21वीं सदी ज्ञान की सदी है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत में दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनने की क्षमता है: प्रधानमंत्री मोदी
इतिहास में जब भी ज्ञान की बात हुई है, भारत का योगदान हमेशा से अहम रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
जनसंख्या की दृष्टि से आज भारत विश्व का सबसे युवा देश है; उत्साह से लबरेज इन युवाओं के ढ़ेरों सपने हैं: प्रधानमंत्री मोदी
युवाओं की वर्तमान पीढ़ी रोजगार खोजने की बजाय रोजगार के अवसर बनाना चाहती है: प्रधानमंत्री मोदी
वैश्विक एजेंसियों ने भारत को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश बताया है: प्रधानमंत्री

मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, नौजवान साथियों, और इस समय online नॉर्थ ईस्‍ट के कई विद्यार्थी भी इस समारोह में शरीक हैं। मैं उन सबका भी स्‍वागत करता हूं।

सब से पहले मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ क्योंकि मुझे आने में बहुत विलंब हुआ, क्‍योंकि आज सुबह सिक्किम से मुझे चलना था। लेकिन weather साथ नहीं दे रहा था। बार बार समय बदलना पड़ रहा था। लेकिन आखिकार पहुंच ही गया। कभी-कभी देर होती है, लेकिन पहुंचता हूं। आज यहां दो महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम हैं। एक तो IIIT का, नये भवन का शिलान्‍यास और दूसरा ICT Academy की शुरूआत। हम सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है, लेकिन 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है इसका कारण क्‍या है। तो पूरा विश्‍व ये मानता है कि 21वीं सदी ये ज्ञान की सदी है। information की सदी है और इसलिए information , knowledge के क्षेत्र में जो अगुवाई करेगा वो दुनिया की अगुवाई करेगा। वो लीडरशिप करेगा और दूसरा महत्‍वपूर्ण कारण है आज भारत विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत जनसख्‍ंया इस देश में 35 साल से कम उम्र की है, कई तो 35 से भी नीचे है। जिस देश मे सदियों से यह परंपरा रही है कि जब-जब मानव जाति नाजुक दौर से गुजरी है हमेशा हमेशा भारत ने नेतृत्‍व किया है और 21वीं सदी में demographic dividend ये हमारी ताकत है इतनी बड़ी संख्‍या में जिस देश के पास नौजवान हों उसके सपने भी नौजवान होते हैं और जवान सपनों में समर्पण का भाव भी होता है, ऊर्जा भी होती है। भारत इस परिस्थिति का फायदा कैसे उठाए, इस अवसर को भारत किस प्रकार से दुनिया के विश्‍व के पटल पर एक शक्ति के रूप में उभर सकें। ये अवसर भी है, चुनौती भी है और जिंदगी बिना चुनौतियों के कभी सफल नहीं होती है। जो चुनौतियों को पार करता है वो ही अवसर को पाता है और वही अवसर को सिद्धि में परिवर्तित कर सकता है। आज पूरे विश्‍व में जितने भी मानको पर चर्चा होती है चाहे वर्ल्‍ड बैंक का रिपोर्ट देख लीजिए। IMF का रिपोर्ट देख लीजिए। credit rating agency, global level की कुछ कहें, एक बात साफ साफ उभर करके आती है और सर्व दूर से एक ही प्रकार से आती है और वो ये कि आज बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कोई economy है। वो economy का नाम है हिन्‍दुस्‍तान।

आए दिन खबरें आती है कि दुनिया में ये हो रहा है। वो हो रहा है। पूरे विश्‍व में आर्थिक मंदी का माहौल है। विश्‍व आर्थिक संकट में घिरा हुआ है। ऐसे संकट के काल में एक अकेला हिन्‍दुस्‍तान अपने पैरों पर स्थिर खड़ा है और तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है और ये भी विश्‍व मानता है कि आने वाले दिनों में भारत इससे भी अधिक गति से आगे बढ़ने वाला है। ये जो अवसर आया है। इस अवसर का फायदा अगर उठाना है। तो हमें हमारी युवा शक्ति पर ध्‍यान केन्द्रित करना होगा और इसलिए सरकार ने जिन बातों पर ध्‍यान दिया है वे बिखरी हुई चीजें नहीं हैं। सरकार में हैं कुछ करना पड़ता है चलो कुछ करते रहें ऐसा भी नहीं हैं। एक के बाद एक कदम एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, interlinked हैं। एक के बाद एक कदम अंतिम परिणाम को प्राप्‍त करने का अवसर है। पहली बार इस देश में skill development एक अलग department बनाया गया। पहले क्‍या था। हर department अपने-अपने तरीके से skill department का काम करता था। लेकिन जब इतने बड़े department के एक कोने में skill department चलता है तो उसमें focus नहीं रहता था। चीजें चलती थी, कागज पर सब दिखता था। लेकिन धरती पर नजर नहीं आता था। हमने अलग skill department बनाया और पूरे देश में 21वीं सदी के अनुकूल किस प्रकार का मैन पावर तैयार करना चाहिए, किस प्रकार का Human resource development करना चाहिए और न सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान वैश्विक संदर्भ में global perspective में आप कल्‍पना कर सकते हैं जब दुनिया पूरी बूढ़ी हो, दुनिया के पास पैसे हों। उद्योग कारखाने लगे हुए हों। लेकिन चलाने के लिए नौजवान न हो तो क्‍या होगा। पूरी विश्‍व को 2030 के बाद बहुत बड़ी मात्रा में human resource की आवश्‍यकता पड़ने वाली है। globally man power पहुंचाने का काम अगर कोई कर सकता है तो हिन्‍दुस्‍तान कर सकता है। दूनिया के हर कोने में भारत का नौजवान जा करके उस देश के जीवन में बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। वो दिन दूर नहीं है। जब पूरे global requirement को अगर ध्‍यान में रखें तो आज से हमारा प्रयास है कि हिन्‍दुस्‍तान में वो Human resource development हो वो man power तैयार हो जो आने वाले दिनों में global requirement को पूरी कर पाएं।

दूसरी तरफ भारत सिर्फ सेवादार बना रहे क्‍या ? ये बात हमें मंजूर नहीं है और इसलिए हमारे देश में Make in India का अभियान चलाया है। आज देश पेट्रोलियम पैदावार के बाद सबसे ज्‍यादा इम्‍पोर्ट जो पहली तीन चार चीजें हैं देश में जिसमे हमारी सबसे ज्‍यादा धन हमारे विदेश में जाता है। उसमें एक है electronic goods का import। चाहे लैपटॉप हो, चाहे मोबाइल फोन हो, चाहे electronic medical devices हो। अब जिस देश में ऐसी बढि़या IIT हो जिस गुवाहाटी के IT के, जो गुवाहाटी यहाँ के IIT के कारण पहचाना जाता है। यहां के IIT ने गुवाहाटी को एक नई पहचान दी है। लेकिन उस देश में electronic goods भी हमें इम्‍पोर्ट करना पड़े । ये अच्‍छी बात है क्‍या। Thermometer भी बाहर से लाना है। बीपी कम हुआ ठीक हुआ नहीं ठीक हुआ वो भी foreign का instrument तय करेगा क्‍या।

दोस्‍तों ये चीजे बदलनी है। मैं आज आपके बीच आया हूं चुनौती को ले करके, कम से कम electronic goods ये तो हम बना सकते हैं ऐसा नहीं हम दुनिया को दे सकते हैं। इस देश के पास टेलेंट की कमी नहीं है, इरादों की भी कमी नहीं है। हर नौजवान के पास कुछ न कुछ करने का इरादा है तो क्‍यों न हम हमारे देश की इस requirement को ध्यान में रखते हुए मेक इन इंडिया की बात को आगे बढ़ाएं। और दुनिया ने भारत के लोगों का लोहा माना है। आज सिलिकॉन मेले में जाइए। Address तो यूएसए का है। लेकिन चेहरा हिन्‍दुस्‍तानी है। हर तीसरी चौथी कंपनी का सीईओ हिन्‍दुस्‍तानी है। 50 परसेंट 60 परसेंट काम करने वाले नौजवान हिन्‍दुस्‍तानी है। इस देश के पास टेलेंट भी है।

भारत ने Mars Mission किया। ऑरबिट में हम पहुंचे। दूनिया में हम पहले देश हैं जो Mars Orbit Mission में पहले ही ट्रायल में सफल हो गये। दुनिया के और देशों में सफलता 20-20-25 बार ट्रायल करने पर मिली। भारत को पहली बार मिल गई। और खर्चा कितना आप गुवाहाटी में एक किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाए तो दस रुपया लगता होगा। हम मार्स मिशन में सिर्फ सात रुपए किलोमीटर पर गए। हॉलीवुड की फिल्‍म का जो खर्चा होता है उससे कम खर्चें में हम मार्स मिशन पर पहुंचे। ये कैसे संभव हुआ। हमारे नौजवानों के talent के कारण, तजुर्बे के कारण। कुछ कर गुजरने के इरादे के कारण। जिस देश के पास ये सामर्थ्‍य हो तो वो देश का प्रधानमंत्री make in India का सपना क्‍यों न देखे। हमारा दूसरा क्षेत्र है Defence. क्‍या भारत अपनी सुरक्षा के लिए आजादी के 70 साल के बाद भी औरों पर dependent रहे। अश्रु गैस है न अश्रु गैस, रोने के लिए भी tear gas, वो भी बाहर से लाना पड़ता है। ये स्‍थिति अब बदलनी है दोस्‍तों। हम हमारी रक्षा के लिए जो आवश्‍यकताएं हैं वो तो हम बनाएं। इतना ही नहीं दुनिया को हम supply भी करे, ये ताकत हमारी होनी चाहिए।

हम मोबाइल के बिना जी नहीं सकते और आप में से कई लोग है, मेरे से जुड़े हुए हैं, फेसबुक पर, ट्वीटर पर। कुछ लोग मेरी Narendra Modi app पर भी कुछ न कुछ लिखते रहते हैं गुवाहाटी से। लेकिन मोबाइल फोन बाहर से लाना पड़ता है और इसलिए दोस्‍तों हमारे जो IITs है। हमारी IIIT है। हमारी technical institutions है। वहां make in India का मुझे माहौल create करना है। अभी से विद्यार्थी के मन में विचार होना चाहिए कि मैं शस्‍त्रार्थों की दुनिया में भारत को ये अमानत दूंगा ताकि दुनिया हमें कुछ न कर पाए।

हम ICT के क्षेत्र में जा रहे हैं। ICT हम व्‍यापार-धंधे के लिए नए-नए सॉफ्टवेयर बनाने की ताकत create कर रहे हैं, लेकिन दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और सारी दुनिया के सामने है। वो चुनौती है, cyber security की। हर कोई परेशान है, कहीं कोई हाई-जैक तो नहीं कर लेगा। मेरी पूरी फाइल चली तो नहीं जाएगी। मैं research कर रहा हूं, कोई उठा तो नहीं ले जाएगा। दुनिया को कोई ठप्‍प तो नहीं कर देगा। हवाई जहाज उड़ता होगा और cyber attack करके उसको वही रोक दिया जा सकता है और फिर वो नीचे ही आएगा। ये संकट है, दुनिया डरी हुई है। technology ने जहां-जहां पर हमको पहुंचाया है तो उसके साथ हमारे सामने चुनौतियां भी आई हैं। क्‍या हमारे विद्यार्थी, हमारे नौजवान विश्‍व को cyber security देने के लिए नेतृत्‍व नहीं कर सकते क्‍या? अगर दुनिया में किसी को भी cyber security की जरूरत होगी, भारत के नौजवान पर उसको भरोसा करना पड़ेगा, तब जाकर के उसका काम होगा। ये नहीं कर सकते क्‍या?

और इसलिए दोस्‍तों skill development से लेकर के make in India. दो दिन पहले आप में से कई लोग शायद मेरे साथ वीडियो कॉंफ्रेंस में जुड़े हुए होंगे। जब मैं दो दिन पहले दिल्‍ली में ‘स्‍टार्ट-अप’ का आरंभ किया। जब मैं पहले ‘स्‍टार्ट-अप’ कह रहा था तो कुछ लोगों को तो पता ही नही पड़ता, क्‍या कह रहा है ये। ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’. जब लालकिले से हमने कहा तो ऐसे ही आकर के चला गया विषय। पता ही नहीं चला, कहीं रजिस्‍टर्ड ही नहीं हुआ। लेकिन अभी जब ‘स्‍टार्ट-अप’ का कार्यक्रम हुआ, लाखों नौजवानों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया। एक नया mood बना है, देश में। नौजवान सोच रहा है मैं रोजगार के लिए apply नहीं करूंगा, मैं अपने पैरों पर नई चीज खोजकर के दुनिया के बाजार में ले आऊंगा, नए तरीके से ले आऊंगा।

‘स्‍टार्ट-अप’ का एक माहौल बना है। वर्तमान में जो नई पीढ़ी है वो job-seeker नहीं बनना चाहती है, वो job-creator बनना चाहती है और सरकार ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’ के भरोसे उसे बल देना चाहती है और इसलिए अभी आपने देखा होगा, हमने कई नई योजनाएं घोषित की है, नए initiative लिए हैं क्‍योंकि भारत दुनिया का ‘स्‍टार्ट-अप’ का capital बन सकता है जिस देश के पास इतनी talent हो, वो दुनिया का capital बन सकता है और मैंने ये देखा, आपने भी शायद टीवी पर इन चीजों को ध्‍यान से देखा होगा, नहीं देखा होगा तो इंटरनेट पर सारी चीजें इन दिनों available है। 22-25-27-30 साल के नौजवान अरबों-खरबों रुपयों का व्‍यापार करने लगे हैं और दो-तीन साल में करने लगे हैं और पांच हजार- दस हजार- 25 हजार लोगों को रोजगार दे रहे हैं just अपना दिमाग और technology का उपयोग करते हुए।

और जमाना App का है, हर चीज का App बनता है और दुनिया जुड़ जाती है। मैं भी अब जुड़ गया लेकिन हमारे नौजवानों की जो बुद्धिमत्‍ता है वो कुछ कर गुजरने की बुद्धिमत्‍ता है और इसलिए skill development से लेकर के ‘स्‍टार्ट-अप’ तक की यात्रा Make in India. पहले Make for India और बाद में Make for Global, ये requirement को पूरा करने के लिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं और उसमें technical force एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता है। हर हाथ में हुनर होना चाहिए। कभी-कभी हम लोग रोते बैठते हैं। हमारे देश में कुछ ये भी आदत है। समस्‍याएं होती है। हर किसी के नसीब में मक्‍खन पर लकीर करने का सौभाग्‍य नहीं होता है। पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत होनी चाहिए और अगर हम अपने आप को युवा कहते हैं तो उसकी पहली शर्त यह होती है कि वो मक्‍खन पर लकीर करने के रास्‍ते न ढूंढे, वो पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत के लिए सोचे। अगर यही इरादे लेकर के हम चलते हैं तो हम अपनी तो जिन्‍दगी बनाते हैं लेकिन कइयों की जिन्‍दगी में बदलाव लाने के लिए कारण भी बनते हैं।

तो भारत में हमारी जितनी भी academic institutions है, technical institutions है, हमारी Universities है। चाहे हमारी आईआईटी हो या हमारी आईटीआई हो, छोटी से छोटी technical इकाई से लेकर के, top most technical venture, इन दोनों के अंदर एकसूत्रता होनी चाहिए और हम देश की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए सामर्थ्‍यवान बने। समस्‍याएं अपने आप उसका रास्‍ता भी खोजकर के आती है। कोई समस्‍या ऐसी नहीं होती जिसकी कोख में समाधान भी पलता न हो। सिर्फ पहचानने वाला चाहिए। हर समस्‍या की कोख में समाधान भी पलता है, उस समाधान को पकड़ने वाला चाहिए, समस्‍या का समाधान निकल आता है।

मैं चाहूंगा मेरे नौजवान चीजों को देखे तो उसके मन में पहले ये न आए कि यार ऐसा क्यों है। जो सो है सो है, यार ये है ऐसा करेंगे तो ये नहीं रहेगा। हम बदलाव ला सकते हैं। हमारी विचार प्रक्रिया को हम बदले।

पिछले दिनों राष्‍ट्रपति भवन में स्‍कूल के कुछ बच्‍चों को बुलाया गया था। हमारे राष्‍ट्रपति जी ऐसे लोगों को काफी encourage करने के अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं। तो उन्‍होंने कहा, मोदी जी एक बार आइए, जरा देखिए। आठवीं, नौवीं, दसवीं कक्षा के बच्‍चे थे और मैंने देखा कि ‘स्‍वच्‍छ भारत’ के विषय में technology क्‍या role कर सकती है, कौन-सी innovative equipment create किया जा सकता है जो स्‍वच्‍छ भारत के लिए next requirement जो process है उसको पूरा कर सके। आठवीं-नौवी कक्षा के बच्‍चों ने ऐसी-ऐसी चीजें बनाई थी, मैं हैरान था। इसका मतलब यह हुआ कि हर समस्‍या का समाधान करने के लिए हमारे पास सामर्थ्‍य होता है।

अगर इंडिया के पास million problem है तो हिन्‍दुस्‍तान के पास billion brain भी है और इसलिए दोस्‍तों नया भवन तो मिलेगा। हिन्‍दुस्‍तान के पूर्वी छोर में ये ज्ञान का सूरज ऐसा तेज होकर के निकले कि पूरे हिन्‍दुस्‍तान को ज्ञान से प्रकाशित कर दे, ये मेरी आप सबको शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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असम सहित पूरा नॉर्थ ईस्ट आज भारत के विकास का नया प्रवेशद्वार: गुवाहाटी में पीएम मोदी
December 20, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा- आधुनिक हवाई अड्डे और आधुनिक संपर्क अवसंरचना किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और नए अवसरों के द्वार हैं
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - आज असम और पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के विकास का नया प्रवेश द्वार बन रहा है
प्रधानमंत्री ने कहा-पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के भविष्य के विकास का नेतृत्व करेगा

नोमोस्कार। लुइटपोरिया राइजोलोई मुर श्रोद्धा अरु मरोम ज़ासिसु!

असम के गर्वनर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी, हमारे पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल जी, राम मोहन नायडू जी, मुरलीधर मोहोल जी, पबित्रा मार्गेरिटा जी, असम सरकार के मंत्रिगण, अन्य महानुभाव, भाईयों और बहनों।

मैं अपना भाषण शुरू करूं उससे पहले, मैं आप सबसे एक प्रार्थना करता हूं, कि आज विजय का आज का जो दिवस है, एक प्रकार से विकास के उत्सव का दिवस है और ये सिर्फ असम नहीं, पूरे नॉर्थ ईस्ट के विकास का उत्सव है, और इसलिए मेरी आपसे प्रार्थना है कि अपना मोबाइल फोन निकालिए, उसपर फ्लैश लाईट चालू कीजिए और सब के सब इस विकास उत्सव में भागीदार बनिए। हर एक के मोबाईल फोन का लाईट जलना चाहिए, देखिए तालियों के गूंज से पूरा देश देखेगा, कि असम विकास का उत्सव मना रहा है। जब विकास का प्रकाश पहुंचता है, तो जिंदगी की हर राह नई ऊंचाईयों को छूने लग जाती है। बहुत-बहुत धन्यवाद सबका।

साथियों,

असम की धरती से मेरा लगाव, यहां के लोगों का प्यार और स्नेह, और खासकर असम और पूर्वोत्तर की मेरी माताओं-बहनों का अपनापन, ये मुझे निरंतर प्रेरित करते हैं, पूर्वोत्तर के विकास के हमारे संकल्प को ताकत देते हैं। मैं देख रहा हूं, आज एक बार फिर असम के विकास में नया अध्याय जुड़ रहा है, और ऐसे में भारत रत्न भूपेन दा की पंक्तियां बहुत सटीक हो जाती हैं। लुइदोर पार जिलिकाई टुलिबोलोई, आमी प्रोतिज्ञाबोद्ध! आमी हॉन्कल्पबोद्ध! यानी लुइत नदी का तट उज्जवल होगा, अंधकार की हर दीवार टूटेगी और ये होकर रहेगा, यही हमारा संकल्प है, यही हमारी प्रतिज्ञा है।

साथियों,

भूपेन दा की ये पंक्तियां केवल एक गीत नहीं थी, ये असम को प्यार करने वाली हर महान आत्मा का संकल्प था और आज ये संकल्प हमारे सामने सिद्ध हो रहा है। जैसे असम में विशाल ब्रह्मपुत्र की धाराएं कभी नहीं रूकती, वैसे ही बीजेपी की डबल इंजन सरकार में यहां विकास की धारा भी अनवरत बह रही है। आज लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का उद्धघाटन हमारे इस संकल्प का प्रमाण है। मैं सभी असमवासियों को, देश के लोगों को, इस नई टर्मिनल बिल्डिंग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहनों और भाईयों,

अब से कुछ देर पहले मुझे गोपीनाथ बोरदोलोई जी की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मिला है। बोरदोलोई जी असम के पहले मुख्यमंत्री थे, असम का गौरव थे, असम की पहचान, असम का भविष्य और असम के हित उन्होंने कभी भी इससे समझौता नहीं किया। उनकी ये प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी, उनमें असम को लेकर गौरव की भावना जगाएगी।

साथियों,

आधुनिक एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं कनेक्टिविटी का आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चऱ ये किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और नए अवसरों के गेटवे होते हैं। ये राज्य के बढ़ते आत्मविश्वास और लोगों के भरोसे के स्तम्भ होते हैं। आप भी जब देखते हैं कि असम में इतने शानदार हाईवे बन रहे हैं एय़रपोर्ट बन रहे हैं तो आप भी कहते हैं- अब जाकर असम के साथ न्याय होना शुरू हुआ है।

वरना साथियों,

काँग्रेस की सरकारों के लिए असम और पूर्वोत्तर का विकास उनके एजेंडे में ही नहीं था। काँग्रेस की सरकारें, और उनमें बैठे लोग कहते थे, असम और पूर्वोत्तर में जाता ही कौन है? काँग्रेस कहती थी, असम को, पूर्वोत्तर को, आधुनिक एयरपोर्ट की, हाइवेज और बेहतर रेलवेज की जरूरत ही क्या है? इसी सोच की वजह से कांग्रेस ने दशकों तक इस पूरे क्षेत्र की उपेक्षा की।

साथियों,

कांग्रेस 6-7 दशक तक जो गलतियां करती रही, और मोदी एक एक करके उसको सुधार रहा है। मोदी कहता है, काँग्रेस वाले नॉर्थईस्ट जाएँ या न जाएँ, मुझे तो नॉर्थईस्ट और असम आते ही अपने लोगों के बीच होने का एहसास होता है। मोदी के लिए असम का विकास, ये जरूरत भी है, ज़िम्मेदारी भी है, और इसकी जवाबदेही भी है।

और इसीलिए साथियों,

बीते 11 वर्षों में असम और नॉर्थईस्ट के लिए लाखों करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएं शुरू हुईं हैं। आज असम आगे भी बढ़ रहा है, और नए कीर्तिमान भी गढ़ रहा है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि असम भारतीय न्याय संहिता लागू करने में देश में नंबर-1 राज्य बना है। असम ने 50 लाख से ज्यादा स्मार्ट प्री-पेड मीटरलगाकर भी एक नया रिकॉर्ड बनाया है। कांग्रेस के समय में असम में बिना पर्ची, बिना खर्ची के सरकारी नौकरी मिलना असंभव था। लेकिन आज यहां हजारों युवाओं को बिना पर्ची-बिना खर्ची नौकरी मिल रही है। भाजपा की सरकार में असम की संस्कृति को हर मंच पर बढ़ावा दिया जा रहा है। मैं भूल नहीं सकता, जब पिछले साल 13 अप्रैल को गुवाहाटी स्टेडियम में 11 हजार से ज्यादा कलाकारों ने एक साथ बिहू नृत्य किया था। इस घटना को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। ऐसे ही नए रिकॉर्ड बनाते हुए असम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

अब इस नई टर्मिनल बिल्डिंग से गुवाहाटी और असम की क्षमता और ज्यादा बढ़ जाएगी। इस टर्मिनल पर हर साल करीब सवा करोड़ से ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे! यानी, बड़ी संख्या में पर्यटक भी असम आ सकेंगे। श्रद्धालुओं के लिए माँ कामाख्या के दर्शन की सुविधा भी आसान हो जाएगी। इस नए एयरपोर्ट टर्मिनल में कदम रखते ही ये साफ दिखता है विकास भी औऱ विरासत भी, ये मंत्र के मायने क्या हैं? इस एयरपोर्ट को असम की प्रकृति और संस्कृति को ध्यान में रखकर गढ़ा गया है। टर्मिनल के अंदर हरियाली है। Indoor forest जैसी व्यवस्था है। चारों तरफ प्रकृति से जुड़ा डिजाइन है, यहां आने वाला हर यात्री सुकून महसूस करे। इसकी बनावट में बांस का खास इस्तेमाल किया गया है। बांस असम के जीवन का अभिन्न हिस्सा है, वो यहां मजबूती भी दिखाता है और खूबसूरती भी। और दिल्ली में बैठे हुए भूतकाल की सरकारों को ये बंबू क्या है, इसकी पहचान भी नहीं थी। आप हैरान होंगे, 2014 में आपने मुझे काम दिया उसके पहले हमारे देश में एक कानून था, ये कानून ऐसा था कि आप बंबू को काट नहीं सकते, अब कोई मुझे समझाए भई क्यों? क्योंकि उन्होंने कह दिया बंबू एक ट्री है, वृक्ष है, और जब एक बार वृक्ष कह दिया, तो फिर सारे दरवाजे बंद हो गए। जबकि बंबू दुनिया मानती है, कि ये एक पौधा है और हमने कानून हटाया और ग्रास की कैटेगरी में, जो सचमुच में बंबू की पहचान है उसमें लाया और तब जाकर के आज ये बंबू से इतनी बड़ी भव्य इमारत निर्माण हुई है और आज अगर आप सोशल मीडिया देखोगे, तो दुनिया भर में भारत के एयरपोर्ट की रचनाओं की चर्चा हो रही है।

साथियों,

इनफ्रास्ट्रक्चर के इस विकास का बहुत बड़ा संदेश, भारत की विकास यात्रा की पहचान बन रहा है। इससे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। निवेशकों को कनेक्टिविटी का भरोसा मिलता है। लोकल प्रोडक्ट्स को दुनिया भर में पहुंचाने का रास्ता खुलता है। और, सबसे बड़ा भरोसा उस युवा को मिलता है, जिसके लिए नए अवसर पैदा होते हैं। और इसलिए आज हम असम को, असीम संभावनाओं की इसी उड़ान पर आगे बढ़ते देख रहे हैं।

साथियों,

आज भारत को देखने का दुनिया का नज़रिया बदला है, और भारत की भूमिका भी बदली है। भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। 11 साल के भीतर-भीतर ये कैसे हुआ?

साथियों,

इसमें बहुत बड़ी भूमिका आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर के विकास की है। भारत 2047 की तैयारी कर रहा है, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रहे हैं। और सबसे अहम बात ये है कि, विकास के इस महान अभियान में देश के हर राज्य की, हर क्षेत्र की भागीदारी है। हम पिछड़ों को प्राथमिकता दे रहे हैं। देश का हर राज्य एक साथ प्रगति करे, और विकसित भारत के मिशन में अपना योगदान दे, हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। और मुझे खुशी है कि आज असम और पूर्वोत्तर हमारे इस मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। हमने Act East पॉलिसी के जरिए पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दी, और आज, हम असम को भारत के ईस्टर्न गेटवे के रूप में उभरता देख रहे हैं। असम भारत को ASEAN देशों से जोड़ने के लिए ब्रिज की भूमिका निभा रहा है। ये शुरुआत अभी बहुत आगे तक जाएगी। और, असम कई क्षेत्रों में विकसित भारत का इंजन बनेगा।

साथियों,

आज असम और पूरा नॉर्थ ईस्ट भारत के विकास का नया प्रवेशद्वार बन रहा है। मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के संकल्प ने इस क्षेत्र की दिशा और इसकी दशा, दोनों बदली हैं। असम में नए पुल बनाने की रफ्तार, नए मोबाइल टावर लगाने की स्पीड, विकास के हर काम की गति, सपनों को हकीकत में बदल रही है। ब्रह्मपुत्र पर बने पुलों ने असम की कनेक्टिविटी को नई मजबूती और नया आत्मविश्वास दिया है। आजादी के बाद के 6-7 दशक में यहाँ केवल तीन बड़े पुल बन पाए थे। लेकिन पिछले एक दशक में चार नए मेगा ब्रिज पूरे किए गए हैं, इनके अलावा कई ऐतिहासिक परियोजनाएँ आकार ले रही हैं। बोगीबील और ढोला-सादिया जैसे सबसे लंबे पुलों ने असम को रणनीतिक रूप से और अधिक सशक्त बना दिया है। रेलवे कनेक्टिविटी में भी एक क्रांतिकारी बदलाव आया है। बोगीबील ब्रिज के शुरू होने से अपर असम और देश के बाकी हिस्सों के बीच की दूरी सिमट गई है। गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ने यात्रा के समय को कम कर दिया है। देश में वाटरवेज के विकास का फायदा भी असम को मिल रहा है। कार्गो ट्रैफिक में 140 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, ये इस बात का प्रमाण है कि ब्रह्मपुत्र केवल नदी नहीं, बल्कि आर्थिक शक्ति का प्रवाह है। पांडु में पहली शिप रिपेयर सुविधा विकसित हो रही है, वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक चलने वाली गंगा विकास क्रूज़ को लेकर उत्साह है, इससे नॉर्थ ईस्ट, ग्लोबल क्रूज़ टूरिज्म के मानचित्र पर स्थापित हो गया है।

साथियों,

काँग्रेस की सरकारों ने असम और पूर्वोत्तर को विकास से दूर रखने का जो पाप किया था, उसका बहुत बड़ा खामियाजा देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को उठाना पड़ा। काँग्रेस की सरकारों में हिंसा का दौर दशकों तक फलता फूलता रहा, हम केवल 10-11 साल के भीतर उसे खत्म करने की तरफ बढ़ रहे हैं। पूर्वोत्तर में पहले जहां हिंसा और खून-खराबा होता था, आज वहाँ 4G और 5G टेक्नालजी से डिजिटल कनेक्टिविटी पहुँच रही है। जो जिले, कभी हिंसा ग्रस्त माने जाते थे, आजवो आकांक्षी जिलों के रूप में विकसित हो रहे हैं। आने वाले समय में यही इलाके इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर भी बनेंगे। इसीलिए, आज नॉर्थईस्ट को लेकर एक नया भरोसा जगा है। हमें इसे और मजबूती देनी है।

साथियों,

हमें असम और पूर्वोत्तर के विकास में कामयाबी इसलिए भी मिल रही है, क्योंकि हम इस क्षेत्र की पहचान और संस्कृति की सुरक्षा कर रहे हैं। काँग्रेस ने एक और पाप किया था, उसने यहाँ की पहचान को मिटाने की साजिश की थी। और ये षड्यंत्र केवल कुछ वर्षों का नहीं है! काँग्रेस के इस पाप की जड़ें आज़ादी के पहले से जुड़ी हैं। वो समय, जब मुस्लिम लीग और अँग्रेजी हुकूमत मिलकर भारत के विभाजन की जमीन तैयार कर रहे थे, उस समय असम को भी अविभाजित बंगाल का, यानी ईस्ट पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की योजना बनाई गई थी। काँग्रेस उस साजिश का हिस्सा बनने जा रही थी। तब बोरदोलोई जी अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए थे। उन्होंने असम की पहचान को खत्म करने के इस षड्यंत्र का विरोध किया। और, असम को देश से अलग होने से बचा लिया। भाजपा पार्टी, हमेशा पार्टी लाइन से ऊपर उठकर हर देशभक्त का सम्मान करती है। अटल जी के नेतृत्व में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तब उन्हें भारत रत्न दिया गया।

भाइयों बहनों,

बोरदोलोई जी ने आज़ादी के पहले तो असम को बचा लिया था, लेकिन, उनके बाद काँग्रेस ने फिर से असम विरोधी और देश विरोधी काम शुरू कर दिये। काँग्रेस ने अपना वोटबैंक बढ़ाने के लिए मजहबी तुष्टीकरण के षड्यंत्र रचे हैं। बंगाल और असम में अपने वोटबैंक वाले घुसपैठियों को खुली छूट दी गई है। यहाँ की डेमोग्राफी को बदला गया है। इन घुसपैठियों ने हमारे जंगलों पर कब्जा किया, हमारी ज़मीनों पर कब्जा किया। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे असम की सुरक्षा और पहचान दांव पर लग गई है।

साथियों,

आज हिमंत जी की सरकार और उनकी टीम के सभी साथी बहुत मेहनत से, असम के संसाधनों को इस गैर-कानूनी और देशविरोधी अतिक्रमण से मुक्त करा रही है। असम के संसाधन असम के लोगों के काम आयें, इसके लिए हर स्तर पर काम हो रहा है। केंद्र सरकार ने भी घुसपैठ रोकने के लिए सख्ती की है। अवैध घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए उनकी पहचान भी कराई जा रही है।

लेकिन भाइयों बहनों,

काँग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन के लोग खुलकर देशविरोधी एजेंडों पर उतर आए हैं। देश का सुप्रीम कोर्ट तक घुसपैठियों को बाहर करने की बात कर चुका है। लेकिन, ये लोग घुसपैठियों के बचाव में बयानबाजी कर रहे हैं। इनके वकील कोर्ट में घुसपैठियों को बसाने की पैरवी कर रहे हैं। चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव के लिए SIR की प्रक्रिया करवा रहा है, तो, इन लोगों को देश के हर कोने में तकलीफ हो रही है। ऐसे लोग, असमिया भाई-बहनों के हितों को नहीं बचाएंगे। ये लोग आपकी जमीन और जंगलों पर किसी और का कब्जा होने देंगे, इनकी देशविरोधी मानसिकता पुराने दौर की हिंसा और अशांति वाले हालात पैदा कर सकती है। और इसलिए मेरे असम के भाई-बहन, हमें बहुत सावधान रहना है। जिस असम की अस्मिता के लिए बोरदोलोई जी जैसे लोगों ने जीवन भर अपना सब कुछ नौछावर किया, हमें उसकी रक्षा करनी है। असम के लोगों को एकजुट रहना है। हमें असम के विकास को डिरेल होने से बचाना है, काँग्रेस के षडयंत्रों को पल-पल, कदम-कदम पर विफल करते रहना है।

साथियों,

आज दुनिया भारत की ओर उम्मीद से देख रही है। भारत के भविष्य का नया सूर्योदय पूर्वोत्तर से ही होना है। इसके लिए, हमें साथ मिलकर अपने सपनों के लिए काम करना होगा। हमें असम के विकास को सबसे आगे रखकर चलना होगा। मुझे विश्वास है, हमारे ये सामूहिक प्रयास असम को नई ऊंचाई पर लेकर जाएंगे। हम विकसित भारत के सपने पूरा करेंगे। और विकसित असम से विकसित भारत का रास्ता बनने वाला है। इसी कामना के साथ मैं एक बार फिर नए टर्मिनल की बधाई देता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरे साथ बोलिए-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।