QuoteIndia's self-confidence is at an all time high: PM Modi in Lok Sabha
QuoteIt is this Lok Sabha that has passed stringent laws against corruption and black money: PM
QuoteIt is this Lok Sabha that passed the GST: PM Modi

अध्‍यक्ष महोदया जी, मैं सदन के सभी सदस्‍यों की ओर से और मेरी तरफ से इस 16वीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल को अध्‍यक्षा के रूप में जिस धैर्य के साथ, संतुलन के साथ और हल पल मुस्‍कराते रहते हुए आपने सदन को चलाया, इसके लिए आप अनेक-अनेक अभिनंदन के अधिकारी हैं।

देवी अहिल्‍या जी का जीवन, उनकी शिक्षा; आपके मन पर उसका बड़ा प्रभाव है और उससे पाई हुई शिक्षा को, उससे पाए हुए आदर्शों को यहां चरितार्थ करने के लिए आपने हर पल कोशिश की है और उन्‍हीं आदर्शों पर चलते हुए कभी दाईं तरफ के लोगों को तो कभी बाई तरफ के लोगों को आपने उस तराजू से तोल करके कभी कोई कठोर निर्णय भी किए हैं, लेकिन वो मूल्‍यों के आधार पर लिए हुए हैं, आदर्शों के भी आधार पर लिए हुए हैं और लोकसभा की उत्‍तम परिपाटी को बनाने के लिए वो सदा-सर्वदा उपयुक्‍त रहेंगे, ऐसा मेरा पूरा विश्‍वास है।

आपने जिस स्‍त्री संगठन की शुरूआत की, मैं समझता हूं कि नए सदस्‍यों के लिए ये अपने-आप में बहुत उपकारक काम आपने किया है। उसमें डिबेट को, उसके content को, जानकारियों को और अधिक समृद्ध करने की बहुत बड़ी भूमिका अदा की है।

अध्‍यक्ष महोदया, 2014 में, मैं भी उन सांसदों में से एक था, जो पहली बार आए थे। न मैं इसकी जोगरफी जानता था, न किस गली से कहां जाते हैं वो भी पता नहीं था; बिल्‍कुल नया था और हर चीज को बड़ी जिज्ञासा से देखता था, ये क्‍या है, यहां क्‍या है; ऐसे सब देख रहा था। लेकिन जब मैं यहां बैठा तो ऐसे ही देख रहा था, ये बटन किस चीज के हैं, क्‍या हैं, समझने की कोशिश करता था; तो मैंने यहां एक प्‍लेट देखा। उस प्‍लेट पर, क्‍योंकि मेरी को जानकारी है कि मेरे पहले 13 प्रधानमंत्रियों ने इस स्‍थान पर रह करके अपना दायित्‍व निभाया है, लेकिन मैंने प्‍लेट देखा, उसमें सिर्फ तीन ही प्रधानमंत्री के नाम हैं। ऐसा क्‍यों हुआ होगा, क्‍या तर्क होगा, जो liberal विचार के बहुत बड़े विद्वान लोग रोज उपदेश देते रहते हैं, वो जरूर इस पर चिन्‍तन करेंगे और कभी-कभी हमारा मार्गदर्शन करेंगे।

लेकिन, यानि हर चीज मेरे लिए एक नई थी, जिज्ञासा थी और उसी समय से मैं देख रहा हूं कि काम हमारा, करीब-करीब तीन दशक बाद एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है और आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस गौत्र की नहीं है, ऐसी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है। कांग्रेस गौत्र नहीं था- ऐसी मिली-जुली पहली सरकार अटलजी की बनी थी और कांग्रेस गौत्र नहीं है, ऐसी पूर्ण बहुमत वाली पहली सरकार 2014 में बनी और इस 16वीं लोकसभा में 17 सत्र हुए, 8 सत्र ऐसे रहे जिसमें 100 प्रतिशत से अधिक काम हुआ और औसतन हम देखें तो करीब 85%  outcome के साथ आज हम विदाई ले रहे हैं।

संसदीय मंत्री का अपना एक दायित्‍व रहता है, तोमर जी अभी संभाल रहे हैं। प्रारंभ में वेंकैया जी देखते थे; कुशलता से उन्‍होंने निभाया। अब उप-राष्‍ट्रपति पद पर और हमारे वरिष्‍ठ सदन के संचालक के रूप में भी एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। अनन्‍त कुमार जी की कमी हमें जरूर महसूस हो रही है, एक हंसते-खेलते-दौड़ते हमारे साथी की, लेकिन इन सबने जो काम किया उनका भी मैं अभिनंदन करता हूं।

ये सोलहवीं लोकसभा इस बात के लिए भी हमेशा हम गर्व करेंगे, क्‍योंकि देश में इतने चुनाव हुए, उसमें पहली बार सबसे ज्‍यादा महिला सांसद वाला ये हमारा कालखंड था, सबसे ज्‍यादा ये अपने आप में एक। उसमें भी 44 महिला सांसद पहली बार आई थी, ये भी अपने-आप में, और पूरे कार्यकाल में देखा है महिला सांसदों का प्रतिनिधित्‍व, participation और बातचीत की ऊंचाई; हर प्रकार से हमने register करनी चाहिए, उतनी ऊंची थी। सभी महिला सांसद अभिनंदन की अधिकारी हैं।

देश में पहली बार कैबिनेट में सर्वाधिक महिला मंत्री हैं और देश में पहली बार security से संबंधित कमेटी में दो महिला मंत्री प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं- रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री, ये भी अपने आप में और ये भी खुशी की बात है कि पहली बार स्‍पीकर एक महिला है, साथ-साथ हमारे रजिस्‍ट्रार जनरल भी, हां- सेक्रेटरी जनरल भी; वो भी हमारे यहां महिला के रूप में विराजमान हैं। इसलिए लोकसभा सेक्रेटरी जनरल और उनकी सारी टीम को और यहां के पूरे परिसर को संभालने वाले, हर कोई अभिनंदन के अधिकारी हैं। मैं उनको भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत अभिनंदन करता हूं।

इस सदन में, कोई इसका अर्थ ये न करें कि मैं यहां कोई government की उपलब्धियां बताने के लिए खड़ा हुआ हूं। लेकिन जो काम इस सदन ने किए हैं, अगर पांच साल के उस ब्‍यौरे को देखें, और हम सब इसके हिस्‍सेदार हैं; विपक्ष में रह करके भी उसको ताकत बढ़ाने में काम किया है, पक्ष में रह करके भी उसकी मदद की है और इसलिए सदन के सभी साथियों का उसमें गौरवपूर्ण योगदान रहता है।

हमारे लिए बीते साढ़े चार वर्षों में, उस कार्यकाल में, हम सब के लिए खुशी की बात है कि आज देश दुनिया की छठवें नंबर की इकोनॉमी बना है। इस कार्यकाल का भी ये गौरव का काम है और इसके हम सभी भागीदार हैं। नीति निर्धारण यहीं से हुआ है और five trillion dolor की economy बनने की दिशा में, हम उस दरवाजे पर दस्‍तक देने की तैयारी में हैं, इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके लिए भी इस सदन की गतिविधियों का अपना बहुत बड़ा रोल है।

आज भारत का अपना आत्‍मविश्‍वास बहुत बढ़ा है और आगे बढ़ने की बड़ी ताकत होती है आत्‍मविश्‍वास, जीतने की ताकत होती है आत्‍मविश्‍वास, संकटों से जूझने का सामर्थ्‍य होता है आत्‍मविश्‍वास; आज देश आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ है। इस सदन ने जिस सामूहिकता के साथ, जिस गति के साथ इन निर्णायक प्रक्रियाओ को आगे बढ़ाया है, इस विश्‍वास को पैदा करने में इसने बहुत बड़ी भूमिका अदा की है।

आज विश्‍व की सभी प्रतिष्ठित संस्‍थाएं, विश्‍व–मान्‍य संस्‍थाएं भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के संबंध में बिना हिचकिचाहट, एक स्‍वर से उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के संबंध में अपनी संभावनाएं बताते रहते हैं। और ये देश के लिए स्‍वाभाविक रूप से यही कालखंड रहा है कि भारत digital world  में अपनी जगह बना चुका है, अनेक उपलब्धियां प्राप्‍त की हैं।

ऊर्जा के क्षेत्र में, ऊर्जा बचत के क्षेत्र में भारत ने, दुनिया global warming की चर्चा कर रही है, उस global warming के जमाने में ये देश है जिसने  international solar alliance को lead किया। और जिस प्रकार से आज विश्‍व में petroleum product वाले देशों के गठबंधन की ताकत बनी है, वो दिन दूर नहीं होगा जब भारत के इस निर्णय का असर आने वाले दशकों में नजर आएगा। उतनी ही ताकत के साथ international solar alliance एक global warming के खिलाफ लड़ाई, पर्यावरण सुरक्षा की चिंता; लेकिन दुनिया को एक alternate जीवन देने की व्‍यवस्‍था, ये करने में मैं मानता हूं कि ये कार्यकाल अपनी एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहा है।

Space की दुनिया में भारत ने अपना स्‍थान बनाया है। लेकिन अधिकतम satellite launch करने का काम इसी कार्यकाल में दुनिया के लिए भारत के एक, हमारी ताकत तो बना, एक launching pad के रूप में आज विश्‍व के लिए भारत एक destination बना है। वो economic activity का भी एक सेंटर बनता चला जा रहा है। Make in India की दिशा में, manufacturing के क्षेत्र में भारत आज आत्‍मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ने की दिशा में तेज कदम उठा रहा है।

वैश्विक परिवेश में आज भारत को गंभीरता से सुना जाता है। और मैं, कभी-कभी मैं कहता हूं, लोगों को ये भ्रम होता है कि भई मोदी हैं या सुषमा जी हैं, इसके कार्यकाल में दुनिया में हमारी इज्‍जत बहुत बढ़ गई है, दुनिया में वाह-वाही हो रही है। वो कहते होंगे लोग, लेकिन reality जो है वो और है। जिस reality का मूल कारण है पूर्ण बहुमत वाली सरकार। दुनिया पूर्ण बहुमत वाली सरकार को recognized करती है।

30 साल का बीच का हमारा कालखंड वैश्विक परिवेश में, इस कमी के कारण देश को बहुत नुकसान हुआ है। 30 साल के बाद, 2014 में, क्‍योंकि जब उस देश का नेता जिसके पास पूर्ण बहुमत होता है, वो जब दुनिया के किसी भी नेता से मिलता है तो उसको मालूम है कि उसके पास कि इसके पास mandate है और उसकी अपनी एक ताकत है। इस बार मैंने पांचों साल अनुभव किया है कि विश्‍व में देश की एक स्‍थान बना है और उसका पूरा-पूरा यश न मोदी को जाता है, न सुषमा जी को जाता है; सवा सौ करोड़ देशवासियों के 2014 के उस निर्णय को जाता है।

उसी प्रकार से इसी कार्यकाल में विदेशों में अनेक संस्‍थाओं में भारत को स्‍थान‍ मिला, विदेशों में सुना गया। अब हम देखें बंगलादेश- इसी सदन में सर्वसम्‍मति से land dispute  का solution किया, ये बहुत बड़ा काम किया है। भारत विभाजन से विवादस्‍पद बंगलादेश बनने के बाद संकट के रूप में चला आया लेकिन उसका समाधान भी इसी सदन ने किया। और मैं समझता हूं कि हमारी अपनी एक विशेषता रही है कि हमने मिलजुल का इस काम को किया और दुनिया को, सर्वसम्‍मति का संदेश दुनिया को बहुत बड़ी ताकत देने वाला संदेश गया है। और मैं इसके लिए सदन का विशेष रूप से आज दिल से आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं; सभी दलों का आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं।

उसी प्रकार से हमारी विदेश नीति का एक नया पहलू उभर करके आया है। दुनिया में human rights, human values जाने-अनजाने में जैसे किसी दुनिया के किसी एक छोर का अधिकार रहा है, बाकी लोगों को तो कुछ इससे लेना-देना ही नहीं है और हम पर तो जैसे मानव अधिकारी विरोधी और इसी प्रकार की हमारी छवि बन गई, जबकि मानवता और वसुधैव कुटुम्‍बकम की बात करने वाला यही देश, लेकिन न जाने क्‍यों ऐसी छवि बन गई। लेकिन पिछले पांच साल में हम देखेंगे- नेपाल में भूकंप आया हो; मालदीव में पानी का संकट हुआ हो; फिजी के अंदर साइक्‍लोन की मुसीबत आई हो; श्रीलंका में अचानक साइक्‍लोन की मुसीबत आई हो; बंगलादेश के अंदर म्‍यांमार के लोगों के कारण आई हुई आपदा, मुसीबत झेलते रहते हों; हमारे लोग विदेशों में फंसे थे यमन में, उनको हजारों की तादाद में वापस लाने का काम हो; नेपाल में 80 लोगों को निकाल करके यहां सुरक्षित भेजा।

मानवता के काम में भारत ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की है। योग पूरे विश्‍व में एक गौरव का विषय बन गया है। विश्‍व में यूएन में अब तक जितने resolution पास हुए हैं, सबसे तेज गति से, सबसे ज्‍यादा समर्थन से अगर कोई resolution  पास हुआ है तो योगा के संबंध में। यूएन के अंदर बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍म जयंती, महात्‍मा गांधी की जन्‍म जयंती मनाई जा रही है। विश्‍व के सभी देशों में बाबा साहेब अम्‍बेडकर के सवा सौ वर्ष मनाए गए, महात्मा गांधीजी की जयंती मनाई गई और गांधी की 150, कोई कल्‍पना नहीं कर सकता है कि ‘वैष्‍णव जन को तेने रे कहिए’, जो हम लोगों की रगों में है, आज गांधीजी की 150वीं जयंती के निमित्‍त दुनिया के 150 देशों के प्रसिद्ध गाय‍कों ने वैष्‍णव जन को उसके रूप में गा करके महात्‍मा गांधी को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि दी है। यानी विश्‍व में एक soft power को कैसे ले जाया जा सकता है, उसका एक उदाहरण हम आज अनुभव कर रहे हैं।

26 जनवरी को हमने देखा होगा- महात्‍मा गांधी को सेंटर में रखते हुए 26 जनवरी की झांकियां, सब राज्‍यों ने किस प्रकार से गांधी को अद्भुत रूप से प्रस्‍तुत किया। यानी 150वीं जन्‍म जयंती और महात्‍मा गांधी को स्‍मरण करना। हमने इस सदन में, इस कार्यकाल में संविधान दिवस मनाया; हमने इस सदन कार्यकाल में बाबा साहेब की 150वीं जयंती के निमित्‍त विशेष चर्चा की; हमने ही इस सदन में, इस कार्यकाल में यूएन के sustainable development goal के लिए समय दिया और सबने मिल करके sustainable development goal के संबंध में चर्चा की; ये अपने-आप में, नई ये परिपाटियां इसी कार्यकाल के इसी सदन के आपके नेतृत्‍व में संभव हुआ है और इसलिए सदन के सभी सदस्‍य आपके नेतृत्‍व का अभिनंदन करते हैं, आपका आभार व्‍यक्‍त करते हैं।

करीब 219 बिल introduce हुए और 203 बिल पारित हुए। और इस सदन में जो आज सांसद हैं- 16वीं लोकसभा के संबंध में, अपने जीवन के संबंध में जब भी किसी से बताएंगे; चुनाव के मैदान में जाएंगे तब भी बताएंगे और चुनाव के बाद भी जब मौका मिलेगा, कुछ लिखने की आदत होगी तो जीवन लिखेगा तो जरूर लिखेगा कि वो उस कार्यकाल के सदस्‍य थे, जिस कार्यकाल में उन्‍होंने काले धन और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कठोर कानून बनाने का काम किया था। इस देश में ऐसे कानून, जो पहले कभी नहीं बन पाते थे, वो इस सदन ने बनाए थे और इसका बहुत बड़ा विदेश में जमा हुए काले धन के खिलाफ बहुत बड़े कानून बनाने का काम यहीं पर हुआ। दिवालिया कम्‍पनियों से जुड़ा हुआ IBC का कानून इसी सदन ने बनाया। बेनामी सं‍पत्तियों के संबंध में कानून इसी सदन ने बनाया। आर्थिक अपराध करने वाले भगौड़ों के विरुद्ध कानून इसी सदन ने बनाया।     

मैं समझता हूं कि इन पांच साल में इस सदन के कार्यकाल में काले धन और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जो कानूनी व्‍यवस्‍था चाहिए, जो कानूनी हक चाहिए, अंतर्राष्‍ट्रीय जगत में हमारे हमारे कानून की एक ताकत होनी चाहिए। इसके लिए जो कुछ भी करना चाहिए, उसको उत्‍तमोत्‍तम पुरुषार्थ से इस सदन में पारित करके देश की आने वाली शताब्‍दी की सेवा की है। और इसलिए इस सदन को आपके नेतृत्‍व को अनेक-अनेक अभिनंदन- न सिर्फ इस पल, आने वाली पीढ़ियां भी देंगी, ऐसा मेरा विश्‍वास है। यही सदन, जिसने जीएसटी का बिल पारित किया और रात को 12 बजे संयुक्‍त सत्र बुलाया और क्रेडिट लेने की कोशिश किए बिना पूर्व फाइनेंस मिनिस्‍टर और उस समय के राष्‍ट्रपति, उनके हाथों से ही जीएसटी करके, ताकि सबको इसका हक मिले; सबका साथ-सबका विकास उसमें भी चले, इसका एक प्रमाणित प्रयास किया गया।

उसी प्रकार ये सही सदन है जिसने आधार बिल को एक बहुत बड़ी कानूनी ताकत दी। आधार दुनिया के लिए अजूबा है। दुनिया को ये दिखा कि इस देश ने इतना बड़ा काम किया है, विश्‍व इसको जानने की कोशिश कर रहा है। इस कार्यकाल में सदन ने इस काम को कर-करके विश्‍व में बहुत बड़ा काम किया है।

देश आजाद हुआ, लेकिन पता नहीं वो कौन-सी हमारी मानसिकता थी कि हम शत्रु संपत्ति पर निर्णय नहीं कर पाते थे। बहुत कठोरतापूर्वक शत्रु संपत्ति बिल पारित करे भारत के 1947 के उन घावों के खिलाफ जो कुछ भी चल रहा था, उस पर काम करने का काम किया।

इस सदन में सामाजिक न्‍याय की दिशा में भी बहुत ही लम्‍बे अर्से तक समाज को प्रभाव पैदा करेगा- उच्‍च वर्ण कहे जाने वाले लोगों के लिए, यानी गरीब लोगों के लिए आरक्षण की व्‍यवस्‍था; बिना कोई कटुता, इसकी सबसे बड़ी ताकत यही है, बिना कोई उलझन, किसी के मन में आशंका न रहते हुए समाज के दबे-कुचले एक वर्ग को, उनकी बातों को वजन दिया गया और उनको विश्‍वास देते हुए कानून पारित किया। दोनों सदन के सभी दलों के सभी सांसद इसके लिए साधुवाद के पात्र हैं। और इसके लिए मैं समझता हूं ये बहुत बड़ा काम ये 10 प्रतिशत आरक्षण का हुआ है।

उसी प्रकार से ओबीसी के लिए कमीशन बनाने वाला विषय हो, या एससी, एसटी एक्‍ट की जो सुप्रीम कोर्ट के बाद जो misunderstanding हुआ, उसको ठीक करने का काम हो। Maternity benefit भी, विश्‍व के समृद्ध देश भी इस बात को सुनकर के आश्‍चर्य होता है कि क्‍या भारत में 12 हफ्ते से लेकर maternity leave 26 हफ्ते कर दी है। इस बात को आज विश्‍व, भारत को एक आगे की सोच वाले देश के रूप में देख रहा है, ये काम इसी सदन ने किया है।

सदन कानून बनाता है लेकिन इस बात के लिए भी ये कार्यकाल देश और दुनिया याद रखेगी, कि जो कानून बनाने वाला ये वर्ग उन्‍होंने कानून खत्‍म करने का भी काम किया है। 14 सौ से ज्‍यादा कानून खत्‍म इसी सदन के सदस्‍यों ने करके देश को काफी उसके जंगल जैसा कानूनों का बन गया था, उसमें रास्‍ते खोजने की दिशा में एक शुभ शुरुआत की है। 14 सौ करने के बाद भी मैं कहता हूं कि शुभ शुरुआत हुई है, अभी भी कर रहा हूं बहुत बाकी है और उसके लिए मुलायम सिंह जी ने आशीर्वाद दिए ही हैं। 

एक बहुत बड़ा काम और मैं मानता हूं कि देश को इसको अच्‍छे ढंग से जैसे पहुंचना चाहिए था, हम पहुंचा नहीं पाए हैं। हम सभी सांसदों पर एक कलंक हमेशा लगा रहता था कि हमीं लोग हमारे वेतन तय करते हैं, हमीं लोग मर्जी पड़े उतना बढ़़ा देते हैं, हम देश की परवाह नहीं करते और जिस दिन सांसदों को वेतन बढ़ता था- दुनिया भर की टीका टिप्‍पणी हमारे पास होती थी और ये पिछले 50 साल से हो रही थी।

पहली बार इस समय सभी सांसदों ने मिलकर के इस आलोचना से मुक्ति का रास्‍ता खोज लिया और एक ऐसी संवैधानिक व्‍यवस्‍था बना दी कि वो संविधान की व्‍यवस्‍था के तहत औरों का जो होगा इनका भी हो जाएगा। अब स्‍वयं इस काम के भागीदार सांसद अकेले नहीं होंगे, और सांसदों को बहुत बड़ी मुक्ति मिल गई है आलोचना से। लेकिन इसमें उत्‍तम निर्णय की जिस प्रकार से उसको जैसे registeredहोना चाहिए था, जिसकी वाह-वाही होनी चाहिए थी... 50 साल हो..... से सांसदों को गालियां सुननी पड़ी, बड़े-बड़े वरिष्‍ठ नेताओं को गालियां सुननी पड़ी है, उससे मुक्ति देने का काम किया। हमारे जितेंद्र जी ने अच्‍छा खाना तो खिलाया लेकिन बाहर हम आलोचना सुनते थे कि केंटीन के अंदर पैसा बहुत कम है और बाहर मंहगा है ये MPs क्‍यों ऐसा करते है।

मुझे खुशी है कि जितेंद्र जी की कमेटी ने मेरी भावना को स्‍वीकार किया, स्‍पीकर महोदया ने भी स्‍वीकार किया और जो बहुत सस्‍ते में यहां दिया जाता था, आपको थोड़ा जेब में थोड़ा ज्‍यादा नुकसान हो गया। लेकिन उस मैं से भी मुक्ति पाने की दिशा में हमनें कदम बढ़ाया है, और पूर्ण रूप से पहुंचने में भी आने वाले दिन में हमे अच्‍छी ताकत आकर करके हम वो भी कर लेंगे। ऐसा मेरा विश्‍वास है।

उसी प्रकार से इस सदन को और भी बहुत सी बातों का जरूर आनंद आएगा, हम कभी कभी सुनते थे, भूकम्‍प आएगा लेकिन पांच साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है, कोई भूकम्‍प नहीं आया। कभी हवाई जहाज उड़े, और बड़े-बड़े लोगों ने हवाई जहाज उड़ाये, लेकिन लोकतंत्र और लोकसभा की मर्यादा इतनी ऊंची है, भूकम्‍प को भी पचा गया और कोई हवाई जहाज उस ऊंचाई पर नहीं जा पाया, ये लोकतंत्र की ताकत है, सदन की ताकत है। कई बार तीखी नोकझोंक भी हुई है, कभी उधर से हुई कभी इधर से हुई। कभी कुछ ऐसे शब्‍दों का भी प्रयोग हुआ होगा जो नहीं होना चाहिए। इस सदन में किसी भी सदस्‍य के साथ, जरूरी नहीं इस तरफ से, उस तरफ के भी ... ये सदन के नेता के रूप में, मैं जरूर मिक्षामी दुखम: कहूंगा..  क्षमा प्रार्थना के लिए जयहिंद पर्यावरण पर्व में मिक्षामी दुखम: एक बहुत बड़ा संदेश देने वाला शब्‍द है, उस भावना को मैं प्रकट करता हूं।

मल्लिकार्जुन से हमारा भी थोड़ा बहुत रहता था। अच्‍छा होता आज उनका गला ठीक होता तो आज भी कुछ लाभ मिलता। लेकिन कभी-कभी मैं उनको सुन नहीं पाता था तो बाद मैं पूरा डिटेल देख लेता था और ये आवश्‍यक भी था। लेकिन उसके साथ-साथ मेरी विचार चेतना को जगाने के लिए उनकी बातें बहुत काम आती थी। एक प्रकार से मेरे भाषण का खादर पानी वहीं से डल जात था। तो उसके लिए भी मैं खड़गे साहब का बहुत आभारी हूं। लेकिन मैं कहूंगा... जैसे कहा गया कि लंबे समय तक पूरा समय बैठना, किसी समय हम देखते थे कि आडवाणी जी सदन का पूरा समय बैठते थे। खड़गे जी को देख लीजिए ... पूरा समय ये हम सासंदों के लिए सीखने वाला विषय है। और ये भी कम बात नहीं है कि करीब-करीब 50 साल उनके आए हैं इस जनप्रतिनिधित्‍व के। उसके बावजूद भी जनप्रतिनिधि के नाते मिली हुई जिम्‍मेवारी को जिस बखूबी आपने निभाया है, मैं आदरपूर्वक आपका अभिनंदन करता हूं। 

मैं पहली बार यहां आया था तो बहुत सी चीजें नई जानने को मिली जिसका कुछ अर्थ ही जिंदगी में पता नहीं था, पहली बार मुझे पता चला कि गले मिलना और गले पड़ना में क्‍या अंतर होता है। ये पहली बार पता चला...... मुझे पहली बार.... मैं देख रहा हूं कि सदन में आंखों से गुस्‍सा क्‍या होता है। ये आंखों की गु‍स्‍ताखियों वाला खेल भी पहली बार इसी सदन में देखने को मिला और विदेश के मीडिया ने भी बहुत उसका मजा लिया। संसद की गरिमा बनाए रखना हर सांसद का दायित्‍व रहता है और हमने इसकी भरपूर सबने कोशिश की है।

इस बार हमारे सांसद महोदय लोगों के टेलेंट का भी बड़ा अनुभव आया है, अभी जब मैं एक दिन भाषण कर रहा था, राष्‍ट्रपति जी के ऊपर ऐसा अट्टहास सुनने को मुझे मिलता था इस सदन में। मैं जरूर ये जो entertainment industry वाले हैं। उनको इस प्रकार के अट्टहास की जरूरत है इनके लिए यूटयूब से इतना देखने के लिए allow कर देना चाहिए। शायद अच्‍छे-अच्‍छे कलाकार भी ऐसे अट्टहास नहीं कर पाते होंगे जो यहां पर सुनने को मिलता था।

उसी प्रकार से ऐसी वेशभूषा और मैं हमारे टीडीपी के साथी नहीं है लेकिन टीडीपी के हमारे सांसद नारामलि शिवप्रसाद जी क्‍या अदभूत वेशभूषा पहन कर आते हैं। सारा टेंशन उनके attention में बदल जाता था। ये हंसी खुशियों के बीच हमारा ये कार्यकाल बीता है।

मुझ जैसे एक नए सांसद ने आप सबसे बहुत कुछ सीखा है। आप सबकी मदद से नया होने के बावजूद भी मुझे कभी कमी महसूस होने नहीं दी, आप सब साथियों ने। सभी तरफ से सबने और आपके नेतृत्‍व में आपके मार्गदर्शन में एक प्रथम पारी की शुरुआत में मेरी जो मदद की है इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। मैं आदरणीय मुलायम सिंह जी का विशेष रूप से आभारी हूं उनका स्‍नेह हमारे लिए बहुत मूल्‍यवान है। सबके लिए मूल्‍यवान है, सभी वरिष्‍ठजनों का श्रेय मूल्‍यवान होता है। मैं फिर एक बार आपको ह्दय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

इस परिषद से जुड़े हुए सभी स्‍टाफ के लोगों को भी अन्‍त:पूर्वक अभिनंदन देता हूं जिन्‍होंने सभी सांसदों की देखभाल की। कार्य के लिए जो भी आवश्‍यक व्‍यवस्‍थाएं करनी पड़ती थी...की, और मैं सभी सांसदों को शुभकामनाएं देता हूं कि एक स्‍वस्‍थ लोकतांत्रिक पंरपरा के लिए जब हम जनता के बीच जाने वाले हैं तो हम स्‍वस्‍थ परंपरा को कैसे आगे बढ़ाएं, एक तन्‍दुरुस्‍त स्‍पर्धा कैसे करें, उस तन्‍दुरुस्‍त स्‍पर्धा को लेकर के लोकतंत्र को तन्‍दुरुस्‍त बनाने में हम अपनी भूमिका कैसे अदा करें।

इसी सब शुभकामनाओं के साथ, इसी भावना के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं। मैं फिर एक बार नतमस्‍तक होकर के सदन के सभी सासंदों का ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

धन्‍यवाद....

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PM Modi to visit Republic of Cyprus, Canada and Croatia from 15th to 19th June
June 14, 2025

​At the invitation of the President of the Republic of Cyprus, H.E. Mr. Nikos Christodoulides, Prime Minister Shri Narendra Modi will pay an official visit to Cyprus on 15-16 June, 2025. This will be the first visit of an Indian Prime Minister to Cyprus in over two decades. While in Nicosia, Prime Minister will hold talks with President Christodoulides and address business leaders in Limassol. The visit will reaffirm the shared commitment of the two countries to deepen bilateral ties and strengthen India’s engagement with the Mediterranean region and the European Union.

In the second leg of his visit, at the invitation of the Prime Minister of Canada, H.E. Mr. Mark Carney, Prime Minister will travel to Kananaskis in Canada on June 16-17 to participate in the G-7 Summit. This would be Prime Minister’s 6th consecutive participation in the G-7 Summit. At the Summit, Prime Minister will exchange views with leaders of G-7 countries, other invited outreach countries and Heads of International Organisations on crucial global issues, including energy security, technology and innovation, particularly the AI-energy nexus and Quantum-related issues. Prime Minister will also hold several bilateral meetings on the side-lines of the Summit.

In the final leg of his tour, at the invitation of the Prime Minister of the Republic of Croatia, H.E. Mr. Andrej Plenković, Prime Minister will undertake an official visit to Croatia on 18 June 2025. This will be the first ever visit by an Indian Prime Minister to Croatia, marking an important milestone in the bilateral relationship. Prime Minister will hold bilateral discussions with Prime Minister Plenković and meet the President of Croatia, H.E. Mr. Zoran Milanović. The visit to Croatia will also underscore India's commitment to further strengthening its engagement with partners in the European Union.