शिक्षक दिवस : देश के निर्माताओं को प्रणाम

प्रिय मित्रों,

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए रात-दिन कड़ा परिश्रम करने वाले विशाल शिक्षक वर्ग को प्रणाम कर मैं अपनी बात की शुरुआत करना चाहता हूं। आज हम डॉ. राधाकृष्णन को श्रद्घांजलि अर्पित कर रहे हैं, जिनका जन्म दिवस प्रति वर्ष देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। ज्यादातर विद्यार्थियों के लिए शिक्षक दिवस बहुत-सी यादें लेकर आता है। शिक्षक दिवस के रोज कई स्कूलों में विद्यार्थी स्वयं शिक्षक की भूमिका निभाते हुए कक्षा का संचालन करता है। एक तरह से, शिक्षक दिवस का अवसर शिक्षकों, विद्यार्थियों और समग्र शिक्षा जगत के लिए कुछ नवीन कर बताने का मौका लेकर आता है।

प्रत्येक शिक्षक दिवस के मौके पर राज्य के एक करोड़ विद्यार्थियों के साथ संपर्क करने का मेरा सिलसिला रहा है। आधुनिक तकनीक की मदद से मैं राज्य भर के विद्यार्थियों और उनके शिक्षकों के साथ वार्तालाप करता हूं। इस दौरान वे मुझसे कई सवाल भी करते हैं, लिहाजा समग्र वार्तालाप अत्यन्त मजेदार और ज्ञानपूर्ण बन जाता है। इन बच्चों का निर्दोष भाव, कुछ अधिक जानने की उनकी जिज्ञासा और उनकी विलक्षण बुद्घिसंपदा मुझे वास्तव में आश्चर्यचकित कर देती है। मुझे उस वक्त बड़ी खुशी होती है, जब मैं इन बच्चों को विविध विषयों पर सवाल करते देखता हूं, निश्चित ही इस युवा बुद्घिधन के पीछे उन शिक्षकों का पुरुषार्थ होता है जो इन बच्चों के उज्जवल भविष्य को लेकर प्रतिबद्घ होते हैं।

क्या आपने कभी सोचा है कि भिक्षुक हमेशा मंदिर के बाहर ही क्यों खड़े रहते हैं, किसी सिनेमा हॉल या फाइव-स्टार होटल के बाहर क्यों नहीं? क्योंकि वे जानते हैं कि जो लोग मंदिर में पूजा करने को आते हैं, वे उनके साथ दयापूर्ण व्यवहार करेंगे। ठीक इसी तरह भारत के भविष्य को लेकर जब मेरे मन में विचार कौंधता है तब मैं एक भिक्षुक की भांति शिक्षक समुदाय के द्वार पर खड़ा हो जाता हूं। शिक्षक ज्ञान का मंदिर होता है और ज्ञानदान की अपार क्षमता उसमें होती है।

एक शिक्षक के साथ हुई मेरी बातचीत की एक घटना आप से साझा करना चाहता हूं। एक बार मैं एक शिक्षक से मिला। उन्होंने करीब-करीब नाराजगी जताते हुए मुझसे कहा, लोग मुझे च्मास्तरज् (मास्टर) संबोधित कर लगातार मेरा च्अपमानज् करते हैं। मैंने उनसे कहा, मुझे नहीं मालूम शिक्षक को मास्तर कहने की शुरुआत किस तरह हुई, लेकिन मैं इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि शिक्षक माता का ही एक स्वरूप है। और इसलिए ही उन्हें मा-स्तर कहना चाहिए। एक शिक्षक के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का इससे अच्छा मार्ग भला और क्या होगा कि हम उसे माता के समान मानें।

माता-पिता बालक को जन्म देते हैं, जबकि शिक्षक उसका जीवन निर्माण करता है। मुझे यकीन है कि हर एक के जीवन में कोई एक शिक्षक तो ऐसा होगा ही कि जिसने उसके मन पर गहरी छाप छोड़ी हो। वह शायद प्राथमिक स्कूल का शिक्षक हो सकता है जिसने आपको वर्णमाला सिखाई थी, या हाई स्कूल का वह शिक्षक जिसने आप पर बीजगणित के समीकरण हल करने का दबाव डाला था, या फिर कॉलेज का कोई प्रोफेसर जिसने अपने विषय का जादू तुम पर चलाया था। कोई विषय जो आपको काफी पसन्द है, उसकी तह में जाने पर ज्ञात होता है कि वह कोई शिक्षक ही था जिसने बड़े रुचिकर अंदाज में आपको इस विषय के बारे में समझाया था, तथा विषय को जीवंत बना दिया था। पढ़ाई के उन पीरियडों के दौरान ही उसने आपका भविष्य निर्माण किया था।

यह सच है कि प्रत्येक महान व्यक्ति की सफलता के पीछे उसके शिक्षक की कड़ी मेहनत और प्रतिबद्घता समाहित होती है। फिर वह कृष्ण के लिए सांदिपनी हों, अर्जुन के लिए द्रोणाचार्य हों या फिर राम के लिए विश्वामित्र या वशिष्ट हों, एक गुरू शिष्य के जीवन में कितना भारी बदलाव ला सकता है यह देखा जा सकता है। प्लेटो के गुरू और महान ग्रीक तत्वचिंतक सुकरात ने कहा था कि उनके पिता शिल्पकार थे और माता दाई। लेकिन उन्हें ये दोनों काम करने थे लिहाजा वे शिक्षक बन गए। क्योंकि शिक्षक ये दोनों काम करता है, दाई की भूमिका में वह अपने शिष्य को इस दुनियादारी में प्रवेश कराता है जबकि शिल्पी की भूमिका द्वारा वह अपने शिष्यों के भीतर एक उत्तम नागरिक का निर्माण करता है।

जब दुनिया का अंत निकट था तब मनु ने एक जहाज में सभी प्रकार के प्राणियों और मनुष्यों को एकत्रित किया ताकि आगे चलकर इस दुनिया का पुन:निर्माण किया जा सके। आज यदि हमें एक नये विश्व के निर्माण की जरूरत पड़े तो बजाय किसी और के हमें शिक्षकों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी। 21वीं शताब्दी ज्ञान की शताब्दी है और स्पष्ट है कि ज्ञान आधारित इस शताब्दी में यदि हमें विकास करना होगा तो शिक्षकों की भूमिका केन्द्रस्थान में रहेगी।

मित्रों, मुझे खुशी है कि गत दशक के दौरान गुजरात ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के सक्रिय प्रयास किए हैं। शिक्षकों की भर्ती करने का कार्यक्रम हमने बड़े पैमाने पर शुरू किया है। इस दौरान 1,33,000 से भी अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई है। स्कूल जाते और वापस लौटते वक्त मुस्कराते हुए नन्हें बच्चों को देखने से बढक़र खुशी की बात शायद ही दूसरी कोई हो।

हर साल जून महीने की झुलसा देने वाली गर्मी के बीच मेरे मंत्रिमंडल के साथी, वरिष्ठ अधिकारी और मैं स्वयं गुजरात के गांव-गांव में जाकर लोगों से उनके बच्चों को शिक्षा दिलाने की विनती करते हैं। हमारे गुणोत्सव कार्यक्रम की वजह से प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में नई चेतना का संचार हुआ है। इस कार्यक्रम की बदौलत हम आत्मनिरीक्षण करने और ज्यादा गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने की दिशा में समर्थ बने हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में हमनें जो पहल की थी उसके नतीजे अब हमारे सामने हैं। एक दशक पूर्व कक्षा 1 से 5 में शाला प्रवेश दर 75 फीसदी तथा ड्रॉप आउट दर 21 फीसदी थी। जबकि आज शाला प्रवेश दर बढक़र 100 फीसदी तक जा पहुंची है और ड्रॉप आउट दर घटकर महज 2 फीसदी रह गई है। दस वर्ष पूर्व सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूलों की संख्या 127 थी जबकि आज यह आंकड़ा बढक़र 750 तक जा पहुंचा है। गुजरात की स्कूलों में तकनीक का प्रमाण भी पहले की तुलना में काफी ऊंचा हो गया है। एक दशक पूर्व हमारे पास सिर्फ 487 कंप्यूटर प्रयोगशालाएं थी, आज इनकी संख्या बढक़र 22,200 के पार जा चुकी है।

 

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हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे गुजरात में श्रेष्ठ शिक्षकों की टीम है। गत वर्ष हमने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में नवीनतम प्रयासों के जरिए बदलाव लाने वाले 25 शिक्षकों को लेकर एक पुस्तक प्रकाशित की थी। ऐसे तो कई रत्न गुजरात में मौजूद हैं। हालांकि प्रत्येक शिक्षक को अवॉर्ड मिलना मुमकिन नही है, लेकिन उसकी कक्षा का कोई एक छात्र भी यदि बड़ी उपलब्धि हासिल करता है तो माना जाएगा कि शिक्षक ने अपनी भूमिका से भी बढक़र विराट कार्य को अंजाम दिया है।

आइए, प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रयास करने वाले शिक्षकों के जीवन से प्रेरणा लें

 

एक बार फिर, मैं शिक्षक दिवस के अवसर पर आप सभी को शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं और उन शिक्षकों के प्रति आदर व्यक्त करता हूं जिन्होंने भारी मुश्किलों का सामना किया तथा अनेक बलिदान देते हुए अपने विद्यार्थियों को सफल बनाने में और समाज व देश को सकारात्मक योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हमारे देश के उज्जवल भविष्य का समूचा आधार शिक्षकों पर ही है।

आपका

नरेन्द्र मोदी

 

 

Paying tribute to one of the noblest professions

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आपकी पूंजी, आपका अधिकार
December 10, 2025

कुछ दिन पहले ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में अपनी स्पीच के दौरान, मैंने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े रखे थे:

भारतीय बैंकों में हमारे अपने नागरिकों के 78,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इंश्योरेंस कंपनियों के पास करीब 14,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास लगभग 3,000 करोड़ रुपये हैं और 9,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड भी अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इन बातों ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है।

आखिरकार, ये एसेट्स अनगिनत परिवारों की मेहनत से बचाई गई सेविंग और इन्वेस्टमेंट को दिखाते हैं।

इसे ठीक करने के लिए, अक्टूबर 2025 में आपकी पूंजी, आपका अधिकार - Your Money, Your Right पहल शुरू की गई थी।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक अपने अधिकार के अनुसार अपना हक वापस पा सके।

फंड को ट्रैक करने और क्लेम करने की प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाने के लिए, डेडिकेटेड पोर्टल भी बनाए गए हैं। जो इस प्रकार हैं:

• भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – UDGAM पोर्टल https://udgam.rbi.org.in/unclaimed-deposits/#/login

• भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) – बीमा भरोसा पोर्टल: https://bimabharosa.irdai.gov.in/Home/UnclaimedAmount

• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)– MITRA पोर्टल: https://app.mfcentral.com/links/inactive-folios

• कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, IEPFA पोर्टल: https://www.iepf.gov.in/content/iepf/global/master/Home/Home.html

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिसंबर 2025 तक, पूरे ग्रामीण और शहरी भारत के 477 जिलों में फैसिलिटेशन कैंप लगाए गए हैं। हमारा जोर दूर-दराज के इलाकों को कवर करने पर रहा है।

सरकार, नियामक संस्थाओं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारकों की संयुक्त कोशिशों के माध्यम से, करीब 2,000 करोड़ रुपये पहले ही वास्तविक हकदारों को वापस मिल चुके हैं।

लेकिन हम आने वाले दिनों में इस अभियान को और बढ़ाना चाहते हैं। और ऐसा करने के लिए, मैं आपसे इन बातों पर मदद का अनुरोध करता हूँ:

पता कीजिए कि क्या आपके या आपके परिवार के पास कोई अनक्लेम्ड डिपॉजिट, बीमा की रकम, डिविडेंड या इन्वेस्टमेंट हैं।

ऊपर बताए गए पोर्टलों पर जाएं।

अपने जिले में सुविधा कैंप का लाभ उठाएं।

जो आपका है, उसे क्लेम करने के लिए अभी कदम बढ़ाएं और एक भूली हुई फाइनेंशियल संपत्ति को एक नए अवसर में बदलें। आपका पैसा आपका है। आइए, यह सुनिश्चित करें कि यह आपको वापस मिले।

आइए, साथ मिलकर एक पारदर्शी, आर्थिक रूप से सशक्त और समावेशी भारत बनाएं!