मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक

अकालग्रस्त इलाकों के पशुधन के घासचारे के लिए व्यापक फलक पर व्यवस्थापन और वितरण

  •  अकालग्रस्त तहसीलों में 91 घासडिपो शुरू
  •  दो रुपये किलो की राहत दर से 11 लाख किलो घासचारे का वितरण
  • 15 किमी की त्रिज्या में गांव-क्लस्टर में घास डिपो शुरू करने का आदेश
  •  पांजरापोळ-गोशाला तथा स्वैच्छिक संस्था/ट्रस्ट द्वारा शुरू होने वाले कांजी हाउस में प्रति पशु दैनिक 25 रुपये की सहायता
गांधीनगर, बुधवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में सौराष्ट्र-कच्छ और उत्तर गुजरात में अपर्याप्त बारिश के चलते सृजित हुई पशुधन के घासचारे की विकट स्थिति से निपटने के लिए युद्घस्तर पर उपलब्ध घासचारे का व्यापक फलक पर व्यवस्थापन और वितरण करने की सुआयोजित कार्ययोजना की समीक्षा की गई। बैठक में अकालग्रस्त इलाकों की पांजरापोळ, गोशाला तथा स्वैच्छिक संस्था/ट्रस्ट की ओर से शुरू किए जाने वाले कांजी हाउस में प्रति मवेशी दैनिक 25 रुपये की सहायता देने का निर्णय किया गया। सूखाग्रस्त इलाकों में फिलहाल दो रुपये प्रति किलो की राहत दर से 11 लाख किलो घास का वितरण तहसीलों के घास डिपो पर से हो रहा है। इसे और भी व्यापक फलक पर विस्तारित करते हुए पशुधन के लिए घासचारा सुगमता से उपलब्ध हो सके इसके लिए 15 किमी की त्रिज्या में गांव क्लस्टर बनाकर घास डिपो खोलने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह, खुले बाजार से पांच करोड़ किलोग्राम घास खरीदने की प्रक्रिया को शीघ्र पूरी करने और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में स्थित पांजरापोळ, गोशालाओं को प्रति मवेशी दैनिक 25 रुपये के हिसाब से राहत देने तथा तहसीलदार की मंजूरी से पंजीकृत संस्था/ट्रस्ट द्वारा शुरू किए जाने वाले कांजी हाउस को भी प्रति मवेशी दैनिक 25 रुपये की सहायता देने के आदेश को स्वीकृति दी गई। राज्य सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री जयनारायण व्यास और ऊर्जा राज्य मंत्री सौरभभाई पटेल ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के निर्णयों की भूमिका पेश करते हुए कहा कि, राज्य के पशुधन को पर्याप्त मात्रा में घासचारा मिल सके इसके लिए अकाल के व्यवस्थापन की कार्ययोजना और जिला अकाल राहत कन्टीन्जेंसी प्लान में इसे प्राथमिकता दी गई है। मुख्यमंत्री द्वारा वित्त मंत्री वजूभाई वाळा की अध्यक्षता में गठित वरिष्ठ मंत्रियों की उच्च सत्ताधिकार समिति ने 7 और 21 अगस्त की बैठकों में पशुधन के घासचारे के सन्दर्भ में लिए गए निर्णयों के अमल की आज की बैठक में विस्तार से समीक्षा की गई।

प्रवक्ता मंत्रियों ने कहा कि फिलहाल राज्य में 91 घास डिपों के जरिए राहत दर पर घासचारे का वितरण किया जा रहा है। अब तक 11 लाख किलो घास मालधारी पशुपालकों को राहत दर पर बेचा जा चुका है। अतिरिक्त घास डिपो की जरूरत को देखते हुए युद्घस्तर पर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में प्रत्येक 15 किमी की त्रिज्या में गांव क्लस्टर बनाकर नए घास डिपो शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा खुले बाजार से निविदा द्वारा खरीदे जा रहे अतिरिक्त पांच करोड़ किलोग्राम घासचारे का भी प्रति किलो दो रुपये की राहत दर से पशुपालकों को वितरीत किए जाने का आदेश दिया गया है। प्रवक्ताओं ने कहा कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों सहित राज्य में पशुपालकों को पशुधन के लिए सरलता से घासचारा उपलब्ध हो सके इसके लिए हरे घासचारे की बुआई के लिए भी विविध प्रोत्साहक योजनाओं पर तत्काल अमल करने का आदेश दिया गया है। घासचारा बुआई की प्रोत्साहक योजनाएं इस तरह हैं:- क घासचारा बुआई को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को दो एकड़ तक तथा संस्थाओं को दस एकड़ तक के लिए मुफ्त बीज और रसायनिक उर्वरक किट देने के लिए 75 करोड़ रुपये का विशेष आवंटन मंजूर किया है।

  •  घासचारा बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपये की प्रोत्साहक राशि दी जाएगी।
  • इसके अलावा ग्राम पंचायत के अधीन गोचर में प्रति ग्राम पंचायत पांच हेक्टेयर क्षेत्र में जंगली बबूल को हटाकर घास बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये के हिसाब से अधिकतम एक लाख रुपये की सहायता ग्राम पंचायत को मिल सकेगी।
  •  नर्मदा कैनाल की दोनों तरफ स्थित सरदार सरोवर नर्मदा निगम की खुली जमीनों पर व्यक्तिगत किसानों को दो से ढाई एकड़ और स्वैच्छिक संस्थाओं/ट्रस्टों को 25 एकड़ तक जमीन में घास बुआई की मंजूरी देकर निगम की जमीन और पानी एक साल के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
  • जलसंपदा विकास निगम के 2322 पालाल कूओं के लिए किसान के हिस्से की राशि खत्म कर सौ फीसदी सरकारी खर्च पर सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) की सुविधा किसानों को घासचारा बुआई के लिए दी जाएगी।
  •  घासचारे की कमी तथा पेयजल की किल्लत से निपटने में मदद के लिए राज्य की खेतीवाड़ी उत्पन्न बाजार समिति को बाजार फंड में से 50 लाख रुपये तक की सीमा में इस हेतु गठित तहसील समिति की मंजूरी से दान-चंदा देने को भी स्वीकृति दी गई है।
श्री व्यास एवं पटेल ने कहा कि अकाल के दौर में मवेशियों को घासचारा उपलब्ध हो सके तथा जीवदया के गुजरात के संस्कारों का संवद्र्घन हो, ऐसे मानवीय अभिगम से गुजरात सरकार पूरी संवेदना के साथ इन प्रोत्साहक योजनाओं के व्यापक अमल के लिए प्रतिबद्घ है। प्रवक्ता मंत्रियों ने कहा कि पशुजीवों के घासचारे के लिए इस सरकार ने पूर्वतैयारी के साथ घासचारे की जरूरत को प्राथमिकता दी है और मुक पशुओं को पर्याप्त घासचारा मिल सके इसके लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।

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