प्रधानमंत्री ने चुनौतीपूर्ण वातावरण में, सैनिकों के बलिदानों को स्वीकार करते हुए, राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा की बेहद सराहना की।
सैनिक भारत की ताकत एवं सुरक्षा की गारंटी के प्रतीक हैं और शत्रुओं में भय पैदा करते हैं: प्रधानमंत्री
आज देश में एक ऐसी सरकार है, जो देश की सीमा का एक इंच भी समझौता नहीं कर सकती: प्रधानमंत्री
भारत मुख्य रूप से रक्षा उपकरणों के एक आयातक देश से एक महत्वपूर्ण निर्यातक देश के रूप में परिवर्तित हो रहा है और पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात तीस गुना बढ़ गया है: प्रधानमंत्री
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास सर्वोच्च प्राथमिकता: प्रधानमंत्री
सीमावर्ती गांवों को सुदूर गांवों के रूप में देखने के बजाय उन्हें देश के ‘पहले गांव’ के रूप में मान्यता देने का एक बदला हुआ दृष्टिकोण सामने आया है: प्रधानमंत्री
एक गतिशील एवं जीवंत भारत को दर्शाने के उद्देश्य से सीमावर्ती क्षेत्रों को ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना के तहत विकसित किया जा रहा है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के कच्छ में सर क्रीक क्षेत्र के लक्की नाला में भारत-पाक सीमा के निकट सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाई। प्रधानमंत्री ने भारत के सशस्त्र बलों के साथ त्योहार मनाने की अपनी परंपरा को जारी रखा। प्रधानमंत्री ने क्रीक क्षेत्र में एक बीओपी का भी दौरा किया और बहादुर सुरक्षा कर्मियों को मिठाइयां वितरित कीं।

प्रधानमंत्री ने सुरक्षाकर्मियों के साथ सर क्रीक में दिवाली मनाने को अपना सौभाग्य बताया और सभी को त्योहार की हार्दिक बधाई दी। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस वर्ष का उत्सव 500 वर्षों के बाद अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान राम के विराजमान होने के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की सेवा में समर्पण और बलिदान के लिए सुरक्षा कर्मियों के प्रति 1.4 बिलियन नागरिकों की ओर से आभार व्यक्त करते हुए न केवल उपस्थित सैनिकों, बल्कि देश भर के सभी सैनिकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने चुनौतीपूर्ण वातावरण में सैनिकों के बलिदानों को स्वीकार करते हुए, राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा की बेहद सराहना की। उनकी बहादुरी और दृढ़ता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सैनिक भारत की ताकत और सुरक्षा की गारंटी के प्रतीक हैं, जिससे शत्रुओं में भय पैदा होता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब दुनिया आपको देखती है, तो वह भारत की ताकत को देखती है और जब दुश्मन आपको देखता है, तो वह बुरे इरादों का अंत देखता है। जब आप उत्साह में दहाड़ते हैं तो आतंक के आका कांप उठते हैं। यह मेरी सेना, मेरे सुरक्षा बलों का शौर्य है। मुझे गर्व है कि हमारे सैनिकों ने हर कठिन परिस्थिति में अपनी क्षमता साबित की है।”

प्रधानमंत्री ने कच्छ के रणनीतिक क्षेत्र, खासतौर पर व्यापक रूप से भारत-विरोधी खतरों का सामना करने वाले इसके समुद्र तट, को सुरक्षित करने में नौसेना की भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत की अखंडता का प्रतीक सर क्रीक अतीत में दुश्मन द्वारा संघर्ष को भड़काने की कोशिशों का केन्द्रबिंदु रहा है। श्री मोदी ने कहा कि नौसेना सहित सशस्त्र बलों की उपस्थिति एवं सतर्कता देश को आश्वस्त करती है और साथ ही 1971 के युद्ध के दौरान दुश्मन को दिए गए करारा जवाब की भी याद दिलाती है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान सरकार देश की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अटल है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज देश में एक ऐसी सरकार है जो देश की सीमा का एक इंच भी समझौता नहीं कर सकती। एक समय था जब कूटनीति के नाम पर छल से सर क्रीक को हड़पने की नीति पर काम किया जा रहा था। मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में देश की आवाज उठाई थी और यह कोई पहली बार नहीं है जब मैं इस क्षेत्र में आया हूं।'' श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि सरकार की वर्तमान नीतियां सशस्त्र बलों के दृढ़ संकल्प के अनुरूप हैं। भरोसा दुश्मन की बातों पर नहीं, बल्कि भारत की सेनाओं के दृढ़ संकल्प पर है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत के सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। हाल की प्रगति में वडोदरा में सी295 विमान कारखाने का उद्घाटन और विमान वाहक विक्रांत, पनडुब्बियों एवं तेजस लड़ाकू जेट जैसी स्वदेशी सैन्य परिसंपत्तियों का विकास शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मुख्य रूप से रक्षा उपकरणों के एक आयातक देश से एक महत्वपूर्ण निर्यातक देश के रूप में परिवर्तित हो रहा है और पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात तीस गुना बढ़ गया है।

सरकार के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को साकार करने में सशस्त्र बलों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं देश के सुरक्षा बलों को बधाई दूंगा कि उन्होंने 5000 से अधिक ऐसे सैन्य उपकरणों की एक सूची बनाई है, जिन्हें वे अब विदेश से नहीं खरीदेंगे। इससे भी सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई गति मिली है।”

आधुनिक युद्ध में ड्रोन तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ड्रोन पारंपरिक वायु रक्षा प्रणालियों के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं। जवाब में, भारत ड्रोन तकनीक के माध्यम से अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है जिसमें प्रीडेटर ड्रोन का अधिग्रहण भी शामिल है। उन्होंने कहा कि ड्रोन के उपयोग के लिए एक रणनीतिक योजना विकसित की जा रही है। उन्होंने स्वदेशी ड्रोन समाधान विकसित करने में भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप की भागीदारी पर गर्व व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने युद्ध की बदलती प्रकृति और सुरक्षा संबंधी नई चुनौतियों के उदभव के कारण भारतीय सशस्त्र बलों की तीन शाखाओं के बीच बेहतर एकीकरण की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस एकीकरण से उनकी सामूहिक प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। सशस्त्र बलों को मजबूत करने और उन्हें आधुनिक बनाने की दिशा में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की स्थापना एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इसके अलावा, इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड की ओर कदम का उद्देश्य तीनों सेवाओं के बीच समन्वय और सहयोग को बेहतर बनाना है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा संकल्प राष्ट्र प्रथम का है। राष्ट्र की शुरुआत उसकी सीमाओं से होती है। इसलिए, सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।” सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पर प्रकाश डालते हुए, पीएम ने कहा कि 80,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है, जिसमें लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मार्ग भी शामिल हैं। पिछले दशक में, अटल और सेला सुरंगों जैसी प्रमुख सुरंगों के साथ-साथ लगभग 400 महत्वपूर्ण सेतु बनाए गए हैं, जो दूरदराज के क्षेत्रों में हर मौसम में कनेक्टिविटी की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। श्री मोदी ने कहा कि बीआरओ रणनीतिक सुलभता को बढ़ाने और सशस्त्र बलों की सहायता करने के उद्देश्य से देश भर में और अधिक सुरंगों के निर्माण के कार्य को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती गांवों को देश के “पहले गांवों” के रूप में मान्यता देने के बदले हुए दृष्टिकोण को साझा किया। ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना के माध्यम से, इन क्षेत्रों को एक गतिशील और जीवंत भारत को दर्शाने के लिए विकसित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न सीमावर्ती क्षेत्रों के नैसर्गिक लाभों पर प्रकाश डाला और सीमा पर्यटन एवं आर्थिक विकास की दृष्टि से उनकी संभावनाओं पर जोर दिया। स्थानीय आजीविका और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से समुद्री शैवाल की खेती और मैंग्रोव पुनर्स्थापन जैसी पहल को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह देश के पर्यावरण के लिए बहुत ही सुनहरा अवसर है।” प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि कच्छ के सीमावर्ती गांवों के किनारे विकसित किए जाने वाले मैंग्रोव के वन पूरे देश व दुनिया को आकर्षित करने वाले धोर्डो के रण उत्सव की तरह ही पर्यटकों को आकर्षित करेंगे।

प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को वाइब्रेंट विलेज में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करके सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने की सरकार की पहल पर प्रकाश डाला। इस पहल से नागरिकों में इन क्षेत्रों के प्रति रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कच्छ की समृद्ध विरासत, आकर्षण और प्राकृतिक सुंदरता को ध्यान में रखते हुए एक पर्यटन स्थल के रूप में इसकी संभावनाओं पर जोर दिया। गुजरात में कच्छ और खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित मैंग्रोव के वन और समुद्री इकोसिस्टम इस भू-परिदृश्य के महत्वपूर्ण घटक हैं। श्री मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सरकार मिष्टी योजना जैसी पहलों के माध्यम से इन मैंग्रोव के वनों का विस्तार करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।

यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल धोलावीरा के महत्व का हवाला देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत की प्राचीन ताकत और सिंधु घाटी सभ्यता की व्यवस्थित बस्ती का प्रमाण है। कच्छ के समृद्ध सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक आकर्षणों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “यहां गुजरात में समुद्र से कुछ ही दूरी पर स्थित लोथल जैसे व्यापारिक केन्द्रों ने भी एक समय में भारत की समृद्धि के अध्याय लिखे थे। लखपत में गुरु नानक देवजी के पदचिन्ह हैं। कच्छ का कोटेश्वर महादेव मंदिर है। माता आशापुरा का मंदिर हो या काला डूंगर पहाड़ी पर भगवान दत्तात्रेय के दर्शन या कच्छ का रण उत्सव, या फिर सर क्रीक देखने का उत्साह, कच्छ के एक ही जिले में पर्यटन की इतनी संभावनाएं हैं कि एक पर्यटक के लिए एक पूरा सप्ताह भी पर्याप्त नहीं होगा।” प्रधानमंत्री ने नडाबेट जैसे स्थानों में सीमा पर्यटन की सफलता का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे इस तरह की पहल राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दे सकती है। इसी तरह, कच्छ और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित करने से निवासियों एवं सैनिकों, दोनों का जीवन बेहतर होगा और अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी तथा देश के विभिन्न हिस्से आपस में जुड़ेंगे।

कच्छ में सुरक्षाकर्मियों को अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र की तुलना एक सजीव चेतना से की, जिसे हम मां भारती के रूप में पूजते हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में सैनिकों के बलिदान और कड़ी मेहनत को स्वीकार किया, जो देश की प्रगति के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “आज देश का हर नागरिक अपना शत-प्रतिशत देकर देश के विकास में योगदान दे रहा है क्योंकि उसे आप पर भरोसा है। मुझे विश्वास है कि आपकी यह वीरता भारत के विकास को इसी तरह मजबूत करती रहेगी।”

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Prime Minister condoles loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra
December 07, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has expressed deep grief over the loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra.

Shri Modi also prayed for the speedy recovery of those injured in the mishap.

The Prime Minister’s Office posted on X;

“Deeply saddened by the loss of lives due to a mishap in Nashik, Maharashtra. My thoughts are with those who have lost their loved ones. I pray that the injured recover soon: PM @narendramodi”