Corruption Must Be Eliminated At All Levels: PM Modi

Published By : Admin | December 27, 2016 | 21:55 IST

भारत माता की....जय

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान नितिन गडकरी जी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान अजय भट्ट जी, संसद में मेरे साथी और पूर्व मुख्यमंत्री श्री खंडूरी जी, कोश्यारी जी, निशंक जी, यहां के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जी, केंद्र में मेरे साथी श्री अजय टम्टा जी, धर्मेंद्र प्रधान जी, मनसुख मानवीय जी, संसद में साथी महारानी राजलक्ष्मी जी, श्रीमान सतपाल महाराज जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव और विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाईयों और बहनों...

आप लोगों ने आज कमाल कर दिया है। सारे माथे ही माथे नजर आ रहे हैं। वहां दूर-दूर छत पर इतनी भीड़ है मुझे मालूम नहीं उनको सुनाई दे रहा है कि नहीं सुनाई दे रहा है। इतनी बड़ी संख्या में माता व बहनें आशीर्वाद देने आई हैं, मैं आपको विशेष नमन करता हूं। भाईयों और बहनों...ये देवभूमि है, ये वीरों की भी भूमि है, ये वीर माताओं की भी भूमि है और उस धरती पर इतनी बड़ी संख्या में आप मुझे आशीर्वाद देने आए, मैं आपको नमन करता हूं।

आज मेरे मन में आप लोगों के खिलाफ एक शिकायत करने की इच्छा है। करूं क्या? फिर बुरा मान जाओगे, बिल्कुल नहीं मानोगे। नहीं नहीं फिर मान जाओगे। पक्का। एकदम पक्का...बिल्कुल बुरा नहीं मानोगे। अच्छा मुझे बताइए जब 2014 में लोकसभा का चुनाव था। मैं स्वयं उम्मीदवार था प्रधानमंत्री पद का और इसी चौक में इसी मैदान में मैं आया था। उस समय आधा मैदान भी भरा नहीं था। आज क्या कारण है? अच्छा उस समय आधा मैदान भरा था, फिर भी आपने अच्छे-अच्छे लोगों को धूल चटाकर घर भेज दिया। सबके सबको चटा दिया। इस बार क्या होगा इसका मैं अनुमान लगा सकता हूं।

ये जनसैलाब... हिमालय की गोद में इतनी ठंड में इतनी बड़ी संख्या में आप लोगों का आना इस बात का संकेत है कि अब उत्तराखंड विकास के लिए इंतजार नहीं करना चाहता। भाईयों और बहनों, आज यहां जिस प्रकल्प का शिलान्यास हुआ है, उत्तराखंड के लोगों का खुश होना स्वाभाविक है। लेकिन आज ये शिलान्यास उन हजारों लोगों को श्रद्धांजलि है, जो केदारनाथ के हादसे में, हिंदुस्तान के हर कोने से आए, किसी न किसी ने अपनी जिंदगी गंवा दी थी। ये योजना, देश के हर कोने से उस भयंकर हादसे में जो लोग मारे गए थे, उन लोगों को ये श्रद्धांजलि है।

भाईयों और बहनों, ये चार धाम यात्रा के लिए उत्तम मार्ग, अच्छी व्यवस्था, उत्तराखंड के लोगों को तो रोजी-रोटी देगी, उत्तराखंड के विकास में चारों दिशाओं में नए अवसर प्रदान करेगी। लेकिन ये शिलान्यास हर हिंदुस्तानी के मन को वो संतोष देने वाला अवसर है जिसके हृदय में कभी न कभी मां गंगा के तट पर आना है। हरिद्वार ऋषिकेश जाना है, बद्रीनाथ-केदारनाथ-गंगोत्री-यमुनोत्री, चारधाम जाने का जिसका सपना है, बूढ़े मां बात को लेकर आना चाहता है, आप कल्पना कर सकते हो, आज का ये प्रकल्प उन वृद्ध मां बाप जो आने वाले दिनों में यात्रा करने आएंगे और सड़क बिना अवरोध ले जाती होगी, कितने आशीर्वाद हिंदुस्तान भर से मिलने वाले हैं, इसका अंदाज आप लगा सकते हैं।

जब बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा पर कोई आता है, जब निकलता है तो दो तीन दिन बीच में खाली रखता है। उसको टूर के ऑर्गेनाईजर बताते हैं कि देखो भाई वापिस आने का टाईम-टेबल पक्का नहीं करेगा। क्यों? पूरी यात्रा के दरम्यान कहीं लैंडस्लाइड हुआ होगा, एक दो दिन कहीं रुकना पड़ेगा, तब जाकर मुश्किल से यात्रा हो पाएगी। भाईयों और बहनों, अनिश्चितता के माहौल में यात्रा! यात्री का मन परमात्मा में लीन होना चाहिए। जिस मकसद से आया है, हर चिंता से मुक्त होना चाहिए।

लेकिन यहां तो उसको चिंता रहती है कि अगले मुकाम पर पहुंच पाएंगे, कहीं लैंडस्लाइड हो गई होगी, कहीं ट्रैफिक जाम हो गया होगा, गाड़ी ब्रेकडाउन पड़ी होगी, हम आगे निकल पाएंगे कि नहीं निकल पाएंगे। बड़ी कठिनाइयों के बाच आज हमारी यात्रा होती है। सवा सौ करोड़ का देश, हर व्यक्ति के मन में अपने मां-बाप को कभी न कभी बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के दर्शन कराने की इच्छा हो, लेकिन मेरे देश में ऐसी सरकारें आईं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की ऐसी इच्छा पूरी करने के लिए भी आवश्यक सुविधाएं नहीं कर पाईं।

भाईयों और बहनों, आप को लगता होगा कि मोदी जी ने आते ही शुरु क्यों नहीं किया। अगर मेरे लिए कोई पॉलिटिकल काम होता, सिर्फ जनता-जनार्धन की आंखों में धूल झोंकने वाला काम होता, तो पहले ही दिन आकर के दो गाड़ियां खड़ी कर देता और कहीं डामर-वामर लगाकर खड़ा कर देता तो लगता कि काम शुरु हो गया। ऐसा तो हर सरकारों ने किया है, हर मुख्यमंत्रियों ने किया है, अभी तो शायद कहते हैं रोज कर रहे हैं। अब जनता... ये राजनेता समझ लें, वो जमाना चला गया। जनता है सब जानती है। बिना बजट के पत्थर गाड़ते जाओगे तो क्या योजनाएं बनेंगी क्या? हंसते हुए चेहरे टीवी पर दिखा दोगे तो गाड़ी चल पड़ेगी क्या?

भाईयों और बहनों, जल्दबाजी में करने वाली योजनाओं से राजनीति तो चल सकती है लेकिन समाज नीति नहीं चल सकती और इसलिए हमारे नितिन जी, केंद्र में मेरे मंत्रीपरिषद के साथी, कल्पत्ता के धनी हैं। दुनिया में जो सबसे अच्छा है वो खोजने में लगे रहते हैं, किसी से भी दूर-दूर से पता चले कि उसके पास ये जानकारी है, तो सबसे पहले उसे सुनना समझना और अच्छे से अच्छा कैसे हो, उत्तम से उत्तम कैसे हो, हर पल सोचने वाले नितिन जी मेरे साथी हैं और जिस दिन से सरकार बनी उस दिन से मैंने उन्हें ये काम दिया था लेकिन दुनियाभर में ऐसे कच्चे पहाड़ कैसे रास्ता बनाया जाए...और रास्ता बने तो आने वाले सौ साल तक कभी किसी कठिनाइयों से गुजरना न पड़े और दुनिया भर की कंसल्टिंग एजेंसियों की मदद से ऐसी उत्तम रचना की गई है।

मैं विश्वास दिलाता हूं देशवासियों को कि आप जब भी यात्रा पर आएंगे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री को, जैसे पुराने जमाने में मां-बाप को यात्रा कराने में श्रवण को याद कराया जाता है, आने वाले दिनों में नितिन जी को आप जरूर याद करोगे। और जब सड़क बनती है, तो सिर्फ गाड़ियां दौड़ती हैं ऐसा ही नहीं है, 12000 करोड़ रुपये लगे हैं। इसमें जो सीमेंट लगता है, तार लगता है, पत्थर लगता है, उससे ज्यादा उसमें पसीना लगता है। और वो पसीना मेरे उत्तराखंड के नौजवानों को रोजगार देने वाला होगा। कितने लोगों को रोजगार मिलेगा आप कल्पना कर सकते हो?

12000 करोड़ जब खर्च होगा तो कितने नौजवानों के घरों में करोड़ों करोड़ रुपया अपने पसीने की कमाई का जाएगा, इसका आप अंदाज लगा सकते हो। ट्रांसपोर्ट वालों को पैसा मिलेगा, खुदाई करने वालों को मिलेगा, सामान ढोने वालों को पैसा मिलेगा। गरीब से गरीब व्यक्ति को इतना बड़ा रोजगार इसके साथ है। पूरी इकोनॉमी बदल जाएगी।

भाईयों और बहनों, हमारे उत्तराखंड की आय का सबसे बड़ा साधन यहां के यात्री हैं, टूरिज्म है। अगर व्यवस्था ठीक हो, सुविधाएं उपयुक्त हो, तो भाईयों और बहनों, हिंदुस्तान का कौन सा परिवार ऐसा होगा जो पांच दिन सात दिन यहां आकर रहने की इच्छा न करता हो। कितनी बड़ी इंकम, इकोनॉमी बदल जाएगी। भाईयों और बहनों, जब मैं 2014 में यहां आया था तो मैंने एक बात कही थी आपसे। आप शायद भूल गए होंगे। लेकिन मैं भूलने के लिए बातें करता नहीं हूं।

मैंने आपको कहा था कि पहाड़ों की जिंदगियों में ऐसा कहा जाता है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ को कभी किसी काम नहीं आती। भाईयों और बहनों, मैंने इस कहावत को बदलने का ठान लिया है। ये पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आएगा और पहाड़ की जवानी भी पहाड़ के काम आएगी। ऐसा उत्तराखंड बनाएंगे कि यहां की पहाड़ियों से युवाओं को शहरों की गंदी गंदगी में जाकर काम न करना पड़े। ऐसा उत्तराखंड बनाने का सपना लेकर चल रहा हूं। हम विकास की नई ऊंचाइयों को लेकर चलना चाहते हैं।

भाईयों और बहनों, हमारे देश में आजादी के इतने साल हुए। 18000, गांवों ऐसे निकले, मुझे बताया गया कि आजादी के 70 साल हुए, 18000 गांवों आज भी 18वीं शताब्दी में जी रहे हैं। बिजली का खंभा क्या होता है, उन्हें नहीं पता। हमने बीड़ा उठाया हजार दिन में 18000 गांवों में बिजली पहुंचाएंगे। मेरे अफसर कहने लगे कि साब जो काम 70 साल में नहीं हुआ वो एक हजार दिन में पूरा करने को कह रहे हो। मैंने कहा पहले जो हुआ सो हुआ, अब लोगों को मिजाज भी बदला है, सरकार भी बदली है, देश भी बदलेगा और इसलिए एक हजार दिन में 18000 गांवों में बिजली पहुंचाने का बीड़ा उठाया।

भाईयों और बहनों, अभी हजार दिन होने में तो देर है, करीब-करीब 12000 गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। खंभा लग गया, तार पहुंच गया और बाकि जो 6000 गांव हैं, उसमें भी तेज गति से काम चल रहा है, उसमें हमारे उत्तराखंड के भी गांव थे। वहां भी हमने तेज गति सेकाम करना शुरु कर दिया है।

आप मुझे बताइए भाईयों और बहनों, उत्तराखंड के दूर-सुदूर गांवों में बिजली पहुंचती है, क्या ये अमीरों के लिए हो रहा है क्या? अरे पूरी ताकत से बताइए क्या ये अमीरों के लिए हो रहा है क्या? ये गरीबों के लिए हो रहा है कि नहीं हो रहा? ये गरीबों के लिए हो रहा है कि नहीं हो रहा?

भाईयों और बहनों, एक जमाना था हमारे देश में गैस का सिलेंडर लेना हो तो नेताओं के घर के चक्कर काटने पड़ते थे, किसी की पहचान निकालनी पड़ती थी। कि भाई हमारे यहां एक गैस का सिलेंडर मिल जाए, कनेक्शन मिल जाए। आप हैरान हो जाएंगे कि 2014 का चुनाव था, कांग्रेस का अधिवेशन था, हिंदुस्तान के सभी चैनल वाले वहां आकर खड़े थे कि आज बहुत बड़ी घोषणा होगी। 2014 लोकसभा चुनाव के लिए बहुत बड़ी घोषणा होगी, कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा है। पूरे दिन भर मीटिंग चली। ऐसे लोगों को बड़ा बनाने की कोशिश की जा रही थी जिसका वर्णन करना भी नहीं बनता है। और बाद में घोषणा हुई तो क्या हुई?

प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा इसकी घोषणा नहीं हुई। इतने बड़े अधिवेशन में घोषणा हुई, ये मैं कांग्रेस की बात कर रहा हूं, घोषणा हुई कि अगर हमारी सरकार बनी तो अभी जो एक साल में 9 सिलेंडर मिलते हैं, हम 12 सिलेंडर दे देंगे। आप बताइए 9 सिलेंडर के 12 सिलेंडर मिलने के लिए उनकी सरकार बनाने का आह्वान किया गया था।

भाईयों और बहनों, जिस देश में गैस सिलेंडर नौ हो या बारह हो इसकी चर्चा चलती हो, और जैसे ही हमारी सरकार आती है हम फैसला करते हैं कि इस देश में गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले पांच करोड़ परिवारों को तीन साल के भीतर-भीतर गैस के सिलेंडर का कनेक्शन दे देंगे। आप कल्पना कर सकते हैं सरकार कैसे निर्णय कर सकती है। कहां नौ से बारह और कहां गरीब परिवारों को गैस का कनेक्शन।

भाईयों और बहनों, और विशेष रूप से माताएं और बहनें इतनी बड़ी संख्या में यहां आई हैं। हमें मालूम है कि पहाड़ों की जिंदगी, मेरा सौभाग्य रहा है कि उत्तराखंड में कार्यकर्ता के रूप में कई वर्षों तक मुझे कार्य करने का मौका मिला है..यहां के हर गली मुहल्ले से मैं परिचित हूं, यहां के सुख-दुख से परिचित हूं और यहां के जिंदगी से परिचित हूं, और यहां के अनेक लोगों से कंधे से कंधा मिलाकर हाथ पकड़कर के जमीन पर बैठकर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला है। इस देवभूमि का आशीर्वाद पाकर के मैं पला बढ़ा हूं।

और इसलिए मैंने देखा है, माताएं बहनें, जंगलों में जाना, लकड़ियां ढूंढ कर लाना, लकड़ी गीली न हो इसकी चिंता करना और जब एक गरीब मां खाना पकाती है लकड़ी के चूल्हे से, एक दिन में उस मां के शरीर में चार सौ सिगरेट जितना धुआं उसके शरीर में जाता है, चार सौ सिगरेट का धुआं जिस मां के शरीर में रोजाना जाता होगा, वो मां की तबियत का हाल क्या होता होगा, उस मां के बच्चों का हाल क्या होता होगा? क्या मेरी इन माताओं को बचाना चाहिए कि नहीं चाहिए? इन मां बहनों के सुख, शरीर सुख की चिंता करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए? इन मां बहनों को धुएं से बचाना चाहिए कि नहीं चाहिए?

भाईयों और बहनों, हमने बीड़ा उठाया। और अब तक लाखों परिवारों में गैस का चूल्हा पहुंच गया है, गैस का सिलेंडर पहुंच गया है। उन मां बहनों को धुएं से मुक्ति मिल चुकी है। उत्तराखंड में भी ऐसे हजारों परिवार हैं जहां हमने कोई पहचान के बिना गैस का सिलेंडर पहुंचा दिया है। आप मुझे बताइए भाईयों और बहनों, पूरी ताकत से बचाइए। एक गरीब मां को धुएं से बचाना क्या अमीरों का काम है, क्या अमीरों के लिए योजना है? अमीरों का भला करने के लिए काम कर रहे हैं?आप मुझे बताइए ये गरीबों के कल्याण का काम है कि नहीं है, ये गरीबों का भला करने का काम है कि नहीं है? ये गरीबों की जिंदगी बदलने का काम है कि नहीं है।

भाईयों और बहनों, हमने एक निर्णय किया ये उत्तराखंड की धरती, हर घर में जीजा माता है, हर घर में शिवाजी पैदा होता है। मां भारतीय के लिए मौत को गले लगा लेने वाले वीर हर परिवार में है, ऐसा उत्तराखंड है। 40 साल से मेरे सेना के जवान हिंदुस्तान के जवान सरकार से मांग कर रहे थे, वन रैंक वन पेंशन की। और सेना के लोग डिसिप्लिन में रहते हैं, सहन करते हैं, आवश्यकता पड़ने पर शहादत मोल लेते हैं लेकिन कभी मर्यादाएं तोड़ते नहीं हैं। 40 साल तक जिस परिवार ने राज किया, जिस पार्टी ने राज किया उनको कभी हमारे सेना के लोगों की इस मांग की याद नहीं आई। वन रैंक वन पेंशन, उसको पूरा करने के लिए कभी सोचा नहीं। और जब चुनाव आया उनको लगा कि मोदी को तो सेना के लोगों से विशेष प्रेम है। ये मोदी सेना को तो कुछ तो दे देगा और इसलिए यहां पत्थर गाड़ने का काम चल रहा है, बिना बजट के काम चल रहा है, उस समय बजट में 500 करोड़ डाल दिया और बता दिया कि हमने वन रैंक वन पेंशन दे दिया। भाईयों और बहनों, वन रैंक वन पेंशन का बजट लगता है 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा। मुझे बताइए कि ये 500 करोड़ डाल कर सेना के जवानों की आंखों में धूल झोंकने का पाप हुआ कि नहीं हुआ? क्या आप देश के जवानों के साथ ऐसा धोखा करोगे?

हमने सेना से कहा कि दस हजार करोड़ रुपये एकमुश्त देना मुश्किल है, ऐसे तो देश के कई काम अटक जाएंगे। आप मेरी मदद कीजिए। आज मैं देश के सेना के जवानों को सल्यूट करता हूं। उन्होंने मुझसे तुरंत कहा मोदी बताइए क्या मदद चाहिए। मैंने कहा कि एकमुश्त पैसे नहीं दे पाउंगा, इसके चार टुकड़े कर दिए जाएं, और आपको चार किश्त में पैसे पुराने भी दे दूंगा। मैंने कहा कि 40 साल से अटका हुआ है ये मामला, मुझे ये पूरा करना है। मैं सेना का जी जान से सम्मान करने वाला इंसान हूं, मुझे उनके लिए कुछ करना है। आज मैं उन सेना के जवानों को सलाम करता हूं कि उन्होंने सरकार की कठिनाइयों को समझा और भाईयों और बहनों वन रैंक वन पेंशन का उदय हो गया। अब तक उनको 6600 करोड़ रुपया पहुंचा दिया गया है और बाकी किश्त भी पहुंच जाएगी।

वन रैंक वन पेंशन और उत्तराखंड में तो शायद ही कोई गांव ऐसा होगा जहां 50-100 घर ऐसे न हों जहां सेना से पेंशन आता हो। मुझे बताइए भाईयों और बहनों इतनी बड़ी मात्रा में पेँशन घरों में आया तो उत्तराखंड की इकोनॉमी को फायदा हुआ कि नहीं हुआ?

हमारा मकसद एक ही है विकास करना लेकिन आप जानते हो 2014 में मैं चुनाव लड़ा, आपने हमें वोट दिया, देश ने पूर्ण समर्थन दिया, तीस साल के बाद दिल्ली में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी। आप मुझे बताइए आपने मुझे प्रधानमंत्री रिबन काटने के लिए बनाया है क्या? दिए जलाने के लिए बनाया है क्या? छोट-मोटे उद्घाटन करने के लिए बनाया है क्या? कुछ कर दिखाने के लिए बनाया है कि नहीं बनाया, मुझे कुछ कर दिखाना चाहिए कि नहीं?

आपने मुझे काम दिया है चौकीदार का। चौकीदार का काम दिया है। अब मैं चौकीदारी कर रहा हूं तो कुछ लोगों को परेशानी हो रही है। उनको लग रहा है ऐसा कैसा चौकीदार आ गया, चोरों के सरदार पर ही पहरेदारी कर रहा है। भाईयों और बहनों, देश के कालेधन ने बर्बाद किया है, कालाधन भी जाना चाहिए, कालामन भी जाना चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए कि नहीं? भाईयों और बहनों मैंने इस लड़ाई को छेड़ दिया है। भाईयों और बहनों बताइए आपका आशीर्वाद है? पूरी ताकत से बताइए आशीर्वाद है कि नहीं?

भाईयों और बहनों, आप जानते हैं सरकार में एक ड्राइवर की नौकरी चाहिए, पिओन की नौकरी चाहिए, क्लर्क की नौकरी चाहिए, प्राथमिक विद्यालय में टीचर की नौकरी चाहिए तो भी सबसे पहले कोई पूछता है कि तेरे मार्क्स तो बहुत आ गए लेकिन कोई जान पहचान नहीं होगी तो तेरा मेल नहीं बैठेगा। तुम कुछ भी कर लो यहां तो गांधी जी चाहिए गांधी जी। ग्रीन कलर की नोट पर गांधी जी की छवि होगी तब तेरा काम बनेगा।

भाईयों और बहनों ये चलता था कि नहीं चलता था। तभी भारत सरकार में मैंने निर्णय कर लिया मुझे बताइए कि ये इंटरव्यू है क्या चीज? जब वो एग्जाम देकर के मार्क ले आया है तो तुम तीस सेकेंड में क्या इंटरव्यू करते हो? इंटरव्यू हुआ कि चलो-चलो जल्दी करो और फिर जो पैसे देता था उसको नौकरी दे दी जाती थी। मेरे प्यारे भाईयों और बहनों हमारी सफलता उस चीज में है, मैंने फैसला कर दिया कि भारत सरकार में वर्ग तीन और वर्ग चार में अब इंटरव्यू नहीं किया जाएगा, भ्रष्टाचार खत्म किया जाएगा। मेरिट के आधार पर नौकरी अपने आप मिल जाएगी। कोई जान पहचान की जरूरत नहीं। हमने राज्यों को कहा हमने किया है तुम भी तो करो। लेकिन वो नहीं चाहते। उनको तकलीफ हो रही है। लेकिन कोई बात नहीं, थोड़े दिन हैं। जैसे ही उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी, ये काम उत्तराखंड में भी हो जाएगा।

हम तो हैरान हैं साहब हमारी तो लड़ाई ऐसी है हम नोट घर में जमा करने वालों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। नोटें कबर्ड में भर-भर के रखे थे, बिस्तर के नीचे रखते थे, ऊपर सोते थे बताओ। ये पैसा गरीब का पैसा लूटा गया है कि नहीं? ये पैसा सरकार के खजाने में वापस आना चाहिए कि नहीं। इसलिए भाईयों और बहनों 1000 व 500 का नोट बंद कर अच्छे अच्छों के कबर्ड खोल दिए। लेकिन बेईमानों की आदत जाती नहीं है। उनके ब्लड में ही बेईमानी घुस गई है। उन्होंने क्या सोचा कि अच्छा मोदी ने 1000 व 500 के नोट बंद कर दिए हैं। अब मोदी को हम दिखाते हैं। पिछले रास्ते से नोट बदलने में लग गए। उनको लगता था मोदी को दिखता नहीं है। लेकिन भाईयों और बहनों उनको पता नहीं था कि हम क्या करेंगे। आज वो बेईमान पकड़े जा रहे हैं कि नहीं जा रहे? नोटों के ढेर, सोने के ढेर आ रहे हैं कि नहीं आ रहे? सबका पसीना छूट रहा है। भाईयों और बहनों ये सफाई अभियान है। और देश मेरा साथ दे रहा है इसलिए मैं ये लड़ाई लड़ पा रहा हूं। अगर देश का साथ मुझे नहीं मिलता तो ये न जाने क्या क्या कर देते मेरे साथ। अभी भी इसी फिराक में हैं कि मौका मिले तो टूट जाएंगे मोदी के ऊपर। लेकिन उनको पता नहीं है। सवा सौ करोड़ देशवासियों की रक्षा कवच लेकर के बैठा हुआ हूं। जब तक सवा सौ करोड़ देशवासियों का रक्षा कवच है मेरे पास, देश को लूटने वाले हम पर उंगली नहीं उठा पाएंगे।

भाईयों और बहनों, इंसान पैसे खाता है ये हमने सुना था, इंसान पैसे मार लेता है ये भी सुना था। लेकिन उत्तारखंड में तो स्कूटर भी पैसे खा जाता है। हमने अखबार में पढ़ा था कि जिस स्कूटर मं 5 लीटर की टंकी होती है वो 35 लीटर पेट्रोल खाता है। बताइए चोरों को कहां-कहां पकडेंगे। इंसान तो चोरी करता था, उत्तराखंड में तो स्कूटर भी चोरी करता है सरकार के पैसे का। भाईयों और बहनों ये दुराचार, ये भ्रष्टाचार ने भारत देश को तबाह कर दिया है। सोने की चिड़िया कहा जाता था मेरा देश उसको हमीं लोगों ने लूटा है, हमें ही उसे बचाना है, इसलिए हमें ही उसे बचाना है। मुझे इसमें आप लोगों का साथ चाहिए।

और मैंने आपको कहा था कि मैं जानता हूं कि आपको तकलीफ हुई है, तकलीफ कम नहीं हुई है, बहुत तकलीफ हुई है लेकिन फिर भी ये देश ईमानदारी की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आया इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है? इस देश का जितना ऋण मेरे सर पर है, इस ऋण को चुकाने के लिए मैं जीवन भर कोशिश करुंगा। क्योंकि इस देश को आगे बढ़ना है तो ये लूट खसोट बंद होनी चाहिए। ये भ्रष्टाचार, ये कालाधन, ये ड्रग माफिया ये जाली नोट का खेल खेलते थे। नवंबर को धमाक से ये जाली नोट का कारोबार जीरो हो गया। आतंकवाद, ड्रग माफिया, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, अंडरवर्ल्ड उनकी सारी दुनिया पल भर में तबाह कर दी गई।

और ये सारे फैसले देश के हित के लिए किए गए, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए किए गए। और मुझे विश्वास है कि इस देश का सामान्य मानवीय ईमानदारी को पसंद करता है। वो ईमानदारी के लिए सहने को तैयार होता है। इस देश का सामान्य मानवीय बेईमानी को नफरत करता है, उसको स्वीकार करने को तैयार नहीं है। यदि ऐसा कभी उसको मजबूरी में करना पड़ता है तो रात को वो सो नहीं सकता, उसे नींद नहीं आती है, ऐसा मेरे देश का आम आदमी है। लेकिन कुछ मुट्ठि भर बेईमानों ने ईमानदारों को दबोच कर रखा है। मैं ईमानदारों की ताकत बढ़ाने के लिए लड़ रहा हूं। उनकी शक्ति बढ़ाने के लिए लड़ रहा हूं। और इसलिए उत्तराखंड के वीरों से, माताओं से मुझे आशीर्वाद चाहिए, जिस आशीर्वाद को लेकर हम जीतेंगे। भाईयों और बहनों, अब कुछ ही दिनों में 2017 आएगा। अटल बिहारी वाजपेई जी ने हमें उत्तराखंड दिया। हम वाजपेई जी का जितना आभार प्रकट करें उतना कम है।

लेकिन भाईयों और बहनों, उत्तम उत्तराखंड बनाना जिम्मेदारी हमारी है। और भाईयों और बहनों ये उत्तराखंड ऐसे गड्ढे में पड़ा हुआ है, ऐसी खाई में पड़ा हुआ है, ऐसे तबाह कर रखा गया है। इसको बाहर निकालने के लिए ऐसा नहीं है कि पांच पचास लोग धक्का मार कर बाहर निकालेंगे तो निकलेगा, इतना बर्बाद किया हुआ है। ट्रैक्टर लगा दोगे दो तो भी नहीं निकलेगा। इस उत्तराखंड को इन मुसीबतों से बाहर निकालना है तो डबल इंजन की जरूरत है। एक इंजन दिल्ली का और दूसरा देहरादून का। अब दिल्ली में तो आपने इंजन लगा दिया है, देहरादून में भाजपा का इंजन लगा दीजिए। आप देखेंगे कि देखते देखते दोनों इंजन लग जाएंगे तो एक गति से आगे बढ़ेगा। मैं फिर एक बार इस विशाल समारोह के लिए सभी महानुभावों का, आपका भी हृदय से अभिनंदन करता हूं। दोनों मुट्ठी बंद कर मेरे साथ बोलिए भारत माता की...जय। ऐसे नहीं पूरी ताकत से बोलिए भारत माता की...जय। भारत माता की...जय। भारत माता की...जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister Congratulates Indian Squash Team on World Cup Victory
December 15, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi today congratulated the Indian Squash Team for creating history by winning their first‑ever World Cup title at the SDAT Squash World Cup 2025.

Shri Modi lauded the exceptional performance of Joshna Chinnappa, Abhay Singh, Velavan Senthil Kumar and Anahat Singh, noting that their dedication, discipline and determination have brought immense pride to the nation. He said that this landmark achievement reflects the growing strength of Indian sports on the global stage.

The Prime Minister added that this victory will inspire countless young athletes across the country and further boost the popularity of squash among India’s youth.

Shri Modi in a post on X said:

“Congratulations to the Indian Squash Team for creating history and winning their first-ever World Cup title at SDAT Squash World Cup 2025!

Joshna Chinnappa, Abhay Singh, Velavan Senthil Kumar and Anahat Singh have displayed tremendous dedication and determination. Their success has made the entire nation proud. This win will also boost the popularity of squash among our youth.

@joshnachinappa

@abhaysinghk98

@Anahat_Singh13”