Quoteअयोध्या और उसके आसपास के क्षेत्र 11,100 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं से लाभान्वित होंगे
Quote“पूरी दुनिया उत्‍सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतज़ार कर रही है, मैं भी आपकी तरह ही उत्‍सुक हूं”
Quote“विकसित भारत के अभियान को अयोध्या से नई ऊर्जा मिल रही है”
Quote“आज का भारत पुरातन और नूतन दोनों को आत्‍मसात करते हुए आगे बढ़ रहा है”
Quote“केवल अवध क्षेत्र ही नहीं, बल्कि अयोध्या पूरे उत्तर प्रदेश के विकास को नई दिशा देगी”
Quote“महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण वह ज्ञान मार्ग है, जो हमें प्रभु श्री राम से जोड़ता है”
Quote“गरीबों की सेवा की भावना आधुनिक अमृत भारत ट्रेनों के मूल में निहित है”
Quote“22 जनवरी को आप सभी अपने घरों में श्री राम ज्योति जलाएं”
Quote“सुरक्षा और व्यवस्था के कारणों से, 22 जनवरी का कार्यक्रम संपन्‍न होने के बाद ही अपनी अयोध्या यात्रा की योजना बनाएं”
Quote“भव्य राम मंदिर के निर्माण के निमित्त, 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन से पूरे देश के सभी तीर्थ स्थलों पर स्वच्छता का बहुत बड़ा अभियान चलाया जाना चाहिए”
Quoteआज देश मोदी की गारंटी पर भरोसा इसलिए है,क्योंकि मोदी जो गारंटी देता है, उसे पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर देता है। ये अयोध्या नगरी भी तो इसकी साक्षी है”

अयोध्याजी के सभी लोगों को मेरा प्रणाम! आज पूरी दुनिया उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतज़ार कर रही है। ऐसे में अयोध्यावासियों में ये उत्साह, ये उमंग बहुत स्वाभाविक है। भारत की मिट्टी के कण-कण औऱ भारत के जन-जन का मैं पुजारी हूं और मैं भी आपकी तरह उतना ही उत्सुक हूं। हम सभी का ये उत्साह, ये उमंग, थोड़ी देर पहले अयोध्याजी की सड़कों पर भी पूरी तरह नजर आ रहा था। ऐसा लगता था कि पूरी अयोध्या नगरी ही सड़क पर उतर आई हो। इस प्यार, इस आशीर्वाद के लिए मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। मेरे साथ बोलिए-

सियावर राम चंद्र की...जय।

सियावर राम चंद्र की...जय।

सियावर राम चंद्र की...जय।

उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल , यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी,

मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य जी,अश्विनी वैष्णव जी, वी के सिंह जी, उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या जी, बृजेश पाठक जी, यूपी सरकार के अन्य मंत्रिगण,सभी सांसद और विधायक गण, और विशाल संख्या में आए मेरे परिवारजनों!

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देश के इतिहास में 30 दिसंबर की ये तारीख बहुत ही ऐतिहासिक रही है। आज के ही दिन, 1943 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अंडमान में झंडा फहरा कर भारत की आजादी का जयघोष किया था। आज़ादी के आंदोलन से जुड़े ऐसे पावन दिवस पर, आज हम आजादी के अमृतकाल के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं। आज विकसित भारत के निर्माण को गति देने के अभियान को अयोध्या नगरी से नई ऊर्जा मिल रही है। आज यहां 15 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। Infrastructure से जुड़े ये काम, आधुनिक अयोध्या को देश के नक्शे पर फिर से गौरव के साथ स्थापित करेंगे। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच ये कार्य अयोध्यावासियों के अथक परिश्रम का परिणाम है। मैं सभी अयोध्या वासियों को इन परियोजनाओं के लिए अनेक-अनेक बधाई देता हूं।

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मेरे परिवारजनों,

दुनिया में कोई भी देश हो, अगर उसे विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचना है, तो उसे अपनी विरासत को संभालना ही होगा। हमारी विरासत, हमें प्रेरणा देती है, हमें सही मार्ग दिखाती है। इसलिए आज का भारत, पुरातन और नूतन दोनों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ रहा है। एक समय था जब यहीं अयोध्या में राम लला टेंट में विराजमान थे। आज पक्का घर सिर्फ राम लला को ही नहीं बल्कि पक्का घर देश के चार करोड़ गरीबों को भी मिला है।आज भारत अपने तीर्थों को भी संवार रहा है, तो वहीं digital technology की दुनिया में भी हमारा देश छाया हुआ है। आज भारत काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निमाण के साथ ही देश में 30 हजार से ज्यादा पंचायत भवन भी बनवा रहा है। आज देश में सिर्फ केदार धाम का पुनरुद्धार ही नहीं हुआ है बल्कि 315 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज भी बने हैं। आज देश में महाकाल महालोक का निर्माण ही नहीं हुआ है बल्कि हर घर जल पहुंचाने के लिए पानी की 2 लाख से ज्यादा टंकियां भी बनवाई हैं। हम चांद, सूरज और समुद्र की गहराइयों को भी नाप रहे हैं, तो अपनी पौराणिक मूर्तियों को भी रिकॉर्ड संख्या में भारत वापस ला रहे हैं। आज के भारत का मिजाज़, यहां अयोध्या में स्पष्ट दिखता है। आज यहां प्रगति का उत्सव है, तो कुछ दिन बाद यहां परंपरा का उत्सव भी होगा। आज यहां विकास की भव्यता दिख रही है, तो कुछ दिनों बाद यहां विरासत की भव्यता और दिव्यता दिखने वाली है। यही तो भारत है। विकास और विरासत की यही साझा ताकत, भारत को 21वीं सदी में सबसे आगे ले जाएगी।

मेरे परिवारजनों,

प्राचीन काल में अयोध्यानगरी कैसी थी, इसका वर्णन खुद महर्षि वाल्मीकि जी ने विस्तार से किया है। उन्होंने लिखा है - कोसलो नाम मुदितः स्फीतो जनपदो महान्। निविष्ट सरयूतीरे प्रभूत-धन-धान्यवान्। अर्थात्, वाल्मीकि जी बताते हैं कि महान अयोध्यापुरी धन-धान्य से परिपूर्ण थी, समृद्धि के शिखर पर थी, और आनंद से भरी हुई थी। यानी, अयोध्या में विज्ञान और वैराग्य तो था ही, उसका वैभव भी शिखर पर था। अयोध्या नगरी की उसी पुरातन पहचान को हमें आधुनिकता से जोड़कर वापस लाना है।

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साथियों,

आने वाले समय में अयोध्या नगरी, अवध क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे यूपी के विकास को ये हमारी अयोध्या दिशा देने वाली है। अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बनने के बाद यहां आने वाले लोगों की संख्या में बहुत बड़ी वृद्धि होगी। इसे ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार, अयोध्या में हजारों करोड़ रुपए के विकास कार्य करा रही है, अयोध्या को smart बना रही है। आज अयोध्या में सड़कों का चौड़ीकरण हो रहा है, नए footpath बन रहे हैं। आज अयोध्या में नए flyovers बन रहे हैं, नए पुल बन रहे हैं। अयोध्या को आसपास के जिलों से जोड़ने के लिए भी यातायात के साधनों को सुधारा जा रहा है।

साथियों,

आज मुझे अयोध्या धाम एयरपोर्ट और अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। मुझे खुशी है कि अयोध्या एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है। महर्षि वाल्मीकि ने हमें रामायण के माध्यम से प्रभु श्रीराम के कृतित्व से परिचित करवाया। महर्षि वाल्मीकि के लिए प्रभु श्रीराम ने कहा था- "तुम त्रिकालदर्शी मुनिनाथा, विस्व बदर जिमि तुमरे हाथा।" अर्थात, हे मुनिनाथ! आप त्रिकालदर्शी हैं। सम्पूर्ण विश्व आपके लिए हथेली पर रखे हुए बेर के समान है। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि वाल्मीकि जी के नाम पर अयोध्या धाम एयरपोर्ट का नाम, इस एयरपोर्ट में आने वाले हर यात्री को धन्य करेगा। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण वो ज्ञान मार्ग है जो हमें प्रभु श्रीराम से जोड़ती है। आधुनिक भारत में महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट अयोध्या धाम, हमें दिव्य-भव्य-नव्य राम मंदिर से जोड़ेगा। जो ये नया एयरपोर्ट बना है, उसकी क्षमता हर साल 10 लाख यात्रियों को सेवा करने की क्षमता है। जब इस एयरपोर्ट के दूसरे चरण का काम भी पूरा हो जाएगा तो महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हर साल 60 लाख यात्री आ-जा सकेंगे। अभी अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर हर रोज 10-15 हजार लोगों की सेवा करने की क्षमता है। स्टेशन का पूरा विकास होने के बाद अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर हर रोज 60 हजार लोग आ-जा सकेंगे।

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साथियों,

एयरपोर्ट-रेलवे स्टेशनों के अलावा आज यहां अनेक पथों का, मार्गों का भी लोकार्पण हुआ है। रामपथ, भक्तिपथ, धर्मपथ और श्रीराम जन्मभूमि पथ से आवाजाही और सुगम होगी। अयोध्या में आज ही कार पार्किंग स्थलों का लोकर्पण किया गया हैI नए मेडिकल कॉलेज से यहां आरोग्य की सुविधाओं को और विस्तार मिलेगा। सरयू जी की निर्मलता बनी रहे, इसके लिए भी डबल इंजन सरकार पूरी तरह समर्पित है। सरयू जी में गिरने वाले दूषित पानी को रोकने के लिए भी काम शुरू हुआ है। राम की पैड़ी को एक नया स्वरूप दिया गया हैI सरयू के किनारे नए-नए घाटों का विकास हो रहा हैI यहां के सभी प्राचीन कुंडों का पुनरुद्धार भी किया जा रहा हैI लता मंगेशकर चौक हो या राम कथा स्थल ये अयोध्या की पहचान बढ़ा रहे हैं। अयोध्या में बनने जा रही नई township, यहां के लोगों का जीवन और आसान बनाएगी। विकास के इन कार्यों से अयोध्या में रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर भी बनेंगे। इससे यहां के टैक्सी वाले, रिक्शा वाले, होटल वाले, ढाबे वाले, प्रसाद वाले, फूल बेचने वाले, पूजा का सामग्री बेचने वाले, हमारे छोटे-मोटे दुकानदार भाई, सभी की आय बढ़ेगी।

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मेरे परिवारजनों,

आज यहां आधुनिक रेलवे के निर्माण की तरफ एक और बड़ा कदम देश ने उठाया है। वंदे भारत और नमो भारत के बाद, आज एक और आधुनिक ट्रेन देश को मिली है। इस नई ट्रेन सिरीज का नाम अमृत भारत ट्रेन रखा गया है। वंदे भारत, नमो भारत और अमृत भारत ट्रेनों की ये त्रिशक्ति, भारतीय रेलवे का कायाकल्प करने जा रही है। इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है कि ये पहली अमृत भारत ट्रेन अयोध्या से गुजर रही है। दिल्ली-दरभंगा अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन, दिल्ली-यूपी-बिहार के लोगों की यात्रा को आधुनिक बनाएगी। इससे बिहार के लोगों के लिए भव्य राममंदिर में विराजने जा रहे रामलला के दर्शन को और सुगम बनाएगी। ये आधुनिक अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनें, विशेष रूप से हमारे गरीब परिवार, हमारे श्रमिक साथियों को बहुत मदद करेंगी। श्रीराम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है- पर हित सरिस धरम नहीं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई। अर्थात, दूसरों की सेवा करने से बड़ा और कोई धर्म, कोई और कर्तव्य नहीं है। आधुनिक अमृत भारत ट्रेनें गरीब की सेवा इसी भावना से ही शुरू की गई हैं। जो लोग अपने काम के कारण अक्सर लंबी दूरी का सफर करते हैं, जिनकी उतनी आमदनी नहीं है, वे भी आधुनिक सुविधाओं और आरामदायक सफर के हकदार हैं। गरीब के जीवन की भी गरिमा है, इसी ध्येय के साथ इन ट्रेनों को design किया गया है। आज ही पश्चिम बंगाल और कर्नाटका के साथियों को भी उनके राज्य की पहली अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन मिली है। मैं इन राज्यों को भी अमृत भारत ट्रेनों की बधाई दूंगा।

मेरे परिवारजनों,

विकास और विरासत को जोड़ने में वंदे भारत एक्सप्रेस बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। देश की पहली वंदे भारत एक्स्प्रेस ट्रेन, काशी के लिए चली थी। आज देश के 34 routes पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं। काशी, वेष्णो देवी के लिए कटरा, उज्जैन, पुष्कर, तिरुपति, शिरडी, अमृतसर, मदुरै, आस्था के ऐसे हर बड़े केंद्रों को वंदे भारत जोड़ रही है। इसी कड़ी में आज अयोध्या को भी वंदे भारत ट्रेन का उपहार मिला है। आज अयोध्या धाम जंक्शन - आनंद विहार वंदे भारत शुरू की गई है। इसके अलावा आज कटरा से दिल्ली, अमृतसर से दिल्ली, कोयम्बटूर-बेंगलुरु, मैंगलुरु - मडगांव, जालना- मुंबई इन शहरों के बीच भी वंदे भारत की नई सेवाएं शुरु हुई हैं। वंदे भारत में गति भी है, वंदे भारत में आधुनिकता भी है और वंदे भारत में आत्मनिर्भर भारत का गर्व भी है। बहुत ही कम समय में वंदे भारत से डेढ़ करोड़ से अधिक यात्री सफर कर चुके हैं। विशेष तौर पर युवा पीढ़ी को ये ट्रेन बहुत पसंद आ रही है।

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साथियों,

हमारे देश में प्राचीन काल से ही तीर्थ यात्राओं का अपना महत्व रहा है, अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। बद्री विशाल से सेतुबंध रामेश्वरम की यात्रा, गंगोत्री से गंगासागर की यात्रा,

द्वारकाधीश से जगन्नाथपुरी की यात्रा, द्वादश ज्योतिर्लिगों की यात्रा, चार धामों की यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, कांवड़ यात्रा, शक्तिपीठों की यात्रा, पंढरपुर यात्रा, आज भी भारत के कोने-कोने में कोई ना कोई यात्रा निकलती रहती है, लोग आस्था के साथ उनसे जुड़ते रहते हैं। तमिलनाडु में भी कई यात्राएं प्रसिद्ध हैं। शिवस्थल पाद यात्तिरै, मुरुगनुक्कु कावडी यात्तिरै, वैष्णव तिरुप-पदि यात्तिरै, अम्मन तिरुत्तल यात्तिरै, केरला में सबरीमाला यात्रा हो, आंध्र-तेलंगाना में मेदाराम में सम्मक्का और सरक्का की यात्रा हो,नागोबा यात्रा, इनमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। यहां बहुत कम लोगों को पता होगा कि केरला में भगवान राम और उनके भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के धाम की भी यात्रा होती है। ये यात्रा नालंबलम यात्रा के नाम से जानी जाती है। इसके अलावा देश में कितनी ही परिक्रमाएं भी जारी रहती हैं। गोवर्धन परिक्रमा, पंचकोसी परिक्रमा, चौरासीकोसी परिक्रमा, ऐसी यात्राओं और परिक्रमाओं से हर भक्त का ईश्वर के प्रति जुड़ाव और मजबूत होता है। बौद्ध धर्म में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थलों गया, लुंबिनी, कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर की यात्राएं होती हैं। राजगीर बिहार में बौद्ध अनुयायियों की परिक्रमा होती है। जैन धर्म में पावागढ़, सम्मेद शिखरजी, पालीताना, कैलाश की यात्रा हो, सिखों के लिए पंच तख्त यात्रा और गुरु धाम यात्रा हो, अरुणाचल प्रदेश में नॉर्थ ईस्ट में परशुराम कुंड की विशाल यात्रा हो, इनमें शामिल होने के लिए श्रद्धालु पूरी आस्था से जुटते हैं। देश भर सदियों से हो रही इन यात्राओं के लिए वैसे ही समुचित इंतजाम भी किए जाते हैं। अब अयोध्या में हो रहे ये निर्माण कार्य, यहां आने वाले हर रामभक्त के लिए अयोध्या धाम की यात्रा को, भगवान के दर्शन को और आसान बनाएंगे।

साथियों,

ये ऐतिहासिक क्षण, बहुत भाग्य से हम सभी के जीवन में आया है। हमें देश के लिए नव संकल्प लेना है, खुद को नई ऊर्जा से भरना है। इसके लिए 22 जनवरी को आप सभी अपने घरों में, मैं पूरे देश के 140 करोड़ देश्वासियों को अयोध्या की इस पवित्र भूमि से प्रार्थना कर रहा हूं, अयोध्या की प्रभु राम की नगरी से प्रार्थना कर रहा हूं, मैं 140 करोड़ देश्वासियों को हाथ जोड़कर के प्रार्थना कर रहा हूं, कि आप 22 जनवरी को जब अयोध्या में प्रभु राम विराजमान हों, अपने घरों में भी श्रीराम ज्योति जलाएं, दीपावली मनाएं। 22 जनवरी की शाम पूरे हिन्दुस्तान में जगमग-जगमग होनी चाहिए। लेकिन साथ ही, मेरी सभी देशवासियों से एक करबद्ध प्रार्थना और भी है। हर किसी की इच्छा है कि 22 जनवरी को होने वाले आयोजन का साक्षी बनने के लिए वो स्वंय अयोध्या आएं लेकिन आप भी जानते हैं कि हर किसी का आना संभव नहीं है। अयोध्या में सबका पहुंचना बहुत मुश्किल है और इसलिए सभी राम भक्तों को, देशभर के राम भक्तों को, उत्तर प्रदेश के विशेषकर के राम भक्तों को मेरा हाथ जोड़कर के प्रणाम के साथ प्रार्थना है। मेरा आग्रह है कि 22 जनवरी को एक बार विधिपूर्वक कार्यक्रम हो जाने के बाद, 23 तारीख के बाद, अपनी सुविधा के अनुसार वो अयोध्या आएं, अयोध्या आने का मन 22 तारीख को न बनाएं। प्रभु राम जी को तकलीफ हो ऐसा हम भक्त कभी कर नहीं सकते हैं। प्रभु राम जी पधार रहे हैं तो हम भी कुछ दिन इंतजार हरें, 550 साल इंतजार किया हैं, कुछ दिन और इंतजार कीजिए। और इसलिए सुरक्षा के लिहाज से, व्यवस्था के लिहाज से, मेरी आप सबसे बार-बार प्रार्थना है कि कृपा कर, क्योंकि अब प्रभु राम के दर्शन अयोध्या का नव्य, भव्य, दिव्य मंदिर आने वाली सदियों तक दर्शन के लिए उपलब्ध है। आप जनवरी में आए, फरवरी में आए, मार्च में आए, एक साल के बाद आए, दो साल के बाद आए, मंदिर है ही। और इसलिए 22 जनवरी को यहां पहुंचने के लिए भीड़-भाड़ करने से आप बचिये ताकि यहां जो व्यवस्था है, मंदिर के जो व्यवस्थापक लोग हैं, मंदिर का जो ट्रस्ट है, हमें इतना पवित्र उन्होंने काम किया है, इतनी मेहनत करके किया है, पिछले 3-4 साल से दिन-रात काम किया है, उनको हमारी तरफ से कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए, और इसलिए मैं बार-‘बार आग्रह करता हूं कि 22 को यहां पहुंचने का प्रयास न करें। कुछ ही लोगों को निमंत्रण गया है वे लोग आएंगे और 23 के बाद सारे देश्वासियों के लिए आना बड़ा सरल हो जाएगा।

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साथियों,

आज मेरा एक आग्रह मेरे अयोध्या के भाई-बहनों से है। आपको देश और दुनिया के अनगिनत अतिथियों के लिए तैयार होना है। अब देश-दुनिया के लोग लगातार, हर रोज अयोध्या आते रहेंगे, लाखों की तादाद में लोग आने वाले हैं। अपनी-अपनी सुविधा से आएंगे, कोई एक साल में आएगा, दो साल में आएगा, दस साल में आएगा लेकिन लाखों लोग आएंगे। और ये सिलसिला अब अनंत काल तक चलेगा, अनंत काल तक चलेगा। इसलिए अयोध्यावासियों को, आपको भी एक संकल्प लेना है। और ये संकल्प है- अयोध्या नगर को भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने का। ये स्वच्छ अयोध्या ये अयोध्यावासियों की जिम्मेदारी है। और इसके लिए हमें मिलकर हर कदम उठाना है। मैं आज देश के सभी तीर्थ क्षेत्रों और मंदिरों से अपना आग्रह दोहराउंगा। देश भर के लोगों से मेरी प्रार्थना है। भव्य राम मंदिर के निर्माण के निमित्त, एक सप्ताह पहले, 14 जनवरी, मकर संक्रांति के दिन से पूरे देश के छोटे-मोटे सब तीर्थ स्थलों पर स्वच्छता का एक बहुत बड़ा अभियान चलाया जाना चाहिए। हर मंदिर, हिन्दुस्तान के हर कोने में हमें उसकी सफाई का अभियान मकर सक्रांति 14 जनवरी से 22 जनवरी तक हमें चलाना चाहिए। प्रभु राम पूरे देश के हैं और प्रभु राम जी जब आ रहे हैं तो हमार एक भी मंदिर, हमारा एक भी तीर्थ क्षेत्र उसका और उसके परिसर के इलाके का अस्वच्छ नहीं होना चाहिए, गंदगी नहीं होनी चाहिए।

साथियों,

अब से कुछ देर पहले मुझे अयोध्या नगरी में ही एक और सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आज मुझे खुशी है ये बताते हुए कि उज्जवला गैस कनेक्शन की 10 करोड़वीं लाभार्थी बहन के घर मुझे जाकर के चाय पीने का मौका मिला। जब 1 मई, 2016 को हमने यूपी के बलिया से उज्ज्वला योजना शुरू की थी, तो कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि ये योजना, सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचेगी। इस योजना ने करोड़ों परिवारों का, करोड़ों माताओं-बहनों का जीवन हमेशा के लिए बदल दिया है, उन्हें लकड़ी के धुएं से मुक्ति दिलाई है।

साथियों,

हमारे देश में गैस कनेक्शन देने का काम 60-70 साल पहले शुरू किया गया था। यानि 6-7 दशक पहले। लेकिन 2014 तक हालत ये थी कि 50-55 साल में सिर्फ 14 करोड़ गैस कनेक्शन ही दिए जा चुके थे। यानि पांच दशक में 14 करोड़। जबकि हमारी सरकार ने एक दशक में 18 करोड़ नए गैस कनेक्शन दिए हैं। और इस 18 करोड़ में 10 करोड़ गैस कनेक्शन मुफ्त में दिए गए हैं...उज्ज्वला योजना के तहत दिए गए हैं। जब गरीब की सेवा की भावना हो, जब नीयत नेक हो तो इसी तरह से काम होता है, इसी तरह के नतीजे मिलते हैं। आजकल कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि मोदी की गारंटी में इतनी ताकत क्यों है।

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मोदी की गारंटी में इतनी ताकत इसलिए है क्योंकि मोदी जो कहता है, वो करने के लिए जीवन खपा देता है। मोदी की गारंटी पर आज देश को इसलिए भरोसा है...क्योंकि मोदी जो गारंटी देता है, उसे पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर देता है। ये अयोध्या नगरी भी तो इसकी साक्षी है। और मैं आज अयोध्या के लोगों को फिर से विश्वास दूंगा कि इस पवित्र धाम के विकास में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। श्रीराम हम सभी पर आशीर्वाद रखें, इसी कामना के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूं। प्रभु श्री राम के चरणों में प्रणाम करता हूं। और आप सबको विकास कार्यों की बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए -

जय सियाराम!

जय सियाराम!

जय सियाराम!

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM Modi’s remarks at the BRICS session: Environment, COP-30, and Global Health
July 07, 2025

Your Highness,
Excellencies,

मुझे खुशी है कि ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स ने पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को उच्च प्राथमिकता दी है। ये विषय न केवल आपस में जुड़े हुए हैं, बल्कि मानवता के उज्जवल भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

Friends,

इस वर्ष, COP-30 का आयोजन ब्राज़ील में हो रहा है। ऐसे में BRICS में पर्यावरण पर चर्चा प्रासंगिक भी है और समयानुकूल भी।

भारत के लिए Climate Change और पर्यावरण सुरक्षा हमेशा से उच्च प्राथमिकता के विषय रहे हैं। हमारे लिए Climate Change केवल ऊर्जा का विषय नहीं है। ये जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन का विषय है।

जहां कुछ लोग इसे आंकड़ों में मापते हैं, भारत इसे संस्कारों में जीता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में, पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया है। इसीलिए जब पृथ्वी माँ पुकारती है, तो हम चुप नहीं रहते। हम अपनी सोच, अपने व्यवहार और अपनी जीवनशैली में बदलाव करते हैं।

भारत ने "People, Planet और Progress” की भावना से Mission LiFE, यानि, Lifestyle for Environment, एक पेड़ माँ के नाम, International Solar Alliance, Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Green Hydrogen Mission, Biofuels Alliance, Big Cats Alliance, जैसे कई initiatives की शुरुआत की है।

भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान, हमने sustainable development और North-South के gap को कम करने पर जोर दिया था। इस उद्देश्य से हमने सभी देशों के साथ Green Development Pact पर सहमति बनाई थी। Environment-friendly actions को प्रोत्साहित करने के लिए Green Credits Initiative की शुरुआत की है।

विश्व की fastest growing major economy होते हुए भी, भारत Paris Commitments को समय से पहले पूरा करने वाला पहला देश है। हम 2070 तक Net Zero के लक्ष्य की ओर भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

पिछले दस वर्षों में भारत में solar energy की installed capacity में 4000 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। इन प्रयासों से हम एक sustainable और green future की मजबूत नींव रख रहे हैं।

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Friends,

भारत के लिए Climate Justice कोई विकल्प नहीं, एक नैतिक कर्तव्य है। भारत का मानना है कि ज़रूरतमंद देशों को technology transfer और affordable financing के बिना, climate एक्शन सिर्फ climate talks तक ही सीमित रहेगा।

Climate Ambition और Financing के बीच gap को कम करने में विकसित देशों की विशेष और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। हमें उन सभी देशों को साथ लेकर चलना होगा जो विभिन्न तनावों के चलते food, fuel, fertiliser और financial crisis से जूझ रहे हैं।

भविष्य को लेकर जो आत्मविश्वास विकसित देशों में है, वही आत्मबल इन देशों में भी होना चाहिए। किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड के रहते, मानवता का सतत और समावेशी विकास संभव नहीं है। आज जारी किया जा रहा "Framework Declaration on Climate Finance” एक सराहनीय कदम है। भारत इसका समर्थन करता है।

Friends,

पृथ्वी का स्वास्थ्य और मनुष्य का स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोविड महामारी ने हमें सिखाया है कि वायरस वीसा लेकर नहीं आते, और समाधान भी पासपोर्ट देखकर नहीं चुने जाते ! साझा चुनौतियों का हल सिर्फ साझे प्रयासों से ही संभव है।

भारत ने "One Earth, One Health” के मूलमंत्र से, सभी देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है। आज भारत में विश्व की सबसे बड़ी insurance scheme, "आयुष्मान भारत” 500 मिलियन से भी ज्यादा लोगों के लिए वरदान बनी है। आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा जैसे traditional medicine systems का ecosystem खड़ा किया गया है। Digital Health के माध्यम से हम देश के हर कोने में ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में भारत का सफल अनुभव साझा करने में हमें खुशी होगी।

मुझे खुशी है कि ब्रिक्स में भी स्वास्थ्य सहयोग बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। 2022 में लॉन्च किया गया BRICS वैक्सीन R&D Centre इस दिशा में एक मजबूत पहल है। आज जारी की जा रहा Leader’s statement on "BRICS Partnership for Elimination of Socially Determined Diseases”, हमारे सहयोग को मजबूत करने के लिए नई प्रेरणा देगा।

Friends,

आज की बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी चर्चाओं के लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूँ। अगले वर्ष भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता में हम सभी विषयों पर करीबी सहयोग जारी रखेंगे। भारत की BRICS अध्यक्षता में हम BRICS को नए रूप में परिभाषित करने पर काम करेंगे। BRICS का मतलब होगा – Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability.

जिस तरह, अपनी अध्यक्षता के दौरान, हमने G-20 को व्यापकता दिलाई, Global South के विषयों को agenda में प्राथमिकता दिलाई, उसी तरह BRICS की अध्यक्षता के दौरान हम इस Forum को people-centric और humanity First की भावना से आगे बढाएंगें।

एक बार फिर, राष्ट्रपति लूला को सफल BRICS Summit की हार्दिक शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।