QuotePM Narendra Modi launches IDFC Bank
QuotePM Modi compliments IDFC for its successful journey of 18 years
QuoteThe main aim of this bank is to venture out to the villages: PM Narendra Modi
QuoteOur villages have the ability to become great growth centres: PM Modi
QuoteFrom helping to build infrastructure, IDFC is now progressing to building lives: PM
QuoteFuture of banking would not just be premises-less & paper-less, but also, eventually, currency-less: PM
QuoteGovt will bring improvements in appointments at top levels of banks. This improves efficiency: PM

उपस्थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव,

मैं आईडीएफसी बैंक को बधाई देता हूं कि 18 साल की यात्रा कोई बहुत बड़ी नहीं होती, लेकिन 18 साल की इस छोटी सी यात्रा में भी भारत के नक्‍श्‍ो पर अपनी एक जगह बनाई है। लेकिन अब तक जो उन्‍होंने जगह बनाई थी वो ईंट, चूना, माटी, पत्‍थर, तार इसी के द्वारा बनाई थी। कभी रोड बनाएं कभी बिल्डिंग बनाएं, कभी port बनाए लेकिन अब वो जीवन निर्माण की दिशा में कदम रख रहे हैं। और मैं मानता हूं कि 18 साल में जो चुनौतियां आपको मिली हैं, अब शायद ज्‍यादा चुनौतियां आपके सामने हैं। क्‍योंकि वो एक limited clientele होता है और आपको अपनी गाड़ी को आगे बढ़ाना होता है। और कुछ चीजें उसमें assured होती हैं, पहले से पता होता है कि भई इस Project का क्‍या होगा, क्‍या refund होगा, क्‍या revenue होगा, बैंक की क्‍या स्थिति रहेगी। ये वो क्षेत्र नहीं है। और इसलिए एक इंजीनियर का काम सरल होता है, लेकिन एक शिक्षक का काम बड़ा भारी होता है क्‍योंकि शिक्षक को जीवन तैयार करना होता है, इंजीनियर को इमारत बनानी होती है। IDFC अब तक जो काम करती थी अब उसको शिक्षक का रोल भी अदा करना होगा और इसलिए मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में ये चुनौतियों के बावजूद भी, एक सही दिशा में कदम होगा।

ये बैंक का मूल उद्देश्‍य तो गांव में जाना है और मैं मानता हूं ये देश का दुर्भाग्‍य है कि देश को नियम बनाना पड़ा कि 25% जब तक आप बैंक में गांव नहीं खोलते हैं आपको permission नहीं मिलेगी। मैं मानता हूं ये नियम बनाने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए थी, लेकिन पड़ी। क्‍योंकि हम लोगों ने कभी भी हमारे ग्रामीण जीवन के potential को समझा नहीं और urban life, governments, government machinery, वहां पर इन कारोबार को चलाने के लिए बहुत अवसर होता है और इसलिए एक प्रकार से बैंक को चलाना, बैंक का growth continue करना ये ज्‍यादा challenging work नहीं है और इस तरफ ध्‍यान नहीं गया। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये ध्‍यान में आया है और हर किसी की नजर गई है कि भारत में ग्रामीण जीवन भी एक बहुत बड़ा growth centre बना है। आपको मालूम होगा जब telecom industry आई और उनको जब भी spectrum दिया जाता था और गांव की बात कहते थे तो आगे-पीछे, आगे-पीछे होते थे। या तो किसी को sub-contract दे देते थे और अपनी गाड़ी चला लेते थे। लेकिन जब गांव में गए तो उनके लिए surprise था कि telecom के growth का शहरी percentage से ग्रामीण percentage ज्‍यादा ऊंचा था। Spread भी ज्‍यादा था, गति भी तेज थी। और इस अर्थ में उनके लिए वो.. अच्‍छा! गांव के व्‍यक्ति का communication ज्‍यादातर अन्‍य शहरों से होता है, इसलिए Income का level भी ज्‍यादा था। शहर का गांव, शहर में ही शहर में करता था, लेकिन उनका Income level….लेकिन ये बातें उनको ध्‍यान आईं, बाद में जाने के बाद। मैं समझता हूं बैंकिग sector के लिए भी अब ये अनुभव आने वाला है। बहुत तेजी से ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था भारत के जीवन को एक ताकत दे रही है। बड़ा बदलाव आ रहा है।

एक बात और भी है, जैसे अरुण जी ने बड़ा विस्‍तार से बताया कि अब, अब banking जीवन बदल चुका है, अब वो mobile banking ही चलने वाला है। premises-less, paper-less, ये ही बैंक की पहचान होने वाली है। न जिसमें कोई premises होगा और न ही कोई paper होगा। और उसके बाद भी बैंक चलेगी, लोगों को पैसे मिलेंगे, लोगों का कारेाबार चलेगा। और धीरे-धीरे हमारे देश में ये स्थिति आने वाली है कि currency भी, शायद आज जो currency print करने का खर्चा होता है, वो भी धीरे-धीरे-धीरे-धीरे कम होता जाएगा क्‍योंकि ये कारोबार इस प्रकार से बढ़ने वाला है। और हमने भी देश को उस दिशा में ले जाना है। और जैसे-जैसे हम technology के सहारे banking करेंगे, जब हम paper-less bank की व्‍यवस्‍था करेंगे, currency-less कारोबार चलाएंगे तो काले धन की संभावनाएं धीरे-धीरे-धीरे जीरो की तरफ चली जाएंगी। और इसलिए इस सारी व्‍यवस्‍था का उपयोग एक उस दायरे में होने वाला है जो देश की मूलभूत कुछ बाते हैं जिसको address करने वाला है। IDFC उसकी beginning कर रहा है। मध्‍यप्रदेश से उनका प्रारंभ हो रहा है, वो भी उस इलाके, जो एक प्रकार से आदिवासी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, नर्मदा के तट के साथ जुड़े हुए हैं, वहां से इस काम का आंरभ हो रहा है। ये भी आवश्‍यक है।

आज सारा विश्‍व आर्थिक दृष्टि से भारत के प्रति एक बड़े संतोष की नजर से देख रहा है, सिर्फ आशा की नजर से नहीं, एक संतोष की नजर से। और उसको लगता है कि पूरे विश्‍व में इतना turmoil आ रहा है लेकिन एक भारत है जो स्थिर खड़ा रह पाया है और global economy में भी किसी राष्‍ट्र का स्थिर economy को handle करना ये भी अपने-आप में विश्‍व में संतुलन बनाने के लिए बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है। और वो भूमिका भारत ने इस पूरे वैश्विक संकट के समय अदा की है। इतने बड़े तूफान के बीच भारत अपने आप को बना पाया है। और बना पाया है तो आगे बढ़ने की संभावना भी उसमें बहुत ज्‍यादा है।

विश्‍व भारत के संबंध में ये अनुमान लगाता है कि भारत का potential इतना अपरम्‍पार है अभी तक आप tap नहीं कर पाए। लोग ये नहीं करते हैं कि भई आप कैसे आगे बढ़ोगे, आप कुछ टिक पाओगे के नहीं पाओगे, बचोगे कि नहीं बचोगे, ये चर्चा नहीं। चर्चा ये है, अरे भाई इतना मौका है, आप, आप ठंडे क्‍यों ? ये सवाल पूछा जा रहा है। यानी सारे विश्‍व को लग रहा है कि आज विश्‍व के आर्थिक जीवन में सबसे अगर कोई potential area है जहां growth story है तो वो हिंदुस्‍तान में है। और हमने भी देखा है World Bank हो, IMF हो, बाकी जितनी Rating Agencies हों, सबने कहा है कि भारत आज दुनिया की, बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कम्‍पनी है। अगर ये ताकत हमारे पास है, तो हमारा काम है कि हम foundation को भी मजबूत करें और vertical भी जाएं। Horizontal and vertical, दोनों तरफ हमें आगे बढ़ना पड़ेगा और Horizontal जाने के लिए ये ग्रामीण जीवन में हम कैसे प्रवेश ? हमारा व्‍याप कैसे बढ़ाएं? उसी प्रकार से हम नए-नए क्षेत्रों को कैसे चुनें? अगर हम priority sector देखें, priority sector को पैसे देना, ये सरकार के कुछ नियम हैं, जाते हैं लेकिन मान लीजिए कहा गया कि भाई agriculture sector को पैसा देना है, लेकिन एक fertilizer कारखाने को दे दिया, माना जाएगा agriculture sector और हिसाब ठीक हो जाएगा तो agriculture sector को दे दिया। इससे हमें बाहर आना है। हम एक सामान्‍य agriculturist को या गांव को ध्‍यान में रख करके या दो, चार, दस गांव के बीच में cold storage कैसे बनें? Warehousing की व्‍यवस्‍था कैसे हो? उसमें banking कैसे? हम value addition में कैसे मदद कर सकते? हम सिर्फ agriculture sector को पकड़ें, आज मैं समझता हूं कि इतनी संभावनाएं पड़ी हुई हैं, हिन्‍दुस्‍तान का किसान आज दुनिया के साथ अपने-आप में तालमेल करने की कोशिश कर रहा है। आपने देखा होगा, कि एक महिला अपना नम्‍बर अंग्रेजी में बता रही थी, Mobile Number अंग्रेजी में बता रही थी। अब ये कोई जरूरी नहीं है कि उन्‍होंने किसी स्‍कूल में जा करके पढ़ा होगा। लेकिन अब धीरे-धीरे करके सब चीजें समाज, जीवन में सहज हिस्‍सा बन रही हैं। ये इस ताकत को पहचानना, यही तो सबसे बड़ी खूबी है। हम इसको अगर ताकत मानते हुए, हां ये बदलाव है क्‍योंकि मेरा तो ये अनुभव है।

मैंने एक बार कहीं वर्णन भी किया था, में गुजरात में जब मुख्‍यमंत्री था तो एक बहुत ही पिछड़ा तहसील है हमारे यहां, धर्मपुर के पास, बलसाड़ जिले में, tribal belt है। अब मेरा मुख्‍यमंत्री रहते हुए वहां कभी कार्यक्रम नहीं हुआ था तो मैंने आग्रह किया, मैंने कहा मुझे वहां जाना है। न एक दिन कोई कार्यक्रम नहीं होगा तो ऐसे ही जा करके एक पेड़ लगा करके वहां से वापिस आऊंगा। तो फिर एक chilling centre के उद्घाटन के लिए कार्यक्रम बन गया। अब chilling centre क्‍या 50 लाख का होता है, छोटा सा क्‍या होता है, जो दूध लोग देने आते हैं, उसको, ट्रक आने तक उसको संभालते हैं। इतना ही होता है। मैंने कहा मैं उसके लिए जाऊंगा। फिर वहां करनी थी तो जगह नहीं थी, क्‍योंकि जंगल है तो कोई जगह नहीं थी, तो एक स्‍कूल थी दूर, दो-ढाई किलोमीटर, स्‍कूल में function था। लेकिन इस कार्यक्रम के लिए उन्‍होंने 50 करीब आदिवासी महिलाओं को बुलाया था। दूध भरने वाली जो महिलाएं होती हैं, 50 को बुलाया था। जहां chilling centre था, वहां। सब वहां तो अलग था माहौल। मैं हैरान था जब chilling center में उद्घाटन वगैरह हुआ, ये महिलाएं सारी मोबाइल से फोटो निकालती थी। आदिवासी महिलाएं फोन से फोटो निकालती थी। मुझे जरा surprise हुआ। मैं उनके पास गया। मैंने कहा ये फोटो निकाल कर क्‍या करोगे? उन्‍होंने जो जवाब दिया वो और आश्‍चर्यजनक था। उन्‍होंने कहा, हम इसको download करवा देंगे। अब ये download शब्‍द उनको मालूम था। download कैसे होता है, कहां होता है, ये पता था। इसका मतलब ये हुआ कि हम कहां तक पहुंचे। इसको हम किस प्रकार से आने वाले दिनों में हमारी growth story का हिस्‍सा कैसे बनाए और उस दिशा में हम कैसे काम करे?

उसी प्रकार से हमारे नौजवान। उनको पढ़ाई के लिए सरलता से Bank loan की व्‍यवस्‍था क्‍यों न हो? मेरा मत है ये women self-help groups....Women self-help group को पैसा मिलता है, अगर उनको बुधवार को पैसा जमा करवाना है 100 रुपए तो मंगल को आकर के दे जाते हैं कि लीजिए साहब मेरा पैसा कल पता नहीं कहीं और खर्च हो जाएगा। ये sensitivity है हमारे यहां, ग्रामीण जीवन में। इसका जितना लाभ लेना चाहिए हमने लिया नहीं और साहूकारों ने इस पर अपनी पकड़ा जमा दी और उसने हमारी economy को भी बहुत बड़ा नुकसान किया है। तो हमने एक विश्‍वास पैदा करना है, एक गारंटी पैदा करनी है। मैं समझता हूं ये जो प्रयास है, वो प्रयास उस परिणामों को जरूर अवश्‍य फल देगा।

Banking sector में हमारी ये कोशिश रही है कि bank nationalize हुई। तब तो बताया गया था कि भई गरीबों के लिए हुआ, लेकिन हमने जो देखा कि वो बहुत सीमित रहा। जैसे मध्‍यम वर्ग के परिवारों तक family doctor होता है, वैसे उच्‍च परिवारों का एक Banker होता है। बड़े ऊंचे घरानों का और बीमार भी होंगे लेकिन अगर Banker ने कहीं lunch-dinner रखा है तो जरूर जाएंगे क्‍योंकि उनको पता है कि भई इसका उनका कारोबार कितना महत्‍वपूर्ण है। ये अच्‍छा है, बुरा है लेकिन है। मैं समझता हूं कि अब हमारे यहां Neo-Middle Class कहो या मध्‍यम वर्ग कहो, ये एक बहुत बड़ी ताकत होती है। हम उनकी तरफ ध्‍यान केन्‍द्रित करके, ऐसी व्‍यवस्‍थाओं को कैसे विकसित करें। मान लीजिए आप, आपके सामने दो proposal है। एक है कि कोई भवन बनाना है, सरकारी दफ्तर बनाना है और दूसरी proposal है कि इसने प्राइवेट में कहा है कि मैं यहां एक कॉलेज खड़ा करना चाहता हूं, एक Higher-Secondary School चालू करना चाहता हूं, मुझे बैंक से पैसा चाहिए। अगर मैं बैंक में हूं तो मैं पहली priority उस स्‍कूल वाले को दूंगा। क्‍योंकि मुझे मालूम है कि वहां स्‍कूल बनता है तो फिर ऐसे 50 दफ्तर बनाने की ताकत उनसे अपने आप आ जाने वाली है। इसलिए हमारे investment की priority क्‍या बने? पैसे देने की priority क्‍या बने? ये अगर हमने chain शुरू की जिसके multiple हमें benefit हो। अगर ये होगा तो मैं मानता हूं कि बहुत ही लाभ होगा।

हमने जो financial inclusion का जो मिशन उठाया है। अब जैसे अरुण जी बता रहे थे कि प्रधानमंत्री की जो हमने योजना बनाई जिसमें हमने मध्‍यम वर्ग, गरीब, धोबी हो, नाई हो, दूध बेचने वाला हो, अखबार बेचने वाला हो उसको मुद्रा योजना के तहत finance कैसे हो। इस देश में करीब 6 करोड़ लोग ऐसे हैं, इस प्रकार के काम में और उनका average कर्ज 17 हजार रुपए है। कोई ज्‍यादा नहीं है, लेकिन वे ये पैसे साहूकार से लेते हैं, बहुत ब्‍याज देते हैं और वो अपना विकास-विस्‍तार नहीं कर पाते हैं। मुद्रा योजना के तहत हमारी कोशिश है कि ऐसे लोगों को इस ब्‍याज के चक्‍कर से मुक्‍ति दिलाना और उनको financial help liberally करना। हमने 50 हजार, 5 लाख, 10 लाख तक की, उसकी व्‍यवस्‍थाएं की, 50 लाख तक की की। अभी तो मैं समझता हूं मुश्‍किल से 100 दिन हुए होंगे इस योजना को launch किए। अब तक 61 लाख clients and करीब 35 thousand crore rupees, ये वहां गया है। 35 हजार करोड़ रुपया बाजार के अंदर नीचे जाना मतलब economy को कितनी बड़ी ताकत देता है वो। 35 हजार करोड़ किसी एक शहर में डालने से उतना change नहीं आता है जितना कि हजारों गांवों के अंदर 35 हजार करोड़ रुपया जाता है, तो economy में एक vibrancy आना शुरू हो जाता है, नीचे से शुरू हो जाता है और ये आने वाले दिनों में देखेंगे और हमारी कोशिश यही है कि हम उसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।

हमारे देश में Banking sector के संबंध में पचासों प्रकार के सवालिया निशान उठे हैं। Appointment से लेकर के, governance से लेकर के, पैसे देने के संबंध में पचासों प्रकार के सवालिया निशान लगे हैं। हमने आने के बाद एक दिन round-table conference किया, चिंतन शिविर की, सभी बैंक के लोगों के साथ detail में चर्चा की। उनकी समस्‍याएं क्‍या हैं, सरकार से अपेक्षाएं क्‍या हैं, कानूनी मुसीबतें क्‍या हैं। सारी चीजों की विस्‍तार से चर्चा की। RBI भी मौजूद था, मैं भी था, अरुण जी भी थे, काफी विस्‍तार से चर्चा की और उसमें से जो बातें आईं उस बातों को हमने लागू करने का प्रयास किया है। हमने एक सप्‍तसूत्री योजना बनाई है, जिस योजना का मैं समझता हूं कि हमारे देश में ऐसी चीजों की चर्चा बहुत कम होती है। लेकिन इसका बहुत बड़ा निर्णय है और A B C D E F G, ये सप्‍तसूत्री मेरा कार्यक्रम है। ये सप्‍तसूत्री कार्यक्रम बैंकों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।

एक है हमारा A – Appointments. बैंकों में उच्‍च पदों पर नियुक्‍तियों में सुधार लाने का हमने फैसला किया है और इसलिए हमने 1969 के बाद nationalised bank में private sector के लोगों को भी लिया है, वरना nationalised bank से लोग private में चले जाते थे। पहली बार ये reverse trend शुरू हुआ है, जिसमें efficiency को हमने महत्‍व दिया है।

B – B for Bank, Board, Bureau. ये B3 पहली बार हम इस देश में लाए हैं कि बैंकों में जो भी नियुक्‍तियां हुईं उसका selection top rank के लिए, ये board करेगा। Politically मुझे ये पसंद आया, उसको मैं एक director बना दू और वो वहां बैठ जाए और फिर बाद में जब loan देनी हो तो वाया उसी से आ जाए proposal और फिर पता चले भई ये तो PM का आदमी बोल रहा है, देना ही पड़ेगा। ये डूबने के पीछे कारण यही है और इसलिए हमने कहा है कि ये कतई हम नहीं करेंगे, सारे professional लोगों को हम इस काम में लगाएंगे।

C – Capitalization. पिछले कुछ वर्षों में दिए गए loans में bad loans हैं। उसके कारण संकट आया है। अब रोते-बैठने का कोई अर्थ नहीं है इसलिए हमने करीब आने वाले कुछ वर्षों में 70 हजार करोड़ रुपया बैंक के अंदर डालकर के ये bad loans के कारण जो संकट है, उसमें से हम बाहर लाने का कार्यक्रम कर रहे हैं।

D – De-stress of assets. कुछ क्षेत्रों में जहां ये समस्‍या गंभीर है, हमने import duties बढ़ाने का domestic producer को सहारा दिया है। आपने देखा होगा हमने Steel में अभी किया। ताकि जिसके कारण Steel जो बैंक के साथ Steel उद्योग पैसा लेता था, उसको एक ताकत मिले। तो हमने De-stress के लिए कई कदम उठाने की दिशा में काम किया है।

6 है -नए debt recovery tribunal. जिसमें हम bad loans recovery इन सारे कामों को मैंने कहा है जैसे Power sector. हम बहुत तेज गति से निर्णय पर जा रहे हैं। Power sector जो NPA की समस्‍या से जुड़ा हुआ है उसको कैसे handle करना है।

E – Empower. Empower का मेरा सीधा-सीधा मतलब था, जब मैं पुणे में गया था इस मीटिंग में तब मैंने कहा था, Zero interferes. आपको political leadership और establishment से कभी फोन नहीं आएगा कि इसके loan का क्‍या करना है लेना, देना और आज तक इतने महीने हो गए, एक भी जगह से खबर नहीं आई है कि ऐसा कोई pressure है। purely, professionally चलाइए और बाहर लाइए। तो इस प्रकार से बैंकों को Empower करने की दिशा में हमने काम किया है।

F – Framework for accountability. बैंकों का performance monitor करने के लिए key performance indicator हमने set किए हैं ताकि हमें regularly पता चले कि भई कहां जा रहे हैं, किस दिशा में जा रहे हैं। कितना जा रहे हैं, वो नहीं। कितना तो संतोष कभी-कभी दे देता है, लेकिन कहां और कैसे और कितने समय में। उस दिशा में indicators को हमने बल दिया है।

और last है G – Governance. हमारे banking sectorमें governance को बल देना है। हमने technology पर जाना है, transparency को लाना है। cyber crime की सबसे ज्‍यादा संभावनाएं banking sector, financial world में हैं या तो data चोरी करने की। ये दो ही सबसे बड़े क्षेत्र हैं और इसलिए हमको assure करना होगा हमारे governance को।

तो ऐसी सप्‍तसूत्री हमारी योजना के द्वारा इन seven pillars पर पूरा banking sector को ताकत कैसे मिले। सरकार ने इतने महत्‍वपूर्ण initiative लिए हैं। मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में भारत जिस तेज गति से आगे बढ़ रहा है बैंक कंधे से कंधा मिलाकर के उसके साथ चलेगा। कुछ क्षेत्रों में बैंक दो कदम आगे होगा और मैं समझता हूं कि ये ताकत ultimately भारत के जो निर्धारित लक्ष्‍य हैं और जिन माध्‍यमों से हैं, उन सबको मिलकर के हम पूरा कर सकते हैं।

आने वाले दिनों में IDFC को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं वो इस क्षेत्र में बहुत-बहुत प्रगति करें। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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2025ರ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನದ ಆರಂಭದಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ
July 21, 2025

ನಮಸ್ಕಾರ, ಸ್ನೇಹಿತರೇ!

ಮಾಧ್ಯಮ ಕ್ಷೇತ್ರದ ಎಲ್ಲಾ ಸ್ನೇಹಿತರಿಗೂ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನಕ್ಕೆ ಸ್ವಾಗತ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಮುಂಗಾರು ಎಂದರೆ ಹೊಸತನ ಮತ್ತು ಸೃಷ್ಟಿಯ ಸಂಕೇತ. ಇಲ್ಲಿಯವರೆಗೆ ಬಂದಿರುವ ವರದಿಗಳ ಪ್ರಕಾರ, ಇಡೀ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಉತ್ತಮ ಮಳೆಯಾಗಿದ್ದು, ಕೃಷಿ ವಲಯಕ್ಕೆ ಲಾಭವಾಗುವ ವಾತಾವರಣ ನಿರ್ಮಾಣವಾಗಿದೆ. ಮಳೆಯು ನಮ್ಮ ರೈತರ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ, ದೇಶದ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೂ, ಗ್ರಾಮೀಣ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೂ ಮತ್ತು ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಮನೆಯ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೂ ಪ್ರಮುಖ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತದೆ. ನಾನು ಪಡೆದಿರುವ ಮಾಹಿತಿಯ ಪ್ರಕಾರ, ಈ ವರ್ಷ ಜಲಾಶಯಗಳಲ್ಲಿ ಸಂಗ್ರಹವಾಗಿರುವ ನೀರಿನ ಪ್ರಮಾಣವು ಕಳೆದ ಹತ್ತು ವರ್ಷಗಳ ದಾಖಲೆಗಿಂತ ಸುಮಾರು ಮೂರು ಪಟ್ಟು ಹೆಚ್ಚಿದೆ. ಇದು ಮುಂಬರುವ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ದೇಶದ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಪ್ರಯೋಜನ ನೀಡುತ್ತದೆ.

 

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ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನವು ರಾಷ್ಟ್ರಕ್ಕೆ ಅಪಾರ ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯವಾಗಿದೆ. ಈ ಅಧಿವೇಶನವು, ದೇಶದ ಪಾಲಿಗೆ ಒಂದು ವಿಜಯೋತ್ಸವವೇ ಆಗಿದೆ. ಈ ಅಧಿವೇಶನವು ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಹೆಮ್ಮೆ ಮತ್ತು ವಿಜಯದ ಸಂಭ್ರಮವಾಗಿದೆ ಎಂದು ಹೇಳುವುದಕ್ಕೆ ಪ್ರಮುಖ ಕಾರಣವೆಂದರೆ, ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ನಿಲ್ದಾಣದಲ್ಲಿ (International Space Station) ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಭಾರತದ ತ್ರಿವರ್ಣ ಧ್ವಜ ಹಾರಾಡಿದ್ದು. ಇದು ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಭಾರತೀಯನಿಗೂ ಅಪಾರ ಹೆಮ್ಮೆ ತರುವ ಕ್ಷಣವಾಗಿದೆ. ಈ ಯಶಸ್ವಿ ಪಯಣವು, ದೇಶದಲ್ಲಿ ವಿಜ್ಞಾನ, ತಂತ್ರಜ್ಞಾನ ಮತ್ತು ನಾವೀನ್ಯತೆಯ ಬಗ್ಗೆ ನವೋತ್ಸಾಹ ಮತ್ತು ನವಚೈತನ್ಯವನ್ನು ತುಂಬಿದೆ. ಇಡೀ ಸಂಸತ್ತು – ಲೋಕಸಭೆ ಮತ್ತು ರಾಜ್ಯಸಭೆ ಎರಡೂ – ದೇಶದ ನಾಗರಿಕರೊಂದಿಗೆ ಸೇರಿ, ಈ ಸಾಧನೆಯನ್ನು ಒಕ್ಕೊರಲಿನಿಂದ ಅಭಿನಂದಿಸಲಿವೆ. ಈ ಒಕ್ಕೊರಲ ಶ್ಲಾಘನೆಯು, ಇನ್ನಷ್ಟು ಎತ್ತರವನ್ನು ತಲುಪುವ ಗುರಿ ಹೊಂದಿರುವ ಭಾರತದ ಮುಂಬರುವ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಯೋಜನೆಗಳಿಗೆ ಸ್ಫೂರ್ತಿ ಮತ್ತು ಪ್ರೋತ್ಸಾಹವನ್ನು ಸಹ ನೀಡಲಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನವು ನಿಜಕ್ಕೂ ವಿಜಯದ ಆಚರಣೆಯಾಗಿದೆ. ಭಾರತದ ಮಿಲಿಟರಿ ಶಕ್ತಿಯ ಸಾಮರ್ಥ್ಯವನ್ನು ಇಡೀ ಜಗತ್ತು ಕಂಡಿದೆ. ಆಪರೇಷನ್ ಸಿಂಧೂರ್ ನಲ್ಲಿ, ಭಾರತೀಯ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳು ತಮ್ಮ ಉದ್ದೇಶಗಳನ್ನು ನೂರಕ್ಕೆ ನೂರು ಪ್ರತಿಶತ ಯಶಸ್ಸಿನೊಂದಿಗೆ ಸಾಧಿಸಿವೆ. ಕೇವಲ 22 ನಿಮಿಷಗಳಲ್ಲಿ, ಮಿಷನ್ ಶತ್ರುವಿನ ಪ್ರದೇಶದೊಳಗೆ ತನ್ನ ಗುರಿಯನ್ನು ನಾಶಪಡಿಸಿದೆ. ನಾನು ಈ ಬಗ್ಗೆ ಬಿಹಾರದಲ್ಲಿ ಒಂದು ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಘೋಷಿಸಿದ್ದೆ, ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳು ಅದನ್ನು ಅಲ್ಪಾವಧಿಯಲ್ಲಿಯೇ ಸಾಧಿಸಿ ತೋರಿಸಿವೆ. ನಮ್ಮ ‘ಮೇಡ್ ಇನ್ ಇಂಡಿಯಾ’ ಸೇನಾ ಶಕ್ತಿಯ ಹೊಸ ಮುಖವು ಜಾಗತಿಕ ಗಮನವನ್ನು ಸೆಳೆದಿದೆ. ಈ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ, ನಾನು ಜಾಗತಿಕ ನಾಯಕರನ್ನು ಭೇಟಿಯಾದಾಗ, ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಲಾಗುತ್ತಿರುವ ಸ್ವದೇಶಿ ನಿರ್ಮಿತ ರಕ್ಷಣಾ ಉಪಕರಣಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಆಸಕ್ತಿ ವ್ಯಕ್ತವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಈ ಅಧಿವೇಶನದಲ್ಲಿ ಸಂಸತ್ತು ಒಕ್ಕೊರಲಿನಿಂದ ವಿಜಯದ ಭಾವನೆಗಳನ್ನು ವ್ಯಕ್ತಪಡಿಸಿದಾಗ, ಅದು ನಮ್ಮ  ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಬಲಪಡಿಸುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಅವರಿಗೆ ಸ್ಫೂರ್ತಿ ನೀಡುತ್ತದೆ ಎಂದು ನಾನು ದೃಢವಾಗಿ ನಂಬುತ್ತೇನೆ. ಇದು ದೇಶಕ್ಕೆ ಪ್ರೇರಣೆಯಾಗಲಿದೆ ಮತ್ತು ರಕ್ಷಣಾ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಸಂಶೋಧನೆ, ನಾವೀನ್ಯತೆ ಮತ್ತು ಉತ್ಪಾದನೆಗೆ ದೊಡ್ಡ ಉತ್ತೇಜನವನ್ನು ನೀಡಲಿದೆ. ‘ಮೇಡ್ ಇನ್ ಇಂಡಿಯಾ’ ರಕ್ಷಣಾ ಉಪಕರಣಗಳು ಮತ್ತಷ್ಟು ವೇಗವನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಳ್ಳಲಿದ್ದು, ನಮ್ಮ ಯುವಕರಿಗೆ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಲಿವೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ದಶಕವನ್ನು ಶಾಂತಿ ಮತ್ತು ಪ್ರಗತಿಗಳು ಜೊತೆಜೊತೆಯಾಗಿ ಸಾಗುತ್ತಿರುವ ಸಮಯ ಎಂದು ಬಣ್ಣಿಸಬಹುದು. ನಾವು ಹೆಜ್ಜೆಹೆಜ್ಜೆಗೂ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯನ್ನು ಕಾಣುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಬಂದಾಗಿನಿಂದ, ದೇಶವು ಭಯೋತ್ಪಾದನೆಯಾಗಲಿ ಅಥವಾ ನಕ್ಸಲ್‌ ವಾದವಾಗಲಿ, ಹೀಗೆ ವಿವಿಧ ರೀತಿಯ ಹಿಂಸಾಚಾರಗಳಿಂದ ಬಹಳಷ್ಟು ನಲುಗಿದೆ. ಈ ಸಮಸ್ಯೆಗಳಲ್ಲಿ ಕೆಲವು ಮೊದಲು ಹುಟ್ಟಿಕೊಂಡಿದ್ದರೆ, ಇನ್ನು ಕೆಲವು ನಂತರದಲ್ಲಿ ತಲೆದೋರಿದವು. ಆದರೆ, ಇಂದು ನಕ್ಸಲ್ ವಾದ ಮತ್ತು ಮಾವೋವಾದದ ಪ್ರಭಾವದ ವಲಯವು ವೇಗವಾಗಿ ಕ್ಷೀಣಿಸುತ್ತಿದೆ. ಮಾವೋವಾದ ಮತ್ತು ನಕ್ಸಲ್ ವಾದವನ್ನು ಬುಡಸಮೇತ ಕಿತ್ತೊಗೆಯುವ ದೃಢ ಸಂಕಲ್ಪದೊಂದಿಗೆ, ನಮ್ಮ ರಕ್ಷಣಾ ಪಡೆಗಳು ಹೊಸ ಆತ್ಮವಿಶ್ವಾಸದೊಂದಿಗೆ ವೇಗವಾಗಿ ಯಶಸ್ಸಿನತ್ತ ಮುನ್ನಡೆಯುತ್ತಿವೆ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ನಕ್ಸಲ್ ಪ್ರಭಾವಕ್ಕೆ ಒಳಗಾಗಿದ್ದ ದೇಶದ ನೂರಾರು ಜಿಲ್ಲೆಗಳು ಇಂದು ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯದ ಗಾಳಿಯನ್ನು ಉಸಿರಾಡುತ್ತಿವೆ ಎಂದು ನಾನು ಹೆಮ್ಮೆಯಿಂದ ಹೇಳಬಲ್ಲೆ. ಬಾಂಬ್, ಬಂದೂಕು ಮತ್ತು ಪಿಸ್ತೂಲುಗಳ ಮೇಲೆ ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನವು ಜಯ ಸಾಧಿಸುತ್ತಿದೆ ಎಂಬುದು ನಮಗೆ ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯ. ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನ ವಿಜಯಶಾಲಿಯಾಗುತ್ತಿದೆ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ‘ರೆಡ್ ಕಾರಿಡಾರ್’ ಎಂದು ಕರೆಯಲ್ಪಡುತ್ತಿದ್ದ ಪ್ರದೇಶಗಳು ಇಂದು 'ಹಸಿರು ಅಭಿವೃದ್ಧಿ'ಯ ವಲಯಗಳಾಗಿ ಪರಿವರ್ತನೆಯಾಗುತ್ತಿರುವುದು ಸ್ಪಷ್ಟವಾಗಿ ಗೋಚರಿಸುತ್ತಿದೆ. ಇದು ದೇಶದ ಉಜ್ವಲ ಭವಿಷ್ಯವನ್ನು ಸಂಕೇತಿಸುತ್ತಿದೆ.

 

 

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ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ರಾಷ್ಟ್ರದ ಸೇವೆ ಮತ್ತು ಕಲ್ಯಾಣಕ್ಕಾಗಿ ಈ ಸದನವನ್ನು ಪ್ರವೇಶಿಸಿರುವ ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಗೌರವಾನ್ವಿತ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರಿಗೂ, ಒಂದರ ನಂತರ ಒಂದರಂತೆ ನಡೆಯುವ ಇಂತಹ ಘಟನೆಗಳು ಹೆಮ್ಮೆಯ ಕ್ಷಣಗಳಾಗಿವೆ. ಮತ್ತು ಈ ಸಂಸತ್ತಿನ ಅಧಿವೇಶನದಲ್ಲಿ, ಇಡೀ ದೇಶವು ಈ ಹೆಮ್ಮೆಯ ಗಾಥೆಯನ್ನು ಕೇಳಲಿದೆ – ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಸಂಸದರಿಂದ, ಪ್ರತಿಯೊಂದು ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷದಿಂದ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

2014ರಲ್ಲಿ ನೀವು ನಮಗೆ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯನ್ನು ವಹಿಸಿಕೊಟ್ಟಾಗ, ದೇಶವು 'ಫ್ರಜೈಲ್ ಫೈವ್' (Fragile Five) ಆರ್ಥಿಕತೆಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದೆಂದು ಪರಿಗಣಿಸಲ್ಪಟ್ಟಿದ್ದ ಹಂತದಲ್ಲಿತ್ತು. 2014ಕ್ಕಿಂತ ಮೊದಲು, ಜಾಗತಿಕ ಆರ್ಥಿಕತೆಯಲ್ಲಿ ನಾವು 10ನೇ ಸ್ಥಾನದಲ್ಲಿದ್ದೆವು. ಇಂದು, ಭಾರತವು ವಿಶ್ವದ ಮೂರನೇ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಆರ್ಥಿಕತೆಯಾಗುವತ್ತ ವೇಗವಾಗಿ ಮುನ್ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ಈ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ, 25 ಕೋಟಿ ಬಡವರನ್ನು ಬಡತನದಿಂದ ಮೇಲೆತ್ತಿರುವುದನ್ನು ಹಲವಾರು ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಂಸ್ಥೆಗಳು ವ್ಯಾಪಕವಾಗಿ ಶ್ಲಾಘಿಸುತ್ತಿವೆ. 2014ಕ್ಕಿಂತ ಮೊದಲು ದೇಶದಲ್ಲಿ ಹಣದುಬ್ಬರ ದರವು ಎರಡಂಕಿಯಲ್ಲಿರುತ್ತಿದ್ದ ಕಾಲವಿತ್ತು. ಇಂದು, ಹಣದುಬ್ಬರವು ಸುಮಾರು 2 ಪ್ರತಿಶತಕ್ಕೆ ಇಳಿದಿರುವುದು ಸಾಮಾನ್ಯ ಮನುಷ್ಯನಿಗೆ ನೆಮ್ಮದಿ ಮತ್ತು ಸಮಾಧಾನವನ್ನು ತಂದಿದೆ. ಕಡಿಮೆ ಹಣದುಬ್ಬರ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚಿನ ಬೆಳವಣಿಗೆಯು, ಆರೋಗ್ಯಕರ ಮತ್ತು ಪ್ರಗತಿಪರ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಪಯಣವನ್ನು ಪ್ರತಿಬಿಂಬಿಸುತ್ತದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

‘ಡಿಜಿಟಲ್ ಇಂಡಿಯಾ’ ಮತ್ತು ‘ಯುಪಿಐ’ ಮೂಲಕ ಭಾರತದ ಹೊಸ ಸಾಮರ್ಥ್ಯಗಳನ್ನು ಜಗತ್ತು ಈಗ ನೋಡುತ್ತಿದೆ ಮತ್ತು ಗುರುತಿಸುತ್ತಿದೆ. ಇವು ಜಾಗತಿಕ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಆಸಕ್ತಿಯನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುತ್ತಿವೆ. ‘ಫಿನ್ಟೆಕ್’ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ‘ಯುಪಿಐ’ ತನ್ನದೇ ಆದ ವಿಶಿಷ್ಟ ಗುರುತನ್ನು ಮೂಡಿಸಿದೆ. ರಿಯಲ್‌ ಟೈಮ್ ಡಿಜಿಟಲ್ ವಹಿವಾಟುಗಳಲ್ಲಿ ಭಾರತವು ಇಂದು ವಿಶ್ವದಲ್ಲಿಯೇ ಮುಂಚೂಣಿಯಲ್ಲಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಇತ್ತೀಚೆಗೆ, ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಕಾರ್ಮಿಕ ಸಂಘಟನೆಯ (ILO) ಜಾಗತಿಕ ಸಮ್ಮೇಳನವಿತ್ತು, ಅಲ್ಲಿ ಭಾರತವು ಒಂದು ಪ್ರಮುಖ ಮೈಲಿಗಲ್ಲನ್ನು ಸಾಧಿಸಿತು. ILO ಪ್ರಕಾರ, ಭಾರತದಲ್ಲಿ 90 ಕೋಟಿಗೂ ಹೆಚ್ಚು ಜನರು ಈಗ ಸಾಮಾಜಿಕ ಭದ್ರತೆಯ ವ್ಯಾಪ್ತಿಗೆ ಬಂದಿದ್ದಾರೆ. ಇದುವೇ ಒಂದು ಮಹತ್ತರವಾದ ಸಾಧನೆಯಾಗಿದೆ. ಅದೇ ರೀತಿ, ವಿಶ್ವ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಸ್ಥೆಯು (WHO), ಭಾರತವನ್ನು ಟ್ರಕೋಮಾ ಮುಕ್ತ ಎಂದು ಘೋಷಿಸಿದೆ. ಇದು ಮಳೆಗಾಲದಲ್ಲಿ ಸಾಮಾನ್ಯವಾಗಿ ಕಂಡುಬರುವ ಒಂದು ಕಣ್ಣಿನ ಕಾಯಿಲೆಯಾಗಿದೆ. ಸಾರ್ವಜನಿಕ ಆರೋಗ್ಯ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಇದು ಭಾರತದ ಮತ್ತೊಂದು ಮಹತ್ವದ ಸಾಧನೆಯಾಗಿದೆ.

 

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ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಪಹಲ್ಗಾಮ್ ನಲ್ಲಾದ ಕ್ರೂರ ಹತ್ಯೆ, ದೌರ್ಜನ್ಯ ಮತ್ತು ನರಮೇಧವು ಇಡೀ ಜಗತ್ತನ್ನೇ ಬೆಚ್ಚಿಬೀಳಿಸಿತ್ತು. ಭಯೋತ್ಪಾದಕರು ಮತ್ತು ಅವರ ಸೂತ್ರಧಾರರ ಕಡೆಗೆ ಎಲ್ಲರ ಗಮನ ಹರಿಯಿತು. ಆ ಕ್ಷಣದಲ್ಲಿ, ಪಕ್ಷ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಗಳನ್ನು ಬದಿಗಿಟ್ಟು, ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತಕ್ಕಾಗಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳ ಮತ್ತು ರಾಜ್ಯಗಳ ಪ್ರತಿನಿಧಿಗಳು ವಿಶ್ವದಾದ್ಯಂತ ವಿವಿಧ ದೇಶಗಳಿಗೆ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ, ಭಯೋತ್ಪಾದನೆಯ ಕೇಂದ್ರವಾದ ಪಾಕಿಸ್ತಾನವನ್ನು ಜಗತ್ತಿನ ಮುಂದೆ ಬಯಲು ಮಾಡುವ ಯಶಸ್ವಿ ಅಭಿಯಾನವನ್ನು ನಡೆಸಿದರು. ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತಕ್ಕಾಗಿ ಮಾಡಿದ ಈ ಮಹತ್ವದ ಕಾರ್ಯಕ್ಕಾಗಿ ಆ ಎಲ್ಲಾ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರನ್ನು ಮತ್ತು ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳನ್ನು ಇಂದು ನಾನು ಅಭಿನಂದಿಸಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಅವರ ಪ್ರಯತ್ನಗಳು ದೇಶದಲ್ಲಿ ಒಂದು ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ವಾತಾವರಣವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದವು. ಭಾರತದ ನಿಲುವನ್ನು ಕೇಳಲು ಮತ್ತು ಸ್ವೀಕರಿಸಲು ಜಗತ್ತು ತನ್ನ ಬಾಗಿಲುಗಳನ್ನು ತೆರೆಯಿತು. ಇದಕ್ಕಾಗಿ ನಮ್ಮ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರು ಮತ್ತು ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳನ್ನು ಅಭಿನಂದಿಸುವುದು ನನ್ನ ಸೌಭಾಗ್ಯವೆಂದು ನಾನು ಪರಿಗಣಿಸುತ್ತೇನೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಭಾವನೆ ಮತ್ತು ಒಕ್ಕೊರಲಿನ ಧ್ವನಿಯು ರಾಷ್ಟ್ರದಲ್ಲಿ ಎಂತಹ ಮಹಾನ್ ಉತ್ಸಾಹವನ್ನು ತುಂಬುತ್ತದೆ ಎಂಬುದು ನಮಗೆ ತಿಳಿದಿದೆ. ಈ ವಿಜಯೋತ್ಸವವು ಅದೇ ಸ್ಪೂರ್ತಿಯೊಂದಿಗೆ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನದಲ್ಲೂ ಪ್ರತಿಧ್ವನಿಸಲಿದೆ. ಇದು ನಮ್ಮ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ಶ್ಲಾಘಿಸುತ್ತದೆ, ರಾಷ್ಟ್ರದ ಸಾಮರ್ಥ್ಯಗಳನ್ನು ಗೌರವಿಸುತ್ತದೆ ಮತ್ತು 140 ಕೋಟಿ ಭಾರತೀಯರಿಗೆ ಹೊಸ ಸ್ಫೂರ್ತಿಯ ಸೆಲೆಯಾಗಲಿದೆ. ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಒಟ್ಟಾಗಿ ರಕ್ಷಣಾ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಆತ್ಮನಿರ್ಭರತೆಗಾಗಿ ನಮ್ಮ ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಬಲಪಡಿಸಬೇಕು ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳ ಪರಾಕ್ರಮವನ್ನು ಶ್ಲಾಘಿಸಬೇಕು ಎಂದು ನಾನು ದೃಢವಾಗಿ ನಂಬುತ್ತೇನೆ. ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಶಕ್ತಿ ಮತ್ತು ಒಕ್ಕೊರಲಿನ ಬಲವನ್ನು ರಾಷ್ಟ್ರವು ಕಂಡಿದೆ ಎಂದು ಇಂದು ನಾನು ದೇಶದ ಜನರಿಗೆ ಮತ್ತು ಎಲ್ಲಾ ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳಿಗೆ ಹೇಳಲೇಬೇಕು. ಗೌರವಾನ್ವಿತ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರು ಈ ಸದನದೊಳಗೆ ಈ ಭಾವನೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಬಲಪಡಿಸಬೇಕು ಮತ್ತು ಮುಂದುವರಿಸಬೇಕು. ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳು ಬೇರೆ ಬೇರೆಯಾಗಿವೆ, ಪ್ರತಿಯೊಂದಕ್ಕೂ ತನ್ನದೇ ಆದ ಕಾರ್ಯಸೂಚಿ, ತನ್ನದೇ ಆದ ಪಾತ್ರವಿದೆ ಎಂಬ ವಾಸ್ತವವನ್ನು ನಾನು ಒಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಆದರೆ, ಪಕ್ಷ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಗಳಲ್ಲಿ ಮನಸ್ಸುಗಳು ಒಂದಾಗದಿದ್ದರೂ, ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತಕ್ಕಾಗಿ ಅವು ಒಂದಾಗಲೇಬೇಕು ಅನ್ನುವ ಈ ಸತ್ಯವನ್ನೂ ನಾನು ಒಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಇದೇ ಭಾವನೆಯೊಂದಿಗೆ, ರಾಷ್ಟ್ರದ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯ ಪಯಣವನ್ನು ಬಲಪಡಿಸುವ, ದೇಶದ ಪ್ರಗತಿಯನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸುವ ಮತ್ತು ಅದರ ನಾಗರಿಕರನ್ನು ಸಬಲೀಕರಣಗೊಳಿಸುವ ಅನೇಕ ಪ್ರಮುಖ ವಿಧೇಯಕಗಳನ್ನು ಈ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನಕ್ಕಾಗಿ ಪ್ರಸ್ತಾಪಿಸಲಾಗಿದೆ. ಸದನವು ವಿಸ್ತೃತ ಚರ್ಚೆಗಳನ್ನು ನಡೆಸಿ ಅವುಗಳನ್ನು ಅಂಗೀಕರಿಸುತ್ತದೆ ಎಂದು ನನಗೆ ವಿಶ್ವಾಸವಿದೆ.

ಎಲ್ಲಾ ಗೌರವಾನ್ವಿತ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರಿಗೆ ಅರ್ಥಪೂರ್ಣ ಮತ್ತು ರಚನಾತ್ಮಕ ಚರ್ಚೆಗಳಿಗಾಗಿ ನನ್ನ ಶುಭ ಹಾರೈಕೆಗಳು.

ಧನ್ಯವಾದಗಳು!