पिछले 10 वर्षों में, भारत में करीब 3 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र बढ़ाया गया, जिससे संयुक्त वन क्षेत्र बढ़कर देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक चौथाई हो गया है: प्रधानमंत्री
भारत भूमि क्षरण तटस्थता की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को हासिल करने की राह पर है: प्रधानमंत्री
2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक प्राप्त करने के लिए 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को पूर्व अवस्था में ले जाने का लक्ष्य है
भूमि क्षरण के मुद्दों के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए भारत में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा रहा है
हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ ग्रह छोड़ना हमारा पवित्र कर्तव्य है : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र की 'मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर उच्च स्तरीय संवाद' में अपना मुख्य संबोधन दिया। प्रधानमंत्री ने मरुस्थलीकरण से निपटने में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के सभी पक्षों के 14वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया।

भूमि को जीवन और आजीविका का मूलभूत हिस्सा बताते हुए श्री मोदी ने भूमि और उसके संसाधनों पर अत्यधिक दबाव को कम करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, 'स्पष्ट रूप से, हमारे सामने बहुत से काम हैं लेकिन हम कर सकते हैं। हम एक साथ मिलकर इसे कर सकते हैं।'

प्रधानमंत्री ने भूमि क्षरण के मुद्दे से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को प्रमुखता से रखने का बीड़ा उठाया है। दिल्ली घोषणापत्र 2019 भूमि तक बेहतर पहुंच और प्रबंधन का आह्वान करता है और लैंगिक रूप से संवेदनशील परिवर्तनकारी परियोजनाओं पर जोर देता है। भारत में पिछले 10 वर्षों में करीब 3 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र को जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इससे संयुक्त वन क्षेत्र देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग एक-चौथाई हो गया है।

श्री मोदी ने बताया कि भारत भूमि क्षरण तटस्थता की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को हासिल करने की राह पर है। प्रधानमंत्री ने बताया, 'हम 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। यह 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक (जंगल या कार्बन डाईऑक्साइड को सोखने की क्षमता वाला पर्यावरण) प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान करेगा।'

प्रधानमंत्री ने गुजरात के कच्छ के रण में बन्नी क्षेत्र का उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि कैसे भूमि की बहाली से मिट्टी के अच्छे स्वास्थ्य, भूमि की उत्पादकता में वृद्धि, खाद्य सुरक्षा और बेहतर आजीविका का एक अच्छा चक्र शुरू हो सकता है। बन्नी क्षेत्र में, घास के मैदानों को विकसित कर जमीन को बेहतर बनाया गया जिससे भूमि क्षरण तटस्थता प्राप्त करने में मदद मिली। यह पशुपालन को बढ़ावा देकर चरवाहे संबंधी गतिविधियों और आजीविका में सहयोग करता है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 'उसी भावना के साथ, हमें भूमि बहाली के लिए स्थानीय तकनीकों को बढ़ावा देते हुए प्रभावी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।'

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Prime Minister condoles loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra
December 07, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has expressed deep grief over the loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra.

Shri Modi also prayed for the speedy recovery of those injured in the mishap.

The Prime Minister’s Office posted on X;

“Deeply saddened by the loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra. My thoughts are with those who have lost their loved ones. I pray that the injured recover soon: PM @narendramodi”