Unity in diversity is our pride, our identity: Prime Minister Modi

Published By : Admin | October 31, 2019 | 10:39 IST
Unity in diversity is our pride, our identity: Prime Minister Modi
Today on the birth anniversary of Sardar Patel, I dedicate the decision to abrogate Article 370 from Jammu and Kashmir, to him: PM Modi
Now there will be a political stability in Jammu and Kashmir: PM Modi

मैं कहूंगा सरदार पटेल – आप सब दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलेंगे- अमर रहे, अमर रहे।

सरदार पटेल – अमर रहे, अमर रहे।

सरदार पटेल – अमर रहे, अमर रहे।

सरदार पटेल – अमर रहे, अमर रहे।

साथियो, हम लोगों ने सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के विचार अभी-अभी सुने। उनकी आवाज हमारे कानों में गूंजना, उनके विचारों की वर्तमान में महत्‍ता, प्रतिपल देश की एकता और अखण्‍डता के लिए सोचना- ये आज उनके एक-एक शब्‍द में, उनकी वाणी में हम अनुभव कर रहे थे। उनकी वाणी में जो शक्ति थी, उनके विचारों में जो प्रेरणा थी उसे हर हिन्‍दुस्‍तानी महसूस कर सकता है और ये भी बहुत विशेष है कि हम सरदार साहब की आवाज उन्‍हीं की सबसे ऊंची प्रतिमा के सानिध्‍य में सुन रहे थे।

साथियो, जिस तरह किसी श्रद्धा स्‍थल पर आकर एक असीम शांति मिलती है, एक नई ऊर्जा मिलती है, वैसी ही अनुभूति मुझे यहां सरदार साहब के पास आ करके होती है। लगता है जैसे उनकी प्रतिमा का भी अपना एक व्‍यक्तित्‍व है, सामर्थ्‍य है, संदेश है; उतनी ही विशाल, उतनी ही दूरदर्शी और उतनी ही पवित्र देश के अलग-अलग कोने से, किसानों से मिले लोहे से, अलग-अलग हिस्‍सों की मिट्टी से इस भव्‍य प्रतिमा का निर्माण हुआ है, उसका आधार बना है और इसलिए ये प्रतिमा हमारी विविधता में एकता का भी जीवंत प्रतीक है, जीता-जागता संदेश है।

साथियो, आज से ठीक एक साल पहले दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को देश को समर्पित किया गया था। आज ये प्रतिमा सिर्फ भारत वासियों को ही नहीं, पूरे विश्‍व को आकर्षित कर रही है, प्रेरित कर ही है। आज इस प्रेरणा स्‍थली से सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए संपूर्ण राष्‍ट्र गौरव का अनुभव कर रहा है।

अब से कुछ देर पहले ही राष्‍ट्रीय एकता का संदेश दोहराने के लिए, एकता के मंत्र को जीने के लिए, एकता के भाव को चरितार्थ करने के लिए, एकता- ये हमारे संस्‍कार हैं, ये हमारी संस्‍कार सरिता है, एकता- ये हमारे भावी सपनों का सबसे बड़ा संबल है और उसी को ध्‍यान में रखते हुए Run For Unity – राष्‍ट्रीय एकता दौड़ हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में सम्‍पन्‍न हुई। देश के अलग-अलग शहरों में, गांवों में, अलग-अलग क्षेत्रों में, देश के नागरिकों ने; अबाल-वृद्ध सबने, स्‍त्री-पुरुष हर किसी ने बढ़-चढ़ करके इसमें हिस्‍सा लिया है। यहां भी आज राष्‍ट्रीय एकता परेड का भी आयोजन किया गया है। इन भव्‍य आयोजनों में हिस्‍सा लेने के लिए मैं हर देशवासी का अभिनंदन करता हूं।

साथियो, पूरी दुनिया में अलग-अलग देश, अलग-अलग पंथ, अलग-अलग विचारधाराएं, भिन्‍न-भिन्‍न भाषा, भांति-भां‍ति के रंग-रूप; दुनिया में हरेक देश के बनने में लोग जुड़ते चले गए-कारवां बनता चला गया। लेकिन हम ये कभी न भूलें- हम कभी-कभी देख पाते हैं कि एकरूपता उन देशों की विशेषता रही है, पहचान रही है और उसको ढालने का बहुत योजनाबद्ध तरीके से प्रयास भी किया है। अच्‍छा हो, बुरा हो, सही हो, गलत हो- इतिहास अपना मूल्‍यांकन करता रहता है लेकिन भरसक कोशिश करनी पड़ी है।

लेकिन भारत की पहचान अलग है। भारत की विशेषता है भारत की विविधता में एकता। हम विविधताओं से भरे हुए हैं। विविधता में एकता हमारा गर्व है, हमारा गौरव है, हमारी गरिमा है, हमारी पहचान है। हमारे यहां विविधता को diversity को celebrate किया जाता है। हमें विविधता में कभी भी, सदियों से विविधता में विरोधाभास कभी नहीं दिखता, लेकिन हमें विविधता के अंतर्निहित एकता का सामर्थ्‍य दिखता है।

विविधता का celebration, विविधता का उत्‍सव उसके अंदर छिपी हुई एकता का स्‍पर्श कराता है, उसे उभार करके बाहर लाता है, जीने की प्रेरणा देता है, जुड़ने का जज्‍बा देता है, मंजिल के साथ अपने-अपने मकसद जुड़ते चले जाते हैं और मंजिलें पार भी हो जाती हैं।

जब हम देश की अलग-अलग भाषाओं और सैंकड़ों बोलियों पर गर्व करते हैं तो बोलियां भिन्‍न होने के बावजूद भी भाव का बंधन बंध जाता है; जब हम अपने भिन्‍न-भिन्‍न खानपान, वेशभूषाओं को अपनी समृद्ध विरासत समझते हैं तो अपनेपन की मिठास उसमें आ ही जाती है; जब हम अलग-अलग क्षेत्रों के त्‍योहारों में शामिल होते हैं तो उनकी खुशी और बढ़ जाती है और नए रंग भर जाते हैं, और नई महक आने लगती है।

जब हम अलग-अलग राज्‍यों की परम्‍पराओं को, विशेषताओं को, संस्‍कृतियों को, उनकी विविधताओं का आनंद लेते हैं तो भारतीय का गौरव, भारतीयता का भाव चारों दिशाओं में फलता है, फूलता है, खिलता है, गौरव बहुत बढ़ जाता है। जब हम विभिन्‍न पंथ, संप्रदायों, उनकी परम्‍पराओं, आस्‍थाओं का समान रूप से सम्‍मान करते हैं तब सद्भाव, स्‍नेहभाव, उसमें भी अनेक गुना वृद्धि हो जाती है और इसलिए हमें हल पल विविधिता के हर अवसर को celebrate करना है, उत्‍सव के रूप में उसको मनाना है, जी-जान से जुड़ना है और यही तो एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत, यही तो Nation Building है।

साथियो, ये वो ताकत है जो पूरी दुनिया में किसी और देश के भाग्‍य में नहीं मिलेगी। यहां दक्षिण से निकले आदिशंकराचार्य उत्‍तर में जा करके हिमालय की गोद में पहुंच करके मठों की स्‍थापना करते हैं, यहां बंगाल से निकले स्‍वामी विवेकानंद को देश के दक्षिणी छोर, कन्‍याकुमारी में नया ज्ञान प्राप्‍त होता है, यहां पटना में अवतरित हुए जन्‍म धारण किए हुए गुरू गोविंद सिंह जी पंजाब में जाकर देश की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्‍थापना करते हैं, यहां रामेश्‍वरम में पैदा हुए एपीजे अब्‍दुल कलाम दिल्‍ली में देश के सर्वोच्‍च पद पर आसीन होते हैं, गुजरात के पोरबंदर की धरती पर पैदा हुआ मोहनदास करमचंद गांधी चंपारण में, बिहार में जा करके देश को जगाने का बीड़ा उठाता था और इसलिए मैं मानता हूं कि अपनी एकता की इस ताकत का पर्व निरंतर मनाना बहुत आवश्‍यक है।

एकता की ये ताकत ही है जिससे भारतीयता का प्रवाह है, गति है; एकता की ये ताकत ही है जो सच्‍चे अर्थ में डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडकर द्वारा लिखित हमारे संविधान की प्रेरणा भी है। We the people of India- हम भारत के लोग ये तीन-चार शब्‍द नहीं हैं, सिर्फ हमारे संविधान की शुरूआत नहीं हैं, ये हजारों वर्षों से चली आ रही भारतीयों की एकता के भाव को शब्‍दों में सजाया हुआ हमारा चिर-पुरातन सांस्‍कृतिक इतिहास है, परम्‍परा है, विश्‍वास है, प्रतिबिंब है।

साथियो, मैं आपको खेल की दुनिया से एक उदाहरण देता हूं। हम जानते हैं जब गांव के अंदर खेल की शुरूआत होती है, प्रतियोगिता होती है तो उसी गांव की दोनों टीम जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देते हैं। एक हारता है, एक जीतता है- जीतने वाला तहसील में चला जाता है। जब तहसील के अंदर खेल खेला जाता है तो हारने वाली टीम समेत उस गांव के लोग भी और तहसील के लोग भी अपनी टीम जीत जाए, इसके लिए एकता के साथ खड़े हो जाते हैं। लेकिन जब दूसरे तहसील हार जाते हैं, लेकिन जब टीम जिले में जाती है मुकाबला करने के लिए तो फिर हारने वाला भी जिले की जीत के लिए जुड़ जाता है और पूरा जिला एक बन करके जीतने के लिए आगे आता है और जब राज्‍य के अंदर जिलों की स्‍पर्धा होती है तो जिला आगे बढ़ता है; जब देश के अंदर राज्‍यों की प्रतियोगिता होती है तो राज्‍य की विजय के लिए सब एक हो जाते हैं। जय-पराजय मायना नहीं रखता है।

एकता का भाव और जब अंतरराष्‍ट्रीय जगत में खेलने के लिए जाते हैं तो हर कोई भूल जाता है वो टीम कहां की थी, खिलाड़ी कहां का था, भाषा उसकी कौन सी थी, उसने मुझे हराया था कि नहीं हराया था; सब भूल जाते हैं और जब हिन्‍दुस्‍तान के तिरंगे को अपने कंधे पर ले करके जब वो विजय की दौड़ लगाता है तो पूरा हिन्‍दुस्‍तान दौड़ पड़ता है, एक साथ भारत मां का जयकारा निकल पड़ता है; यही तो एकता की ताकत है जिसका हम अनुभव करते हैं।

जब विदेशी धरती पर मैडल जीतने के बाद तिरंगा लहराता है तो कश्‍मीर से ले करके कन्‍याकुमारी तक, महाराष्‍ट्र से ले करके मणिपुर तक एक साथ हर हिन्‍दुस्‍तानी रोमांचित हो उठता है, हर किसी की भावनाएं उफान पर आ जाती हैं।

साथियो, जब सरदार वल्‍लभ भाई पटेल 500 से ज्‍यादा रियासतों के एकीकरण के भगीरथ कार्य के लिए निकले थे तो यही वो चुंबकीय शक्ति थी जिसमें ज्‍यादातर राजे-रजवाड़े उसी भाव विश्‍व के अंदर खिंचे चले आए थे। उस समय हर रजवाड़े और वहां के लोगों में कहीं न कहीं भारतीयता की भावना भरी पड़ी थी। सैंकड़ों वर्षों की गुलामी के कालखंड में राजे-राजवाड़ें में भारतीयता का ये भाव प्रकट होने का अवसर मिला हो या न मिला हो, कभी वो प्रकट कर पाए हों या न कर पाए हों, लेकिन भारतीयता का ये भाव सदियों की गुलामी के बावजूद भी, भांति-भांति के संकटों के बावजूद भी, भांति-भांति प्रकार के लोभ, उसके बावजूद भी भारतीयता की वो भावना हिन्‍दुस्‍तान के किसी कोने में कभी भी लुप्‍त नहीं हुआ था और इसलिए सरदार पटेल जब एकता का मंत्र लेकर निकले तो सभी उसकी छत्रछाया में खड़े हो गए।

और भाइयो और बहनों, हमें ये हमेशा याद रखना होगा कि शताब्दियों पहले तमाम रियासतों को साथ लेकर, राजे-रजवाड़ों को साथ ले करके, अलग-अलग परम्‍पराएं, विविधताओं को साथ लेकर, एक भारत का सपना लेकर राष्‍ट्र के पुनरुद्धार का सफल प्रयास करने वाला हमारे इतिहास में एक और नाम था- और वो एक नाम था चाणक्‍य का। चाणक्‍य ने सदियों पहले, अपने कालखंड में देश की शक्ति को एकजुट करने का प्रयास किया था। चाणक्‍य के बाद, सदियों के बाद अगर ये काम कोई कर पाया तो वो हमारे सरदार वल्‍लभ भाई पटेल कर पाए। वरना अंग्रेज तो चाहते थे कि आजादी के साथ ही हमारा भारत छिन्‍न-भिन्‍न हो जाए। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी इच्‍छा-शक्ति से देश को एकसूत्र में पिरोकर देश विरोधी सारी ताकतों को परास्‍त कर दिया।

भाइयो और बहनों, आज विश्‍व मंच और विश्‍व मंच पर हमारा प्रभाव और सद्भाव, दोनों बढ़ रहे है तो उसका कारण हमारी एकता है। विविधता में एकता- ये हमारी पहचान है। आज पूरी दुनिया भारत की बात गंभीरता से सुनती है तो उसका कारण कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी, अटक से कटक- एक राष्‍ट्र, श्रेष्‍ठ राष्‍ट्र, महान संस्‍कृति, महान परम्‍परा- यही तो हमारी शक्ति है और यही एक हमारा कारण है।

आज भारत दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों में अपनी जगह बना रहा है, अपने हक का स्‍थान प्राप्‍त कर रहा है। कारण अर्थ जगत का होगा, मामला रुपये, डॉलर और पौंड का होगा, लेकिन उसके पीछे की सही ताकत देश की एकता है, देशवासियों के संकल्‍प है, देशवासियों का पुरुषार्थ है, देशवासियों को संकल्‍प को सिद्ध करने के लिए अथाह, अथंक पुरुषार्थ और परिश्रम है। ााभार दुनिया को हमारी ये विविधता अजूबा लगती है, जादूगिरी लगती है, लेकिन हम भारतीयों के लिए ये तो हमारी अंतर्प्रवाहित जीवनधारा है। ये वो जीवनधारा है जो आदिकाल से अनवरत हमारी संस्‍कार सरिता बन करके हमारे मन-मंदिर से प्रवाहित होती रहती है, पुलकित करती रहती है, समयानुकूल उसमें नई-नई चीजें जोड़ती चली जाती है, जिस जीवनधारा पर सरदार पटेल का अटूट और अखंड विश्‍वास था।

सा‍थियो, 21वीं सदी में भारत की यही एकता, भारतीयों की यही एकता, भारत के विरोधियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। मैं आज राष्‍ट्रीय एकता दिवस पर प्रत्‍येक देशवासी को देश के समक्ष मौजूद ये चुनौती याद दिला रहा हूं। कई आए, कई चले गए; बड़े-बड़े सपने, बड़े-बड़े मकसद ले करके आए थे और फिर भी बात तो यही निकली- कुछ बात है कि हस्‍ती मिटती नहीं हमारी।

भाइयो और बहनों, जो हमने युद्ध नहीं जीत सकते वो हमारी इसी एकता को चुनौती दे रहे हैं, हमारी एकता के बीच छेद करने की कोशिशें कर रहे हैं, अलगाव को उभारने का प्रयास करते हैं, हमारी एकता के भाव को चुनौती दे रहे हैं। सदियों से संजोई हुई हमारे भीतर सामर्थ्‍य बन करके जीवित रही एकता को ललकारा जा रहा है लेकिन वो भूल जाते हैं कि सदियों की ऐसी ही कोशिशों के बावजूद हमें कोई मिटा नहीं सका, हमारी एकता को कोई परास्‍त नहीं कर सका।

और इसलिए साथियो, जब हमारी विविधताओं के बीच एकता पर बल देने वाली जो भी बातें होती हैं वो इन ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने का सामर्थ्‍य रखती हैं और उन्‍हें जवाब मिलता भी है। जब हमारी विविधताओं के बीच हम एकता के मार्ग पर चलते हैं तो इन ताकतों को चकनाचूर कर देते हैं और इसलिए हम 130 करोड़ भारतीयों को एकजुट रहकर ही इनका मुकाबला करना है और यही सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को सच्‍ची श्रद्धांजलि है। हमें इसके हर इम्‍तहान में सफल होना है।

भाइयो और बहनों, सरदार साहब के आशीर्वाद से इन ताकतों को परास्‍त करने का एक बहुत बड़ा फैसला देश ने कुछ हफ्ते पहले ही लिया है। साथियो, Article-370 अनुच्‍छेद-370 ने जम्‍मू-कश्‍मीर को अलगाववाद और आतंकवाद के सिवाय कुछ नहीं दिया। पूरे देश में जम्‍मू-कश्‍मीर ही एकमात्र स्‍थान था जहां Article-370 था, और पूरे देश में जम्‍मू-कश्‍मीर ही एकमात्र स्‍थान था जहां तीन दशकों में आतंकवाद ने करीब-करीब 40 हजार लोगों से भी ज्‍यादा लोगों की जान ले ली, मौत के घाट उतार दिया। अनेक माताएं अपने बेटों को खो चुकी हैं, अनेक बहनें अपने भाइयों को खो चुकी हैं, अनेक बच्‍चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं।

साथियो, कब तक? कब तक देश निर्दोषों की मौत को देखता रहेगा? साथियो, दशकों तक हम भारतीयों के बीच इस Article-370 ने एक अस्‍थाई दीवार बना रखी थी। हमारे जो भाई-बहन इस अस्‍थाई दीवार के उस पार थे, वो भी असमंजस में रहते थे। जो दीवार कश्‍मीर में अलगाववाद और आतंकवाद बढ़ा रही थी, आज सरदार साहेब के इस भव्‍य प्रतिमा के सामने खड़ा हूं तो सिर झुका करके पूरी नम्रता के साथ सरदार साहेब को मैं हिसाब दे रहा हूं। ये सरदार साहेब- आपका जो सपना अधूरा था- अब वो दीवार गिरा दी गई है।

भाइयो और बहनों, कभी सरदार पटेल ने कहा था कि अगर कश्‍मीर का मसला उनके पास रहा होता तो उसे सुलझने में इतनी देर नहीं होती। वो देश को आगाह करके गए थे कि जम्‍मू-कश्‍मीर का भारत में पूरी तरह एकीकरण ही एकमात्र उपाय है। आज उनकी जन्‍म-जयंती पर मैं Article-370 को हटाने का फैसला आज इस भव्‍य प्रतिमा के सामने खड़े रह करके, जहां पर भी सरदार साहब की आत्‍मा होगी, भारत की संसद में भारी बहुमत से, एकता के साथ 5 अगस्‍त को जो महान निर्णय किया है, उस महान निर्णय को मैं सरदार साहब को समर्पित करता हूं। ये हम सभी लोगों का सौभाग्‍य है कि हमें सरदार साहब के अधूरे सपने को पूरा करने का अवसर मिला है। हमें इस बात की भी खुशी है कि आज से ही जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख एक नए भविष्‍य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं और ये भी सोने में सुहागा है कि एकता के पुजारी सरदार साहब की जन्‍म-जयंती पर ही लद्दाख, जम्‍मू और कश्‍मीर अपने उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की ओर मजबूत कदम उठा रहे हैं।

हाल ही में मेरे भाइयो -हनों, अभी पिछले हफ्ते वहां पर Block development council के चुनाव में...और आप जान करके हैरान होंगे आजादी के बाद इतने सालों तक लोकतंत्र की बातें बहुत हुईं लेकिन जम्‍मू-कश्‍मीर के नागरिकों को लोकतंत्र का वो अधिकार नहीं मिल पाया। धारा-370 को बहाना बनाया गया, बीडीसी के चुनाव नहीं हुए कभी। पहली बार, आजादी के बाद पहली बार बीडीसी के चुनाव हुए और मतदाता पंच-सरपंच होते हैं। अभी पिछले हफ्ते चुनाव हुआ, 98 पर्सेंट पंच-सरपंचों ने वोट डाला। ये भागीदारी अपने-आप में एकता का संदेश है, सरदार साहब का पुण्‍य स्‍मरण है।

अब जम्‍मू-कश्‍मीर में एक राजनीतिक स्थिरता आएगी, अब निजी स्‍वार्थ के लिए सरकारें बनाने और गिराने का खेल बंद होगा, अब क्षेत्र के आधार पर भेदभाव के शिकवे और शिकायतें खत्‍म हो जाएंगी, अब Co-operative Federalism की असली भागीदारी- विकास यात्रा के लिए कदम से कदम मिला करके चलने का युग का आरंभ होगा। नए हाइवे, नई रेलवे लाइनें, नए स्‍कूल, नए कॉलेज, नए अस्‍पताल, जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख के लोगों को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।

साथियों, अगस्‍त के महीने में राष्‍ट्र के नाम संबोधन में मैंने जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों से एक और वादा किया था। मैंने कहा था कि राज्‍य के कर्मचारियों को, जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस को दूसरे केंद्रशासित प्रदेशों के कर्मचारियों के बराबर, union territories के employees के बराबर सुविधाएं मिलेंगी। मुझे खुशी है कि आज से जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख के सभी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग द्वारा स्‍वीकृत भत्‍तों का भी लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।

साथियों, जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख में नई व्‍यवस्‍थाएं जमीन पर लकीर खींचने के लिए नहीं हैं, ये मैं बहुत जिम्‍मेदारी के साथ कह रहा हूं। ये हमारा निर्णय जमीन पर लकीरें खींचने के लिए नहीं है बल्कि विश्‍वास की एक मजबूत कड़ी बनाने के लिए किया गया सार्थक प्रारंभ है। यही विश्‍वास है, जिसकी कामना सरदार वल्‍लभ भाई पटेल ने भी जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख के लिए की थी, सपना देखा था। और मैं फिर दोहराऊंगा- देश की एकता, देश की एकता पर होने वाले हर हमले को हम परास्‍त करेंगे, मुंह तोड़ जवाब देंगे। देश की एकता को तोड़ने के किसी भी प्रयास को- लोकतांत्रिक ताकत इतनी बड़ी होती है, जनभावना इतनी मजबूत होती है कि वे कभी भी टिक नहीं पाएगी।

साथियों, सरदार साहेब की प्रेरणा से ही हम संपूर्ण भारत के emotional, economic और constitutional integration पर बल देने की परम्‍परा को आगे बढ़ा रहे हैं। ये वो प्रयास है जिसके बगैर 21वीं सदी के विश्‍व में भारत की मजबूती की कल्‍पना हम नहीं कर सकते।

भाइयों और बहनों, याद करिए एक समय था जब नॉर्थ-ईस्‍ट और शेष भारत के बीच की अविश्‍वास की खाई इतनी गहरी होती जा रही थी। वहां की physical connectivity और emotional connectivity, दोनों को लेकर गंभीर सवाल बार-बार खड़े होते थे। लेकिन अब स्थितियां बदल रही हैं। आज नॉर्थ-ईस्‍ट का अलगाव- लगाव में बदल रहा है। दशकों पुरानी समस्‍याएं अब समाधान की तरफ बढ़ रही हैं। हिंसा और blocked के एक लंबे दौर से पूरे नॉर्थ-ईस्‍ट को मुक्ति मिल रही है और ये भी डंडे के जोर पर नहीं, उनके साथ भावनात्‍मक नाता जोड़कर। देश में integration के अन्‍य प्रयास भी- ये हमारी अविरत प्रक्रिया है, निरंतर जिम्‍मेदारी है और सभी देशवासियों की जिम्‍मेदारी है।

और इसलिए भाइयों-बहनों, लगातार हमारी कोशिश है और आप देख रहे हैं आधार की चर्चा है, आगे आधार है क्‍या। आधार यानी One nation one identity हो। जीएसटी यानी One nation one tax हो। E-NAM यानी One nation one agriculture market हो। बिजली और गैस के लिए One nation one grid हो, One nation one mobility card हो, One nation one optical fiber network हो, या फिर One nation one ration card हो। ये सभी एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत के vision को मजबूत करने का ही काम कर रहे हैं।

भाइयों और बहनों, सरदार साहब कहते थे- भारत में स्‍थायित्‍व के लिए बहुत आवश्‍यक है Unity of Purpose, Unity of Aims और Unity of Endeavour. हमारे उद्देश्‍यों में समानता हो, हमारे लक्ष्‍यों में समानता हो और हमारे प्रयासों में समानता हो।

भाइयों और बहनों, बीते वर्षों में हमने नए भारत के समान उद्देश्‍य के साथ भारत की सामूहिकता को, हमारी असली ताकत को और मजबूत करने का प्रयास किया है। सामान्‍य मानवी के जीवन से सरकार को कम करने के भारत के भविष्‍य का भागीदार बनाया है। आज वो अपने अधिकारों के प्रति तो जागरूक है ही है, अपने कर्तव्‍यों को ले करके भी आज हिन्‍दुस्‍तान का नागरिक अधिक सक्रिय और सचेत है। स्‍वच्‍छता का वो आज राष्‍ट्र के प्रति अपना दायित्‍व निभाने, हिन्‍दुस्‍तान का हर नागरिक आगे आया है, वो अपना काम मानने लगा है। जब मैं फिट इंडिया की बात करता हूं, फिटनेस को भी वो देश के लिए अपने योगदान के रूप में देख रहा है। पानी की बचत को वो अपना राष्‍ट्रीय कर्तव्‍य मानने लगा है। नियम-कायदों के पालन को कभी वो मजबूरी समझता था, आज वो उसे अपना दायित्‍व समझकर निभा रहा है। अब वो घर से निकलता है तो अपने साथ कपड़े का एक थैला भी रख लेता है, ताकि प्‍लास्टिक का इस्‍तेमाल करने की जरूरत न पड़े।

साथियो, मैं सम्‍पूर्ण देश का आह्वान करता हूं कि आइए- हम उस पुरातन उद्घोष को याद करते हुए आगे बढ़ें जिसने हमें हमेशा प्रेरित किया है। कई बार हमने सुना है, कई बार समझने का प्रयास किया है, लेकिन देश जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, अब हर हिन्‍दुस्‍तानी को उस मंत्र को जी करके देश को आगे बढ़ाना है और वो मंत्र है –

सं गच्छ-ध्वं, सं वद-ध्वं, सं वो मनांसि जानताम्

यानी हम सभी साथ मिलकर चलें, एक स्‍वर में बात करें, एक मन के साथ आगे बढ़ें।

साथियों, एकता का यही वो मार्ग है जिस पर चलते हुए एक भारत-श्रेष्‍ठ भारत का संकल्‍प पूरा होगा, नए भारत का निर्माण होगा।

अंत में फिर एक बार आप सभी को, पूरे देश को राष्‍ट्रीय एकता दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं और मैं आज अनुभव कर रहा हूं कि सरदार साहब की भव्‍य प्रतिमा- ये सिर्फ प्रवास का नहीं, ये प्रेरणा का स्‍थान है। और मुझे श्रद्धा है कि आज सरदार साहब की आत्‍मा जहां भी होगी, एकता के जिस बीज को उन्‍होंने बोया था, आज हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में एकता का वो बीज वटवृक्ष बन करके फल-फूल रहा है और उसकी छाया में 130 करोड़ सपने पनप रहे हैं। जिसके सामर्थ्‍य से विश्‍व आश्‍वस्‍त होता चला जा रहा है। विश्‍व में एक नया विश्‍वास पैदा होता जा रहा है। और इसलिए सरदार साहेब ने जो बीज बोया है, उस बोये बीज को हमारे अपने परिश्रम से, हमारे अपने सपनों से, हमारे अपने संकल्‍पों से हमें और समृद्ध बनाना है, और सामर्थ्‍यवान बनाना है, और जन-कल्‍याण से जग-कल्‍याण का मार्ग हमें ले करके आगे बढना है।

मेरी तरफ से आज मैं फिर एक बार देशवासियों की तरफ से, भारत सरकार की तरफ से, व्‍यक्तिगत रूप से मेरी तरफ से सरदार साहब की जन्‍म-जयंती पर सिर झुका करके आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद। पूरी ताकत से दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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Cabinet approves three new corridors as part of Delhi Metro’s Phase V (A) Project
December 24, 2025

The Union Cabinet chaired by the Prime Minister, Shri Narendra Modi has approved three new corridors - 1. R.K Ashram Marg to Indraprastha (9.913 Kms), 2. Aerocity to IGD Airport T-1 (2.263 kms) 3. Tughlakabad to Kalindi Kunj (3.9 kms) as part of Delhi Metro’s Phase – V(A) project consisting of 16.076 kms which will further enhance connectivity within the national capital. Total project cost of Delhi Metro’s Phase – V(A) project is Rs.12014.91 crore, which will be sourced from Government of India, Government of Delhi, and international funding agencies.

The Central Vista corridor will provide connectivity to all the Kartavya Bhawans thereby providing door step connectivity to the office goers and visitors in this area. With this connectivity around 60,000 office goers and 2 lakh visitors will get benefitted on daily basis. These corridors will further reduce pollution and usage of fossil fuels enhancing ease of living.

Details:

The RK Ashram Marg – Indraprastha section will be an extension of the Botanical Garden-R.K. Ashram Marg corridor. It will provide Metro connectivity to the Central Vista area, which is currently under redevelopment. The Aerocity – IGD Airport Terminal 1 and Tughlakabad – Kalindi Kunj sections will be an extension of the Aerocity-Tughlakabad corridor and will boost connectivity of the airport with the southern parts of the national capital in areas such as Tughlakabad, Saket, Kalindi Kunj etc. These extensions will comprise of 13 stations. Out of these 10 stations will be underground and 03 stations will be elevated.

After completion, the corridor-1 namely R.K Ashram Marg to Indraprastha (9.913 Kms), will improve the connectivity of West, North and old Delhi with Central Delhi and the other two corridors namely Aerocity to IGD Airport T-1 (2.263 kms) and Tughlakabad to Kalindi Kunj (3.9 kms) corridors will connect south Delhi with the domestic Airport Terminal-1 via Saket, Chattarpur etc which will tremendously boost connectivity within National Capital.

These metro extensions of the Phase – V (A) project will expand the reach of Delhi Metro network in Central Delhi and Domestic Airport thereby further boosting the economy. These extensions of the Magenta Line and Golden Line will reduce congestion on the roads; thus, will help in reducing the pollution caused by motor vehicles.

The stations, which shall come up on the RK Ashram Marg - Indraprastha section are: R.K Ashram Marg, Shivaji Stadium, Central Secretariat, Kartavya Bhawan, India Gate, War Memorial - High Court, Baroda House, Bharat Mandapam, and Indraprastha.

The stations on the Tughlakabad – Kalindi Kunj section will be Sarita Vihar Depot, Madanpur Khadar, and Kalindi Kunj, while the Aerocity station will be connected further with the IGD T-1 station.

Construction of Phase-IV consisting of 111 km and 83 stations are underway, and as of today, about 80.43% of civil construction of Phase-IV (3 Priority) corridors has been completed. The Phase-IV (3 Priority) corridors are likely to be completed in stages by December 2026.

Today, the Delhi Metro caters to an average of 65 lakh passenger journeys per day. The maximum passenger journey recorded so far is 81.87 lakh on August 08, 2025. Delhi Metro has become the lifeline of the city by setting the epitome of excellence in the core parameters of MRTS, i.e. punctuality, reliability, and safety.

A total of 12 metro lines of about 395 km with 289 stations are being operated by DMRC in Delhi and NCR at present. Today, Delhi Metro has the largest Metro network in India and is also one of the largest Metros in the world.