Nothing is greater than the country for BJP. But for Congress, it is family first: PM Modi in Morena
Congress did not allow the demands of army personnel like One Rank-One Pension to be fulfilled. We implemented OROP as soon as the govt was formed: PM
If Congress comes to power, it will snatch more than half of your earnings through inheritance tax: PM Modi
Congress is indulging in different games to get the chair anyhow by playing with the future of people: PM Modi in Morena

श्री रामजानकी की जय !

बाबा पटिया वाले की जय !

मैं वीरों की धरती को, मुरैना की मिट्टी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। मुरैना ने हमेशा उन्हीं का साथ दिया है, जिनके लिए राष्ट्र प्रथम है। आप सबका उत्साह देखकर मैं कह सकता हूं, कि मुरैना आज भी न अपने संकल्प से डिगा है, न डिगेगा। मुरैना ने मन बना लिया है- फिर एक बार... मोदी सरकार! फिर एक बार... मोदी सरकार!

साथियों,

एमपी के लोग जानते हैं कि समस्या से एक बार पीछा छूट जाए तो फिर उस समस्या से उससे दूर ही रहना चाहिए।काँग्रेस पार्टी ऐसी ही विकास-विरोधी एक बहुत बड़ी समस्या है। चंबल के लोग काँग्रेस का वो दौर कैसे भूल सकते हैं! काँग्रेस ने चंबल की पहचान खराब कानून व्यवस्था वाले क्षेत्र के तौर पर बना दी थी। उस दौर में कांग्रेस ने एमपी को देश के बीमारू राज्यों की लाइन में खड़ा कर दिया था।

भाइयों-बहनों,

भाजपा की सरकार ने कांग्रेस के बनाए गड्ढों को भरने के बाद एमपी और चंबल को नई पहचान दिलाई है। गौरवपूर्ण पहचान दिलाई है। भाजपा सरकार में चंबल-कालीसिंध-पार्वती लिंक परियोजना से सिंचाई की समस्या दूर होगी। पानी की समस्या को दूर करने के लिए हम मूंझरी बांध जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। ढ़ाई हजार करोड़ रुपए की लागत से ग्वालियर-श्योपुर रेलवे ट्रैक हो, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर के ऐसे अनेक काम इस क्षेत्र की तस्वीर बदल रहे हैं। यहां लेदर पार्क भी विकसित किया जा रहा है। हमारे साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की देखरेख में ‘ब्रांड ग्वालियर’ को भी मजबूत किया गया है। भाजपा सरकार में हुये विकास को भिंड, मुरैना, ग्वालियर के वो लोग और ज्यादा अनुभव कर रहे हैं, जिन्होंने काँग्रेस का वो काला दौर देखा है। 4 जून के बाद हमारे तेजतर्रार मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश का विकास और स्पीड पकड़ने जा रहा है।

साथियों,

भाजपा के लिए देश से बड़ा और कुछ नहीं है और कांग्रेस के लिए अपना परिवार ही सब कुछ है। काँग्रेस की पॉलिसी है- जो देश के लिए सबसे ज्यादा योगदान करे, सबसे ज्यादा मेहनत करे, सबसे ज्यादा समर्पण करे, उसे सबसे पीछे रखो। इसीलिए, काँग्रेस सरकार ने इतने वर्षों तक सेना के जवानों की वन रैंक, वन पेंशन जैसी मांग नहीं पूरी होने दी। हमने सरकार बनते ही OROP को लागू किया। हमने सीमा पर खड़े जवानों की सुविधा की भी चिंता की। काँग्रेस सरकार ने जवानों के जो हाथ बांध रखे थे, हमने उन्हें भी खुली छूट दी। हमने कहा अगर एक गोली आती है तो 10 गोली चलनी चाहिए, अगर एक गोला फेंकते हैं तो 10 तोपें चल जानी चाहिए।   

भाइयों बहनों,

आज हम देश में लाखो स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाओं की मदद कर रहे हैं। मोदी ने गांव-गांव में शौचालय बनवाकर माताओं-बहनों के सम्मान की रक्षा की है। अब अगले 5 वर्षों के लिए मोदी ने 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने की गारंटी दी है। 3 करोड़ महिलाएं जब लखपति दीदी बनती है तो उस परिवार की, उस गांव की सारी अर्थव्यवस्था तेज गति से दौड़ने लग जाती है। 

साथियों,

आप सब जानते हैं, आज़ादी के समय काँग्रेस ने धर्म के नाम पर देश का विभाजन स्वीकार किया था। मां भारती के हाथों की जंजीरें काटने के बजाय कांग्रेस ने मां भारती की भुजाएं ही काट दी थी। देश के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे, लेकिन कांग्रेस सुधरने को तैयार नहीं है। कांग्रेस को लगता है कि यही उसके फायदे का रास्ता है, यही उसके फायदे का सरल रास्ता है। आज एक बार फिर काँग्रेस कुर्सी के लिए छटपटा रही है, भांति-भांति के लिए खेल-खेल रही है। देश के कोटि-कोटि नागरिकों की आंखों में धूल झोंककर आपके भविष्य को बर्बाद करने पर तुली हुई है। ये लोग फिर से धार्मिक तुष्टीकरण को मोहरा बना रहे हैं।

साथियों,

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का राज है और उन्होंने क्या पाप किया है? आप हैरान हो जाओगे। मुझे बताइए कि आपके गांव में कोई आकर के कोई कह दे कि भाई इस गांव में सारे लोग अब ये नहीं, ये हो गए हैं। तो आपको मंजूर होगा क्या? कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में जितने भी मुस्लिम समाज के लोग है, उच्च वर्ग के होंगे, धनी होंगे, व्यापारी होंगे, उद्योगपति होंगे, न्यायमूर्ति होंगे, कोई भी होंगे, बस सिर्फ वो मुसलमान होना चाहिए। अगर वो मुसलमान है तो उन्होंने रातों-रात एक कागज निकालकर हस्ताक्षर कर के उन सबको ओबीसी घोषित कर दिया। अब ओबीसी घोषित कर दिया तो बहुत बड़ा तूफान हो गया। यानि वहां कांग्रेस ने शिक्षा और सरकारी नौकरी में पहले जिन ओबीसी वर्गों को आरक्षण मिलता था। उस ओबीसी समाज में इतने सारे नए डाल दिए कि ओबीसी समाज को जो आरक्षण मिलता था, वो उनसे छीन लिया, चोरी-छीपे से छीन लिया। जिन मुसलमानों को नया ओबीसी बना दिया था, गैरकानूनी तरीके से बना दिया था। संविधान के विपरीत बना दिया था। बाबासाहेब अम्बेडकर की भावना के विरुद्ध बना दिया था। उस मुस्लिम समाज को, ओबीसी को जो मिलता था वो लूटकर के उनको दे दिया। आप सबको मालूम है कि जब देश का संविधान बना तो महीनों तक माथापच्ची हुई, चर्चाएं हुईं, देश के गणमान्य लोगों ने इस पर चर्चा की। बाबासाहेब अम्बेडकर ने इन चर्चाओं के आधार पर संविधान को लिखा। और सबने सोच-समझकर तय किया कि देश की एकता और अखंडता के लिए देश का संविधान किसी भी सूरत में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देगा। बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। और इसलिए कांग्रेस ने ये धोखेबाज़ी की, पिछले दरवाजे से किया। खुद बाबासाहेब अम्बेडकर की पीठ में छुरा भोंक दिया। लेकिन वोट बैंक और तुष्टिकरण में डूबी कांग्रेस कर्नाटक का यही मॉडल पूरे देश में लागू करना चाहती है।

साथियों, 

कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हक छीनने का षडयंत्र लंबे समय से कर रही है। 19 दिसंबर 2011 को, तबकी काँग्रेस की केंद्र सरकार धर्म के नाम पर आरक्षण देने का कैबिनेट नोट लेकर आई थी। इस कैबिनेट नोट में ये कहा गया था कि OBC समाज को जो 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, मंडल कमीशन के अनुसार जो आरक्षण मिलता है। 27 परसेंट में से एक हिस्सा काटकर मजहब के नाम पर दिया जाएगा। सिर्फ दो दिन बाद, 22 दिसम्बर 2011 को इसका आदेश भी निकाल दिया गया। बाद में आंध्र प्रदेश के हाइकोर्ट ने काँग्रेस सरकार के इस आदेश को रद्द कर दिया। ये सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन राहत नहीं मिली। तब 2014 में कांग्रेस ने घोषणापत्र में लिखा कि धर्म के आधार पर आरक्षण देने के लिए कानून भी बनाना पड़े तो बनाएंगे। 2014 में ओबीसी और दलित समाज जग गया, आदिवासी समाज जग गया , तो उन्होंने तय किया कि अगर ये तो यह करेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियां बर्बाद हो जाएंगी। हमारे सपने चूर चूर हो जाएंगे। उसके बाद इन समाजों ने एक होकर के कांग्रेस के सपनों को मिट्टी में मिला दिया, सत्ता से बाहर कर दिया, फिर भी सुधरने को तैयार नहीं हैं। अब वो अधुरा काम पूरा करने के लिए फिर से नई चाल चलने लगे हैं। कांग्रेस की चली तो यहां MP में जो हमारे कुशवाहा, गुर्जर, यादव, गड़रिया, धाकड़ प्रजापति समाज को जो आरक्षण मिलता है, यहां हमारे कुम्हार, तेली, मांझी, नाई, सुनार समाज को जो आरक्षण मिलता है, काँग्रेस इन सभी OBC जातियों से उनका हिस्सा छीनकर अपने चहेते वोट बैंक को मजबूत करने के लिए उनके चरणों में देने का मन बना कर बैठी है। आप मुरैना के लोग मुझे बताइए, आप ऐसा पाप होने देंगे। पूरी ताकत से बताइए, उनको डर लगे ऐसा करिए। क्या ऐसा होने देंगे क्या? औबीसी का हक छीनने वालों को पूरी तरह से साफ कर देंगे चुन- चुन कर साफ कर देंगे। हर पोलिंग बूथ में साफ कर देंगें।  

साथियों,

भाजपा, सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर चलने वाली पार्टी है। भाजपा सरकार अगर जरुतमंदों को कोविंड के समय अगर राशन की जरूरत है तो कोई भेदभाव नहीं। ना जाती का भंदभाव, ना धर्म का भेदभाव, जरूरतमंद 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिलता रहा है, क्या आपने कभी शिकायत सुनी है। क्या आपने सुना है कि हमारे गांव में वो मुसलमान भाई है. उसको मिलता नहीं है, सुना है!  

भाइयों-बहनों

भाजपा सरकार ने 4 करोड़ गरीबों को पक्के मकान दिये हैं। ये घर बिना भेदभाव, हर धर्म के लोगों को मिले हैं। क्या किसी गांव में शिकायत सुनी है क्या कि धर्म के आधार पर मकान नहीं मिला ऐसा सुना है क्या। यहां भाजपा सरकार है कि नहीं है, दिल्ली में भाजपा सरकार है कि नहीं है, कोई भेदभाव की खबर सुनी है क्या। भाजपा सरकार ने 11 करोड़ घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंचाया है। कोई जातिवाद नहीं होने दिया, कोई धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं होने दिया। क्योंकि सबका साथ सबका विकास ये हमारा मंत्र है। हर धर्म को हर समाज को ये लाभ समान रूप से मिलना चाहिए। समान रूप से मिलना चाहिए कि नहीं मिलाना चाहिए, अगर सबको समान रूप से मिलता है तो आपकी कोई शिकायत होती है क्या। लेकिन, अगर काँग्रेस आती तो ये सारी सुविधाएं दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और सामान्य वर्ग के गरीबों को नहीं मिलतीं। कांग्रेस की चले तो वो गरीब कल्याण की योजनाओं का लाभ भी धर्म के आधार पर देती। क्योंकि कांग्रेस तो डंके की चोट पर यही कहती है कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। मोदी कहता है कि देश के संसाधनों पर पहला हक इस देश के गरीबों का है, पिछड़ों का है, इस देश के आदिवासियों का है। 

साथियों,

काँग्रेस, एक के बाद एक ऐसी घोषणाएं कर रही है, जो देश को भी कमजोर करेगी और आपके परिवार को भी कमजोर करेगी। आपने सुना होगा, इन दिनों कांग्रेस के शहजादे आजकल वो जरा चिंतित हैं। आए दिन उनको मोदी के अपमान में मजा आता है। मोदी के लिए भला-बुरा कहना उनको मजा आ रहा है, कुछ भी बोलते जा रहे हैं, और मैं देख रहा हूं, सोशल मीडिया टीवी पर कई लोग चिंता जताते हैं कि ये भाषा अच्छी नहीं है , ऐसी भाषा देश के प्रधानमंत्री के लिए बोलना ठीक नहीं है। ऐसा लोग सोशल मीडिया में कहते हैं, कुछ लोग बहुत दुखी हो जाते हैं कि मोदी जी को ऐसा क्यों बोला। देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी भाषा का प्रयोग क्यों किया, देश के प्रधानमंत्री को कोई ऐसा बोलता है क्या। मेरी सबसे विनती है की कृपा करके आप दुखी मत होईए, गुस्सा मत कीजिए। आपको पता है वे नामदार हैं, हम तो कामदार हैं। नामदार तो कामदार को सदियों से ऐसे गाली-गलौज करते हुए आए हुए हैं। ऐसे ठोकर मारते हुए आए हुए हैं। भाई मैं तो आपमें से आता हूं। गरीबी से निकला हूं। 5-50 गालियां पड़ जाएंगी तो पड़ जाएंगी। आप गुस्सा मत होईए, मैं सबको कहता हूं कि आप लोग नाराजगी मत व्यक्त कीजिए। वे इतने निराश हैं कि आगे-आगे अभी बहुत कुछ बोलेंगे आप आपना समय खराब मत कीजिए। सोशल मीडिया और टीवी पर बहुत लोग नाराजगी से बहुत कुछ कहते रहते हैं। उनसे मेरी करबद्ध प्रार्थना की है कि इन नामदारों को कुछ मत कहो, हम कामदार सहन करने के लिए पैदा हुए हैं। हम सहन भी करेंगे और मां भारती की सेवा भी करेंगे, हम जरा भी पीछे नहीं हटेंगे दोस्तों जरा भी रूकेंगे नहीं। ये मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं। इस शाही परिवार के शहजादे पूरे देश में बढ़ चढ़के कह रहे हैं कि आप की संपत्ति का एक्स रे होगा, एक्स रे। और आपकी अलमारी में क्या पड़ा है। किसी माता बहन ने कुछ बचत अनाज के डिब्बे में दबा करके रखी है। एक्स रे करके खोजा जाएगा। लॉकर में क्या पड़ा है, एक्स रे करके खोजा जाएगा।  आप जो कमाई करते हैं, हमारी माताओं बहनों के पास जो स्त्री धन होता है। जो बहुत पवित्र होता है, कोई हाथ नहीं लगाता है। कोई उसको छूता नहीं है। मंगलसूत्र हो, छोटा मोटा गहना हो, इसे पवित्र माना जाता है। कांग्रेस उसे जब्त करके अपनी वोट बैंक मजबूत करने के लिए उस बांटने की सार्वजनिक घोषणा कर रही हैमेनिफेस्टो में बता रही है। और मैंने तो पहले दिन ही कहा था कि इनका मेनिफेस्टो पूरी तरह मुस्लिम लीग की सोच का ही प्रतिबिम्ब है।   

साथियों,

ये एक्स रे करके आपको लूटने की योजना बना रहे हैं। क्या आप उनको अपनी संपत्ति छीनने का अधिकार देंगे क्या। इनको चुनाव में जीतने देंगे क्या। इतना ही नहीं ये इससे भी संतुष्ट नहीं है। वो जीते जी तो छोड़िए, स्वर्गवास के बाद भी ,मृत्यु के बाद भी आपकी जो बची हुई संपत्ति है, जो स्वाभाविक रूप से आपके बेटे-बेटी को मिलनी चाहिए। वो भी आप नहीं दे पाओगे। आप कितनी ही मेहनत करके इकट्ठा किया होगा। कांग्रेस वाले कहते हैं कि उनकी सरकार आएगी तो वो भी डिब्बे में से गुल कर दिया जाएगा। ऑफिसियली कहते हैं आपकी कमाई का आधे से ज्यादा काँग्रेस अगर सरकार में आती है, तो ये सरकार छीन लेगी। इसके लिए कांग्रेस आप पर इनहेरिटेंस टैक्स-आपकी विरासत पर टैक्स लगाना चाहती है।

भाइयों बहनों,

ये इनहेरिटेंस टैक्स से जुड़े जो तथ्य अब निकलकर सामने आ रहे हैं, वो देश की आंखे खोलने वाले हैं। जरा ध्यान से सुना जाए, आप भी ध्यान से सुन लें, देश के दिग्गज पत्रकार भी सुन लें , मीडिया वाले भी सुन लें। और उनकी इको सिस्टम है ना, जो हर रोज मोदी की बाल की खाल उतारने में लगी ही है। वो भी सुन ले जरा कान खोल कर देश के साथ कैसा कैसा पाप हुआ है। एक और दिलचस्प तथ्य मैं देश को बताना चाहता हूं। जब देश की एक प्रधानमंत्री बहन इंदिरा जी नहीं रहीं, तो उनकी प्रॉपर्टी थी, वो उनकी संतानों को मिलनी थी। लेकिन पहले ऐसा ऐसा कानून था कि उनको मिलने से पहले एक हिस्सा सरकार ले लेती। कांग्रेस ने पहले ऐसा कानून बनाया था। तब चर्चा थी और व्यापक रूप से चर्चा थी कि जब इंदिरा जी नहीं रहीं और उनके बेटे राजीव गांधी जी को ये प्रॉपर्टी मिलने की थी, लिख करके गई थी, तो सरकार का पैसा चला ना जाए, प्रॉपर्टी को बचाना था। तो इन्होंने उस प्रॉप्रर्टी को बचाने के लिए उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पहले जो इनहेरिटेंस कानून था उसको समाप्त किया और खुद के पैसे बचा लिए। अपने पर बात आई तो कानून हटा दिया। और अब वहां मामला निपट गया तो आज फिर सत्ता पाने के लालच में ये लोग वही कानून ज्यादा कड़ाई से वापस लाना चाहते हैं। बिना टैक्स के अपने परिवार की 4-4 पीढ़ियों की अकूत धन-दौलत हासिल करने के बाद अब ये लोग आप जैसे सामान्य मानवी की विरासत, आपकी मेहनत की कमाई उस पर टैक्स लगा करके आधी संपत्ति लूटना चाहते हैं। इसलिए ही तो देश कह रहा है-कांग्रेस की लूट- जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी।

साथियों,

आपके साथ खिलवाड़ करने के उनके जो इरादे हैं। और काँग्रेस के इन खतरनाक इरादों के बीच आपके हकों की रक्षा के लिए मोदी दीवार बनकर खड़ा है। ये गाली गलौच इसलिए हो रहा है कि मोदी 56 इंच का सीना तान करके खड़ा हो गया है। इनके मंसूबे सफल नहीं होंगे- ये मोदी की गारंटी है।

लेकिन इसमें आपकी भी बड़ी भूमिका है। मुरैना से संगठन में जिन्होंने हमारे साथ वर्षों काम किया। जब मैं संगठन महासचिव होता था तो हमारे शिवमंगल जी यहां महासचिव हुआ करते थे। मुरैना से हमारे शिवमंगल सिंह जी तोमर, भिंड से हमारी बहन संध्या राय जी, और ग्वालियर से भरत सिंह कुशवाहा जी, 7 मई को इनको जितनी ज्यादा संख्या में वोट मिलेंगे, मोदी उतना ही मजबूत होगा। आपका एक-एक वोट मोदी को जाएगा। कमल पर आप बटन दबाएंगे आपका वोट सीधा-सीधा मोदी को जाएगा और इसलिए मोदी आपसे आशीर्वाद मांगने आया है, मोदी आपसे कमल के निशान पर बटन दबाने की प्रार्थना करने के लिए आया है। इसलिए आप घर घर जाएंगे। मतदान करवाएंगे। हमारे साथियों को जिताएंगे। पोलिंग बूथ जीतेंगे , पक्का करेंगे। अच्छा मेरा एक काम करोगे, मेरा आपसे अनुरोध है कि मोदी जी आए थे और मोदी जी ने आपको प्रणाम कहा है, मेरा प्रणाम पहुंचा दोगे। 

बोलिए 

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

 

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Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM Modi
November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!