मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक
अकालग्रस्त इलाकों के पशुधन के घासचारे के लिए व्यापक फलक पर व्यवस्थापन और वितरण
- अकालग्रस्त तहसीलों में 91 घासडिपो शुरू
- दो रुपये किलो की राहत दर से 11 लाख किलो घासचारे का वितरण
- 15 किमी की त्रिज्या में गांव-क्लस्टर में घास डिपो शुरू करने का आदेश
- पांजरापोळ-गोशाला तथा स्वैच्छिक संस्था/ट्रस्ट द्वारा शुरू होने वाले कांजी हाउस में प्रति पशु दैनिक 25 रुपये की सहायता
प्रवक्ता मंत्रियों ने कहा कि फिलहाल राज्य में 91 घास डिपों के जरिए राहत दर पर घासचारे का वितरण किया जा रहा है। अब तक 11 लाख किलो घास मालधारी पशुपालकों को राहत दर पर बेचा जा चुका है। अतिरिक्त घास डिपो की जरूरत को देखते हुए युद्घस्तर पर सूखाग्रस्त क्षेत्रों में प्रत्येक 15 किमी की त्रिज्या में गांव क्लस्टर बनाकर नए घास डिपो शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा खुले बाजार से निविदा द्वारा खरीदे जा रहे अतिरिक्त पांच करोड़ किलोग्राम घासचारे का भी प्रति किलो दो रुपये की राहत दर से पशुपालकों को वितरीत किए जाने का आदेश दिया गया है। प्रवक्ताओं ने कहा कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों सहित राज्य में पशुपालकों को पशुधन के लिए सरलता से घासचारा उपलब्ध हो सके इसके लिए हरे घासचारे की बुआई के लिए भी विविध प्रोत्साहक योजनाओं पर तत्काल अमल करने का आदेश दिया गया है। घासचारा बुआई की प्रोत्साहक योजनाएं इस तरह हैं:- क घासचारा बुआई को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को दो एकड़ तक तथा संस्थाओं को दस एकड़ तक के लिए मुफ्त बीज और रसायनिक उर्वरक किट देने के लिए 75 करोड़ रुपये का विशेष आवंटन मंजूर किया है।
- घासचारा बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपये की प्रोत्साहक राशि दी जाएगी।
- इसके अलावा ग्राम पंचायत के अधीन गोचर में प्रति ग्राम पंचायत पांच हेक्टेयर क्षेत्र में जंगली बबूल को हटाकर घास बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 20,000 रुपये के हिसाब से अधिकतम एक लाख रुपये की सहायता ग्राम पंचायत को मिल सकेगी।
- नर्मदा कैनाल की दोनों तरफ स्थित सरदार सरोवर नर्मदा निगम की खुली जमीनों पर व्यक्तिगत किसानों को दो से ढाई एकड़ और स्वैच्छिक संस्थाओं/ट्रस्टों को 25 एकड़ तक जमीन में घास बुआई की मंजूरी देकर निगम की जमीन और पानी एक साल के लिए नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
- जलसंपदा विकास निगम के 2322 पालाल कूओं के लिए किसान के हिस्से की राशि खत्म कर सौ फीसदी सरकारी खर्च पर सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) की सुविधा किसानों को घासचारा बुआई के लिए दी जाएगी।
- घासचारे की कमी तथा पेयजल की किल्लत से निपटने में मदद के लिए राज्य की खेतीवाड़ी उत्पन्न बाजार समिति को बाजार फंड में से 50 लाख रुपये तक की सीमा में इस हेतु गठित तहसील समिति की मंजूरी से दान-चंदा देने को भी स्वीकृति दी गई है।