"After the British, India should shun nepotism, power-pride, scams, inflation, old mind sets, mistrust: Narendra Modi"
"As we breathe in the air of freedom we remember those who who devoted their lives for our Freedom: Narendra Modi"
"Great men and women spent their youth in the prisons and went to the gallows: Shri Modi"
"We may have attained freedom but not escaped mental slavery. Status quo-ist mindset must go to grow: Shri Modi"
"Hoped as a common man that PM’s speech would give a new message, but was disappointed: Narendra Modi"
"Should'nt we remember Sardar Patel & Shastriji too, instead of just one family from RedFort: CM "
"PM raised same issues like Nehruji did 60 years ago while unfurling the Tricolour: Narendra Modi"
"UPA's Food Security Bill is like serving salt & acid on plates of poor instead of food: CM"

६७वां आजादी पर्वः कच्छ जिला

भारतमाता की आन-बान-शान के साथ राष्ट्र ध्वज को मुख्यमंत्री ने दी सलामी

देश को संकटों और समस्याओं में डुबाने के लिए वर्तमान शासक संपूर्ण जिम्मेदारः मुख्यमंत्री

गुलामी की मानसिकता, स्थगित शासन और भ्रष्टाचार से आजादी ही जनता का फैसला है

देश के शासकों पर से उठा जनता का भरोसा

  गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दुस्तान को वर्तमान संकटों और समस्याओं से मुक्त कराने का आह्वान करते हुए कहा कि स्थगितता और विफलताओं के कारण देश की सवा सौ करोड़ जनता का भरोसा वर्तमान शासन पर से उठ गया है। स्वराज के बाद अब देश को गुलामी की मानसिकता में से आजाद कराने का समय आ गया है। ६७वें आजादी पर्व के राज्य स्तरीय समारोह के अवसर पर कच्छ की धरती पर भुज के लालन कॉलेज के पटांगण में भारत के तिरंगे का आन-बान-शान के साथ ध्वज वंदन कराने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी ने देश की ताकत और सामर्थ्य की उपेक्षा कर संकटों में धकेल देने वाली कांग्रेस शासित यूपीए सरकार के खिलाफ जमकर प्रहार किया। आजादी की जंग के योद्धाओं, शहीदों और महापुरुषों का ऋण स्वीकार कर, कोटि-कोटि वंदन करते हुए श्री मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम की दोनों विचारधाराओं- सशस्त्र क्रांति और अहिंसक आंदोलन में गुजरात के नेतृत्व की भूमिका पेश की। सरदार पटेल, महात्मा गांधी और श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसे महापुरुषों के नेतृत्व में आजादी की जंग में अपना सब कुछ न्योछावर करने वालों को उन्होंने श्रद्धांजलि दी। आजादी के बाद आई गुलामी की मानसिकता और सोच की स्थगितता में से बाहर निकलने का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति की यह चिंता जायज है कि लोकतंत्र में संसद और विधानसभा राजनीति का अखाड़ा बन गए हैं। विरोधी दल सरकार की कमजोरियों को लेकर आवाज उठाएं यह स्वाभाविक है लेकिन शासक पक्ष संसद की-विधानसभा की गरिमा को बरकरार न रखे यह लोकतंत्र के लिए शोभास्पद नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के सन्दर्भ में भी प्रधानमंत्री को देश की सेना के मनोबल को शक्ति मिले उसके लिए हौसला बढ़ाने की जरूरत थी। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हमारी सहनशक्ति की एक सीमा होनी चाहिए, लेकिन सहनशीलता की सीमा की व्याख्या भी सुनिश्चित करना शासक दल का फर्ज है।

आज देश की सुरक्षा पर संकट किसलिए है? यह प्रश्न उठाते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति की चिंता और भावना का आदर करने का प्रथम कर्तव्य प्रधानमंत्री का है। राजनैतिक भाषा नहीं बल्कि देश की मूलभूत समस्याओं देश की सुरक्षा, भ्रष्टाचार को लेकर प्रधानमंत्री को देश को विश्वास दिलाना चाहिए। भाई-भतीजावाद, सास-बहू और दामाद तक भ्रष्टाचार पहुंच गया है। भ्रष्टाचार से देश तबाही के कगार पर पहुंच गया है। शासनकर्ता दल उसमें लिप्त हो चुका है, डूब गया है। भ्रष्टाचार रोकने की शुरुआत सर्वोच्च स्तर से होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री के लाल किले पर से दिए गए स्वतंत्रता दिवस के संदेश का विश्लेषण करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस भाषण से पूरा हिन्दुस्तान निराश हुआ है। इस भाषण में सरदार पटेल और लाल बहादुर शास्त्री का कहीं उल्लेख ही नहीं है। क्या पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का ही बतौर प्रधानमंत्री योगदान था? इस देश के विकास में परिवारवाद और राजनीति क्यों आड़े आती है?

नौसेना सबमरीन के जवानों की कल हुई मृत्यु को लेकर पूरा देश दुःख का अनुभव कर रहा है। उत्तराखंड के लिए सेना सहित हिन्दुस्तान की सभी सरकारों ने अपनी पूरी ताकत से सेवाधर्म का कर्तव्य निभाया है, उनकी शक्ति के लिए प्रशंसा का एक शब्द भी नहीं कहा? परिवारभक्ति में इस कदर डुबने की वजह क्या है? कच्छ की मरुभूमि और भारत-पाक सीमा पर से प्रधानमंत्री की मानसिकता और जिम्मेदारी को ललकारते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक मंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था और रुपया कमजोर हुआ है, प्रधानमंत्री का यह बयान या बचाव गले नहीं उतरता। पंडित नेहरू के समय से लेकर आज तक के ६० वर्ष में शासनकर्ता के रूप में आपने किया क्या?

खाद्य सुरक्षा विधेयक की खामियों को गंभीर करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अंत्योदय योजना के गरीब से गरीब लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा कानून से कोई फायदा नहीं होने वाला। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों पर खाद्य सुरक्षा कानून के अमल के चलते प्रति माह ८० से ८५ रुपये का बोझ बढ़ेगा। यह खाद्य सुरक्षा विधेयक संविधान के समानता के सिद्धांत की अवगणना करता है। राज्यों के बीपीएल लाभार्थियों की संख्या केन्द्र तय करता है और वितरण के मापदंड राज्यों को सौंपता है। ऐसी अनेक खामियां हैं। आपने गरीब की थाली में से रोटी छिनकर उनके जख्म पर तेजाब छिड़कने का काम किया है। क्यों नहीं इस मुद्दे पर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जाती।

महंगाई के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के मौन पर आक्रोश जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को गरीबी, भ्रष्टाचार और असुरक्षा की भावना में डुबो दिया है। अब देश के लिए नई सोच, नई आशा और नई मुक्ति अनिवार्य है। अंग्रजों से भारत को मुक्त कराया अब भ्रष्टाचार, असुरक्षितता, महंगाई, भाई-भतीजावाद, परिवारवाद, अशिक्षा-अंधश्रद्धा से मुक्ति चाहिए। देश की जनता नया फैसला करने को मजबूर हो गई है, क्योंकि संकटों और समस्याओं की फांस जनता के गले में है, उससे उसे मुक्ति चाहिए।

गुजरात के विकास का श्रेय मुख्यमंत्री को नहीं बल्कि जनशक्ति की विकास में भागीदारी को जाता है, यह कहते हुए श्री मोदी ने बताया कि रोजगार प्रदान करने में गुजरात सबसे आगे है। ऐसी क्या वजह है कि भाजपा शासित और गैर कांग्रेसी राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा राष्ट्रीय अवार्ड मिले हैं? २० सूत्रीय गरीबलक्षी कार्यक्रमों के अमल में ऐसी राज्य सरकारें एक से पांच के क्रम में हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री का शासक दल प्रेम नहीं करता।

आज देश की मांग यह है कि हम स्पर्धा करें विकास की, भारतमाता के तिरंगे के शान की। गुजरात और केन्द्र के बीच विकास की स्पर्धा करने का आह्वान उन्होंने प्रधानमंत्री से किया। सबसे बड़ी स्पर्धा विकास और सुशासन की होनी चाहिए। सरकारी लालफीताशाही और सरकारी फाइलों की ३५ धाम की विकास यात्रा के बावजूद सरकार की गति पर देश को विश्वास नहीं रहा। अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की सरकार में जनता को भरोसा था कि देश अब आगे जा रहा है। लेकिन २००४ के बाद दस वर्ष में अब भरोसा नहीं रहा। भारत के संघीय ढांचे का सम्मान और राज्यों की मजबूती, प्रत्येक गांव, तहसील और जिले की प्रगति होनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के राज्यों को कमजोर रखकर देश और लोकतंत्र मजबूत नहीं रहेगा। गुजरात के विकास मॉडल में कृषि, मैन्युफेक्चरिंग और सेवा क्षेत्र का संतुलन करके अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया गया है।

  विकास की नई ऊंचाइयों पर किस तरह पहुंचा जा सकता है, यह गुजरात ने कर दिखाया है। दस वर्ष में ही यूनिवर्सिटियों की संख्या ११ से बढ़ाकर ४२ की है। रोजगार के लाखों अवसर प्रदान किए हैं। पिछले दस वर्ष में ही राज्य सरकार की नौकरियों में नई जनरेशन की ढाई लाख से ज्यादा भर्ती की गई है। अब अगले पांच वर्ष में लगातार योग्यता के स्तर पर सरकारी भर्तियों की मैन पॉवर प्लानिंग बैंक बनाकर ८० हजार नौकरियों के अवसर उपलब्ध हों, ऐसी वैज्ञानिक पद्धति पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। उत्तम स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रधानमंत्री ने स्वयं राष्ट्रीय अवार्ड गुजरात को प्रदान किया है। निजी क्षेत्र में कुशल युवाओं के लिए रोजगार के विशाल अवसर खुले हैं।

उन्होंने कहा कि गुजरात में कृषि क्षेत्र में ग्लोबल एग्रो फेयर आयोजित होगा। वैज्ञानिक पशुपालन और सहकारी दूध उत्पादन क्षेत्र में गुजरात आगे रहा है। भारत के किसान परिश्रम से देश के अन्न भंडार भरकर दुनिया का पेट भरने में सक्षम हैं। लेकिन करंट डेफिसिट अकाउंट संकट और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट के बीच असंतुलन से देश की अर्थव्यवस्था टूट रही है। हमें एक भारत-श्रेष्ठ भारत के मंत्र के साथ सबका साथ, सबका विकास और हिन्दुस्तान को हरा-भरा बनाने का संकल्प करना होगा। ६७वें स्वंत्रता पर्व के महोत्सव के सिलसिले में भुज के लालन कॉलेज प्रांगण में उमड़े जनसैलाब के बीच कच्छ की विभिन्न शालाओं के १२०० विद्यार्थियों के द्वारा महायोग और सूर्य नमस्कार, कच्छ की सांस्कृतिक विरासत उजागर करता रंगारंग देशभक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों ने उत्साहपूर्वक देखा। पुलिस जवानों द्वारा पेश डेयर डेविल शो, श्वान दल और हॉर्स शो सहित कई कार्यक्रम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनें।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानी डॉ. वी.बी. वाघेला, मोहनभाई सोलंकी, चंद्रकांत मांकड़ और हरेशचंद्र राणा से मुलाकात कर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देने के साथ ही शॉल ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्य सचिव वरेश सिन्हा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह एस.के. नंदा, सांसद पूनमबेन जाट, जिला पंचायत प्रमुख त्रिकमभाई छांगा, विधायक वासणभाई आहिर, मोहनभाई कुंडारिया, ताराचंद छेड़ा, रमेशभाई महेश्वरी, वाघजीभाई पटेल, नीमाबेन आचार्य, पुलिस महानिदेशक अमिताभ पाठक, युवक सेवा, सांस्कृतिक विभाग के सचिव भाग्येश झा, सचिव सामान्य प्रशासन विभाग श्रीनिवास, जिला प्रभारी सचिव जे.पी. गुप्ता, जिला कलक्टर हर्षद पटेल, भुज शहर भाजपा उप प्रमुख मामद सिद्दीक जुनेजा, कई अधिकारी, पदाधिकारी और नागरिक मौजूद थे।

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Prime Minister condoles loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra
December 07, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has expressed deep grief over the loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra.

Shri Modi also prayed for the speedy recovery of those injured in the mishap.

The Prime Minister’s Office posted on X;

“Deeply saddened by the loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra. My thoughts are with those who have lost their loved ones. I pray that the injured recover soon: PM @narendramodi”