‘विकास के साथ-साथ विरासत’ के मंत्र के साथ नया भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है : प्रधानमंत्री
हमारा भारत ऋषियों, मनीषियों और संतों की धरती है, जब भी हमारा समाज किसी कठिन दौर से गुजरता है, तो कोई न कोई ऋषि या संत इस भूमि पर अवतरित होकर समाज को नई दिशा देता है : प्रधानमंत्री
गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प, ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र, सेवा की यही भावना सरकार की नीति भी है और निष्ठा भी है: प्रधानमंत्री
भारत जैसे देश में हमारी संस्कृति केवल हमारी पहचान से ही नहीं जुड़ी है, हमारी संस्कृति ही हमारे सामर्थ्य को मजबूती देती है: प्रधानमंत्री

जय सच्चिदानंद जी !!!

स्वामी विचार पूर्ण आनंद जी महाराज जी, राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव , कैबिनेट में मेरे साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, सांसद वी. डी. शर्मा जी, सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल जी, मंच पर उपस्थित अन्य महानुभाव, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, यहां बहुत बड़ी संख्या में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पूरे देश से श्रद्धालु आए हैं।मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

श्री आनंदपुर धाम में आकर आज मन अभिभूत है। अभी मैंने गुरु जी महाराज के मंदिर में दर्शन किए। वाकई, हृदय आनंद से भर गया है।

साथियों,

जिस भूमि का कण-कण संतों की तपस्या से सींचा गया हो, जहां परमार्थ एक परंपरा बन चुका हो, जहां सेवा के संकल्प मानवता के कल्याण का पथ प्रशस्त करते हों, वो धरती साधारण नहीं है। और इसीलिए, हमारे संतों ने अशोक-नगर के बारे में कहा था, कि यहाँ शोक आने से डरता है। मुझे खुशी है कि आज यहाँ बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण दिवस के उत्सव में मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला है। मैं इस पवित्र अवसर पर प्रथम पादशाही श्री श्री एक सौ आठ श्री स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज और अन्य सभी पादशाही संतों को प्रणाम करता हूँ। मुझे जानकारी मिली है, कि आज ही के दिन 1936 में, श्री द्वितीय पादशाही जी को महासमाधि दी गई थी। आज के ही दिन 1964 में श्री तृतीय पादशाही जी, निज स्वरुप में लीन हुए थे। मैं इन दोनों सद्गुरु महाराज जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। मैं मां जागेश्वरी देवी, मां बीजासन, मां जानकी करीला माता धाम को भी प्रणाम करता हूं और आप सभी को बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण उत्सव की बधाई देता हूं।

साथियों,

हमारा भारत ऋषियों, मनीषियों और संतों की धरती है। जब-जब हमारा भारत, हमारा समाज किसी मुश्किल दौर से गुजरता है, कोई न कोई ऋषि, मनीषी इस धरती पर अवतरित होकर समाज को नई दिशा देता है। हम पूज्य स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज के जीवन में भी इसकी झलक देख सकते हैं। एक समय था, जब आदि शंकराचार्य जैसे आचार्यों ने अद्वैत दर्शन के गहरे ज्ञान की व्याख्या की थी। गुलामी के कालखंड में समाज उस ज्ञान को भूलने लगा था। लेकिन उसी कालखंड में ऐसे ऋषि-मुनि भी आए, जिन्होंने अद्वैत के विचार से राष्ट्र की आत्मा को झकझोरा। इसी परंपरा में पूज्य अद्वैत आनंद जी महाराज ने भारत के जन-सामान्य तक इसे पहुंचाने का बीड़ा उठाया। महाराज जी ने अद्वैत के ज्ञान को हम सभी के लिए और सरल बनाया, उसे सामान्य मानवी के लिए सुलभ कर दिया।

साथियों,

आज दुनिया में भौतिक उन्नति के बीच मानवता के लिए युद्ध, संघर्ष और मानवीय मूल्यों से जुड़ी कई बड़ी चिंताएँ भी हमारे सामने हैं। इन चिंताओं, इन चुनौतियों की जड़ में क्या है? इनकी जड़ में है- अपने और पराए की मानसिकता! वो मानसिकता- जो मानव को मानव से दूर करती है। आज विश्व भी सोच रहा है, इनका समाधान कहाँ मिलेगा? इनका समाधान मिलेगा, अद्वैत के विचार में! अद्वैत यानी, जहां कोई द्वैत नहीं है। अद्वैत यानी, जीव मात्र में एक ही ईश्वर को देखने का विचार! इससे भी आगे, सम्पूर्ण सृष्टि को ईश्वर का स्वरूप देखने की सोच ही अद्वैत है। इसी अद्वैत सिद्धान्त को परमहंस दयाल महाराज सरल शब्दों में कहते थे- जो तू है सो मैं हूं। सोचिए, कितनी सुंदर बात है, जो तू है सो मैं हूं। ये विचार ‘मेरे और तुम्हारे’ का भेद खत्म कर देता है। और विचार सब मान लें तो सारे झगड़े ही खत्म हो जाएं।

साथियों,

अभी कुछ देर पहले मेरी छठे पादशाही स्वामी श्री विचार पूर्ण आनंद जी महाराज से चर्चा हो रही थी। पहले पादशाही परमहंस दयाल- महाराज जी के विचारों के साथ-साथ वो मुझे आनंदधाम के सेवाकार्यों के बारे में भी बता रहे थे। यहाँ साधना के जो 5 नियम तय किए गए हैं, उनमें निष्काम सेवा भी एक है। निष्काम भाव से गरीब-वंचित की सेवा, नर सेवा में नारायण सेवा को देखने की भावना, ये हमारी संस्कृति का आधार है। मुझे बहुत खुशी है कि, सेवा की इसी संस्कृति को आनंदपुर ट्रस्ट पूरे मनोयोग से आगे बढ़ा रहा है। ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में हजारों मरीजों का इलाज होता है। इलाज के लिए मुफ्त शिविर लगाए जाते हैं। गौसेवा के लिए एक आधुनिक गौशाला भी चलाई जाती है। नई पीढ़ी के निर्माण के लिए ट्रस्ट की ओर से कई स्कूल भी चलाये जा रहे हैं। और इतना ही नहीं, आनंदपुर धाम पर्यावरण संरक्षण के जरिए पूरी मानवता की बड़ी सेवा कर रहा है। मुझे बताया गया है, आश्रम के अनुयायियों ने हजारों एकड़ बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया है। आज इस आश्रम द्वारा लगाए गए हजारों पेड़ परमार्थ के काम आ रहे हैं।

भाइयों बहनों,

सेवा की यही भावना आज हमारी सरकार के हर प्रयास के केंद्र में है। आज हर जरूरतमंद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण खाने की चिंता से मुक्त है। आज हर गरीब और बुजुर्ग आयुष्मान योजना के कारण इलाज की चिंता से मुक्त है। आज हर गरीब पीएम आवास योजना के कारण अपने पक्के घर की चिंता से मुक्त हो रहा है। आज जलजीवन मिशन योजना के कारण गाँव-गाँव में पानी की समस्या का समाधान हो रहा है। देश में रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स, IITs और IIMs खुल रहे हैं। गरीब से गरीब वर्ग के बच्चों के सपने साकार हो पा रहे हैं। हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो, प्रकृति संरक्षित रहे, इसके लिए सरकार ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भी शुरू किया है। आज इस अभियान के तहत करोड़ों पेड़ देश में लगाए जा चुके हैं। देश इतने बड़े स्तर पर इतना कुछ कर पा रहा है, तो इसके पीछे हमारा सेवाभाव ही है। गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र, सेवा की ये भावना, आज ये सरकार की नीति भी है और निष्ठा भी है।

साथियों,

जब हम सेवा के संकल्प से जुड़ते हैं, तो हम केवल दूसरों का ही भला नहीं कर रहे होते हैं। सेवा की भावना हमारे व्यक्तित्व को भी निखारती है, हमारी सोच को व्यापक बनाती है। सेवा हमें व्यक्तिगत दायरों से निकालकर समाज और राष्ट्र और मानवता के बड़े उद्देश्यों से जोड़ती है। हम सेवा के लिए मिल-जुलकर, एकजुट होकर काम करना सीखते हैं। हम जीवन के अलग-अलग पहलुओं को समझते हैं। आप सब सेवाकार्यों के लिए समर्पित लोग हैं। आपने अपने जीवन में अनुभव किया होगा, कठिनाइयों से लड़ना और फिर कठिनाइयों से जीतना, सेवा करते-करते हम सहज ही ये सब सीख जाते हैं। इसीलिए मैं कहता हूँ, सेवा एक साधना है, एक ऐसी गंगा है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को जरूर डुबकी लगानी चाहिए।

साथियों,

अशोक-नगर और आनंदपुर धाम जैसे ये क्षेत्र, जिन्होंने देश को इतना कुछ दिया है, इनका विकास भी हमारी ज़िम्मेदारी है। इस क्षेत्र को कला, संस्कृति और प्राकृतिक सौन्दर्य का वरदान प्राप्त है। यहाँ विकास और विरासत की असीम संभावनाएं हैं! इसलिए हम एमपी और अशोकनगर में विकास को तेज गति से बढ़ा रहे हैं। चंदेरी हैंडलूम को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए चंदेरी साड़ी को जी-आई टैग दिया गया है। प्राणपुर में क्राफ्ट हैंडलूम टूरिज्म विलेज शुरू हुआ है। इससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी। मध्य प्रदेश की सरकार अभी से ही उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों में भी जुट गई है।

भाइयों बहनों,

अभी कुछ ही दिन पहले रामनवमी का महापर्व भी था। हम देश में “राम वनगमन पथ” का विकास कर रहे हैं। इस राम वनगमन पथ का एक अहम हिस्सा मध्यप्रदेश से होकर गुजरेगा। और हमारा एमपी पहले से ही अजब और गजब है। इन कार्यों से उसकी पहचान और मजबूत होगी।

साथियों,

देश ने 2047 तक विकसित भारत बनने का लक्ष्य तय किया है। हमें पूरा विश्वास है कि ये लक्ष्य हम जरूर हासिल कर लेंगे। लेकिन इस यात्रा में हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों को हमेशा ध्यान में रखना है। हम देखते हैं, दुनिया के कई देश विकास यात्रा में अपनी संस्कृति से कट गए, उन्होंने अपनी परंपराएं भुला दीं। भारत में हमें अपनी पुरातन संस्कृति को संरक्षित करके रखना है। हमें ध्यान रखना हैं, भारत जैसे देश में हमारी संस्कृति केवल हमारी पहचान से ही नहीं जुड़ी है। हमारी संस्कृति ही हमारे सामर्थ्य को मजबूती देती है। मुझे खुशी है कि, आनंदपुर धाम ट्रस्ट इस दिशा में भी अनेक कार्य करता रहा है। मुझे विश्वास है, आनंदपुर धाम के सेवा कार्य विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा से आगे बढ़ाएँगे। एक बार फिर आप सभी को बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण उत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत बहुत बधाई। जय श्री सच्चिदानंद।

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