2024 के संसदीय चुनावों में एक और निर्णायक जीत के बाद, श्री नरेन्द्र मोदी ने 9 जून 2024 को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इस जीत ने श्री मोदी के लिए लगातार तीसरे कार्यकाल को चिह्नित किया, जिससे उनके नेतृत्व को और मजबूती मिली।

2024 के चुनावों में मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें मतदाताओं के एक महत्वपूर्ण हिस्से ने श्री मोदी के नेतृत्व और देश के लिए उनके दृष्टिकोण में निरंतर विश्वास दिखाया। उनके अभियान ने आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के मिश्रण पर ध्यान केंद्रित किया, जो जनता के बीच व्यापक रूप से प्रतिध्वनित हुआ।

श्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में उनके पिछले कार्यकालों के दौरान रखी गई नींव पर काम करने की उम्मीद है, जिसमें टेक इनोवेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर नए सिरे से जोर दिया जाएगा, जिससे भारत को वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया जा सकेगा। अभूतपूर्व तीसरा कार्यकाल श्री मोदी की स्थायी अपील और देश को अधिक समृद्धि और स्थिरता की ओर ले जाने के लिए लाखों भारतीयों द्वारा उन पर रखे गए भरोसे को रेखांकित करता है।

स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री, श्री मोदी इससे पहले 2014 से 2019 तक और 2019 से 2024 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्हें अक्टूबर 2001 से मई 2014 तक के अपने कार्यकाल के साथ गुजरात के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री होने का गौरव भी प्राप्त है।

2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में श्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की और दोनों ही मौकों पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। पिछली बार किसी राजनीतिक दल को ऐसा पूर्ण बहुमत 1984 के चुनावों में मिला था।

‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित होकर, श्री मोदी ने शासन में एक ऐसा बदलाव किया है, जिससे समावेशी, विकासोन्मुख और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की शुरुआत हुई है। प्रधानमंत्री ने अंत्योदय के लक्ष्य को साकार करने के लिए गति और पैमाने के साथ काम किया है, यानी योजनाओं और सेवाओं की अंतिम छोर तक डिलीवरी सुनिश्चित की है।

प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत रिकॉर्ड गति से गरीबी को खत्म कर रहा है। नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट ‘भारत में 2005-06 से बहुआयामी गरीबी’ के निष्कर्षों के अनुसार, पिछले नौ वर्षों में लगभग 25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकल आए हैं। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय गरीबी के सभी आयामों को संबोधित करने के लिए सरकार की महत्वपूर्ण पहलों को जाता है।

आज, भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम, ‘आयुष्मान भारत’ का घर है। 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करने वाला, आयुष्मान भारत; गरीब और नव-मध्यम वर्ग को उच्च गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।

दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्वास्थ्य पत्रिकाओं में से एक ‘लैंसेट’ ने आयुष्मान भारत की सराहना करते हुए कहा है कि यह योजना भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में व्यापक असंतोष को दूर करती है। पत्रिका ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को प्राथमिकता देने के लिए पीएम मोदी के प्रयासों का भी उल्लेख किया।

यह समझते हुए कि वित्तीय बहिष्कार गरीबों के लिए अभिशाप है, प्रधानमंत्री ने ‘पीएम जन धन योजना’ शुरू की, जिसका उद्देश्य हर भारतीय के लिए बैंक खाते खोलना था। अब तक 51 करोड़ से ज़्यादा जन धन खाते खोले जा चुके हैं। इन खातों ने न सिर्फ़ बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को बैंकिंग सुविधा दी है, बल्कि सशक्तिकरण के दूसरे रास्ते भी खोले हैं।

जनधन से एक कदम आगे बढ़ते हुए, श्री मोदी ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों को बीमा और पेंशन कवर देकर जन सुरक्षा पर जोर दिया। JAM त्रिमूर्ति (जनधन-आधार-मोबाइल) ने बिचौलियों को खत्म कर दिया है और टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित पारदर्शिता और गति सुनिश्चित की है।

2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना गरीबों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करती है। यह 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को धुआँ मुक्त रसोई प्रदान करने में एक बड़ा बदलाव साबित हुई है, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। 18,000 गाँव जो आज़ादी के 70 साल बाद भी बिजली से वंचित थे, उन्हें बिजली दी गई है।

श्री मोदी का मानना है कि कोई भी भारतीय बिना घर के नहीं होना चाहिए और इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, 2014 से 2024 के बीच पीएम-आवास योजना के तहत 4.2 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई। जून 2024 में, तीसरे कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करने के बाद, मंत्रिमंडल के पहले निर्णयों में से एक, घरों के निर्माण के लिए 3 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण और शहरी परिवारों को सहायता प्रदान करना था, जो राष्ट्र की आवास आवश्यकताओं को पूरा करने और प्रत्येक नागरिक के लिए सम्मान और गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो श्री नरेन्द्र मोदी के बहुत करीब है। 2019 के अंतरिम बजट के दौरान, सरकार ने किसानों के लिए पीएम-किसान सम्मान निधि नामक एक मौद्रिक प्रोत्साहन की घोषणा की। लगभग तीन सप्ताह में, 24 फरवरी 2019 को, यह योजना शुरू की गई और तब से नियमित रूप से किश्तों का भुगतान किया जा रहा है। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक के दौरान, सभी किसानों को पीएम किसान का लाभ देने का निर्णय लिया गया, जिसमें पहले मौजूद 5 एकड़ की सीमा को हटा दिया गया। जून 2024 तक, श्री मोदी ने वाराणसी में पीएम-किसान योजना की 17वीं किस्त जारी की, जिसमें 9.2 करोड़ से अधिक किसानों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ मिला।

श्री मोदी ने हेल्थ सॉइल कार्ड, बेहतर बाजारों के लिए E-NAM और सिंचाई पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने जैसी कृषि के लिए पथ-प्रदर्शक पहलों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। 30 मई 2019 को, पीएम मोदी ने जल संसाधनों से संबंधित सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए एक नया जल शक्ति मंत्रालय गठित कर एक बड़ा वादा पूरा किया।

2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री ने पूरे देश में स्वच्छता के लिए एक जन आंदोलन ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत की। इस आंदोलन का पैमाना और प्रभाव ऐतिहासिक है। आज, स्वच्छता कवरेज 2014 में 38% से बढ़कर 2019 में 100% हो गया है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त (ODF) घोषित किया गया है। स्वच्छ गंगा के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वच्छ भारत मिशन की सराहना की है और कहा है कि इससे तीन लाख लोगों की जान बच सकेगी।

श्री मोदी का मानना है कि ट्रांसपोर्टेशन, ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन है। यही कारण है कि भारत सरकार; राजमार्गों, रेलवे, आई-वे और जलमार्गों के क्षेत्र में अगली पीढ़ी के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर काम कर रही है। UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) योजना ने विमानन क्षेत्र को और अधिक लोगों के अनुकूल बनाया है और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत को इंटरनेशनल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक शक्तिशाली देश बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल की शुरुआत की। इस प्रयास के परिणामस्वरूप परिवर्तनकारी परिणाम सामने आए हैं। भारत ने ‘कारोबारी सुगमता’ के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की है, 2014 में इसकी रैंकिंग 142 से सुधरकर 2019 में 63 हो गई है। भारत सरकार ने 2017 में संसद के ऐतिहासिक सत्र के दौरान जीएसटी लागू किया, जिसने ‘एक राष्ट्र, एक कर’ के सपने को साकार किया है।

उनके कार्यकाल के दौरान भारत के समृद्ध इतिहास और संस्कृति पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत, दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का घर है, जो सरदार पटेल को एक सच्ची श्रद्धांजलि है। इस प्रतिमा का निर्माण एक विशेष जन आंदोलन के माध्यम से किया गया था, जिसमें भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों के औजारों और मिट्टी का उपयोग किया गया था, जो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर बेहद उत्साही हैं। उन्होंने बार-बार स्वच्छ और हरित ग्रह बनाने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, श्री मोदी ने क्लाइमेट चेंज के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशंस क्रिएट करने के लिए अलग से क्लाइमेट चेंज डिपार्टमेंट का गठन किया। यह स्पिरिट पेरिस में 2015 के COP21 शिखर सम्मेलन में देखी गई थी, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च-स्तरीय विचार-विमर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

क्लाइमेट चेंज से एक कदम आगे बढ़ते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने क्लाइमेट जस्टिस की बात की है। 2018 में, कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख इंटरनेशनल सोलर अलायंस के शुभारंभ के लिए भारत आए थे, जो एक बेहतर ग्रह के लिए सोलर एनर्जी का दोहन करने का एक अभिनव प्रयास था।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके प्रयासों को मान्यता देते हुए, प्रधानमंत्री मोदी को संयुक्त राष्ट्र के ‘चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।

यह जानते हुए कि क्लाइमेट चेंज ने हमारे ग्रह को प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील बना दिया है, श्री मोदी ने आपदा प्रबंधन के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें टेक्नोलॉजी की शक्ति और मानव संसाधनों की ताकत का उपयोग किया गया है। मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने गुजरात का कायापलट कर दिया, जो 26 जनवरी 2001 को विनाशकारी भूकंप से तबाह हो गया था। इसी तरह, उन्होंने गुजरात में बाढ़ और सूखे से निपटने के लिए नई प्रणालियाँ शुरू कीं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई।

प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से, श्री मोदी ने हमेशा नागरिकों के लिए न्याय को प्राथमिकता दी है। गुजरात में, उन्होंने लोगों के मुद्दों को हल करने के लिए इवनिंग कोर्ट्स की शुरुआत की। केंद्र में, उन्होंने ग्रोथ में देरी करने वाली लंबित परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए PRAGATI (Pro-Active Governance And Timely Implementation) की शुरुआत की।

श्री मोदी की विदेश नीति की पहलों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता और भूमिका को महसूस किया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत सार्क देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में की और दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया। संयुक्त राष्ट्र की महासभा में उनके संबोधन की दुनिया भर में सराहना हुई। श्री मोदी 17 साल की लंबी अवधि के बाद नेपाल, 28 साल बाद ऑस्ट्रेलिया, 31 साल बाद फिजी और 34 साल बाद यूएई और सेशेल्स की द्विपक्षीय यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। पदभार संभालने के बाद से श्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, सार्क और जी-20 शिखर सम्मेलनों में भाग लिया, जहां विभिन्न वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर भारत के हस्तक्षेप और विचारों की व्यापक रूप से सराहना की गई।

पीएम मोदी को विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया गया है, जिसमें सऊदी अरब का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'सैश ऑफ किंग अब्दुलअजीज' भी शामिल है। श्री मोदी को रूस (द ऑर्डर ऑफ द होली एपोस्टल एंड्रयू द फर्स्ट), फिलिस्तीन (ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन), अफगानिस्तान (अमीर अमानुल्लाह खान पुरस्कार), यूएई (ऑर्डर ऑफ जायद पुरस्कार), मालदीव (रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन), बहरीन (किंग हमद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां), भूटान (ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो), पापुआ न्यू गिनी (ग्रैंड कम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू), फिजी (कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी), मिस्र (ऑर्डर ऑफ नाइल), फ्रांस (ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) और ग्रीस (ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ ऑनर) के शीर्ष पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। 2018 में, प्रधानमंत्री को शांति और विकास में उनके योगदान के लिए प्रतिष्ठित सियोल शांति पुरस्कार मिला। उन्हें बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा ग्लोबल गोलकीपर पुरस्कार और कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स द्वारा ग्लोबल एनर्जी एंड एनवायरनमेंट लीडरशिप पुरस्कार भी मिला है।

नरेन्द्र मोदी के द्वारा 21 जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' के रूप में मनाने की अपील को संयुक्त राष्ट्र में भारी समर्थन मिला। पहली बार, विश्व के 177 देशों ने एक साथ आकर इस प्रस्ताव को पारित किया और 21 जून को 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' घोषित किया।

श्री मोदी का जन्म 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। उनका परिवार ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ से था, जो समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों में से एक है। उनका बचपन गरीबी में बीता, लेकिन उनका परिवार प्यार से भरपूर था। जीवन की शुरुआती कठिनाइयों ने उन्हें न सिर्फ कड़ी मेहनत का महत्व सिखाया बल्कि आम लोगों की उन तकलीफों से भी अवगत कराया जिन्हें टाला जा सकता था। इसने उन्हें बहुत कम उम्र से ही लोगों और राष्ट्र की सेवा में खुद को समर्पित करने के लिए प्रेरित किया। अपने शुरुआती वर्षों में, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ काम किया, जो राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक राष्ट्रवादी संगठन था और बाद में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भारतीय जनता पार्टी संगठन के साथ काम करते हुए खुद को राजनीति में समर्पित कर दिया। श्री मोदी ने गुजरात विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया।

नरेन्द्र मोदी ‘जनता के नेता’ हैं, जो उनकी समस्याओं को हल करने और उनकी भलाई में सुधार करने के लिए समर्पित हैं। लोगों के बीच रहना, उनकी खुशियाँ बाँटना और उनके दुखों को दूर करना, उनके लिए इससे ज़्यादा संतोषजनक कुछ नहीं है। ज़मीनी स्तर पर लोगों के साथ उनका शक्तिशाली ‘व्यक्तिगत जुड़ाव’ एक मज़बूत ऑनलाइन उपस्थिति से समर्थित है। उन्हें भारत के सबसे ज़्यादा तकनीक-कुशल नेता के रूप में जाना जाता है, जो लोगों तक पहुँचने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। वह YouTube, Facebook, Twitter, Instagram, Sound Cloud, Linkedin और अन्य फ़ोरम सहित सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर काफी सक्रिय हैं।
राजनीति से इतर, नरेन्द्र मोदी को लेखन का शौक है। उन्होंने कविताओं के अलावा कई किताबें लिखी हैं। उनकी दिनचर्या योग से शुरू होती है, जो उनके शरीर और दिमाग को मजबूत बनाता है तथा उनके व्यस्त जीवन में शांति लाने में मदद करता है।

 

डिस्कलेमर :

यह उन कहानियों या खबरों को इकट्ठा करने के प्रयास का हिस्सा है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव पर उपाख्यान / राय / विश्लेषण का वर्णन करती हैं।

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भारत की कहानी के अगले अध्याय को आकार
September 27, 2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई उपस्थिति और संगठनात्मक नेतृत्व की खूब सराहना हुई है। लेकिन कम समझा और जाना गया पहलू है उनका पेशेवर अंदाज, जिसे उनके काम करने की शैली पहचान देती है। एक ऐसी अटूट कार्यनिष्ठा जो उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री और बाद में भारत के प्रधानमंत्री रहते हुए दशकों में विकसित की है।


जो उन्हें अलग बनाता है, वह दिखावे की प्रतिभा नहीं बल्कि अनुशासन है, जो आइडियाज को स्थायी सिस्टम में बदल देता है। यह कर्तव्य के आधार पर किए गए कार्य हैं, जिनकी सफलता जमीन पर महसूस की जाती है।

साझा कार्य के लिए योजना

इस साल उनके द्वारा लाल किले से दिए गए स्वतंत्रता दिवस के भाषण में यह भावना साफ झलकती है। प्रधानमंत्री ने सबको साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। उन्होंने आम लोगों, वैज्ञानिकों, स्टार्ट-अप और राज्यों को “विकसित भारत” की रचना में भागीदार बनने के लिए आमंत्रित किया। नई तकनीक, क्लीन ग्रोथ और मजबूत सप्लाई-चेन में उम्मीदों को व्यावहारिक कार्यक्रमों के रूप में पेश किया गया तथा जन भागीदारी — प्लेटफॉर्म बिल्डिंग स्टेट और उद्यमशील जनता की साझेदारी — को मेथड बताया गया।

GST स्ट्रक्चर को हाल ही में सरल बनाने की प्रक्रिया इसी तरीके को दर्शाती है। स्लैब कम करके और अड़चनों को दूर करके, जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों के लिए नियमों का पालन करने की लागत घटा दी है और घर-घर तक इसका असर जल्दी पहुंचने लगा है। प्रधानमंत्री का ध्यान किसी जटिल रेवेन्यू कैलकुलेशन पर नहीं बल्कि इस बात पर था कि आम नागरिक या छोटा व्यापारी बदलाव को तुरंत महसूस करे। यह सोच उसी cooperative federalism को दर्शाती है जिसने जीएसटी परिषद का मार्गदर्शन किया है: राज्य और केंद्र गहन डिबेट करते हैं, लेकिन सब एक ऐसे सिस्टम में काम करते हैं जो हालात के हिसाब से बदलता है, न कि स्थिर होकर जड़ रहता है। नीतियों को एक living instrument माना जाता है, जिसे अर्थव्यवस्था की गति के अनुसार ढाला जाता है, न कि कागज पर केवल संतुलन बनाए रखने के लिए रखा जाता है।

हाल ही में मैंने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 मिनट का समय मांगा और उनकी चर्चा में गहराई और व्यापकता देखकर प्रभावित हुआ। छोटे-छोटे विषयों पर उनकी समझ और उस पर कार्य करने का नजरिया वाकई में गजब था। असल में, जो मुलाकात 15 मिनट के लिए तय थी वो 45 मिनट तक चली। बाद में मेरे सहयोगियों ने बताया कि उन्होंने दो घंटे से अधिक तैयारी की थी; नोट्स, आंकड़े और संभावित सवाल पढ़े थे। यह तैयारी का स्तर उनके व्यक्तिगत कामकाज और पूरे सिस्टम से अपेक्षा का मानक है।

नागरिकों पर फोकस

भारत की वर्तमान तरक्की का बड़ा हिस्सा ऐसी व्यवस्था पर आधारित है जो नागरिकों की गरिमा सुनिश्चित करती है। डिजिटल पहचान, हर किसी के लिए बैंक खाता और तुरंत भुगतान जैसी सुविधाओं ने नागरिकों को सीधे जोड़ दिया है। लाभ सीधे सही नागरिकों तक पहुँचते हैं, भ्रष्टाचार घटता है और छोटे बिजनेस को नियमित पैसा मिलता है, और नीति आंकड़ों के आधार पर बनाई जाती है। “अंत्योदय” — अंतिम नागरिक का उत्थान — सिर्फ नारा नहीं बल्कि मानक बन गया है और प्रत्येक योजना, कार्यक्रम के मूल में ये देखने को मिलता है।

हाल ही में मुझे, असम के नुमालीगढ़ में भारत के पहले बांस आधारित 2G एथेनॉल संयंत्र के शुभारंभ के दौरान यह अनुभव करने का सौभाग्य मिला। प्रधानमंत्री इंजीनियरों, किसानों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ खड़े होकर, सीधे सवाल पूछ रहे थे कि किसानों को पैसा उसी दिन कैसे मिलेगा, क्या ऐसा बांस बनाया जा सकता है जो जल्दी बढ़े और लंबा हो, जरूरी एंज़ाइम्स देश में ही बनाए जा सकते हैं, और बांस का हर हिस्सा डंठल, पत्ता, बचा हुआ हिस्सा काम में लाया जा रहा है या नहीं, जैसे एथेनॉल, फ्यूरफुरल या ग्रीन एसीटिक एसिड।

चर्चा केवल तकनीक तक सीमित नहीं रही। यह लॉजिस्टिक्स, सप्लाई-चेन की मजबूती और वैश्विक कार्बन उत्सर्जन तक बढ़ गई। उनके द्वारा की जा रही चर्चा के मूल केंद्र मे समाज का अंतिम व्यक्ति था कि उसको कैसे इस व्यवस्था के जरिए लाभ पहुंचाया जाए।

यही स्पष्टता भारत की आर्थिक नीतियों में भी दिखती है। हाल ही में ऊर्जा खरीद के मामलें में भी सही स्थान और संतुलित खरीद ने भारत के हित मुश्किल दौर में भी सुरक्षित रखे। विदेशों में कई अवसरों पर मैं एक बेहद सरल बात कहता हूँ कि सप्लाई सुनिश्चित करें, लागत बनाए रखें, और भारतीय उपभोक्ता केंद्र में रहें। इस स्पष्टता का सम्मान किया गया और वार्ता आसानी से आगे बढ़ी।

राष्ट्रीय सुरक्षा को भी दिखावे के बिना संभाला गया। ऐसे अभियान जो दृढ़ता और संयम के साथ संचालित किए गए। स्पष्ट लक्ष्य, सैनिकों को एक्शन लेने की स्वतंत्रता, निर्दोषों की सुरक्षा। इसी उद्देश्य के साथ हम काम करते हैं। इसके बाद हमारी मेहनत के नतीजे अपने आप दिखाई देते हैं।

कार्य संस्कृति

इन निर्णयों के पीछे एक विशेष कार्यशैली है। उनके द्वारा सबकी बात सुनी जाती है, लेकिन ढिलाई बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाती है। सबकी बातें सुनने के बाद जिम्मेदारी तय की जाती है, इसके साथ ये भी तय किया जाता है कि काम को कैसे करना है। और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता है उस पर लगातार ध्यान रखा जाता है। जिसका काम बेहतर होता है उसका उत्साहवर्धन भी किया जाता है।

प्रधानमंत्री का जन्मदिन विश्वकर्मा जयंती, देव-शिल्पी के दिवस पर पड़ना महज़ संयोग नहीं है। यह तुलना प्रतीकात्मक भले हो, पर बोधगम्य है: सार्वजनिक क्षेत्र में सबसे चिरस्थायी धरोहरें संस्थाएं, सुस्थापित मंच और आदर्श मानक ही होते हैं। आम लोगों को योजनाओं का समय से और सही तरीके से फायदा मिले, वस्तुओं के मूल्य सही रहें, व्यापारियों के लिए सही नीति और कार्य करने में आसानी हो। सरकार के लिए यह ऐसे सिस्टम हैं जो दबाव में टिकें और उपयोग से और बेहतर बनें। इसी पैमाने से नरेन्द्र मोदी को देखा जाना चाहिए, जो भारत की कहानी के अगले अध्याय को आकार दे रहे हैं।

(श्री हरदीप पुरी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री, भारत सरकार)