QuoteNorth east is moving towards development with Assam in the centre of it: PM Modi
QuoteTill 2016, Assam had only six medical colleges, but in the last five years we have begun development on six new medical colleges: PM
QuotePeople who are conspiring to defame India have stooped so low that they are not sparing even Indian tea: PM

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

 

असम के जनप्रिय मुख्यमंत्री श्री सर्बानन्द सोनोवाल जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री रामेश्वर तेली जी, असम सरकार में मंत्री श्रीमान हेमंता बिस्वा सरमा जी, श्री अतुल बोरा जी, श्री केशब महंता जी, श्री रंजीत दत्ता जी, बोडोलैंड टैरिटोरियल रीजन के चीफ श्री प्रमोद बोरो जी, अन्य सभी सांसदगण, विधायकगण, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

 

मौर भाई बहिन सब, तहनिदेर कि खबर, भालइ तौ? खुलुमबाय। नोंथामोंनहा माबोरै दं? पिछले महीने मैं असम में आकर के गरीब, पीड़ित शोषित, वंचित समाज के लोगों को जमीन के पट्टों के वितरण के कार्यक्रम का हिस्सा बनकर के मुझे एक सौभाग्य मिला था। तब मैंने कहा था कि असम के लोगों का स्नेह और आपका प्रेम इतना गहरा है, कि वो मुझे बार-बार असम ले आता है। अब एक बार फिर मैं आप सबको प्रणाम करने आया हूं। आप सबके दर्शन करने के लिए आया हूं। मैंने कल सोशल मीडिया पर देखा, फिर मैंने ट्वीट भी किया कि ढेक्याजुली को कितनी सुंदरता से सजाया गया है। इतने दीप आप लोगों ने प्रज्वलित किए। इस अपनेपन के लिए मैं असम की जनता के चरणों में प्रणाम करता हूँ। मैं असम के मुख्यमंत्री सर्बानन्द जी, हेमंता जी, रंजीत दत्ता जी, सरकार में और भाजपा संगठन में बैठे हुए, हर किसी की सराहना करूंगा। वो इतनी तेज गति से असम के विकास में, असम की सेवा में लगे हैं कि मुझे लगातार यहाँ विकास के कार्यक्रमों में आने का अवसर मिलता रहा है। आज का दिन तो मेरे लिए एक और वजह से बहुत ख़ास है! आज मुझे सोनितपुर- ढेक्याजुली की इस पवित्र धरती को प्रणाम करने का अवसर मिला है। ये वही धरती है जहां रुद्रपद मंदिर के पास असम का सदियों पुराना इतिहास हमारे सामने आया था। ये वही धरती है जहां असम के लोगों ने आक्रमणकारियों को हराया था, अपनी एकता, अपनी शक्ति, अपने शौर्य का परिचय दिया था। 1942 में इसी धरती पर असम के स्वाधीनता सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए, तिरंगे के सम्मान के लिए अपना बलिदान दिया था। हमारे इन्हीं शहीदों के पराक्रम पर भूपेन हजारिका जी कहते थे-

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भारत हिंहह आजि जाग्रत हय।

प्रति रक्त बिन्दुते,

हहस्र श्वहीदर

हाहत प्रतिज्ञाओ उज्वल हय।

यानी, आज भारत के शेर जाग रहे हैं। इन शहीदों के खून की एक एक बूंद, उनका साहस हमारे संकल्पों को मजबूत करता है। इसलिए, शहीदों के शौर्य की साक्षी सोनितपुर की ये धरती, असम का ये अतीत, बार-बार मेरे मन को असमिया गौरव से भर रहे हैं।

साथियों,

हम सब हमेशा से ये सुनते आए हैं, देखते आए हैं कि देश की पहली सुबह पूर्वोत्तर से होती है। लेकिन सच्चाई ये भी है कि पूर्वोत्तर और असम में विकास की सुबह को एक लंबा इंतज़ार करना पड़ा है। हिंसा, अभाव, तनाव, भेदभाव, पक्षपात, संघर्ष, इन सारी बातों को पीछे छोड़कर अब पूरा नॉर्थ ईस्ट विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। और असम इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहा है। ऐतिहासिक बोडो शांति समझौते के बाद हाल ही में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के चुनावों ने यहां विकास और विश्वास का नया अध्याय लिख दिया है। आज का दिन भी असम के भाग्य और असम के भविष्य में इस बड़े बदलाव का साक्षी है। आज एक ओर बिश्वनाथ और चरईदेव में दो मेडिकल कॉलेजों का उपहार असम को मिल रहा है, तो वहीं ‘असम माला’ के जरिए आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की नींव भी पड़ी है।

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अखमर बिकाखर जात्रात आजि एक उल्लेखजोग्य़ दिन। एइ बिखेख दिनटोत मइ अखमबाखीक आन्तरिक अभिनन्दन जनाइछोँ।

साथियों,

एकजुट प्रयासों से, एकजुट संकल्पों से कैसे परिणाम आते हैं, असम इसका एक बड़ा उदाहरण है। आपको पाँच साल पहले का वो समय याद होगा, जब असम के ज़्यादातर दूरदराज इलाकों में अच्छे हॉस्पिटल केवल सपना होते थे। अच्छे हॉस्पिटल, अच्छे इलाज का मतलब होता था घंटों की यात्रा, घंटों का इंतज़ार और लगातार अनगिनत कठिनाईयां! मुझे असम के लोगों ने बताया है कि, उन्हें हमेशा यही चिंता रहती थी कि कोई मेडिकल इमरजेंसी न आ जाए! लेकिन ये समस्याएँ अब तेजी से समाधान की ओर आगे बढ़ रही हैं। आप इस फर्क को आसानी से देख सकते हैं, महसूस कर सकते हैं। आज़ादी के बाद से 7 दशकों में, यानी 2016 तक असम में केवल 6 मेडिकल कॉलेज होते थे। लेकिन इन 5 सालों में ही असम में 6 और मेडिकल कॉलेज बनाने का काम शुरू किया जा चुका है। आज उत्तरी असम और अपर असम की जरूरतों को देखते हुए बिस्वनाथ और चरईदेव में दो और मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास हो गया है। ये मेडिकल कॉलेज अपने आप में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र तो बनेंगे ही, साथ ही अगले कुछ सालों में यहाँ से ही मेरे हजारों नौजवान डॉक्टर बनकर के निकलेंगे। आप देखिए, 2016 तक असम में कुल MBBS सीट्स करीब सवा सात सौ ही थीं। लेकिन ये नए मेडिकल कॉलेज जैसे ही शुरू होंगे, असम को हर साल 16 सौ नए MBBS डॉक्टर्स मिलने लगेंगे। और मेरा तो एक ओर सपना है। बड़ा साहसपूर्ण सपना लगता होगा लेकिन मेरे देश के गावं में, मेरे देश के गरीब के घर में टैलेंट की कोई कमी नही होती है। उन्हें अवसर नहीं मिला होता है। आजाद भारत जब अब 75 में प्रवेश कर रहा है। तो मेरा एक सपना है। हर राज्य में कम से कम एक मैडिकल कॉलेज, कम से कम एक टैक्निकल कॉलेज, वो मातृ भाषा में पढ़ाना शुरू करें। क्या असमिया भाषा में पढ़कर के कोई अच्छा डॉक्टर नहीं बन सकता है क्या? आजादी के 75 साल होने आए और इसलिए चुनाव के बाद जब नई सरकार बनेगी असम में, मैं यहा असम के लागों की तरफ से आपको वादा करता हूं। कि असम में भी एक मैडिकल कॉलेज स्थानीय भाषा में हम शुरू करेंगे। एक टैक्निकल कॉलेज स्थानीय भाषा में शुरू करेंगे। और धीरे - धीरे ये बढ़ेगा। कोई रोक नहीं पाएगा उसको। ये डॉक्टर्स असम के अलग अलग क्षेत्रों में, दूर दराज इलाकों में अपनी सेवाएँ देंगे। इससे भी इलाज में सुविधा होगी, लोगों को इलाज के लिए बहुत दूर नहीं जाना होगा।

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साथियों,

आज गुवाहाटी में एम्स का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसका काम अगले डेढ़ दो सालों में पूरा भी हो जाएगा। एम्स के वर्तमान कैम्पस में इसी अकैडमिक सत्र से MBBS का पहला बैच शुरू भी हो गया है। जैसे ही अगले कुछ सालों में इसका नया कैम्पस तैयार होगा, आप देखेंगे गुवाहाटी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं के केंद्र के तौर पर उभरकर के सामने आयेगा। एम्स गुवाहाटी केवल असम ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन करने वाला है। आज जब मैं एम्स की बात कर रहा हूं, तो एक सवाल आपके बीच पूछना चाहता हूं। देश की पिछली सरकारें ये क्यों नहीं समझ पाईं कि गुवाहाटी में ही एम्स होगा तो आप लोगों को कितना लाभ होगा। वो लोग पूर्वोत्तर से इतना दूर थे कि आपकी तकलीफें कभी समझ ही नहीं पाए।

साथियों,

आज केंद्र सरकार द्वारा असम के विकास के लिए पूरी निष्ठा से काम किया जा रहा है। असम भी देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहा है। आयुष्मान भारत योजना हो, जनऔषधि केंद्र हों, प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम हो, या हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स हों, सामान्य मानवी के जीवन में जो बदलाव आज पूरा देश देख रहा है, वही बदलाव, वही सुधार असम में भी दिख रहे हैं। आज असम में आयुष्मान भारत योजना का लाभ करीब सवा करोड़ गरीबों को मिल रहा है। मुझे बताया गया है कि असम के साढ़े 3 सौ से ज्यादा अस्पताल इस योजना से जुड़ चुके हैं। इतने कम समय में असम के डेढ़ लाख गरीब आयुष्मान भारत के तहत अपना मुफ्त इलाज करवा चुके हैं। इन सभी योजनाओं से असम के गरीबों के सैकड़ों करोड़ रुपए इलाज पर खर्च होने से बचे हैं। गरीब का पैसा बचा है। आयुष्मान भारत योजना के साथ ही लोगों को असम सरकार के ‘अटल अमृत अभियान’ से भी फायदा हो रहा है। इस योजना में गरीबों के साथ ही सामान्य वर्ग के नागरिकों को भी बेहद कम किस्त पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जा रहा है। इसके साथ ही असम के कोने कोने में हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स भी खोले जा रहे हैं, जो गाँव गरीब के प्राथमिक स्वास्थ्य की चिंता कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि इन सेंटर्स पर अब तक 55 लाख से ज्यादा असम के भाई - बहनों ने अपना शुरुआती इलाज कराया है।

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साथियों,

स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर संवेदनशीलता और आधुनिक सुविधाओं के महत्व को कोरोनाकाल में देश ने बखूबी महसूस किया है। देश ने कोरोना से जिस तरह से लड़ाई लड़ी है, जितने प्रभावी तरीके से भारत अपना वैक्सीन प्रोग्राम चला रहा है, उसकी तारीफ आज पूरी दुनिया कर रही है। कोरोना से सबक लेते हुए देश ने हर देशवासी के जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने के लिए और तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। इसकी झलक आपने इस बार के बजट में भी देखी है। बजट में इस बार स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी की गई है। सरकार ने ये भी तय किया है कि अब देश के 6 सौ से ज्यादा जिलों में इंटीग्रटेड लैब्स बनाई जाएंगी। इसका बहुत बड़ा फायदा छोटे कस्बों और गांवों के लोगों को होगा जिन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए दूर जाना पड़ता है।

साथियों,

असम की खुशहाली, यहाँ की प्रगति का एक बहुत बड़ा केंद्र असम के चाय बागान भी हैं। सोनितपुर की लाल चाय तो वैसे भी अपने अलग फ्लेवर के लिए जानी जाती है। सोनितपुर और असम की चाय का स्वाद कितना खास होता है, ये मुझसे बेहतर भला कौन जानेगा? इसलिए मैं हमेशा से चाय वर्कर्स की प्रगति को पूरे असम की प्रगति से जोड़कर के ही देखता हूँ। मुझे खुशी है कि इस दिशा में असम सरकार कई सकारात्मक प्रयास कर रही है। अभी कल ही असम चाह बगीचा धन पुरस्कार मेला स्कीम के तहत असम के साढ़े सात लाख टी गार्डेन वर्कर्स के बैंक खातों में करोड़ों रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए हैं। टी गार्डेन्स में काम करने वाली गर्भवती महिलाओं को एक विशेष योजना के तहत सीधे मदद दी जा रही है, टी वर्कर्स और उनके परिवार के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए, जांच और इलाज के लिए टी गार्डेन्स में ही मोबाइल मेडिकल यूनिट भी भेजी जाती हैं, मुफ्त दवाओं का भी इंतजाम किया जाता है। असम सरकार के इन्हीं प्रयासों से जुड़कर इस बार देश के बजट में भी चाय बागान में काम करने वाले हमारे भाइयों और बहनों के लिए एक हजार करोड़ रुपए की विशेष योजना की घोषणा की गई है। टी वर्कर के लिए एक हजार करोड़ रुपये। ये पैसा आपको मिलने वाली सुविधाओं को बढ़ाएगा, हमारे टी वर्कर्स का जीवन और आसान बनाएगा।

 

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साथियों,

 

आज जब मैं असम के टी वर्कर्स की बात कर रहा हूँ, तो मैं इन दिनों देश के खिलाफ चल रहे षड्यंत्रों की भी बात करना चाहता हूँ। आज देश को बदनाम करने के लिए साजिश रचने वाले इस स्तर तक पहुँच गए हैं कि, भारत की चाय को भी नहीं छोड़ रहे। आपने खबरों में सुना होगा, ये साज़िश करने वाले कह रहे हैं कि भारत की चाय की छवि को बदनाम करना है। योजनाबद्ध तरीके से। भारत की चाय की छवि को दुनियाभर में बदनाम करना है। कुछ दस्तावेज सामने आए हैं जिनसे खुलासा होता है कि विदेश में बैठी कुछ ताकतें, चाय के साथ भारत की जो पहचान जुड़ी है, उस पर हमला करने की फिराक में हैं। क्या आपको ये हमला मंजूर है? इस हमले के बाद चुप रहने वाले लोग मंजूर हैं आपको? हमले करने वाले की तारीफ करने वाले मंजूर हैं क्या आपको? हर किसी को जवाब देना पड़ेगा। जिन्होनें हिन्दुस्तान की चाय को बदनाम करने का बीड़ा उठाया है। और उनके लिए यहां जो चुप बैठे हैं, ये सभी राजनीतिक दलों को हर चाय बागान जवाब मांगेगा। हिन्दुस्तान की चाय पीने वाला हर इंसान जवाब मांगेगा। मैं असम की धरती से इन षड्यंत्रकारियों से कहना चाहता हूँ, ये जितने मर्जी षड्यंत्र कर लें, देश इनके नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगा। मेरा टी वर्कर इस लड़ाई का जीतकर रहेगा। भारत की चाय पर किए जा रहे इन हमलों में इतनी ताकत नहीं है कि वो हमारे टी गार्डेन वर्कर्स के परिश्रम का मुक़ाबला कर सकें। देश इसी तरह विकास और प्रगति के रास्ते पर बढ़ता रहेगा। असम इसी तरह विकास की नई नई ऊंचाइयों को छूता रहेगा। असम के विकास का ये पहिया इसी तेज गति से घूमता रहेगा।

साथियों,

आज जब असम में हर क्षेत्र में इतना काम हो रहा है, हर वर्ग और हर क्षेत्र का विकास हो रहा है, तो ये भी जरूरी है कि असम का सामर्थ्य और बढ़े। असम के सामर्थ्य को बढ़ाने में यहां की आधुनिक सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर की बड़ी भूमिका है। इसी को ध्यान में रखते हुये आज ‘भारत माला प्रोजेक्ट’ की तर्ज पर असम के लिए ‘असम माला’ की शुरुआत की गई है। अगले 15 सालों में असम में चौड़े हाइवेज का जाल हो, यहाँ के सभी गाँव मुख्य सड़कों से जुड़ें, यहाँ की सड़कें देश के बड़े शहरों की तरह आधुनिक हों, असम माला प्रोजेक्ट आपके सपनों को पूरा करेगा, आपका सामर्थ्य बढ़ाएगा। पिछले कुछ सालों में ही असम में हजारों किमी सड़कें बनाई गई हैं, नए - नए पुल बनाए गए हैं। आज भूपेन हजारिका ब्रिज और सरायघाट ब्रिज असम की आधुनिक पहचान का हिस्सा बन रहे हैं। आने वाले दिनों में ये काम और भी तेज होने वाला है। विकास और प्रगति की गति को बढ़ाने के लिए इस बार बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व ज़ोर दिया गया है। एक तरफ आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम तो दूसरी तरफ ‘असम माला’ जैसे प्रोजेक्ट्स से कनेक्टिविटी बढ़ाने के काम, आप कल्पना करिए, आने वाले दिनों में असम में कितना काम होने वाला है, और इस काम में कितने युवाओं को रोजगार मिलने वाला है। जब हाइवेज़ बेहतर होंगे, कनेक्टिविटी बेहतर होगी, तो व्यापार और उद्योग भी बढ़ेंगे, पर्यटन भी बढ़ेगा। इससे भी हमारे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर तैयार होंगे, असम के विकास को नई गति मिलेगी।

 

साथियों,

 

असम के प्रसिद्ध कवि रूपकुंवर ज्योति प्रसाद अग्रवाल की पंक्तियाँ हैं-

मेरी नया भारत की,

नया छवि,

जागा रे,

जागा रे,

आज इन्हीं पंक्तियों को साकार करके हमें नए भारत को जगाना है। ये नया भारत आत्मनिर्भर भारत होगा, ये नया भारत, असम को विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सबको बहुत बहुत धन्यवाद! बहुत – बहुत शुभकामनाएं। मेरे साथ दोनों मुटठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिए, भारत माता की – जय। भारत माता की – जय। भारत माता की – जय। भारत माता की – जय। बहुत - बहुत धन्यवाद।

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आइए, हम सब योग को एक जन-आंदोलन बनाएं; जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए: पीएम मोदी
June 21, 2025
Quoteयोग ने समस्‍त विश्व को एकजुट किया है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग सब के लिए है, सीमाओं से, पृष्ठभूमि से, उम्र या क्षमता से परे है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग हमें विश्व के साथ एकरूपता की दिशा में ले जाता है, यह हमें सिखाता है कि हम अलग-थलग नहीं, बल्कि प्रकृति का ही हिस्सा हैं: प्रधानमंत्री
Quoteयोग एक ऐसी प्रणाली है जो हमें 'मैं' से 'हम' की ओर ले जाती है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग मानवता के लिए सांस लेने, संतुलन बनाए रखने और फिर से संपूर्ण बनने के लिए आवश्यक पौज बटन है: प्रधानमंत्री
Quoteआइए, इस योग दिवस को मानवता के लिए योग 2.0 के आरंभ के रूप में मनाएं, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाती है: प्रधानमंत्री

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, मेरे परम मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी, के. राममोहन नायडू जी, प्रतापराव जाधव जी, चंद्रशेखर जी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा जी, राज्य के डिप्टी सीएम पवन कल्याण गारू, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आप सबको नमस्कार!

देश और दुनियाभर के सभी लोगों को इंटरनेशनल योग डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज 11वीं बार पूरा विश्व 21 जून को एक साथ योग कर रहा है। योग का सीधा-साधा अर्थ होता है जुड़ना और ये देखना सुखद है कि कैसे योग ने पूरे विश्व को जोड़ा है। मैं बीते एक दशक में योग की यात्रा को जब देखता हूं, तो बहुत कुछ याद आता है। वो दिन जब संयुक्त राष्ट्र में भारत ने प्रस्ताव रखा कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिले और तब कम से कम समय में दुनिया के 175 देश हमारे इस प्रस्ताव के साथ खड़े हुए। आज की दुनिया में ऐसी एकजुटता, ऐसा समर्थन सामान्य घटना नहीं है। ये सिर्फ एक प्रस्ताव का समर्थन भर नहीं था, ये मानवता के भले के लिए दुनिया का सामूहिक प्रयास था। आज 11 साल बाद, हम देख रहे हैं कि योग दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बन चुका है। मुझे गर्व होता है, जब मैं देखता हूँ कि हमारे दिव्यांग साथी ब्रेल में योग शास्त्र पढ़ते हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग करते हैं, गांव-गांव में युवा साथी योग ओलंपियाड में भाग लेते हैं। यहां सामने देखिये, ये नेवी के सभी जहाजों में भी अभी बहुत शानदार योगा कार्यक्रम चल रहा है। चाहे सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियाँ हों, या एवरेस्ट की चोटी हो, या फिर समंदर का विस्तार हो, हर जगह से एक ही संदेश आता है— योग सभी का है, और सभी के लिए है। Yoga is for Everyone, Beyond Boundaries, Beyond Backgrounds, Beyond age or ability.

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साथियों,

आज मुझे इस बात की खुशी है कि हम सभी विशाखापट्टनम में हैं। ये शहर प्रकृति और प्रगति, दोनों की संगम स्थली है। यहां के लोगों ने इतना अच्छा आयोजन किया है। मैं चंद्रबाबू नायडू गारु और पवन कल्याण गारू को बधाई देता हूं, आपके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश ने योगांध्रा अभियान का एक शानदार initiative लिया। मैं विशेष तौर पर नारा लोकेश गारू के प्रयासों की भी विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं। योग का सोशल सेलिब्रेशन कैसे होना चाहिए, समाज के हर वर्ग को कैसे जोड़ना चाहिए, ये उन्होंने बीते एक डेढ़ महीने के इस योगांध्रा अभियान में करके दिखाया है, और इसके लिए भाई लोकेश अनेक अनेक बधाई के पात्र हैं। और मैं तो देशवासियों को भी कहूंगा कि ऐसे अवसरों को आप किस प्रकार से सामाजिक स्तर पर गहराई से ले जाया जा सकता है, भाई लोकेश ने जो काम किया है, उसको एक नमूने के रूप में देखना चाहिए।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि योगांध्रा अभियान से दो करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पब्लिक पार्टिसिपेशन की यही वो स्पिरिट है, जो विकसित भारत का मुख्य आधार है। जब जनता खुद आगे बढ़कर किसी मुहिम को थाम लेती है, किसी लक्ष्य को Own कर लेती है, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति से हमें कोई रोक नहीं पाता। जनता-जनार्दन की ये सद-इच्छा औऱ आपके प्रयास यहां इस आयोजन में हर तरफ नजर आ रहे हैं।

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Friends,

The theme of this year’s International Day of Yoga is ‘Yoga for One Earth, One Health’. This theme reflects a deep truth. The health of every entity on Earth is interconnected. Human well-being depends on the health of the soil that grows our food, on the rivers that give us water, on the health of the animals that share our eco-systems, on the plants that nourish us. Yoga awakens us to this inter-connected-ness. Yoga leads us on a journey towards oneness with the world. It teaches us that we are not isolated individuals but part of nature. Initially we learn to take good care of our own health and wellness. Gradually, our care and concern extends to our environment, society and planet. Yoga is a great personal discipline . At the same time, it is a system that takes us from Me to We.

साथियों,

Me to We’ का ये भाव ही भारत की आत्मा का सार है। जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है। भारत की संस्कृति हमें सिखाती है, सर्वे भवन्तु सुखिनः, यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। ‘मैं’ से ‘हम’ की ये यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। यही सोच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।

साथियों,

दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है। Yoga is the pause button that humanity needs to breathe to balance to become whole gain.

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मैं विश्व समुदाय से आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक आग्रह करूंगा। Let this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.O, where Inner Peace becomes Global Policy. जहां योग सिर्फ personal practice न रहे, बल्कि global partnership का माध्यम बने। जहां हर देश, हर समाज, योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। जहां हम मिलकर एक शांत, संतुलित और sustainable विश्व को गति दें। जहां योग, विश्व को टकराव से सहयोग, और तनाव से समाधान की ओर ले जाए।

साथियों,

विश्व में योग के प्रसार के लिए भारत, योग की साइंस को आधुनिक रिसर्च से और अधिक सशक्त कर रहा है। देश के बड़े-बड़े मेडिकल संस्थान योग पर रिसर्च में जुटे हैं। योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान मिले, ये हमारा प्रयास है। हम देश के मेडिकल और रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स में, योगा के क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड थेरेपी को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दिशा में दिल्ली के एम्स ने भी बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। एम्स की रिसर्च में सामने आया है कि योग की Cardiac और न्यूरोलॉजी डिस्ऑर्डर्स के उपचार और वूमन हेल्थ और Mental Well-being में अहम भूमिका है।

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साथियों,

National Ayush Mission के ज़रिए भी योग और वेलनेस के मंत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। Yoga Portal और YogAndhra Portal के ज़रिए, देशभर में 10 लाख से अधिक इवेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। आज देश के कोने-कोने में इतनी सारी जगहों पर आयोजन हो रहे हैं। ये भी दिखाता है कि योग का दायरा कितना ज्यादा बढ़ रहा है।

साथियों,

हम सभी जानते हैं, आज हील इन इंडिया का मंत्र भी दुनिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। भारत-दुनिया के लिए हीलिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा है। योग की इसमें भी बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि योग के लिए Common Yoga Protocol बनाया गया है। Yoga Certification Board के साढ़े छह लाख से अधिक trained वॉलंटियर्स, करीब 130 मान्यता प्राप्त संस्थान और मेडिकल कॉलेजों में 10 दिन का योग मॉड्यूल, ऐसे अनेक प्रयास, एक होलिस्टिक इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। देशभर में हमारे जो आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, वहां trained योग टीचर तैनात किए जा रहे हैं। दुनियाभर के लोगों को भारत के इस वेलनेस इकोसिस्टम का फायदा मिले, इसलिए विशेष ई-आयुष वीज़ा दिए जा रहे हैं।

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साथियों,

आज योग दिवस पर मैं ओबेसिटी की तरफ भी फिर से सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। बढ़ती ओबेसिटी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा चैलेंज है। मैंने मन की बात कार्यक्रम में भी, इस पर विस्तार से चर्चा की थी। इसके लिए अपने खान-पान में 10 परसेंट ऑयल कम करने का चैलेंज भी शुरु किया था। मैं एक बार फिर देशवासियों से, दुनियाभर के लोगों को इस चैलेंज से जुड़ने का आह्वान करता हूं। अपने खाने में कैसे हम कम से कम 10 परसेंट ऑयल कंजम्शन कम करें, इसके लिए जागरूकता फैलानी है। ऑयल की खपत कम करना, unhealthy diet से बचना और योग करना, ये बेहतर फिटनेस की जड़ी बूटी है।

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साथियों,

आइए, हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन दोलन बनाएं। एक ऐसा आंदोलन, जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए। जहां हर व्यक्ति दिन की शुरुआत योग से करे और जीवन में संतुलन पाए। जहां हर समाज योग से जुड़े और तनाव से मुक्त हो। जहां योग मानवता को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बने। और जहां ‘Yoga for One Earth, One Health’ एक वैश्विक संकल्प बन जाए। एक बार फिर आंध्र के नेतृत्व को बधाई देते हुए, आंध्र के लोगों को बधाई देते हुए और विश्वभर में फैले हुए योग practitioners और योग प्रेमियों को बधाई देते हुए, आप सबको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!