हमारी सरकार ऊर्जावान बोडो समुदाय की प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित करने की दिशा में प्रतिबद्ध है: प्रधानमंत्री
बोडो लोगों के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव तैयार हो चुकी है: प्रधानमंत्री
पूरा पूर्वोत्‍तर, भारत की अष्टलक्ष्मी है: प्रधानमंत्री

खोलोमबाय!

असम के गवर्नर श्रीमान लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से हमारे साथ जुड़े मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जी, मंच पर उपस्थित अन्य सभी महानुभाव, भाइयों और बहनों!

आज कार्तिक पूर्णिमा का पावन अवसर है। आज देव दीपावली मनाई जा रही है। मैं देशभर के लोगों को इस पर्व की शुभकामनाएं देता हूं। आज गुरु नानक देव जी का 555वाँ प्रकाश पर्व भी है। मैं पूरे देश को विशेष रूप से विश्व भर में फैले हुए सिख भाई-बहनों को इस अवसर पर बधाई देता हूं। आज पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस भी मना रहा है। आज ही सुबह मैं बिहार में, जमुई में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल हुआ और अब शाम को यहां पहले बोडो महोत्सव का शुभारंभ हो रहा है। First Bodoland Festival में असम समेत देश के अलग-अलग राज्यों से बोडो समुदाय के लोग आए हैं। शांति के, संस्‍कृति के, समृद्धि के नए भविष्‍य का उत्सव मनाने के लिए जुटे सभी बोडो साथियों का मैं यहां अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

आप कल्पना नहीं कर सकते होंगे कि आज का ये अवसर मेरे लिए कितना इमोशनल है। ये पल मुझे भावुक करने वाले पल हैं, क्योंकि शायद ये दिल्‍ली में बैठे-बैठे एयर कंडिशन्ड कमरों में बैठकर के भांति-भांति की थ्‍योरियां लिखने वाले देश को बताने वालों को अंदाजा नहीं होगा कि कितना बड़ा अवसर है ये। 50 साल का रक्तपात, 50 साल तक हिंसा, तीन-तीन चार पीढ़ी के युवा इस हिंसा में खप गए। कितने दशकों बाद बोडो आज फेस्‍टिवल मना रहा है और रणचंडी नृत्य, ये अपने आप में बोडो के सामर्थ्य को भी परिचित करवाता है और मुझे नहीं पता कि दिल्‍ली में बैठे हुए लोगों को इन चीजों का महात्म्य समझ आता होगा और ये ऐसे ही नहीं हुआ है। बड़े धैर्य के साथ एक-एक गांठ को उकेल के, उकेल के उसको ठीक करते करते करते, आज आप सबने एक नया इतिहास रच दिया है।

मेरे बोडो भाइयों और बहनों,

साल 2020 में Bodo Peace Accord बोडो शांति समझौते के बाद मुझे कोकराझार आने का अवसर मिला था। वहां आपने मुझे जो अपनापन दिया, जो स्नेह मिला, ऐसा लग रहा था कि आप मुझे अपना ही एक मानते हैं, अपनों में से एक मानते हैं। वो पल मुझे हमेशा याद रहेगा, लेकिन उससे ज्यादा कभी-कभार तो एकाध बड़ा अवसर, एक वातावरण, उसका असर होता है। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ, आज चार साल के बाद भी वो ही प्यार, वो ही उत्साह, वो ही अपनापन, कोई कल्पना नहीं कर सकता साथियों कि मन को कितना भावुक बना देता है और उस दिन मैंने अपने बोडो भाइयों और बहनों को कहा था कि बोडोलैंड में शांति और समृद्धि की सुबह हो चुकी है और साथियों वो मेरे सिर्फ शब्द नहीं थे। उस दिन मैंने जो माहौल देखा था और शांति के लिए आप हिंसा का राह छोड़कर के निकल चुके थे। शस्‍त्र दे रहे थे, वो पल बहुत ही भावुक था साथियों और उसी समय मेरे भीतर एक मेरे अंदर से आवाज आई थी कि अब, अब मेरे बोडोलैंड में समृद्धि की सुबह हो चुकी है। आज आप सबका उत्साह, आपके चेहरे की खुशी देखकर मैं कह सकता हूं, बोडो लोगों के उज्ज्वल भविष्य की मजबूत नींव तैयार हो चुकी है।

पिछले 4 वर्षों में बोडोलैंड में हुई प्रगति बहुत ही महत्वपूर्ण है। शांति समझौते के बाद बोडोलैंड ने विकास की नई लहर देखी है। आज जब मैं बोडो पीस अकॉर्ड के फायदे देखता हूं, आप लोगों के जीवन पर इसका प्रभाव देखता हूं, तो इतनी मन को तसल्ली मिलती है, इतनी मन को खुशी होती है साथियों आप कल्पना नहीं कर सकते जी, आप पल भर सोचिए, कोई माँ और उसका इकलौता बेटा और उस माँ ने बहुत लालन-पालन से बड़ा किया हो बेटे को और बेटा अन्य साथियों से मिलकर के हाथ में हथियार लेकर के, माँ को छोड़कर के जंगलों में भटकता हो, उसने जो राह चुनी है, उसको पाने के लिए किसी की भी हत्या करने पर तुला हुआ हो, माँ बेबस होकर के निराशा में दिन काट रही हो और एक दिन पता चले कि माँ तेरा बेटा उन शस्त्रों को छोड़कर के अब तेरे पास वापस आया है। आप कल्पना कीजिए उस दिन उस माँ को कितना आनंद होगा। आज पिछले चार साल से मैं वही आनंद की अनुभूति करता हूं। मेरे अपने, मेरेे नौजवान साथी, मेरी प्रार्थना को स्वीकार करके वापस लौट आए और अब हिन्‍दुस्‍तान का भविष्य बनाने में कंधे से कंधा मिलाकर के मेरे साथ काम कर रहे हैं। ये जीवन का, ये मेरे जीवन की बहुत बड़ी घटना है साथियों, मेरे मन को बहुत तसल्ली देने वाली घटना है और इसलिए मैं आपका जितना अभिनंदन करूं, उतना कम है। और साथियों, बोडो शांति समझौते का लाभ सिर्फ आपको ही हुआ है, ऐसा नहीं है। बोडो शांति समझौते ने कितने ही अन्य समझौतों के लिए नए रास्ते खोले। अगर वो कागज पर रह जाता, तो शायद और लोग मेरी बात नहीं मानते लेकिन आपने जो कागज पर था, उसे जीवन में भी उतारा, जमीन पर भी उतारा और लोगों के मन-मस्तिष्क को भी आपने विश्वास दिलाया और उसके कारण, आपके इस initiative के कारण और सारे समझौते के रास्ते खुले थे और इसलिए एक प्रकार से पूरे Northeast में आपने शांति की ज्योत प्रज्ज्वलित की है दोस्तों।

साथियों,

इन समझौतों की वजह से सिर्फ असम में ही, ये आंकड़ा मैं फिर कहूंगा दिल्‍ली में बैठे-बैठे महारथियों को पता नहीं होगा। सिर्फ असम में ही, 10 हजार से ज्यादा युवाओं ने हथियार छोड़ा, हिंसा का रास्ता छोड़ा है, ये विकास की मुख्यधारा में वापस लौटे हैं। किसी ने कल्पना नहीं की थी कि कार्बी एंगलोंग समझौता, ब्रू-रियांग समझौता, NLFT-त्रिपुरा समझौता, ये सारी बातें एक दिन सच्चाई बन जाएगा। और ये आप सबके सहयोग के कारण ये सब संभव हुआ है साथियों और इसलिए एक प्रकार से मैं आज पूरा देश जब जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है तब, जब आज भगवान बिरसा मुंडा की जयंती है तब, मैं आज यहां पर आप सबको Thank You कहने के लिए आया हूं। धन्यवाद कहने के लिए आया हूं। आपके परिवारजनों को प्रणाम करने के लिए आया हूं। शायद जो सपना संजोया हो, उसको अपनी आंखों के सामने चरितार्थ होकर के देखते हैं, तब हृदय… हृदय भावनाओं से भर जाता है दोस्‍तों और इसलिए मैं आपका जितना धन्यवाद करूं उतना कम है और मैं देश के नौजवानों से कहता हूं, आज भी नक्सलवाद के रास्ते पर जो नौजवान हैं, मैं उनको कहता हूं कि मेरे बोडो साथियों से कुछ सीखिए, बंदूक को छोड़िए, बम-बंदूक-पिस्तौल का रास्ता कभी भी परिणाम नहीं लाता है। परिणाम बोडो ने जो दिखाया ना, वो ही रास्ता लाता है।

साथियों,

विश्वास की जिस पूंजी को लेकर मैं आपके पास आया था, आप सबने मेरे उस विश्वास का मान रखा, मेरे शब्द की इज्जत की और मेरे शब्द की आपने इतनी ताकत बढ़ा दी है कि वो सदियों तक पत्थर की लकीर बन गया है दोस्तों और मैं भी, हमारी सरकार, असम सरकार, आपके विकास में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।

साथियों,

केंद्र और असम की सरकार बोडो टेरिटोरियल रीजन में बोडो समुदाय की जरूरतों और उसकी आकांक्षाओं को प्राथमिकता दे रही है। बोडोलैंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज दिया है। असम सरकार ने भी स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज दिया है। बोडोलैंड में शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कृति से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए 700 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। हमने हिंसा छोड़ मुख्यधारा में लौटे लोगों के प्रति पूरी संवेदनशीलता से निर्णय लिए हैं। नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 4 हजार से ज्यादा पूर्व कैडर्स का पुनर्वास किया गया है। कितने ही युवाओं को असम पुलिस में नौकरी दी गई है। बोडो संघर्ष से प्रभावित प्रत्येक परिवार को असम सरकार ने 5 लाख रुपए की मदद भी पहुंचाई है। आपको जानकर खुशी होगी कि बोडोलैंड के विकास के लिए असम सरकार हर साल 800 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है।

साथियों,

किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी है कि वहां के युवाओं को, वहां की महिलाओं का स्किल डेवलपमेंट भी हो और उन्हें अपना काम करने के भी पूरे मौके मिलें। जब हिंसा रुकी तो बोडोलैंड में विकास का वट वृक्ष लगाना बहुत जरूरी था। और यही भावना, SEED (सीड) मिशन का आधार बनी। SEED मिशन यानी Skilling, Entrepreneurship और Employment Development के माध्यम से नौजवानों का कल्याण, इसका बहुत बड़ा फायदा बोडो युवाओं को हो रहा है।

साथियों,

मुझे खुशी है कि कुछ साल पहले जो युवा बंदूक थामे हुए थे, अब वो स्पोर्ट्स के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। कोकराझार में डूरंड कप के दो एडिशन होना, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान की टीमों का आना, अपने आप में ऐतिहासिक है। इस शांति समझौते के बाद पिछले तीन साल से कोकराझार में लगातार बोडोलैंड लिटरेरी फेस्टिवल भी हो रहा है। और इसलिए मैं साहित्य परिषद का तो विशेष आभारी हूं। ये बोडो साहित्य की बहुत बड़ी सेवा का काम हुआ है। आज ही बोडो साहित्य सभा का 73वां स्थापना दिवस भी है। ये बोडो लिटरेचर और बोडो भाषा के उत्सव का दिन भी है। मुझे बताया गया है, कल 16 नवंबर को एक कल्चरल रैली भी निकाली जाएगी। इसके लिए भी आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। और साथियों, जब दिल्‍ली देखेगा ना ये, तब पूरे देश को देखने का अवसर आएगा। तो अच्‍छा किया है, आपने दिल्‍ली की छाती पर आ करके शांति के गीत गाने का तय किया है।

साथियों,

अभी मैं यहां exhibition में भी गया था। इस exhibition में हमें समृद्ध बोडो आर्ट एंड क्राफ्ट, इसके दर्शन होते हैं। यहां आरोनाये, दोखोना, गामसा, करै-दक्खिनी, थोरखा, जौ गिशी, खाम, ऐसी अनेक चीजें वहां उपलब्‍ध हैं और ये ऐसे प्रोडक्ट हैं, जिनको GI टैग मिला है। यानि दुनिया में ये प्रोडक्ट कहीं भी जाएं, इनकी पहचान बोडोलैंड से, बोडो संस्कृति से ही जुड़ी रहेगी। और सेरीकल्चर तो हमेशा से बोडो संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है। इसलिए हमारी सरकार, बोडोलैंड सेरीकल्चर मिशन चला रही है। हर बोडो परिवार में बुनाई की भी परंपरा रही है। बोडोलैंड हैंडलूम मिशन के माध्यम से भी बोडो समुदाय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है।

साथियों,

असम भारत के टूरिज्म सेक्टर की भी बहुत बड़ी ताकत है। और हमारा बोडोलैंड, जैसे असम भारत के टूरिज्म की ताकत है। वैसे असम की टूरिज्‍म की ताकत कोई है, तो वो बोडोलैंड है। एक समय था जब मानस नेशनल पार्क, राईमोना नेशनल पार्क और सिखना झलाओ नेशनल पार्क, इनके घने जंगल अन्य गतिविधियों का ठिकाना बन गए थे। मुझे खुशी है कि जो फॉरेस्ट कभी हाइड-आउट हुआ करते थे, वो अब युवाओं की हाई एंबीशन को पूरा करने का भी माध्यम बन रहे हैं। बोडोलैंड में बढ़ने वाला टूरिज्म, यहां के युवाओं के लिए रोजगार के भी अनेकों नए मौके बनाने वाला है।

साथियों,

आज जब हम ये महोत्सव मना रहे हैं, तो हमें बोडोफा उपेन्द्र नाथ ब्रह्मा और गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा का स्मरण आना बहुत स्वाभाविक है। बोडोफा ने भारत की अखंडता और बोडो लोगों के संवैधानिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके को हमेशा आगे रखा। गुरुदेव कालीचरण ब्रह्मा ने समाज को अहिंसा और अध्यात्म के रास्ते पर चलकर एकजुट किया। आज मुझे इस बात का संतोष है कि बोडो माताओं-बहनों की आंखों में आंसू नहीं बल्कि उज्ज्वल भविष्य का सपना है। हर बोडो परिवार के मन में अब अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने की आकांक्षा है। उनके सामने, सफल बोडो लोगों की प्रेरणा है। बोडो समुदाय के कई लोगों ने विशिष्ट पदों पर रहकर देश की सेवा की है। हमारे देश में मुख्य चुनाव आयुक्त Election Commission रहे श्री हरिशंकर ब्रह्मा, मेघालय के राज्यपाल रहे रंजीत शेखर मूशाहरी जैसी कई हस्तियों ने बोडो समुदाय का मान बढ़ाया है। मुझे खुशी है कि बोडोलैंड के युवा अच्छा करियर बनाने के सपने देख रहे हैं। और इन सब में हमारी सरकार, चाहे वो केंद्र में हो या राज्य में, हर बोडो परिवार की साथी बनकर उनके साथ खड़ी है।

साथियों,

मेरे लिए असम सहित पूरा नॉर्थ ईस्ट, भारत की अष्टलक्ष्मी है। अब विकास का सूरज पूर्व से उगेगा, पूर्वी भारत से उगेगा, जो विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा देगा। इसलिए हम नॉर्थ ईस्ट में स्थायी शांति के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के बीच के सीमा-विवादों का सौहार्द के साथ समाधान खोज रहे हैं।

साथियों,

बीते दशक में असम के विकास का, नॉर्थ ईस्ट के विकास का सुनहरा दौर शुरू हुआ है। भाजपा-NDA सरकार की नीतियों के कारण, 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इनमें असम के भी लाखों साथियों ने गरीबी से मुक्ति पाने के लिए गरीबी के साथ संघर्ष करते हुए गरीबी को पराजित किया है। भाजपा-NDA की सरकार के दौरान, असम विकास के नए रिकॉर्ड बना रहा है। हमारी सरकार ने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष फोकस किया है। बीते डेढ़ साल में असम को 4 बड़े अस्पताल की सौगात मिली है। गुवाहाटी एम्स और कोकराझार, नालबारी, नागांव मेडिकल कॉलेज की सुविधा से सबकी मुश्किलें कम हुई हैं। असम में कैंसर अस्पताल खुलने से नॉर्थ ईस्ट के मरीजों को बड़ी राहत मिली है। 2014 से पहले असम में 6 मेडिकल कॉलेज थे, आज इनकी संख्या 12 हो गई है। इसके अलावा 12 और नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। असम में बढ़ते ये मेडिकल कॉलेज अब युवाओं के लिए अवसरों के नए द्वार खोल रहे हैं।

साथियों,

बोडो शांति समझौते ने जो रास्ता दिखाया है, वो पूरे नॉर्थ ईस्ट की समृद्धि का रास्ता है। मैं बोडो भूमि को सैकड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति का समृद्ध बसेरा मानता हूं। इस संस्कृति को, बोडो संस्कारों को, हमें निरंतर सशक्त करना है। और साथियों, एक बार फिर मैं आप सभी को बोडोलैंड फेस्टिवल की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ। आप सभी यहां इतनी विशाल संख्या में आए, आप सभी का दिल्‍ली में मुझे भी स्वागत करने का अवसर मिला, मैं आपका हृदय से स्वागत करता हूं। और साथियों, आप सबने मेरे प्रति जो अपनापन रखा है, जो प्यार दिया है, आपकी आंखों में मैं जो सपनों देखता हूं ना, बोडो के मेरे सभी भाई-बहन मुझ पर विश्वास करना, मैं आपकी आशा-आकांक्षाओं को उस पर खरा उतरने के लिए मेहनत करने में कोई कमी नहीं रखूंगा।

साथियों,

और उसका सबसे बड़ा कारण ये है आप लोगों ने मुझे जीत लिया है। और इसलिए मैं हमेशा-हमेशा आपका हूं, आपके लिए हूं और आपके कारण हूं। मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं! बहुत-बहुत धन्यवाद!

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए-

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।