'भारत एक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है, यह धारणा दुनियाभर में गहरी हो रही है'
'नीति एक शुरुआत होती है, नीति और प्रदर्शन से प्रगति सुनिश्चित होती है'
'राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति अचानक नहीं बनी है, इसके पीछे 8 साल की कड़ी मेहनत है'
'हम सभी को 13-14 प्रतिशत के लॉजिस्टिक्स खर्च को जल्द से जल्द एकल अंक में लाने का लक्ष्य रखना चाहिए'
'यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म- यूलिप, परिवहन क्षेत्र से संबंधित सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही पोर्टल पर लाएगा'
'गतिशक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति एक साथ अब देश को नई कार्य संस्कृति की ओर ले जा रही है'
'भारत, जो विकसित होने के दृढ़-संकल्प है, को अब विकसित देशों के साथ ज्यादा प्रतिस्पर्धा करनी है, इसलिए सब कुछ प्रतिस्पर्धी होना चाहिए'
'राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति में बुनियादी ढांचे के विकास, कारोबार में विस्तार और रोजगार के अवसरों में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं'

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी साथी, देश के लॉजिस्टिक्स और उद्योग जगत के प्रतिनिधिगण, अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

आज़ादी के अमृतकाल में आज देश ने विकसित भारत के निर्माण की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत में Last Mile Delivery तेजी से हो, ट्रांसपोर्ट से जुड़ी चुनौतियां समाप्त हो, हमारे मैन्यूफैक्चर्स का, हमारे उद्योगों का समय और पैसा दोनों बचे, उसी प्रकार से हमारा जो एग्रो प्रोडक्ट है। विलम्ब के कारण उसकी जो बर्बादी होती है। उससे हम कैसे मुक्ति प्राप्त करें? इन सारे विषयों का समाधान खोजने का एक निरंतर प्रयास चला है और उसी का एक स्वरूप है आज नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी, और मुझे पक्का विश्वास है कि हमारी इन सारी व्यवस्थाओं में सुधार के लिए और इस क्षेत्र में काम करने वाली सरकार की अलग-अलग इकाईयों के बीच में भी एक समन्वय स्थापित होगा। हॉलिस्टिक एप्रोच रहेगा। और उसका परिणाम हम जो गति चाहते हैं, उस गति को मिलेगा। और मेरा आप सबसे आग्रह है मुझे यहां आने में जो 5-7 मिनट देर हुई उसका कारण था। यहां एक छोटी सी प्रदर्शनी लगी है। समय अभाव से मैं बहुत बारीकी से तो देख नहीं पाया, लेकिन सरसरी नजर से मैं देख रहा था। मेरा आप सबसे आग्रह है कि समय निकालकर के 15-20 मिनट इसी कैंपस में है- जरूर देखकर के जाइये। किस प्रकार से टेक्नालॉजी इस क्षेत्र में रोल कर रही है? स्पेस टेक्नॉलाजी का हम लोग कैसे उपयोग कर रहे हैं? और एक साथ सारी चीजों को देखेंगे तो आप इस क्षेत्र में होंगे तो भी शायद आपको बहुत सी नई चीजें प्राप्त होगी। आज हम दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। क्यों आपको खुशी नहीं है? देर आए दुरुस्त आए। होता है कभी भी। क्योंकि चारो तरफ इतनी negativity का भरमार होता है कि उसमें कभी-कभी अच्छाईयों को ढूंढने में बड़ा टाइम लगता है, और देश बदल रहा है जी। एक समय था हम कबूतर छोड़ते थे। आज चीता छोड़ते हैं। ऐसे ही थोड़ा न होता है। लेकिन आज प्रात: चीता छोड़ना, शाम को लॉजिस्टिक पॉलिसी को कोई मेल तो है ये। क्योंकि हम भी चाहते हैं कि luggage एक जगह से दूसरी जगह पर चीते की स्पीड से जाए। देश उसी तेज गति से आगे बढ़ना चाहता है।

साथियों,

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर होते भारत की गूंज सिर्फ भारत में नहीं बाहर भी सुनाई देती है। आज भारत एक्सपोर्ट के बड़े लक्ष्य तय कर रहा है, पहले तो ये तय करना ही बड़ा कठिन रहता है। इतना बड़ा, पहले तो इतना था, अब एकदम ऐसा। लेकिन एक बार तय हो जाए तो देश कर भी देता है। उन लक्ष्यों को पूरा कर रहा है देश आज। भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का सामर्थ्य एक प्रकार से भारत मैनयूफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। ये दुनिया के मन में स्थिर हो रहा है। इसकी स्वीकृति बन गई है। जो लोग पीएलआई स्कीम का अध्ययन करेंगे, उनको पता चलेगा विश्व ने इसको स्वीकार कर लिया है जी। ऐसे में नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी, हर क्षेत्र के लिए बहुत ही नई ऊर्जा लेकर के आई है। मैं सभी स्टेकहोल्डर्स को, व्यापारियों को, कारोबारियों को, निर्यातकों को, देश के किसानों को ,मैं आज इस महत्वपूर्ण initiative के लिए जो उनके लिए एक बहुत बड़ा एक प्रकार से जड़ी-बूटी उनके हाथ लगने वाली है। इसके लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

यहां इस कार्यक्रम में अनेक पॉलिसी मेकर्स, उद्योग जगत के सारे बड़े-बड़े दिग्गज हैं, जो इस क्षेत्र में रोजमर्रा की उनकी जिंदगी है। कठिनाईयों को उन्होंने झेला हुआ है, रास्ते खोजे हुए हैं। कभी शार्टकट भी खोजे होंगे, लेकिन किए हैं। आप सभी जानते हैं और जो कल कुछ लोग लिखेंगे, उसको मैं आज कह देता हूं। पॉलिसी अपने आप में परिणाम नहीं होती है, पॉलिसी प्रारंभ होती है, और Policy + Performance=Progress. यानि पॉलिसी के साथ परफारमेंस के पेरामीटर हो, परफारमेंस का रोडमेप हो, परफारमेंस के लिए टाइमलाइन हो। ये जब जुड़ जाती है। तो Policy + Performance=Progress. और इसलिए आप पॉलिसी के बाद सरकार की और इस क्षेत्र से जुड़े हुए सभी दिग्गजों की परफारमेंस की जिम्मेदारी अनेक गुणा बढ़ जाती है। अगर पॉलिसी नहीं है तो कहता है नहीं-नहीं पहले से तो बहुत अच्छा है। पॉलिसी है तो पता चलता है कि नहीं वहां जाना था भाई तुम तो यहां रूके हो। ऐसे जाना था तुम तो ऐसे ही चले गए। पॉलिसी एक प्रकार से driving force के रूप में काम करती है। Guiding force के रूप में भी काम करती है। और इसलिए इस पॉलिसी को सिर्फ एक कागज या दस्तावेज के रूप में न देखा जाए। हमें जिस चीते की गति से पूरब से पश्चिम तक माल ले जाना है। उस गति को हमने पकड़ना है जी। आज का भारत कोई भी पॉलिसी बनाने से पहले, उसे लागू करने से पहले, उसके लिए एक Ground तैयार करता है, और तभी वो पॉलिसी सफलता से Implement हो पाती है, और तब जाकर के Progress की संभावनाएं बनती है। नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी भी अचानक एक दिन ऐसे ही लॉन्च नहीं की जा रही है। इसके पीछे आठ वर्षों की मेहनत है, नीतिगत बदलाव हैं, अहम निर्णय हैं। और अगर मैं अपने लिए कहूं तो मैं कह सकता हूं कि 2001 से 2022 तक मेरा 22 साल का अनुभव इसमें जुड़ा है। Logistic connectivity को सुधारने के लिए systematic Infrastructure development के लिए हमने सागरमाला, भारतमाला जैसी योजनाएं शुरू कीं, लागू की। Dedicated फ्रेट Corridors उस काम में अभूतपूर्व तेजी लाने का हमने प्रयास किया है। आज भारतीय Ports की Total Capacity में काफी वृद्धि हुई है। container vessels का औसत टर्न-अराउंड टाइम 44 घंटे से अब वो घटकर के 26 घंटे पर आ गया है। वॉटरवेज के जरिए हम Eco-Friendly और Cost Effective ट्रांसपोर्टेशन कर पाएं, इसके लिए देश में अनेकों नए वॉटरवेज भी बनाए जा रहे हैं। एक्सपोर्ट में मदद मिले, इसके लिए देश में करीब-करीब 40 Air Cargo Terminals भी बनाए गए हैं। 30 एयरपोर्ट्स पर Cold Storage facilities मुहैया कराई गई है। देशभर में 35 multi-modal logistics hubs भी बनाए जा रहे हैं। आप सभी ने देखा है कि कोरोना संकट के समय में देश ने किसान रेल और कृषि उड़ान का भी प्रयोग शुरू किया। देश के दूर-दराज के क्षेत्रों से कृषि उपज को मुख्य बाजारों तक पहुंचाने में इन्होंने बहुत मदद की। कृषि उड़ान ने किसानों की उपज को विदेशों तक पहुंचाया। आज देश के करीब-करीब 60 एयरपोर्ट्स से कृषि उड़ान की सुविधा उपलब्ध है। मुझे पक्का विश्वास है मेरा भाषण सुनने के बाद कुछ हमारे पत्रकार मित्र मुझे फोन करेंगे कि ये तो हमें मालूम ही नहीं था। आपमें से भी बहुत लोग होंगे, जिनको लगता होगा अच्छा इतना सारा हुआ है। क्योंकि हमें ध्यान नहीं होता है। इंफ्रास्ट्रक्चर के इन प्रोजेक्ट्स पर लाखों करोड़ रुपए के Investment के साथ ही, सरकार ने टेक्नोलॉजी की मदद से भी लॉजिस्टिक्स सेक्टर को मजबूत करने का प्रयास किया है। ई-संचित के माध्यम से paperless EXIM (एक्सिम) trade process हो, कस्टम्स में faceless assessment हो, या फिर e-way bills और FASTag का प्रावधान हो, इन सभी ने logistics sector की efficiency बहुत ज्यादा बढ़ा दी है।

साथियों,

लॉजिस्टिक्स सेक्टर की एक और बड़ी चुनौती को भी हमारी सरकार ने बीते वर्षों में समाप्त कर दिया है। पहले अलग-अलग राज्यों में अनेक टैक्स होने के कारण लॉजिस्टिक्स की रफ्तार पर जगह-जगह ब्रेक लग जाता था। लेकिन GST ने इस मुश्किल को आसान कर दिया है। इसके कारण अनेक प्रकार के पेपरवर्क कम हुए, जिससे लॉजिस्टिक्स की प्रक्रिया आसान हुई है। बीते कुछ महीनों में सरकार ने जिस तरह ड्रोन पॉलिसी में बदलाव किया है, इसे PLI स्कीम से जोड़ा है, उससे ड्रोन का इस्तेमाल विभिन्न चीजों को पहुंचाने में भी होने लगा है। और आप मानकर चलिए युवा पीढ़ी जरूर मैदान में आएगी। ड्रोन ट्रांसपोर्टेशन एक बहुत बड़ा क्षेत्र विकसित होने वाला है और मैं चाहुंगा कि दूर-दराज जो हिमालय रेंजिज के छोटे-छोटे गावों में कृषि उत्पादन होता है। उसको ड्रोन से हम कैसे लाएं? जहां समुद्री तट है और लैंडलॉक इलाका है, अगर उनको मछली चाहिए तो ड्रोन से फ्रेश मछली पहुंचाने का बड़े शहरों में लैंडलाक्स एरिया में कैसे प्रबंध हो, ये सब आने वाला है जी। अगर ये आइडिया किसी को काम आए तो मुझे royalty की जरूरत नहीं है।

साथियों,

मैं इसलिए इन सारी बातों को कहता हूं। खासकर के Tough टैरीन वाले इलाकों में, पहाड़ी इलाकों में ड्रोन, ने दवाइयां ले जाने में, वैक्सीन ले जाने में हमें पिछले दिनों बहुत मदद पहुंचाई है। हम उसका प्रयोग कर चुके हैं। आने वाले समय मैंने जैसे कहा ड्रोन का ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल, लॉजिस्टिक्स सेक्टर को वो बहुत मददगार होने वाला है और हमने बड़ी progressive policy already आपके सामने रख दी है।

साथियों,

एक के बाद एक हुए इस तरह के Reforms के बाद ही देश में लॉजिस्टिक्स का एक मजबूत आधार बनाने के बाद ही इतना सारा हो चुका है, उसके बाद हम ये नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी लेकर के आए हैं। क्योंकि हमने एक प्रकार से takeoff stage पर लाकर के छोड़ा हुआ है। अब आप सब साथियों का इसलिए आवश्यकता है कि अब इतने सारी initiatives, इतनी सारी व्यवस्थाएं विकसित हो चुकी हैं। लेकिन फिर भी takeoff के लिए हम सबको जुड़ना है और takeoff करके रहना है। अब यहां से लॉजिस्टिक्स सेक्टर में जो तेजी आएगी, मैं कल्पना पूरी कर सकता हूं दोस्तों। ये जो बदलाव है वो अभूतपूर्व परिणाम लाने वाला है। और अगर एक साल के बाद इसका evaluation करेंगे तो आप स्वयं भी विश्वास करेंगे कि हां हमने तो सोचा नहीं था यहां से यहां तक पहुंच गए। देखिए 13-14 परसेंट की लॉजिस्टिक्स कॉस्ट के लेवल को हमें जल्द से जल्द हम सबने मिलकर के उसको सिंगल डिजिट में लाने का लक्ष्य रखना ही चाहिए। अगर हमें globally competitive होना है तो ये एक प्रकार से low hanging fruit है जी। बाकी सारी चीजें में हमें cost कम करने में शायद पचासों और चीजें मुश्किल कर सकती हैं। लेकिन एक प्रकार से low hanging fruit है। हमारे effort मात्र से, efficiency मात्र से, कुछ नियमों का पालन करने मात्र से। हम 13-14 परसेंट से सिंगल डिजिट में आ सकते हैं जी।

साथियों,

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी के माध्यम से दो और बड़ी चुनौतियों का समाधान किया गया है। कितनी ही जगह, एक manufacturer को अपने काम के लिए अलग-अलग जिलों में अलग-अलग लाइसेंस लेना पड़ता है। हमारे Exporters को भी एक लंबी प्रक्रिया से गुज़रना होता है। अपने सामान को ट्रैक और ट्रेस करने के लिए निर्यातकों को Exporters शिपिंग बिल नंबर, रेलवे कन्साइनमेंट नंबर, e-way बिल नंबर, न जाने कितने नंबरों को जोड़ना पड़ता है। तब जाकर के वो देश की सेवा कर सकता है जी। अब आप लोग अच्छे हैं तो ज्यादा शिकायत की नहीं है। लेकिन आपके दर्द को मैं समझता हूं इसलिए मैं इसको सुधार करने की कोशिश कर रहा हूं। आज जो Unified Logistics Interface Platform यानि ULIP (यूलिप) और यही मैं कहता हूं यू लिप, यूलिप लॉन्च हुआ है, उससे निर्यातकों को इस लंबी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी। और उसका एक डेमो पीछे प्रदर्शनी में है आप देखेंगे कि कितनी तेजी से आप खुद निर्णय करके काम आगे बढ़ा सकते हैं। ULIP (यूलिप), ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर से जुड़ी सभी डिजिटल सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर लेकर आएगा। नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी के तहत आज Ease of logistics Services - E-Logs नाम से भी एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी शुरु हुआ है। इस पोर्टल के माध्यम से industry associations ऐसे किसी भी मामले को, जिससे उनके operations और performance में समस्या आ रही है, उसे सीधे सरकारी एजेंसी के साथ उठा सकती हैं। यानि बहुत ही transparent way में without any hurlde सरकार के दरवाजे तक आपको पहुंचाने की एक व्यवस्था बन गई है। ऐसे मामलों का तेजी से समाधान हो इसके लिए भी पूरी व्यवस्था बनाई है।

साथियों,

नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को सबसे ज्यादा सपोर्ट अगर किसी से मिलने वाला है, तो वो है पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान। मुझे खुशी है कि आज देश के सभी राज्य और केंद्रशासित हमारी इकाईयां सब के सब इससे जुड़ चुके हैं और लगभग सभी विभाग एक साथ काम करना शुरु कर चुके हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के अलग-अलग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से जुड़ी जानकारियां उसका एक बहुत बड़ा डेटाबेस तैयार हो चुका है। आपको ये जानकर के हैरानी होगी कि आज केंद्र और राज्य सरकारों से करीब-करीब डेढ़ हजार लेयर्स यानि 1500 लेयर्स में डेटा, पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर आ रहा है। कहां कौन से प्रोजेक्ट हैं, कहां फोरेस्ट लैंड है, कहां डिफेंस लैंड है, इस तरह की सारी जानकारी एक Single जगह पर आने लगी है। इससे इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग बेहतर हुई है, क्लीयरेंस तेज हुई है और जो बाद में समस्याए ध्यान में आती थीं उसका समस्याओं का समाधान कागज पर ही पहले से पक्का हो जाता है। हमारे Infrastructure में जो Gaps होते थे, वो भी पीएम गतिशक्ति की वजह से तेजी से दूर रहे हैं। मुझे याद है, देश में पहले किस तरह इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को बिना सोचे-समझे घोषित करने और उन्हें दशकों तक लटकाए रखने की परंपरा रही थी। इसका बहुत बड़ा नुकसान देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर ने उठाया है। और ये जब लॉजिस्टिक पॉलिसी की बात मैं कर रहा हूं। उसका एक मानवीय चेहरा भी है जी। हम इन व्यवस्थाओं को ढंग से चलाएं तो किसी भी ट्रक ड्राईवर को रात को बाहर सोना नहीं पड़ेगा। वो भी डयूटी करके रात को घर आ सकता है, रात को सो सकता है। ये सारी प्लानिंग व्यवस्था सब आसानी से की जा सकती है। और ये कितनी बड़ी सेवा होगी। मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि ये पॉलिसी अपने आप में देश के सोचने के पूरे तरीके को बदलने का सामर्थ्य रखती है।

साथियों,

गतिशक्ति और नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी मिलकर अब देश को एक नई कार्य-संस्कृति की तरफ ले जा रहे हैं। हाल ही में स्वीकृत गतिशक्ति विश्वविद्यालय यानि हमने इसके साथ-साथ Human Resource Development का काम भी साथ-साथ किया है। पॉलिसी तो अब आज ला रहे हैं। गतिशक्ति विश्वविद्यालय से, university से जो टेलेंट निकलेगा, उससे भी इसे बहुत बड़ी मदद मिलने वाली है।

साथियों,

भारत में हो रहे इन प्रयासों के बीच हमें ये भी समझना जरूरी है कि आज दुनिया का भारत के प्रति दृष्टिकोण बदल रहा है। आज दुनिया, भारत का बहुत सकारात्मक मूल्यांकन कर रही है, हमारे देश में थोड़ी देर लगती है। लेकिन बाहर हो रहा है। भारत से दुनिया बहुत उम्मीदें लगाएं बैठी है, और आपमें से जिसका संबंध आता होगा आप भी अनुभव करते होंगे। दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट कह रहे हैं कि भारत आज ‘democratic superpower’ के तौर पर उभर रहा है। एक्सपर्ट्स और democratic superpower, एक्सपर्ट्स भारत के ‘extra-ordinary talent eco-system’ से बहुत प्रभावित हैं। एक्सपर्ट्स, भारत की ‘determination’ और ‘progress’ की प्रशंसा कर रहे हैं। और ये महज संयोग नहीं है। भारत और भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक संकट के बीच जिस तरह का resilience दिखाया है, उसने विश्व को नए भरोसे से भर दिया है। बीते वर्षों में भारत ने जो Reforms किए हैं, जो Policies लागू की हैं, वो वाकई अभूतपूर्व हैं। और इसलिए दुनिया का भारत के प्रति विश्वास बढ़ा है और निरंतर बढ़ता जा रहा है। हमें दुनिया के इस भरोसे पर पूरी तरह खरा उतरना है। ये हमारी जिम्मेदारी है, हम सभी का दायित्व है, और ऐसा अवसर खोना हमारे लिए कभी भी लाभकर्ता नहीं होगा। आज लॉन्च हुई नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी, मुझे पक्का विश्वास है। देश के जीवन के हर क्षेत्र में एक नई गति लाने में मदद करने वाली है।

साथियों,

विकसित बनने का संकल्प लेकर चल रहे भारत को आपमें से कोई ऐसा नहीं होगा, जो ये नहीं चाहता होगा कि हमारा देश एक develop country बने, कोई नहीं होगा जी। समस्या यही होती है, चलो यार कोई करेगा। मुझे यही बदलना है, हमें मिलकर के करना है। विकसित भारत के संकल्प को लेकर चल रहे भारत को अब विकसित देशों से और ज्यादा Competition करना है, और ये हम मानकर चलें, जैसे-जैसे हम ताकतवर होंगे, हमारे Competition का एरिया अधिक ताकतवर लोगों से होने वाला है। और इसका हमेंम स्वागत करना चाहिए, झिझकना नहीं चाहिए जी, आ जाओ तैयार हैं। और इसलिए मुझे लगता है कि हमारी हर प्रॉडक्ट, हमारे हर initiative हमारे प्रोसेस बहुत ही competitive भी होनी चाहिए। सर्विस सेक्टर हो, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर हो, ऑटोमोबिल हो, इलेक्ट्रॉनिक्स हो, हमें हर सेक्टर में बड़े लक्ष्य बनाने हैं और उन्हें प्राप्त भी करना है। आज भारत में बने Products को लेकर दुनिया का आकर्षण वो सिर्फ हमारी पीठ थपाने से सीमित नहीं रहना चाहिए। हमने विश्व के बाजार को कब्जा करने की दिशा में सोचना चाहिए दोस्तों। भारत के एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट्स हों, भारत के मोबाइल हों या फिर भारत की ब्रह्मोस मिसाइल, दुनिया में आज इनकी चर्चा है। कोरोना काल में भारत में बनी वैक्सीन और दवाइयों ने दुनिया के लाखों लोगों की जान बचाने में मदद की है। आज सुबह मैं उजबैकिस्तान से आया। तो कल आखिरी में रात को मैं उजबैकिस्तान के राष्ट्रपति जी से बात कर रहा था। देर हो चुकी थी, लेकिन वो इतने उत्साह से बता रहे थे कि बोले हमारे यहां उजबैकिस्तान में पहले योगा के प्रति एक प्रकार से नफरत का माहौल था। लेकिन बोले आज स्थिति ऐसी है हर गली मोहल्ले में इतना योगा चल पड़ा है हमें भारत से ट्रेनर्स की जरूरत है। मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि दुनिया का भारत की तरफ देखने का सोचने का बहुत तेजी से बदल रहा है दोस्तों। भारत में बने प्रॉडक्ट्स दुनिया के बाजारों में छाएं, इसके लिए देश में Support System का मजबूत होना भी उतना ही जरूरी है। नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी हमें इस सपोर्ट सिस्टम को आधुनिक बनाने में बहुत मदद करेगी।

और साथियों,

आप सभी जानते हैं कि जब देश का एक्सपोर्ट बढ़ता है, देश में लॉजिस्टिक्स से जुड़ी मुश्किलें कम होती हैं, तो उसका बड़ा लाभ हमारे छोटे उद्योगों को और उनमें काम करने वाले लोगों को भी होता है। लॉजिस्टिक्स सेक्टर की मजबूती सामान्य मानवी का जीवन ही आसान नहीं बनाएगी बल्कि श्रम और श्रमिकों का सम्मान बढ़ाने में भी मदद करेगी।

साथियों,

अब भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर से उलझनें समाप्त होंगी, उम्मीदें बढ़ेंगी, ये सेक्टर अब देश की सफलता को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। National Logistics Policy में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की, कारोबार के विस्तार की और रोजगार के अवसर बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। हमें इन संभावनाओं को मिलकर साकार करना है। इसी संकल्प के साथ आप सबको एक बार फिर अनेक-अनेक शुभकामनाएं और अब चीते की गति से सामान को उठाना है, ले जाना है, यही मेरी आपसे अपेक्षा है, धन्यवाद।

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Prime Minister receives warm welcome at Puttaparthi, Andhra Pradesh
November 19, 2025
Prime Minister pays homage to Sri Sathya Sai Baba at Prasanthi Nilayam
Prime Minister participates in Gaudan Ceremony organised by Sri Sathya Sai Central Trust

The Prime Minister, Shri Narendra Modi, reached Puttaparthi, Andhra Pradesh amidst the divine chants of Sai Ram and received a very warm welcome.

The Prime Minister paid homage to Sri Sathya Sai Baba at the Sai Kulwant Hall, Prasanthi Nilayam, and then proceeded to Omkar Hall for Darshan. He said that being in these sacred spaces is a reminder of Sri Sathya Sai Baba’s boundless compassion and lifelong commitment to uplifting humanity. He added that Sri Sathya Sai Baba’s message of selfless service continues to guide and inspire millions.

The Prime Minister also participated in the Gaudan Ceremony organised by the Sri Sathya Sai Central Trust, which has undertaken several noble initiatives, including significant work in the field of animal welfare. As part of the ceremony, farmers are being given cows, including Gir cows. The Prime Minister conveyed his good wishes and said that everyone must continue working for the welfare of society, following the ideals of Sri Sathya Sai Baba.

In a separate posts on X, the Prime Minister said;

“Amidst the divine chants of Sai Ram, reached Puttaparthi, Andhra Pradesh to a very warm welcome.” 

“Paid homage to Sri Sathya Sai Baba at the Sai Kulwant Hall, Prasanthi Nilayam and went to Omkar Hall for Darshan. Being in these sacred spaces is a reminder of his boundless compassion and lifelong commitment to uplifting humanity. His message of selfless service continues to guide and inspire millions.”

“Among the many noble deeds they are doing, the Sri Sathya Sai Central Trust has focused greatly on animal welfare. Today, took part in the Gaudan Ceremony, in which farmers are being given cows. The cows in the pictures below are Gir Cows! May we all keep working for the welfare of our society, as shown by Sri Sathya Sai Baba.”