शिवकुमार स्वामी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज-सेवा में समर्पित कर दिया: मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी
हमारा चुनाव आयोग जिस बखूबी से चुनावों का आयोजन करता है इसे देखकर प्रत्येक देशवासी को चुनाव आयोग पर गर्व होना स्वाभाविक है: मन की बात में पीएम मोदी
मैं, हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने का निरंतर प्रयास करने के लिए चुनाव आयोग की सराहना करता हूँ: मन की बात में प्रधानमंत्री
हम में से प्रत्येक को अहसास होना चाहिए कि देश में मतदाता बनना, मत के अधिकार को प्राप्त करना, वो जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक महत्वपूर्ण पड़ाव है: मन_की_बात में प्रधानमंत्री मोदी
सुभाष बाबू को हमेशा एक वीर सैनिक और कुशल संगठनकर्ता के रूप में याद किया जाएगा, एक ऐसा वीर सैनिक जिसने आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई: मन_की_बात में पीएम मोदी
कई वर्षों तक यह मांग रही कि नेता जी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किया जाए और मुझे इस बात की खुशी है, यह काम हम लोग कर पाए: मन_की_बात में प्रधानमंत्री
मैंने हमेशा से रेडियो को लोगों के साथ जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना है उसी तरह नेताजी का भी रेडियो के साथ काफी गहरा नाता था और उन्होंने भी देशवासियों से संवाद करने के लिए रेडियो को चुना था: प्रधानमंत्री मोदी
आपने अभी तक गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को एक लेखक और एक संगीतकार के रूप में जाना होगा, लेकिन मैं बताना चाहूँगा कि गुरुदेव एक चित्रकार भी थे: पीएम मोदी
गुरुदेव टैगोर ने अपने अधिकांश कार्यों को कोई नाम ही नहीं दिया, उनका मानना था कि उनकी पेंटिंग देखने वाला खुद ही उस पेंटिंग को समझे, पेंटिंग में उनके द्वारा दिए गए संदेश को अपने नजरिए से जाने: प्रधानमंत्री
हमारे space programme में देश के असंख्य युवा वैज्ञानिकों का योगदान है, हम इस बात का गर्व करते हैं कि आज हमारे students द्वारा develop किए गए सैटेलाइट्स और Sounding Rockets अंतरिक्ष तक पहुँच रहे हैं: मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी
हमने एक ही अंतरिक्ष यान से एक साथ 104 Satellites लॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है: मन की बात में पीएम मोदी
हम स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सरकारी सेवाओं की delivery और accountability को और बेहतर करने के लिए कर रहे हैं: मन की बात में प्रधानमंत्री
मै हमेशा कहता हूँ, जो खेले वो खिले और इस बार के खेलो इंडिया में ढ़ेर सारे तरुण और युवा खिलाड़ी खिल के सामने आए हैं: मन_की_बात में प्रधानमंत्री मोदी
जब हम इंडिया के निर्माण की बात कर रहे हैं तो वो युवा शक्ति के संकल्प का ही तो न्यू इंडिया है: मन_की_बात में पीएम मोदी
भारत के जन-जन के सहयोग से आज भारत 2 अक्टूबर, 2019 से काफी पहले ही खुले में शौच मुक्त होने की ओर अग्रसर है जिससे कि बापू को उनकी 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सके: मन_की_बात में प्रधानमंत्री
पूज्य बापू के सपनों को साकार करना, नये भारत का निर्माण करना, नागरिक के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना – इस संकल्प के साथ, आओ हम आगे बढें: प्रधानमंत्री मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | इस महीने की 21 तारीख को देश को एक गहरे शोक का समाचार मिला | कर्नाटक में टुमकुर जिले के श्री सिद्धगंगा मठ के डॉक्टर श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी हमारे बीच नहीं रहे | शिवकुमार स्वामी जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज-सेवा में समर्पित कर दिया | भगवान बसवेश्वर ने हमें सिखाया है – ‘कायकवे कैलास’ – अर्थात् कठिन परिश्रम करते हुए अपना दायित्व निभाते जाना, भगवान शिव के निवास-स्थान, कैलाश धाम में होने के समान है | शिवकुमार स्वामी जी इसी दर्शन के अनुयायी थे और उन्होंने अपने 111 वर्षों के जीवन काल में हज़ारों लोगों के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्य किया | उनकी ख्याति एक ऐसे विद्वान के रूप में थी, जिनकी अंग्रेज़ी, संस्कृत और कन्नड़ भाषाओं पर अद्भुत पकड़ थी | वह एक समाज सुधारक थे | उन्होंने अपना पूरा जीवन इस बात में लगा दिया कि लोगों को भोजन, आश्रय, शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान मिले | किसानों का हर तरह से कल्याण हो, ये स्वामी जी के जीवन में प्राथमिकता रहती थी | सिद्धगंगा मठ नियमित रूप से पशु और कृषि मेलों का आयोजन करता था | मुझे कई बार परम पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है | वर्ष 2007 में, श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी के शताब्दी वर्ष उत्सव समारोह के अवसर पर हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टुमकुर गए थे | कलाम साहब ने इस मौके पर पूज्य स्वामी जी के लिए एक कविता सुनाई थी | उन्होंने कहा :

“O my fellow citizens - In giving, you receive happiness,
In Body and Soul - You have everything to give.
If you have knowledge - share it
If you have resources - share them with the needy.
You, your mind and heart
To remove the pain of the suffering, And, cheer the sad hearts.
In giving, you receive happiness Almighty will bless, all your actions.”

डॉक्टर कलाम साहब की यह कविता श्री श्री श्री शिवकुमार स्वामी जी के जीवन और सिद्धगंगा मठ के mission को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत करती है | एक बार फिर, मैं ऐसे महापुरुष को अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो | 26 जनवरी 1950 को हमारे देश में संविधान लागू हुआ और उस दिन हमारा देश गणतंत्र बना और कल ही हमने आन-बान-शान के साथ गणतंत्र दिवस भी मनाया लेकिन मैं, आज कुछ और बात करना चाहता हूँ | हमारे देश में एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्था है, जो हमारे लोकतंत्र का तो अभिन्न अंग है ही और हमारे गणतंत्र से भी पुरानी है - मैं भारत के चुनाव आयोग के बारे में बात कर रहा हूँ | 25 जनवरी को चुनाव आयोग का स्थापना दिवस था, जिसे ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’, National Voters’ Day के रूप में मनाया जाता है | भारत में जिस scale पर चुनाव का आयोजन होता है उसे देखकर दुनिया के लोगों को आश्चर्य होता है और हमारा चुनाव आयोग जिस बखूबी से इसका आयोजन करता है इसे देखकर प्रत्येक देशवासी को चुनाव आयोग पर गर्व होना स्वाभाविक है | हमारे देश में यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है कि भारत का प्रत्येक नागरिक, जो एक पंजीकृत मतदाता है, registered मतदाता है - उसे मतदान करने का अवसर मिले |

जब हम सुनते हैं कि हिमाचल प्रदेश में समुद्र तल से 15,000 फीट की ऊँचाई वाले क्षेत्र में भी मतदान केंद्र स्थापित किया जाता है, तो अंडमान और निकोबार के द्वीप समूह में दूर-दराज के द्वीपों में भी वोटिंग की व्यवस्था की जाती है | और आपने गुजरात के विषय में तो जरुर सुना होगा कि गिर के जंगल में, एक सुदूर क्षेत्र में, एक पोलिंग बूथ, जो सिर्फ केवल 1 मतदाता के लिए है | कल्पना कीजिए... केवल एक मतदाता के लिए | जब इन बातों को सुनते हैं तो चुनाव आयोग पर गर्व होना बहुत स्वाभाविक है | उस एक मतदाता का ध्यान रखते हुए, उस मतदाता को उसके मताधिकार का उपयोग करने का अवसर मिले, इसके लिए, चुनाव आयोग के कर्मचारियों की पूरी टीम दूर-दराज़ क्षेत्र में जाती है और वोटिंग की व्यवस्था करते हैं - और यही तो हमारे लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है |

मैं, हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने का निरंतर प्रयास करने के लिए चुनाव आयोग की सराहना करता हूँ | मैं सभी राज्यों के चुनाव आयोग की, सभी सुरक्षा कर्मियों, अन्य कर्मचारियों की भी सराहना करता हूँ जो मतदान प्रक्रिया में भाग लेते हैं और स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करते हैं |

इस साल हमारे देश में लोकसभा के चुनाव होंगे, यह पहला अवसर होगा जहाँ 21वीं सदी में जन्मे युवा लोकसभा चुनावों में अपने मत का उपयोग करेंगे | उनके लिए देश की ज़िम्मेदारी अपने कन्धों पर लेने का अवसर आ गया है | अब वो देश में निर्णय प्रक्रिया के हिस्सेदार बनने जा रहे हैं | ख़ुद के सपनों को, देश के सपनों के साथ जोड़ने का समय आ चुका है | मैं युवा-पीढ़ी से आग्रह करता हूँ कि अगर वे मतदान करने के लिए पात्र हैं तो ख़ुद को ज़रूर मतदाता के रूप में register करवाएँ | हम में से प्रत्येक को अहसास होना चाहिए कि देश में मतदाता बनना, मत के अधिकार को प्राप्त करना, वो जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक महत्वपूर्ण पड़ाव है | साथ-साथ मतदान करना ये मेरा कर्त्तव्य है - ये भाव हमारे भीतर पनपना चाहिये | जीवन में कभी किसी भी कारण से, अगर मतदान नहीं कर पाए तो बड़ी पीड़ा होनी चाहिए | कभी कहीं देश में कुछ ग़लत होता हुए देखें तो दुःख होना चाहिए | हाँ ! मैंने वोट नहीं दिया था, उस दिन मैं वोट देने नहीं गया था - इसका ही ख़ामियाजा आज मेरा देश भुगत रहा है | हमें इस ज़िम्मेदारी का अहसास होना चाहिए | ये हमारी वृत्ति, ये हमारी प्रवृत्ति बननी चाहिये | ये हमारे संस्कार होने चाहिए | मैं देश की जानी-मानी हस्तियों से आग्रह करता हूँ कि हम सब मिलकर voter registration हो, या फिर मतदान के दिन वोट देना हो, इस बारे में अभियान चलाकर के लोगों को जागरूक करें | मुझे उम्मीद है कि भारी संख्या में युवा मतदाता के रूप में पंजीकृत होंगे और अपनी भागीदारी से हमारे लोकतंत्र को और मजबूती प्रदान करेंगे |

मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की इस महान धरती ने कई सारे महापुरुषों को जन्म दिया है और उन महापुरुषों ने मानवता के लिए कुछ अद्भुत, अविस्मरणीय कार्य किये हैं | हमारा देश बहुरत्ना-वसुंधरा है | ऐसे महापुरुषों में से एक थे - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस | 23 जनवरी को पूरे देश ने एक अलग अंदाज में उनकी जन्म जयन्ती मनाई | नेताजी की जन्म जयन्ती पर मुझे भारत की आजादी के संघर्ष में अपना योगदान देने वाले वीरों को समर्पित एक museum संग्रहालय का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ | आप जानते हैं कि लाल किले के भीतर आज़ादी से अब तक कई ऐसे कमरे, इमारतें बंद पड़ी थी | उन बंद पड़े लाल किले के कमरों को बहुत सुन्दर संग्रहालयों में बदला गया है, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और Indian National Army को समर्पित संग्रहालय; ‘याद-ए-जलियां’; और 1857 – Eighteen Fifty Seven, India’s First War of Independence को समर्पित संग्राहलय और इस पूरे परिसर को ‘क्रान्ति मन्दिर’ के रूप में देश को समर्पित किया गया है | इन संग्रहालयों की एक-एक ईंट में, हमारे गौरवशाली इतिहास की खुशबू बसी है | संग्रहालय के चप्पे-चप्पे पर हमारे स्वाधीनता संग्राम के वीरों की गाथाओं को बयां करने वाली बातें, हमें इतिहास के भीतर जाने के लिए प्रेरित करती हैं | इसी स्थान पर, भारत माँ के वीर बेटों – कर्नल प्रेम सहगल, कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लो और मेजर जनरल शाहनवाज़ खां पर अंग्रेज हुकूमत ने मुकदमा चलाया था |

जब मैं लाल किले में, क्रान्ति मंदिर में, वहाँ नेताजी से जुड़ी यादों के दर्शन कर रहा था तब मुझे नेताजी के परिवार के सदस्यों ने एक बहुत ही ख़ास कैप, टोपी भेंट की | कभी नेताजी उसी टोपी को पहना करते थे | मैंने संग्रहालय में ही, उस टोपी को रखवा दिया, जिससे वहाँ आने वाले लोग भी उस टोपी को देखें और उससे देशभक्ति की प्रेरणा लें | दरअसल अपने नायकों के शौर्य और देशभक्ति को नई पीढ़ी तक बार बार अलग अलग रूप से निरंतर पहुँचाने की आवश्यकता होती है | अभी महीने भर पहले ही 30 दिसंबर को मैं अंडमान और निकोबार द्वीप गया था | एक कार्यक्रम में ठीक उसी स्थान पर तिरंगा फहराया गया, जहां नेताजी सुभाष बोस ने 75 साल पहले तिरंगा फहराया था | इसी तरह से अक्टूबर 2018 में लाल किले पर जब तिरंगा फहराया गया तो सबको आश्चर्य हुआ, क्योंकि वहाँ तो 15 अगस्त को ही यह परम्परा है | यह अवसर था आजाद हिन्द सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने का |

सुभाष बाबू को हमेशा एक वीर सैनिक और कुशल संगठनकर्ता के रूप में याद किया जाएगा | एक ऐसा वीर सैनिक जिसने आज़ादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई | “ दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा”, जैसे ओजस्वी नारों से नेताजी ने हर भारतीय के दिल में जगह बनाई | कई वर्षों तक यह मांग रही कि नेता जी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक किया जाए और मुझे इस बात की खुशी है, यह काम हम लोग कर पाए | मुझे वो दिन याद है, जब नेताजी का सारा परिवार प्रधानमंत्री निवास आया था | हमने मिलकर नेताजी से जुड़ी बहुत सारी बातें की और नेताजी सुभाष बोस को श्रद्दांजलि अर्पित की |

मुझे ख़ुशी है कि भारत के महान नायकों से जुड़े कई स्थानों को दिल्ली में विकसित करने का प्रयास हुआ है | चाहे वो बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ा 26, अलीपुर रोड हो या फिर सरदार पटेल संग्रहालय हो या वो क्रांति मंदिर हो | अगर आप दिल्ली आएँ तो इन स्थानों को ज़रूर देखने जाए |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज जब हम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में चर्चा कर रहे हैं, और वो भी ‘मन की बात’, में, तो मैं आपके साथ नेताजी की जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा साझा करना चाहता हूँ | मैंने हमेशा से रेडियो को लोगों के साथ जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना है उसी तरह नेताजी का भी रेडियो के साथ काफी गहरा नाता था और उन्होंने भी देशवासियों से संवाद करने के लिए रेडियो को चुना था |

1942 में सुभाष बाबू ने आजाद हिन्द रेडियो की शुरुआत की थी और रेडियो के माध्यम से वो ‘आजाद हिन्द फौज’ के सैनिकों से और देश के लोगों से सवांद किया करते थे | सुभाष बाबू का रेडियो पर बातचीत शुरू करने का एक अलग ही अंदाज़ था | वो बातचीत शुरू करते हुए सबसे पहले कहते थे – This is Subhash Chandra Bose speaking to you over the Azad Hind Radio और इतना सुनते ही श्रोताओं में मानो एक नए जोश, एक नई ऊर्जा का संचार हो उठता |

मुझे बताया गया कि ये रेडियो स्टेशन, साप्ताहिक समाचार बुलेटिन भी प्रसारित करता था, जो अंग्रेज़ी, हिंदी, तमिल, बांग्ला, मराठी, पंजाबी, पश्तो और उर्दू आदि भाषाओं में होते थे | इस रेडियो स्टेशन के संचालन में गुजरात के रहने वाले एम.आर. व्यास जी ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई | आजाद हिन्द रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सामान्य जन के बीच काफी लोकप्रिय थे और उनके कार्यक्रमों से हमारे स्वाधीनता संग्राम के योद्धाओं को भी बहुत ताकत मिली |

इसी क्रांति मंदिर में एक दृश्यकला संग्रहालय भी बनाया गया है | भारतीय कला और संस्कृति बहुत ही आकर्षक तरीक़े से बताने का प्रयास यह हुआ है | संग्रहालय में 4 ऐतिहासिक exhibitions हैं और वहाँ तीन सदियों पुरानी 450 से अधिक पेंटिंग्स और art works मौजूद हैं | संग्रहालय में अमृता शेरगिल, राजा रवि वर्मा, अवनींद्र नाथ टैगोर, गगनेंद्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, जामिनी राय, सैलोज़ मुखर्जी जैसे महान कलाकारों के उत्कृष्ट कार्यों का बखूबी प्रदर्शन किया गया है | और मैं आप सबसे विशेष रूप से आग्रह करूँगा कि आप वहां जाएँ और गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर जी के कार्यों को अवश्य देखें |

अब आप सोच रहे होंगे कि यहाँ बात कला की हो रही है और मैं आपसे गुरुदेव टैगोर के उत्कृष्ट कार्यों को देखने की बात कर रहा हूँ | आपने अभी तक गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर को एक लेखक और एक संगीतकार के रूप में जाना होगा | लेकिन मैं बताना चाहूँगा कि गुरुदेव एक चित्रकार भी थे | उन्होंने कई विषयों पर पेंटिंग्स बनाई हैं | उन्होंने पशु पक्षियों के भी चित्र बनाए हैं, उन्होंने कई सारे सुंदर परिदृश्यों के भी चित्र बनाए हैं और इतना ही नहीं उन्होंने human characters को भी कला के माध्यम से canvas पर उकेरने का काम किया है | और खास बात ये है कि गुरुदेव टैगोर ने अपने अधिकांश कार्यों को कोई नाम ही नहीं दिया | उनका मानना था कि उनकी पेंटिंग देखने वाला खुद ही उस पेंटिंग को समझे, पेंटिंग में उनके द्वारा दिए गए संदेश को अपने नजरिए से जाने | उनकी पेंटिंग्स को यूरोपीय देशों में, रूस में और अमेरिका में भी प्रदर्शित किया गया है |

मुझे उम्मीद है कि आप क्रांति मंदिर में उनकी पेंटिंग्स को जरुर देखने जाएंगे |

मेरे प्यारे देशवासियों, भारत संतों की भूमि है | हमारे संतों ने अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से सद्भाव, समानता और सामाजिक सशक्तिकरण का सन्देश दिया है | ऐसे ही एक संत थे - संत रविदास | 19 फरवरी को रविदास जयंती है | संत रविदास जी के दोहे बहुत प्रसिद्ध हैं | संत रविदास जी कुछ ही पंक्तियों के माध्यम से बड़ा से बड़ा सन्देश देते थे | उन्होंने कहा था –

“जाति-जाति में जाति है,
जो केतन के पात,
रैदास मनुष ना जुड़ सके
जब तक जाति न जात”

जिस प्रकार केले के तने को छिला जाए तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है, लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है, ठीक उसी प्रकार इंसान को भी जातियों में बाँट दिया गया है और इंसान रहा ही नहीं है | वे कहा करते थे कि अगर वास्तव में भगवान हर इंसान में होते हैं, तो उन्हें जाति, पंथ और अन्य सामाजिक आधारों पर बांटना उचित नहीं है |

गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी की पवित्र भूमि पर हुआ था | संत रविदास जी ने अपने संदेशों के माध्यम से अपने पूरे जीवनकाल में श्रम और श्रमिक की अहमियत को समझाने का प्रयास किया | ये कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि उन्होंने दुनिया को श्रम की प्रतिष्ठा का वास्तविक अर्थ समझाया है | वो कहते थे –

“मन चंगा तो कठौती में गंगा”

अर्थात यदि आपका मन और ह्रदय पवित्र है तो साक्षात् ईश्वर आपके ह्रदय में निवास करते हैं | संत रविदास जी के संदेशों ने हर तबके, हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है | चाहे चित्तौड़ के महाराजा और रानी हों या फिर मीराबाई हों, सभी उनके अनुयायी थे |

मैं एक बार फिर संत रविदास जी को नमन करता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो, किरण सिदर ने MyGov पर लिखा है कि मैं भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके भविष्य से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डालूं | वो मुझसे ये भी चाहते हैं कि मैं विद्यार्थियों से अंतरिक्ष कार्यक्रमों में रूचि लेने और कुछ अलग हटकर, आसमान से भी आगे जाकर सोचने का आग्रह करूँ - किरण जी, मैं आपके इस विचार और विशेष रूप से हमारे बच्चों के लिए दिए गए संदेश की सराहना करता हूँ |
कुछ दिन पहले, मैं अहमदाबाद में था, जहाँ मुझे डॉक्टर विक्रम साराभाई की प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला | डॉक्टर विक्रम साराभाई का भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है | हमारे space programme में देश के असंख्य युवा वैज्ञानिकों का योगदान है | हम इस बात का गर्व करते हैं कि आज हमारे students द्वारा develop किए गए सैटेलाइट्स और Sounding Rockets अंतरिक्ष तक पहुँच रहे हैं | इसी 24 जनवरी को हमारे विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया ‘कलाम – सेट’ launch किया गया है | ओडिशा में यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए Sounding Rockets ने भी कई कीर्तिमान बनाए हैं | देश आज़ाद होने से लेकर 2014 तक जितने Space Mission हुए हैं, लगभग उतने ही Space Mission की शुरुआत बीते चार वर्षों में हुई हैं | हमने एक ही अंतरिक्ष यान से एक साथ 104 Satellites लॉन्च करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है | हम जल्द ही Chandrayaan-2 अभियान के माध्यम से चाँद पर भारत की मौजूदगी दर्ज कराने वाले हैं |

हमारा देश, स्पेस टेक्नोलॉजी का उपयोग जानमाल की रक्षा में भी बख़ूबी कर रहा है | चाहे साइक्लोन हो, या फिर रेल और सड़क सुरक्षा, इन सब में स्पेस टेक्नोलॉजी से काफी सहायता मिल रही है | हमारे मछुआरे भाइयों के बीच NAVIC devices बांटे गए हैं, जो उनकी सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक तरक्की में भी सहायक है | हम स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सरकारी सेवाओं की delivery और accountability को और बेहतर करने के लिए कर रहे हैं | “Housing for all” यानि “सबके लिए घर” – इस योजना में 23 राज्यों के करीब 40 लाख घरों को जिओ-टैग किया गया है | इसके साथ ही मनरेगा के तहत करीब साढ़े तीन करोड़ संपत्तियों को भी जिओ-टैग किया गया | हमारे सैटेलाइट्स आज देश की बढ़ती शक्ति का प्रतीक हैं | दुनिया के कई देशों के साथ हमारे बेहतर संबंध में इसका बड़ा योगदान है | साउथ एशिया सैटेलाइटस तो एक अनूठी पहल रही है, जिसने हमारे पड़ोसी मित्र राष्ट्रों को भी विकास का उपहार दिया है | अपनी बेहद competitive launch services के माध्यम से भारत आज न केवल विकासशील देशों के, बल्कि विकसित देशों के सैटेलाइटस को भी launch करता है | बच्चों के लिए आसमान और सितारे हमेशा बड़े आकर्षक होते हैं | हमारा Space Programme बच्चों को बड़ा सोचने और उन सीमाओं से आगे बढ़ने का अवसर देता है, जो अब तक असंभव माने जाते थे | यह हमारे बच्चों के लिए सितारों को निहारते रहने के साथ-साथ, नए-नए सितारों की खोज करने की ओर प्रेरित करने का vision है |

मेरे प्यारे देशवासियों, मै हमेशा कहता हूँ, जो खेले वो खिले और इस बार के खेलो इंडिया में ढ़ेर सारे तरुण और युवा खिलाड़ी खिल के सामने आए हैं | जनवरी महीने में पुणे में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 18 गेम्स में करीब 6,000 खिलाड़ियों ने भाग लिया | जब हमारा sports का local ecosystem मजबूत होगा यानी जब हमारा base मजबूत होगा तब ही हमारे युवा देश और दुनिया भर में अपनी क्षमता का सर्वोत्तम प्रदर्शन कर पाएंगे | जब local level पर खिलाड़ी best प्रदर्शन करेगा तब ही वो global level पर भी best प्रदर्शन करेगा | इस बार ‘खेलो इंडिया’ में हर राज्य के खिलाड़ियों ने अपने-अपने स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया है | मेडल जीतने वाले कई खिलाड़ियों का जीवन ज़बर्दस्त प्रेरणा देने वाला है |

मुक्केबाज़ी में युवा खिलाड़ी आकाश गोरखा ने सिल्वर मेडल जीता | मैं पढ़ रहा था आकाश के पिता रमेश जी, पुणे में एक कॉम्प्लेक्स में बतौर watchman का काम करते हैं | वे अपने परिवार के साथ एक parking shed में रहते हैं | वहीं महाराष्ट्र की अंडर-21 महिला कबड्डी टीम की कप्तान सोनाली हेलवी सतारा की रहने वाली है | उन्होंने बहुत कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया और उनके भाई और उनकी माँ ने सोनाली के हुनर को बढ़ावा दिया | अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कबड्डी जैसे खेलों में बेटियों को इतना बढ़ावा नहीं मिलता है | इसके बावजूद सोनाली ने कबड्डी को चुना और उत्कृष्ट प्रदर्शन किया | आसनसोल के 10 साल के अभिनव शॉ, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सबसे कम उम्र के स्वर्ण पदक विजेता हैं | कर्नाटक से एक किसान की बेटी अक्षता बासवानी कमती ने weightlifting में स्वर्ण पदक जीता | उन्होंने अपनी जीत का श्रेय अपने पिता को दिया | उनके पिता बेलगाम में एक किसान हैं | जब हम इंडिया के निर्माण की बात कर रहे हैं तो वो युवा शक्ति के संकल्प का ही तो न्यू इंडिया है | खेलो इंडिया की ये कहानियाँ बता रही है कि न्यू इंडिया के निर्माण में सिर्फ बड़े शहरों के लोगों का योगदान नहीं है बल्कि छोटे शहरों, गाँव, कस्बों से आने वाले युवाओं-बच्चों, young sporting talents, उनका भी बहुत बड़ा योगदान है |

मेरे प्यारे देशवासियों, आपने कई सारे प्रतिष्ठित ब्यूटी contest के बारे में सुना होगा | पर क्या आपने toilet चमकाने के कॉन्टेस्ट के बारे में सुना है ? अरे पिछले लगभग एक महीने से चल रहे इस अनोखे कॉन्टेस्ट में 50 लाख से अधिक शौचालयों ने हिस्सा ले भी लिया है | इस अनोखे contest का नाम है “स्वच्छ सुन्दर शौचालय” | लोग अपने शौचालय को स्वच्छ रखने के साथ-साथ उसे रंग-रौगन करके, कुछ पेंटिंग्स बना कर सुन्दर भी बना रहे है | आपको कश्मीर से कन्याकुमारी कच्छ से कामरूप तक की “स्वच्छ सुन्दर शौचालय” की ढ़ेर सारी photos social media पर भी देखने को मिल जायेंगी | मैं सभी सरपंचों और ग्राम प्रधानों से अपनी पंचायत में इस अभियान का नेतृत्व करने का आवाहन करता हूं | अपने “स्वच्छ सुन्दर शौचालय” की फ़ोटो को #MylzzatGhar के साथ सोशल मीडिया पर ज़रूर शेयर करें |

साथियों, 2 अक्टूबर, 2014 को हमने अपने देश को स्वच्छ बनाने और खुले में शौच से मुक्त करने के लिए एक साथ मिलकर एक चिर-स्मरणीय यात्रा शुरू की थी | भारत के जन-जन के सहयोग से आज भारत 2 अक्टूबर, 2019 से काफी पहले ही खुले में शौच मुक्त होने की ओर अग्रसर है जिससे कि बापू को उनकी 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सके |

स्वच्छ भारत के इस चिर-स्मरणीय यात्रा में ‘मन की बात’ के श्रोताओं का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है और इसीलिए तो आप सबसे यह बात साझा करते हुए खुशी हो रही है कि पाँच लाख पचास हज़ार से अधिक गांवों ने और 600 जिलों ने स्वयं को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है और ग्रामीण भारत में स्वच्छता coverage 98% को पार कर गया है और क़रीब नौ करोड़ परिवारों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है |

मेरे नन्हे-मुन्ने साथियो, परीक्षाओं के दिन आने वाले हैं | हिमाचल प्रदेश के निवासी अंशुल शर्मा ने MyGov पर लिखा है कि मुझे परीक्षाओं और Exam Warriors के बारे में बात करनी चाहिए | अंशुल जी, यह मुद्दा उठाने के लिए आपको धन्यवाद | हां, कई परिवारों के लिए साल का पहला हिस्सा Exam Season होता है | विद्यार्थी, उनके माता-पिता से लेकर शिक्षिक तक, सारे लोग परीक्षाओं से सम्बंधित कार्यों में व्यस्त रहते हैं |

मैं सभी विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और शिक्षकों को शुभकामनाएं देता हूँ | मैं इस विषय पर आज ‘मन की बात’ के इस कार्यक्रम में चर्चा करना ज़रूर पसंद करता, लेकिन आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैं दो दिन बाद ही 29 जनवरी को सवेरे 11 बजे ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में देश भर के विद्यार्थियों के साथ बातचीत करने वाला हूँ | इस बार students के साथ-साथ parents और teachers भी इस कार्यक्रम क हिस्सा बनने वाले हैं | और इस बार कई अन्य देशों के students भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे | इस ‘परीक्षा पे चर्चा’ में परीक्षाओं से जुड़े सभी पहलुओं, विशेष रूप से stress free exam यानी तनाव-रहित परीक्षा के संबंध में अपने नौजवान मित्रों के साथ बहुत सारी बातें करूंगा | मैंने इसके लिए लोगों से input और idea भेजे ने का आग्रह किया था; और मुझे बहुत खुशी है कि MyGov पर बड़ी संख्या में लोग अपने विचार साझा कर रहे हैं | इनमें से कुछ विचारों और सुझावों को मैं निश्चित तौर पर टाउन हॉल प्रोग्राम के दौरान आपके सामने रखूंगा | आप जरुर इस कार्यक्रम का हिस्सा बनें......सोशल मीडिया और नमो ऐप के माध्यम से आप इसका लाइव telecast भी देख सकते हैं |

मेरे प्यारे देशवासियो | 30 जनवरी पूज्य बापू की पुण्यतिथि है | 11 बजे पूरा देश शहीदों को श्रद्धांजलि देता है | हम भी जहाँ हों दो मिनट शहीदों को जरुर श्रद्धांजलि दें | पूज्य बापू का पुण्य स्मरण करें और पूज्य बापू के सपनों को साकार करना, नये भारत का निर्माण करना, नागरिक के नाते अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना – इस संकल्प के साथ, आओ हम आगे बढें | 2019 की इस यात्रा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाएँ | मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ, बहुत-बहुत धन्यवाद |

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In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।