Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ के भिलाई में 22,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्धाटन किया।
Quoteभिलाई का ये आधुनिक और परिवर्तित स्टील प्लांट अब ‘न्यू इंडिया’ की बुनियाद को भी स्टील जैसा मजबूत करने का काम करेगा: पीएम मोदी
Quoteजल, जमीन और हवाई कनेक्टिविटी बढ़ाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं: प्रधानमंत्री
Quoteउड़ान योजना के तहत हम उन जगहों पर नए हवाईअड्डों का निर्माण कर रहे हैं, जहां पुरानी सरकारें सड़कें तक बनाने से पीछे हट जाती थीं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteनया रायपुर अब देश का पहला ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी है, चाहे बिजली हो या पानी या फिर परिवहन सब कुछ एक ही कमांड सेंटर से नियंत्रित किया जाएगा: पीएम मोदी
Quoteकिसी भी हिंसा या साजिश का जवाब सिर्फ विकास है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय, भिलाई स्टील प्‍लांट छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा के अनमोल रत्‍न हैं। छत्तीसगढ़ महतारी के प्रताप के चिन्‍हारी हैं।छत्तीसगढ़ के यशस्‍वी और लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री हमारे पुराने साथी डॉ. रमन सिंह जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी चौधरी बीरेंद्र सिंह जी, मंत्री श्री मनोज सिन्‍हा जी, इसी धरती की संतान केंद्र में मेरे साथी श्री विष्‍णु देव सहाय जी, छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्‍यक्ष श्रीमान गौरीशंकर अग्रवाल जी, राज्‍य सरकार के सभी वरिष्‍ठ मंत्रीगण और छत्तीसगढ़ के मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों।

दो महीना पहले वो भी 14 तारीख थी। आज भी 14 तारीख है। मुझे दोबारा एक बार आपके आर्शीवाद प्राप्‍त करने का अवसर मिला है।

जब मैं 14 अप्रैल को आया था यहीं की धरती से युष्‍मान भारत योजना के पहले चरण की शुरुआत की थी। आज दो महीने बाद 14 तारीख को भिलाई में आप सभी से आर्शीवाद लेने का सौभाग्‍य फिर एक बार मुझे प्राप्‍त हुआ है।

छत्तीसगढ़ के इतिहास में, छत्तीसगढ़ के भविष्‍य को मजबूत बनाने वाला एक और सुनहरा अध्‍याय आज जोड़ा जा रहा है। अब से कुछ देर पहले भिलाई में स्टील प्‍लांट के विस्‍तार और आधुनिकीकरण, दुसरा जगदलपुर हवाई अड्डा, नया रायपुर के कमांड सेंटर के लोकार्पण, अनगिनत विकास के काम। इसके अलावा भिलाई में आईआईटी कैंपस के निर्माण और राज्‍य में भारत नेट फैज-2 पर भी आज से काम शुरू हो गया है।

करीब-करीब 22 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की योजनाओं का उपहार आज छत्तीसगढ़ के मेरे प्‍यारे भाईयो बहनों को मैं समर्पित कर रहा हूं। ये सभी योजनाएं यहां रोजगार के नए अवसर बनाने वाली है। शिक्षा के नए अवसर पैदा करने वाली है। आवाजाही के आधुनिक साधन देने वाली है औरछत्तीसगढ़ के दूर दराज के इलाकों को संचार की आधुनिक तकनीक से जोड़ने वाली है। कई वर्षों में हिन्‍दुस्‍तान में जब बस्‍तर की बात आती थी, तो पंप, बंदूक, पिस्‍तौल और हिंसा की बात आती थी। आज बस्‍तर की बात जगदलपुर के हवाई अडडे से जुड़ गई है।

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साथियों जिस राज्‍य के निर्माण के पीछे हम सबके ध्‍येय अटल बिहारी वाजपेयी जी का विजन है। मेरे छत्तीसगढ़ वासियों का कठोर परिश्रम है, तपस्‍या है। उस राज्‍य को तेज गति से आगे बढ़ते देखना हम सबके लिए एक बहुत सुखद अनुभव है। आनंद और प्रेरणा देने वाला अनुभव है।

अटल जी के विजन को मेरे मित्र मुख्‍यमंत्री रमन सिंह जी ने पूरे परिश्रम के साथ आगे बढ़ाया है। अब जब भी मैं उनसे बात करता हूं,  टेलीफोन पर तो अक्‍सर मिलते रहते हैं। रूबरू मिलता हूं। हर बार वो कोई नई कल्‍पना नई योजना नई चीज लेकर के आते हैं और इतने उमंग और उत्‍साह के साथ आते हैं। और वो उसको लागू करके सफलता के शिखर पर पहुंचाने का आत्‍मविश्‍वास उनकी हर बात में नजर आता है।

साथियों, हम सब जानते हैं विकास करना है प्रगति करनी है तो शांति, कानून और सामान्‍य जीवन की व्‍यवस्‍थाएं- ये प्राथमिकता रहती है। रमन सिंह जी ने एक तरफ शांति, स्थिरता, कानून, व्‍यवस्‍था उस पर बल दिया। तो दूसरी तरफ विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाते चले। नर्इ कल्‍पनाएं, नई योजनाएं को लेकर आते रहे और विकास की इस तीर्थयात्रा के लिए मैं रमन सिंह जी और उनके यहां के ढाई करोड़ से ज्‍यादा मेरे छत्तीसगढ़ के भाईयो बहनों को अभिनंदन करता हूं। शुभकामनाएं देता हूं।

भाईयो बहनों, ये क्षेत्र मेरे लिए नया नहीं है। जब छत्तीसगढ़ बना नहीं था मध्‍य प्रदेश का हिस्‍सा था। मैं कभी इस क्षेत्र में टू-व्‍हीलर पर आया करता था। मैं संगठन के काम के लिए आता था। ये मेरे सारे साथी, हम पांच-पचास लोग मिलते थे। देश की, समाज की छत्तीसगढ़ की, मध्‍यप्रदेश मैं की कई समस्‍याएं देखता था। बाते करते थे तब से लेकर आज तक कोई ऐसा वक्‍त नहीं आया जब मेरा छत्तीसगढ़ से दूरी बनने का कोई कारण बना। इतना प्‍यार आप लोगों ने दिया है। हर बार आपसे जुड़ा रहा। शायद पिछले 20,22-25 साल हुए होंगें जिसमें एक भी वर्ष ऐसा नहीं होगा कि जहां मेरा छत्तीसगढ़ आना न हुआ हो। शायद यहां कोई डिस्ट्रिकट ऐसा बचा होगा कि जहां मेरा जाना न हुआ हो। और यहां के प्‍यार को यहां के लोगों की पवित्रता को मैंने भलीभांति अनुभव किया है।

भाईयो बहनों, आज यहां आने से पहले मैं भिलाई स्‍टील प्‍लांट गया था। 18 हजार करोड़ से अधिक खर्च करके इस प्‍लांट को और आधुनिक तकनीक और नई क्षमताओं से युक्‍त किया गया है। और मेरा सौभाग्‍य है कि आज मुझे इस परिवर्तित आधुनिक प्‍लांट के लोकार्पण का भी अवसर मिला है। ये देख के बहुत कम लोगों को पता होगा कि कच्‍छ से कटक तक और करगिल से कन्‍याकुमारी तक आजादी के बाद जो भी रेल की पटरियां बिछी हैं। उनमें अधिकतर इसी धरती से आप ही के पसीने के प्रसाद के रूप में पहुंची हैं। निश्चित तौर पर भिलाई ने सिर्फ स्‍टील ही नहीं बनाया है बल्कि भिलाई ने जिंदगियों को भी संवारा है। समाज को सजाया है और देश को भी बनाया है।

भिलाई का ये आधुनिक परिवर्तित स्‍टील प्‍लांट अब न्‍यू इंडिया की बुनियाद को भी स्‍टील जैसा मजबूत करने का काम करेगा। साथियों भिलाई और दुर्ग में तो आपने खुद अनुभव किया है। कि कैसे स्‍टील प्‍लांट लगाने के बाद यहां की तस्‍वीर ही बदल गई है। इस वातावरण को देखकर मुझे विश्‍वास है कि बस्‍तर के नगर में जो स्‍टील प्‍लांट जो स्‍थापित हुआ है। वो भी बस्‍तर अनचल के लोगों की जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लाएगा।

भाईयो और बहनों, छत्‍तीसगढ़ की प्रगति को गति देने में यहां के स्‍टील अयस्‍क, लौह अयस्‍क ये खनन ने बहुत बड़़ी भूमिका निभाई है। इस पर आपका और विशेषकर मेरे आदिवासी भाईयो बहनों का अधिकार है। यही वजह है कि हमनें सरकार में आने के बाद एक बहुत बड़ा कानून में बदलाव किया है। और हमें ये सुनिश्चित किया कि जो भी खनिज निकलेगा, उससे होने वाली कमाई का एक हिस्‍सा वहां के स्‍थानीय निवासियों को उनके विकास के लिए खर्च किया जाएगा। ये हमनें कानूनन तय कर लिया है। और इसलिए खनन वाले हर जिले में District Mineral Foundationकी स्‍थापना की गई।

इस कानून में बदलाव के बाद छत्‍तीसगढ़ को भी तीन हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की अतिरिक्‍त राशी प्राप्‍त हुई है। ये पैसे अब खर्च हो रहे हैं। आपके लिए अस्‍पताल बनाने के लिए, स्‍कूल बनाने के लिए, सड़के बनाने के लिए, शौचालय बनवाने के लिए।

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भाईयो और बहनों जब विकास की बात करते हैं, Make in India की बात करते हैं तो इसके लिए कौशल विकास यानी skill development भी उतना ही आवश्‍यक है। भिलाई की पहचान तो दशकों से देश के बड़े education  हक के तौर पर रही है। लेकिन इतनी व्‍यवस्‍थाएं होने के बावजूद यहां आईआईटी की कमी महसूस हो रही है।

आपके मुख्‍यमंत्री रमन सिंह ने पिछली सरकार के समय भी इस बात के लिए लगातार कोशिश कर रहे थे। कि भिलाई को आईआईटी मिलना चाहिए। लेकिन वो भी कौन लोग थे आप जानते हैं भली भांति। रमन सिंह जी ने दस साल मेहनत की पानी में गई। लेकिन जिस छत्‍तीसगढ़ ने हमें भरपूर आर्शीवाद दिया है। जब हमारी बारी आई, रमन सिंह जी आए और हमनें तुरंत फैसला कर दिया। पांच नए आईआईटी और जब पांच नए आईआईटी बने तो आज भिलाई में सैंकड़ों, करोड़ों रुपयों का एक आधुनिक आईआईटी का कैंपस उसका शिलान्‍यास भी हो रहा है। लगभग 1100 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला आईआईटी कैंपस छत्‍तीसगढ़ और देश के मेघावी छात्रों के लिए प्रौद्योगिकी और तकनीकी शिक्षा का तीर्थ बनेगा उन्‍हें कुछ नया करने के लिए हमेशा प्रेरित करता रहेगा।

साथियों, मुझे कुछ मिनट पहले मंच पर ही कुछ युवाओं को लैपटॉप देने का अवसर मिला है। मुझे खुशी है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सूचना क्रांति योजना के माध्‍यम से कंम्‍पूयटर और टेक्‍नोलॉजी की पढ़ाई पर निरंतर बल दे रहे हैं। तकनीक के साथ जितना ज्‍यादा हम लोगों को जोड़ पाएंगे उतना ही तकनीक से होने वाले लाभ को जन-जन तक पहुंचा पाएंगे। इसी विजन के साथ बीते चार वर्षों के दौरान डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्‍तीसगढ़ सरकार भी इस अभियान को, उसके लाभ को घर-घर पहुंचाने के दिशा में जुटी हुई है।

मैं पिछली बार जब बाबा साहेब अंबेडकर की जन्‍म जयंती पर आया था तो बस्‍तर को इंटरनेट से कनेक्‍ट करने वाले प्रोजेक्‍ट बस्‍तर नेट के फेस-1 के लोकार्पण का अवसर मिला था। अब आज से यहां भारत नेट फेस-2 इस पर काम शुरू हो गया है। लगभग ढाई हजार करोड़ के इस प्रोजेक्‍ट को अगले वर्ष मार्च महीने तक पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। छत्‍तीसगढ़ की चार हजार पंचायतों तक तो इंटरनेट पहले ही पहुंच चुका है। अब बाकि छ: हजार तक भी अगले साल पहुंच जाएगा।

साथियों, डिजिटल भारत अभियान, भारत नेट यहां राज्‍य सरकार की संचार क्रांति योजना पचास लाख से ज्‍यादा स्‍मार्ट फोन का वितरण, 1200 से ज्‍यादा मोबाइल टावरों की स्‍थापना ये सारे प्रयास गरीबों को, आदिवासियों को, दरिद्र, पीडि़त, वंचित, शोषित उनके सशक्तिकरण का एक नया फाउंडेशन तैयार हो रहा है। एक मजबूत नींव तैयार हो रही है। डिजिटल कनेक्‍टिविटी सिर्फ जगहों को नहीं, सिर्फ एक जगह को दूसरी जगह से जोड़ रही है ऐसा नहीं वो लोगों को भी कनेक्‍ट कर रही है।

भाईयो और बहनों, आज देश को जल, थल, नभ हर प्रकार से जोड़ने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि पुरानी सरकारें जिन इलाकों में सड़के तक बनाने से पीछे हट जाती थी वहां आज सड़कों के साथ ही हवाई अड्डे भी बन रहे हैं।

और मैंने कहा कि मेरा सपना है हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जा सके इस सोच के साथ उड़ान योजना चलाई जा रही है। और देश भर में नए हवाई अड्डों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसा ही एक शानदार हवाई अड्डा आपके जगदलपुर में बना रहे हैं। आज जगदलपुर से रायपुर के लिए उड़ान भी शुरू हो गई है। अब जगदलपुर से रायपुर की दुसरी यानी रायपुर और जगदलपुर के बीच की दूरी छ: से सात घंटे की जगह सिर्फ 40 मिनट रह गई है।

साथियों, ये सरकार की नीतियों का ही असर है। कि अब ट्रेन में एसी डिब्‍बों में सफर करने वालों से ज्‍यादा यात्री हवाई जहाज में सफर कर रहे हैं। एक जमाने में रायपुर में तो दिनभर में सिर्फ छ: flight आती थी। अब वहां रायपुर एयरपोर्ट पर एक दिन में पचास flight आने जाने लग गई हैं। आने-जाने के इन नए साधनों से न सिर्फ राजधानी से दूरी घटेगी लेकिन पर्यटन बढ़ेगा, उद्योग धंधे लगेगे और साथ ही साथ रोजगार के नए अवसर भी तैयार होंगे।

साथियों, आज छत्‍तीसगढ़ ने आज बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नया रायपुर शहर देश का पहला green field smart city बन गया है। इसी कड़ी ने मुझे Integrated command and control  centre का उद्घाटन करने का मुझे अवसर मिला है।

पानी, बिजली, स्‍ट्रीट लाइट, सीवेज, ट्रांसपोर्ट अब पूरे शहर की निगरानी का काम इसी एक छोटे से सेंटर से हो रहा है। आधुनिक टेकनोलॉजी और डेटा के आधार पर ये सुविधाएं संचालित हो रही है। नया रायपुर अब देश के दूसरे स्‍मार्ट सिटीज के लिए भी एक मिसाल का काम करेगा।

जो छत्‍तीसगढ़ पिछड़ा, आदिवासियों का जंगलों का यही उसकी पहचान थी वो छत्‍तीसगढ़ आज देश में स्‍मार्ट सिटीज की पहचान बन रहा है। इससे बड़ा गर्व का विषय क्‍या हो सकता है।

साथियों, हमारी हर योजना देश के हर जन को सम्‍मान, सुरक्षा और स्‍वाभिमान का जीवन देने की तरह आगे बढ़ रही है। ये बड़ी वजह है कि पिछले चार वर्षों में छत्‍तीसगढ़ समेत देश के बड़े-बड़े हिस्‍सों में रिकॉर्ड संख्‍या में नौजवान मुख्‍यधारा से जुड़े हैं। देश के विकास से जुड़े हैं।

मैं मानता हूं किसी भी तरह की हिंसा का, हर तरह की साजिश का एक ही जवाब है, एक ही जवाब है, एक ही जवाब है- विकास, विकास और विकास। विकास से विकसित हुआ विश्‍वास हर तरह की हिंसा को खत्‍म कर देता है। और इसलिए केंद्र में बीजेपी के नेतृत्‍व में चल रही एनडीए सरकार हो या फिर छत्‍तीसगढ़ में रमन सिंह जी के नेतृत्‍व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो। हमने विकास के माध्‍यम से विश्‍वास का वातावरण बनाने का प्रयास किया है।

भाईयो और बहनों जब पिछली मैं छत्‍तीसगढ़ आया था तभी देश भर में ग्राम स्‍वराज अभियान की भी शुरुआत की गई थी। पिछले दो महीनों में इस अभियान का बहुत सकारात्‍मक असर पड़ा है। ये अभियान विशेषकर देश के 115 आंकाक्षी जिले यानी कि aspirational district  में चलाया जा रहा है।  जो विकास की दौड़ में पिछले 70 साल में पीछे रह गया था। इसमें छत्‍तीसगढ़ के भी 12 जिले शामिल हैं। इन जिलों में विकास के अलग-अलग पैमानों को ध्‍यान में रखते हुए नई ऊर्जा के साथ काम किया जा रहा है। गांव में सभी के पास बैंक खाते हों, गैस कनेक्‍शन  हो, हर घर में बिजली कनेक्‍शन हो, सभी का टीकाकरण हुआ हो, सभी को बीमा का सुरक्षा कवच मिला हो, हर घर में एलईडी बल्‍ब हो, ये सुनिश्चित किया जा रहा है।

ग्राम स्‍वराज अभियान जनभागीदारी का बहुत बड़ा माध्‍यम बना है। छत्‍तीसगढ़ के विकास में भी ये अभियान नए आयाम स्‍थापित करेगा। विश्‍वास के इस माहौल में गरीब को, आदिवासी को जो ताकत मिलती है उसकी तुलना कभी नहीं कर सकते इतनी ताकत मिलती है।  

छत्‍तीसगढ़ में जन-धन योजना के तहत और ये मैं सिर्फ छत्‍तीसगढ़ का आंकड़ा बता रहा हूं पूरे देश का आंकड़ा नहीं बता रहा हूं। छत्‍तीसगढ़ में जन-धन योजना के तहत एक करोड़ तीस लाख से ज्‍यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खुले है। 37 लाख से ज्‍यादा शौचालयों के निर्माण से, 22 लाख गरीब परिवारों को उज्‍ज्‍वला योजना के जरिये मुफ्त कनेक्‍शन मिलने से गैस का, 26 लाख से ज्‍यादा लोगों को मुद्रा योजना के तहत बिना बैंक गारंटी कर्ज मिलने से, 60 लाख से ज्‍यादा गरीबों को 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपया महीना पर बीमा सुरक्षा कवच मिलने से, 13 लाख किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ मिलने से विकास की एक नई गाथा आज छत्‍तीसगढ़ की धरती पर लिखी गई है।

भाईयो और बहनों, यहां छत्‍तीसगढ़ में 7 लाख ऐसे घर थे जहां बिजली कनेक्‍शन नहीं था, प्रधानमंत्री सौभाग्‍य योजना के तहत साल भर में ही इनमें से करीब-करीब आधे घरों में यानी साढ़े तीन लाख घरों में बिजली कनेक्‍शन पहुंचाने का काम पूरा कर दिया गया है। लगभग 1100 ऐसे घर हैं जहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची थी वहां अब बिजली पहुंच चुकी है। ये उजाला, ये प्रकाश विकास और विश्‍वास को घर-घर में रोशन कर रहा है।

साथियों, हमारी सरकार देश के हर बेघर को घर देने के मिशन पर भी काम कर रही है। पिछले चार साल में देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में एक करोड़ 15 लाख से ज्‍यादा घरों का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ ही पुरानी सरकारों के दौरान अधूरे बने मकानों को भी पूरा करने का काम हमनें आगे किया है। यहां छत्‍तीसगढ़ में भी करीब छ: लाख घर बनवाए जा चुके हैं। अभी दो-तीन दिन पहले ही सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना और ये मैं छत्‍तीसगढ़ के मध्‍यप्रदेश के या हमारे देश के अन्‍य भू-भाग के मध्‍यमवर्गीय परिवारों को खास कहना चाहता हूं। एक बड़ा अहम फैसला लिया है जिसका मध्‍यमवर्गीय परिवार को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। सरकार ने तय किया है कि मध्‍यम वर्गीय के लिए बन रहे घरों पर जो ब्‍याज में छूट दी जाती थी। वो घर लोगों को छोटे पड़ते थे। मांग थी कि जरा एरिया बढ़ाने की परमिशन मिल जाए। दायरा बढ़ा दिया जाए। भाईयो-बहनों मुझे गर्व होता है कि जनता जर्नादन की इस इच्‍छा को भी हमनें पूरा कर दिया है। यानी अब ज्‍यादा बड़े घरों पर भी वही छूट दे दी जाएगी। सरकार का ये फैसला विशेषकर मध्‍यम वर्ग को बहुत बड़ी राहत देने वाला है।

आज यहां केंद्र और राज्‍य सरकार की ऐसी अनेक योजना जैसे प्रधानमंत्री मातृत्‍व वंदना योजनाउजज्‍वला, मुद्रा और स्‍टेंडअप, बीमा योजना के लाभार्थियों को सर्टिफिकेट और चेक देने का मुझे अवसर मिला है। मैं सभी लाभार्थियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और भविष्‍य के लिए मैं मंगल कामना करता हूं।

साथियों ये मात्र योजनाएं नहीं हैं। बल्कि गरीब, आदिवासी, वंचित, शोषित का वर्तमान और भविष्‍य उज्‍ज्‍वल बनाने वाले संकल्‍प है। हमारी सरकार आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आय बढ़ाने के लिए भी विशेष तौर पर कार्य कर रही है।

दो महीने पहले ही बीजापुर से मैंने वन-धन योजना की शुरुआत की थी। इसके वन-धन विकास केंद्र खोले जा रहे हैं। ये सुनिश्चित किया गया है। कि जंगल के उत्‍पादों का सही दाम मार्किट में मिलना चाहिए।

इस बजट में सरकार ने 22 हजार ग्रामीण हाटों को विकसित करने का भी ऐलान किया है। शुरुआती चरण में इस वर्ष हम 5 हजार हाट विकसित कर रहे हैं। सरकार का प्रयास है कि मेरे आदिवासी भाईयो को, किसानों को गांव से 5-6 किलोमीटर के दायरे में ऐसी व्‍यवस्‍था मिले जो उन्‍हें देश की किसी भी मंडी से टेक्‍नोलॉजी से कनेक्‍ट कर देगा।

इसके अलावा आदिवासियों के हितों को देखते हुए वन अधिकार कानून को और शक्ति से लागू किया जा रहा है। पिछले चार साल में छत्‍तीसगढ़ में करीब एक लाख आदिवासी, और आदिवासी समुदायों को बीस लाख एकड़ से ज्‍यादा जमीन का टाइटल दिया गया है।

सरकार ने बांस से जुड़े एक पुराने कानून में भी बदलाव  किया है। अब खेत में उगाया गया बांस आप आसानी से बेच सकते हैं। इस फैसले ने जंगलों में रहने वाले भाई-बहनों को अतिरिक्‍त कमाई का एक बड़ा साधन दिया है।

भाईयो और बहनों, सरकार आदिवासियों की शिक्षा, स्‍वाभिमान और सम्‍मान को ध्‍यान में रखते हुए भी काम कर रही है। आदिवासी बच्‍चों में शिक्षा का स्‍तर ऊपर उठाने के लिए देश भर में एकलव्‍य विद्यालय खोले जा रहे हैं।

यहां छत्‍तीसगढ़ में भी हर वो ब्‍लॉक जहां पर मेरे आदिवासी भाई-बहनों की आबादी पचास प्रतिशत से अघिक है। या कम से कम 20 हजार लोग इस वर्ग के रहते हैं वहां एकलव्‍य मॉडल रिहायशी स्‍कूल को रेजिडेंशल स्‍कूल बनाया जाएगा।

इसके अलावा देश की स्‍वतंत्रता में 1857 से लेकर के आदिवासियों के योगदान के बारे में देश और दुनिया को जागृत करने का भी एक बड़ा अभियान शुरू किया गया है। आजादी की लड़ाई में अपनी आहुति देने वाले महान आदिवासी स्‍वतंत्र सेनानियों के सम्‍मान में, अलग-अलग राज्‍यों में museum बनाए जा रहे हैं।

छत्‍तीसगढ़ के आर्थिक और सामाजिक infrastructure को बढ़ाने वाले इन योजनाओं से बस्‍तर से सरगुजा तक और रायगढ़ से राजनंद गांव तक आर्थिक और सामाजिक विकास में एकरूपता भी आएगी। प्रदेश में क्षेत्रीय असमान को समाप्‍त करने का अभियान भी तेज गति से पूरा होगा।  

और आज छत्‍तीसगढ़ में, मैं जब भिलाई प्‍लांट में जा रहा था। छत्‍तीसगढ़  ने जिस प्रकार से मेरा स्‍वागत और सम्‍मान किया, जैसे पूरा हिन्‍दुस्‍तान छत्‍तीसगढ़  की रोड पर छाया हुआ था। हिन्‍दुस्‍तान का कोई ऐसा कोना नहीं होगा जिसके आज मुझे दर्शन न हुए हों। जिनके आज मुझे आर्शीवाद न मिले हों।

मैं एक लघु भारत ये मेरा भिलाई और दुर्ग देश भर से यहां बसे हुए लोगों ने आज जो देश की एकता का माहौल मेरे सामने प्रस्‍तुत किया, देश की विविधता का माहौल प्रस्‍तुत किया। अपने-अपने राज्‍य की परंपरा के आधार पर आर्शीवाद दिए। मैं इन सभी लोगों का छत्‍तीसगढ़ का दुर्ग का और मेरी इस भिलाई का अन्‍त:करण पूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

मैंहा जब-जब छत्‍तीसगढ़  आथया,  तब-तब यहां नवा-नवा काम होता, नवा-नवा निर्माण के काम हर पई कुछ नवा कुछ बेहतर देखे भर मिलते छत्‍तीसगढ़ हर एक कीर्तिमान रचे के बाद खुद नवा लक्ष्‍य तय कर लेते इसी कारण यहां विकट विकास होवत है।

भाईयो और बहनों, नया छत्‍तीसगढ़ 2022 में न्‍यू इंडिया का रास्‍ता प्रशस्‍त करेगा मुझे विशवास है कि आपके आर्शीवाद से, आपके साथ से न्‍यू इंडिया का संकल्‍प अवश्‍य सिद्ध होगा इसी कामना के साथ मैं आप सबका ह्दय से अभिनंदन करते हुए, छत्‍तीसगढ़ सरकार को बधाई देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।    

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India is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM Modi
June 28, 2025
QuoteI extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
QuoteScience and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
QuoteThe success of Chandrayaan mission and your historic journey renew interest in science among the children and youth of the country: PM
QuoteWe have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
QuoteYour historic journey is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission and will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
QuoteIndia is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM

प्रधानमंत्रीशुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्लानमस्कार!

प्रधानमंत्रीआप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्रीशुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्रीवाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्रीशुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्रीशुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!