Published By : Admin |
August 30, 2020 | 15:46 IST
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ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ ತಿಂಗಳನ್ನು ಪೋಷಣ ಮಾಸವಾಗಿ ಎಂದು ಆಚರಿಸಲಾಗುವುದು ಎಂದು ಪ್ರಧಾನಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿಯವರು ತಮ್ಮ ಇತ್ತೀಚಿನ ಮನ್ ಕಿ ಬಾತ್ ನಲ್ಲಿ ಹೇಳಿದ್ದಾರೆ. ರಾಷ್ಟ್ರ ಮತ್ತು ಪೋಷಣೆ ಪರಸ್ಪರ ಸಂಬಂಧ ಹೊಂದಿವೆ ಎಂದು ಅವರು ಹೇಳಿದರು. “ಯಥಾ ಅನ್ನಂ ತಥಾ ಮನ್ನಮ್” ಎಂಬ ಸುಭಾಷಿತವನ್ನು ಸ್ಮರಿಸಿಕೊಂಡ ಅವರು, ಇದರರ್ಥ ಮಾನಸಿಕ ಮತ್ತು ಬೌದ್ಧಿಕ ಬೆಳವಣಿಗೆಯು ನಮ್ಮ ಆಹಾರ ಸೇವನೆಯ ಗುಣಮಟ್ಟಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದೆ ಎಂದರು. ಮಕ್ಕಳು ಮತ್ತು ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ಅವರ ಅತ್ಯುತ್ತಮ ಸಾಮರ್ಥ್ಯವನ್ನು ತೋರಿಸಲು ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶ ಮತ್ತು ಸರಿಯಾದ ಪೋಷಣೆ ದೊಡ್ಡ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತದೆ ಎಂದು ಅವರು ಹೇಳಿದರು. ಮಕ್ಕಳಿಗೆ ಉತ್ತಮ ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶ ಸಿಗಬೇಕಾದರೆ, ತಾಯಿಯು ಸರಿಯಾದ ಪೋಷಣೆಯನ್ನು ಪಡೆಯಬೇಕು ಎಂದು ಅವರು ಒತ್ತಿ ಹೇಳಿದರು. ಕೇವಲ ತಿನ್ನುವುದರಿಂದ ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶ ದೊರೆಯುವುದಿಲ್ಲ. ಬದಲಿಗೆ ಲವಣಗಳು, ಜೀವಸತ್ವಗಳು ಮುಂತಾದ ಪೋಷಕಾಂಶಗಳು ನಾವು ತಿನ್ನುವ ಆಹಾರದಲ್ಲಿರಬೇಕು ಎಂದು ಅವರು ಹೇಳಿದರು.
ಕಳೆದ ಕೆಲವು ವರ್ಷಗಳಿಂದ ದೇಶದಲ್ಲಿ ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಪೌಷ್ಠಿಕ ಸಪ್ತಾಹ ಮತ್ತು ಪೌಷ್ಠಿಕ ಮಾಸಗಳಲ್ಲಿ ಸಾರ್ವಜನಿಕರ ಸಹಭಾಗಿತ್ವವು ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶದ ಬಗೆಗಿನ ಅರಿವನ್ನು ಬೃಹತ್ ಆಂದೋಲನವನ್ನಾಗಿ ಮಾಡುತ್ತಿದೆ ಎಂದು ಪ್ರಧಾನಿ ಹೇಳಿದರು. ಮಕ್ಕಳಲ್ಲಿ ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶದ ಬಗ್ಗೆ ಅರಿವು ಮೂಡಿಸಲು ಸ್ಪರ್ಧೆಗಳ ಮೂಲಕ ಶಾಲೆಗಳನ್ನು ಈ ಸಾಮೂಹಿಕ ಆಂದೋಲನದೊಂದಿಗೆ ಸಂಯೋಜಿಸಲಾಗಿದೆ ಎಂದು ಅವರು ಹೇಳಿದರು.
ಒಂದು ತರಗತಿಗೆ, ಒಬ್ಬ ಕ್ಲಾಸ್ ಮಾನಿಟರ್ ಇರುವಂತೆ, ನ್ಯೂಟ್ರಿಷನ್ ಮಾನಿಟರ್ ಇರಬೇಕು ಎಂದು ಪ್ರಧಾನಿ ಹೇಳಿದರು. ಅದೇ ರೀತಿ, ರಿಪೋರ್ಟ್ ಕಾರ್ಡ್ನಂತೆಯೇ, ನ್ಯೂಟ್ರಿಷನ್ ಕಾರ್ಡ್ ಅನ್ನು ಸಹ ಪರಿಚಯಿಸಬೇಕು. ಪೌಷ್ಠಕಾಂಶ ತಿಂಗಳ ಅವಧಿಯಲ್ಲಿ, MyGov ಪೋರ್ಟಲ್ನಲ್ಲಿ ಆಹಾರ ಮತ್ತು ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶ ರಸಪ್ರಶ್ನೆ ಸ್ಪರ್ಧೆಯನ್ನು ಆಯೋಜಿಸಲಾಗುವುದು. ಕೇಳುಗರು ಅದರಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಬೇಕು ಎಂದು ಅವರು ಕೇಳಿಕೊಂಡರು.
ಏಕತಾ ಪ್ರತಿಮೆಯ ಸ್ಥಳದಲ್ಲಿ, ಒಂದು ವಿಶಿಷ್ಟವಾದ ಪೌಷ್ಟಿಕಾಂಶ ಉದ್ಯಾನವನವನ್ನು ಸಹ ರೂಪಿಸಲಾಗಿದೆ. ಅಲ್ಲಿ ಜನರು ವಿನೋದ ಮತ್ತು ಉಲ್ಲಾಸದ ಜೊತೆಗೆ ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶ ಸಂಬಂಧಿತ ಶಿಕ್ಷಣವನ್ನು ಪಡೆಯಬಹುದು ಎಂದು ಪ್ರಧಾನಿ ಹೇಳಿದರು.
ಭಾರತವು ಆಹಾರ ಮತ್ತು ಪಾನೀಯದಲ್ಲಿ ಸಾಕಷ್ಟು ವೈವಿಧ್ಯತೆಯನ್ನು ಹೊಂದಿದೆ ಎಂದು ಹೇಳಿದ ಪ್ರಧಾನಿ, ಆಯಾ ಋತುವಿನಲ್ಲಿ ಸಿಗುವ ಒಂದು ನಿರ್ದಿಷ್ಟ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಬೆಳೆದ ಸ್ಥಳೀಯ ಆಹಾರ ಧಾನ್ಯಗಳು, ಹಣ್ಣು ಮತ್ತು ತರಕಾರಿಗಳನ್ನು ಆಹಾರ ಪದ್ಧತಿಯಲ್ಲಿ ಸೇರಿಸಿ ಸಮತೋಲಿತ ಮತ್ತು ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶಯುಕ್ತ ಆಹಾರ ಕ್ರಮವನ್ನು ರೂಪಿಸಬೇಕು. ಪ್ರತಿ ಜಿಲ್ಲೆಯಲ್ಲಿ ಬೆಳೆಯುವ ಬೆಳೆಗಳು ಮತ್ತು ಅವುಗಳಿಗೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶದ ಮೌಲ್ಯದ ಬಗ್ಗೆ ಸಂಪೂರ್ಣ ಮಾಹಿತಿ ಇರುವ ‘ಭಾರತದ ಕೃಷಿ ನಿಧಿ’ಯನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಲಾಗುತ್ತಿದೆ ಎಂದು ಅವರು ಹೇಳಿ. ಪೌಷ್ಠಿಕಾಂಶದ ತಿಂಗಳಲ್ಲಿ ಕೇಳುಗರಿಗೆ ಉತ್ತಮ ಪೌಷ್ಟಿಕ ಆಹಾರವನ್ನು ಸೇವಿಸಿ ಆರೋಗ್ಯವಾಗಿರುವಂತೆ ಪ್ರಧಾನಿ ಒತ್ತಾಯಿಸಿದರು.
The ideals of Sree Narayana Guru are a great treasure for all of humanity: PM Modi
June 24, 2025
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The ideals of Sree Narayana Guru are a great treasure for all of humanity: PM
India has been blessed with remarkable saints, sages and social reformers who have brought about transformative changes in society: PM
Today, by adopting the saturation approach, the country is working to eliminate every possibility of discrimination as envisioned by Sree Narayana Guru: PM
Missions like Skill India are empowering the youth and making them self-reliant: PM
To empower India, we must lead on every front - economic, social and military. Today, the nation is moving forward on this very path: PM
ब्रह्मर्षि स्वामी सच्चिदानंद जी, श्रीमठ स्वामी शुभंगा-नंदा जी, स्वामी शारदानंद जी, सभी पूज्य संतगण, सरकार में मेरे साथी श्री जॉर्ज कुरियन जी, संसद के मेरे साथी श्री अडूर प्रकाश जी, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
आज ये परिसर देश के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना को याद करने का साक्षी बन रहा है। एक ऐसी ऐतिहासिक घटना, जिसने न केवल हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि स्वतन्त्रता के उद्देश्य को, आज़ाद भारत के सपने को ठोस मायने दिये। 100 साल पहले श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की वो मुलाकात, आज भी उतनी ही प्रेरक है, उतनी ही प्रासंगिक है। 100 साल पहले हुई वो मुलाकात, सामाजिक समरसता के लिए, विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए, आज भी ऊर्जा के बड़े स्रोत की तरह है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं श्रीनारायण गुरु के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं गांधी जी को भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
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भाइयों बहनों,
श्रीनारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश और समाज की सेवा के संकल्प पर काम करते हैं, श्रीनारायण गुरु उनके लिए प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। आप सभी जानते हैं कि समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग से मेरा किस तरह का नाता है। और इसलिए आज भी मैं जब समाज के शोषित, वंचित वर्ग के लिए बड़े निर्णय लेता हूँ, तो मैं गुरुदेव को जरूर याद करता हूँ। 100 साल पहले के वो सामाजिक हालात, सदियों की गुलामी के कारण आईं विकृतियाँ, लोग उस दौर में उन बुराइयों के खिलाफ बोलने से डरते थे। लेकिन, श्रीनारायण गुरु ने विरोध की परवाह नहीं की, वो कठिनाइयों से नहीं डरे, क्योंकि उनका विश्वास समरसता और समानता में था। उनका विश्वास सत्य, सेवा और सौहार्द में था। यही प्रेरणा हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ का रास्ता दिखाती है। यही विश्वास हमें उस भारत के निर्माण के लिए ताकत देता है, जहां अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति हमारी
पहली प्राथमिकता है।
साथियों,
शिवगिरी मठ से जुड़े लोग और संतजन भी जानते हैं कि श्रीनारायण गुरु में और शिवगिरी मठ में मेरी कितनी अगाध आस्था रही है। मैं भाषा तो नहीं समझ पा रहा था, लेकिन पूज्य सच्चिदानंद जी जो बातें बता रहे थे, वो पुरानी सारी बातें याद कर रहे थे। और मैं भी देख रहा था कि उन सब बातों पर आप बड़े भाव विभोर होकर के उसके साथ जुड़ जाते थे। और मेरा सौभाग्य है कि मठ के पूज्य संतों ने हमेशा मुझे अपना स्नेह दिया है। मुझे याद है, 2013 में, तब तो मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था, जब केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा आई थी, तब शिवगिरी मठ के कई पूज्य संत वहाँ फंस गए थे, कुछ भक्त जन भी फंस गए थे। शिवगिरी मठ ने वहाँ फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार का संपर्क नहीं किया था, प्रकाश जी बुरा मत मानना, शिवगिरी मठ ने मैं एक राज्य का मुख्यमंत्री था, मुझे आदेश दिया और इस सेवक पर भरोसा किया, कि भई ये काम तुम करो। और ईश्चर की कृपा से सभी संत सभी भक्तजन को सुरक्षित मैं ला पाया था।
साथियों,
वैसे भी मुश्किल समय में हमारा सबसे पहला ध्यान उसकी ओर जाता है, जिसे हम अपना मानते हैं, जिस पर हम अपना अधिकार समझते हैं। और मुझे खुशी है कि आप अपना अधिकार मुझ पर समझते हैं। शिवगिरी मठ के संतों के इस अपनेपन से ज्यादा आत्मिक सुख की बात मेरे लिए और क्या होगी?
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साथियों,
मेरा आप सबसे एक रिश्ता काशी का भी है। वर्कला को सदियों से दक्षिण की काशी भी कहा जाता है। और काशी चाहे उत्तर की हो या दक्षिण की, मेरे लिए हर काशी मेरी काशी ही है।
साथियों,
मुझे भारत की आध्यात्मिक परंपरा, ऋषियों-मुनियों की विरासत, उसे करीब से जानने और जीने का सौभाग्य मिला है। भारत की ये विशेषता है कि हमारा देश जब भी मुश्किलों के भंवर में फँसता है, कोई न कोई महान विभूति देश के किसी कोने में जन्म लेकर समाज को नई दिशा दिखाती है। कोई समाज के आध्यात्मिक उत्थान के लिए काम करता है। कोई सामाजिक क्षेत्र में समाज सुधारों को गति देता है। श्रीनारायण गुरु ऐसे ही महान संत थे। निवृत्ति पंचकम्’ और ‘आत्मोपदेश शतकम्’ जैसी उनकी रचनाएँ, ये अद्वैत और आध्यात्म के किसी भी स्टूडेंट के लिए गाइड की तरह हैं।
साथियों,
योग और वेदान्त, साधना और मुक्ति श्रीनारायण गुरु के मुख्य विषय थे। लेकिन, वो जानते थे कि कुरीतियों में फंसे समाज का आध्यात्मिक उत्थान उसके सामाजिक उत्थान से ही संभव होगा। इसलिए उन्होंने आध्यात्म को समाज-सुधार और समाज-कल्याण का एक माध्यम बनाया। और श्रीनारायण गुरु के ऐसे प्रयासों से गांधी जी ने भी प्रेरणा पाई, उनसे मार्गदर्शन लिया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे विद्वानों को भी श्रीनारायण गुरु से चर्चा का लाभ मिला।
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साथियों,
एक बार किसी ने श्रीनारायण गुरु की आत्मोपदेश शतकम् रमण महर्षि जी को सुनाई थी। उसे सुनकर रमण महर्षि जी ने कहा था- "अवर एल्लाम तेरीन्जवर"। यानी- वो सब कुछ जानते हैं! और उस दौर में, जब विदेशी विचारों के प्रभाव में भारत की सभ्यता, संस्कृति और दर्शन को नीचा दिखाने के षड्यंत्र हो रहे थे, श्रीनारायण गुरु ने हमें ये अहसास कराया कि कमी हमारी मूल परंपरा में नहीं है। हमें अपने आध्यात्म को सही अर्थों में आत्मसात करने की जरूरत है। हम नर में श्रीनारायण को, जीव में शिव को देखने वाले लोग हैं। हम द्वैत में अद्वैत को देखते हैं। हम भेद में भी अभेद देखते हैं। हम विविधता में भी एकता देखते हैं।
साथियों,
आप सभी जानते हैं, श्रीनारायण गुरु का मंत्र था- “ओरु जाति, ओरु मतम्, ओरु दैवम्, मनुष्यनु।” यानी, पूरी मानवता की एकता, जीव मात्र की एकता! ये विचार भारत की जीवन संस्कृति का मूल है, उसका आधार है। आज भारत उस विचार को विश्व कल्याण की भावना से विस्तार दे रहा है। आप देखिए, अभी हाल ही में हमने विश्व योग दिवस मनाया। इस बार योग दिवस की थीम थी- Yoga for
One Earth, One Health. यानी, एक धरती, एक स्वास्थ्य! इसके पहले भी भारत ने विश्व कल्याण के लिए One World, One Health जैसा initiative शुरू किया है। आज भारत sustainable development की दिशा में One Sun, One Earth, One grid जैसे ग्लोबल मूवमेंट को भी लीड कर रहा है। आपको याद होगा, 2023 में भारत ने जब G-20 समिट को होस्ट किया था, हमने उसकी भी थीम रखी थी- "One Earth, One Family, One Future". हमारे इन प्रयासों में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना जुड़ी हुई है। श्रीनारायण गुरु जैसे संतों की प्रेरणा जुड़ी हुई है।
साथियों,
श्रीनारायण गुरु ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी- जो भेदभाव से मुक्त हो! मुझे संतोष है कि आज देश सैचुरेशन अप्रोच पर चलते हुए भेदभाव की हर गुंजाइश को खत्म कर रहा है। लेकिन आप 10-11 साल पहले के हालात को याद करिए, आज़ादी के इतने दशक बाद भी करोड़ों देशवासी कैसा जीवन जीने को मजबूर थे? करोड़ों परिवारों के सिर पर छत तक नहीं थी! लाखों गांवों में पीने का साफ पानी नहीं था, छोटी-छोटी बीमारी में भी इलाज कराने का विकल्प नहीं, गंभीर बीमारी हो जाए, तो जीवन बचाने का कोई रास्ता नहीं, करोड़ों गरीब, दलित, आदिवासी, महिलाएं मूलभूत मानवीय गरिमा से वंचित थे! और, ये करोड़ों लोग, इतनी पीढ़ियों से इन कठिनाइयों में जीते चले आ रहे थे, कि उनके मन में बेहतर जिंदगी की उम्मीद तक मर चुकी थी। जब देश की इतनी बड़ी आबादी ऐसी पीड़ा और निराशा में थी, तब देश कैसे प्रगति कर सकता था? और इसलिए, हमने सबसे पहले संवेदनशीलता को सरकार की सोच में ढाला! हमने सेवा को संकल्प बनाया! इसी का परिणाम है कि, हम पीएम आवास योजना के तहत, करोड़ों गरीब-दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित परिवारों को पक्के घर दे पाये हैं। हमारा लक्ष्य हर गरीब को उसका पक्का घर देने का है। और, ये घर केवल ईंट सीमेंट का ढांचा नहीं होता, उसमें घर की संकल्पना साकार होती है, तमाम जरूरी सुविधाएं होती हैं। हम चार दीवारों वाली ईमारत नहीं देते, हम सपनों को संकल्प में बदलने वाला घर देते हैं।
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इसीलिए, पीएम आवास योजना के घरों में गैस, बिजली, शौचालय जैसी हर सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। जलजीवन मिशन के तहत हर घर तक पानी पहुंचाया जा रहा है। ऐसे आदिवासी इलाकों में, जहां कभी सरकार पहुंची ही नहीं, आज वहाँ विकास की गारंटी पहुँच रही है। आदिवासियों में, उसमें भी जो अतिपिछड़े आदिवासी हैं, हमने उनके लिए पीएम जनमन योजना शुरू की है। उससे आज कितने ही इलाकों की तस्वीर बदल रही है। इसका परिणाम ये है कि, समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति में भी नई उम्मीद जगी है। वो न केवल अपना जीवन बदल रहा है, बल्कि वो राष्ट्रनिर्माण में भी अपनी मजबूत भूमिका देख रहा है।
साथियों,
श्रीनारायण गुरु ने हमेशा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया था। हमारी सरकार भी Women Led Development के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारे देश में आज़ादी के इतने साल बाद भी ऐसे कई क्षेत्र थे, जिनमें महिलाओं की एंट्री ही बैन थी। हमने इन प्रतिबंधों को हटाया, नए-नए क्षेत्रों में महिलाओं को अधिकार मिले, आज स्पोर्ट्स से लेकर स्पेस तक हर फील्ड में बेटियाँ देश का नाम रोशन कर रही हैं। आज समाज का हर वर्ग, हर तबका, एक आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत के सपने को, उसमें अपना योगदान कर रहा है। स्वच्छ भारत मिशन, पर्यावरण से जुड़े अभियान, अमृतसरोवर का निर्माण, मिलेट्स को लेकर जागरूकता जैसे अभियान, हम जनभागीदारी की भावना से आगे बढ़ रहे हैं, 140 करोड़ देशवासियों की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।
साथियों,
श्रीनारायण गुरु कहते थे- विद्या कोंड प्रब्बुद्धर आवुका संगठना कोंड शक्तर आवुका, प्रयत्नम कोंड संपन्नार आवुका"। यानि, “Enlightenment through education, Strength through organization, Prosperity through industry.” उन्होंने खुद भी इस विज़न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण संस्थाओं की नींव रखी थी। शिवगिरी में ही गुरुजी ने शारदा मठ की स्थापना की थी। माँ सरस्वती को समर्पित ये मठ, इसका संदेश है कि शिक्षा ही वंचितों के लिए उत्थान और मुक्ति का माध्यम बनेगी। मुझे खुशी है कि गुरुदेव के उन प्रयासों का आज भी लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कितने ही शहरों में गुरुदेव सेंटर्स और श्रीनारायण कल्चरल मिशन मानव हित में काम कर रहे हैं।
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साथियों,
शिक्षा, संगठन और औद्योगिक प्रगति से समाज कल्याण के इस विज़न की स्पष्ट छाप, आज हम देश की नीतियों और निर्णयों में भी देख सकते हैं। हमने इतने दशक बाद देश में नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू की है। नई एजुकेशन पॉलिसी न केवल शिक्षा को आधुनिक और समावेशी बनाती है, बल्कि मातृभाषा में पढ़ाई को भी बढ़ावा देती है। इसका सबसे बड़ा लाभ पिछड़े और वंचित तबके को ही हो रहा है।
साथियों,
हमने पिछले एक दशक में देश में इतनी बड़ी संख्या में नई IIT, IIM, AIIMS जैसे संस्थान खोले हैं, जितने आज़ादी के बाद 60 वर्षों में नहीं खुले थे। इसके कारण आज उच्च शिक्षा में गरीब और वंचित युवाओं के लिए नए अवसर खुले हैं। बीते 10 साल में आदिवासी इलाकों में 400 से ज्यादा एकलव्य आवासीय स्कूल खोले गए हैं। जो जनजातीय समाज कई पीढ़ियों से शिक्षा से वंचित थे, उनके बच्चे अब आगे बढ़ रहे हैं।
भाइयों बहनों,
हमने शिक्षा को सीधे स्किल और अवसरों से जोड़ा है। स्किल इंडिया जैसे मिशन देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। देश की औद्योगिक प्रगति, प्राइवेट सेक्टर में हो रहे बड़े reforms, मुद्रा योजना, स्टैंडअप योजना, इन सबका भी सबसे बड़ा लाभ दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज को हो रहा है।
साथियों,
श्री नारायण गुरु एक सशक्त भारत चाहते थे। भारत के सशक्तिकरण के लिए हमें आर्थिक, सामाजिक और सैन्य, हर पहलू में आगे रहना है। आज देश इसी रास्ते पर चल रहा है। भारत तेज़ी से दुनिया की
तीसरे नंबर की इकॉनॉमी बनने की तरफ बढ़ रहा है। हाल में दुनिया ने ये भी देखा है कि भारत का सामर्थ्य क्या है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कठोर नीति को दुनिया के सामने एकदम स्पष्ट कर दिया है। हमने दिखा दिया है कि भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकियों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।
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साथियों,
आज का भारत देशहित में जो भी हो सकता है और जो भी सही है, उसके हिसाब से कदम उठाता है। आज सैन्य ज़रूरतों के लिए भी भारत की विदेशों पर निर्भरता लगातार कम हो रही है। हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। और इसका प्रभाव हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा है। हमारी सेनाओं ने भारत में बने हथियारों से दुश्मन को 22 मिनट में घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे विश्वास है, आने वाले समय में मेड इन इंडिया हथियारों का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।
साथियों,
देश के संकल्पों को पूरा करने के लिए हमें श्रीनारायण गुरु की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना है। हमारी सरकार भी इस दिशा में सक्रियता के साथ काम कर रही है। हम शिवगिरी सर्किट का निर्माण करके श्रीनारायण गुरु के जीवन से जुड़े तीर्थ स्थानों को जोड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है, उनके आशीर्वाद, उनकी शिक्षाएँ अमृतकाल की हमारी यात्रा में देश को रास्ता दिखाती रहेंगी। हम सब एक साथ मिलकर
विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। श्रीनारायण गुरू का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, इसी कामना के साथ, मैं शिवगिरी मठ के सभी संतों को फिर से नमन करता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद! नमस्कारम्!