देश के कोने कोने से आए हुए किसान भाईयों और बहनों, कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक, अर्थवेयत्ता और उपस्थित सभी महानुभाव और इस कार्यक्रम में देश भर के लोग भी टीवी चैनलों के माध्यम से जुड़े हुए हैं, मैं उऩको भी प्रणाम करता हूं।

कई लोगों को लगता होगा, इतने channels चल रहे हैं, नया क्या ले आए हैं। कभी-कभी लगता है कि हमारे देश में टीवी चैनलों का Growth इतना बड़ा तेज है, लेकिन जब बहुत सारी चीजें होती हैं, तब जरूरत की चीज खोजने में जरा दिक्कत जाती है। अगर आज खेल-कूद के लिए अगर आपको कोई जानकारी चाहिए, तो टीवी Channel के माध्यम से सहजता से आपको मिल जाती है। भारत के खेल नहीं दुनिया के खेल का भी अता-पता चल जाता है। और आपने देखा है कि Sports से संबंधित चैनलों के कारण हमारे यहां कई लोगों की Sports के भिन्न-भिन्न विषयों में रूचि बढ़ने लगी है, जबकि हमारे स्कूल Colleges में उतनी मात्रा में Sports को प्राथमिकता नहीं रही है, लेकिन उन चैनलों को योगदान, जिन्होंने Sports के प्रति नई पीढ़ी में रूचि पैदा की और उसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले, पहले Sports को Sports के रूप में देखा जाता था। लेकिन धीरे-धीरे पता चलने लगा लोगों को भी, ये बहुत बड़ा अर्थशास्त्र है। लाखों लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है, और खेल के मैदान में खेल खेलने वाले तो बहुत कम होंगे, लेकिन खिलाड़ियों के पीछे हजारों लोगों की फौज होती है, जो भिन्न-भिन्न प्रकार के कामों को करती हैं, यानी एक इतना बड़ा Institution है, इन व्यवस्थाओं के माध्यम से पता चला है, किसान हिन्दुस्तान में इतना बड़ा वर्ग है। उसके पास कृषि के क्षेत्र में चीजें कैसे पहुंचे। ये बात हमें मान करके चलना पड़ेगा कि अगर हमारे देश को आगे ले जाना है, तो हमारे देश के गांवों को आगे ले जाना ही पड़ेगा। गांव को आगे ले जाना है तो पेशे को प्राथमिकता देते हुए उसके बढ़ावा देना ही पड़ेगा। ये सीधा-साधा भारत के आर्थिक जीवन से जुड़ा हुआ सत्य है।

लेकिन दिनों दिन हालत क्या हुई है, आपको जानकर हैरानी होगी, हमारे देश के किसानों ने कितना बड़ा पराक्रम किया हुआ है, कितना सारा समाज जीवन को दिया हुआ है, पुराने Gadgets का जो लोग स्टडी करते हैं, आज से दो सौ साल पहले साऊथ इंडिया में, दक्षिण भारत में Consumer का इलाके के किसानों का Study हुई और आज आप हैरान होंगे दो सौ साल पहले जबकि यूरिया भी नहीं था, पोटास भी नहीं था, इतनी सुविधाएं भी नहीं थी, उस समय वहां का किसान एक हैक्टर पर 15 से 18 टन paddy का उत्पादन करता था। कहने का तात्पर्य यह है कि उस समय हमारे पूर्वजों के पास ज्ञान-विज्ञान नये प्रयोग तो कुछ न कुछ तो था, दो सौ साल पहले हमारे देश में गेहूं कुछ इलाकों में करीब-करीब 12 से 15 टन का उत्पादन प्रति हेक्टर हमारे किसान ने किया था। आज पूरे देश में औसत उत्पादन कितना है प्रति हेक्टर, सब प्रकार के धान मिला दिया जाए, औसत उत्पादन है प्रति हेक्टर दो टन। जनसंख्या बढ़ रही है, जमीन बढ़ती नहीं है, आवश्यकता बढ़ रही हैं, तब हमारे पास उपाय क्या बचता है, हमारे पास उपाय वही बचता है कि हम उत्पादकता बढ़ाएं, प्रति हेक्टर हमारे उत्पादकता बढ़ेगी तो हमारे आय बढ़ेगी।

आज देश में Average प्रति हेक्टर दो टन का उत्पादन है। विश्व का Average तीन टन का है। क्या कम से कम हिन्दुस्तान सभी किसान मिल करके वैज्ञानिक, टेक्नोलॉजी, बीज सप्लाई करने वाले, दवाई सप्लाई करने वाले, सब लोग मिल के क्या यह सोच सकते हैं कि प्रति हेक्टर तीन टन उत्पादन कैसे पहुंचाएं, अब यूं दो से तीन होना, लगता बहुत छोटा है, लेकिन वह छोटा नहीं, बहुत कठिन काम है, बहुत कठिन काम है, लेकिन सपने देखें तो सही, हर तहसील में स्पर्धा क्यों न हों कि बताओं भाई आज हमारी तहसील में इतनी भूमि जोती गई, क्या कारण है कि हम दो टन से सिर्फ इतना ही बढ़ पाए, और ज्यादा क्यों न बढ़ पाए।

देश में एक कृषि उत्पादन में अगर तहसील को यूनिट मानें तो एक बहुत बड़ी स्पर्धा का माहौल बनाने की आवश्यकता है और तहसील को यूनिट में इसलिए कहता हूं कि Climatic Zone होते हैं, कछ इलाके ऐसे होते है कुछ ही फसलें होती है, कुछ मात्रा नही हो सकती, कुछ इलाके ऐसे होते हैं, जहां कुछ फसल होती है अधिक मात्रा में होती है। लेकिन अगर तहसील इकाई होगी, तो स्पर्धा के लिए सुविधा रहती है और अगर हमारे देश के किसान को लाल बहादुर शास्त्री जी ये कहें जय जवान जय किसान का मंत्र दें। लाल बहादुर शास्त्री जी के पहले हम लोग गेहूं विदेशों से मंगवा करके खाते थे। सरकारी अफसरों के जिम्मे उस कालखंड के जो सरकारी अफसर हैं, वो आज शायद Senior most हो गये होंगे या तो Retired हो गए होंगे। District Collector का सबसे पहला काम रहता था कि कांडला पोर्ट पर या मुंबई के पोर्ट पर विदेश से जो गेहूं आया है, उसको पहुंचाने की व्यवस्था ठीक हुई है या नहीं, पहुंचा कि नहीं पहुंचा इसी में उनका दिमाग खपा रहता था, जवाब उन्हीं से मागा जाता था। देश बाहर से मंगवा करके खाना खाते था, यह हकीकत है।

देश के किसानों के सामने लाल बहादुर शास्त्री जी के ने लक्ष्य रखा, जय जवान, जय किसान का मंत्र दिया और युद्ध की विभिषिका का Background था, देश भक्ति का ज्वार था और लाल बहादुर जी की सादी- सरल भाषा में हुई है। हमारे देश के किसानों ने इस बात को पकड़ लिया, और देश के किसानों ने तय कर लिया कि हम अन्न के भंडार भर देंगे। हमारे देश के किसान ने उसके बाद कभी भी हिन्दुस्तान को भूखा नहीं मरने दिया। किसान की जेब भरे या न भरे, देश के नागरिकों का पेट भरने में कभी कमी नहीं रखी है। इस सच्चाई को समझने के बावजूद, हम बदले हुए युग को देखते हुए हम परिवर्तन नहीं लाएंगे तो परिस्थितियां नहीं पलटेंगी। एक समय था हमारे यहां कहा जाता था उत्तम से उत्तम खेती, मध्यम व्यापार और कनिष्ठ नौकरी ये हमारे घर-घर की गूंज थी, लेकिन समय रहते आज अगर किसी किसान के घर में जाईये तीन बच्चे हैं उससे पूछिए भाई क्या सोचा है ये तो पढ़ने में अच्छा है, जरा समझदार है, उसको तो कहीं नौकरी पर लगा देंगे। ये भी शायद कही काम कर लेगा, लेकिन ये छोटे वाला हैं न, वो ज्यादा समझता नहीं, सोच रहा हूं उसको खेती में लगा दूं। यानी ये घऱ में भी सोच बनी है कि जो तेज तर्रार बच्चा है उसको कहीं नौकरी करने के लिए भेज दूं। और जो ठीक है भाई और कहीं बेचारे को कहीं मिलता नहीं खेती कर लेगा, पेट गुजारा कर लेगा, जो खेती उत्तम मानी जाती था, वो खेती कनिष्ठ थी, और जो नौकरी कनिष्ठ मानी जाती थी, चक्र ही उलट गया, मुझे लगता है कि इसको फिर से हमें एक बार उल्टा करना है, और प्रयास करें तो सफलता मिल सकती है।

मेरा अपना एक अनुभव है गुजरात का मुख्‍यमंत्री होने के नाते मुझे एक बार जूनागढ़ Agriculture university में बुलाया गया था और प्रगतिशील किसानों को सम्‍मानित करना था। मैं जब जाने वाला था तो मैं सोच रहा था कि क्‍या उनके सामने क्‍या बात कहूंगा, दिमाग.. रास्‍ते में प्रवास करते हुए मैं चल रहा था और मेरे Mind में ऐसा बैठ गया था कि यह तो सभी बहुत वृद्ध किसान होंगे, बड़ी आयु के होंगे, तो उनके लिए ऐसी बात बताऊं, वैसी बात बताऊं तो जहां में पहुंचा। और Audience देखा तो मैं हैरान था। करीब-करीब सभी 35 से नीचे की उम्र के थे और मैंने उस दिन करीब 12 या 15 किसान को ईनाम दिया। वे सारे young थे, Jeans pant और T- shirt में आए हुए थे। मैंने उनको पूछा भई क्‍या पढ़े-लिखे थे.. सारे पढ़े-लिखे थे भाई। तो मैंने कहा कि खेती में वापस कैसे आ गए। तो बोले कुछ जो बदलाव आया है, उसका हम फायदा ले रहे हैं। अगर हम फिर से एक बार आधुनिक विज्ञान को, technology को गांव और खेत खलियान तक पहुंचा देंगे तो देश का सामान्‍य व्‍यक्ति, देश का नौजवान जो खेती से भागता चला गया है, वो फिर से खेती के साथ जुड़ सकता है और देश की अर्थव्‍यवस्‍था को एक नई गति दे सकता है। लेकिन इसके लिए हमें एक विश्‍वास पैदा करना पड़ेगा एक माहौल पैदा करना पड़ेगा।

हिंदुस्‍तान के 50 प्रतिशत से ज्‍यादा ऐसे किसान होंगे गांव में, जिन्‍हें यह पता नहीं होगा कि सरकार में Agriculture Department होगा, कोई Agriculture Minister होता है। सरकार में Agriculture के संबंध में कुछ नीतियां, कुछ पता नहीं होता। हमारे देश की कृषि किसानों के नसीब पर छोड़ दी गई है। और वो भी स्‍वभाव से इसी Mood का है, पर पता नहीं भाई अब कुदरत रूठ गई है। पता नहीं अब ईश्‍वर नाराज है यही बात मानकर बेचारा अपनी जिंदगी गुजार रहा है।

यह इतना क्षेत्र बड़ा उपेक्षित रहा है, उस क्षेत्र को हमने vibrant बनाना है, गतिशील बनाना है और उसके लिए अनेक प्रकार के काम चल रहे हैं। मैंने तो देखा है कि किसान अपने खेत में फसल लेने के बाद जो बाद की चीजें रह जाती हैं उसको जला देता है। उसको लगता है कि भई कहां उठाकर ले जाओगे, इसको कौन लेगा, वो खेत में ही जला देता है। उसे पता नहीं था कि यही चीजें अगर, मैं थोड़े-थोड़े टुकड़े करके फिर से गाढ़ दूं, तो वो ही खाद बन सकती है, वो ही मेरी पैदावर को बढ़ा सकती है। लेकिन अज्ञान के कारण वो जलाता है। यहां भी कई किसान बैठे होंगे वे भी अपनी ऐसी चीजें जलाते होंगे खेतों में। यह आज भी हो रहा है अगर थोड़ा उनको guide करे कोई, हमने देखा होगा केले की खेती करने वालों को, केला निकालने के बाद वो जो गोदा है उसको लगता है बाद में उसका कोई उपयोग ही नहीं है। लेकिन आज विज्ञान ने उस केले में से ही उत्‍तम प्रकार का कागज बनाना शुरू किया है, उत्‍तम प्रकार के कपड़े बनाना शुरू किया है। अगर उस किसान को वो पता होगा, तो केले की खेती के बाद भी कमाई करेगा और उस कमाई के कारण उसको कभी रोने की नौबत नहीं आएगी। एक बार मानो केला भी विफल हो गया हो ।

मैं एक प्रयोग देखने गया था, यानी केला निकालने के बाद उसका जो खाली खड़ा हुआ, यह उसका जो पौधे का हिस्‍सा रहता है अगर उसको काटकर के जमीन के अंदर गाढ़ दिया जाए, तो दूसरी फसल को 90 दिन तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती। उस केले के अंदर उतना Water Content रहता है कि 90 दिन तक बिना पानी पौधा जिंदा रह सकता है। लेकिन अगर यह बातें नहीं पहुंची तो कोई यह मानेगा कि यार अब इसको उठाने के लिए और मुझे याद है वो खेत में से उठाने के‍ लिए वो खर्च करता था, ले जाओ भई। जैसे- जैसे उसको पता चलने लगा तो उसकी value addition करने लगा chain बनाने लगा।

हमारे देश में कृषि में multiple utility की दिशा में हम कैसे जाए, multiple activity में कैसे जाए, जिसके कारण हमारा किसान जो मेहनत करता है उसको लाभ हो। कभी-कभी किसान एक फसल डाल देता है, लेकिन अगर कोई वैज्ञानिक तरीके से उसको समझाए। इस फसल के बगल में इसको डाल दिया जाए, तो उस फसल को बल मिलता है और तुम्‍हारी यह फसल मुफ्त में वैसे ही खड़ी हो जाएगी। जो आप में से किसानों को मालूम है कि इस प्रकार की क्‍या व्‍यवस्‍था होगी। अब बहुत से किसान है उसको मालूम नहीं है वो बेचारा एक चीज डालता है तो बस एक ही डालता है। उसे पता नहीं होता है कि बीच में बीच में यह चीज डालें। वो अपने आप में एक दूसरे को compensate करते हैं और मुझे एक अतिरिक्‍त income हो जाती है। इन चीजों को उन तक पहुंचना है। हमारे देश के किसान का एक स्‍वभाव है। किसान का स्‍वभाव क्‍या है। कोई भी चीज उसके पास लेकर जाओ, वे Outright कभी Reject नहीं करता है। देखते ही नहीं-नहीं बेकार है, ऐसा नहीं करता है। वो Outright select भी नहीं करता। आपकी बात सुनेगा, अपना सवाल पूछेगा, पचास बार देखेगा, तीन बार आपके पास आएगा, उतना दिमाग खपाता रहेगा। लेकिन फिर भी स्वीकार नहीं करेगा। किसान तब स्वीकार करता है जब वे अपने आंखों से सफलता को देखता है। ये उसका स्वभाव है और इसलिए जब तक किसान के अंदर विश्वास नहीं भर देते उसको भरोसा नहीं होता। हां भाई जो व्यवस्था क्योंकि इसका कारण नहीं है की वह साहसिक नहीं है लेकिन उसे मामलू है एक गलती है गई मतलब साल बिगड़ गया। साल बिगड़ गया 18-20 साल की बच्ची हुई है हाथ पीले करने के सपने तय किये हैं अगर एक साल बिगड़ गया तो बच्ची की शादी चार साल रुक जाती है। ये उसकी पीड़ा रहती है और इसलिए किसान तुरंत हिम्मत नहीं करता है, सोचता है किसान के पास यह बात कौन पहुंचाये।

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए किसान तक अनुभवों की बात पहुंचाने के लिए और किसान के माध्यम से पहुंचाने के लिए एक प्रयास ये है किसान चैनल और इसलिए एक बात हमें माननी होगी कि हमारे कृषि क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव लाना जरूरी है। आज global Economy है हम satellite पर ढेर सारा पैसा खर्च करते हैं एक के बाद एक satellite छोड़ रहे हैं । उन satellite के Technology का space Technology का सबसे बड़ा अगर लाभ हुआ है तो वो लाभ हुआ है मौसम की जानकारियां अब करीब-करीब सही निकलने लगी है। पहले मौसम की जानकारियां किसान को भरोसा नहीं होता था, यार ठीक है ये तो कहता था धूप निकलेगा नहीं निकला। लेकिन अब ये जो खर्चा कर रही है सरकार ढेर सारे satellite छोड़ रही है। ये अरबों- खरबों रुपये का खर्च हुआ है इसका अगर सबसे बड़ा लाभ मिल सकता है तो किसान को मिल सकता है। वो मौसम की खबर बराबर ले सकता है। मैं जिस किसान चैनल के माध्यम से, मैं हमारे किसानों को आदत डालना चाहता हूं कि वे इस मौसम विज्ञान को तो अवश्य टीवी पर देखें और मैं हमारे प्रसार भारती के मित्रों और किसान चैनल वालों को भी कहूंगा कि एक बार किसान को विश्वास हो गया कि हां भाई ये बारिश के संबंध में, हवा चलने के संबंध में, धूप निकलने के संबंध में बराबर जानकारी आ रही है तो उसका बराबर मालूम है कि ऐसी स्थिति में क्या करनी चाहिए वो अपने आप रास्ता खोज लेगा और परिस्थितियों को संभाल लेगा ये मुझे पता है।

आज ये व्यवस्था नहीं है आज general nature का आता है वो भी मोटे तौर पर जानकारी आती है उसमें रुचि नहीं है। मैं इस Technology में मेरी आदत है वेबसाइट पर जाने की लेकिन बारिश के दिनों में मैं कोई खबर सबसे पहले नहीं देखता हूं, वेबसाइट पर जाकर सबसे पहले मैं उस समय 5-6 दुनिया के जितनी महत्वपूर्ण व्यवस्थाएं थी। जहां से मौसम की जानकारी मिलती थी, तुरंत देखता था हर बार। 5-6 जगह पर रोज सुबह मॉर्निंग में मेरा यही कार्यक्रम रहता था। मैं देखता था कि भाई पूरे विश्व में मौसम की स्थिति क्या है, बारिश कब आएगी, बारिश के दिनों के बात है।

मैं चाहता हूं कि सामान्य मानवीय इससे जुड़े, दूसरा आज global economy है। एक देश है उससे हमें अगर पता चलता है कि वहां इस बार मुंगफली बहुत पैदा होती थी। लेकिन इस बार उसकी मुंगफली एक दम से कम हो गई है। तो भारत के किसान को पता चलेगा कि भाई सबसे ज्यादा मुंगफली देने वाला देश था उसकी तो हालत खराब है। मतलब Globally मुंगफली के Market मरने वाला है। किसान सोच सकता है कि भई उसके यहां तो दो महीने पहले फसल क्योंकि बारिश हरेक जगह तो अलग-अलग है तो निर्णय कर पायेगा कि भाई इस बार मौका है। उसके तो सब बुरा हो गया है मैं उसमें से कुछ कर सकता हूं मैं अगर मुंगफली पर चला जाउं तो मेरा Market पक्का हो जाएगा और वो चला जाएगा। हम पूरे वैश्विक दृष्टि से दुनिया के किस Belt में किसानों का क्या हाल है किस प्रकार का वहां पैदावार की स्थिति है, बारिश की स्थिति क्या है, बदलाव क्या आ रहा है, उसके आधार पर हम तय कर सकते हैं।

हमारे देश में जो खजूर की खेती करते हैं, अरब देशों में हम से दो महीने बाद फसल आती है। हमारे देश में जो लोग इसके खेती करते हैं उनको दो महीने पहले Market मिल जाता है और उसके कारण अरब देशों में जो क्वालिटी है उसकी क्वालिटी हमारी तुलना में ज्यादा अच्छी है क्योंकि natural crop वहीं का है। लेकिन उसके वाबजूद हमारे यहां खजूर की खेती करने वालों को फायदा मिल जाते है क्यों, क्योंकि हम दो महीने पहले आ जाते हैं। हम ये..ये global economy की जो चीजें हैं उसको अगर गहराई से समझ करके हम अपने किसानों को guide करें तो उसको पता चलेगा वर्ना कभी क्या होता है किसान को मुसीबत। एक बार हवा चल पड़ती है कि टमाटर की खेती बहुत अच्छी है तो किसान बेचारा आंख बंद करके टमाटर की खेती में लग जाता है और जब टमाटर बहुत ज्यादा पैदा हो जाती है तो दाम टूट जाता है। दाम टूट जाता है टमाटर लंबे दिन रहता नहीं तो वो घाटे में चला जाता है और इसलिए कृषि में उत्पादन के साथ उसकी अर्थनीति के साथ जोड़कर ही चलना पड़ेगा और उसमें एक मध्य मार्ग काम करने के लिए सरकारी तंत्र किसान चैनल के माध्यम से प्रतिदिन आपके साथ जुड़ा रह सकता है। आपको शिक्षित कर सकता है, आपका मार्गदर्शन करता है, आपकी सहायता कर सकता है।

हमें अगर बदलाव लाना है तो जिस प्रकार से विश्व में बदलते बदलावों को समझकर अपने यहां काम करना होगा। मौसम को समझकर काम की रचना कर सकते हैं। उसी प्रकार से हम Technology के द्वारा बहुत कुछ कर सकते हैं। आज दुनिया में कृषि के क्षेत्र में Technology के क्षेत्र में बहुत काम किया है। हर किसान के पास यह संभव नहीं है कि दुनिया में Technology कहा है वो देखने के लिए जाए..विदेश जाए जाकर के देखें, नहीं है। मैं चाहूंगा कि इस किसान चैनल के माध्यम से नई-नई Technology क्या आई है वो नई-नई Technology किसान के लिए सिर्फ मेहनत बचाने के लिए नहीं उस Technology के कारण परिणाम बहुत मिलता है। Technology का Intervention कभी-कभी बहुत Miracle कर देता है। हम उसकी ओर कैसे जाए?

उसी प्रकार से राष्ट्र की आवश्यकता की ओर हम ध्यान कैसे दें। आज भी, लाल बहादुर शास्त्री ने कहा किसान ने बात उठा ली। अन्‍न के भंडार भर दिये। आज malnutrition हमारी चिंता का विषय है, कुपोषण यह हमारी चिंता का विषय है और कुपोषण से मुक्ति में एक महत्‍वपूर्ण आधार होता है प्रोटीन। ज्‍यादातर हमारे यहां परिवारों को गरीब परिवारों को प्रोटीन मिलता है दाल में से। Pulses में से। लेकिन देश में Pulses का उत्‍पादन बढ़ नहीं रहा है। प्रति हेक्‍टेयर भी नहीं बढ़ रहा है। और उसकी खेती भी कम हो रही है। अगर हमें हमारे देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को प्रोटीन पहुंचाना है तो Pulses पहुंचानी पड़ेगी। Pulses ज्‍यादा मात्रा में तब पहुंचेगी जब हमारे यहां Pulses की ज्‍यादा खेती होगी, Pulses का उत्‍पादन ज्‍यादा होगा। हमारी University से भी मैं कहता हूं Agriculture University एक-एक अलग-अलग Pulses को लेकर हम उसमें Research कैसे करे? Genetic Engineering कैसे करें? हम प्रति हेक्‍टेयर उसका उत्‍पादन कैसे बढ़ाए? जो उत्‍पादति चीजों हो उसका प्रोटीन content कैसे बढ़े? उस पर हम कैसे काम करें, ताकि हमारे किसान को सही दाम भी मिले?

देश को आज Pulses Import करनी पड़ती है। हम ठान ले कि दस साल के भीतर-भीतर ऐसी मेहनत करे, जब 2022 में जब हिंदुस्‍तान आजादी के 75 साल मनाएगा उस समय हमें Pulses Import न करना पड़े। हमारी दाल वगैरह import न करनी पड़े। हम किसान मिलकर के यह काम कर सकते हैं, हम एक Mission Mode में काम कर सकते हैं और दुनिया में बहुत प्रयोग हुए हैं, दुनिया में बहुत प्रयोग हुए हैं, उसकी आवश्‍यकता है।

आज हमारे देश में Oil Import करना पड़ रहा है। एक तरफ हमारा किसान जो पैदावर करता है, उसके दाम नहीं मिलते और दसूरी तरफ देश की जरूरत है, वो पैदा नहीं होता। हमें विदेश से Oil लाने के लिए तो पैसा देना पड़ता है लेकिन किसान को देने को हमारे पास कुछ बचता नहीं है। अगर हमारा Oil Import बंद हो जाए, खाने का तेल, क्‍या हम उत्‍पादन नहीं कर सकते, हम Target नहीं कर सकते।

इन चीजों को हमारे किसान को हम कैसे समझाए और मुझे विश्‍वास है कि एक बार किसान को यह समझ में आ गई कि यह देश की आवश्‍यकता है, इसके दाम कभी गिरने वाले नहीं है, तो मैदान में आ जाएंगे। इस देश के पास करीब-कीरब 1200 टापू हैं। 1200 टापू है हिंदुस्‍तान के समुद्री तट पर। टापुओं पर उस प्रकार की खेती संभव होती है, जहां से हम हमारी तेल की Requirement पूरी कर सकते हैं। आज हम तेल बाहर से लाते हैं। हमारे किसान, हमारे पंजाब के किसान तो कनाडा में जाइये, खेती वहीं करते हैं, अफ्रीका में जाइये हमारे देश के किसान जाकर के खेती करते हैं। हमारे देश के किसान हमारे टापुओं पर जाकर कर सकते हैं खेती। कभी वैज्ञानिक अध्‍ययन होना चाहिए। और मैं चाहूंगा कि हमारे जो किसान चैनल है कभी जाकर के देखे तो सही, टापुओं का रिकॉर्डिंग करके दिखाए लोगों को कि यह टापू है, इतना बड़ा है, इस प्रकार की वहां प्राकृतिक संपदा वहाँ पड़ी है, यहां ऐसी ऐसी संभावना है। Climate उस प्रकार का है कि जो हमारे Oil seeds की जो requirement है उसे पूरा कर सके। वैज्ञानिक तरीके से हो, मैं इसका वैज्ञानिक नहीं हूं। मैं इसके लिए कुछ कह नहीं सकता। लेकिन मैं एक विचार छोड़ रहा हूं इस विचार पर चिंतन हो। सही हो तो आगे बढ़ाया जाए, नहीं है तो प्रधानमंत्री को वापस दे दिया जाए। मुझे कुछ नुकसान नहीं होगा। लेकिन प्रयास तो हो।

मैं चाहता हूं कि इस किसान चैनल के माध्‍यम से एक व्‍यापक रूप से देश के कृषि जगत में बदलाव कैसे आए। आर्थिक रूप से हमारी कृषि समृद्ध कैसे हो और जब हम कृषि की बात करते हैं तब बारिश के सीजन वाली कृषि से आप भटक नही सकते 12 महीने, 365 दिन का चक्र होता है।

हमारे सागर खेडू, समुद्र में जो हमारे लोग हैं, उनको भी सागर खेडू बोलते हैं…fishermen. वो एक बहुत बड़ा आर्थिक क्षेत्र है। वो Within India भी लोगों की आवश्‍यकता पूरी करती हैं और Export करके हिंदुस्‍तान की तिजौरी भी भरते हैं। अब इसके माध्‍यम से fisheries क्षेत्र को कैसे आगे बढ़ाए। बहुत कम लोगों को मालूम होगा। Ornamental Fish का दुनिया में बहुत बड़ा market है। जो घरों के अंदर Fish रखते हैं, रंग-बिरंगी Fish देखने के लिए लोग बैठते हैं उसका दुनिया में बहुत बड़ा Market है खाने वाला Fish नहीं, Ornamental Fish और उसको, उसके farm बनाए जा सकते हैं, उसकी रचनाएं की जा सकती है, उसकी Training हो सकती है। एक बहुत बड़ा नई पीढ़ी के लिए एक पसंदीदा काम है।

हमारी कृषि को तीन हिस्‍सों में बांटना चाहिए और हर किसान ने अपने कृषि के Time Table को तीन हिस्‍सों में बांटना चाहिए, ऐसा मेरा आग्रह है और प्रयोग करके देखिए। मैं विश्‍वास से कहता हूं कि मैं जो सलाह दे रहा हूं उसको स्‍वीकार करिए, आपको कभी सरकार के सामने देखने की जरूरत तक नहीं पड़ेगी। हमारी कृषि आत्‍म-निर्भर बन सकती है, हमारा किसान स्वावलंबी बन सकता है और हमारे कदम वहीं होने चाहिए, सरकारों पर dependent नहीं होना चाहिए और मैं इसलिए कहता हूं कृषि को तीन हिस्‍सों में बांटकर चलना चाहिए एक-तिहाई जो आप परंपरागत रूप से करते हैं वो खेती, एक-तिहाई Animal husbandry चाहे आप गाय रखें, भैंस रखे, दूध का उत्‍पादन करे, मुर्गी रखें, अंडे रखे, लेकिन एक तिहाई उसके लिए आपकी ताकत लगाइए और एक तिहाई आप अपने ही खेत में timber की खेती करें, पेड़ उगाए, जिससे फर्नीचर के लिए जो लकड़ी लगती है न वो बने। आज हिंदुस्‍तान को timber Import करना पड़ रहा है। जंगल हम काट नहीं सकते तो उपाय यही है और उसके लिए भी जमीन खराब करने की जरूरत नहीं है। आज हमारे देश की हजारों-लाखों हेक्‍टेयर भूमि कहां बर्बाद हो रही है। दो पड़ोसी किसान हो तो एक तो हमारे देश में सब छोटे किसान है, बड़े किसान नहीं है, छोटे किसान है और देश का पेट भरने का काम भी छोटे किसान करते हैं। बड़े किसान नहीं करते, छोटे किसान करते हैं। दो-तीन बीघा भूमि है, पड़ोसी के पास तीन बीघा है, तीनों भाई हैं, लेकिन बीच में ऐसी दीवार बना देते हैं, बाढ़ लगा देते हैं कि दो-तीन मीटर उसकी जमीन खराब होती है, दो-तीन मीटर इसकी खराब होती है। सिर्फ इसी के लिए अगर एक बार हम इस बाढ़ में से बाहर आ जाए और अगर पेड़ लगा दें एक पेड़ इस वाले का, एक पेड़ उस वाले का, एक इसका और एक उसका और आधे इसके आधे उसके। अब मुझे बताइये कि जमीन बच जाएगी कि नहीं बच जाएगी। लाखों एकड़ भूमि आज बर्बाद हो रही है। मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि अड़ोस-पड़ोस से अपने भाई हो या और कोई हो दो खेतों के बीच में जो बाढ़ में दो-दो मीटर, पाँच-पांच, सात-सात मीटर जमीन खराब होती है उसकी जगह पर पेड़ लगा दें। और वो भी timber और सरकार आपको permission दें। आपके घर में बेटी पैदा हुई हो पेड़ लगा दीजिए, बेटी की शादी हो पेड़ काट दीजिए, शादी उतने ही खर्चें में हो जाएगी। और इसलिए मैं कहता हूं एक-तिहाई timber की खेती, एक-तिहाई हम regular जो खेती करते हैं वो और एक-तिहाई देश को Milk की बहुत जरूरत है। हम पशु-पालन कर सकते हैं और हमारी माताएं-बहनें करती हैं। 365 दिन का हमारा आर्थिक चक्र हम बना सकते हैं। और एक बार यह बनाएंगे, मैं नहीं मानता हूं हमारे कृषि क्षेत्र को हम परेशान होने देंगे। लेकिन इस काम के लिए हमने इस चैनल का भरपूर उपयोग करना है। लोगों को प्रशिक्षित करना है, उनमें विश्वास पैदा करना है।

उसी प्रकार से हमारे देश के हर तहसील में मैं कहता हूं एक-दो, एक-दो प्रगतिशील किसान हैं, प्रयोग करते हैं, सफलतापूर्वक करते हैं। उनके खेतों का Live Telecast, Video Conferencing खेत से ही हो सकता है। खेत में इस सरकार जाए, चैनल वहां लगाए, वो किसान दिखाएं घूम-घूम कर, देशभर के किसान देखें उसके पत्र-व्‍यवहार की व्‍यवस्‍था कर दी जाए। सारे देश के किसान उसको पूछते रहेंगे कि भई आप यह कर रहे हैं मुझे बताइये कैसे हो सकता है, मेरे यहां भी हो सकता है। हमारे देश में प्रगतिशील किसानों ने ऐसे पराक्रम किये हैं। मैंने कई किसानों को जानता हूं जिन्‍होंने Guinness Book of World Records में अपना नाम दर्ज कराया। मैं एक किसान को जानता हूं मुस्लिम नौजवान है, पिता जी तो खेती नहीं करते थे वो खेती में गया और आलू की पैदावर प्रति हेक्‍टेयर सबसे ज्‍यादा पैदा करके दुनिया में नाम कमाया उसने। अगर मेहनत करते हैं तो हम स्थितियों को बदल सकते हैं। और इसलिए मैं कहता हूं कि हम किसान चैनल के माध्‍यम से जहां भी अच्‍छा हुआ है, प्रयोग हुए हैं उसको हम करना चाहते हैं। आप पंजाब में जाइये हर गांव में एक-आध किसान ऐसा है जो Technology में master है। वो जुगाड़ करके ऐसी-ऐसी चीज बना देता है और वो जुगाड़ शब्‍द ही Popular है।

मैं पंजाब में मेरी पार्टी का काम करता था तो मैं चला जाता था खेतों में किसानों के साथ देखने के लिए, समझने के लिए, हरेक के पास मोटर साईकिल का पुर्जा है उठाकर के कहीं और लगा दिया है, मारूति कार का पुर्जा कहीं और लगा दिया है। और वो अपना पानी निकाल रहा था। ऐसे प्रयोगशील होते हैं। किसान इतनी Technology को करते हैं जी, मैं समझता हूं कि और लोगों को इसका परिचय Technology का परिचय दो। एक बार हम इन चीजों को जोड़े और दूसरी तरफ हमारी universities किसान चैनल को आधुनिक से आधुनिक चीजें मुहैया कराने का एक network बनाना चाहिए। और कभी किसान चैनल भी competition क्‍यों न करे। बस इस प्रकार की competition करे। अब जैसे यह चैनल वाले होते हैं गायकों को ढूंढते हैं, नाचने वाले को ढूंढते हैं, competition करते हैं, तो उत्तम प्रकार की खेती करने वालो के लिए भी competition हो सकती है, उनके भी प्रयोग हो सकते हैं, वो आएं, दिखाएं, समझाएं, मैं समझता हूं कि ये चैनल सबसे ज्यादा पॉपुलर हो सकते हैं और एक बार और प्रसार भारती मेरे शब्द लिख करके रखे, अगर आप सफल हो गए और मुझे विश्वास है कि जिस लगन से आपने कम समय पर काम किया है। ये सिर्फ technology नहीं है और कोई और चैनल चलाने के लिए technology सिर्फ चलती है, खेतों में जाना पड़ा है, गांव में जाना पड़ा है, किसानों से मिलना पड़ा है, आपका मटेरियल तैयार करना पड़ा है, मैं जानता हूं कि कितनी मेहनत इसमें लगी है तब जाकर चैनल का रूप आया है। लेकिन अगर बढ़िया ढंग से चली तो तीन साल के बाद आपको चलाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए मुश्किल हो जाएगा कि जो 24 घंटे वाले हैं न वह भी अपनी चालू कर देंगे। उनको उसकी ताकत समझ आएगी। आज उनके यहां इसको मौका नहीं है, लेकिन आप अगर सफल हो गए तो दूसरी 20 चैनल किसानों के लिए आ जाएगी और एक ऐसी competition का माहौल होगा, मेरे किसान का भाग्य खुल जाएगा।

और इसलिए मैं आज इस किसान के माध्यम से आपने जो नई शुरूआत की है देश के गांव और गरीब किसान को जोड़ने का प्रयास किया है, जिसे मैं आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ना चाहता हूं, मैं जिसे satellite की technology के साथ जोड़ना चाहता हूं, जिसको अपना भविष्य बनाने का रास्ता बनाने के लिए तैयार करना चाहता हूं उस काम को हम सफलतापूर्वक करेंगे।

उसी एक विश्वास के साथ मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देश के सभी किसान भाइयों और बहनों को मेरी हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।