राज्यसभा के सदस्यों से नारीशक्ति वंदन अधिनियम का सर्वसम्मति से समर्थन करने का आग्रह किया
"नई संसद सिर्फ एक नया भवन ही नहीं बल्कि एक नये शुभारंभ का प्रतीक भी है"
“राज्यसभा की चर्चाएं हमेशा कई महान लोगों के योगदान से समृद्ध होती रही हैं। यह प्रतिष्ठित सदन भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा का समावेश करेगा”
"सहकारी संघवाद ने कई महत्वपूर्ण मामलों पर अपनी शक्ति प्रदर्शित की है"
"जब हम नए संसद भवन में आजादी की शताब्दी मनाएंगे, तो यह विकसित भारत की स्वर्ण शताब्दी होगी"
“महिलाओं की क्षमता को अवसर मिलना चाहिए, उनके जीवन में 'किंतु-परंतु' का समय समाप्त हो गया है''
"जब हम जीवन की सहजता की बात करते हैं तो उस सहजता पर पहला हक़ महिलाओं का होता है"


आदरणीय सभापति जी,

हम सबके लिए आज क ये दिवस यादगार भी है, ऐतिहासिक भी है। इससे पहले मुझे लोकसभा में भी अपनी भावना को व्यक्त करने का अवसर मिला था। अब राज्य सभा में भी आज आपने मुझे अवसर दिया है, मैं आपका आभारी हूं।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे संविधान में राज्य सभा की परिकल्पना उच्च सदन के रूप में की गई है। संविधान निर्माताओं का ये आश्य रहा है कि ये सदन राजनीति की आपाधापी से ऊपर उठकर के गंभीर, बौद्धिक विचार विमर्श का केंद्र बने और देश को दिशा देने का सामर्थ्य यहीं से निकले। ये स्वाभाविक देश की अपेक्षा भी है और लोकतंत्र की समृद्धि में ये योगदान भी उस समृद्धि को अधिक मूल्यवृद्धि कर सकता है।

आदरणीय सभापति जी,

इस सदन मे अनेक महापुरूष रहे हैं। मैं सब का उल्लेख तो न कर पाऊं लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जीको, गोविंद वल्लभ पंत साहब हों, लालकृष्ण आडवाणी जी हो, प्रनब मुखर्जी साहब हों, अरूण जेटली जी हों, ऐसे अनगिनत विद्वान, सृष्टिजन और सार्वजनिक जीवन में वर्षों तक तप्यसा किए हुए लोगो ने इस सदन को सुशोभित किया है, देश का मार्गदर्शन किया है। ऐसे कितने ही सदस्य जिन्होंने एक प्रकार से व्यक्ति स्वयं में एक संस्था की तरह, एक independent think tank के रूप में अपना सामर्थ्य देश को उसका लाभ देने वाले लोग भी हमें रहे हैं। संसदी इतिहास के शुरूआती दिनों में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी ने राज्य सभा के महत्व पर कहा था कि parliament is not only a legislative but a deliberative body. राज्य सभा से देश की जनता की अनेक ऊंची अपेक्षाएं हैं, सर्वोत्तम अपेक्षाएं हैं और इसलिए माननीय सदस्यों के बीच गंभीर विषयों की चर्चा और उसे सुनना ये भी एक बहुत बड़ा सुखद अवसर होता है। नया संसद भवन एक सिर्फ नयी बिल्डिंग नहीं है लेकिन ये एक नयी शुरूआत का प्रतीक भी है। हम व्यक्तिगत जीवन में भी देखते हैं। जब किसी भी नयी चीज के साथ हमारा जुड़ाव आता है तो मन पहला करता है कि अब एक नये वातावरण का मैं optimum utilisation करूंगा, उसका सर्वाधिक सकारात्मक वातावरण में मैं काम करूंगा ऐसा स्वभाव होता है।और अमृतकाल की शुरूआत में ही इस भवन का निर्माण होना और इस भवन में हम सबका प्रवेश होना ये अपने आप में, हमारे देश के 104 करोड़ नागरिकों की जो आशा–आकांक्षाएं हैं उसमें एक नई ऊर्जा भरने वाला बनेगा। नयी आशा और नया विश्वास पैदा करने वाला बनेगा।

आदरणीय सभापति जी,

हमें तय समय सीमा में लक्ष्यों को हासिल करना है। क्योंकि देश, जैसा मैंने पहले भी कहा था, ज्यादा प्रतिक्षा नहीं कर सकता है। एक कालखंड था जब सामान्य मन को लगता था कि ठीक है हमारे मां-बाप भी ऐसे गुजारा किया, हम भी कर लेंगे, हमारे नसीब में ये था हम जी लेंगे। आज समाज जीवन की और खासकर के नयी पीढ़ी की सोच वो नहीं है और इसलिए हमें भी नई सोच के साथ नई शैली के साथ सामान्य मानवीय की आशा–आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हमारे कार्य का व्याप्त भी बढ़ाना पड़ेगा, हमारी सोचने की जो सीमाएं हैं उससे भी हमें आगे बढ़ना पड़ेगा और हमारी क्षमता जितनी बढ़ेगी उतना ही देश की क्षमता बढ़ाने में हमारा योगदान भी बढ़ेगा।

आदरणीय सभापति जी,

मानता हूं कि इस नए भवन में, ये उच्च सदन में हम अपने आचरण से, अपने व्यवहार से संसदीय सूचिता के प्रतीक रूप में देश की विधानसभाओं को , देश की स्थानीय स्वराज्य की संस्थाओं को बाकी सारी व्यवस्था को प्रेरणा दे सकते हैं और मैं समझता हूं कि ये स्थान ऐसा है कि जिसमें ये सामर्थ्य सबसे अधिक है और इसका लाभ देश को मिलना चाहिए, देश के जनप्रतिनिधि को मिलना चाहिए, चाहे वो ग्राम प्रधान के रूप में चुना गया हो, चाहे वो संसद में आया हो और ये परंपरा यहां से हम कैसे आगे बढ़ाएं।

आदरणीय सभापति जी,

पिछले 9 वर्ष से आप सबके साथ से, सहयोग से देश की सेवा करने का हमें मौका मिला। कई बड़े निर्णय करने के अवसर आए और बड़े महत्वपूर्ण निर्णयों पर फैसले भी हुए और कई तो फैसले ऐसे थे जो दशकों से लटके हुए थे। उन फैसलों को भी और ऐसे निर्णय, ऐसी बातें थीं जिसको बहुत कठिन माना जाता था, मुश्किल माना जाता था और राजनीतिक दृष्टि से तो उसको स्पर्श करना भी बहुत ही गलत माना जाता था। लेकिन इन सब के बावजूद भी हमने उस दिशा में कुछ हिम्मत दिखाई। राज्य सभा में हमारे पास उतनी संख्या नहीं थी लेकिन हमें एक विश्वास था कि राज्य सभा दलगत सोच से ऊपर उठकर के देश हित में जरूर अपने फैसलें लेगी। और मैं आज मेरे संतोष के साथ कह सकता हूं कि उदार सोच के परिणाम हमारे पास संख्याबल कम होने के बावजूद भी आप सभी माननीय सांसदों की maturity के कारण, समझ के कारण, राष्ट्रहित के प्रति अपनी जिम्मेदारी के कारण, आप सब के सहयोग से हम कई ऐसे कठिन निर्णय भी कर पाए और राज्य सभा की गरिमा को ऊपर उठाने का काम सदस्य संख्या के बल पर नहीं, समझदारी के सामर्थ्य पर आगे बढ़ा। इससे बड़ा संतोष क्या हो सकता है? और इसलिए मैं सदन के सभी माननीय सांसदों का जो आज हैं, जो इसके पहले थे उन सबका धन्यवाद करता हूं।

आदरणीय सभापति जी,

लोकतंत्र में कौन शासन में आएगा, कौन नहीं आएगा, कौन कब आएगा, ये क्रम चलता रहता है। वो बहुत स्वाभाविक भी हैं और वो लोकतंत्र की स्वाभाविक उसकी प्रकृति और प्रवृत्ति भी है। लेकिन जब भी विषय देश के लिए सामने आए हम सबने मिलकर के राजनीति से ऊपर उठकर के देश के हितों को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करने का प्रयास किया है।

आदरणीय सभापति जी,

राज्य सभा एक प्रकार से राज्यों का भी प्रतिनिधित्व करती है। एक प्रकार से cooperative federalism और जब अब competitive cooperative federalism की ओर बल दे रहे हैं तब हम देख रहे हैं कि एक अत्यंत सहयोग के साथ अनेक ऐसे मसले रहे हैं, देश आगे बढ़ा है। Covid का संकट बहुत बड़ा था। दुनिया ने भी परेशानी झेली है हम लोगों ने भी झेली है। लेकिन हमारे federalism की ताकत थी की केंद्र और राज्यों ने मिलकर के, जिससे जो बन पड़ता है, देश को बहुत बड़े संकट से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया और ये हमारे cooperative federalism की ताकत को बल देता है। हमारे federal structure की ताकतों से अनेक संकटों का सामना किया है। और हमनें सिर्फ संकटों के समय नहीं, उत्सव के समय भी दुनिया के सामने भारत की उस ताकत को पेश किया है जिससे दुनिया प्रभावित हुई है। भारत की विविधता, भारत के इतने राजनीतिक दल, भारत में इतने media houses, भारत के इतने रहन-सहन, बोलियां ये सारी चीजें G-20 समिट में, राज्यों में जो Summit हुई क्योंकि दिल्ली में तो बहुत देर से आई। लेकिन उसके पहले देश के 60 शहरों में 220 से ज्यादा समिट होना और हर राज्य में बढ़-चढ़कर के, बड़े उत्साह के साथ विश्व को प्रभावित करे इस प्रकार से मेहमानवाजी भी की और जो deliberations हुए उसने तो दुनिया को दिशा देने का सामर्थ्य दिखाया है। और ये हमारे federalism की ताकत है और उसी federalism के कारण और उसी Cooperative federalism के कारण आज हम यहां प्रगति कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

इस नए सदन में भी, नई इस हमारी Parliament building में भी, उस federalism का एक अंश जरूर नजर आता है। क्योंकि जब बनता था तो राज्यों से प्रार्थना की गई थी कि कई बातें ऐसी हैं जिसमें हमें राज्यों की कोई न कोई याद यहां चाहिए। लगना चाहिए कि ये भारत के सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है और यहां कई प्रकार की ऐसी कलाकृतियां, कई चित्र पूरे हमारे दीवारों की शोभा बढ़ा रहे हैं। वो राज्यों ने पसंद करके अपने यहां राज्य की श्रेष्ठ चीज भेजी है। यानि एक प्रकार से यहां के वातावरण में भी राज्य भी हैं, राज्यों की विवधता भी है और federalism की सुगंध भी है।

आदरणीय सभापति जी,

Technology ने जीवन को बहुत तेजी से प्रभावित किया है। पहले जो टेक्नोलॉजी में बदलाव आते-आते 50-50 साल लग जाते थे वो आजकल कुछ हफ्तों में आ जाते हैं। आधुनिकता, अनिवार्यता बन गई है और आधुनिकता को मैच करने के लिए हमने अपने आप को भी निरंतर dynamic रूप से आगे बढ़ाना ही पड़ेगा जब जाकर के उस आधुनिकता के साथ हम कदम से कदम मिलाकर के आगे बढ़ सकते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

पुराने भवन में हमने जिसको अभी आपने संविधान सदन के रूप में कहा हमने वहां कभी आज़ादी का अमृत महोत्सव बड़े आन-बान-शान के साथ मनाया, 75 साल की हमारी यात्रा की तरफ हमने देखा भी और नई दिशा, नया संकल्प करने का प्रयास भी शुरू किया है लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि नए संसद भवन में आजादी की जब हम शताब्दी मनाएंगे वो स्वर्ण शताब्दी विकसित भारत की होगी, developed India की होगी मुझे पूरा विश्वास है। पुराने भवन में हम 5वीं अर्थव्यवस्था तक पहुंचे थे, मुझे विश्वास है कि नई संसद भवन में हम दुनिया की top 3 economy बनेंगे, स्थान प्राप्त करेंगे। पुराने संसद भवन में गरीब कल्याण के अनेक initiative हुए, अनेक काम हुए नए संसद भवन में हम अब शत-प्रतिशत saturation जिसका हक उसको पुन: मिले।

आदरणीय सभापति जी,

इस नए सदन की दीवारों के साथ-साथ हमें भी अब टेक्नोलॉजी के साथ अपने आप को अब adjust करना पड़ेगा क्योंकि अब सारी चीजें हमारे सामने I-Pad पर है। मैं तो प्रार्थना करूंगा कि बहुत से माननीय सदस्यों को अगर कल कुछ समय निकालकर के उनको अगर परिचित करा दिया जाए टेक्नोलॉजी से तो उनकी सुविधा रहेगी, वहां बैठेगें, अपनी स्क्रीन भी देखेंगे, ये स्क्रीन भी देखेंगे तो हो सकता है कि उनको कठिनाई ना आए क्योंकि आज मैं अभी लोक सभा में था तो कई साथियों को इन चीजों को operate करने में दिक्कत हो रही थी। तो ये हम सबका दायित्व है कि हम उसमें सबकी मदद करें तो कल कुछ समय निकालकर के अगर ये हो सकता है तो अच्छा होगा।

आदरणीय सभापति जी,

ये डिजिटल का युग है। हमने इस सदन से भी उस चीजों से आदतन हमारा हिस्सा बनाना ही होगा। शुरू में थोड़ा दिन लगता है लेकिन अब तो बहुत सी चीजें user-friendly होती हैं बड़े आराम से इन चीजों को adopt किया जा सकता है। अब इसको करें। Make in India एक प्रकार से globally game changer के रूप में हमने इसका भरपूर फायदा उठाया है और मैंने कहा वैसे नई सोच, नया उत्साह, नया उमंग, नई ऊर्जा के साथ हम आगे बढ़कर के कर सकते हैं।

आदरणीय सभापति जी,

आज नया संसद भवन देश के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले का साक्षी बन रहा है। अभी Parliament लोक सभा में एक bill प्रस्तुत किया गया है। वहां पर चर्चा होने के बाद यहां भी आएगा। नारी शक्ति के सशक्तिकरण की दिशा में जो पिछले अनेक वर्षों से महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं उसमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम आज हम सब मिलकर के उठाने जा रहे हैं। सरकार का प्रयास रहा East of Living का Quality of Life का और Ease of Living और Quality of Life की बात करते है तो उसकी पहली हकदार हमारी बहनें होती हैं, हमारी नारी होती हैं क्योंकि उसी को सब चीजें झेलनी है। और इसलिए हमारा प्रयास रहा है और राष्ट्रनिर्माण में उनकी भूमिका बहे ये भी हमारी उतनी ही जिम्मेदारी है। अनेक नए-नए sectors है जिसमें महिलाओं की शक्ति, महिलाओं की भागीदारी निरंतर सुनिश्चित की जा रही हैं। Mining में बहने काम कर सकें ये निर्णय है, हमारे ही सांसदों की मदद से हुआ। हमने सभी स्कूलों को बेटियों के लिए दरवाजे खोल दिए क्योंकि बेटियों में जो सामर्थ्य है। उस सामर्थ्य को अब अवसर मिलना चाहिए उनके जीवन में Ifs and buts का युग खत्म हो चुका है। हम जितनी सुविधा देंगे उतना सामर्थ्य हमारी मात्र शक्ति हमारी बेटियां, हमारी बहनें दिखाएंगी। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का अभियान वो कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है समाज के इसे अपना बनाया है और बेटियों की मान-सम्मान की दिशा में, समाज में एक भाव पैदा हुआ है। मुद्रा योजना हो, जनधन योजना हो महिलाओं ने बढ़ चढ़कर के इसका लाभ उठाया है। Financial inclusion के अंदर आज भारत में महिलाओं का सक्रिय योगदान नजर आ रहा है, ये अपने आप में, मैं समझता हूं उनके परिवार के जीवन में भी उनके सामर्थ्य को प्रकट करता है। जो सामर्थ्य अब राष्ट्र जीवन में भी प्रकट होने का वक्त आ चुका है। हमारी कोशिश रही है कि हमारी माताओं, बहनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उज्जवला योजना, हमें मालूम है गैस सिलेंडर के लिए पहले एमपी के घर के चक्कर काटने पड़ते थे। गरीब परिवारों तक उसको पहुंचाना मैं जानता हूं बहुत बड़ा आर्थिक बोझ है लेकिन महिलाओं के जीवन को ध्यान में रखते हुए उस काम को किया। महिलाओं के सम्मान के लिए ट्रिपल तलाक लंबे अरसे से राजनीतिक कोशिशे, राजनीतिक लाभालाभ का शिकार हो चुका था। इतना बड़ा मानवीय निर्णय लेकिन हम सभी माननीय सांसदों की मदद से उसको कर पाया। नारी सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाने का काम भी हम सब कर पाए हैं। Women-led development G-20 की सबसे बड़ी चर्चा का विषय रहा और दुनिया के कई देश हैं जिनके लिए Women-led development विषय थोड़ा सा नया सा अनुभव होता था और जब उनकी चर्चा में सुर आते थे, कुछ अलग से सुर सुनने को मिलते थे। लेकिन G-20 के declaration में सबने मिलकर के Women- led development के विषय को अब भारत से दुनिया की तरफ पहुंचा है ये हम सबके लिए गर्व की बात है।

आदरणीय सभापति जी,

इसी background में लंबे अरसे से विधान सभा और लोक सभा में सीधे चुनाव में बहनों की भागीदारी सुनिश्चित करने का विषय और ये बहुत समय से आरक्षण की चर्चा चली थी, हर किसी ने कुछ न कुछ प्रयास किया है लेकिन और ये 1996 से इसकी शुरूआत हुई है और अटल जी के समय तो कई बार बिल लाए गए। लेकिन नंबर कम पड़ते थे उस उग्र विरोध का भी वातावरण रहता था, एक महत्वपूर्ण काम करने में काफी असुविधा होती थी। लेकिन जब नए सदन में आए हैं। नया होने का एक उमंग भी होता है तो मुझे विश्वास है कि ये जो लंबे अरसे से चर्चा में रहा विषय है अब इसको हमने कानून बनाकर के हमारे देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति की भागीदारी सुनिश्चित करने का समय आ चुका है। और इसलिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम संविधान संशोधन के रूप में लाने का सरकार का विचार है जिसको आज लोकसभा में रखा गया है, कल लोकसभा में इसकी चर्चा होगी और इसके बाद राज्यसभा में भी आएगा। मैं आज आप सबसे प्रार्थना करता हूं कि एक ऐसा विषय है जिसको अगर हम सर्वसम्मती से आगे बढ़ाएंगे तो साथ अर्थ में वो शक्ति अनेक गुना बढ़ जाएगी। और जब भी हम सबके सामने आए तब मैं राज्य सभा के सभी मेरे माननीय सांसद साथियों से आज आग्रह करने आया हूं कि हम सर्वसम्मती से जब भी उसकी निर्णय करने का अवसर आए, आने वाले एक-दो दिन में आप सबके सहयोग के अपेक्षा साथ मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM chairs 47th Annual General Meeting of Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society in New Delhi
June 23, 2025
PM puts forward a visionary concept of a “Museum Map of India”
PM suggests development of a comprehensive national database of all museums in the country
A compilation of all legal battles relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency: PM
PM plants a Kapur (Cinnamomum camphora) tree at Teen Murti House symbolizing growth, heritage, and sustainability

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 47th Annual General Meeting of the Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society at Teen Murti Bhawan in New Delhi, earlier today.

During the meeting, Prime Minister emphasised that museums hold immense significance across the world and have the power to make us experience history. He underlined the need to make continuous efforts to generate public interest in museums and to enhance their prestige in society.

Prime Minister put forward a visionary concept of a “Museum Map of India”, aimed at providing a unified cultural and informational landscape of museums across the country.

Underlining the importance of increased use of technology, Prime Minister suggested development of a comprehensive national database of all museums in the country, incorporating key metrics such as footfall and quality standards. He also suggested organising regular workshops for those managing and operating museums, with a focus on capacity building and knowledge sharing.

Prime Minister highlighted the need for fresh initiatives, such as creation of a committee consisting of five persons from each State below the age of 35 years in order to bring out fresh ideas and perspectives on museums in the country.

Prime Minister also highlighted that with the creation of museum on all Prime Ministers, justice has been done to their legacy, including that of the first Prime Minister of India Shri Jawaharlal Nehru. This was not the case before 2014.

Prime Minister also asked for engaging top influencers to visit the museums and also invite the officials of various embassies to Indian museums to increase the awareness about the rich heritage preserved in Indian Museums.

Prime Minister advised that a compilation of all the legal battles and documents relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency.

Prime Minister highlighted the importance of preserving and documenting the present in a systematic manner. He noted that by strengthening our current systems and records, we can ensure that future generations and researchers in particular will be able to study and understand this period without difficulty.

Other Members of the PMML Society also shared their suggestions and insights for further enhancement of the Museum and Library.

Prime Minister also planted a Kapur (Cinnamomum camphora) tree in the lawns of Teen Murti House, symbolizing growth, heritage, and sustainability.