The next 25 years are crucial to transform India into a 'Viksit Bharat': PM Modi

Published By : Admin | January 25, 2024 | 12:00 IST
QuoteThe next 25 years are crucial for both India and its youth. It is the responsibility of the youth to transform India into a Viksit Bharat by 2047
QuoteToday, if India has achieved pioneering reforms, digital infrastructure & and a robust and resilient economy, it is a testimony to the power of a vote
QuoteIt is due to a stable government that abrogation of Article 370, implementation of GST, passage of Nari Shakti Vanadan Act & incoming of large-scale FDI could be made possible
QuoteOver the last 10 years, the government has transformed from corruption to credibility in governance and from scams to success stories in achievements
QuoteIndian youth possess tradition and talent along with inspiration and innovation

नमस्कार,
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हम सबके मार्गदर्शक जेपी नड्डा जी, हमारे युवा मोर्चा के युवा साथी, अन्य पदाधिकारीगण और इस कार्यक्रम से जुड़े, देश भर के हमारे नौजवान साथी,

शायद मेरे जीवन में इतना बड़ा युवाओं के साथ संवाद करने का ये पहला अवसर है। और शायद दुनिया के किसी राजनेता के लिए भी ये पहला अवसर होगा। और मुझे अच्छा लगा कि नव मतदाता को नमन करने का कार्यक्रम है। नवो नव मतदाता, तो मैं सबसे पहले सभी मतदाताओं को भारत का भाग्य निर्माण करने के लिए नमन करता हूं निमंत्रित करता हूं। मैं देख पा रहा हूं कि बड़ी संख्या में बेटियां इस कार्यक्रम से जुड़ी हुई हैं। आज राष्ट्रीय मतदाता दिवस है। इस महत्वपूर्ण दिन देश के सबसे युवा मतदाताओं के बीच आना, अपने आप में ऊर्जा से भर देने वाला है। मैं आप सभी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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साथियों,
18 से 25 वर्ष की आयु ऐसी होती है, जब किसी का भी जीवन, बहुत से बदलावों का साक्षी बनता है। इन्हीं बदलावों के बीच, आप सभी को एक और जिम्मेदारी साथ-साथ निभानी है। ये जिम्मेदारी दुनिया की सबसे बड़ी Democracy में भागीदारी की है। मैं जानता हूं, कि आपकी Age में किसी भी नई शुरुआत के लिए सबसे ज्यादा एक्साइटमेंट होता है। लेकिन आपकी ये शुरुआत बहुत अलग है। वोटर लिस्ट में नाम रजिस्टर होते ही, अब आप देश के Democratic Process का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।

मेरे युवा साथियों,
आप सभी के लिए ये Time Period, ये कालचक्र दो वजहों से बहुत अहम है। एक, आप सभी ऐसे समय में वोटर बने हैं, जब भारत का अमृतकाल शुरू हुआ है। और दूसरा, कल 26 जनवरी को देश अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। अगले 25 साल आप के लिए भी और भारत के लिए भी दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। आपको अगले 25 साल अपना और भारत दोनों का भविष्य तय करना है। इन 25 वर्षों में आप कई बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ऐसे में जिले, प्रदेश और देश के स्तर पर होने वाले सारे चुनावों में आपकी जिम्मेदारी सबसे बड़ी होगी। आज जब देश, 2047 तक विकसित भारत बनने के लक्ष्य पर काम कर रहा है, तो आपका वोट ये तय करेगा कि भारत की दिशा क्या होगी। जिस तरह, याद रखिए दोस्तों, जिस तरह 1947 से 25 साल पहले भारत के नौजवानों पर देश को स्वतंत्र कराने का दारोमदार था....उसी तरह 2047 के पहले के इन 25 सालों में आप पर विकसित भारत के निर्माण की जिम्मेदारी है। हमारे बीच जब भी स्वतंत्रता सेनानियों का नाम आता है, तो उनमें से अनेकों लोग ऐसे होते हैं जिनकी उम्र 18 से 25 साल के बीच ही थी।
उनके नाम आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में लिखे जाते हैं। आपके सामने भी एक ऐसा ही मौका है। विकसित भारत के अमृतकाल की गाथा में आपका नाम स्वर्णाक्षरों में कैसे लिखा जाए,ये आपको तय करना है। अगले कुछ सालों में हम Space, Defence, Manufacturing, Technology, Innovation और ऐसे कई सेक्टर्स में कहां पहुंचेंगे ये सब आप पर निर्भर होगा। हमारी गति, हमारी दिशा, हमारी अप्रोच कैसी होगी, ये सब आप तय करेंगे। और इसका एक बड़ा माध्यम मतदान ही होगा। भविष्य के भारत में आपके लिए संभावनाएं कैसी होंगी, इसकी जिम्मेदारी उन लोगों पर होगी जो इस कालखंड में देश की व्यवस्था संभालेंगे। ऐसे में उन लोगों का सही चुनाव हो, ये जिम्मेदारी आप नौजवान मतदाताओं पर है। आपके लिए जरूरी है कि अगले भारत का भाग्य उज्जवल बनाने के लिए वोट दें। इसलिए याद रखिएगा, आपका एक वोट और देश के विकास की दिशा दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। आपका एक वोट भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएगा। आपका एक वोट, भारत में एक स्थिर और बड़े बहुमत वाली सरकार लाएगा। आपका एक वोट, भारत में तेज Reforms की गति को और गति देगा। आपका एक वोट, भारत में डिजिटल क्रांति को और ऊर्जा देगा। आपका एक वोट, पहले भारतीय को अपने दम पर अंतरिक्ष में पहुंचाएगा। आपका एक वोट, अंतरिक्ष में भारत का पहला स्पेस स्टेशन स्थापित करवाएगा। आपका एक वोट, भारत में पहला पैसेंजर एयरक्राफ्ट बनवाएगा। आपका एक वोट, दुनिया में भारत की साख और बढ़ाएगा। इसलिए आपके एक वोट में बहुत बड़ी ताकत है।

साथियों,
जब देश में पूर्ण बहुमत वाली सरकार होती है, जब देश में स्थिर सरकार होती है, तो देश बड़े फैसले लेता है, दशकों से लटकी हुई समस्याओं को सुलझाकर आगे बढ़ता है। आप देखिए, ये हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार है जिसमें जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर दशकों का इंतजार खत्म किया। ये हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार है जिसने हमारे देश के जवानों के लिए वन रैंक वन पेंशन लागू कर, देश के पूर्व फौजियों का चार दशक का इंतजार समाप्त किया। ये पूर्ण बहुमत की सरकार है जिसने GST जैसी आधुनिक टैक्स व्यवस्था लागू कर देश का कई दशक पुराना इंतजार समाप्त किया। ये हमारी सरकार है जिसने नारीशक्ति वंदन अधिनियम बनाकर देश की महिलाओं का बरसों पुराना इंतजार खत्म किया। ये हमारी सरकार है जिसने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर मुस्लिम बहन-बेटियों में इंसाफ की उम्मीद बढ़ाई। ये हमारी सरकार है जिसने तीन दशकों के इंतजार के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की। ये हमारी सरकार है जिसने SC-ST-OBC का हित सुरक्षित रखते हुए भी गरीब युवाओं को भी 10 परसेंट आरक्षण का प्रावधान किया। और, ये हमारी ही सरकार है जिसको अयोध्या में रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा का अवसर मिला है। जब देश में पूर्ण बहुमत की सरकार होती है, तो नीति में, निर्णयों में स्पष्टता होती है। इसका सीधा प्रभाव वैश्विक स्तर पर देश की साख पर भी पड़ता है। और साथियों मैं बताता हूं, मैं जब दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गजों को मिलता हूं ना, बड़े-बड़े नेताओं को मिलता हूं ना, दुनिये के कोई भी बड़े देश हो, जब मैं उनसे हाथ मिलाता हूं ना, तो अकेला मोदी हाथ नहीं मिलाता है, 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ खड़े होते हैं, और ये दुनिया को प्रभावित करता है। ये ताकत होती है पूर्ण बहुमत वाली सरकार की। आज दुनिया में भारत की साख एक नई ऊंचाई पर है। आज भारत के पासपोर्ट को बड़े गर्व के साथ देखा जाता है। ये युवाओं के लिए बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी है। इस वजह से बीते वर्षों में भारत में रिकॉर्ड FDI आया है, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी आज रिकॉर्ड स्तर पर है। कभी सोना गिरवी रखना पड़ता था, लेकिन आज दूसरी स्थिति है। ये देश में रोजगार के भी नए मौके लगातार बना रहा है।

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साथियों,
आपको याद होगा, लाल किले से मैंने कहा था कि यही समय है, सही समय है। 10-12 साल पहले भारत में जिस तरह की परिस्थितियां थीं, उन्होंने देश के युवाओं का भविष्य अंधकारमय बना दिया था। उस समय आप में से बहुत सारे लोग, कोई आठ साल का होगा, कोई दस साल का होगा, कोई 12 साल का होगा। हो सकता है उस समय की सारी स्थितियां आपको पता भी ना हो। आज स्थितियां बदली है। हम आज जिन Possibilities की बात कर रहे हैं, 2014 से पहले की जेनरेशन ने उनकी उम्मीद तक छोड़ दी थी। आप में से कई न्यूज पेपर्स पढ़ते होंगे। आज हर दिन नई खबर आती है कि देश ने इस सेक्टर में ये बड़ी उपलब्धि हासिल की। लेकिन 2014 से पहले के अखबार खोलिए...आजकल वो सब इंटरनेट पर एवलेबल है। तब आए दिन करप्शन और स्कैम की खबरें छपती थीं, हजारों करोड़ रुपये के घोटाले सामान्य बात थी। उस समय दिन देश के नौजवान सड़कों पर उस समय की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते थे। मुझे संतोष है कि हम उस अंधकारमय स्थिति से देश को बाहर निकाल पाए हैं। आज Corruption की नहीं, Credibility की बात होती है। आज Scam की नहीं Success Stories की बात होती है। तब भारत फ्रेजाइल फाइव में था, दुनिया सोचती थी कि भारत खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा। आज भारत पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया सोचती है कि भारत के विकास से उसका भी विकास होगा। आने वाले कुछ ही वर्षों में भारत दुनिया की टॉप तीन इकॉनॉमी में शामिल हो जाएगा। आने वाले कुछ ही वर्षों में भारत की इकोनॉमी 7 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जाएगी। अर्थव्यवस्था के इतने बड़े विस्तार का बहुत बड़ा लाभ भारत के युवाओं को ही होगा। उनके लिए नए-नए सेक्टर्स में रोजगार के बहुत सारे नए मौके बनेंगे। इसलिए ही मैं कहता हूं, यही समय है, सही समय है।

साथियों,
आज का भारत, सबसे युवा है। इसी युवा प्रेरणा से आज का भारत बड़े लक्ष्य तय करता है और उन्हें प्राप्त भी करता है। सोलर एनर्जी से जुड़े कितने ही लक्ष्य, Renewable Energy से जुड़े लक्ष्य भारत ने तय समय से पहले हासिल करके दिखाए हैं। भारत आज दुनिया को दिखा रहा है कि प्रकृति की रक्षा करते हुए भी विकास कैसे किया जा सकता है। आपने देखा है, भारत की रेलवे ने साल 2030 तक जीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य रखा है, भारत ने साल 2070 तक नेट जीरो का भी लक्ष्य रखा है। आज भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर अभूतपूर्व जोर दिया जा रहा है। बहुत ही जल्द भारतीय रेलवे का 100 परसेंट इलेक्ट्रिफिकेशन भी होने जा रहा है। इसी 22 जनवरी को सरकार ने सोलर से जुड़ी बड़ी योजना का ऐलान किया है, इस योजना के तहत देश के एक करोड़ घरों में सोलर रूफ टॉप लगाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार का प्रयास है कि हमारे गरीब साथियों का, हमारे मध्यम वर्ग के परिवारों का बिजली बिल तो कम हो ही, कुछ लोगों का तो जीरो भी हो जाएगा। वो सिर्फ बिल नहीं, अपने घर की छत पर जो बिजली पैदा करेंगे, वो बिजली सरकार खरीदेगी और ये परिवार बिजली बेचकर भी पैसे कमा सकें।

साथियों,
आज का भारत आप युवाओं को बड़ी आशाओं से देख रहा है। आप 21वीं सदी के युवा हैं। आपके पास हजारों साल की विरासत है और इंटरनेट एज में फ्यूचर अप्रोच को देखने का सामर्थ्य भी है। दुनिया में ऐसी कोई युवा पीढ़ी नहीं है जिसके पास रामायण और गीता की प्रेरणा और Artificial Intelligence पर काम करने का स्कोप, दोनों हो। आपके पास Tradition की भी ताकत है और Talent की भी ताकत है। आपके पास Inspiration भी है और Innovation भी है। आपके पास संभावनाओं का आसमान है। और साथियों, आपका सामर्थ्य और बढ़े, आपके हर सपने पूरे हों, इसके लिए हमारी सरकार दिन-रात काम कर रही है। और नवजवानों मोदी की गारंटी भी सुन लीजिए, आपके सपने ही मेरे संकल्प है। मेरी प्राथमिकता आप सभी युवा ही हैं। मैंने हमेशा देश के युवाओं पर सबसे अधिक विश्वास किया है। इस विश्वास के कारण सरकार ने ऐसे फैसले किए हैं, जो पहले की सरकारों में असंभव से लगते थे। हमारी सरकार ने आप सभी युवाओं के लिए ड्रोन से लेकर स्पेस सेक्टर तक को खोल दिया है। हमने स्टार्टअप नीति बनाकर आपके लिए बिजनेस के नए रास्ते बनाए हैं। हमने मुद्रा योजना के तहत आपको बिना गारंटी बैंक से लोन लेने की सुविधा दी है। आप लोन लीजिए गारंटी मोदी देगा। यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए कॉमन एडमिशन टेस्ट से लेकर फॉर्म अटेस्ट कराने से मुक्ति तक आपके लिए हर चीज आसान करने का काम हमारी सरकार ने किया है। स्पोर्ट्स सेक्टर में आपका टैलेंट आगे लाने के लिए खेलो इंडिया हो या इंटरनेट रिवॉल्यूशन के लिए डिजिटल इंडिया...सभी आपके लिए है। आज देश में एक से बढ़कर एक Higher Education के संस्थान खोले जा रहे हैं...आज देश में रिसर्च और इनोवशन के लिए युवाओं को सरकार हजारों करोड़ रुपए दे रही है... ये सब इसलिए है, क्योंकि सरकार आप पर विश्वास करती है, आपके लिए नए अवसर बनाना चाहती है। और अभी ये शुरुआत है। आज देश में पहले के मुकाबले दोगुनी-तीन गुनी तेजी से नए हाईवे बन रहे हैं, नए रेलवे रूट्स का निर्माण हो रहा है। आज भारत आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर जितना इंवेस्ट कर रहा है, उतना पहले कभी नहीं किया गया। आज देश में जो चारों तरफ इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट हो रहा है, उसका सबसे बड़ा फायदा भारत के युवाओं को ही मिलेगा। युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे, उनके लिए हर सेक्टर में नई-नई संभावनाएं बनेंगी। आज ये जो आधुनिक एक्सप्रेसवे बन रहे हैं, वो किसके लिए बन रहे हैं? – भारत के युवाओं के लिए। ये जो नई वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, विस्टा डोम कोचेस शुरू हुए हैं, वो किसके लिए? – मेरे नौजवान साथियों आपके लिए। आपके लिए अगले कुछ वर्षों में भारत में बुलेट ट्रेन चलने जा रही है.....ये किसके लिए है? – भारत के युवाओं के लिए। भारत की कंपनियों ने जो हजार से भी ज्यादा नए एरोप्लेन्स का ऑर्डर दिया है, किसी एक देश ने हजार नये एयरोप्लेन का ऑर्डर, इस खबर से ही दुनिया को आश्चर्य होता है। ये भी रोजगार के नए अवसर..भारत के युवाओं के लिए ला रहा है। आज भारत के रेलवे स्टेशंस को आधुनिक बनाया जा रहा है...आज देश में एक से बढ़कर एक आधुनिक एयरपोर्ट्स बन रहे हैं... रीजनल कनेक्टिविटी से कम्यूनिकेशन कनेक्टिविटी तक, मोबाइल टावर से लेकर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क तक, सेमीकंडक्टर पर मिशन से लेकर मिशन हाइड्रोजन तक, एविएशन सेक्टर से लेकर टूरिज्म सेक्टर तक, भारत में होता हर बदलाव नौजवान आपके लिए है। इन बदलावों का हर रास्ता, युवाओं के हित से होकर गुजरेगा। आपके लिए भारत में रोजगार के, स्वरोजगार के रिकॉर्ड नए अवसर बनने जा रहे हैं। राष्ट्र निर्माण से जुड़ी भारत के नौजवानों की हर आकांक्षा की पूर्ति के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। मैं देश के युवा वोटर्स को भी ये भरोसा दूंगा...सरकार युवाओं के हित में ऐसे ही फैसले लेती रहेगी और यही तो मोदी की गारंटी है।

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साथियों,
मुझे खुशी है कि आज भारत का नौजवान, देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों को अच्छी तरह समझ रहा है। इसलिए वो भ्रष्टाचार के खिलाफ है, वो परिवारवाद के खिलाफ है। परिवारवाद एक ऐसी बीमारी है, जो देश के युवाओं को आगे बढ़ने से रोकती है। आपने देखा है कि परिवारवादी पार्टियों में दूसरे युवा कभी आगे नहीं बढ़ पाते। परिवारवादी पार्टी के नेताओं की सोच ही युवा विरोधी होती है। इसलिए आपको अपने वोट की ताकत से ऐसी परिवारवादी पार्टियों को हराना है।

साथियों,
आज इस आयोजन में शामिल युवाओं की मैं इस बात के लिए और सराहना करना चाहता हूं। आपने अमृत महोत्सव के दौरान जनभागीदारी की अद्भुत मिसाल कायम की है। भारत के युवाओं ने जिस बड़ी सख्या में अमृत महोत्सव में हिस्सा लिया, वो अभूतपूर्व है। समाज के हित में कार्य के लिए आप जितना कार्य करेंगे, उतना ही देश का भी भला होगा। युवाओं के लिए देश में एक नया संगठन भी बनाया गया है- उस संगठन का नाम है मेरा युवा भारत, Mybharat। अभी इस युवा संगठन को बने तीन महीने भी नहीं हुए हैं और इससे एक करोड़ से ज्यादा युवा जुड़ चुके हैं। आप भी मेरा युवा भारत माय भारत संगठन से जरूर जुडिए। आप अपनी बात, अपने सुझाव, नमो ऐप के माध्यम से भी मुझ तक पहुंचाते रहिए। नमो ऐप पर आप मुझे, आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी का घोषणापत्र, बेजेपी का मेनिफेस्टो, या यूं कहे बीजेपी का संकल्प पत्र कैसा होना चाहिए, खासकर युवाओं के लिए उसमें क्या होना चाहिए इससे जुड़े सुझाव भी आप जरूर भेज सकते हैं। मेरे हिसाब से तो आप वोट डालने जाए उससे पहले ही मैं आपकी भागीदारी चाहता हूं। आइए देश को बनाने के लिए आगे आइए..आप भागीदारी कीजिए... मैं चाहता हूं कि लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के संकल्प पत्र में देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं की भागीदारी हो। भारत के युवा ही बीजेपी के संकल्प पत्र को गाइड करेंगे और आपके सुझावों में जो मुझे बहुत अच्छे लगेंगे, जो संभव लगेंगे, और जो मोदी की गारंटी होती है पूरा करने की, सिर्फ लिखने के लिए मैं नहीं लिखता, वो सुझाव देने वाले युवाओं से मैं मिलकर के भी विस्तार से बात करूंगा। कोई टीम उसको सेलेक्ट करेगी, आपके साथ बैठूंगा, गप्प-शप करूंगा, और अधिक जानने का प्रयास करूंगा।

साथियों,
आपने देखा होगा, देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार जी ने देश के युवाओं को बहुत ही अहम संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि हमारी मतदाता सूची एक जीवंत वाइब्रेंट तस्वीर के रूप में हमारे लोकतंत्र की समृद्धि विविधता को रिफ्लेक्ट करती है। उन्होंने विशेषकर शहर के लोगो को, युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मतदान कर एक उदाहरण प्रस्तुत करने को कहा है। वाकई, आपका काम समाज को वोट के लिए जागरुक करने का भी है। इस बार आपको Let’s Vote के साथ, Lets make them vote पर भी काम करना है। आप सब सोशल मीडिया की जेनरेशन वाले लोग हैं। यानि, आप सब एक बड़ी Audience से सीधे कनेक्ट हो सकते हैं। जिनका नाम अब तक वोटर लिस्ट से छूटा हुआ है, उनका नाम भी आप लिस्ट में जरूर शामिल कराएं। कोशिश करिए, कोई भी ऐसा वोटर ना हो जो चुनाव में छूट जाए।

साथियों
युवा भारत की अमृत पीढ़ी के सामने तरक्की के जितने अवसर हैं, उतने पहले किसी पीढ़ी के पास नहीं थे। सारा विश्व आज आपकी ओर देख रहा है। जी-20 के सम्मेलन में भारत और भारतीयता की ये शक्ति पूरी दुनिया ने देखी है। हमें इस शक्ति के साथ आगे बढ़ना है और अपनी जिम्मेदारी भी समझनी है। आप आने वाले 25 वर्ष अपने कर्तव्यों के लिए पूरी शक्ति से काम करेंगे। इसी कामना, इसी विश्वास के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।
आपको मेरी तरफ से, जीवन के एक नए कालखंड में आप प्रवेश कर रहे हैं तब, भारत के भाग्य लिखने वालों में आपकी भागीदारी बन रही है तब जितनी शुभकामनाएं दूं उतना ही कम है।
बहुत बहुत धन्यवाद, साथियों

  • Jitendra Kumar April 04, 2025

    🙏🇮🇳❤️
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    बीजेपी
  • कृष्ण सिंह राजपुरोहित भाजपा विधान सभा गुड़ामा लानी November 21, 2024

    जय श्री राम 🚩 वन्दे मातरम् जय भाजपा विजय भाजपा
  • Devendra Kunwar October 08, 2024

    BJP
  • दिग्विजय सिंह राना September 20, 2024

    हर हर महादेव
  • krishangopal sharma Bjp July 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp July 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • krishangopal sharma Bjp July 20, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏
  • JBL SRIVASTAVA May 27, 2024

    मोदी जी 400 पार
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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!