PM Modi's speech in a public meeting in Hooghly, West Bengal

Published By : Admin | February 22, 2021 | 16:10 IST
I assure people of Bengal that when BJP will be voted to power, you don't have to compromise with your culture: PM Modi
Today it's a big day for lakhs of students and workers who can now travel to Kolkata with the help of metro corridor from Dakshineswar: PM Modi
Centre transfers money directly into bank accounts of farmers and poor: PM Modi in Bengal
Started 'Jal Jeevan Mission' to provide clean potable water to every household: PM Modi in Bengal
BJP will give Bengal a government that ensures development of all, appeasement of none: PM Modi

हुगली नोदी पूरो बांग्लार जॉल जीबौनधारा! 

एइ देबोत्तो भूमि ते एशे आमी, बाबा तारकनाथ आ माहाप्रोभु जगन्नाथ देब के शौतो-शौतो प्रोणाम जानाई !

आप लोगों का यह उत्साह, यह उमंग, यह ऊर्जा कोलकाता से लेकर दिल्ली तक बहुत बड़ा संदेश दे रहा है। अब पश्चिम बंगाल पोरिबोर्तन का मन बना चुका है।

एक बार फिर मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की... जय !

वंदे.... मातरम्

वंदे.... मातरम्

 

साथियो, 

आज इस वीर धरा से पश्चिम बंगाल अपने तेज विकास के संकल्प को सिद्ध करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है। पिछली बार मैं आपको गैस कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर का उपहार देने आया था, आज रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी को मजबूत करने वाले महत्वपूर्ण काम शुरू हो रहे हैं। थोड़ी देर में हुगली की, पश्चिम बंगाल की रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी के अनेक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण होना है। इन महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए, बंगाल के उज्ज्वल भविष्य के लिए मैं आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 

साथियो, 

दुनिया में जितने देश गरीबी से बाहर आए या गरीबी मिटाने में सफल हुए या विकसित देश बने, ऐसे सभी देशों में एक बात बहुत कॉमन देखी जाती है। इन देशों ने अपने यहां सही समय पर बड़ी संख्या में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया। आधुनिक हाईवे, आधुनिक रेलवे, आधुनिक एयरवे, इन देशों के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने, इन देशों को आधुनिक बनाने में मदद की, वहां ये एक प्रकार से परिवर्तन का बहुत बड़ा कारण बना। हमारे देश में भी यही काम दशकों पहले होना चाहिए था। लेकिन हुआ नहीं।

अब हमें और देर नहीं करनी है।

हमें एक पल भी रुकना नहीं है।

हमें एक पल भी गंवाना नहीं है।

इसी सोच के साथ आज देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर अभूतपूर्व जोर दिया जा रहा है, अभूतपूर्व निवेश किया जा रहा है। बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, खेती, उद्योग, टूरिज्म, युवाओं को रोजगार, यानि विकास के हर पहलू के लिए जो मूलभूत आवश्यकता होती है। इसलिए पश्चिम बंगाल में भी कनेक्टिविटी से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भारत सरकार की प्राथमिकता है, हमारी भी प्राथमिकता है। बीते वर्षों में हाईवे, रेलवे, एयरवे, वॉटरवे और आईवे, हर प्रकार की कनेक्टिविटी पर फोकस किया गया है। यहां बंगाल में भी हज़ारों करोड़ रुपए निवेश किए गए हैं। बंगाल में रेल लाइनों के चौड़ीकरण और बिजलीकरण का काम तेज गति से किया जा रहा है।  

भाइयो और बहनो,

अब रेलवे को लेकर पश्चिम बंगाल में संभावनाओं के नए द्वार खुल रहे हैं। पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का बड़ा लाभ पश्चिम बंगाल को होने वाला है। इस प्रोजेक्ट का एक हिस्सा चालू भी हो चुका है और बहुत जल्द पूरा कॉरिडोर खुल जाएगा, जिससे बंगाल में भी उद्योगों के लिए नए अवसर बनेंगे। इसी तरह जो विशेष किसान रेल शुरू की गई है, उसका लाभ आज पश्चिम बंगाल के छोटे किसानों को मिलना शुरू हो रहा है। अभी हाल में ही देश की 100वीं किसान रेल महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलाई गई। इससे यहां के फल, सब्जी, दूध और मछली से जुड़े छोटे किसानों को मुंबई, पुणे सहित देश के अनेक बड़े बाजारों तक सीधी पहुंच मिली है।

भाइयो और बहनो,

आज उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली जिलों के लाखों छात्र-छात्राओं, कर्मचारियों, श्रमिकों के लिए भी बहुत बड़ा दिन है। नॉर्थ-साउथ मेट्रो का नोआपाड़ा से दक्षिणेश्वर तक विस्तार होने से हर दिन इन जिलों के हजारों यात्रियों को लाभ होगा। अब आपको कोलकाता आने-जाने के लिए आधुनिक और सुविधासंपन्न, तेज पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल गया है।

भाइयो और बहनो,

चंद्रनगर सहित ये पूरा क्षेत्र, भारत की आजादी का, भारत की संस्कृति और भारत के ज्ञान-विज्ञान का एक प्रकार से तीर्थ है।महर्षि अरबिंदो, मोतीलाल रॉय, रास बिहारी बोस, बिपिन बिहारी गांगुली, कनाई लाल दत्त, उपेंद्रनाथ बंदोपाध्याय, अनगिनत ऐसे महान व्यक्तित्वों का नाता इस धरती से है। ये वो धरती है जिसने रामकृष्ण परमहंस जैसे महान संत हमें दिए। माउंट एवरेस्ट को मापने वाले महान गणितज्ञ राधानाथ सिगर, महान भाषाविद भूदेव मुखर्जी, ऐसे मनीषियों का भी नाता इसी मिट्टी से रहा है। मुझे हैरानी है कि इतने वर्षों में जितनी भी सरकारें यहां रही हैं, उन्होंने इस ऐतिहासिक नगर को, इस पूरे क्षेत्र को अपने हाल पर ही छोड़ दिया। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को, यहां की धरोहर को बेहाल होने दिया गया।

मुझे बताया गया है कि, वंदेमातरम् भवन जहां बंकिमचंद्र जी 5 साल रहे, वो बुरी स्थिति में है। ये वो भवन है जहां उन्होंने वंदे मातरम् की रचना को लेकर मंथन किया। वो वंदे मातरम् जिसने आज़ादी की लड़ाई में नए प्राण फूंके, हमारे क्रांतिवीरों को नई ताकत दी, मातृभूमि को सुजलाम्-सुफलाम् बनाने के लिए हर देशवासी को प्रेरित किया। 'वंदे मातरम्', सिर्फ इन दो शब्दों ने, गुलामी की निराशा में जी रहे देश को नई चेतना से भर दिया था। ऐसे अमर गान की रचना करने वाले के स्थान को ना संभाल पाना, बंगाल के, गौरव के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। और इस अन्याय के पीछे बहुत बड़ी राजनीति है। ये वो राजनीति है जो देशभक्ति के बजाय वोटबैंक, सबका विकास के बजाय तुष्टिकरण को बल देती है। आज यही राजनीति, बंगाल में लोगों को मां दुर्गा की पूजा से रोकती है, उनके विसर्जन से रोकती है। बंगाल के लोग, वोटबैंक की राजनीति के लिए अपनी संस्कृति का अपमान करने वाले ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं करेंगे। आज मैं बंगाल के लोगों को ये विश्वास दिलाता हूं, जब बंगाल में भाजपा की सरकार बनेगी तो हर बंगालवासी अपनी संस्कृति का गौरवगान पूरी ताकत और हिम्मत से कर सकेगा। कोई उसे डरा नहीं पाएगा, दबा नहीं पाएगा। भाजपा उस सोनार बांग्ला के निर्माण के लिए काम करेगी, जिसमें यहां का इतिहास, यहां की संस्कृति दिनोंदिन और मजबूत होगी। ऐसा बंगाल, जहां आस्था, अध्यात्म और उद्यम, सबका सम्मान होगा। ऐसा बंगाल, जहां विकास सभी का होगा, तुष्टिकरण किसी का नहीं होगा। ऐसा बंगाल, जो टोलाबाजी से मुक्त होगा, रोजगार और स्वरोजगार से युक्त होगा।

भाइयो और बहनो,

आजादी से पहले बंगाल, देश के अन्य राज्यों से कहीं आगे था। लेकिन जिन लोगों ने बंगाल पर राज किया, उन्होंने बंगाल को आज इस हालत में पहुंचा दिया है। मां-माटी-मानुष की बात करने वाले लोग, बंगाल के विकास के सामने दीवार बनकर खड़े हो गए हैं। केंद्र सरकार किसानों और गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में जमा करती है। जबकि बंगाल सरकार की योजनाओं का पैसा टीएमसी के टोलाबाजों की सहमति के बिना गरीब तक पहुंच ही नहीं पाता। यही वजह है कि गांव-गांव में टीएमसी के नेताओं की शानो-शौकत बढ़ती ही जा रही है और सामान्य परिवार गरीब से गरीब होता जा रहा है।

भाइयो और बहनो,

बंगाल के लाखों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा इसी मानसिकता के कारण नहीं मिल पाया। बंगाल के लाखों गरीब परिवार, आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा से आज भी वंचित हैं। गरीब को सुविधा मिले, इन प्रयासों को कैसे यहां रोका जाता है, इसका एक और उदाहरण मैं आपको देता हूं। देश के गांवों में हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन चल रहा है। प्रयास ये है कि हमारी बहनों-बेटियों को पानी लाने में अपना समय और अपना श्रम ना लगाना पड़े। प्रयास ये है कि हमारे बच्चों को प्रदूषित पानी से होने वाली अनेक बीमारियों से बचाया जा सके। बंगाल के लिए ये मिशन इसलिए ज्यादा जरूरी है क्योंकि यहां डेढ़-पौने दो करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में से सिर्फ 2 लाख घरों में ही नल से जल की सुविधा है। अब बताइए क्या करके रख दिया था उन्होंने।  देश में अब तक इस अभियान के तहत देश में 3 करोड़ 60 लाख घरों को पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। जहां बंगाल 2 लाख पर था, भारत सरकार ने इतना जोर लगाया, पैसे लगाए, पीछे पड़ गए, तो भी बंगाल में डेढ़-पौने दो करोड़ में से सिर्फ 9 लाख परिवारों तक ही पाइप से पानी का कनेक्शन पहुंच पाया है। यहां की सरकार जिस रफ्तार से काम कर रही है, उस रफ्तार से तो पश्चिम बंगाल के हर गरीब के घर पाइप से जल पहुंचाने में पता नहीं कितने साल बीत जाएंगे। टीएमसी सरकार, गरीबों के घर तक पानी पहुंचाने के लिए कितनी गंभीर है, इसका एक और उदाहरण आपको देता हूं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं, क्या बंगाल के लोगों को पीने का शुद्ध पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। जरा पूरी ताकत से बोलिए....मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। गांवों में भी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। गरीब को भी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। ये आपका हक है कि नहीं है। यहां की सरकार को काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। लेकिन हुआ क्या। हर घर जल पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 1700 करोड़ रुपए से ज्यादा, टीएमसी सरकार को दिए हैं। लेकिन इसमें से सिर्फ 609 करोड़ रुपए ही यहां की सरकार ने खर्च किया है। बाकी 1100 करोड़ रुपए यहां की सरकार दबाकर के बैठ गई है। ये दिखाता है कि टीएमसी सरकार को गरीब की, पश्चिम बंगाल की बहनों, बेटियों जरा भी परवाह नहीं है दोस्तो। क्या जो पानी के लिए तरस रही है वो बंगाल की बेटी है कि नहीं है। बंगाल की बेटी को पानी मिलना चाहिए कि नहां मिलना चाहिए। बंगाल की बेटी के साथ अन्याय करने वाले लोगों को क्या माफ किया जा सकता है। 

भाइयो और बहनो,

पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार सिर्फ सत्ता में पोरिबोर्तोन के लिए नहीं, बल्कि आसोल पोरिबोर्तोन के लिए बनानी है। बल्कि यहां कमल खिलाना इसलिए जरूरी है ताकि पश्चिम बंगाल की स्थिति में वो आसोल पोरिबोर्तोन आ सके जिसकी उम्मीद में आज हमारा नौजवान जी रहा है। ये हुगली, अपने आप में बहुत बड़ा उदाहरण है कि बीते दशकों की अव्यवस्था ने पश्चिम बंगाल को किस हाल में पहुंचा दिया है। हुगली जिला तो भारत में उद्योगों का एक प्रकार से हब था। हुगली के दोनों किनारों पर जूट इंडस्ट्री थी, आयरन और स्टील मशीनों के बड़े-बड़े कारखाने थे। बड़े पैमाने पर यहां से निर्यात होता था। लेकिन अब आज हुगली की क्या स्थिति है, ये आप भली-भांति जानते हैं। एक समय था जब पूर्वी भारत के अनेक लोकगीतों में हर घर में माताएं-बहनें किसी भी शुभ अवसर पर गीत गाती थी, जो लोकगीत गाते थे, उसमें गाया जाता था कि घर के लोग कमाने के लिए ‘कलकत्ता’ गए हैं। उस समय शब्द प्रयोग करते थे, कलकत्ता गए हैं। इन गीतों में ये उम्मीद लगाई जाती थी कि ‘कलकत्ता’ से आते समय, अपना परिवार का व्यक्ति जब घर लौटेगा तो घर के लोगों के लिए कलकत्ता से क्या-क्या लाएगा? कौन-कौन से उपहार लाएगा। कौन-कौन सी चीज कलकत्ता में नई बनी है, वो अब हमारे गांव, हमारे घर में आएगी। ऐसे गीत बंगाल के बाहर ओडिशा हो, बिहार हो, आंध्र-तेलंगाना तक, इधर असम, नॉर्थ-ईस्ट लोग स्वर में गाते थे। अब ये सब बदल गया है। अब इस औद्योगिक शहर के निवासियों को, बंगाल के बहुत से निवासियों को काम करने के लिए दूसरों राज्यों में जाना पड़ रहा है। इस स्थिति को बदलने का काम बंगाल में बनने वाली भाजपा सरकार करेगी। भाजपा सरकार, औद्योगिक विकास की नीतियों में बदलाव करेगी, तेजी से निर्णय लिए जाएंगे, इस क्षेत्र का विकास किया जाएगा।

साथियो, 

एक दौर था जब पश्चिम बंगाल की जूट मिलें, देश की अधिकांश ज़रूरतों को पूरा करती थीं। लेकिन इस इंडस्ट्री को भी अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। जबकि इससे हमारे किसान, हमारे श्रमिक, हमारे गरीब, उनका इस व्यवसाय से सीधा नाता था। जब से केंद्र में भाजपा सरकार आई है, तबसे जूट किसानों की चिंता की गई। अब तो गेहूं की पैकेंजिंग में जूट के बोरों को कंपल्सरी किया गया है। चीनी की पैकिंग के लिए भी बड़ी मात्रा में जूट का उपयोग अब हो रहा है।

साथियो, 

हुगली के आलू किसान, जो यहां की शान रहे हैं, उनकी स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। यहां के आलू और धान किसानों को कौन लूट रहा है, ये आप अच्छी तरह जानते हैं। जब तक यहां फूड प्रोसेसिंग के कारखाने नहीं लगेंगे, जब तक किसानों को अपनी उपज बेचने की आजादी नहीं मिलेगी, तब तक ना तो किसानों का हित होगा और ना ही मेरे मजदूर भाइयों-बहनों का।

साथियो,

बंगाल में निवेश के लिए उत्साह की कमी नहीं है, मुसीबत है सरकार ने जो  माहौल बनाया है। कट-कट-कट का जो कल्चर बनाया है। सिंडिकेट के हवाले बंगाल दे दिया है। उसी के कारण ये माहौल बिगड़ता गया है। जब भी मैं विदेश में प्रबासी बंगाली बहनों-भाइयों से मिलता हूं, तो अपनी मातृभूमि के लिए योगदान देने के लिए, हर बंगाल का बेटा-बेटी आज दुनिया में कहीं भी होगा, वो यहां के लिए कुछ करना चाहता है। लेकिन उनकी सिर्फ एक ही शिकायत रहती है कि वो योगदान करें भी तो कैसे करें। आज के पश्चिम बंगाल में किराए पर बिल्डिंग भी लेनी हो तो उसमें भी कट लगता है। और ये ऐसे बदमाशी कर रहे हैं कि दोनों तरफ से कट लेते हैं। बिना सिंडिकेट की इजाजत के किराए पर बिल्डिंग भी नहीं ले सकते। इस स्थिति को, पश्चिम बंगाल के बारे में बनाई गई इस धारणा को हमें मिलकर बदलना है, इसलिए यहां आसोल पोरिबोर्तोन लाना है, कमल खिलाना है। 

साथियो,

बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक यहां सिंडिकेट राज रहेगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जबतक यहां टोलाबाजों का राज रहेगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जबक Cut Culture बंगाल में रहेगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जबतक शासन-प्रशासन गुंडों को आश्रय देगा। बंगाल का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक कानून का राज पश्चिम बंगाल में स्थापित नहीं होता। ये तब तक संभव नहीं है, जबतक पश्चिम बंगाल के सामान्य जन की सुनवाई करने वाली सरकार यहां नहीं बनती है। इसी स्थिति को बदलने के लिए आज पश्चिम बंगाल के कोने-कोने से आवाज आ रही है- “आर नॉय अन्नॉय, आमरा आशोल पोरिबोर्तन चाई।” 

भाइयो और बहनो,

मुझे विश्वास है कि हम सभी साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के किसानों, श्रमिकों, यहां के युवाओं को बेहतर भविष्य दे पाएंगे। भाइयों-बहनों एक बार फिर जो अनेक सौगातें बंगाल को मिल रही हैं, उज्ज्वल भविष्य के लिए ये इंफ्रास्ट्रक्चर के काम आने वाले हैं, और इन सबके लिए आप सबको मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बोलिए, 

भारत माता की.... जय !

भारत माता की....जय !

वंदे.....मातरम् !

वंदे....मातरम् !

 

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Prime Minister shares Sanskrit Subhashitam highlighting the power of collective effort
December 17, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, shared a Sanskrit Subhashitam-

“अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः॥”

The Sanskrit Subhashitam conveys that even small things, when brought together in a well-planned manner, can accomplish great tasks, and that a rope made of hay sticks can even entangle powerful elephants.

The Prime Minister wrote on X;

“अल्पानामपि वस्तूनां संहतिः कार्यसाधिका।

तृणैर्गुणत्वमापन्नैर्बध्यन्ते मत्तदन्तिनः॥”