Terrorism a challenge to entire humanity: PM Modi in Brussels

Published By : Admin | March 31, 2016 | 02:01 IST
QuoteTerrorism not a challenge to any nation but it is a challenge to humanity: PM Modi
QuoteEntire world must unite to combat terrorism: PM Modi in Brussels
QuoteWe need to delink terrorism & religion. No religion teaches terrorism: PM
QuoteIndia is a ray of hope amidst global slowdown: PM Narendra Modi in Brussels
QuotePM Modi highlights Government's reform measures that are driving India towards progress
QuoteOur campaign on gas subsidy led to 9 million people surrendering their subsidy, helping millions of poor families: PM
QuoteOur decision to have 5% ethanol in petrol led to record production of ethanol in 2015: PM
QuoteRecord output of coal in 2015: PM Modi
QuoteJan Dhan Yojana has led to 210 million new accounts, bringing millions into the banking sector: PM
Quote18000 villages in India without electricity, we will bring them electricity within 1000 days, 7000 already electrified: PM
QuoteWe resolved the Land Boundary Agreement with Bangladesh pending for many years: PM Modi
QuotePM Modi thanks people for sharing their ideas on 'Narendra Modi Mobile App'

नमस्‍ते।

मेरा सौभाग्‍य है कि आज मुझे लोकदूतों के आशीर्वाद पाने का अवसर मिला है। हम विदेश में जाते हैं तो राजदूतों को तो मिलते हैं लेकिन लोकदूतों को मिलना एक सौभाग्‍य होता है और सरकार में अगर राजदूत है तो आप भारत के लोकदूत हैं, जो भारत की सांस्‍कृतिक परम्परा को, भारत को दुनिया के सामने अपने व्‍यवहार से, अपनी वाणी से, अपने विचारों से, परिचित करवाते हैं, प्रभावित करते हैं। ऐसे सभी ये हजारों लोकदूतों को मेरा नमस्‍कार।

गत सप्‍ताह ब्रसेल्‍स में एक भयंकर आतंकवादी घटना घटी। जिन लोगों को अपने प्राणप्रिय स्‍वजन गंवाने पड़े हैं उन परिवारों के प्रति मैं आदरपूर्वक अपनी श्रद्धा समर्पित करता हूं। यहां के जीवन में इस प्रकार की घटनाएं अपने-आप में एक लम्‍बे अरसे के बाद इतना बड़ा कांड इस धरती को सहना पड़ा है। आतंकवाद कितना भयंकर है, कितना निर्दयी है ये अब दुनिया भली-भांति जान गई है। गत वर्ष दुनिया के 90 देश किसी न किसी आतंकवादी घटना के शिकार हुए हैं, हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई और दूसरी तरफ सैंकड़ों मां-बाप हैं, जो आंसू बहा रहे हैं क्‍योंकि उनकी संतान आतंकवाद के रास्‍ते पर चल पड़ी है। आतंकवाद किसी देश के सामने चुनौती नहीं है, आतंकवाद किसी भू-भाग पर चुनौती नहीं है, आतंकवाद मानवता को चुनौती दे रहा है। और इसलिए समय की मांग है कि जो भी मानवता में विश्‍वास करते हैं, दुनिया की उन सारी शक्तियों ने एकत्र आ करके आतंकवाद से मुकाबला करना होगा।

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आतंकवाद जितना भयंकर है उससे ज्‍यादा चिंता इस बात की हो रही है कि इतने बड़े संकट के बावजूद भी हजारों लोगों, निर्दोष लोगों की मौत के बावजूद भी दुनिया इस विकराल रूप को पहचानने में कम पड़ रही है। और उसके कारण मानवतावादी शक्तियों में बिखराव नजर आता है। कभी good terrorism, bad terrorism वो जाने-अनजाने में आतंकवाद को एक अलग प्रकार की ताकत पहुंचाता है। और इसलिए समय की मांग है कि दुनिया इस आतंकवाद की भयानकता को समझे। भारत 40 साल से आतंकवाद के कारण परेशान है। युद्ध में भारत ने जितने जवानों को नहीं गवांया, उससे ज्‍यादा जवान आतंकवादियों की गोलियों से मरे हैं, शहीद हुए हैं और भारत जब चीख-चीख के दुनिया को कहता था कि आतंकवाद निर्दोषों के जीवन का दुश्‍मन बन चुका है। मेरा स्‍वयं का अनुभव है दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें हमें समझाती थीं कि आतंकवाद नहीं है ये तो आपका law and order problem है। लेकिन जब धरती पैरों के नीचे से हिलने लगी, तब दुनिया को पता चला कि आतंकवाद क्‍या होता है।

Nine/Eleven (9/11) ने दुनिया को झकझोर दिया, तब तक दुनिया ये मानने को तैयार नहीं थी कि भारत कितने बड़े संकट को झेल रहा है। लेकिन भारत आतंकवाद के सामने झुका नहीं और झुकने का तो सवाल ही नहीं उठता। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ मुकाबला ये एक बहुत बड़ी चुनौती है। मैंने दुनिया के कई वरिष्‍ठ नेताओं से बात की। अलग-अलग सांप्रदायों से जुड़े हुए नेताओं से बात की। और उनको मैंने समझाया कि आतंकवाद को religion से delink कर देना चाहिए पहले। कोई धर्म आतंकवाद नहीं सिखाता है। पिछले दिनों भारत में Liberal Islamic Scholar का एक बहुत बड़ा समारोह हुआ। दुनिया के कई देश के  Islamic Scholar आए। सूफी परम्‍परा से जुड़े हुए थे। उन्‍होंने एक स्‍वर से कहा कि आतंकवादी जो इस्‍लाम की बात करते हैं वो इस्‍लाम नहीं है, ये तो un-Islamic बात करते हैं। जितनी बड़ी मात्रा में इस प्रकार का स्‍वर उठेगा, उतनी तेजी से जो नौजवानों का radicalization हो रहा है उनको बचाया जा सकता है। सिर्फ बम, बंदूक और पिस्‍तौल से आतंकवाद को समाप्‍त नहीं कर सकते हैं।

हमें समाज में एक माहौल पैदा करना पड़ेगा। ये देश का दुर्भाग्‍य देखिए, दुनिया का दुर्भाग्‍य देखिए, मानवता का दुर्भाग्‍य देखिए, United Nation युद्ध क्‍या होता है, युद्ध में किसने क्‍या करना चाहिए, युद्ध से क्‍या संकट होते हैं, युद्ध को रोकने के क्‍या तरीके होते हैं, UN के पास जाइए सब चीज लिखी पड़ी मिलेगी। लेकिन आतंकवाद के लिए पूछो तो अभी UN को भी पता नहीं है कि क्‍या आतंकवाद होता है और कैसे वहां पहुंचा जाए और कैसे निकला जाए। क्‍योंकि उनका जन्‍म युद्ध की भयानकता में से पैदा हुआ और इसलिए युद्ध के दायरे के बाहर सोच नहीं पा रहे हैं। ये नए युग की नई चुनौती है, मानवता को चुनौती है उसको आंकने में भी विश्‍व में विश्‍व का इतना बड़ा संगठन अपना दायित्‍व निभा नहीं पा रहा है।

भारत ने सालों से United Nation से आग्रह किया है कि आप एक resolution पारित कीजिए जिसमे define कीजिए कौन आतंकवादी है, कौन आतंकवादी देश है, कौन आतंकवादियों को मदद करते हैं, कौन आतंवादियों का समर्थन करते हैं, कौन सी बातें हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। एक बार Black and White में आज जाएगा तो लोग उससे जुड़ने से डरना शुरू कर जाएंगे, हटने का प्रयास करेंगे। मैं नहीं जानता हूं United Nation कब करेगा, कैसे करेगा लेकिन जिस प्रकार के हालत बन रहे हैं, अगर इन समस्‍याओं का समाधान कोई नहीं करेगा तो उस संस्‍था में भी irrelevant होते हुए देर नहीं लगेगी। अगर समय के साथ चलना है, चुनौतियों को समझना है और 21वीं सदी को सुख, शांति और चैन की जिंदगी जीने के लिए तैयार करना है तो विश्‍व के नेतृत्‍व को भी जिम्‍मेवारियां उठानी पड़ेंगी और जितनी देर करेंगे उतना नुकसान ज्‍यादा होने वाला है।

आज में दिनभर यहां के नेताओं से मिला, EU के नेताओं से मिला। विस्‍तार से कई विषयों पर चर्चा हुई। लेकिन हर बात का centre point आतंकवाद रहा। आतंकवाद ने ‍कितना झकझोर दिया है, ये में सब नेताओं से आज मिल रहा था तो मैं अनुभव कर रहा था। और वो फिर मुझे धीरे से कहते थे आप लोग तो 40 साल से झेल रहे हैं, काफी अनुभव है आपका।

आज पूरा विश्‍व आर्थिक संकटों से भी गुजर रहा है। दुनिया के अच्‍छे से अच्‍छे देशों की Economy आज हिल चुकी है। ऐसे समय सारी दुनिया एक स्‍वर से कहती है, चाहे World Bank हों,  IMF हो, Credit rating agencies हों, हर कोई एक स्‍वर से कह रहे हैं कि दुनिया में अगर आज कोई आशा की किरण है, कोई light of hope है तो वो, वो, वो, सारी दुनिया एक स्‍वर से कह रही है उस देश का नाम हिन्‍दुस्‍तान है। भारत आज विश्‍व में जो बड़ी Economies हैं, उसमें सबसे तेज गति से बढ़ने वाली एक Economy के रूप में आज उसने दुनिया में अपनी जगह बना ली है। और ये नसीब के कारण नहीं हुआ है, मोदी के कारण भी नहीं हुआ है, ये सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों के कारण हुआ है। दुनिया भर में फैले हुए हिन्‍दुस्‍तानियों के कारण हुआ है। वरना जो देश दो मौसम, दो वर्ष लगातार बारिश कम हुई, सूखा पड़ा और उतना कम था तो बीच-बीच में ओले पड़े, ईश्‍वर ने भरपूर कसौटी की है। लेकिन उसके बावजूद भी भारत तेज गति से आर्थिक विकास कर रहा है। अगर दिशा सही हो, नीतियां स्‍पष्‍ट हों और इससे भी बढ़ करके नीयत साफ हो तो भारत जैसे देश को कोई रोक नहीं सकता है, भारत आगे बढ़ सेता है।

कभी-कभार बहुत सी चीजें हैं जो शायद आपको टीवी पर देखने को न मिलती हों, अखबार में पढ़ने के लिए न मिलती हों। कभी-कभार Narendra Modi App पर दिखाई देती हों या social media में दिखाई देती हों, लेकिन अभी मैं आपको बताना चाहता हूं, आपको पता चलेगा कि कैसे बदलाव आ रहा है। चीजें इतनी हैं कि मुझे कागज की मदद लेनी पड़ेगी। वैसे मैं थोड़ा कम, मैं सिर्फ 2015 का हिसाब दे रहा हूं आप लोगों को। और मैं मानता हूं लोकतंत्र में जनता-जनार्दन को हिसाब देना ही मेरा दायित्‍व है और मैं आने-आपको प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक मानता हूं। तो आपके सेवक के नाते मेरा दायित्‍व बनता है कि मैं आपको हिसाब दूं। हमारे देश में sugarcane (गन्‍ना), गन्‍ना किसानों का 25 हजार करोड़, 30 हजार करोड़ रुपया बकाया रहना ये आम बात है, मिल वाले कहते हैं कि चीनी बिकीं नहीं, वो उसको पैसे देते नहीं। अब बताइए 25-30 हजार करोड़ रुपया किसान कर बाकी रहेगा तो जाएगा कहां? इस बार दुनिया में चीनी के दाम गिर गए, चीनी का उत्‍पादन बहुत हो गया। भारत से चीनी बाहर जा नहीं रही थी, भारत में दाम बढ़ नहीं रहे थे, गन्‍ना किसानों का क्‍या होगा? हमने एक निर्णय किया कि हम Ethanol बनाएंगे। और हमने नियम compulsory किया कि हमारे Petroleum के अंदर 5 percent Ethanol compulsory mix करना होगा। 2015 में सबसे ज्‍यादा हिन्‍दुस्‍तान में Ethanol की पैदावार हुई।

हमारे देश में, मैं जब प्रधानमंत्री बना तो मुझे मुख्‍यमंत्रियों की ‍चिट्ठियां आती थीं, तो मुख्‍यमंत्री की चिट्टी स्‍वाभाविक है मुझे खुद को पढ़ना होता है। और चिट्ठी में एक ही विषय होता था कि मोदी जी यूरिया की बड़ी कमी है, यूरिया fertilizer यूरिया भी। हर मुख्‍यमंत्री ये ही चिट्ठी लिखता था। कभी खबर आती थी कि यूरिया खरीदने के लिए रात-रात किसान बेचारे दुकान के बाहर queue लगा के खड़े हैं। कभी खबर आती थी कि किसानों पर लाठी चार्ज हुआ, यूरिया लेने के लिए गए थे लाठी चार्ज हो गया। अभी मुझे हमारे कुछ MP मिले, बोले साहब पहली बार ऐसा हुआ है कि यूरिया के लिए कोई लाठी चार्ज नहीं हुआ। इस वर्ष मुझे 2015 में एक भी मुख्‍यमंत्री ने चिट्ठी नहीं लिखी कि यूरिया नहीं मिला है। देश आजाद होने के बाद सबसे ज्‍यादा यूरिया का उत्‍पादन 2015 में हुआ और संकटों से हमने बाहर निकाला।

हमारे देश में अमीरों की सरकारें जब होती हैं तो अमीरों को गैस सिलिंडर मिलना और पहले तो एक जमाना ऐसा था कि गैस सिलिंडर लेना है तो MP के यहां लोग जाते थे कि साहब जरा सिफारिश करो न एक गैस सिलिंडर मिल जाए। 2015 में, एक वर्ष में गरीबों को सबसे ज्‍यादा  Gas Cylinder का Connection देने का काम इस सरकार ने किया। हमारे देश के एक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री ने एक बार देश के नागरिकों से अपील की थी कि अनाज की कमी है, हम लोग एक टाईम खाना छोड़ देंगे, और यहां कई पुराने लोग बैठे होंगे, पूरा हिन्‍दुस्‍तान सप्‍ताह में एक दिन खाना नहीं खाता था अनाज बचाने के लिए। लाल बहादुर शास्‍त्री के शब्‍द की वो ताकत थी। मैं तो छोटा व्‍यक्त्‍िा हूं, कहां लाल बहादुर शास्‍त्री और कहां एक चाय बेचने वाला। लेकिन मैंने देश के सामने एक request की, जो सम्‍पन्‍न लोग हैं उन लोगों ने Gas Cylinder  की Subsidy नहीं लेनी चाहिए। उन्‍होंने surrender करना चाहिए। एक सिलिंडर पर ढाई सौ रुपये, असल में क्‍या रखा है छोड़ दो। आपको जान करके खुशी होगी मेरा इतनी से बात, और वो भी मैंने कोई बहुत बड़ा campaign नहीं किया था, ऐसे ही बातों-बातों में बता दिया था। हिन्‍दुस्‍तान में नब्‍बे लाख लोग ऐसे निकले जिन्‍होंने अपनी Gas Subsidy  छोड़ दी। जब मैं कहता हूं ना देश प्रगति कर रहा है, उसका कारण सवा सौ करोड़ देशवासी हैं ये उसका उदाहरण है। नब्‍बे लाख लोगों ने अपनी Gas Subsidy Surrender कर दी। और नब्‍बे लाख लोगों ने, उसमें कोई बहुत बड़े अमीर लोगों की बात नहीं कर रहा हूं मैं, सामान्‍य, retired teacher उसको लगा मोदी जी ने कहा है मुझे छोड़ देना चाहिए। और हमने कहा अगर आप छोड़ते हो मैं उस गरीब मां को एक Gas Cylinder दूंगा जो मां लकड़ी के चूल्‍हे जला करके धुंए में रोटी पकाती है, बच्‍चों को खिलाती है।

वैज्ञानिकों को कहना है कि एक मां चूल्‍हे में लकड़ी जला करके अगर खाना पकाती है तो एक दिन में 400 सिगरेट जितना धुंआ उसके शरीर में जाता है, Four Hundred Cigarettes, आप कल्‍पना कर सकते हैं कि उस मां की तबियत का क्‍या हाल होता होगा  और उस घर में छोटे-छोटे बच्‍चे उस धुंए के अंदर कैसे गुजारा करतें होंगे। इसी एक बात ने मुझे बड़ा पीड़ा दी और मैंने तय किया कि गरीबों के घर में गैस का सिलिुंडर क्‍यों न हो। और उसका परिणाम है कि गत एक वर्ष में आजादी के बाद सबसे ज्‍यादा गरीबों को गैस सिलिंडर दिए। इस बार बजट में हमने एक संकल्‍प घोषित किया है कि आने वाले तीन वर्ष में पांच करोड़ गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले परिवार जिनके घर में लकड़ी का चूल्‍हा है, उनको गैस सिलिंडर का connection दिया जाएगा और पहला connection का खर्चा सरकार भुगतेगी और धुंए में से उन माताओं को बाहर निकाला जाएगा।

2015 में सबसे ज्‍यादा कोयले का उत्‍पादन हुआ। मैं जो सबसे ज्‍यादा बोल रहा हूं ना, इसलिए लिख करके रखो कि आजादी के बाद सबसे ज्‍यादा बोल रहा हूं। पहले खबर आती थी कोयले में इतने हाथ काले हुए। पता है ना क्‍या आता था?  पता है ना? कोयले के कारोबार का मालूम है ना क्‍या आता था? इस बार सबसे ज्‍यादा कोयले का उत्‍पादन 2015 में हुआ। 2015 में सबसे ज्‍यादा बिजली का उत्‍पादन हुआ। 2015 में हिन्‍दुस्‍तान के बंदरों पर जो Goods आया, सामान आया, वो सबसे ज्‍यादा सामान बदंरगाहों पर उस माल की ढुलाई हुई, सबसे ज्‍यादा। मतलब व्‍यापार बढ़ा होगा, तब माल आया हुआ गया होगा। 2015 में, पहले हमारे यहां बंदरगाह पर Steamer आता था तो तीन दिन, चार दिन तक उसको इंतजार करना पड़ता था क्‍योंकि किनारे पर बैठे हुए लोगों को जब तक खुश नहीं करता था, आपको तो मालूम है ना कि जब हिन्‍दुस्‍तान जाते हो तो खुश कैसे करते हो? तीन दिन, चार दिन, पांच दिन, सप्‍ताह, Steamer अंदर खड़ा है, किनारे पर आता नहीं, माल उतरता नहीं, कितना खर्चा होता था। गत वर्ष कम से कम समय में बंदरगाह पर Steamer आने और जाने में समय कम से कम लगा। सारी बिचौलिए पद्धतियां बंद हो गईं, Steamer आता था, माल उतरता था, दूसरा माल भरता था Steamer चल पड़ता था, किस प्रकार से बदलाव आ रहा है देश में।

2015 में देश में सबसे ज्‍यादा दूध का उत्‍पादन हुआ, मतलब पशु भी सुखी हुए होंगे, गाय, भैंस, बकरियां भी तो खुश हुई होंगी। हम Vote Bank की राजनीति नहीं करते हैं, जो Vote नहीं देते हैं उनका भी भला करते हैं।

आजादी के बाद एक वर्ष में Railway Infrastructure में सबसे ज्‍यादा Investment हुआ।  क्‍योंकि मेरा मत है कि हिन्‍दुस्‍तान में रेलवे, ये सिर्फ यातायात का साधन नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान में रेलवे हमारी आर्थिक गतिविधि की रीढ़ है, Spine है। अगर उसको बल दिया जाए, उसका expansion किया जाए, उसको Modernise किया जाए तो देश में बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है और उसको ले करके हम काम कर रहे हैं।

2015 में Highways राजमार्ग सबसे ज्‍यादा एक साल में ज्‍यादा से ज्‍यादा किलोमीटर के Contract अगर दिए गए, 2015 में दिए गए।

2015 में गाय-भैंस से दूध तो ज्‍यादा दिया ही दिया, लेकिन 2015 में सबसे ज्‍यादा कार का भी उत्‍पादन हुआ। गाडि़यां, Motor Vehicles, सबसे ज्‍यादा हिन्‍दुस्‍तान में 2015 में उसका manufacturing हुआ।

Software IT, यहां होंगे काफी। 2015 में सबसे ज्‍यादा Software Export हुआ भारत से। Ease of doing business भारत में कुछ नियम, कुछ आदतें, कुछ तरीके, उसके कारण दुनिया में ये जो Ease of doing business के ranking आते हैं, उसमें हम बहुत पीछे रह गए हैं। एक साल के भीतर-भीतर उसमें सुधार लाए और 12 अंक हमारी परिस्थति में सुधार हो गया। ये पहली बार हुआ है और आने वाले दिनों में और ज्‍यादा आपको नजर आएगा।

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देश आजाद होने के बाद 2015 में विदेशी मुद्रा सबसे ज्‍यादा Foreign Reserve  2015 में हुआ। देश में बैंकों का राष्‍ट्रीय करण हुआ था 1980 के कालखंड में और ये कह करके हुआ था, श्रीमती इन्दिरा गांधी जी थीं, ये कह करके हुआ था कि ये बैंकों पर गरीबों का अधिकार होना चाहिए और इसलिए बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण होना चाहिए। आजादी के 60 साल बाद भी हिन्‍दुस्‍तान के 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्‍होंने बैंक के दरवाजे देखे तक नहीं थे। वो कल्‍पना नहीं कर सकता था कि बैंक के दरवाजे उसके लिए भी खुल सकते हैं। हमने आते ही एक अभियान चलाया कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी अर्थव्‍यवस्‍था की जो मुख्‍य धारा है बैंकिंग, उससे जुड़ना चाहिए, और आज मुझे खुशी है करीब-करीब सभी नागरिक आज बैंक व्‍यवस्‍था से, प्रधानमंत्री जन-धन account से जुड़ गए। 21 करोड़ नए Bank account खुले, 21 करोड़। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा काम हुआ होगा। और हमने ये करना था तो हमने एक नियम बनाया था कि Zero Balance से भी Bank account खुलेगा, नहीं तो शायद आम बैंक का नियम होता है 50 रुपये, 100 रुपये रखोगे तभी Bank account खुलता है,क्‍योंकि स्‍टेशनरी का भी तो खर्चा होता है। हमने कहा नहीं गरीब हैं Zero amount से खोला जाएगा। आप लोगों ने कल्‍पना नहीं की होगी मैंने इस योजना के तहत एक बहुत बड़ी चीज देखी और वो है गरीबों की अमीरी। अमीरों की गरीबी तो बहुत बार नजर आती है लेकिन गरीबों की अमीरी की तरफ नजर बहुत कम जाती है। सरकार ने कहा था Zero amount से Bank Balance Zero होगा तो भी Account खुलेगा लेकिन मेरे देश के गरीबों की ताकत देखिए कि उन्‍होंने यह सोचा, नहीं-नहीं भाई मुफ्त में कैसे ले सकते हैं, हमारे देश का गरीब ये सोचता है। और उसका परिणाम ये आया Thirty four thousand crore rupees  चौंतीस हजार करोड़ रुपया इन गरीबों ने बैंक में जमा करवाया। बैंक से ले करके भाग लेने वाले एक है और बैंक में रखने वाले दूसरे हैं। अमीरों की गरीबी क्‍या होती है और गरीबों की अमीरी क्‍या होती है ये साफ नजर आता है दोस्‍तो।

हमने, हमारे देश में एक बा‍त तो, भ्रष्‍टाचार को ले करके तो सभी लोग पीडि़त हैं। व्‍यापारी लोग कहते हैं जरा practical होना चाहिए और practical का मतलब क्‍या होता हे, ये ही होता है। क्‍या corruption खत्‍म नहीं हो सकता है। मैं आज विश्‍वास से कहता हूं कि हो सकता है। थोड़ा सा, थोड़ा सा बदलाव लाना पड़ता है। भारत में ये जो गैस सिलिंडर जाते हैं घरों में, एक-एक सिलिंडर पर 250-300 रुपया Subsidy दी जाती है और करीब 18-19 करोड़ गैस सिलिंडर जाते थे हर वर्ष और उतनी Subsidy जाती थी। हमने JAM योजना बनाई है, जे ए एन, जन धन आधार मोबाइल। बैंक में जन-धन एकाउंट, आधार Unique Identity Card और एम मोबाइल।  हमने जो Gas Subsidy जाती थी उसको आधार कार्ड से जोड़ दिया और दूसरा किया कि हम एक गैस सिलिंडर बेचने वालों को Subsidy नहीं देंगे। जो गैस लेता है उसके खाते में सीधी Subsidy जमा करेंगे। बाजार में जा करके उसको जो दाम देना है देगा लेकिन उसकी Subsidy उसके खाते में जाएगी। इसका परिणाम ये आया कि पहले जो सरकारी खजाने से Subsidy जाती थी उसमें से करीब तीन-चार करोड़ लोग पता ही नहीं चला कि वो पैदा हुए थे कि नहीं पैदा हुए थे, लेकिन Subsidy जाती थी। आपको जान करके हैरानी होगी करीब-करीब 14-15 हजार करोड़ रुपये की चोरी बड़े आराम से हो रही थी, बंद हो गई, और एक बार की नहीं, हर वर्ष होता था इतना। इतने सालों में कितना गया होगा, आप मुझे बताइए मोदी ऐसा करेगा तो मोदी को परेशानी होगी कि नहीं होगी? इसके कारण कुछ लोग होंगे न जिनका नुकसान हुआ होगा? वो चुप बैठेंगे क्‍या? और इतना खाया होगा तो उनकी चिल्‍लाने की ताकत भी तो ज्‍यादा होगी। इसलिए वो चारों तरफ बोल रहे हैं, मोदी बेकार है, मोदी बेकार है, कुछ नहीं करता, मोदी कुछ नहीं करता ये सुनने को मिलेगा। बहुत स्‍वाभाविक है कि सालों से इस प्रकार की मलाई खाने वाले लोग हैं उनकी जरा हालत बहुत खस्‍ता है।

मैंने यूरिया का बताया कि यूरिया उत्‍पादन तो ज्‍यादा हुआ ही हुआ, लेकिन हमारे देश में किसानों को यूरिया में बहुत Subsidy दी जाती है। साल की करीब 80 हजार करोड़ रुपया किसानों को यूरिया Subsidy में जाता है। लेकिन ये यूरिया खेत में पहुंचता है क्‍या? यूरिया chemical factory के लिए raw material होता है। अब उनको Subsidy वाला सस्‍ते में यूरिया मिले तो उसकी जो chemical product है वो सस्‍ते में तैयार होगी तो उसको मुनाफा ज्‍यादा होगा और इसलिए उनकी सांठगांठ रहती थी। कारखाने से यूरिया निकलता था खेत में जाने के लिए लेकिन जाता था chemical के कारखाने में और सरकार की Subsidy जाती थी। हमने एक काम किया, हमने यूरिया का नीम coating किया। हमारे यहां जो नीम के पेड़ होते हैं, उसकी जो फली होती है, उसका oil निकाल करके यूरिया पर उसका coating किया। इसके कारण यूरिया में extra nutritional value हो गई और वो जमीन के लिए बड़ा फायदा देने वाली हो गई। अगर routine में 10 Kg यूरिया इस्‍तेमाल करते हैं लेकिन नीम coating वाला है तो
7 Kg  से चल जाता है जमीन का भी भला होता है। लेकिन उसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये है कि नीम coating वाला यूरिया इसके सिवाय किसी काम नहीं आ सकता है। और परिणाम ये हुआ ये जो यूरिया chemical फैक्‍टरियों में जाता था वो बंद हो गया, वो किसान के खेत में जाने लग गया और परिणाम ये आएगा, अभी उसका हिसाब निकल रहा है, हजारों करोड़ रुपये की चोरी बंद हो जाएगी। और आप सुन लीजिए अगर मोदी के खिलाफ जोर से कोई आवाज आई है तो समझ लेना कि मोदी कहीं चाबी टाईट की है। ये मान के चलना। आवाज जितनी जोर से आ जाए मेरे खिलाफ तो समझ लेना कि दाल में कुछ ...., कभी-कभी तो पूरी दाल काली नजर आती है। कहने का तात्‍पर्य ये है कि इन चीजों को बदला भी जा सकता है और परिणाम लाया भी जा सकता है।

हमारे देश में एक आदत ऐसी है कि बड़ा योजना घोषित करो, एयरकंडीशनर हॉल में दीया जलाओ, टीवी-अखबार में आ जाए तो आपका जय-जयकार चलता है, बहुत अच्‍छा काम आएगा, कोई नीचे देखता ही नहीं क्‍या हुआ। मैंने हिसाब लगाया एक बार, मैंने कहा कि भई देश आजादी को 60 साल से भी ज्‍यादा समय हो गया, 70 साल हो जाएंगे अगली साल। कितने गांव ऐसे हैं जो अभी भी 18वीं शताब्‍दी में जी रहे हैं। Eighteen Century में जीने वाले गांव कितने हैं, जहां पर अभी तक बिजली का एक खंभा भी नहीं पहुंचा है। मैंने हिसाब लगाया तो करीब 18,000 गांव ऐसे मिले कि जहां अभी बिजली का खंभा 21वीं सदी में पहुंचा नहीं है। मुझे बताइए सुन करके आपको दुख होता है नहीं होता है?  60 साल देश की आजादी, 70 साल होने जा रहे हैं क्‍या इतना काम नहीं करना चाहिए था क्‍या? होता है, देखेंगे। अब वहां से कहां आवाज आएगी? हमने तय किया ये काम करना है। मैंने अफसरों की मीटिंग बुलाई, मैंने पूछा बताओ भई कैसे करोगे? तो बोले साहब कर तो देंगे। मैंने बोला भई कितना समय लगेगा? बोले सात साल लगेंगे। तो कठिन है ये बात ठीक है बड़ी मुश्किल में है। मैंने कहा भई ये सात, कुछ कम हो सकता है क्‍या? तो उनको लगा जरा प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए कुछ तो कहना पड़ेगा। उन्‍होंने कहा साहब 6 साल में कर देंगे। खैर सुन लिया मैंने, मैं भी क्‍या करता, काम तो उन्‍हीं से लेना है। लेकिन 15 अगस्‍त को लाल किले से मैंने बोल दिया कि 1000 दिन में 18,000 गांव में हम बिजली पहुंचा देंगे। वो काम शुरू हुआ, अब तक करीब सात महीने हुए हैं, 250 दिन भी नहीं हुए हैं। आज मैं बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि 18,000 गांव में से 7,000 से ज्‍यादा गांवों में बिजली का खंभा पहुंच गया, बिजली का तार पहुंच गया, बिजली का signal है। आप में से भी किसी का interest हो तो G A R V गर्व, इस पर आप अगर वेबसाईट पर जाओगे तो पूरी detail App पर है। G A R V App है उस App पर पूरी  detail है, कितने गांव है जहां बिजली नहीं है, किसको जिम्‍मेवारी दी है, आज किस गांव में खंभा पहुंचा, आज किस गांव में गड्ढा खोदा, आज किस गांव में खंभा खड़ा हुआ, किस गांव में तार पहुंचा, कहां बिजली चालू हुई, Minute to Minute हिसाब आपके मोबाइल फोन पर available है। आप इस App को, App को देख सकते हो। इतनी transparency के साथ और इसके कारण अफसरों को भी लगा कि भई अब तो काम करना पड़ेगा, और कहीं कोई गलती करता है तो हम सामने से कहते हैं कोई गलत जानकारी है तो हमें बताओ। मैं समझता हूं कि ऐसी accountability ऐसी transparency लाई जा सकती है और लाने में हम सफल हो रहे हैं।

कहने का तात्‍पर्य ये है, आप विचार करिए हमारे देश में बालिकाएं स्‍कूल क्‍यों छोड़ देती हैं? तो हमने जरा सर्वे किया कि बच्चियां पढ़ती क्‍यों नहीं हैं गांव में। तीसरी-चौथी कक्षा में आई छोड़ देती हैं। उसका एक कारण ये ध्‍यान में आया कि स्‍कूल में बच्चियों के लिए अलग नहीं toilet है। इस एक कारण वो बच्‍ची तीन-चार कक्षा में आती है, संकोच होने लगता है, स्‍कूल छोड़ देती है। हमने अभियान चलाया toilet बनाना। सवा चार लाख स्‍कूलों में toilet बनाने का काम पूरा कर दिया बच्चियों के लिए। आज कोई स्‍कूल ऐसी सरकारी नहीं बची जहां toilet न हो।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि एक-एक विषय को ले करके पूरी ताकत से उनको जोड़ करके परिणाम प्राप्‍त करने की दिशा में हम प्रयास करते रहते हैं और उसका नतीजा ये है कि आज विकास तेज गति से हो रहा है। Per day पहले अगर रोड एक दिन में दो किलोमीटर बनते थे average तो आज हम उसको 20-22 किलोमीटर पर ले गए हैं Per day। कहां दो-तीन किलोमीटर और कहां 20-22 किलोमीटर। रेल की पटरियां, रेल का meter gauge से broad gauge बनाना, रेल का electrification, डीजल इंजन से electricity पर ले जाना, बहुत तेजी से काम चल रहा है।

आज पूरी दुनिया Global warming को ले करके परेशान है। हमने तय किया भारत renewable energy की दिशा में जाएगा Solar Energy की दिशा में जाएगा। Hundred Seventy Five Gigawatt Renewable Energy का हमने लक्ष्‍य रखा है। भारत में ज्‍यादा से ज्‍यादा Megawatt क्‍या है वो हम लोग समझते थे। हम Megawatt तक चलते थे बस। पहली बार देश ने Hundred Seventy Five Gigawatt का लक्ष्‍य तय किया, पूरी दुनिया को आश्‍चर्य हुआ क्‍या भारत ये कर सकता है? और आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि ठीक Time table से काम चल रहा है और भारत इसको achieve करके रहेगा। Solar Energy में, Solar Energy में बहुत बड़ा काम आज सरकार के द्वारा हो रहा है।हमारे देश के सेना के जवान पिछले 40 साल से one rank one pension की मांग कर रहे थे, OROP.  निवृत्‍त सेना के जवान उसके लिए मांग कर रहे थे, यहां भी शायद कोई निवृत्‍त फौजी बैठे होंगे, लेकिन सरकार वादे करती रहती थी और कभी 200 करोड़ रुपया बजट में डालना और कहना कि हम OROP लाएंगे। OROP लाना है तो कम से कम हर साल 10 हजार करोड़ रुपया लगता है। पहले की सरकारों ने वादे करते रहे। देश के लिए जीने-मरने वाले सेना के जवानों के लिए ये ही चलता रहा। हम आए और आज मुझे बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि मां भारती के लिए जीने-मरने के लिए निकले हुए जवानों का OROP का सवाल हमने पूर्ण कर दिया और OROP देना शुरू कर दिया। इस बार अभी दो महीने पहले जब उनके Bank Account में पैसे गए तो उनके लिए कोई खुशी का यानि कल्‍पना नहीं कर सकते, धमाधम चैक आना शुरू हो जाए तो उसके जीवन में कितना बड़ा आनंद हुआ होगा। देश के फौज के लिए जीने-मरने, देश के लिए जीने-मरने वाले लोग, उनको जीवन में कितना संतोष हुआ होगा, हां देश मेरी चिंता कर रहा है, मेरे परिवार की चिंता कर रहा है, इस काम हो हमने पूरा कर दिया।

बंगलादेश, कभी-कभी लगता है कि पड़ौसी देशों के साथ समस्‍याओं का समाधान हो सकता है क्‍या? भारत-पाकिस्‍तान का विभाजन हुआ, आज जहां बंगलादेश है वहां पूर्वी पाकिस्‍तान था। एक जमीन का विवाद तब से चल रहा था। 71 में बंगलादेश अलग बन गया तब भी ये सवाल चलता रहा। एक विवाद था पानी के बंटवारे का, समुद्र का पानी, कहां उनकी सरहद होती है कहां हमारी होती है और तीसरा था सीमा का। आपको जान करके खुशी होगी हमारी सरकार आने के बाद किसी भी प्रकार की गोली चले बिना, किसी भी प्रकार का संघर्ष हुए बिना बंगलादेश के साथ बैठ करके सीमा का विवाद समाप्‍त हो गया। भारत में जिनको आना था वो भारत में आ गए, जिनको बंगलादेश जाना था वो बंगलादेश हो गए, सीमा तय हो गई, अब वहां fencing लग जाएगी, घुसपैठ की जो बीमारी है वो भी बंद हो जाएगी और दोनों देश सुख-चैन से जिंदगी गुजारेंगे।

पानी का विवाद था वो भी निपट गया। दुनिया के सामने हमने एक मिसाल रखी है कि पड़ौसी देशों के साथ बातचीत से मसले solve किए जा सकते हैं। कुछ पड़ौसी है जिनको बात‍गले नहीं उतरती। अब पड़ोसी कैसे बदलेंगे, लेकिन उनको भी समझ आएगा, कभी न कभी समझ आएगा। कहने का मेरा तात्‍पर्य ये है भाईयो कि अनेक ऐसे काम जो इस सरकार ने विकास की दिशा में एक के बाद एक कदम उठाए उसका परिणाम ये आया है कि देश बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

मैं जब यहां आ रहा था तो मैंने मेरी एक Narendra Modi App है, आप मोबाइल फोन पर download कर सकते हैं और मैं हमेशा आपकी सेवा में मौजूद रहता हूं। तो लोग मुझे कुछ न कुछ लिखा करते हैं, अपने सुझाव भेजते हैं। मुझे यहां आने से पहले आपके ब्रसेल्‍स से, Antwerp से कुछ लोगों ने मुझे सुझाव भेजे हैं। कोई रोहित अरोड़ा है, कोई चंदा कोरगांवकर है, कोई कांता ओडिडो है, कोई प्रकाश अडवाणी है, कोई सुशांत गुप्‍ता है, और सब लोगों ने मुझे भारत और बेलिज्‍यम और यूरोप के संबंधों को कैसे मजबूत बनाया जाए इसके विषय में मुझे सुझाव लिख करके भेजे हैं। कुछ लिखने वाले छोटे बच्‍चे भी होंगे, उस प्रकार का भी लिखा है कुछ बच्‍चों ने। लेकिन मैं इसे पढ़ता हूं, ये मुझे बड़ी ऊर्जा देता है, ये जो मेरे साथ जो संपर्क बनाए रखते हैं। कोई डॉक्‍टर सचिन और डॉक्‍टर रुता, उन्‍होंने Indian Community और खासतौर से बच्‍चों में भारतीय संस्‍कृति की समझ कैसे पड़े और भारतीय परिवारों के रोजमर्रा के जीवन में भारतीय जीवनशैली कैसे आए इस बारे में अपने प्रयासों के बारे में लिखा है। अब बताइए परिवार उनका, बच्‍चे उनके और संस्‍कार का contract मुझे दे रहे हैं। लेकिन मैं खुश हूं, मैं उनका आभारी हूं कि दोनों डॉक्‍टर होने के बाद भी उनका इरादा है कि बच्‍चे भारतीय परम्‍परा में पलें-बढ़ें यहां की परम्‍परा में न पलें-बढ़े, ये खुशी की बात है। कोई सुभाष नांबयार है, उनकी सात साल की बेटी मीनाक्षी नांबयार, उसने बड़ी मजेदार बात लिखी है, उसने लिखा है कि मेरे पास जो पैसे जमा होते हैं वो सारे पैसे मैं हिन्‍दुस्‍तान में किसी गरीब बच्‍चों की पढ़ाई के लिए दे देना चाहती हूं। मैं मीनाक्षी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उसने मुझे मेरे App पर ये लिखा है कि मेरे पास जो कुछ भी पैसे कोई मिलते है कभी-कभी त्‍योहार पर वो मैं गरीब बच्‍चों की पढ़ाई पर खर्च करना चाहती हूं। खैर, Narendra Modi App के माध्‍यम से मुझे देश और दुनिया के हर छोटे-मोटे से संपर्क रहता है, आप भी मुझसे संपर्क बनाए रखिए, उसमें सरकार के कामों की भी बहुत सारी जानकारियां रहती हैं, वो जानकारियां शायद आपको काम आ जाएं।

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जो non residential के पास अगर पेन कार्ड नंबर नहीं है तो उनको higher rate TDS लि‍या जाता है। अभी हम लोगों ने इस बजट में NRI के लि‍ए कोई भी alternative document होगा तो भी उसको higher rate TDS की झंझट से मुक्‍ति‍मि‍ल जाएगी। अब पोर्ट और एयरपोर्ट पर single window system शुरू हो जाएगा। International passengers के लि‍ए custom baggage’s rules और अधि‍क सरल बना दि‍ए जाएंगे। अभी जो free baggage’s की जो limit है उसको थोड़ा बढाएंगे। कुछ ले आइए न देश में।

हम लोगों ने FDI में कुछ reforms कि‍ए हैं।  कोई NRI की कंपनी या उसका ट्रस्‍ट अगर भारत में FDI नि‍वेश करता है, investment करता है तो उसको जैसे कोई हि‍न्दुस्‍तान के अंदर हि‍न्‍दुस्‍तान का नागरि‍क जि‍स नीति‍नि‍यमों से investment करता है, वैसे ही सारे लाभ NRI को भी दि‍ए जाएंगे। अब तक उसमें अंतर था। उसमें और कठि‍नाइयां रहती थी अब हमने उनको नि‍काल दि‍या है।

सरकार ने food processing में भी 100% FDI को open up कर दि‍या है। E-commerce, चाय-कॉफी के plantation हो, construction sector हो, उसमें भी Foreign direct investment के लि‍ए हमने काफी सुधार कि‍ए है। बाकी तो कई बातें हैं जो हम ‘मदद’ नाम का एक पोर्टल चलता है। कि‍सी भी NRI को कोई तकलीफ हो तो आप ‘मदद’ पोर्टल पर जाकर के तुरंत अपनी बात बता सकते हो।

आज वि‍श्‍व भर में पहली बार वि‍श्‍व वि‍भाग के साथ, भारत की foreign embassies के साथ भारतीयों का नाता एक अलग बनता जा रहा है। एक-दूसरे को मदद का माहौल बनता जा रहा है। यह अपने आप में एक सुखद परि‍णाम है। छोटे-मोटे बहुत परि‍वर्तन लाने का प्रयास कि‍या है। आप लोग इतनी बड़ी संख्‍या में आए। आपने जो प्‍यार दि‍या मैं उसके लि‍ए बहुत आभारी हूं लेकि‍न हम जहां भी हो हम यह कोशि‍श करे कि‍हम भारत के एक सच्‍चे लोकदूत है।

दुनि‍या की कि‍सी भी भाषा का कोई भी व्‍यक्‍ति‍क्‍यों न हो, उसके दि‍ल-दि‍माग में भारत की गौरव-गाथा, भारत का इति‍हास, संस्‍कृति‍, परंपरा, टूरि‍ज्‍म, उसमें हम जि‍तना कर सकते हैं, करने की कोशिश करें। भारत में टूरि‍ज्‍म के लि‍ए बहुत संभावनाएं हैं। यह हमारी कोशि‍श रहनी चाहि‍ए कि‍वि‍श्‍व के लोग भारत को देखने के लि‍ए आतुर हो। भारत में रोजगार की संभावनाओं के अनेक क्षेत्र हैं, उसमें एक क्षेत्र टूरि‍ज्‍म हैं। भारत दुनि‍या का सबसे नौजवान देश है। 65 प्रति‍शत लोग 35 से नीचे की उम्र के है। जि‍स देश के पास ऐसी जवानी हो, वो देश हर सपनों को पूरा करने का सामर्थ्‍य रखता है। उसी एक वि‍श्‍वास के साथ मैं आपको एक वि‍श्‍वास दि‍लाना चाहता हूं, देश नई ऊंचाइयों को पार करता रहेगा, देश पूरी ताकत से आगे बढ़ता चला जाएगा और भारत जि‍न सपनों को लेकर के नि‍कला है उन सपनों को पूरा करेगा, यह मेरा पक्‍का वि‍श्‍वास है।

मैं फि‍र एक बार आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद। Thank you.

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PM chairs 48th PRAGATI meeting
June 25, 2025
QuotePM reviews key projects in Mines, Railways, and Water Resources; calling for time-bound execution
QuoteFocus on Health equity: PM urges States to fast-track development of Health Infrastructure in remote and Aspirational districts
QuotePM highlights strategic role of Defence self-reliance; encourages nationwide adoption of best practices

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 48th meeting of PRAGATI, the ICT-enabled, multi-modal platform aimed at fostering Pro-Active Governance and Timely Implementation, by seamlessly integrating efforts of the Central and State governments, at South Block, earlier today.

During the meeting, Prime Minister reviewed certain critical infrastructure projects across the Mines, Railways, and Water Resources sectors. These projects, pivotal to economic growth and public welfare, were reviewed with a focus on timelines, inter-agency coordination, and issue resolution.

Prime Minister underscored that delays in project execution come at the dual cost of escalating financial outlays and denying citizens timely access to essential services and infrastructure. He urged officials, both at the Central and State levels, to adopt a results-driven approach to translate opportunity into improving lives.

During a review of Prime Minister-Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission (PM-ABHIM), Prime Minister urged all States to accelerate the development of health infrastructure, with a special focus on Aspirational Districts, as well as remote, tribal, and border areas. He emphasized that equitable access to quality healthcare must be ensured for the poor, marginalized, and underserved populations, and called for urgent and sustained efforts to bridge existing gaps in critical health services across these regions.

Prime Minister emphasised that PM-ABHIM provides a golden opportunity to States to strengthen their primary, tertiary and specialised health infrastructure at Block, District and State level to provide quality health care and services.

Prime Minister reviewed exemplary practices fostering Aatmanirbharta in the defence sector, undertaken by various Ministries, Departments, and States/UTs. He lauded these initiatives for their strategic significance and their potential to spur innovation across the defence ecosystem. Underscoring their broader relevance, Prime Minister cited the success of Operation Sindoor, executed with indigenous capabilities, as a powerful testament to India’s advancing self-reliance in defence sector.

Prime Minister also highlighted how the States can avail the opportunity to strengthen the ecosystem and contribute to Aatmanirbharta in defence sector.