भारत माता की जय!
महात्मा गांधी अमर रहे! महात्मा गांधी अमर रहे! महात्मा गांधी अमर रहे!
लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे! लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे! लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे!
विशाल संख्या में पधारे हुए वरिष्ठ महानुभावों और सभी नौजवानों
साथियों,आज 2 अक्टूबर है। पूज्य महात्मा गांधी का जन्मदिवस है। पूज्य लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिवस है। लाल बहादुर शास्त्री जी ने हमें मंत्र दिया था जय जवान-जय किसान! देश के किसानों ने उस एक आह्वान पर हिंदुस्तान के अन्न के भंडार भर दिए थे।
पूज्य बापू ने हमें संदेश दिया था Quit India-Clean India! देशवासियों ने आजादी का आंदोलन चलाकर के देश को पूज्य बापू के नेतृत्व में गुलामी से मुक्त कराया लेकिन पूज्य बापू का Clean India का सपना अभी अधूरा है। यहां पर एक Crowd Sourcing के माध्यम से देश के लोगों का आह्वान किया था कि इसका Logo बनाकर के हमें Idea दीजिए। लोगों को कहा था कि आप इसका घोष वाक्य हमें दीजिए। महाराष्ट्र के भाई अनंत ने इसमें विजय प्राप्त की। गुजरात राजकोट की एक बहन भाग्यश्री ने इसका इनाम प्राप्त किया।
जब हजारों की तादाद में Logo आए थे और जब मैंने इस Logo को देखा! एक दम से मुझे बड़ा सटीक लगा। मैं देख रहा हूं, इन चश्मों से महात्मा गांधी देख रहे हैं कि बेटे, भारत को स्वच्छ किया कि नहीं किया! ये Logo सिर्फ Logo नहीं है। इस चश्में से गांधी देख रहे हैं – क्या किया? क्या कर रहे हो, कैसे कर रहे हो, कब तक करोगे, इसलिए जब गांधी के चश्में का Logo हम देखते हैं, जो चश्में खुद हमें कहते हैं, स्वच्छ भारत का संदेश देते हैं। मैं इस कल्पना के लिए, इस कृति की रचना करने वाले अनंत को अभनिनंदन देता हूं। एक उन्होंने घोष वाक्य दिया भाग्यश्री ने –“एक कदम स्वच्छता की ओर” बहुत बड़ी बात नहीं है। एक कदम। इसके लिए मैं भाग्यश्री भी बधाई देता हूं।
मेरे प्यारे देशवासियों! मैं आज इस मंच पर से बड़ी प्रमाणिकता से, पवित्र मन से, मेरे सामने India Gate है, वहां पर देश के लिए मरने-मिटने वालों की ज्योति जल रही रही है, उसकी साक्षी से मैं कहता हूं, राजनीतिक बयान नहीं कर रहा हूं। इस देश की सभी सरकारों ने, इस कल को करने के लिए कोई न कोई प्रयास किया है। इस देश के अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक नेताओं ने इस काम को करने के लिए प्रयास किया है। जिन-जिन लोगों ने, अलग-अलग नाम रहे होंगे, कार्यक्रम की रचना अलग रही होगी, रूप-रंग अलग रहे होंगे लेकिन जिन-जिन लोगों ने काम किया है। मैं सबसे पहले उन सबको वंदन करता हूं। मैं उनका अभिनंदन करता हूं।
उसी कड़ी को मुझे आगे ले जाना है। मैं कोई दावा नहीं करता हूं कि अभी-अभी जो चुनकर के आई है, सरकार वो ही सब कर रही है। ना, मैंने लालकिले से भी पुरानी सभी सरकारों को बधाई दी थी, अभिनंदन किया था। आज मैं इस पवित्र मंच से भी जिन-जिन सरकारों ने इस काम को किया है, चाहे केंद्र में हो, चाहे राज्य में हो, चाहे नगर-पालिका में हो, चाहे सामाजिक संगठनों ने किया हो, चाहे सर्वोदयी नेताओं ने किया हो, चाहे सेवा दल के कार्यकर्ताओं ने किया हो और संगठन के कार्यकर्ताओं ने किया है, सब के सब अभिनंदन के अधिकारी हैं और आज इस पवित्र अभियान का आरंभ हो रहा है, तब मैं उन सबको नमन करते हुए, उन सबके आशीर्वाद के साथ, इस कार्यक्रम को आरंभ करने के लिए, मै पूरे देशवासियों से प्रार्थना करता हूं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि क्या सफाई, इस देश को गंदगी से मुक्त करना, क्या सिर्फ सफाई कर्मचारियों का काम है क्या? क्या ये उन्हीं का जिम्मा है क्या? क्या सवा सौ करोड़ देशवासियों का कोई दायित्व नहीं है? हम हर बात उन्हीं पर थोपते रहेंगे क्या? अगर कुछ अच्छा हुआ, बुरा हुआ तो उन्हीं को कोसते रहेंगे क्या? ये स्थिति बदलनी है।
सवा सौ करोड़ देशवासी, जैसे भारत माता के संतान हैं, प्रधानमंत्री भी पहले भारत माता की संतान है, बाद में प्रधानमंत्री है। इसलिए इस मां की संतान के रूप में, हम सबका दायित्व बनता है। हम हमारे देश को ऐसा न रखें। गांव हो, गली हो, मोहल्ला हो, घर हो, परिवार, स्कूल हो, कॉलेज हो, मंदिर हो, मस्जिद हो, गुरुद्वारा हो, कोई भी स्थान हो। ये गंदा कैसे हो सकता है और कहीं गंदगी देखें.. कोई कागज फेंकता है, तो हमें उठाने का मन क्यों नहीं करता?
मैं जानता हूं, ये प्रचार अभियान से होने वाला काम नहीं है। पुरानी आदतों को बदलने के लिए समय लगता है। कठिन काम है, मैं जानता हूं लेकिन हमारे पास 2019 तक महात्मा गांधी के 150 वर्ष मनाएंगे, तब तक का समय है। मैं मीडिया के मित्रों का भी आभारी हूं कि पिछले कुछ दिनों से वो इस बात को फैला रहे हैं, पहुंचा रहे हैं। अगर हम सब मिलकर के इसको एक जन आंदोलन बनाएंगे, तो मैं नहीं मानता हूं कि दुनिया के साफ-सुथरे शहरों में, देशों में, हमारा नाम नहीं होगा। हम भी उस जगह को बना सकते हैं। भारत ये कर सकता है, भारतवासी कर सकते हैं। अगर भारतवासी कम से कम खर्चे में Mars पहुंच सकते हैं, तो क्या भारतवासी अपना गली-मौहल्ला साफ नहीं कर सकते हैं? Mars तक पहुंचाने के लिए कोई प्रधानमंभी नहीं गया, कोई मंत्री नहीं गया, वैज्ञानिकों ने किया, भारत माता के संतानों ने किया था। सफाई भी हम सब मिलकर के करेंगे।
मैं जानता हूं, कुछ ही दिनों में आलोचना शुरू होने वाली है, कि देखो क्या हुआ? देखो क्या हुआ? मेरी ढेर सारी आलोचना होने वाली है, मैं जानता हूं लेकिन मैं मां भारती की गंदगी की सफाई के लिए अगर मुझे आलोचना सहना पड़े, तो उसी मैं तैयारी के साथ आज मैदान में आया हूं। मैं इस तैयारी के साथ आया हूं कि मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी, भारत मां की संतान, हमारी इस भारत मां को अब गंदा नहीं रहने देंगे। पूज्य बापू के सपनों को पूरा करने में, हम कोताही नहीं बरतेंगे और ये जिम्मेवारी हम सबकी है।
मैंने Social Media में भी एक आंदोलन खड़ा करने करने का तय किया है। mygov.in, इस वेबसाइट पर भी है। Clean India के लिए एक अलग वेबसाइट बनाई है। Facebook, Twitter पर भी इस काम को आरंभ किया है। # MyCleanIndia, ये भी आज प्रारंभ किया है। मैं देशवासियों से प्रार्थना करता हूं, कि आप एक काम किजिए। कहीं कूड़ा कचरा है, उसकी फोटो आप अपलोड कीजिए। फिर उसकी सफाई आप कीजिए। उसकी वीडियो अपलोड कीजिए। फिर स्वच्छ, उस जगह की फोटो आप अपलोड कीजिए।
भाइयों, बहनों, मैं मीडिया से भी प्रार्थना करता हूं। ये सब, आज भी मैं कहता हूं, हिन्दुस्तान में कई नौजवान ऐसे हैं, कई संगठन ऐसे हैं, और हिन्दुस्तान के हर कोने में हैं, हजारों की तादाद में हैं। वे सफाई का काम, मैं प्रधानमंत्री बना, उससे पहले से कर रहे है। जरा उनको हम हिन्दुस्तान की जनता के सामने मीडिया के माध्यम से लाएं। छोटे छोटे लोग जो सफाई का काम करते हैं, वो देश के सामने लाएं। हम सब मिलके एक एक प्रेरणा का वातावरण बनाएं। किसने किया, किसने नहीं किया, कैन जिम्मेवार है, कौन नहीं है, कौन गुनाहगार, इसमें इस बात को हम न घसीटें।
मैंने पहले ही कहा, यह राजनीति से परे है। यह सिर्फ राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा से किया हुआ काम है। हमने, सिर्फ-सिर्फ-सिर्फ राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा से ही करना है, राजनीति से प्ररित हो कर के नहीं करना है। यह सफाई तब होगी। इसलिए मैं कहता हूं, अनेक संगठन हैं, अनेक सामाजिक संगठन हैं, अनेक सांस्कृतिक संगठन हैं, वह अपने-अपने तरीके से काम कर रहे हैं।
मैंने ऐसे कई गांव देखें हैं, उस गांव का सरपंच इतना जागरूक हैं, गांव के सब लोग, गांव को इतना साफ-सुथरा रखते हैं, देखते ही बनता है। कई लोग हैं, इस काम को करते हैं। कई स्कूल में जाते हैं, एक-आध शिक्षक इतना रूचि लेता है, पूरा शिक्षण क्षेत्र का परिसर कितना साफ-सुथरा, पवित्रता के माहौल की अनुभूति होती है।
जब हम इंडिया गेट पर आते हैं, राष्ट्रपति भवन की ओर जाते हैं, यह सफाई देखते हैं, तो मन कितना अच्छा लगता हैं। क्या मेरा हिन्दुस्तान का हर कोना इतना ही साफ होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। हर गली-मोहल्ला इतना ही साफ होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए। यह सामाजिक दायित्व है कि नहीं है और इसलिए कृपा करके, अगर इसको राजनीतिक रंग से रंग दिया गया, अगर इसको इसी बात से तौल दिया, कि देखों एक दिन आए, फोटो निकाल के चले गए, तब तो हम भारत मां की फिर से एक बार कु-सेवा करेंगे। महात्मा गाधी हिन्दुस्तान के हर गली मौहल्ले में सफाई करने नहीं गए थे। लेकिन सफाई की इनकी प्रतिबद्धता ने पूरे हिन्दुस्तान में सफाई के प्रति एक जागरूकता पैदा की। हमको, सबको मिल करके इस काम को करना है।हम जहां हों, जैसे हों, इस काम को करेंगे। मुझे विश्वास है, मैं अपनी भारत माता को गंदगी से मुक्त करा पाएंगे। ये सवा करोड़ देशवासियों का काम है।
सवा सौ करोड़ में एक मोदी नाम का इंसान भी है। अकेला मोदी है, ऐसा नहीं है। इसलिए काम सवा सौ करोड़ देशवासियों का है, ये मैं सवा सौ करोड़ बार बोल रहा हूं। काम सरकार का सिर्फ नहीं है। यह काम सिर्फ मंत्रियों का नहीं है। यह काम सिर्फ सामाजिक संगठन, समर्पित समाज सेवकों का नहीं है। यह जन-सामान्य का काम है। जितना ज्यादा हम जन सामान्य को जोड़ेंगे, लाभ होगा।
मैंने आज एक और भी काम...., आज नवरात्रि की भी पूर्णहुति हो रही है। कल विजयादशमी का पर्व हम मनाने वाले हैं। कल के विजया-दशमी के पर्व के लिए भी राष्ट्रवासियों को शुभकामना देता हूं।
आज मैंने सोशल मीडिया के एक आंदोलन चलाने के कार्यक्रम शुरू किया है। मैंने आज नौ लोगों को निमंत्रित किया है कि आप भी पब्लिक प्लेस पर आके, अपने आदमियों को ले के स्वच्छता के अभियान पर काम करेंगे। मैं विश्वास करता हूं, जिन नौ लोगों को मैं आज निमंत्रित किया है, वे जरूर इस काम को करेंगे। इतना ही नहीं उनसे भी मेरा आग्रह है, कि वे भी और नौ लोगों का नाम तय करके उनको भी निमंत्रित करे, वो और नौ लोगों को करे, वौ और नौ लोगों को कहे। आपको भी मैं कहता हूं, आप भी इस प्रकार का सफाई का काम करके उसका वीडियो upload करके और नौ लोगों को आप निमंत्रित कीजिए। अरे, नौ-नौ की चैन चलती ही रहे, चलती ही रहे।
आज मैंने गोवा के गवर्नर माननीय मृदुला सिन्हा जी को निमंत्रित किया है। मैंने भारत रत्न सचिन तेंदुलकर जी को निमंत्रित किया है। मैंने योग गुरू बाबा रामदेव जी को निमंत्रित किया है। मैंने कांग्रेस के नेता श्रीमान शशि थरूर जी को निमंत्रित किया है। मैंने श्रीमान कमल हसन जी को निमंत्रित किया है। मैने श्रीमान सलमान खान जी को निमंत्रित किया है, मैंने बहन प्रियंका चोपड़ा जी को निमंत्रित किया है। इतना ही नहीं, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, उस पूरी टीम को मैंने कहा है, मैं इस काम में आपको निमंत्रण देता हूं, आप भी करिए और अपने सीरियल के माध्यम से, और भी सीरियल के माध्यम से इस काम को आगे बढ़ाइए।
हमारी फिल्म इंडस्ट्री देखेगी, पिछले 50 सालों में कई ऐसी फिल्में आई हैं, बहुत सी फिल्में ऐसी हैं, जिनमें कोई न कोई एपिसोड ऐसा है, जिसमें सफाई के विषय में कोई न कोई लोकशिक्षा का काम किया गया है। इस बात को हमें बढ़ाना। हमें इस बात की जिम्मेवारी निभानी है।
भाईयों और बहनों, डब्ल्यूएचओ का एक बहुत बड़ा चौंकाने वाला मूल्यांकन है- उनका कहना है कि भारत में गंदगी के कारण जो बीमारी आती है, बीमारी के कारण जो रोजी-रोटी छूट जाती है, नौकरी नहीं हो पाती है, परिवार को तकलीफ होती है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गंदगी के कारण हर वर्ष भारत के प्रत्येक नागरिक को करीब 6500 रूपयों का अतिरिक्त नुकसान झेलना पड़ता। बीमारी के कारण, बीमारी के कारण ऑटों रिक्शा नहीं चला पाता है। बीमारी के कारण टैक्सी नहीं चला पाता है। बीमारी के कारण अखबार बांटने के लिए नहीं जा पाता है। बीमारी के कारण दूध बेचने के लिए नहीं जा पाता है। यह भारत की कुल संख्या का average निकाला है, लेकिन सुखी घर के लोगों को ये नहीं भुगतना पड़ता है। अगर उनको निकाल दिया जाए तो average 6500 से बढ़कर के गरीब आदमी के सर पर बोझ की average 12-15 हजार रूपये हो सकती है।
हम सिर्फ गंदगी साफ करें तो हमारे देश के गरीबों के जेब से कम से कम 6500 रूपये बचने वाले है। वह बीमारी से बचने वाला है। वह नौकरी पर नहीं जा पा रहा है, बेरोजगारी से बचने वाला है। ये गंदगी से मुक्ति गरीबों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा महत्वपूर्ण काम है। इसलिए ये भारत माता की सेवा, गरीबों की सेवा है।
आइये हम सब मिलकर करके देखें, Mygov.in वेबसाइट पर, मेरे फेसबुक पर, ट्विटर पर, सामान्य जनता का जो मिजाज देख रहा हूं, जो उमंग देख रहा हूं। मुझे विश्वास है कि सरकार से भी जनता 100 कदम आगे चलने को तैयार है और अगर जनता चलती है तो फिर इसे रोकने का कोई कारण नहीं है।
भाईयो-बहनों, महात्मा गांधी को हमें कुछ तो देना चाहिए। 2019 में गांधी के जब 150 वर्ष होते हैं, तब हमें ‘स्वच्छ भारत’ और ये सामूहिक दायित्वों से बना हुआ भारत। Quit India की सफलता इसलिए थी कि सारा देश आजादी के आंदोलन में जुड़ा हुआ था। Clean India की सफलता इसमें है कि सवा सौ करोड़ देशवासी इसमें जुड़ें। जय जवान-जय किसान के मंत्र की सफलता इसलिए थी, क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री ने जय किसान का नारा दिया, अन्न उत्पादन के लिए आहवान किया, लेकिन लाल बहादुर शास्त्री को किसी ने ये पूछा कि नहीं था कि तुम खेत में जाकर के हल चला रहे हो, तुमने खेती की या नहीं की, तुमने अनाज पैदा किया कि नहीं किया, ये किसी ने नहीं पूछा था लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था जय किसान! और हिंदुस्तान के किसान खड़े हो गए थे। अन्न के भंडार भर दिए थे और भारत के हर गरीब व्यक्ति का पेट भरने का काम, उस एक महापुरुष के शब्दों पर हुआ था। महात्मा गांधी के शब्दों को पूरा करने का ये वक्त है।
उस महापुरुष के शब्दों की पवित्रता देखिए, उस महापुरुष के शब्दों की ताकत को देखिए, उस महापुरुष के शब्दों के समर्पण को देखिए, क्या हमें वो प्रेरणा नहीं दे सकते हैं। चाहे मैं हूं या आप हों, हम सबके लिए महात्मा गांधी का Quit India नारा, ये सफलता जैसा हमें आनंद देती है, Clean India भी हमें उतना ही आनंद देगी, उतना ही सुख देगी, उतना ही समृद्धि का रास्ता प्रशस्त करेगी, इस विश्वास के साथ इन महापुरुषों के शब्दों पर भरोसा करके हम चल पड़े हैं।
मेरे पर भरोसा मत कीजिए, मेरी सरकार पर भरोसा मत कीजिए, भरोसा हम करें महात्मा गांधी पर! भरोसा करें, महात्मा गांधी के त्याग, तपश्चर्या और समर्पण पर! भरोसा करें, हम महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपनों पर। आज हमारी जिम्मेदारी बनती है, अगर हम मां भारती के संतान हैं, तो ये हमारा दायित्व बनता है, न मैं गंदगी करूंगा और न मैं गंदगी करने दूंगा। यह हमारा दायित्व होना चाहिए। दुनिया के समृद्ध देश...
कभी हम विदेशों में जाते हैं और आकर के कहते हैं वाह! इतना साफ-सुथरा! कहीं गंदगी नहीं थी। तो मैं लोगों को पूछता हूं – साफ देखा, स्वच्छ देखा, आपको अच्छा लगा न? मैंने कहा कि आपने किसी को गंदगी करते हुए देखा था, कूड़ा-कचरा फेंकते हुए देखा था, पान की पिचकारी लगाते हुए देखा था तो उन्होंने कहा कि नहीं देखा था, तो मैंने कहा कि सफाई का रहस्य वहां के नागरिकों का discipline है। ये अगर हम लाते हैं तो मुझे विश्वास है, हम बहुत बड़ा काम कर सकते हैं।
एक काम और है, वह है टॉयलेट बनाना। हमारे देश के गांवों में 60 प्रतिशत से भी ज्यदा लोग आज खुले में शौचालय के लिए जा रहे हैं। मुझे सबसे बड़ी पीड़ा होता है, मां-बहनों को जब खुले में जाना पड़ता है, ये कलंक मिटाना है, हम सबने मिलकर के मिटाना है। मैंने Corporate Social Responsibility वालों से भी कहा है कि इस काम को प्राथमिकता दीजिए। मां-बहनों के सम्मान के लिए हम इतना तो करें।
आज भी कई स्कूल ऐसे हैं, कि जहां बालिकाओं के लिए अलग टॉयलेट नहीं है ये स्थिति बदलनी है। किसी का इसमें दोष नहीं है, कोई जिम्मेवार नहीं है, बस हमने सकारात्मक रूप से भविष्य की ओर देख कर के चल पड़ना हैं। कोई राजनीतिक टीका-टिप्पणी, इस आंदोलन से जुड़ा हुआ कोई आदमी न करे क्योंकि सबने काम किया है। हमारे पहले सबने काम किया है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी इसकी सिरमौर रही है।
मैं इस काम को वंदन करता हूं और इसलिए मैं हाथ जोड़ करके, विशेष करके मीडिया को और देशवासियों को कहता हूं, कि सारे आंदोलन को सिर्फ मां भारती की भक्ति से जोडि़ए, गरीब से गरीब के स्वास्थ्य से जोडि़ए, कौन कर रहा है, कौन नहीं कर रहा, कौन सफल हुआ, और विफल हुआ, इसके पीछे पड़ करके हम स्थितियों को न बिगाड़ें, न बदलें, हम एक जिम्मेदारी से चलें। और हम सामूहिक जिम्मेवारी से चलेंगे तो सफलता मिलेगी।
मैं फिर एक बार आप सबको निमंत्रित करता हूं। हम यहां पर शपथ लेने वाले हैं। मेरी प्रार्थना है कि हम बैठे-बैठे ही शपथ लेंगे, खड़े होने की जरूरत नहीं, जो खड़े हैं, वे खड़े रहें और दूसरी मेरी प्रार्थना है कि हम दोनों हाथ ऊपर करके महात्मा गांधी को स्मरण करें और महात्मा गांधी को स्मरण करके, हम जहां हैं वहां दोनों हाथ ऊपर करके महात्मा गांधी का स्मरण करना है। तो ये काम पूज्य बापू को उनके सपनों का भारत बनाने के लिए है। इसलिए दोनों हाथ ऊपर करके, पूज्य बापू स्मरण करके मेरे साथ ये शपथ समारोह में शरीक होंगे। और ये शपथ सिर्फ बोलना नहीं है, शपथ लेना है।
आप शपथ लेंगे? ये सफाई आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे? कोई कोताही नहीं बरतेंगे ?
मेरे साथ बोलिए ‘‘महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना की थी। महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मां भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।“
“मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्व्च्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा। हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह दो घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा। मैं न गंदगी करूंगा और न किसी और को करने दूंगा। सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से मेरे मोहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरूआत करूंगा। मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं, उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं। इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा। मैं आज जो शपथ ले रहा हूं वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाउंगा। वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा। मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।’’
भारत माता की जय।
जय हिन्द।
महात्मा गांधी अमर रहे
महात्मा गांधी अमर रहे
महात्मा गांधी अमर रहे
बहुत-बहुत शुभकानाएं।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी श्रीमान अमित शाह, चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाबचंद कटारिया जी, राज्यसभा के मेरे साथी सासंद सतनाम सिंह संधू जी, उपस्थित अन्य जनप्रतिनिधिगण, देवियों और सज्जनों।
चंडीगढ़ आने से लगता है कि अपनों के बीच आ गया हूं। चंडीगढ़ की पहचान शक्ति-स्वरूपा माँ चंडीका नाम से जुड़ी है। माँ चंडी, यानी शक्ति का वह स्वरूप जिससे सत्य और न्याय की स्थापना होती है। यही भावना भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता के पूरे प्रारूप का आधार भी है। एक ऐसे समय में जब देश विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है, जब संविधान के 75 वर्ष हुए हैं.. तब, संविधान की भावना से प्रेरित भारतीय न्याय संहिता का प्रभाव प्रारंभ होना, उसका प्रभाव में आना, ये एक बहुत बड़ी शुरुआत है। देश के नागरिकों के लिए हमारे संविधान ने जिन आदर्शों की कल्पना की थी, उन्हें पूरा करने की दिशा में ये ठोस प्रयास है। ये कानून कैसे अमल में लाये जाएंगे, अभी मैं इसका Live Demo देख रहा था। और मैं भी यहां सबसे आग्रह करता हूं कि समय निकालकर के इस Live Demo का जरूर देखें। Law के Students देखें, Bar के साथी देखें, Judiciary के भी साथियों को अगर सुविधा हो, वे भी देखें। मैं इस अवसर पर, सभी देशवासियों को भारतीय न्याय संहिता, नागरिक संहिता के लागू होने की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। और चंडीगढ़ प्रशासन से जुड़े सबको बधाई देता हूं।
साथियों,
देश की नई न्याय संहिता अपने आपमें जितना समग्र दस्तावेज़ है, इसको बनाने की प्रक्रिया भी उतनी ही व्यापक रही है। इसमें देश के कितने ही महान संविधानविदों और कानूनविदों की मेहनत जुड़ी है। गृह मंत्रालय ने इसे लेकर जनवरी 2020 में सुझाव मांगे थे। इसमें देश के मुख्य न्यायधीशों का सुझाव और मार्गदर्शन रहा। इनमें हाइ-कोर्ट्स के चीफ़ जस्टिसेस उन्होंने भरपूर सहयोग दिया। देश का सुप्रीम कोर्ट, 16 हाइकोर्ट, judicial academies, अनेकों law institutions, सिविल सोसाइटी के लोग, अन्य बुद्धिजीवी....इन सबने वर्षों तक मंथन किया, संवाद किया, अपने अनुभवों को पिरोया, आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देश की जरूरतों पर चर्चा की गई। आज़ादी के 7 दशकों में न्याय व्यवस्था के सामने जो challenges आए, उन पर गहन मंथन किया गया। हर कानून का व्यावहारिक पक्ष देखा गया, futuristic parameter पर उसे कसा गया...तब भारतीय न्याय संहिता अपने इस स्वरूप में हमारे सामने आई है। मैं इसके लिए देश के सुप्रीम कोर्ट का, honorable judges का, देश की सभी हाइ-कोर्ट्स का, विशेषकर हरियाणा, पंजाब हाईकोर्ट का मैं विशेष आभार प्रकट करता हूँ। मैं Bar का भी धन्यवाद करता हूँ कि जिन्होंने आगे आकर इस न्याय संहिता की ownership ली है, Bar के सभी साथी बहुत-बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं। मुझे भरोसा है, सबके सहयोग से बनी भारत की ये न्याय संहिता भारत की न्याय यात्रा में मील का पत्थर साबित होगी।
साथियों,
हमारे देश ने 1947 में आज़ादी हासिल की थी। आप कल्पना करिए, सदियों की गुलामी के बाद जब हमारा देश आज़ाद हुआ, पीढ़ियों के इंतज़ार के बाद, लक्ष्यावदी लोगों के बलिदानों के बाद, जब आज़ादी की सुबह आई...तब कैसे-कैसे सपने थे, देश में कितना उत्साह था, देशवासियों ने भी सोचा था...अंग्रेज गए हैं, तो अंग्रेजी क़ानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। अंग्रेजों के अत्याचार का, उनके शोषण का ज़रिया ये कानून ही तो थे। ये कानून बनाए भी तब गए थे, जब अंग्रेजी सत्ता भारत पर अपना शिकंजा बनाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी। 1857 में और मेरे नौजवान साथियों को मैं कहूंगा- याद रखिए, 1857 में देश का पहला बड़ा स्वाधीनता संग्राम लड़ा गया। उस 1857 के स्वाधीनता संग्राम ने अंग्रेजी हुकुमत की जड़े हिला दी थीं, देश के हर कौने में बहुत बड़ी चुनौती पैदा कर दी थी। तब जाकर के, उसके जवाब में, अंग्रेज़ 1860 में, 3 साल के बाद इंडियन पीनल कोड, यानी IPC लेकर आए। फिर कुछ साल बाद इंडियन एविडेंस एक्ट लाया गया। और फिर CRPC का पहला ढांचा अस्तित्व में आया। इन क़ानूनों की सोच और मकसद यही था कि भारतीयों को दंड दिया जाए, गुलाम रखा जाए, और दुर्भाग्य देखिए, आजादी के बाद...दशकों तक हमारे कानून उसी दंड संहिता और penal mindset के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे, मंडराते रहे। और जिनका इस्तेमाल नागरिकों को गुलाम मानकर होता था। समय-समय पर इन क़ानूनों में छोटे-मोटे सुधार करने के प्रयास हुए, लेकिन इनका चरित्र वही बना रहा। आजाद देश में गुलामों के लिए बने कानूनों को क्यों ढोया जाए? ये सवाल ना हमने खुद से पूछा, ना शासन कर रहे लोगों ने इस पर विचार करने की ज़रूरत समझी। गुलामी की इस मानसिकता ने भारत की प्रगति को, भारत की विकास यात्रा को बहुत ज्यादा प्रभावित किया।
साथियों,
देश अब उस colonial माइंडसेट से बाहर निकले, राष्ट्र के सामर्थ्य का प्रयोग राष्ट्र निर्माण में हो....इसके लिए राष्ट्रीय चिंतन आवश्यक था। और इसीलिए, मैंने 15 अगस्त को लालकिले से गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का संकल्प देश के सामने रखा था। अब भारतीय न्याय संहिता, नागरिक संहिता इसके जरिए देश ने उस दिशा में एक और मजबूत कदम उठाया है। हमारी न्याय संहिता ‘of the people, by the people, for the people' की उस भावना को सशक्त कर रही है, जो लोकतंत्र का आधार होती है।
साथियों,
न्याय संहिता समानता, समरसता और सामाजिक न्याय के विचारों से बुनी गई है। हम हमेशा से सुनते आए हैं कि, कानून की नज़र में सब बराबर होते हैं। लेकिन, व्यवहारिक सच्चाई कुछ और ही दिखाई देती है। गरीब, कमजोर व्यक्ति कानून के नाम से डरता था। जहां तक संभव होता था, वो कोर्ट-कचहरी और थाने में कदम रखने से डरता था। अब भारतीय न्याय संहिता समाज के इस मनोविज्ञान को बदलने का काम करेगी। उसे भरोसा होगा कि देश का कानून समानता की, equality की गारंटी है। यही...यही सच्चा सामाजिक न्याय है, जिसका भरोसा हमारे संविधान में दिलाया गया है।
साथियों,
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता...हर पीड़ित के प्रति संवेदनशीलता से परिपूर्ण है। देश के नागरिकों को इसकी बारीकियों का पता चलना ये भी उतना ही आवश्यक है। इसलिए मैं चाहूंगा, आज यहां चंडीगढ़ में दिखाए Live Demo को हर राज्य की पुलिस को अपने यहां प्रचारित, प्रसारित करना चाहिए। जैसे शिकायत के 90 दिनों के भीतर पीड़ित को केस की प्रगति से संबंधित जानकारी देनी होगी। ये जानकारी SMS जैसी डिजिटल सेवाओं के जरिए सीधे उस तक पहुंचेगी। पुलिस के काम में बाधा डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ एक्शन लेने की व्यवस्था बनाई गई है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए न्याय संहिता में एक अलग चैप्टर रखा गया है। वर्क प्लेस पर महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा, घर और समाज में उनके और बच्चों के अधिकार, भारतीय न्याय संहिता ये सुनिश्चित करती है कि कानून पीड़िता के साथ खड़ा हो। इसमें एक और अहम प्रावधान किया गया है। अब महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे घृणित अपराधों में पहली हियरिंग से 60 दिन के भीतर चार्ज फ्रेम करने ही होंगे। सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर-भीतर फैसला भी सुनाया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। ये भी तय किया गया है कि किसी केस में 2 बार से अधिक स्थगन, एडजर्नमेंट नहीं लिया जा सकेगा।
साथियों,
भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- सिटिज़न फ़र्स्ट! ये कानून नागरिक अधिकारों के protector बन रहे हैं, ‘ease of justice’ का आधार बन रहे हैं। पहले FIR करवाना भी कितना मुश्किल होता था। लेकिन अब ज़ीरो FIR को भी कानूनी रूप दे दिया गया है, अब उसे कहीं से भी केस दर्ज कराने की सहूलियत मिली है। FIR की कॉपी पीड़ित को दी जाए, उसे ये अधिकार दिया गया है। अब आरोपी के ऊपर कोई केस अगर हटाना भी है, तो तभी हटेगा जब पीड़ित की सहमति होगी। अब पुलिस किसी भी व्यक्ति को अपनी मर्जी से हिरासत में नहीं ले सकेगी। उसके परिजनों को सूचित करना, ये भी न्याय संहिता में अनिवार्य कर दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता का एक और पक्ष है...उसकी मानवीयता, उसकी संवेदनशीलता अब आरोपी को बिना सजा बहुत लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। अब 3 वर्ष से कम सजा वाले अपराध के मामले में गिरफ़्तारी भी हायर अथॉरिटी की सहमति से ही हो सकती है। छोटे अपराधों के लिए अनिवार्य जमानत का प्रावधान भी किया गया है। साधारण अपराधों में सजा की जगह Community Service का विकल्प भी रखा गया है। ये आरोपी को समाज हित में, सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के नए अवसर देगा। First Time Offenders के लिए भी न्याय संहिता बहुत संवेदनशील है। देश के लोगों को ये जानकर भी खुशी होगी कि भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद जेलों से ऐसे हजारों कैदियों को छोड़ा गया है...जो पुराने क़ानूनों की वजह से जेलों में बंद थे। आप कल्पना कर सकते हैं, एक नई व्यवस्था, नया कानून नागरिक अधिकारों के सशक्तिकरण को कितनी ऊंचाई दे सकता है।
साथियों,
न्याय की पहली कसौटी है- समय से न्याय मिलना। हम सब बोलते और सुनते भी आए हैं- justice delayed, justice denied! इसीलिए, भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता के जरिए देश ने त्वरित न्याय की तरफ बड़ा कदम उठाया है। इसमें जल्दी चार्जशीट फाइल करने और जल्दी फैसला सुनाने को प्राथमिकता दी गई है। किसी भी केस में हर चरण को पूरा करने के लिए समय-सीमा तय की गई है। ये व्यवस्था देश में लागू हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं। इसे परिपक्व होने के लिए अभी समय चाहिए। लेकिन, इतने कम अंतराल में ही जो बदलाव हमें दिख रहे हैं, देश के अलग-अलग हिस्सों से जो जानकारियां मिल रही हैं...वे वाकई बहुत संतोष देने वाली हैं, उत्साहजनक है। आप लोग तो यहां भली-भांति जानते हैं, हमारे इस चंडीगढ़ में ही वाहन चोरी, व्हीकल की चोरी करने के एक केस में FIR होने के बाद आरोपी को सिर्फ 2 महीने 11 दिन में अदालत से सजा सुना दी, उसको सजा मिल गई। क्षेत्र में अशांति फैलाने के एक और आरोपी को अदालत ने सिर्फ 20 दिन में पूरी सुनवाई के बाद सजा भी सुना दी। दिल्ली में भी एक केस में FIR से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 60 दिन का समय लगा...आरोपी को 20 साल की सजा सुनाई गई। बिहार के छपरा में भी एक मर्डर केस में FIR से लेकर फैसला आने तक सिर्फ 14 दिन लगे और आरोपियों को उम्र कैद की सजा हो गई। ये फैसले दिखाते हैं कि भारतीय न्याय संहिता की ताकत क्या है, उसका प्रभाव क्या है। ये बदलाव दिखाता है कि जब सामान्य नागरिकों के हितों के लिए समर्पित सरकार होती है, जब सरकार ईमानदारी से जनता की तकलीफ़ों को दूर करना चाहती है, तो बदलाव भी होता है, और परिणाम भी आते हैं। मैं चाहूंगा कि देश में इन फैसलों की ज्यादा से ज्यादा चर्चा हो ताकि हर भारतीय को पता चले कि न्याय के लिए उसकी शक्ति कितनी बढ़ गई है। इससे अपराधियों को भी पता चलेगा कि अब तारीख पर तारीख के दिन लद गए हैं।
साथियों,
नियम या कानून तभी प्रभावी रहते हैं, जब समय के मुताबिक प्रासंगिक हों। आज दुनिया इतनी तेजी से बदल रही है। अपराध और अपराधियों के तोर-तरीके बदल गए हैं। ऐसे में 19वीं शताब्दी में जड़ें जमाए कोई व्यवस्था कैसे व्यावहारिक हो सकती थी? इसीलिए, हमने इन क़ानूनों को भारतीय बनाने के साथ-साथ आधुनिक भी बनाया है। यहां अभी हमने देखा भी कि अब Digital Evidence को भी कैसे एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में रखा गया है। जांच के दौरान सबूतों से छेड़छाड़ ना हो, इसके लिए पूरे प्रोसेस की वीडियोग्राफी को अनिवार्य किया गया है। नए कानूनों को लागू करने के लिए ई-साक्ष्य, न्याय श्रुति, न्याय सेतु, e-Summon Portal जैसे उपयोगी साधन तैयार किए गए हैं। अब कोर्ट और पुलिस की तरफ से सीधे फोन पर, electronic mediums से सम्मन सर्व किए जा सकते हैं। विटनेस के स्टेटमेंट की audio-video recording भी की जा सकती है। डिजिटल एविडेंस भी अब कोर्ट में मान्य होंगे, वो न्याय का आधार बनेंगे। उदाहरण के तौर पर, चोरी के मामले में फिंगर प्रिंट का मिलान, बलात्कार के मामलों में DNA sample का मिलान, हत्या के केस में पीड़ित को लगी गोली और आरोपी के पास से जब्त की गई बंदूक के साइज़ का मैच....विडियो एविडेंस के साथ ये सब कानूनी आधार बनेंगे।
साथियों,
इससे अपराधी के पकड़े जाने तक अनावश्यक समय बर्बाद नहीं होगा। ये बदलाव देश की सुरक्षा के लिए भी उतने ही जरूरी थे। डिजिटल साक्ष्यों और टेक्नोलॉजी के इंटिग्रेशन से हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ने में भी ज्यादा मदद मिलेगी। अब नए क़ानूनों में आतंकवादी या आतंकी संगठन कानून की जटिलताओं का फायदा नहीं उठा सकेंगे।
साथियों,
नई न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता से हर विभाग की productivity बढ़ेगी और देश की प्रगति को गति मिलेगी। कानूनी अड़चनों के कारण जो भ्रष्टाचार को बल मिलता था, उस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। ज़्यादातर विदेशी निवेशक पहले भारत में इसलिए निवेश नहीं करना चाहते थे, क्योंकि कोई मुकदमा हुआ तो उसी में वर्षों निकल जाएंगे। जब ये डर खत्म होगा, तो निवेश बढ़ेगा, देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
साथियों,
देश का कानून नागरिकों के लिए होता है। इसलिए, कानूनी प्रक्रियाएँ भी पब्लिक की सुविधा के लिए होनी चाहिए। लेकिन, पुरानी व्यवस्था में process ही punishment बन गया था। एक स्वस्थ समाज में कानून का संबल होना चाहिए। लेकिन, IPC में केवल कानून का डर ही एकमात्र तरीका था। वो भी, अपराधी से ज्यादा ईमानदार लोगों को, जो बेचारे विक्टिम हैं, उनको डर रहता था। यहाँ तक की, सड़क पर किसी का एक्सिडेंट हो जाए तो लोग मदद करने से घबराते थे। उन्हें लगता था कि उल्टा वो खुद पुलिस के पचड़े में फंस जाएंगे। लेकिन अब मदद करने वालों को इन परेशानियों से मुक्त कर दिया गया है। इसी तरह, हमने अंग्रेजी शासन के 1500 से ज्यादा कानून, पुराने कानूनों को भी खत्म किया। जब ये कानून खत्म हुये, तब लोगों को हैरानी हुई थी कि क्या देश में ऐसे-ऐसे कानून हम ढ़ो रहे थे, ऐसे-ऐसे कानून बने थे।
साथियों,
हमारे देश में कानून नागरिक सशक्तिकरण का माध्यम बनें, इसके लिए हम सबको अपना नज़रिया व्यापक बनाना चाहिए। ये बात मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि हमारे यहाँ कुछ क़ानूनों की तो खूब चर्चा हो जाती है। चर्चा होनी भी चाहिए लेकिन, कई अहम कानून हमारे विमर्श से वंचित रह जाते हैं। जैसे, आर्टिकल-370 हटा, इस पर खूब बात हुई। तीन तलाक पर कानून आया, उसकी खूब चर्चा हुई। इन दिनों वक़्फ़ बोर्ड से जुड़े कानून पर बहस चल रही है। हमें चाहिए, हम इतना ही महत्व उन क़ानूनों को भी दें जो नागरिकों की गरिमा और स्वाभिमान बढ़ाने के लिए बने हैं। अब जैसे आज अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस है। देश के दिव्यांग हमारे ही परिवारों के सदस्य हैं। लेकिन, पुराने क़ानूनों में दिव्यांगों को किस कैटेगरी में रखा गया था? दिव्यांगों के लिए ऐसे-ऐसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया था, जिन्हें कोई भी सभ्य समाज स्वीकार नहीं कर सकता। हमने ही सबसे पहले इस वर्ग को दिव्यांग कहना शुरू किया। उन्हें कमजोर फील कराने वाले शब्दों से छुटकारा दिया। 2016 में हमने Rights of Persons with Disabilities Act लागू करवाया। ये केवल दिव्यांगों से जुड़ा कानून नहीं था। ये समाज को और ज्यादा संवेदनशील बनाने का अभियान भी था। नारी शक्ति वंदन अधिनियम अभी इतने बड़े बदलाव की नींव रखने जा रहा है। इसी तरह, ट्रांसजेंडर्स से जुड़े कानून, Mediation act, GST Act, ऐसे कितने ही कानून बने हैं, जिन पर सकारात्मक चर्चा आवश्यक है।
साथियों,
किसी भी देश की ताकत उसके नागरिक होते हैं। और, देश का कानून नागरिकों की ताकत होता है। इसीलिए, जब भी कोई बात होती है, तो लोग गर्व से कहते हैं कि- I am a law abiding citizen. कानून के प्रति नागरिकों की ये निष्ठा राष्ट्र की बहुत बड़ी पूंजी होती है। ये पूंजी कम न हो, देशवासियों का विश्वास बिखरे ना...ये हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है। इसलिए, मैं चाहता हूं कि हर विभाग, हर एजेंसी, हर अधिकारी और हर पुलिसकर्मी नए प्रावधानों को जाने, उनकी भावना को समझे। विशेष रूप से मैं देश की सभी राज्य सरकारों से अनुरोध करना चाहता हूँ, भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता...प्रभावी ढंग से लागू हो, उनका जमीन पर असर दिखे, इसके लिए सभी राज्य सरकारों को सक्रिय होकर काम करना होगा। और मेरा फिर कहना है...नागरिकों को अपने इन अधिकारों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी होनी चाहिए। हमें मिलकर इसके लिए प्रयास करना है। क्योंकि, ये जितना प्रभावी तरीके से लागू होंगे, हम देश को उतना ही बेहतर भविष्य दे पाएंगे। ये भविष्य आपके भी और आपके बच्चों का जीवन तय करने वाला है, आपके सर्विस satisfaction को तय करने वाला है। मुझे विश्वास है, हम सब मिलकर इस दिशा में काम करेंगे, राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका बढ़ाएंगे। इसी के साथ, आप सभी को, सभी देशवासियों को एक बार फिर भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूं, और चंडीगढ़ का ये शानदार माहौल, आपका प्यार, आपका उत्साह उसको सलाम करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद!