूं। जातिवादी राजनीति का भी यही समाधान है। किसी भी क्षेत्र में जातिवाद को प्रमुखता तब मिलती है जब लोगों को लगता है कि फलाना व्यक्ति हमारी जाति का है, वो हमारा काम करा पाएगा लेकिन वो काम क्या होता है इस बारे में सोचिए। वो काम होता है गैस कनेक्शन, सरकारी योजनाओं के माध्यम से घर, बिजली का कनेक्शन। पहले की सरकारों ने जो व्यवस्थाएं बना दीं, लोग उसमें अपनी जाति का व्यक्ति खोजते थे, लेकिन आज वो लोग भाजपा की सरकारों में देख रहे हैं कि सरकार ही खुद आगे बढ़कर ये सारी सुविधाएं गरीब से गरीब तक पहुंचा रही है। अपनी जाति के किसी नेता पर उनके आश्रित होने की भावना समाप्त हो रही है।

अब तो हमारी सरकार सौ प्रतिशत ‘सैचुरेशन’ की बात कह रही है। मैं यूपी में चुनावी रैलियों में जब लोगों को कहता हूं कि जो भी व्यक्ति अब तक सरकारी योजनाओं से छूटा है, 10 मार्च के बाद उसे भी सरकारी योजना का लाभ दिया जाएगा, तो लोगों को विश्वास होता है। हमने पिछले पांच साल लोगों की सेवा की है, बिना भेदभाव, बिना तुष्टीकरण, बिना उनकी जाति और धर्म देखे गरीब तक हर लाभ पहुंचाया है, इसलिए ही ये विश्वास हासिल कर पाए हैं।

सवाल : उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में तो मतदान हो भी चुका है। इनमें से चार में भारतीय जनता पार्टी की हुकूमत है। क्या वहां पुराने नतीजों की पुनरावृत्ति होगी?

जवाब : इन पांचों राज्यों में मुझे व्यक्तिगत और ‘वर्चुअल’ माध्यम से मतदाताओं के दर्शन का सौभाग्य मिला है। मतदाताओं में अपार उत्साह और बीजेपी के प्रति असीम विश्वास बताता है कि वो डबल इंजन की सरकार को सत्ता में लाने के लिए मन, महीनों पहले से बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर जहां डबल इंजन की सरकारें हैं, वहां के मतदाताओं ने अपने राज्यों में ऐसा चौतरफा विकास देखा है, जैसा पिछले कई दशकों में नहीं हुआ। ‘नॉर्थ ईस्ट’ में भाजपा के प्रति जो प्यार है, वो ऐसे ही नहीं उमड़ रहा है। हमने उस स्नेह को पाने के लिए, उस भरोसे को पाने के लिए बहुत मेहनत की है। महिलाओं के लिए सुरक्षा हो या युवाओं के लिए नए अवसर, अपराधों पर नियंत्रण हो या फिर कोरोना काल में हर प्रकार से की गई मदद,केंद्र की ऐसी कितनी ही योजनाएं हैं, जिन्होंने लोगों का जीवन आसान बनाया है।

सवाल :पंजाब से आपको क्या उम्मीद है?

जवाब : पंजाब देश का वो राज्य है, जिसने एक समय में विकास की गति देखी है और फिर भ्रष्टाचार को, अव्यवस्था को, विकास पर हावी होते हुए भी देखा है। वहां आज जिस पार्टी की सरकार है, उसके बड़े नेताओं को राज्य की जनता ने हमेशा आपस में लड़ते देखा है। पंजाब पिछले कई वर्षों से एक मजबूत विकल्प की तलाश में है, जो राज्य के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने में सक्षम हो। ऐसे में राज्य के लोग भाजपा को उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। उन्होंने उन राज्यों में विकास की रफ्तार को देखा है, जहां आज ‘डबल इंजन’ की सरकारें हैं।

लोगों ने यह भी देखा कि किस प्रकार इस चुनाव में भी राज्य के सत्तारूढ़ दल के मुखिया ने खुलेआम भेदभाव करने की बात कही। पंजाब के मेरे भाई—बहन अब भेदभाव और बंटवारे की राजनीति से आजिज आ चुके हैं और उनमें बदलाव की एक गहरी इच्छा दिखी है। इसे मैंने राज्य में अपनी कुछ रैलियों के दौरान भी भलीभांति महसूस किया है। वे आज जिस स्थायित्व और सुरक्षा की तलाश में हैं, उसे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ही देने में सक्षम है। आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि पंजाब में हम जनसंघ के जमाने से ही काम कर रहे हैं। हमारे पास पंजाब में अनुभवी नेतृत्व के साथ—साथ ऊर्जावान कार्यकर्ताओं की कोई कमी नहीं है। खेती से जुड़ी समस्याएं हों, ड्रग्स की चुनौती हो, उद्यमियों की दिक्कतें हों, इन्हें दूर करने के लिए पंजाब में ‘डबल इंजन’ की सरकार जरूरी है।

राज्य के किसानों ने भी इस बात को महसूस किया है कि उनके जीवन को आसान बनाने के लिए हम किस स्तर पर काम कर रहे हैं। यह हमारी सरकार ही है, जो छोटे किसानों को उनका अधिकार दिलाने के लिए जी—जान से जुटी हुई है। उनके लिए हमारी नीति और नीयत पूरी तरह से ईमानदार रही है। कुल मिलाकर, पंजाब में इस बार जो स्थितियां बनी हैं, वो एनडीए के पक्ष में हैं।

सवाल : आप किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं। क्या कृषि कानूनों की वापसी से इसमें कोई अड़चन आई है?

जवाब : जहां तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात है तो इसके बीज हमने उसी दिन रख दिए थे, जब हमने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था। बुआई से बिक्री तक की प्रक्रिया में हमने हर प्रकार से किसानों को मदद पहुंचाने की कोशिश की है।

अन्नदाताओं के जीवन को आसान बनाने के लिए हमने चार ‘पिलर’ ‘आइडेंटिफाई’ किए। ये चार पिलर हैं- किसानों की ‘इनपुट कॉस्ट’ कम हो। किसानों की आय के साधन बढ़ें। मार्केट में उनको उचित दाम मिले। हमारे किसान खेती में वैज्ञानिक पद्धतियों का ज्यादा इस्तेमाल करें।

जहां तक किसानों की ‘इनपुट कॉस्ट’ कम करने की बात है तो इसका असर आपको बीज से लेकर बीमा योजना, ‘हारवेस्ट’ और ‘पोस्ट हारवेस्ट’ नुकसान को कम से कम करने और खाद की कीमतों तक में देखने को मिलेगा। एक उदाहरण से आप इसे समझ सकते हैं। दुनियाभर में खाद की कीमतों में भारी वृद्धि के बावजूद हमने इसका भार किसानों पर नहीं पड़ने दिया और डीएपी खाद के लिए सब्सिडी को140 प्रतिशत तक बढ़ा दिया, जो अभूतपूर्व है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए हमने चौतरफा रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया। हमने पहली बार एमएसपी को किसानों की लागत का डेढ़ सौ प्रतिशत करने का फैसला किया। इसके अलावा पशुपालन और मछली पालन के साथ—साथ मधुमक्खी पालन और हॉर्टिकल्चर से जुड़ी अनेक सुविधाओं का विस्तार किया गया है। किसानों को ‘मार्केट’ में उचित दाम मिले, इसके लिए हमने सरकारी खरीद केंद्रों की व्यवस्था को और मजबूत बनाने और विस्तार देने का काम किया है। साल 2016 से पहले देश में जितने सरकारी खरीद केंद्र थे,आज उससे दोगुने सरकारी खरीद केंद्रों पर किसानों से अनाज खरीदा जा रहा है।

यही नहीं, किसान आधुनिक तरीके से आगे बढ़े, इसके लिए ‘सॉयल हेल्थ कार्ड’ जैसी योजनाओं को लागू किया गया है। वहीं ‘फूड प्रोसेसिंग’ और ‘कोल्ड चेन’ जैसे बुनियादी ढांचे को तैयार करने के लिए हम करीब एक लाख करोड़ रुपये निवेश कर रहे हैं। आप यह भी देखिए कि साल 2014 तक भारत में जहां केवल दो मेगा फूड पार्क थे, वहीं आज इनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई है। साफ है कि पूर्ववर्ती सरकार और हमारी सरकार में कृषि खरीद में अभूतपूर्व फर्क आया है। आंकड़ों की बात करें तो आप यूपीए के आखिरी सात वर्ष देख लीजिए और हमारी सरकार के सात वर्ष। हमारे समय में धान की खरीद में 78 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। धान ही नहीं, गेहूं की खरीद में भी हमने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। ठीक इसी प्रकार आप यूपीए शासन के आखिरी पांच वर्ष लीजिए और हमारी सरकार के पिछले पांच वर्ष लीजिए, तो दलहन में एमएसपी भुगतान में 88 गुना की बढ़ोतरी हुई है।

वहीं, निर्यात की बात करें तो गेहूं, चावल ही नहीं बल्कि मछली के निर्यात में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर कृषि एक्सपोर्ट की बात करें, तो 2020 में अप्रैल से नवंबर के बीच जहां 25 बिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, वहीं 2021 में इसी अवधि के दौरान 31 बिलियन डॉलर का निर्यात किया गया। जहां तक कृषि कानून की वापसी से अड़चन की बात है, तो मैं यही कहूंगा कि विकास के रास्ते अलग हो सकते हैं लेकिन हमारा लक्ष्य किसानों का कल्याण ही है।

सवाल : भविष्य की क्या योजना है?

जवाब : कृषि का भविष्य यह सुनिश्चित करने में है कि हमारे किसानों को इनोवेशन का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले और उनके उत्पाद ई—नाम, किसान रेल, कृषि उड़ान और इस तरह की अन्य पहलों के माध्यम से नए से नए बाजारों तक पहुंचें। ‘इनोवेशन’ ‘इनपुट कॉस्ट’ को कम करता है जबकि विस्तारित बाजार तक पहुंच से आय में वृद्धि होती है।

हम कृषि को अधिक लाभदायक बनाने के साथ—साथ और अधिक ‘सस्टेनेबल’ बनाने पर भी काम कर रहे हैं। हमारे किसानों को सहायता देने के लिए परंपरा और प्रगति दोनों का प्रयोग किया जाएगा। हमारी पारंपरिक कृषि तकनीक, जैविक खेती, जीरो बजट खेती और ऐसे प्राकृतिक खेती के विचारों को काफी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

इस बजट में आपने मां गंगा के दोनों किनारों पर ‘नैचुरल’ खेती के लिए ‘कॉरिडोर’ बनाने की हमारी पहल पर ध्यान दिया होगा। इसी तरह टेक्नोलॉजी भी किसानों की आय में सुधार करने में मदद करेगी। उदाहरण के लिए, किसान ड्रोन पहल। कुछ समय पहले तक ड्रोन को केवल रक्षा क्षेत्र में प्रयोग करने योग्य वस्तु के रूप में देखा जाता था, लेकिन हमने किसानों के जीवन को आसान बनाने का संकल्प लिया है। फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण और कीटनाशकों व पोषक तत्वों का छिड़काव — ये कुछ ऐसे उपयोग हैं जिसके लिए किसान ड्रोन काम आएंगे।

इसके अलावा, वे सब्जियों, फलों, मछलियों को सीधे फार्म से बाजार तक ले जाने में मदद करेंगे। इससे भी किसानों का फायदा बढ़ेगा। कोरोना के बावजूद इस साल कृषि निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि पहली बार हमारा कृषि निर्यात 50 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगा। ये दिखाता है कि सरकार के प्रयासों का असर हो रहा है।

सवाल : विपक्ष चुनाव के दौरान बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहा है। इस संबंध में सरकार की क्या योजना है?

जवाब : जब रोजगार सृजन की बात आती है, तो हमें इसे पूरे परिप्रेक्ष्य में देखना होगा। मैं आपको कुछ तथ्य देना चाहता हूं। इन तथ्यों के साथ, ये भी सोचिएगा कि ये काम क्या बिना रोजगार निर्माण के हुए होंगे। पिछले सात वर्षों में 24,000 किलोमीटर रेल मार्ग का विद्युतीकरण किया गया है। रेलवे ने कोविड—19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद अब तक के सबसे अधिक विद्युतीकरण का रिकॉर्ड बनाया। पहले केवल पांच शहरों में मेट्रो रेल थी और अब 18 शहरों में मेट्रो है और कई और शहरों में काम चल रहा है। हाईवे के निर्माण की बात करेंगे, तो महामारी के बावजूद हमने हजारों किलोमीटर जोड़े हैं, हम दुनिया में हाईवे बिल्डिंग में सबसे तेज हैं। एलपीजी कवरेज 55% से बढ़कर 95% से अधिक हो गया है — इसका मतलब है कि एक बड़ा वितरण नेटवर्क और एजेंसियों का ‘एक्सपेंशन’ हुआ है।

ग्रामीण विद्युतीकरण भी रिकॉर्ड गति से हुआ है और हमने 99% से अधिक विद्युतीकरण किया है। विद्युतीकरण के दौरान और बाद में इसकी वजह से नौकरियों का सृजन हुआ। जब हम ‘ग्रासरूट’ स्तर पर रोजगार सृजन की बात करें तो कई सारी चीजें हैं। आज देश भर में 70 लाख ‘सेल्फ हेल्प ग्रुप्स’ हैं जो 6—7 साल पहले की तुलना में तीन गुना अधिक है। लगभग 33 करोड़ मुद्रा लोन दिए गए हैं, जो न केवल आर्थिक सशक्तिकरण को सुनिश्चित करता है, बल्कि अधिक नौकरियों का सृजन भी करता है।

खादी और ग्रामोद्योगों ने पिछले कुछ वर्षों में बिक्री और कारोबार में रिकॉर्ड दर्ज किया है। पहले जिस गति से काम होता था उसके मुकाबले आज तीन—चार गुना तेज गति से काम हो रहा है। जब कार्य की गति बढ़ती है तो कार्य करने के लिए कामगार भी ज्यादा लगते हैं, क्या इससे रोजगार को बढ़ावा नहीं मिलता है?

सवाल : कोरोना का क्या असर पड़ा है?

जवाब : कोरोना 100 साल में आया सबसे बड़ा संकट है, सबसे बड़ी वैश्विक महामारी है। दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो कोरोना से प्रभावित नहीं हुआ है। जब कोरोना आया और देश में इतनी सारी चीजें अवरुद्ध हो गईं, तो विपक्ष और कुछ ‘पॉलिटिकल ज्ञानी’ तो यहां तक सोच रहे थे कि भारत इससे कभी भी रिकवर नहीं कर पायेगा लेकिन भारत का सामर्थ्य ऐसा है कि हमारे यहां वैसी तबाही नहीं मची, जिसकी ये लोग प्रार्थना कर रहे थे। जिस गति से देश ने, देश की जनता ने अनलॉक सुनिश्चित कराया, और अर्थव्यवस्था को पुन: सुचारू बनाया, वो अपने आप में अभूतपूर्व है। देश की जनता ने देश और दुनिया को एक उम्मीद दी है। कई लोग हैरान हैं— ये कैसे संभव है? मैं मानता हूं कि एक सौ तीस करोड़ देशवासी जब एक ध्येय साध लेते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं।

अब जो गति देखी जा रही है, उसके आंकड़े जग जाहिर हैं। ईपीएफओ की बात करें, पिछले आठ महीनों में जितनी ‘फार्मल जॉब्स’ बनी हैं, इससे पहले के तीन वर्षों में किसी भी वर्ष के तुलना से अधिक है! इसमें बहुत सारी ऐसी नौकरियां हैं जो युवाओं को मिली हैं। एक करोड़ से भी ज्यादा ऐसे युवा हैं जो 18—28 साल के हैं — मतलब कोरोना के बीच में भी, युवाओं के लिए एक करोड़ नए अवसर बने हैं। नासकॉम के अनुसार, पिछले 4—5 वर्षों में लगभग 23 लाख ‘डायरेक्ट’ और ‘इनडायरेक्ट’ रोजगार सृजित हुए हैं। केवल 2021 में, हमने देखा कि 44 स्टार्टअप ‘यूनीकॉर्न’ के स्टेटस में पहुंच गए हैं और 2,000 से अधिक नए स्टार्टअप बने हैं। 2021 में हमने स्टार्टअप्स को रिकॉर्ड निवेश प्राप्त करते हुए भी देखा। 2021 की बात छोड़िये, अगर आप सिर्फ 2022 की बात करें तो हर पांच दिन में एक ‘यूनिकॉर्न’ खड़ा किया है भारत ने! इसका भी मतलब है कि हमारे युवाओं के लिए अधिक अवसर। इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यात की बात करें, तो उसमें बहुत बड़ी वृद्धि हुई है। कई गैर सरकारी संस्थाएं, जॉब साइट्स और इंडस्ट्री लीडर्स भी यही ‘प्रिडिक्ट’ कर रहे हैं कि 2022 में ‘हायरिंग’की गति और भी तेज होने वाली है ।

सवाल : कोरोना की वजह से लघु एवं मध्यम उद्योगों पर कड़ी मार पड़ी है। सर्वाधिक रोजगार भी यहीं से उत्पन्न होता है। इन्हें फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार क्या खास उपाय कर रही है?

जवाब : हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि पूरी दुनिया में बहुत भयंकर वैश्विक महामारी आई और ऐसे में इस वैश्विक संकट के सामने जो नीति, रणनीति बनानी आवश्यक थी, हम उसी हिसाब से चले। हमने एक—एक व्यक्ति को बचाने पर जोर दिया, एक—एक जीवन को बचाने पर जोर दिया। आपको याद होगा कि हमने पहले ‘जान है तो जहान है’ का आ”ान किया फिर जब स्थितियों पर कुछ नियंत्रण हुआ तो ‘जान भी जहान भी’ के मंत्र के साथ हम आगे बढ़े।

इस महामारी में पूरी दुनिया में ‘सप्लाई चेन’ भी बर्बाद हो गई। ऐसे में उद्योग हों, उद्यमी हो या फिर सामान्य मानव, कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि उन्हें इस महामारी ने बुरी तरह प्रभावित नहीं किया। बावजूद इसके, हमने देशहित में जो नीतियां बनाईं, जो फैसले लिए उसका सकारात्मक प्रभाव हम आज देख रहे हैं। हम देख रहे हैं कि दुनिया के बड़े बड़े देशों की अर्थव्यवस्था कैसे आज भी पटरी से उतरी हुई है और भारत की अर्थव्यवस्था चल पड़ी है।

लघु उद्योगों को लेकर हमारी ‘अप्रोच’ रही है कि इस कोरोना काल में हमें उन्हें बचाना भी है, बढ़ाना भी है। इसके लिए हमारी सरकार विशेष क्रेडिट गारंटी स्कीम लेकर आई। देश भर में इन लघु उद्योगों को ढाई लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद की गई। इस वजह से बहुत से लघु उद्योग बंद होने से बचे। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट ने भी पाया है कि इस विशेष क्रेडिट गारंटी स्कीम की वजह से डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों का रोजगार बच पाया और उनके परिवारों को भी संकट में मदद मिली। इस बजट में हमने क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड को पुनर्गठित कर इसका दायरा और बढ़ा दिया है। ये सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि ‘गुड्स’ का निर्यात बढ़ रहा है। गुड्स निर्यात बढ़ने का मतलब है कि हमारे लघु उद्योगों की, हमारी एमएसएमई नई ऊर्जा से काम में जुट गई हैं। हम अपनी सरकार की नीतियां भी ऐसी बना रहे हैं जिससे देश के लघु उद्योगों को लाभ हो, उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम मिले। जैसे इस बार हमने बजट में तय किया है कि देश की रक्षा जरूरतों का 68 प्रतिशत घरेलू बाजार से ही जुटाया जाएगा, घरेलू बाजार पर खर्च होगा।

हमने एमएसएमई ईकाइयों से सरकारी खरीद के जो लक्ष्य रखे हैं, उससे भी बाजार में गति उत्पन्न हो रही है। इस तरह के अनेक कदम हमने उठाए हैं जिनके चलते भारत के लघु उद्योग जगत में उत्साह लौट रहा है

सवाल : कुछ देशी—विदेशी संगठन भारत में अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों की स्थिति पर चिंता जताते हैं। आप इन आलोचनाओं को कैसे लेते हैं?

जवाब : पहली बात तो यह कि सरकार की मंशा के बारे में सोचना कि वह धर्म, जाति, या अन्य किसी भी आधार पर नीति बनाती है और निर्णय करती है, उचित नहीं है। हमारी सरकार संविधान को समर्पित है और हमारी प्राथमिकता इस बात की है कि नागरिकों को किस तरह की सहूलियत मिलनी चाहिए, मदद पहुंचनी चाहिए। देखिए, हमारे देश के राजनीतिक संवाद में एक विकृति घर कर गई है कि अल्पसंख्यकों में सिखों, जैनियों, पारसियों या बौद्धों की कभी चर्चा नहीं होती है। ईसाई ‘माइनॉरिटी’ या यहूदी अल्पसंख्यकों की भी उतनी चर्चा नहीं होती। जब अल्पसंख्यकों की बात हो तो मुस्लिमों को ही एकमात्र अल्पसंख्यक मान लिया जाता है। इस विकृति की वजह ‘वोट बैंक’ की राजनीति है जिसका प्रभाव हमें हर तरफ देखने को मिलता है। अब सवाल उठता है कि जो लोग खुद को मुसलमानों का मसीहा मानते हैं और दावा करते हैं कि वो मुसलमानों के सबसे बड़े समर्थक, शुभचिंतक हैं, उनकी भलाई चाहते हैं तो हमें ये भी देखना होगा कि देश में इतने लंबे समय तक सरकारें तो ज्यादातर समय उन्हीं लोगों को रहीं हैं। मुस्लिम समाज की जो आज की स्थिति है उसके असली जिम्मेदार भी वही लोग हैं।

जहां तक सवाल भारतीय जनता पार्टी का है हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चल रहे हैं। हम चाहते हैं कि हर देशवासी का उत्थान हो, उसका विकास हो और हम इसी सोच के साथ नीतियां बना रहे हैं, उन्हें लागू कर रहे हैं।

अब आप पीएम आवास योजना का ही उदाहरण ले लीजिए। इस योजना के तहत हमने करोड़ों आवास बनाकर गरीब परिवारों को दिए हैं। ये घर बिना किसी भेदभाव के सबको मिले हैं, हर जाति, हर पंथ, हर धर्म के लोगों को मिले हैं। इसी तरह चाहे गैस कनेक्शन हो, आयुष्मान भारत कार्ड हो, हर घर जल हो, ऐसी हर योजना में हमने सबका साथ सबका विकास को ही सर्वोपरि रखा है। हमने धर्म, जाति, पंथ का कोई भेदभाव नहीं किया। यह हमारा विश्वास है, और यह प्रत्यक्ष भी है कि गुड गवर्नेंस सभी के लिए होती है। दूसरी बात — देश में चंद लोग हों, या फिर अंतरराष्ट्रीय जगत में, यह लोग भारत का सिर्फ अहित चाहते हैं। उनको भारत का विकास कांटे के समान चुभता है। यह लोग ही इस तरह के कथन को हवा देते हैं। हमारा देश एक लोकता्त्रिरक देश हैं। जो लोग मुस्लिमों की स्थिति पर ‘सलेक्टिव’ चिंता जताते हैं, मैं उन लोगों से ये भी पूछना चाहता हूं कि आपको तीन तलाक की वजह से हमारी मुस्लिम बेटियों को जो परेशानी आती थी, वो क्यों नहीं दिखाई दी?

आपने पहले क्यों नहीं सोचा कि स्कूलों में शौचालय ना होने की वजह से बहुत सी मुस्लिम बेटियां भी बीच में पढ़ाई छोड़ देती हैं।

ये हमारी ही सरकार है जिसने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया और इसका लाभ हम समाज में देख रहे हैं। स्कूलों में शौचालय बनने की वजह से अब ज्यादा मुस्लिम बेटियां पढ़ने के लिए आ रही हैं। ऐसे ही ईमानदार प्रयासों की वजह से मुस्लिम बहन-बेटियां भाजपा सरकार को भरपूर आशीर्वाद भी देती हैं।

सवाल : 2019 का चुनाव जीतने के बाद आपने अपने पुराने नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ में एक महत्वपूर्ण तत्व जोड़ा, ‘सबका विश्वास’। क्या इस दिशा में काम अभी बाकी है?

जवाब : देखिए, देश में पहले की सरकारों का स्वभाव ऐसा बन गया था कि समाज को तो सरकारों की दया पर ही जीना पड़ता है। वैसे ही योजनाएं भी बनायी जाती थीं। पहले जो भी योजना बनती थी वो किसी वर्ग विशेष से जोड़कर बनाई जाती थी और योजना बनाने वालों के मन में इस योजना को लेकर वोटबैंक की राजनीति की सोच होती थी।

हमने ये भी देखा कि एक छोटे से तबके के लिए कुछ करो तो बहुत चर्चा होती है। आप अखबार वाले भी खूब लिखते हैं, खूब न्यूज बनती है। लोग बहुत वाहवाही भी करते हैं, लेकिन जब सबके लिए करो तो उतना महत्व ही नहीं दिया जाता है और ना ही कोई उतना ध्यान देता है। इससे हमारी जैसी कर्तव्यनिष्ठ पार्टी को बहुत नुकसान भी उठाना पड़ा है। लेकिन ये हमारी निष्ठा है, ये हमारी नीयत है कि हम जो करेंगे सबके लिए करेंगे।

हमारे लिए भारत का हर नागरिक एक समान है भारत का हर व्यक्ति जिसे भारतीयता, यहां की मिट्टी, यहां के संविधान से प्यार है वो हमारा है। हमारी सरकार कैसे काम कर रही है, इसका एक और उदाहरण मैं ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ के पाठकों को देना चाहता हूं। बहुत कम लोगों को पता है कि देश में 110 के आसपास ऐसे जिले हैं जो हमेशा से मूलभूत सुविधाओं से बहुत ज्यादा वचिंत रहे हैं। पहले की सरकारों ने इन जिलों पर पिछड़ेपन का ठप्पा लगा दिया और फिर इन जिलों में रहने वाले लोगों को भूल गईं। इसमें दलित भी थे, पिछड़े भी थे, आदिवासी भी थे। यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने बाकायदा ऐसे जिलों को चुना, जिनमें मूलभूत सुविधाओं की सबसे ज्यादा कमी है। हमने इन जिलों की पहचान को पिछड़े जिलों से निकाल कर इन्हें आकांक्षी जिले यानी ‘एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स’ की पहचान दी। वहां की राज्य सरकारों के साथ मिलकर हमने वहां काम कराना शुरू किया। हमने विशेष तौर पर युवा अफसरों को वहां पर भेजा जो लंबे समय तक आकांक्षी जिलों में रुककर योजनाओं को जमीन पर उतार सकें।

Source : Hindustan

  • Ratnesh Pandey April 19, 2025

    Jai Hind
  • Jitendra Kumar April 17, 2025

    🙏🇮🇳❤️🎉
  • Dheeraj Thakur March 21, 2025

    जय श्री राम जय श्री राम
  • Dheeraj Thakur March 21, 2025

    जय श्री राम
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 19, 2024

    जय श्री राम 🚩 जय भाजपा विजय भाजपा
  • Amrita Singh September 22, 2024

    हर हर महादेव हर हर
  • दिग्विजय सिंह राना September 18, 2024

    हर हर महादेव
  • रीना चौरसिया September 14, 2024

    बीजेपी
  • JBL SRIVASTAVA May 26, 2024

    मोदी जी 400 पार करते
  • Dr Swapna Verma May 07, 2024

    🙏🙏🙏🙏🙏
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Prime Minister Narendra Modi to visit Gujarat
May 25, 2025
QuotePM to lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth around Rs 24,000 crore in Dahod
QuotePM to lay the foundation stone and inaugurate development projects worth over Rs 53,400 crore at Bhuj
QuotePM to participate in the celebrations of 20 years of Gujarat Urban Growth Story

Prime Minister Shri Narendra Modi will visit Gujarat on 26th and 27th May. He will travel to Dahod and at around 11:15 AM, he will dedicate to the nation a Locomotive manufacturing plant and also flag off an Electric Locomotive. Thereafter he will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth around Rs 24,000 crore in Dahod. He will also address a public function.

Prime Minister will travel to Bhuj and at around 4 PM, he will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 53,400 crore at Bhuj. He will also address a public function.

Further, Prime Minister will travel to Gandhinagar and on 27th May, at around 11 AM, he will participate in the celebrations of 20 years of Gujarat Urban Growth Story and launch Urban Development Year 2025. He will also address the gathering on the occasion.

In line with his commitment to enhancing connectivity and building world-class travel infrastructure, Prime Minister will inaugurate the Locomotive Manufacturing plant of the Indian Railways in Dahod. This plant will produce electric locomotives of 9000 HP for domestic purposes and for export. He will also flag off the first electric locomotive manufactured from the plant. The locomotives will help in increasing freight loading capacity of Indian Railways. These locomotives will be equipped with regenerative braking systems, and are being designed to reduce energy consumption, which contributes to environmental sustainability.

Thereafter, the Prime Minister will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 24,000 crore in Dahod. The projects include rail projects and various projects of the Government of Gujarat. He will flag off Vande Bharat Express between Veraval and Ahmedabad & Express train between Valsad and Dahod stations. Thereafter, the Prime Minister will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 24,000 crore in Dahod. The projects include rail projects and various projects of the Government of Gujarat. He will flag off Vande Bharat Express between Veraval and Ahmedabad & Express train between Valsad and Dahod stations.

Prime Minister will lay the foundation stone and inaugurate multiple development projects worth over Rs 53,400 crore at Bhuj. The projects from the power sector include transmission projects for evacuating renewable power generated in the Khavda Renewable Energy Park, transmission network expansion, Ultra super critical thermal power plant unit at Tapi, among others. It also includes projects of the Kandla port and multiple road, water and solar projects of the Government of Gujarat, among others.

Urban Development Year 2005 in Gujarat was a flagship initiative launched by the then Chief Minister Shri Narendra Modi with the aim of transforming Gujarat’s urban landscape through planned infrastructure, better governance, and improved quality of life for urban residents. Marking 20 years of the Urban Development Year 2005, Prime Minister will launch the Urban Development Year 2025, Gujarat’s urban development plan and State Clean Air Programme in Gandhinagar. He will also inaugurate and lay the foundation stone for multiple projects related to urban development, health and water supply. He will also dedicate more than 22,000 dwelling units under PMAY. He will also release funds of Rs 3,300 crore to urban local bodies in Gujarat under the Swarnim Jayanti Mukhyamantri Shaheri Vikas Yojana.