Quoteआने वाले वर्षों में बिहार देश के उन राज्यों में से होगा जहां हर घर में पाइप से पानी की आपूर्ति होगी: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteशहरीकरण आज एक वास्तविकता बन गया है: पीएम मोदी
Quoteशहरों को ऐसा होना चाहिए कि जहां हर कोई, विशेष रूप से हमारे युवा, आगे बढ़ने के लिए नई और असीम संभावनाएं प्राप्त करें: प्रधानमंत्री

बिहार के गवर्नर श्री फागू चौहान जी, बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, श्री रविशंकर प्रसाद जी, केंद्रीय और राज्य मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य, सांसदगण, विधायकगण और मेरे प्रिय साथियों,

साथियों, आज जिन 4 योजनाओं का उद्घाटन हो रहा है, उनमें पटना शहर के बेऊर और करम-लीचकमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटके अलावा AMRUT योजना केतहत सीवानऔर छपरा में पानी से जुड़े प्रोजेक्ट्स भी शामिल हैं। इसके अलावा मुंगेर और जमालपुर में पानी की कमी को दूर करने वाली जलापूर्ति परियोजनाओं और मुजफ्फरपुर में नमामि गंगे के तहत रिवर फ्रंट डेवलपमेंट स्कीम का भी आज शिलान्यास किया गया है। शहरी गरीबों, शहर में रहने वाले मध्यम वर्ग के साथियों का जीवन आसान बनाने वाली इन नई सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई।

साथियों, आज का ये कार्यक्रम, एक विशेष दिन पर हो रहा है। आज हम Engineer दिवस भी मनाते हैं। ये दिन देश के महान इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया जी की जन्म-जयंती का है, उन्हीं की स्मृति को समर्पित है। हमारे भारतीय इंजीनियरों ने हमारे देश के निर्माण में और दुनिया के निर्माण में भी अभूतपूर्व योगदान किया है। चाहे काम को लेकर समर्पण हो, या उनकी बारीक नज़र, भारतीय इंजीनियरों की दुनिया में एक अलग ही पहचान है। ये एक सच्चाई है, और हमें गर्व है, कि हमारे इंजीनियर देश के विकास को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं, 130 करोड़ देशवासि यों के जीवन को बेहतर कर रहे हैं। मैं इस अवसर पर सभी इंजीनियरों को, उनकी निर्माण शक्ति को नमन करता हूँ। राष्ट्रनिर्माण के इस काम में बहुत बड़ा योगदान बिहार का भी है। बिहार तो देश के विकास को नई ऊंचाई देने वाले लाखों इंजीनियर देता है। बिहार की धरती तो आविष्कार और इनोवेशन की पर्याय रही है। बिहार के कितने ही बेटे हर साल देश के सबसे बड़े इंजीन्यरिंग संस्थानों में पहुँचते हैं, अपनी चमक बिखेरते हैं। आज जो परियोजनाएं पूरी हुई हैं, जिन पर काम शुरू किया गया है, उन्हें पूरा करने में भी बिहार के इंजीनियरों की बड़ी भूमिका है। मैं बिहार के सभी इंजीनियरों को भी विशेष तौर पर इंजीनियर दिवस की बधाई देता हूं।

साथियों, बिहार ऐतिहासिक नगरों की धरती है। यहां हज़ारों सालों से नगरों की एक समृद्ध विरासत रही है। प्राचीन भारत में गंगा घाटी के इर्दगिर्द आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक रूप से समृद्ध और संपन्न नगरों का विकास हुआ। लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड ने इस विरासत को बहुत नुकसान पहुंचाया। आज़ादी के बाद के कुछ दशकों तक बिहार को बड़े और विजनरी नेताओं का नेतृत्व मिला, जिन्होंने गुलामी के काल में आई विकृतियों को दूर करने की भरसक कोशिश की। लेकिन इसके बाद एक दौर ऐसा भी आया, जब बिहार में मूल सुविधाओं के निर्माण के बजाय, राज्य के लोगों को आधुनिक सुविधाएं देने के बजाय, प्राथमिकताएं और प्रतिबद्धतताएं बदल गईं। नतीजा ये हुआ कि राज्य में गवर्नेंस से फोकस ही हट गया। इसका परिणाम ये हुआ कि बिहार के गांव और ज्यादा पिछड़ते गए और जो शहर कभी समृद्धि का प्रतीक थे, उनका इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ती आबादी और बदलते समय के हिसाब से अपग्रेड हो ही नहीं पाया। सड़कें हो, गलियां हों, पीने का पानी हो, सीवरेज हो, ऐसी अनेक मूल समस्याओं को या तो टाल दिया गया या फिर जब भी इनसे जुड़े काम हुए वो घोटालों की भेंट चढ़ गए।

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साथियों, जब शासन पर स्वार्थनीति हावी हो जाती है, वोटबैंक का तंत्र सिस्टम को दबाने लगता है तो सबसे ज्यादा असर समाज के उस वर्ग को पड़ता है, जो प्रताड़ित है, वंचित है, शोषित है। बिहार के लोगों ने इस दर्द को दशकों तक सहा है। जब पानी और सीवरेज जैसी मूल ज़रूरतों को पूरा नहीं किया जाता तो दिक्कतें हमारी माताओं-बहनों को होती है, गरीब को होती है, दलित को होती है, पिछड़ों-अतिपिछड़ों को होती है। गंदगी में रहने से, मजबूरी में गंदा पानी पीने से लोगों को बीमारियां पकड़ लेती हैं। ऐसे में उसकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इलाज में लग जाता है। कई बार परिवार अनेक वर्षों तक कर्ज़ तले दब जाता है। इन परिस्थितियों में बिहार में एक बहुत बड़े वर्ग ने कर्ज़, बीमारी, लाचारी, अनपढ़ता को अपना भाग्य मान लिया था। एक प्रकार से सरकारों की गलत प्राथमिकताओं के कारण समाज के एक बड़े वर्ग के आत्मविश्वास पर गहरी चोट की गई। गरीब के साथ इससे बड़ा अन्याय भला क्या हो सकता था?

साथियों, बीते डेढ़ दशक से नीतीश जी, सुशील जी और उनकी टीम समाज के इस सबसे कमज़ोर वर्ग के आत्मविश्वास को लौटाने का प्रयास कर रही है। विशेषतौर पर जिस प्रकार बेटियों की पढ़ाई-लिखाई को, पंचायती राज सहित स्थानीय निकाय में वंचित, शोषित समाज के साथियों की भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है, उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है। साल 2014 के बाद से तो एक प्रकार से बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं का करीब-करीब पूरा नियंत्रण, ग्राम पंचायत या स्थानीय निकायों को दे दिया गया है। अब योजनाओं की प्लानिंग से लेकर अमलीकरण तक, और उनकी देखरेख का जिम्मा अब स्थानीय निकाय, स्थानीय ज़रूरतों के हिसाब से कर पा रहे हैं। यही कारण है कि अब केंद्र और बिहार सरकार के साझा प्रयासों से बिहार के शहरों में पीने के पानी और सीवर जैसी मूल सुविधाओं के ढांचे में निरंतर सुधार हो रहा है। मिशन AMRUT और राज्य सरकार की योजनाओं के तहत बीते 4-5 सालों में बिहार के शहरी क्षेत्र में लाखों परिवारों को पानी की सुविधा से जोड़ा गया है। आने वाले वर्षों में बिहार देश के उन राज्यों में होगा, जहां हर घर पाइप से पानी पहुंचने लगेगा। ये बिहार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी, बिहार का गौरव बढ़ाने वाली बात होगी।

अपने इस बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोरोना के इस संकट काल में भी बिहार के लोगों ने निरंतर काम किया है। बीते कुछ महीनों में बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में 57 लाख से ज्यादा परिवारों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। इसमें बहुत बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान ने भी निभाई है। हमारे हजारों श्रमिक साथी, जो कोरोना की वजह से दूसरे राज्यों से बिहार लौटे, उन्होंने ये काम करके दिखाया है। जल जीवन मिशन की ये तेजी, बिहार के मेरे इन परिश्रमी साथियों को ही समर्पित है। बीते 1 साल में, जल जीवन मिशन के तहत पूरे देश में 2 करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। आज देश में हर दिन 1 लाख से ज्यादाघरों को पाइप से पानी के नए कनेक्शन से जोड़ा जा रहा है। स्वच्छ पानी, मध्यम वर्ग का, गरीब का न सिर्फ जीवन बेहतर बनाता है बल्कि उन्हें अनेक गंभीर बीमारियों से भी बचाता है।

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साथियों, शहरी क्षेत्र में भी बिहार के लाखों लोगों को शुद्ध पानी के कनेक्शन से जोड़ने का काम तेज़ी से चल रहा है। पूरे बिहार में AMRUT योजना के तहत लगभग 12 लाख परिवारों को शुद्ध पानी के कनेक्शन से जोड़ने का लक्ष्य है। इसमें से करीब 6 लाख परिवारों तक ये सुविधा पहुंच भी चुकी है। बाकी परिवारों को भी बहुत जल्द स्वच्छ जल की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। आज जिन परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है, वो इसी संकल्प का हिस्सा हैं।

साथियों, शहरीकरण आज के दौर की सच्चाई है। आज पूरे विश्व में शहरी क्षेत्रों की संख्या बढ़ रही है। भारत भी इस वैश्विक बदलाव का अपवाद नहीं है। लेकिन कई दशकों से हमारी एक मानसिकता बन गई थी, हमने ये मान लिया था जैसे कि शहरीकरण खुद में कोई समस्या है, कोई बाधा है! लेकिन मेरा मानना है, ऐसा नहीं है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। बाबा साहब अंबेडकर ने तो उस दौर में ही इस सच्चाई को समझ लिया था, और वो शहरीकरण के बड़े समर्थक थे। उन्होंने शहरीकरण को समस्या नहीं माना, उन्होंने ऐसे शहरों की कल्पना की थी जहां गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अवसर मिलें, जीवन को बेहतर करने के रास्ते उसके लिए खुलें। आज आवश्यक है कि हमारे शहरों में संभावनाएं हों, समृद्धि हो, सम्मान हो, सुरक्षा हो, सशक्त समाज हो और आधुनिक सुविधाएं हों। यानि कि, शहर ऐसे हों जहां सभी को, खासकर हमारे युवाओं को आगे बढ़ने के लिए नई और असीम संभावनाएं मिलें। शहर ऐसे हों जहां- हर परिवार समृद्धि क साथ, सुख के साथ जीवन जी सके। शहर ऐसे हों जहां- हर किसी को, गरीब को, दलित को, पिछड़े को, महिलाओं को सम्मानपूर्ण जीवन मिले। जहां- सुरक्षा हो, कानून का राज हो। जहां- समाज, समाज का हर वर्ग एक साथ मिल-जुलकर रह सके। और शहर ऐसे हों जहां- आधुनिक सुविधाए हों, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर हो। यही तो Ease of living है। यही देश का सपना है, इसी दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।

और साथियों, आज हम देश में एक नया शहरीकरण देख रहे हैं। जो शहर पहले देश के नक्शे पर एक तरह से थे ही नहीं, वो आज अपनी उपस्थिति दर्ज भी करा रहे हैं और महसूस भी करा रहे हैं। इन शहरों के हमारे युवा, जो बड़े बड़े प्राइवेट स्कूलों में, कॉलेजों में नहीं पढ़े हैं, जो बहुत अमीर परिवारों से नहीं आते, वो आज कमाल कर रहे हैं, सफलता के नए आयाम गढ़ रहे हैं। कुछ साल पहले तक शहरीकरण का अर्थ होता था, कुछ बड़े शहरों कोचमक-दमक से भर दो। कुछ गिने चुने शहरों मेंएक दो क्षेत्रो में विकास कर दो। लेकिन अब ये सोच, ये तरीका बदल रहा है। और, बिहार के लोग भारत के इस नए शहरीकरण में अपना भरपूर योगदान दे रहे हैं।

साथियों, आत्मनिर्भर बिहार, आत्मनिर्भर भारत के मिशन को गति देने के लिए विशेषकर देश के छोटे शहरों को वर्तमान ही नहीं भविष्य की ज़रूरतों के मुताबिक तैयार करना बहुत ज़रूरी है। इसी सोच के साथ AMRUT मिशन के तहत बिहार के अनेक शहरों में ज़रूरी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ Ease of Living और Ease of doing Business के लिए बेहतर माहौल तैयार करने पर बल दिया जा रहा है। AMRUT मिशन के तहत इन शहरों में पानी और सीवरेज के साथ-साथ ग्रीन जोन,पार्क,LED स्ट्रीट लाइट, जैसी व्यवस्थाओं का निर्माण किया जा रहा है। इस मिशन के तहत बिहार के शहरी क्षेत्र में, लाखोंलोगों को बेहतर सीवरेज सिस्टम से भी जोड़ा गया है। इसमें भी अधिकतर सुविधाएं ऐसी बस्तियों में विकसित की गई हैं, जहां गरीब से गरीब परिवार रहते हैं। बिहार के भी 100 से ज्यादा नगर निकायों में साढ़े 4 लाख LED Street Lights लगाई जा चुकी हैं। इससे हमारे छोटे शहरों की सड़कों और गलियों में रोशनी तो बेहतर हो ही रही है, सैकड़ों करोड़ की बिजली की बचत भी हो रही है और लोगों का जीवन आसान हो रहा है।

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साथियों, बिहार के लोगों का, बिहार के शहरों का तो गंगा जी से बहुत ही गहरा नाता है।

राज्य के 20 बड़े और महत्वपूर्ण शहरगंगा जी के किनारे ही बसे हुए हैं। गंगा जी की स्वच्छता, गंगा जल की स्वच्छता का सीधा प्रभाव इन शहरों में रहने वाले करोड़ों लोगों पर पड़ता है। गंगा जी की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए ही बिहार में 6 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की 50 से ज्यादा परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। सरकार का प्रयास है कि गंगा के किनारे बसे जितने भी शहर हैं, वहां बड़े-बड़े गंदे नालों का पानी सीधे गंगा जी में गिरने से रोका जाए। इसके लिए अनेकों वॉटर ट्रीटमेंट प्लांटस् लगाए जा रहे हैं। आज जो पटना में बेऊर और करम-लीचक की योजना का उद्घाटन हुआ है, उससे इस क्षेत्र के लाखों लोगों को लाभ होगा। इसके साथ ही, गंगा जी के किनारे बसे जो गांव हैं, उन्हें ‘गंगा ग्राम’ के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इन गांवों में लाखों शौचालय के निर्माण के बाद अब कचरा प्रबंधन और जैविक खेती जैसे काम के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

साथियों, गंगा जी के किनारे बसे गांव और शहर, आस्था और आध्यात्म से जुड़े पर्यटन के प्रमुख केंद्र रहे हैं। गंगा जी को निर्मल और अविरल बनाने का अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसमें पर्यटन के आधुनिक आयाम भी जुड़ते जा रहे हैं। नमामि गंगे मिशन के तहत बिहार सहित पूरे देश में 180 से अधिक घाटोंके निर्माण का काम चल रहा है। इसमें से 130 घाट पूरे भी हो चुके हैं। इसके अलावा 40 से ज्यादा मोक्ष धामोंपर भी काम पूरा किया जा चुका है। देश में गंगा किनारे कई जगहों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त रिवरफ्रंट पर भी काम तेजी से चल रहा है। पटना में तो रिवरफ्रंट का प्रोजेक्ट पूरा हो चुका है और मुज़फ्फरपुर में भी ऐसा ही रिवरफ्रंट बनाने की परियोजना का शिलान्यास किया गया है। जब मुजफ्फरपुर के अखाड़ा घाट, सीढ़ी घाट और चंदवारा घाट को विकसित कर दिया जाएगा, तो ये वहां पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बनेंगे। बिहार में इतनी तेजी से काम होगा, काम शुरू होने के बाद पूरा भी होगा, इस बात की कल्पना भी डेढ़ दशक पहले नहीं की जा सकती थी। लेकिन नीतीश जी के प्रयासों ने, केंद्र सरकार के प्रयासों ने, ये सच कर दिखाया है। मुझे उम्मीद है, इन प्रयासों से आने वाली छठी मइया की पूजा के दौरान बिहार के लोगों को, विशेषकर बिहार की महिलाओं की दिक्कतें कम होंगी, उनकी सहूलियत बढ़ेगी। छठी मइया के आशीर्वाद से हम बिहार के शहरी और ग्रामीण इलाकों को गंदे जल, बीमारी बढ़ाने वाले जल से मुक्ति दिलाने के लिए जी जान से काम करते रहेंगे।

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साथियों, आपने सुना होगा, अभी हाल ही में सरकार ने एक प्रोजेक्ट डॉल्फिन की घोषणा भी की है। इस मिशन का बहुत बड़ा लाभ गंगा डॉल्फिन को भी होगा। गंगा नदी के संरक्षण के लिए, गांगेय डॉल्फिन, का संरक्षण बहुत ज़रूरी है। पटना सेलेकर भागलपुर तक का गंगा जी का पूरा विस्तार डॉल्फिन का निवास स्थान है। इसलिए "प्रोजेक्ट डॉल्फिन"से बिहार को बहुत अधिक लाभ होगा, यहां गंगा जी में बायोडायवर्सिटी के साथ-साथ पर्यटन को भी बल मिलेगा।

साथियों, कोरोना संक्रमण की चुनौती के बीच बिहार के विकास, बिहार में सुशासन का ये अभियान निरंतर चलने वाला है। हम पूरी ताकत, पूरे सामर्थ्य से आगे बढ़ने वाले हैं। लेकिन इसके साथ-साथ हर बिहार वासी, हर देशवासी को संक्रमण से बचाव का संकल्प भूलना नहीं है। मास्क, साफ-सफाई और दो गज़ की दूरी, ये हमारे बचाव के सबसे कारगर हथियार हैं। हमारे वैज्ञानिक वेक्सीन बनाने में दिनरात जुटे हैं। लेकिन हमें याद रखना है-जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।

इसी निवेदन के साथ, एक बार फिर आप सभी को इन विकास परियोजनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई।

धन्यवाद !!!

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पीएम मोदी का BRICS सेशन में संबोधन: ‘एनवायरनमेंट, COP-30 और ग्लोबल हेल्थ’
July 07, 2025

Your Highness,
Excellencies,

मुझे खुशी है कि ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स ने पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को उच्च प्राथमिकता दी है। ये विषय न केवल आपस में जुड़े हुए हैं, बल्कि मानवता के उज्जवल भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

Friends,

इस वर्ष, COP-30 का आयोजन ब्राज़ील में हो रहा है। ऐसे में BRICS में पर्यावरण पर चर्चा प्रासंगिक भी है और समयानुकूल भी।

भारत के लिए Climate Change और पर्यावरण सुरक्षा हमेशा से उच्च प्राथमिकता के विषय रहे हैं। हमारे लिए Climate Change केवल ऊर्जा का विषय नहीं है। ये जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन का विषय है।

जहां कुछ लोग इसे आंकड़ों में मापते हैं, भारत इसे संस्कारों में जीता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में, पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया है। इसीलिए जब पृथ्वी माँ पुकारती है, तो हम चुप नहीं रहते। हम अपनी सोच, अपने व्यवहार और अपनी जीवनशैली में बदलाव करते हैं।

भारत ने "People, Planet और Progress” की भावना से Mission LiFE, यानि, Lifestyle for Environment, एक पेड़ माँ के नाम, International Solar Alliance, Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Green Hydrogen Mission, Biofuels Alliance, Big Cats Alliance, जैसे कई initiatives की शुरुआत की है।

भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान, हमने sustainable development और North-South के gap को कम करने पर जोर दिया था। इस उद्देश्य से हमने सभी देशों के साथ Green Development Pact पर सहमति बनाई थी। Environment-friendly actions को प्रोत्साहित करने के लिए Green Credits Initiative की शुरुआत की है।

विश्व की fastest growing major economy होते हुए भी, भारत Paris Commitments को समय से पहले पूरा करने वाला पहला देश है। हम 2070 तक Net Zero के लक्ष्य की ओर भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

पिछले दस वर्षों में भारत में solar energy की installed capacity में 4000 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। इन प्रयासों से हम एक sustainable और green future की मजबूत नींव रख रहे हैं।

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Friends,

भारत के लिए Climate Justice कोई विकल्प नहीं, एक नैतिक कर्तव्य है। भारत का मानना है कि ज़रूरतमंद देशों को technology transfer और affordable financing के बिना, climate एक्शन सिर्फ climate talks तक ही सीमित रहेगा।

Climate Ambition और Financing के बीच gap को कम करने में विकसित देशों की विशेष और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। हमें उन सभी देशों को साथ लेकर चलना होगा जो विभिन्न तनावों के चलते food, fuel, fertiliser और financial crisis से जूझ रहे हैं।

भविष्य को लेकर जो आत्मविश्वास विकसित देशों में है, वही आत्मबल इन देशों में भी होना चाहिए। किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड के रहते, मानवता का सतत और समावेशी विकास संभव नहीं है। आज जारी किया जा रहा "Framework Declaration on Climate Finance” एक सराहनीय कदम है। भारत इसका समर्थन करता है।

Friends,

पृथ्वी का स्वास्थ्य और मनुष्य का स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोविड महामारी ने हमें सिखाया है कि वायरस वीसा लेकर नहीं आते, और समाधान भी पासपोर्ट देखकर नहीं चुने जाते ! साझा चुनौतियों का हल सिर्फ साझे प्रयासों से ही संभव है।

भारत ने "One Earth, One Health” के मूलमंत्र से, सभी देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है। आज भारत में विश्व की सबसे बड़ी insurance scheme, "आयुष्मान भारत” 500 मिलियन से भी ज्यादा लोगों के लिए वरदान बनी है। आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा जैसे traditional medicine systems का ecosystem खड़ा किया गया है। Digital Health के माध्यम से हम देश के हर कोने में ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में भारत का सफल अनुभव साझा करने में हमें खुशी होगी।

मुझे खुशी है कि ब्रिक्स में भी स्वास्थ्य सहयोग बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। 2022 में लॉन्च किया गया BRICS वैक्सीन R&D Centre इस दिशा में एक मजबूत पहल है। आज जारी की जा रहा Leader’s statement on "BRICS Partnership for Elimination of Socially Determined Diseases”, हमारे सहयोग को मजबूत करने के लिए नई प्रेरणा देगा।

Friends,

आज की बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी चर्चाओं के लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूँ। अगले वर्ष भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता में हम सभी विषयों पर करीबी सहयोग जारी रखेंगे। भारत की BRICS अध्यक्षता में हम BRICS को नए रूप में परिभाषित करने पर काम करेंगे। BRICS का मतलब होगा – Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability.

जिस तरह, अपनी अध्यक्षता के दौरान, हमने G-20 को व्यापकता दिलाई, Global South के विषयों को agenda में प्राथमिकता दिलाई, उसी तरह BRICS की अध्यक्षता के दौरान हम इस Forum को people-centric और humanity First की भावना से आगे बढाएंगें।

एक बार फिर, राष्ट्रपति लूला को सफल BRICS Summit की हार्दिक शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।