नर्मदा सेवा यात्रा हमारे इतिहास में एक विशेष जन आंदोलन: पीएम मोदी
मां नर्मदा जीवनदायिनी है: प्रधानमंत्री मोदी 
स्वच्छ भारत मिशन की सफलता सरकार की वजह से नहीं, बल्कि लोगों की वजह से है: पीएम मोदी

विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों,

हमारे शास्‍त्रों में एक मान्‍यता बनी हुई है कि अगर हम यात्रा कर नहीं सकते हैं, लेकिन किसी यात्री को अगर प्रणाम कर लें तो यात्रा का पुण्‍य प्राप्‍त होता है। तो मैं भी आप सभी यात्रियों को प्रणाम करके, जो पुण्‍य आपने कमाया है; वो आपसे कुछ हिस्‍सा मांग रहा हूं। लेकिन वो हिस्‍सा मैं मेरे लिए नहीं मांग रहा हूँ, आपकी ये यात्रा से कमाया हुआ पुण्‍य मां भारती के काम आए, सवा सौ करोड़ देशवासियों के काम आए, इस देश के गरीब से गरीबी की जिंदगी के बदलाव लाने में काम आए।

और मुझे विश्‍वास है नर्मदा यात्रा ही है वो यात्रा जिसको नर्मदा परिक्रमा से जोड़ा गया है। और मैं इस शास्‍त्र से भली-भांति परिचित हूं, मैंने उस दुनिया को जीने का कभी प्रयास किया था, और उसमें मुझे पता है कि जब नर्मदा परिक्रमा करते हैं, तब अहंकार कैसे चूर-चूर हो जाता है; अहंकार कैसे मिट्टी में मिल जाता है। और परिक्रमा करने वाले व्‍यक्ति को मां नर्मदा जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। सारे बंधनों से मुक्‍त करा देती है। सारे पद-उपाधियों से अभिभूषित हो, उससे भी परिक्रमा के दौरान मुक्ति मिल जाती है। मां नर्मदा और नर्मदा के सेवक के बीच कोई द्ववैत नहीं बचता है, एक अद्वैत की अनुभूति होती है। आपने भी आज जब मां नर्मदा की इस महान सेवा करने का संकल्‍प किया है।

जब वक्‍त बदलता है, तो कहां से कहां पहुंचा देता है। और जब अतिकार भाव प्रबल हो जाता है, कर्तव्‍य भाव क्षीण हो जाता है, तब ये समस्याएं पैदा होती हैं; जो आज हमें नर्मदा सेवा के लिए निकलना पड़ा। यही तो मां नर्मदा हैं जिसने हजारों साल से हमें बचाया है, हमें जीवन दिया है, हमारे पूर्वजों की रक्षा की है, लेकिन हमने अपना अधिकार मान लिया, हम कर्तव्‍य से विमुख हो गए, और मां नर्मदा से जितना लूट सकते थे लूटते रहे। अपने स्‍वार्थवश अपनी आवश्‍यकता के अनुसार मां नर्मदा की तो परवाह नहीं की, हमने अपनी परवाह जरूरी की। मन में वो अधिकार भाव था कि मैं मां नर्मदा पर तो मेरा अधिकार है, मैं उसको जैसे चाहूं वैसे उसका उपभोग कर सकता हूं, और उसी का परिणाम हुआ कि जिस मां नर्मदा ने हमें बचाया था, आज हमें उस मां नर्मदा को बचाने के लिए पसीना बहाने की नौबत आई है। अगर कर्तव्‍य भाव से हम विमुख न हुए होते, मां के प्रति हमारे कर्तव्‍यों को हमने निभाया होता तो मां नर्मदा, उसको बचाने की नौबत मनुष्‍य के जिम्‍मे नहीं आती। और इसलिए समय से रहते मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री, मध्‍य प्रदेश की जनता, वो सजग हो गई।

हिन्‍दुस्‍तान में कई नदियां हैं, नक्‍शे पर निशान है, पानी का नामो‍-निशान नहीं। कई नदियां इतिहास के गर्त में खत्‍म हो चुकी हैं। हमारे देश में केरल में एक नदी है, शायद एक ही नदी है जिसका नाम भारत पर है; भारत पूजा। उस केरल की नदी बचेगी कि नहीं बचेगी, ये चिंता का विषय है। ऐसा तो नहीं था कि पानी के उपयोग के कारण नदी खत्‍म हुई है। नदी की रक्षा के लिए जिन तत्‍वों के साथ उस रक्षा का दायित्‍व होता है, वो अगर हम नहीं निभाएंगे तो मानव जाति को कितना बड़ा नुकसान होगा।

हम भली-भांति जानते हैं कि मां नर्मदा बर्फीली पहाड़ियों से नहीं आती, बर्फ के चट्टानों से पिघल कर नहीं आती है। मां नर्मदा एक-एक पौधे के प्रसाद से प्रकट होती है और जो हम लोगों को जी हमारे जीवन को पुलकित करती है। और इसलिए मध्‍य प्रदेश सरकार ने मां नर्मदा के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, मां नर्मदा की गारंटी के लिए, सबसे प्रमुख काम हाथ में लिया है, वो है पेड़ लगाने का; वृक्षारोपण। हम जब पेड़ लगाएंगे तब हमें भी अंदाज नहीं होगा कि हम आने वाली पीढ़ियों की कितनी बड़ी सेवा कर रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने जो तप किया, साधना की, सेवा की, उसी का परिणाम है कि‍ आज हम नर्मदा मैया का लाभ रहे रहे हैं। आज हम जो पुरुषार्थ करेंगे, आने वाली अनेक पीढ़ियां हमें याद करेंगी कि कोई एक वक्‍त था, जब मां नर्मदा को बचाने के लिए पेड़-पौधों की मदद ले करके फिर एक बार मां नर्मदा को पुनर्जीवन दिया गया था।



करीब-करीब डेढ़ सौ दिन यात्रा ये असंभव कार्य है, लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्‍य है कि जहां कहीं सरकार जुड़ जाए, जहां कहीं राजनेता जुड़ जाएं, तो सके महात्‍मय को खंडित करने का ही प्रयास होता है। वरना ये ऐसी घटना है, और मैं मध्‍य प्रदेश की जनता को नर्मदा यात्रा से जुड़े हुए, इस सेवा यात्रा से जुड़े हुए, लक्षावधि लोगों को, नर्मदा तट पर बसे हुए हर नागरिक को हृदय से बधाई देता हूं। ये ऐसी घटना है कि दुनिया के किसी देश में नदी की रक्षा के लिए डेढ़ सौ दिन तक इतनी तपस्‍या की गई होती, तो पूरे विश्‍व में उस की चर्चा हुई होती, पूरे विश्‍व में उसका जयकारा बोला गया होता, दुनिया के बड़े-बड़े टीवी चैनल इस घटना को अंकित करने के लिए दौड़ पड़ते। लेकिन ये हमारे देश का दुर्भाग्‍य है कि हम हमारी अपनी इन प्रयासों का वैश्विक सामर्थ्‍य क्‍या है, न उसको जान पाते हैं न समझ पाते हैं, और मौके गंवा देते हैं।

आज कहीं एक Solar park लग जाए तो भी दुनिया में चर्चा होती है कि उस देश के उस इलाके में Solar park लगा है मानवता की रक्षा के लिए। ये नदी बचाने का इतना बड़ा काम हुआ है, पर्यावरण की रक्षा का इतना बड़ा काम हुआ है, 25 लाख से ज्‍यादा लोगों ने संकल्‍प लिए हैं, कोटि-कोटि जन उससे जुड़े हैं, शरीर को कष्‍ट दिया है, कठिनाइयों से गुजारे हैं दिन, स्‍वयं परिश्रम करके; पैदल चलके, मां पृथ्‍वी की रक्षा के लिए, नदी की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए, मानवता की रक्षा के लिए, इतना बड़ा अहम कदम उठाया है। और इसका नेतृत्‍व करने के लिए मैं शिवराज जी को, उनकी पूरी टीम को, और मध्‍य प्रदेश की जनता को बधाई देता हूं।

मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ। नर्मदा की एक-एक बूंद पानी का मूल्‍य क्‍या है, वो गुजरात के लोग भली-भांति जानते हैं। और आज आपने जब नर्मदा के भविष्‍य के लिए इतना बड़ा अभियान उठाया है, तो मैं गुजरात के गांव की, किसानों की तरफ से, वहां के नागरिकों की तरफ से; राजस्‍थान के गाव की तरफ से, किसानों की तरफ से, वहां के नागरिकों की तरफ से; महाराष्‍ट्र के गांव की तरफ से, महाराष्‍ट्र के किसानों की तरफ से, महाराष्‍ट्र के नागरिकों की तरफ से, मध्‍य प्रदेश की जनता का, मध्‍य प्रदेश की सरकार का, मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री का अनेक-अनेक अभिनंदन करता हूं, उनका धन्‍यवाद करता हूं।

इन दिनों देश में स्‍वच्‍छता अभियान, उसको अब एक ढांचागत व्‍यवस्‍था मिली है। लगातार Third party के द्वारा, हिन्‍दुस्‍तान में Evaluation हो रहा है। कौन सा राज्‍य में स्‍वच्‍छता का क्‍या चल रहा है, कौन सा शहर स्‍वच्‍छ है। जन-भागीदारी, लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत होती है। और अगर हम जन-सामर्थ्‍य, जन-शक्ति, जन-भागीदारी, इसकी उपेक्षा करेंगे तो सरकारें कुछ भी करने में समर्थ नहीं होती हैं। कितने ही अच्‍छे विचार क्‍यों न हों, कितना ही अच्‍छा नेतृत्‍व क्‍यों न हो, कितनी ही अच्‍छी व्‍यवस्‍था क्‍यों न हो, लेकिन जन-समर्थन के बिना कभी भी कोई चीज सफल नहीं होती है। और जन-समर्थन से कैसे सफल होती है, इसका उत्‍तम उदाहरण मध्‍य प्रदेश ने प्रस्‍तुत किया है।


पिछली बार जब सर्वेक्षण हुआ तब स्‍वच्‍छता की दिशा में मध्‍य प्रदेश का नाम बदनामी की सीमा में आ गया था, लेकिन मध्‍य प्रदेश ने मन में ठान ली, ये कलंक मिटाने का संकल्‍प किया, जन-जागरण किया, जन-भागीदारी बढ़ाई, जन-जन को जोड़ा, और आज मैं मध्‍य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। देश में जो hundred city सफाई के लिए आकलन किया गया, उन hundred में, 100 में 22 मध्‍य प्रदेश के हैं। ये बहुत बड़ी सिद्धि है। हिन्‍दुस्‍तान के और राज्‍यों को भी प्रेरणा देने वाला काम, स्‍वच्‍छता की दिशा में मध्‍य प्रदेश ने जन-भागीदारी से करके दिखाया। इंदौर और भोपाल हिन्‍दुस्‍तान के Top पर पहले और दूसरे नंबर पर आये।

100 में से 22 शहर स्‍वच्‍छता के अंदर अग्रिम पंक्ति में आ जायें, इसका मतलब ये हुआ कि पूरे राज्‍य में प्रशासन ने, शासन ने, जनता-जनार्दन ने इसे अपना काम माना। और उसी का परिणाम हुआ है ये नर्मदा योजना सेवा यात्रा की सफलता। ये सफलता भी सरकार की ताकत के भरोसे नहीं हुआ है, ये जनता-जनार्दन की ताकत के भरोसे हुआ है। और जनता की ताकत जब जुड़ती है तो कितने बड़े परिणाम आते हैं; शिवराज जी ने 6 करोड़ का लक्ष्‍य रखा है, 2 जुलाई को पेड़ लगाने का। और उन्‍होंने ये 6 करोड़ पेड़ की व्‍यवस्‍था के लिए भी पिछले डेढ़ साल से लगातार काम कर रहे हैं; ये जो ये अचानक नहीं हो रही है। उसके लिए नर्सरी के अंदर सारी व्‍यवस्‍थाएं करी, की जाती हैं तब जा करके होती है। लेकिन हम जैसे परिवार में एक संतान की देखभाल करते हैं, वैसे ही इन नए हम बोने वाले पेड़-पौधों की माहवजत करेंगे, चिंता करेंगे, तब जा करके वो वटवृक्ष तैयार होगा।

हमारे यहां शास्‍त्रों में कहा जाता है जो एक साल का सोचता है वो आनाज बोता है, लेकिन जो आगे का, भविष्य का सोचता है, वो फलदार वृक्ष बोता है। ये फलदार वृक्ष बोने का काम, ये आने वाले दिनों में अनेक परिवारों को एक आर्थिक गारंटी का भी कारण बनने वाला है। मुझे विश्‍वास है कि मध्‍यप्रदेश सरकार ने जो बीड़ा उठाया है और जो उन्‍होंने कार्य योजना बनाई है उस कार्य योजना की किताब मुझे उन्‍होंने पहले पहुंचाई थी, मैंने उसका अध्‍ययन किया; हर किसी के लिए उसमें काम है, हर जगह के लिए काम है; कब करना, कैसे करना, उसका विधि-विधान है; कौन किस काम को देखेगा इसका पूरा प्रारूप है; एक प्रकार से perfect document हैं future vision का। मैं देश के अन्‍य राज्‍यों से भी आग्रह करूंगा और शिवराज जी से भी आग्रह करूंगा कि हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों को एक किताब भेजें और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का तरीका क्‍या होता है; मध्‍य प्रदेश को एक नमूना के रूप में, एक उदाहरण के तौर पर, उसे ले करके सब अपनी-अपनी योजना बनाएं।

जल ही जीवन है, ये तो हम कहते हैं; नदी माता, ये हम कहते हैं; लेकिन हमारी पूरी अर्थव्‍यवस्‍था उसी पर आधारित है। उसके बिना अर्थव्‍यवस्‍था खोखली हो जाती है। अगर आज मध्‍य प्रदेश में कृषि विकास 20 प्रतिशत पहुंचा तो उसमें सबसे बड़ा योगदान माता नर्मदा का है। ये ताकत है, किसान की जिंदगी बदलने की ताकत, ये माता नर्मदा में है।

2022 तक हिन्‍दुस्‍तान के किसान की आय दोगुना करने का संकल्‍प ले करके पूरे देश में काम चल रहा है, मध्‍य प्रदेश ने उसकी पूरी योजना तैयार कर दी है। और उसका लाभ किसानों के सहयोग से हिंदुस्तान के हर गांव को मिलेगा, ये मेरा विश्‍वास है।

भाइयो, बहनों! 2022, आजादी के 75 साल हो रहे हैं। क्‍या हिन्‍दुस्‍तान के सवा सौ करोड़ देशवासी हर पल 2022 का स्‍मरण नहीं कर सकते हैं? हर पल आजादी के 75 साल की याद नहीं कर सकते हैं? जिन महापुरुषों ने देश के लिए बलिदान दिया, जीवन लगा दिया, जवानी जेलों में खपा दी, कुछ फांसी के तख्‍ते पर चढ़ गए, जिन्‍होंने अपने जीवन के परिवार के परिवार तबाह कर दिए; मां भारती की आजादी के लिए क्‍या उनके सपनों को याद करते हुए हम संकल्‍प नहीं कर सकते कि 2022 तक, व्‍यक्ति के नाते मैं देश के लिए इतना करूंगा, परिवार के नाते इतना करूंगा, समाज के नाते इतना करूंगा। हम गांव के लोग मिलके ये करेंगे; हम नगर के लोग मिल करके ये करेंगे; हम संस्‍था के नाते ये काम करेंगे, हम समाज के नाते ये काम करेंगे, हम राज्‍य के नाते, देश के नाते ये संकल्‍प करेंगे।

2022, ‘नया भारत’ बनाने का सपना ले करके चलना है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को जोड़ना है। आजादी के आंदोलन में जैसे देश जुड़ गया था; देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए, ‘नया भारत’ बनाने के लिए हर देशवासी को जोड़ना है। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा, देशवासियों से आग्रह करूंगा, मैं मध्‍य प्रदेश के सभी संगठनों से आग्रह करूंगा; आप भी मिल-बैठ करके तय करिए कि 2022 तक देश के लिए आपकी संस्‍था, आपका परिवार, आपका समाज, आपका संगठन, आपका दल क्‍या करेगा; आप लोग तय कीजिए। एक बार देश में माहौल बने, अभी हमारे पांच साल हैं। पांच साल में हम देश को कहां से कहां पहुंचा सकते हैं। मुझे विश्‍वास है अगर सवा सौ करोड़ देशवासी एक कदम देश के लिए आगे चल पड़ेंगे तो देश पांच साल के भीतर-भीतर सवा सौ करोड़़ कदम आगे निकल जाएगा। और इसलिए हम इस संकल्‍प को ले करके चलें।


मैं आज पूज्‍य अवधेशानंद जी का विशेष आभारी हूं, जो आाशीर्वचन उन्‍होंने मेरे लिए कहे हैं, जो भाव उन्‍होंने प्रकट किए हैं; मैं ईश्‍वर से यही प्रार्थना करूंगा कि हम सब में वो क्षमता आएं, वो अच्‍छाइयां आएं, वो समर्पण का भाव आए; ताकि देश की सही सेवा करने के लिए हम अपने-आप को योग्‍य पाएं, योग्‍य बना पाएं। मैं उनके इस आशीर्वाद वचन के लिए हृदय से बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूं और उनको प्रणाम करता हूं।

मैं आप सबको भी हृदय से बधाई देता हूं, और जैसा शिवराज जी ने कहा, यात्रा का यहां विराम है; लेकिन अब यात्रा में जो भी सोचा, जो भी देखा, जो भी किया, इसको चरितार्थ करने का यज्ञ शुरू हो रहा है। ये सेवा का यज्ञ शुरू हो रहा है। यात्रा समाप्‍त हुई, यज्ञ आरंभ हुआ। यज्ञ में आहुति देनी पड़ती है, समय देना पड़ता है, अपनी सारी इच्‍छा- आकांक्षाओं को समाज के लिए अहुत करनी पड़ती है। मुझे विश्‍वास है ये नर्मदा के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का यज्ञ आप सबके सफल प्रयत्‍नों से और अवश्‍य नई ऊंचाइयों को प्राप्‍त करेगा। इसी एक भावना के साथ आप सब मेरे साथ बोलेंगे- दोनों मुट्ठी बंद करके, हाथ ऊपर करके बोलेंगे- मैं कहूंगा नर्मदे, आप कहेंगे सर्वदे।

नर्मदे – सर्वदे

आवाज मां नर्मदा के उस किनारे तक पहुंचनी चाहिए, खम्‍बात की खाडी तक।

नर्मदे – सर्वदे

नर्मदे – सर्वदे

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum

Media Coverage

'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।