Quoteस्किल इंडिया मिशन सिर्फ जेब भरने का कार्यक्रम नहीं है बल्कि गरीबों में आत्मविश्वास लाने का एक माध्यम है: प्रधानमंत्री मोदी 
Quoteआने वाले वर्षों में भारत विश्व को सबसे ज्यादा कुशल कार्यबल प्रदान करेगा: प्रधानमंत्री
Quoteस्किल इंडिया पहल का लक्ष्य यह है कि हमें उन क्षेत्रों को औपचारिक दर्जा देने की जरुरत है जिन्होंने अनौपचारिक रूप से स्वतः सीखा है: प्रधानमंत्री 
Quoteमैं गरीबों की फ़ौज तैयार करूँगा, सभी गरीब नौजवान सैनिक हैं, हम उनलोगों के आत्मबल से गरीबी के खिलाफ इस लड़ाई को जीतेंगे: प्रधानमंत्री मोदी 
Quoteहमें भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरुरत है: प्रधानमंत्री मोदी 
Quoteउद्योगों की मांग के अनुसार रोजगार के अवसर पैदा कर बेरोजगारी को समाप्त किया जा सकता है: प्रधानमंत्री 

उपस्थित सभी महानुभाव और इस सभागृह के बाहर भी Technology के माध्‍यम से जुड़़े हुए और यहां उपस्‍थित सभी मेरे युवा मित्रों

आज पूरा विश्‍व ‘विश्‍व युवा कौशल दिवस’ मना रहा है। भारत भी उस अवसर पर एक महत्‍वपूर्ण कदम उठा रहा है। कुछ दिन पूर्व पूरे विश्‍व ने अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस मनाया और हमारे देश के लोगों को ताज्‍जुब हुआ कि दुनिया हमारी तरफ, इस तरफ देख रही है क्‍या? हमें कभी विश्‍वास ही नहीं था कि विश्‍व कभी हमारी तरफ भी गर्व के साथ देखता है। विश्‍व योगा दिवस पर हमने अनुभव किया कि आज पूरा विश्‍व भारत के प्रति एक बड़े आदर और गौरव के साथ देखता है।

हमारे यहां शिक्षा के संबंध में बहुत सारी चर्चाएं होती रहती हैं कि जितने बच्‍चे स्‍कूल जाते हैं। Secondary में उससे कम हो जाते हैं, Higher Secondary में उससे कम हो जाते हैं। Colleges में वो संख्‍या और गिर जाती है और toppertopper तो बहुत कम लोग पहुंचते हैं। तो ये सब जाते कहां है और जो जाते हैं उनका क्‍या होता है? जो ऊपर जाएं उनकी तो सब प्रकार की चिन्‍ता होती है। लेकिन जो रह जाए उसकी भी तो होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। ये हमारा Mission उन लोगों के लिए है, जो रह जाते हैं। और रह कौन जाते हैं? अमीर परिवार का बच्चा नहीं रह जाता। उसको तो कुछ न कुछ मिल जाता है। पैतृक परंपरा से। जो रह जाता है वो गरीब का बच्‍चा होता है, और एक प्रकार से हमने बहुत योजनापूर्वक गरीबी के खिलाफ एक जंग छेड़ी है। और ये जंग जीतना है। और ये गरीबी के खिलाफ जंग जीतने के लिए गरीब की ही मुझे फौज बनानी है। हर गरीब मेरा फौजी है, हर गरीब नौजवान मेरा फौजी है। उन्‍हीं की ताकत से, उन्‍हीं के बलबूते पर ये गरीबी के खिलाफ जंग जीतना है।

आज देश का कोई नौजवान हाथ फैला करके कुछ मांगने के लिए तैयार नहीं है। वो दयनीय जिंदगी जीना नहीं चाहता। वो आत्‍म-सम्‍मान से जीना चाहता है, वो गर्व से जीना चाहता है। skill, कौशल्‍य, सामर्थ्‍य ये सिर्फ जेब में रुपया लाता है, ऐसा नहीं है। वो जीवन में आत्‍मविश्‍वास भर देता है। जीवन में एक नई ताकत भर देता है। उसे भरोसा होता है कि दुनिया में कहीं पर भी जाऊंगा मेरे पास ये ताकत है, मैं अपना पेट भर लूंगा, मैं कभी भीख नहीं मांगूगा। ये सामर्थ्‍य उसके भीतर आता है और इसलिए ये Skill Development ये सिर्फ पेट भरने के लिए जेब भरने का कार्यक्रम नहीं है। ये हमारे गरीब परिवारों में एक नया आत्‍मविश्‍वास भरना और देश में एक नई ऊर्जा लाने का प्रयास है।

हमारे यहां सालों से, सदियों से हमने सुना है। अमीर परिवारों में क्‍या बात होती है वो तो हमें मालूम नहीं है। लेकिन हम जिस समाज, जीवन से आते है। हम अक्सर सुना करते थे हमारे परिवार में अगल-बगल में सब कुछ हमारे पिताजी और हमारे नौजवान साथियों के पिताजी यही कहते थे, अरे भाई कुछ काम सीखो। अपने पैरों पर खड़े हो जाना।

हमारे देश में मध्‍यम वर्ग, निम्‍न मध्‍यम वर्ग, गरीब परिवारों में ये सहज बोला जाता है। 12 से 15 साल का बच्‍चा हुआ तो मां-बाप यही कहते है कि अरे, भई कुछ काम सीखो, अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। अगर जो बात हमारे घर-घर में गूंजती है वो सरकार के कानों तक क्‍यों नहीं पहुंचती है और हमने उस आवाज को सुना है, उस दर्द को सुना है। जो हर मां-बाप के मन में रहता है कि बेटा या बेटी कुछ काम सीखे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं। एक बार अपने संतान पैरों पर खड़े हो जाएं तो गरीब परिवार के मां-बाप को लगता है कि चलिए जिंदगी धन्‍य हो गई। ये उसके मकसद में रहता है। उसका कोई मकसद कोई बहुत बड़ी बंगला बना करके, बहुत बड़ी गाड़ियां खड़ी करदे वो नहीं रहता है। Skill Mission के द्वारा हमारी कोशिश है, उन सपनों को पूरा करना और इसलिए एक structure way में एक organised way में राज्‍यों को साथ ले करके एक नए सिरे से इस काम को हम आगे बढ़ाऐंगे।

पिछली शताब्‍दी में, दुनिया के अंदर हमने IIT के माध्‍यम से विश्‍व में अपना नाम बनाया है, दुनिया ने हमारी IIT को एक अच्‍छे institution के रूप में स्‍वीकार किया , हमें गर्व है इस बात का लेकिन इस शताब्‍दी में हमारी आवश्‍यकता है ITI की , अगर पिछली शताब्‍दी में IIT ने दुनिया में नाम कमाया, तो इस शताब्‍दी में हमारी छोटी, छोटी IIT की इकाइयां ये दुनिया में नाम कमाएं ये सपना ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

हम कहते हैं कि हमारे पास 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 वर्ष से कम आयु की है, अगर उसके पास कौशल्य नहीं होगा, उसके पास अगर अवसर नहीं होंगे तो चुनौतियों को कैसे पार कर पाएगा। अगर वो चुनौतियों को पार नहीं कर पाएगा, तो हमारे लिए वो खुद एक चुनौती बन जाएगा और इसलिए भारत के लिए सबसे पहली अगर कोई प्राथमिकता है तो देश के नौजवानों के लिए रोजगार उपलब्‍ध कराना है । रोजगार के योग्‍य नौजवानों को तैयार करना है । रोजगार के योग्‍य नौजवान को तैयार करने के लिए पूरा एक mechanism, एक व्‍यवस्‍था एक structure तैयार करना, इस mission के द्वारा उन सभी आवश्‍यकताओं को पूर्ति करने का प्रयास करना। हम विश्‍व के युवा देश हैं, दुनिया के बहुत देश हैं जहां समृद्धि बहुत है लेकिन लोग नहीं हैं। घर में चार गाड़ी होंगी लेकिन चलाए कौन ये चिन्‍ता का विषय है।

दुनिया को जो workforce की जरूरत पड़ने वाली है हम लिख करके रखें आने वाले दशकों में विश्‍व को सबसे ज्‍यादा workforce अगर कहीं से मिलेगा तो हिन्‍दुस्‍तान से मिलेगा। दुनिया की मांग हमारे सामने स्‍पष्‍ट है कि दुनिया को जरूरत पड़ने वाली है लेकिन क्‍या हम उसके लिए सज्ज हैं क्‍या। हमने तैयारी की है क्‍या। ज्‍यादा से ज्‍यादा अभी हमारा ध्‍यान अभी nursing staff की तरफ रहता है। आप देखिए तो nursing staff के लोग जाते हैं या हमारे जो message का काम करने वाले लोग हैं जो gulf countries में गए हैं उसी के इर्द-गिर्द हमारा चला है। हमें न सिर्फ भारत को लेकिन पूरे विश्‍व की human resource की requirement का mapping करके भारत में अभी से सज्ज करना चाहिए कि चलिए आपको nursing में Para-medical के लोग चाहिएं ये हमारी 25 institution हैं, certified institution हैं, यहां से नौजवानों को ले जाइए आपका काम चलाइए। हमें विश्‍व की जो आवश्‍यकताएं हैं, एक बहुत बड़ा job market है, वो job market को वैज्ञानिक तरीके से अध्‍ययन करके हमने अपने लोगों को तैयार करना है। आज हमारे यहां क्‍या हालत है, हममें से बहुत लोग होंगे जिनको एक बात का अनुभव आया होगा यहां बैठे हुए, कभी न कभी अपने दोस्‍तों को कहा होगा यार देखो तुम्‍हारे यहां कोई अच्‍छा driver मिले तो मेरे पास driver नहीं है। अब ये सवाल का जवाब हमें ढूंढना है कि देश में नौजवान हैं, बेरोजगार हैं, और वो driver के बिना परेशान हैं। क्‍या हम रास्‍ता नहीं खोज सकते क्‍या। और आज फिर क्‍या होता है कि वो परम्‍परा से कहीं पर गाड़ी साफ करते-करते गियर बदलना सीख जाता है और steering पकड़ के तो हम कभी कभी risk ririsk लेके उसे रख लेते हैं। अब हमारी गाड़ी का कोई वो training institute बना करके वो सीखता है और कभी-कभार हमारा risk भी रहता है। क्‍या हम इन लोगों को certify करने की व्‍यवस्‍था कर सकते हैं जो अपने तरीके से परम्‍परागत सीख सके किसी institution में नहीं गए लेकिन कम से कम जो उसको रखता है उसको पता चले कि हां भाई ये इसके पास ये certificate है मतलब कहीं उसका exam हो चुका है। भले अपने आप सीखा हो। आज उम्र भले 35-40 पार कर गया हो लेकिन उसको लगता है के भई मेरे पास कोई authority नहीं है, कोई identity नहीं है, तो ये सरकार ये व्‍यवस्‍था करने जा रही है के भले आप परम्‍परा से सीखे हो लेकिन अगर आप basic norms को पार करते हो तो हम आपको certificate देंगे जो certificate किसी engineer से कम नहीं होगा, मैं विश्‍वास से कहता हूं। अब ये बड़ी कठिनाई है, सब्‍बरवाल बता रहे थे कि हर कोई कहता है भई अनुभव क्‍या है, वो कहता है पहले काम तो दो फिर मैं अनुभव का बताऊं। पहले मुर्गा कि पहले अंडा, इसी का बहस चल रहा है, नौकरी नहीं अनुभव नहीं, अनुभव नहीं इसलिए नौकरी नहीं, ये ही चलता रहता है।

हमारे साथ हमारी हां आवश्‍यकता है entrepreneurship को बल देना। कभी-कभी उद्योग जगत के लोग भी entrepreneur को रखने से डरते हैं, उनको लगता है यार रख लूंगा और सरकार का कोई साहब आके सर गिनेगा और ज्‍यादा हो गए तो मर गया मेरे कारखाने को ताला लग जाएगा, तो रखने को तैयार नहीं है । कानून की जकड़न भी कभी-कभी ऐसी है कि हमारे नौजवानों को जगह नहीं मिलती। हम चाहते हैं कि देश में रोजगारों का अवसर बढ़े। जो entrepreneurship के लिए जाना चाहता है उसको अवसर मिले। जो apprenticeship के लिए जाना चाहता है उसको अवसर मिले। जब तक उसको ये अवसर नहीं मिलेगा अनुभव आएगा नहीं। और इससे हमारी कोशिश है के apprenticeship को कैसे बढ़ावा दें। इस पूरे mission को हमनें skill तक सीमित नहीं रखा। इसके साथ entrepreneurship को जोड़ा। क्‍योंकि हम ये नहीं चाहते कि हर कोई बने तो बस कहीं-कहीं नौकरी खोजता रहे, जरूरी नहीं है। एक ड्राईवर भी entrepreneur बन सकता है। वो भी contract पर गाड़ी लेके sub-contractor बनके गाड़ी चला सकता है। हम उसके अंदर ये skill लाना चाहते हैं। जिस प्रकार से कभी-कभार क्‍या होता है जब तक आप value addition नहीं करते आप कुछ भी नहीं कर सकते। मान लीजिए आपको driving आता है लेकिन आप उसको कहते हो साहब मुझे computer का typing भी आता है। तो तुरन्‍त कहे अच्‍छा-अच्‍छा भई ये भी आता है, तो चलो-चलो फिर जब driving का काम पूरा होगा तो कम्‍प्‍यूटर करते रहना। तो जब उसको पता चले extra quality है तो उसका value बढ़ जाता है। हम चाहते हैं कि skill में multiple activity की ताकत उसकी हो। मैं देख रहा हूं मुझे कोई बता रहा था, बहुत समय हुआ कोई एक नौजवान था, plumber था, तो plumber के नाते जो काम मिलता था वो करता रहता था, लेकिन उसने धीरे-धीरे अपने-आपको yoga trainer के लिए तैयार किया और मजा ये है कि सुबह एक-दो घंटे yoga trainer के लिए जा करके वो ज्‍यादा कमाता था, जबकि plumber से बाद में कम। फिर क्‍या हुआ वो yoga training के साथ अब plumber भी जुड़ गया तो जहां yoga training करता है वो ही लोग को कहें यार देखो उधर plumber की जरूरत है तुम चले जाओ। उसने एक नई चीज सीखी। दोनों चीजें ऐसी हैं कि जिसमें उसको कोई college की degree की जरूरत नहीं थी। वो कमाना शुरू कर दिया। हम चाहते हैं कि देश के अन्‍दर इन बातों को कैसे भरोसा करें। आने वाले दिनों में पूरे विश्‍व में, पूरे विश्‍व में करोड़ों-करोड़ों की तादाद में workforce की requirement है। और अगले दशक में हमारे पास चार-साढ़े चार, पांच करोड़ के करीब लोग surplus होंगे workforce हमारे पास। अगर हम ये mismatch को दूर करते हैं, हम आवश्‍यकता के अनुसार उसको तैयार करते हैं तो हमारे नौजवानों को रोजगार के लिए अवसर मिलेंगे। कभी-कभार क्‍या होता है कि एक area है जहां chemical की industry आ रही है लेकिन वहां पर क्‍या पढ़ाया जाता है तो automobile पढ़ाया जाता है। अब उसको वहां job मिलती नहीं है। हमें mapping करना होगा कि काम किया है, बहुत बड़ी मात्रा में काम हुआ है कि किस इलाके में हमारा क्‍या potential है, क्‍या-क्‍या establishment है, वहां पर किस प्रकार की requirement है। हम उस प्रकार का human resource training करेंगे ताकि उसको walk to work के लिए वो तैयार हो जाएं, उसको अपने घर के पास ही काम-काज मिल जाए तो उसको आर्थिक रूप से ज्‍यादा बोझ नहीं बनता है। नहीं तो होता क्‍या है कि जो चीज को सीखता है उसके 100 किलोमीटर की range में वो काम ही नहीं होता। मुझे याद है जब मैं गुजरात में काम करता था, शुरू-शुरू में मैंने देखा automobile में वो चीजें पढ़ाई जाती थीं जो गाडि़यां बाजार में थीं ही नहीं। हमारी technology थी। खैर बाद में तो course बदल दिए सब, जो trainers थे उनकी भी training की, काफी कुछ बदलाव लाना पड़ा, लेकिन आज भी शायद कई जगह पर बहुत जगह पर ऐसा हो। और इसलिए आवश्‍यक हैं कि हमारी सारी training institutes को dynamic बनाना है। टेक्‍नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही है, अगर हमारी training dynamic नहीं होगी तो हमारा वो व्‍यक्ति relevant नहीं रहेगा। पुराने जमाने के cook को आज oven चलाना नहीं आता है तो घर में वो cook काम नहीं करेगा। उसको आना चाहिए, oven क्‍या, सीखना पड़ता है हर चीज को, additional training आवश्‍यक होती है और इसलिए dynamics बहुत आवश्‍यक है उसके लिए । हम जिस training की ओर बल दे रहे हैं उसकी दिशा में हमारा प्रयास है। कौशल्‍य के संबंध में भारत की पहचान सदियों से रही है। हमने अपनी इस विधा को भुला दिया है। सदियों पहले हमारे यहां, हमारी विशेषताओं को कितना माना जाता था। हमारे कौशल्‍य की ताकत को माना जाता था। हमने फिर से एक बार उसको regain करना है। अगर आज दुनिया में चीन ने अपनी ये पहचान बनाई है कि चीन की एक पहचान बन गई है कि जैसे वो दुनिया की manufacturing factory बन गया है। अगर चीन की पहचान दुनिया की manufacturing factory की है तो हिन्‍दुस्‍तान की पहचान दुनिया की required human resource का capital बनने की बन सकती है। हमारे पास जो ताकत है उस पर हमें बल देना है। हम अपनी ताकत पर जितना हम जोर लगाएंगे हम चीजों को उतना प्राप्‍त कर पाएंगे और इसलिए हमारी कोशिश यह है कि हम mapping करके, human resource की requirement के अनुसार training करें। और हमें पता होना चाहिए। आज, आज भी मैं बताता हूं आज देश में लाखों की तादाद में trained drivers नहीं है। देश को जितने trained drivers चाहिए, उसकी perfect training के लिए जिस प्रकार की आधुनिक व्‍यवस्‍था चाहिए वो व्‍यवस्‍था भी उपलब्‍ध नहीं है। फिर तो वो चलते-चलते सीखता रहता है। कहने का तात्‍पर्य यह है कि बेरोजगारी का कोई कारण नहीं है। अगर हम रोजगार को ध्‍यान में रखते हुए, विकास के मॉडल को ध्‍यान में रखते हुए human resource development के design तैयार करें। अगर इन तीनों को जोड़ करके प्रयास करें।

कभी-कभार क्‍या होता है कि जो इस प्रकार के training institutions हैं उनको ये पता नहीं होता कि दुनिया कैसे बदल रही है। वो अपना पुराने ढर्रे से चलते हैं। आवश्‍यकता है जैसे आज यहां है, यहां पर रोजगार देने वाले लोग भी बैठे है, रोजगार लेने वाले भी मौजूद हैं और रोजगारी के योग्‍य नौजवानों को तैयार करने वाले लोग भी मौजूद हैं और इन सारी चीजों के लिए नीति निर्धारण करने वाले लोग भी मौजूद हैं। इस सभागृह में सब प्रकार के लोग हैं। क्‍यों, ये हमें आदत बनानी होगी। हमारे उद्योग जगत के लोगों के साथ, हमारे technical world के साथ लगातार हमें बैठना पड़ेगा। उनसे पूछना पड़ेगा कि क्‍या लगता है Next ten year किस प्रकार की चीजें आप देख रहे हैं। वो कहते है next ten year ऐसा ऐसा आने वाला है। ऐसी ऐसी संभावना है तो हमें हमारा syllabus अभी से उसी प्रकार ऐसा बनाना चाहिए। हमारी training institution को ऊपर से तैयार करनी चाहिए तो यहां हमारा training के institutions से लोग बाहर निकले और वहां पर जाते ही उनको नई technology आ गई है तो placement मिल जाएगा। तो हमने futuristic vision के साथ हमने यह सोचना होगा कि next ten year के development की design क्‍या है, कौन सी technology काम करने वाली है, किस प्रकार से व्‍यवस्‍था बनाने वाली है, हमारा human resource development according to that होना चाहिए। अगर हमारा human resource development according to that होता है तो मैं नहीं मानता हूं कि बेरोजगारी का कोई कारण बनता है, उसको रोजगार मिलता है। कैसी training से कितना फर्क होता है, मैं अपने अनुभव कुछ शेयर करना चाहता हूं। गुजरात के लोग, मैं गुजरात में था इसलिए वहां का उदाहरण दे रहा हूं। सेना में बहुत कम जाते हैं। अब वो उनका development ही अलग है। लेकिन हमने सोचा है भई क्‍यों न हो हमारे लोग क्‍यों न सेना में जाएं। तो मैंने जरा पूछताछ की, कि क्‍या problem है भई। नहीं बोले जब physical exercise और exam होते हैं उसी में fail हो जाते हैं। तो उनको बोले वो आते हैं तो हमारा उसमें scope है, कोटा है लेकिन हमें मौका नहीं मिलता है। तो मैंने क्‍या किया army के कुछ retired अफसरों को बुलाया। हमने कहा भई हमारे जो tribal belt है वहां के नौजवानों को तुम trained करो कि exam कैसे पास करते हैं। सब हमारा मेल बैठ गया। उन्‍होंने training के camp लगाने शुरू किए। एक-एक महीने के camp लगाते गए और जब भर्ती होने लगी तो करीब जो 5-7 percent लोग हमारे मुश्‍किल से जाते थे। 35-40 percent तक पहुंचा दिया था। training मात्र से। उनको समझाया कि भई ऐसे दौड़ते हैं, सीना ऐसे करते हैं, जरा एक-दो चीजें तुम्‍हें करना आ जाएगी तुम्‍हारी entry हो जाएगी। वो तैयार हो गए। कहने का तात्‍पर्य यह है कि ऐसा नहीं है कि कोई नौजवान जाना नहीं चाहता, लेकिन कोई उसको समझाए तो। चीजें छोटी-छोटी होती हैं लेकिन बहुत बड़ा बदलाव लाती है, बहुत बड़ा बदलाव लाती है। और आज, job market एक इतना बड़ी field है, क्‍योंकि हर किसी को कोई न कोई सेवादार की जरूरत होती है, किसी न किसी की व्‍यवस्‍था हो जाए। मैं जब skill development के लिए मैं काफी दिमाग खपाता रहता था क्‍योंकि मुझे लगता है कि ये और आज से नहीं मैं कई वर्षों से इसमें ज़रा रुचि लेता था। मैंने बहुत साल पहले ये सबरवाल जी को अपने यहां भाषण के लिए बुलाया था। जब मैंने सुना कि ये job market में काफी काम कर रहे है तो मैंने कहा कि भई बताओ तुम क्‍या-क्‍या सोचते हो। बहुत साल पहले की बात है। कहने का तात्‍पर्य यह है कि मुझे पता लग रहा था कि इसका एक अलग महत्‍व है। इस महत्‍व को हमें अनुभव करना चाहिए। एक बार मैंने बहुत छोटी उम्र में दादा धर्माधिकारी को मैं पढ़ता रहता था। आचार्य विनोबा भावे के साथी थे। Gandhian थे और बड़े ही समर्पित Gandhian थे। चिंतक थे। एक बढ़िया उन्‍होंने अपना एक प्रसंग लिखा है। कोई नौजवान उनके पास गया कि दादा कहीं नौकरी मिल जाए, काम मिल जाए तो उन्‍होंने पूछा कि तुम्‍हें क्‍या आता है, बोले कि मैं graduate हूं। तो कहा कि अरे भई मैं तुझे पूछ रहा हूं कि क्‍या आता है, अरे बोला मैं graduate हूं। अरे भई तुम graduate हो मैंने सुन लिया, मुझे समझ आ गया, तुम्‍हें आता क्‍या है। नहीं बोले कि मैं graduate हूं। मुझे कुछ काम तो मिले। चल अरे भई तुझे driving आता है क्‍या, तुम्‍हें बर्तन साफ करना आता है, तुम्‍हें रोटी पकाना आता है क्‍या, कपड़े धोना आता है। क्‍या आता है बताओ न। अरे मैं तो केवल graduate हूं। दादा धर्माधिकारी ने बढ़िया ढंग से एक चीज को लिखा है, अपने स्‍वानुभवों से लिखा है और इसलिए आवश्‍यक है कि उसको जीवन जीने का भी कौशल्‍य इस हस्‍त कौशल्‍य से आता है। जो हाथ से वो कला सीखता है जो ताकत आती है उससे जीवन जीवन्‍य का कौशल्‍य प्राप्‍त होता है और उसको प्राप्‍त कराने की दिशा में हमारा एक प्रयास है। हम उसे entrepreneur भी बनाना चाहते हैं।

अब आप देखिए tourism हमारे देश में develop कर रहा है। जो स्‍थान tourist destination है, वहां tourist guide तैयार करने की कोई institute है क्‍या, नहीं है। वहां पर language courses है क्‍या। अगर आगरा है, tourist destination है तो आगरा के अंदर language courses सबसे ज्‍यादा क्‍यों नहीं होने चाहिए। ताकि वहां पर उनके बच्‍चों को सहज रूप से लैंगवेज आती हो, tourist को लगेगा अपनापन, उसकी भाषा में बात करेगा। ये अगर हमें tourism develop करना है तो हमें हमारे वहां के driver को manners सिखाने से लेकर के language से communicate करने वाले लोगों तक की एक सहज समाज में फौज खड़ी करनी पड़ती है, जिनकी रोजी-रोटी भी उसी से चलती है। हमें जब तक इस प्रकार का टारगेटिड और जो कि देश की ताकत को बढ़ाता है, service sector में भी हम specific चीजों को करें तो बदलाव आता है। आज देश में tourism को बढ़ावा देने के लिए बहुत बड़ी ताकत है, बहुत बड़ी ताकत है। लेकिन उस प्रकार से जो human resource तैयार करने चाहिए, वो human resource करने के लिए हम उतने उदासीन होते हैं। मैं तो इस मत का हूं कि जो-जो tourist destination हो वहां पर हमेशा competition होते रहने चाहिए guide के। who is the best guide । कौन उस शहर का बढ़िया से बढ़िया वर्णन करता है। Competition हो, ईनाम देते रहो, आपको बढ़िया से बढिया, आपको ढेर सारे नौजवान मिलते रहेंगे जो history बताएंगे, archaeology बताएंगे, architecture बताएंगे, व्‍यक्तियों के नाम बताएंगे। सब पचासों सवालों के जवाब दे पाएंगे। धीरे-धीरे potential खड़ा हो जाएगा। कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि हमारे यहां संभावनाएं बहुत है, मुझे जब मैं skill में काम करता था, मैंने क्‍या किया, हमारे यहां अफसर लोग आए हुए थे। चल रहा था, कैसे करना हे, मैंने कहा कि एक काम करो भई, गर्भाधान से लेकर मृत्‍यु तक, जीवन में कितनी चीजों की आवश्‍यकता होती है, उसकी एक सूची बना लो और जो सूची बनेगी, उतनी skill चाहिए। तो उन अफसरों ने कहा अब हम सोचते हैं। उन्‍होंने सरसरी नज़र में दो-तीन दिन बैठे बनाए तो कोई nine hundred and twenty six चीजें लेकर के आएं। कि वो जन्‍म के बाद उसको ये चाहिए, पढ़ाई के समय ये लगेगा, शादी के समय गुलदस्‍ता लगेगा। सारी चीजों की लिस्‍ट बनाई। कोई nine hundred and twenty six चीजें ऐसे ही सरसरी, वैसे बनाई जाए तो शायद दो हजार निकलेंगी। मैंने कहा कि इन nine hundred and twenty six का skill development है क्‍या तुम्‍हारे पास। लोगों को जरुरत है। ये हमने सोचना होगा। अगर भई गुलदस्‍ते की जरुरत है तो गुलदस्‍ता देना और value addition कैसे होता है, मैं हैरान था, मैं कोई अगर technology नई आए तो देखने का ज़रा शौकीन हूं।

एक बार मैं एक tribal belt में गया। तो वहां मुझे, वहां के आदिवासी बच्‍चियों ने एक गुलदस्‍ता दिया और मैं हैरान था कि उस गुलदस्‍ते के हर फूल पर मेरी तस्‍वीर लगाई हुई थी। मेरे लिए वो surprise था। मुझे लगा कि उन्‍होंने चिपकाया होगा। तो मैंने ज़रा यूं करके देखा तो ऐसा तो नहीं लगा। तो मैंने फिर उनको वापिस बुलाया। मैंने कहा कि ये क्‍या है, ये tribal बच्‍चियों की मैं बात कर रहा हूं। बोले, हमने गुलाब की पत्‍तियों पर laser technique से आपकी फोटो छापी है। अब आप बताइए value addition करने की क्‍या सोच होती है। एक आदिवासी इलाके की गरीब स्‍कूल की बच्‍ची को भी ये दिमाग में आता है कि टैक्‍नोलॉजी का कैसे उपयोग होता है। मतलब work dynamics बदल रहे हैं। हम उसके लिए सज्ज कैसे करे। मुझे तो लगता है कि कोई ये चलाए न कि भई एक घंटे का training , board लगाकर बैठ जाए। क्‍या, mobile phone कैसे उपयोग किया जाए, मैं सिखाउंगा। मैं बताता हूं साहब लोग लग के queue में खड़े हो जाएंगे। बहुत लोग है जो ये तो ढूंढते रहते है कि नया model कौन सा आया है। लेकिन उनको ये पता नहीं होता है कि ये green या red button के सिवाए इसका क्‍या उपयोग होता है। अब किसी के दिमाग में है हां भई मैं ये करूंगा, आप देखिए लोग जाएंगे कि अच्‍छा भई मैं नया लाया हूं अच्‍छा बता कैसे operate करेंगे, क्‍या-क्‍या चीजें होती हैं। सीखने क लिए लोग जाएंगे, उपयोग करेंगे। कहने का तात्‍पर्य यह है कि हमें ये जोड़ना है, हमें कौशल्‍य के साथ जीवन जीने की क्षमता, कौशल्‍य के साथ रोजगार के अवसर, कौशल्‍य के साथ विश्‍व के अंदर भारत का डंका बजाने का प्रयास। इस लक्ष्‍य को लेकर हम इस काम को लेकर के चल रहे हैं मैं राजीव प्रताप रूडी और उनकी पूरी टीम का बधाई देता हूं जिस प्रकार से इस कार्यक्रम की रचना की है। जिस प्रकार से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया है। और उसमें देखिए innovation कैसे होते हैं। मुझे बाहर, आपको भी मौका मिले तो देखिए एक बच्‍ची ने ये जो ship के अंदर कंटेनर होते हैं। वो जो rejected माल जो होता है container उसको लगाया है और उसने कंटेनर को ही अंदर school में convert कर दिया है। जो कि discard होने वाला था। वो टूटने के लिए जाने वाला था। देखिए कैसे लोग अपने कौशल्‍य का उपयोग करते हैं। किस प्रकार से चीजों में professionalism आ रहा है। हमें इन चीजों को लाना है और मैं मानता हूं कि भारत के नौजवानों के पास भरपूर क्षमताएं हैं, उसको अवसर मिलने चाहिए। वो किसी भी चुनौतियों को चुनौती देने के लिए सामथर्यवान होता है और अब भारत जो कि demographic dividend के लिए गर्व करता है उस demographic dividend की गारंटी skill में है, trained man power में है और उस trained man power schools पर बल देकर के हम आगे बढ़े, यहीं मेरी शुभकामनाएं हैं और इन नौजवान बच्‍चों को जिन्‍होंने दुनिया में हमारा नाम रोशन किया है। वे अब जा रहे हैं। World Competition में, हम उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं दें।

मैं आशा करता हूं कि हम दुनिया में इस क्षेत्र में हमारी पहचान बनाएं कि हां भई हमारे नौजवानों में कौशल्‍य के अंदर और ये Olympic से कम नहीं होता इनका ये game, इनका ये कौशल्‍य दिखाना। बड़ा महत्‍वपूर्ण होता है। हमारे देश में अभी ध्‍यान नहीं गया क्‍योंकि वो नहीं है, glamour नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे आ जाएगा। आज शुरू किया है मैंने। धीरे-धीरे दुनिया का ध्‍यान जाएगा।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

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July 03, 2025
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Quoteमजबूत भारत अधिक स्थिर और समृद्ध विश्व में योगदान देगा: प्रधानमंत्री

The Right Honourable Speaker,

Leadership of the House,

Honourable Members of Parliament,

Members of the Council of State,

Members of the Diplomatic Corps,

Representatives of Political Parties,

The Ga Maan Tasse,

Independent Constitutional bodies,

Civil Society Organizations,

The Indian Community in Ghana,

Maachhhe !

Good morning!

I am deeply honoured to address this esteemed House today.

It is a privilege to be in Ghana - a land that radiates the spirit of democracy, dignity, and resilience. As the representative of the world’s largest democracy, I bring with me the goodwill and greetings of 1.4 billion Indians.

Ghana is known as the land of gold, not just for what lies under your soil, but as much for the warmth and strength in your hearts. When we look at Ghana, we see a nation that shines with courage that rises above history that meets every challenge with dignity and grace. Your commitment to democratic ideals and inclusive progress truly makes Ghana a beacon of inspiration for the entire African continent.

Friends,

Last evening was a deeply moving experience. Receiving your national award from my dear friend, President Mahama, is an honour. I will always cherish it.

इस सम्मान के लिए में 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से घाना के लोगों का आभार व्यक्त करता हूँ।

On behalf of the 1.4 billion people of India, I thank the people of Ghana for this honour. I dedicate it to the enduring friendship and shared values that bind India and Ghana.

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Distinguished members,

Earlier today, I had the honour of paying tribute to a visionary statesman, and beloved son of Ghana Dr. Kwame Nkrumah.

He once said,

"The forces that unite us are intrinsic and greater than the super-imposed influences that keep us apart.”

His words continue to guide our shared journey. His vision was a democratic Republic, built on strong institutions. True democracy promotes discussion and debate. It unites people. It supports dignity and promotes human rights. Democratic values may take time to grow. But it is our responsibility to preserve and nurture them.

Friends,

India is the mother of Democracy.

हमारे लिए लोकतंत्र एक system नहीं, एक संस्कार है
हजारों वर्षों से लोकतंत्र ने भारतीय समाज को निरंतर गति दी है

For us, democracy is not merely a system. It is a part of our fundamental values. From thousands of years ago, we have examples of centers like Vaishali. The Rig Veda, one of the world’s oldest scriptures, says:

आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः

It means, let good thoughts come to us from all directions.

This openness to ideas is the core of democracy. India has over two thousand five hundred political parties. I repeat, two thousand five hundred political parties. Twenty different parties governing different states, twenty-two official languages, thousands of dialects.

This is also the reason that people who came to India have always been welcomed with open hearts. The same spirit helps Indians integrate easily wherever they go. Even in Ghana, they have blended into society, just like sugar in tea.

Distinguished Members,

The histories of India and Ghana bear the scars of colonial rule. But our spirits have always remained free and fearless. We draw strength and inspiration from our rich heritage. We take pride in our social, cultural and linguistic diversity.

We built nations rooted in freedom, unity, and dignity. Our relationship knows no bounds. And with your permission, may I say, our friendship is sweeter than your famous ‘Sugarloaf’ pineapple. With President Mahama, we have decided to elevate our ties to a comprehensive partnership.

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Friends,

The world order created after the Second World War is changing fast. The revolution in technology, the rise of the Global South, and the shifting demographics are contributing to its pace and scale. The challenges such as colonial rule that humanity has faced in the earlier centuries, still persist in different forms.

The world is also facing new and complex crises such as climate change, pandemics, terrorism, and cybersecurity. Institutions created in the last century are struggling to respond. The changing circumstances demand credible and effective reforms in global governance.

Progress cannot come without giving voice to the Global South. We need more than slogans. We need action. That is why, during India’s G20 Presidency, we worked with the vision - One Earth, One Family, One Future.

We put emphasis on Africa’s rightful place at the global high table. We are proud that the African Union became a permanent member of the G20 during our Presidency.

Friends,

For India, our philosophy is - Humanity First.

We believe in :

सर्वे भवन्तु सुखिनः ,
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ,
मा किश्चत दुःखभाग्भवेत्॥

It means,

"May all be happy,
May all be free from illness,
May all see what is auspicious ,
May no one suffer in any way.”

This philosophy embodies India’s approach to the world. It guided our actions during the COVID pandemic. We shared vaccines and medicines with over 150 countries, including our friends in Ghana.

We launched Mission LiFE - Lifestyle For Environment, to address climate change and promote sustainable living. This inclusive spirit powers our global initiatives like:

One World, One Sun, One Grid;

One World One Health; for a healthier planet;

International Solar Alliance; to encourage solar energy and sustainability;

International Big Cats Alliance; to protect wildlife;

and the Global Biofuels Alliance; to advance clean biofuels and cut carbon emissions.

I am glad that Ghana, as a founding member, will host the African Regional Meeting for the International Solar Alliance this September. This demonstrates our shared belief that the world is one family.

Distinguished members,

Over the past decade, India has seen a major transformation. The people of India have reposed their faith in peace, security, and development. Last year, they re-elected the same government for the third consecutive time. Something, that happened after more than six decades.

Today, India is the fastest growing emerging economy. On the foundations of stable polity and good governance, India will soon be the third largest economy.

We already contribute nearly 16% to global growth. Our demography is paying its dividend. India now has the world’s third largest start -up ecosystem. India is an innovation and technology hub, where global companies want to converge.

We are recognised as the Pharmacy of the world. Indian women today lead in science, space, aviation and sports. India landed on the Moon. And, today an Indian is in orbit giving wings to our human space flight mission.

कितना सुखद संयोग है कि, भारत के कई गौरव भरे क्षणों में, अफ्रीका जुड़ा हुआ है। जब भारत के चंद्रयान ने, चाँद के साउथ pole पर लैंड कया, तो उस दिन भी मैं अफ्रीका में था। और आज , जब एक भारतीय एस्ट्रोनॉट, मानवता के उज्ज्वल भविष्य के लिए , space स्टेशन में experiments कर रहा है , मैं एक बार फिर अफ्रीका मैं हूँ ।

Africa has been connected to many of India’s proudest moments in space. When India’s Chandrayaan landed on the Moon’s South Pole, I was in Africa. And today, as an Indian astronaut conducts experiments onboard Space Station for the welfare of humanity — I am once again in Africa.

This is no ordinary coincidence. It reflects the deep bond we share, our common aspirations, and our shared future. Our development is inclusive. Our growth touches the lives of every Indian.

The people of India have resolved to make India a Developed Nation by 2047, when we celebrate 100 years of Independence. As Ghana continues to pursue the path of progress and prosperity, India shall walk with you, shoulder to shoulder, on this road.

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Friends,

आज ग्लोबल उठा-पटक, हर कसी के लिए चिंता का कारण है। ऐसे में, भारत का लोकतंत्र, आशा की किरण बना हुआ हैं । उसी प्रकार, भारत की विकास यात्रा, ग्लोबल ग्रोथ को गति देने वाली है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र , एक ऐसा स्तंभ है , जो जितना मज़बूत होगा, दुनिया को उतना ही सशक्त बनाएगा। वैश्विक स्थिरता बढ़ाने में योगदान करेगा।

In these times of global uncertainty, India's democratic stability shines as a ray of hope. India’s rapid progress is a catalyst for global growth. As the world’s largest democracy, India is a pillar of strength for the world. A strong India, will contribute to a more stable and prosperous world. After all, our mantra is:

सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास

It means "Together, for everyone’s growth with everyone’s trust and effort.”

India remains a committed partner in Africa’s development journey. We support Africa's Development Framework, Agenda 2063, to secure a bright and sustainable future for its people.

Africa’s goals are our priorities. Our approach is to grow together as equals. Our development partnership with Africa is demand-driven. It is focussed on building local capacities and creating local opportunities. Our objective is not just to invest, but to empower. To help develop self-sustaining eco-systems.

It is my honour to give further momentum to this partnership. In 2015, we hosted the India-Africa Summit. President Mahama was one of our esteemed Guests. In 2017, India hosted the annual meeting of the African Development Bank. We have expanded our diplomatic presence to 46 countries across Africa.

Over 200 projects across the continent enhance connectivity, infrastructure and Industrial capacity. Every year, our India-Africa Business conclave generates new opportunities.

In Ghana, we inaugurated the Tema – Mpakadan rail line last year. It is the largest infrastructure project in this part of the African region. We welcome Ghana’s own efforts to accelerate economic integration under the African Continental Free Trade Area.

Ghana also holds great potential to become an IT and innovation hub in the region. Together, we will shape a future, full of promise and progress.

Distinguished Members,

Free and fair elections are the soul of any democracy. It is encouraging to see our Electoral Commissions working closely together. I am confident that India’s Election Commission will be honoured to share its experiences in conducting the world’s largest elections with full trust and transparency.

Parliamentary exchanges are also a cornerstone of the relationship between our two democracies. I recall the Commonwealth Parliamentary Association Meeting held in Accra in 2023. It welcomed the largest Indian Parliamentary delegation to Ghana, including state legislatures in India. We deeply value such vibrant dialogue.

I welcome the establishment of Ghana-India Parliamentary Friendship Society in your Parliament. I propose to further reinforce our Parliamentary ties. I invite you to visit the new Parliament of India. You will be able to see the bold steps we have taken to reserve one-third of seats in the Indian Parliament and State Assemblies for women.

You can witness the debate and discussions that are the hallmark of Indian democracy. I assure you, they are as spirited and passionate as the game of your beloved-Black Stars!

Friends,

India and Ghana share a dream. A dream where every child gets opportunities. Where every voice is heard. Where nations rise together, not apart.

Dr Nkrumah had said, and I quote: "I am not African because I was born in Africa. But because Africa was born in me.”

In the same way, India carries Africa in its heart. Let us build a partnership not only for today, but for generations to come.

Thank you.

मेदा - मुआसे !