इस्पात ने दुनिया भर की आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में मूल ढांचे की भूमिका निभाई है, इस्पात हर सफल गाथा के पीछे की शक्ति है: प्रधानमंत्री
हमें गर्व है कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बन गया है: प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत हमने 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य रखा है: प्रधानमंत्री
इस्पात उद्योग के लिए सरकार की नीतियां कई अन्य भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं: प्रधानमंत्री
सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए शून्य आयात और शुद्ध निर्यात लक्ष्य होना चाहिए: प्रधानमंत्री
हमारे इस्पात क्षेत्र को नई प्रक्रियाओं, नई श्रेणी और नए उच्‍च स्‍तर के लिए तैयार रहना होगा: प्रधानमंत्री
हमें भविष्य को ध्यान में रखते हुए विस्तार और उन्नयन करना होगा, हमें अभी से भविष्य के लिए तैयार होना पड़ेगा: प्रधानमंत्री
पिछले 10 वर्षों में, कई खनन सुधार लागू किए गए हैं, लौह अयस्क की उपलब्धता सुगम हुई है: प्रधानमंत्री
अब आवंटित खदानों और देश के संसाधनों के उचित उपयोग का समय है, ग्रीन-फील्ड खनन में तेजी लाने की आवश्‍यकता है: प्रधानमंत्री
आइए हम मिलकर एक अनुकूल, परिवर्तनकारी और इस्पात-सुदृढ़ भारत का निर्माण करें: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुंबई में इंडिया स्टील 2025 सम्‍मेलन को वीडियो माध्यम से सम्‍बोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि अगले दो दिनों में भारत के उभरते क्षेत्र - इस्पात उद्योग की संभावनाओं और अवसरों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भारत की प्रगति का आधार है तथा विकसित भारत के नींव को सुदृढ़ बनाते हुए देश में परिवर्तन का नया अध्याय जोड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने इंडिया स्टील 2025 में सबका स्वागत करते विश्वास व्यक्त किया कि यह आयोजन नए विचार साझा करने, नई साझेदारियां बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने का प्रमोचन मंच बनेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह आयोजन इस्पात क्षेत्र में नए अध्याय की नींव रखेगा।

 

श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में स्टील (इस्‍पात) ने मूल ढांचे की अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि चाहे गगनचुंबी इमारतें हों, पोत-परिवहन हो, राजमार्ग हो, उच्‍च-गति रेल हो, स्मार्ट सिटी हो या औद्योगिक गलियारे, इस्‍पात हर सफल गाथा के पीछे की शक्ति है। उन्होंने कहा कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है, जिसमें इस्‍पात क्षेत्र इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री ने भारत के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इस्‍पात उत्पादक देश बनने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत भारत ने वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन इस्‍पात उत्पादन का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि भारत में अभी प्रति व्यक्ति इस्‍पात की खपत लगभग 98 किलोग्राम है और वर्ष 2030 तक यह बढ़कर 160 किलोग्राम होने की संभावना है। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि इस्‍पात की बढ़ती खपत देश के बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था के लिए एक स्वर्णिम मानक है। उन्होंने कहा कि यह देश के ऊर्ध्‍वतर विकास दिशा के साथ ही सरकार की प्रशासकीय कुशलता और प्रभावशीलता का भी सूचक है।

 

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के आधार के कारण इस्पात उद्योग भविष्य को लेकर आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह पहल विभिन्न उपयोगिता सेवाओं और लॉजिस्टिक्स को समेकित करती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बेहतर मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए खदान क्षेत्रों और इस्पात इकाइयों का मानचित्रण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत में अहम बुनियादी ढांचे को समुन्नत बनाने के लिए नई परियोजनाएं आरंभ की जा रही हैं, जहां अधिकांश इस्पात क्षेत्र संकेंद्रित हैं। उन्होंने उल्‍लेख किया कि 1.3 ट्रिलियन डॉलर की राष्ट्रीय आधारभूत संरचना पर हम काफी आगे पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि शहरों को स्मार्ट शहरों में बदलने के व्‍यापक स्‍तर के प्रयास, साथ ही सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और पाइपलाइनों के विकास में अभूतपूर्व गति से इस्पात क्षेत्र में नई संभावनाएं उत्‍पन्‍न हुई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत करोड़ों घर बनाए जा रहे हैं और जल जीवन मिशन द्वारा गांवों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे निर्मित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कल्याणकारी पहल भी इस्पात उद्योग को नई शक्ति प्रदान कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने सरकारी परियोजनाओं में केवल 'स्‍वदेश निर्मित' इस्पात के उपयोग के सरकार के निर्णय का उल्‍लेख करते हुए कहा कि सरकार इस तरह की पहल से भवन निर्माण और बुनियादी ढांचे में स्‍वदेशी इस्पात की सबसे अधिक खपत हो रही है।

 

इस्पात के विभिन्‍न क्षेत्रों में विकास को गति देने वाले प्राथमिक घटक की चर्चा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस्पात उद्योग के लिए सरकार की नीतियां भारत में कई अन्य उद्योगों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि विनिर्माण, निर्माण, मशीनरी और वाहन निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारतीय इस्‍पात उद्योग से शक्ति मिल रही है। प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा 'मेक इन इंडिया' पहल को गति देने के लिए इस वर्ष के बजट में राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन आरंभ किए जाने का उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि यह मिशन छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जो इस्‍पात क्षेत्र के लिए नए अवसर उपलब्‍ध कराएगा।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्‍हें इस बात पर गौरव का अनुभव हो रहा है कि भारत पहले जहां रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए जरूरी उच्च श्रेणी के इस्‍पात के लिए लंबे समय से आयात पर निर्भर था, वहीं अब भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत का निर्माण घरेलू स्तर पर उत्‍पादित इस्‍पात से किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय इस्‍पात ने ऐतिहासिक चंद्रयान मिशन की सफलता में भी योगदान दिया, जो भारत की क्षमता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बड़ा बदलाव उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना-पीएलआई जैसी पहल से संभव हुआ है, जिसने उच्च श्रेणी के इस्‍पात के उत्पादन में सहायता-सहयोग के लिए हजारों करोड़ रुपये आवंटित किए। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है और आगे हमें लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने देश भर में आरंभ की जा रही मेगा-परियोजनाओं में उच्च श्रेणी के गुणवत्‍तापूर्ण इस्‍पात की बढ़ती मांग को इंगित किया। उन्होंने इसका उल्लेख किया कि इस वर्ष के बजट में जहाज निर्माण को बुनियादी ढांचे के रूप में वर्गीकृत किया गया है। उन्‍होंने कहा कि भारत का लक्ष्य घरेलू स्तर पर आधुनिक और बड़े पोतों का निर्माण और उन्हें अन्य देशों को निर्यात करना है। प्रधानमंत्री ने भारत में पाइपलाइन-ग्रेड स्टील और जंग-रोधी मिश्र धातुओं की बढ़ती मांग का भी उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि देश का रेल बुनियादी ढांचा अभूतपूर्व गति से विस्तारित हो रहा है। प्रधानमंत्री ने शून्य आयात लक्ष्य और शुद्ध निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत अभी 25 मिलियन टन इस्‍पात निर्यात के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है और वर्ष 2047 तक इस्‍पात उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 500 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। उन्होंने इस्‍पात क्षेत्र को नई प्रक्रियाओं, श्रेणी और नए उच्‍च स्‍तर के लिए तैयार करने के महत्व पर जोर देते हुए उद्योगों से भविष्योन्‍मुखी मानसिकता के साथ विस्तार और उन्नयन का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने इस्पात उद्योग के विकास की व्यापक रोजगार सृजन क्षमता का भी उल्‍लेख किया। उन्होंने निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों से नए विचारों को विकसित, पोषित और साझा करने का आह्वान किया। श्री मोदी ने देश के युवाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर उत्‍पन्‍न करने के लिए विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी उन्नयन में सहयोग पर जोर दिया।

 

श्री मोदी ने माना कि इस्पात उद्योग को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनका समाधान आगे की प्रगति के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सुरक्षित कच्‍चा माल चिंता का विषय है, क्योंकि भारत अभी भी निकल, कोकिंग कोल और मैंगनीज के लिए आयात पर निर्भर है। श्री मोदी ने वैश्विक भागीदारी मजबूत करने, आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने और प्रौद्योगिकी उन्नयन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री मोदी ने ऊर्जा-कुशल, कम उत्सर्जन और डिजिटल तौर पर उन्नत प्रौद्योगिकियों की ओर तेजी से आगे बढ़ने के महत्व का उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि इस्पात उद्योग का भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्वचालन, पुनर्चक्रण और उप-उत्पाद उपयोग द्वारा संवारा जा सकता है। उन्होंने नवाचारों द्वारा इन क्षेत्रों में प्रयास बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री मोदी ने आशा व्यक्त की कि वैश्विक भागीदारों और भारतीय कंपनियों के बीच सहयोग इन चुनौतियों का समाधान प्रभावी और तेज गति से करने में सहायक होंगे।

 

प्रधानमंत्री ने कोयले के आयात, खास तौर पर कोकिंग कोल के आयात से व्‍यय और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्‍लेख किया। उन्होंने इस निर्भरता को में कमी लाने के विकल्प तलाशने के महत्व पर जोर दिया। श्री मोदी ने डीआरआई रूट (इस्‍पात बनाने की विधि जहां लौह अयस्‍क को सीधे कम करके स्‍पोंज आयरन या डायरेक्‍ट रिड्यूस्‍ड आयरन बनाया जाता है) जैसी प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता का उल्‍लेख किया और इन्हें बढ़ावा देने के प्रयासों पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि देश के कोयला संसाधनों के बेहतर उपयोग और आयात निर्भरता कम कर कोयला गैसीकरण का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने इस्पात उद्योग के सभी हितधारकों से इस प्रयास में सक्रिय रूप से भाग लेने और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया।

 

अप्रयुक्त नई खदानों (ग्रीनफील्‍ड खदान) के मुद्दे के समाधान को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि पिछले दशक में कई अहम खनन सुधार किए गए हैं, जिससे लौह अयस्क की उपलब्धता सुगम हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि आवंटित खदानों का प्रभावी उपयोग किया जाए ताकि देश के संसाधनों का महत्‍तम उपयोग सुनिश्चित हो सके। इस प्रक्रिया में विलंब से उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के प्रति आगाह करते हुए, श्री मोदी ने इस चुनौती से निपटने के लिए ग्रीनफील्ड खनन प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया।

 

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत अब केवल घरेलू विकास पर केंद्रित नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया अब भारत को उच्च गुणवत्तापूर्ण इस्‍पात उत्‍पादक, भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता मानती है। उन्होंने इस्‍पात उत्पादन में विश्व स्तरीय मानक बनाए रखने और क्षमताओं के लगातार उन्नयन के महत्व को दोहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि लॉजिस्टिक्स में सुधार, मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क विकसित करने और लागत न्‍यूनीकरण से भारत को वैश्विक स्टील हब बनने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्‍लेख किया कि इंडिया स्टील 2025 सम्‍मेलन क्षमताओं को बढ़ाने और विचारों को कार्रवाई योग्य समाधान में बदलने का मंच प्रदान करता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए प्रत्‍यास्‍थी, परिवर्तनकारी और इस्‍पात-सुदृढ़ भारत बनाने के सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।

 

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असम ने विकास की नई गति पकड़ी है: पीएम मोदी
December 21, 2025
असम ने विकास की नई गति पकड़ी है-प्रधानमंत्री
हमारी सरकार किसानों के कल्याण को अपने सभी प्रयासों के केंद्र में रख रही है-प्रधानमंत्री मोदी
कृषि को बढ़ावा देने और किसानों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी पहलें शुरू की गई हैं- प्रधानमंत्री
'सबका साथ, सबका विकास' की परिकल्पना से प्रेरित होकर हमारे प्रयासों ने गरीबों के जीवन को बदल दिया है-प्रधानमंत्री मोदी

उज्जनिर रायज केने आसे? आपुनालुकोलोई मुर अंतोरिक मोरोम आरु स्रद्धा जासिसु।

असम के गवर्नर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी और यहीं के आपके प्रतिनिधि, असम के पूर्व मुख्यमंत्री, सर्बानंद सोनोवाल जी, असम सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक, अन्य महानुभाव, और विशाल संख्या में आए हुए, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हुए, मेरे सभी भाइयों और बहनों, जितने लोग पंडाल में हैं, उससे ज्यादा मुझे वहां बाहर दिखते हैं।

सौलुंग सुकाफा और महावीर लसित बोरफुकन जैसे वीरों की ये धरती, भीमबर देउरी, शहीद कुसल कुवर, मोरान राजा बोडौसा, मालती मेम, इंदिरा मिरी, स्वर्गदेव सर्वानंद सिंह और वीरांगना सती साध`नी की ये भूमि, मैं उजनी असम की इस महान मिट्टी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

साथियों,

मैं देख रहा हूँ, सामने दूर-दूर तक आप सब इतनी बड़ी संख्या में अपना उत्साह, अपना उमंग, अपना स्नेह बरसा रहे हैं। और खासकर, मेरी माताएँ बहनें, इतनी विशाल संख्या में आप जो प्यार और आशीर्वाद लेकर आईं हैं, ये हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, सबसे बड़ी ऊर्जा है, एक अद्भुत अनुभूति है। मेरी बहुत सी बहनें असम के चाय बगानों की खुशबू लेकर यहां उपस्थित हैं। चाय की ये खुशबू मेरे और असम के रिश्तों में एक अलग ही ऐहसास पैदा करती है। मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ। इस स्नेह और प्यार के लिए मैं हृदय से आप सबका आभार करता हूँ।

साथियों,

आज असम और पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए बहुत बड़ा दिन है। नामरूप और डिब्रुगढ़ को लंबे समय से जिसका इंतज़ार था, वो सपना भी आज पूरा हो रहा है, आज इस पूरे इलाके में औद्योगिक प्रगति का नया अध्याय शुरू हो रहा है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने यहां अमोनिया–यूरिया फर्टिलाइज़र प्लांट का भूमि पूजन किया है। डिब्रुगढ़ आने से पहले गुवाहाटी में एयरपोर्ट के एक टर्मिनल का उद्घाटन भी हुआ है। आज हर कोई कह रहा है, असम विकास की एक नई रफ्तार पकड़ चुका है। मैं आपको बताना चाहता हूँ, अभी आप जो देख रहे हैं, जो अनुभव कर रहे हैं, ये तो एक शुरुआत है। हमें तो असम को बहुत आगे लेकर के जाना है, आप सबको साथ लेकर के आगे बढ़ना है। असम की जो ताकत और असम की भूमिका ओहोम साम्राज्य के दौर में थी, विकसित भारत में असम वैसी ही ताकतवर भूमि बनाएंगे। नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, Semiconductors, उसकी manufacturing, कृषि के क्षेत्र में नए अवसर, टी-गार्डेन्स और उनके वर्कर्स की उन्नति, पर्यटन में बढ़ती संभावनाएं, असम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मैं आप सभी को और देश के सभी किसान भाई-बहनों को इस आधुनिक फर्टिलाइज़र प्लांट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आपको गुवाहटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लिए भी बधाई देता हूँ। बीजेपी की डबल इंजन सरकार में, उद्योग और कनेक्टिविटी की ये जुगलबंदी, असम के सपनों को पूरा कर रही है, और साथ ही हमारे युवाओं को नए सपने देखने का हौसला भी दे रही है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों की, यहां के अन्नदाताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए हमारी सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए दिन-रात काम कर रही है। यहां आप सभी को किसान हितैषी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कृषि कल्याण की योजनाओं के बीच, ये भी जरूरी है कि हमारे किसानों को खाद की निरंतर सप्लाई मिलती रहे। आने वाले समय में ये यूरिया कारख़ाना यह सुनिश्चित करेगा। इस फर्टिलाइज़र प्रोजेक्ट पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद बनेगी। जब उत्पादन यहीं होगा, तो सप्लाई तेज होगी। लॉजिस्टिक खर्च घटेगा।

साथियों,

नामरूप की ये यूनिट रोजगार-स्वरोजगार के हजारों नए अवसर भी बनाएगी। प्लांट के शुरू होते ही अनेकों लोगों को यहीं पर स्थायी नौकरी भी मिलेगी। इसके अलावा जो काम प्लांट के साथ जुड़ा होता है, मरम्मत हो, सप्लाई हो, कंस्ट्रक्शन का बहुत बड़ी मात्रा में काम होगा, यानी अनेक काम होते हैं, इन सबमें भी यहां के स्थानीय लोगों को और खासकर के मेरे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।

लेकिन भाइयों बहनों,

आप सोचिए, किसानों के कल्याण के लिए काम बीजेपी सरकार आने के बाद ही क्यों हो रहा है? हमारा नामरूप तो दशकों से खाद उत्पादन का केंद्र था। एक समय था, जब यहां बनी खाद से नॉर्थ ईस्ट के खेतों को ताकत मिलती थी। किसानों की फसलों को सहारा मिलता था। जब देश के कई हिस्सों में खाद की आपूर्ति चुनौती बनी, तब भी नामरूप किसानों के लिए उम्मीद बना रहा। लेकिन, पुराने कारखानों की टेक्नालजी समय के साथ पुरानी होती गई, और काँग्रेस की सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि, नामरूप प्लांट की कई यूनिट्स इसी वजह से बंद होती गईं। पूरे नॉर्थ ईस्ट के किसान परेशान होते रहे, देश के किसानों को भी तकलीफ हुई, उनकी आमदनी पर चोट पड़ती रही, खेती में तकलीफ़ें बढ़ती गईं, लेकिन, काँग्रेस वालों ने इस समस्या का कोई हल ही नहीं निकाला, वो अपनी मस्ती में ही रहे। आज हमारी डबल इंजन सरकार, काँग्रेस द्वारा पैदा की गई उन समस्याओं का समाधान भी कर रही है।

साथियों,

असम की तरह ही, देश के दूसरे राज्यों में भी खाद की कितनी ही फ़ैक्टरियां बंद हो गईं थीं। आप याद करिए, तब किसानों के क्या हालात थे? यूरिया के लिए किसानों को लाइनों में लगना पड़ता था। यूरिया की दुकानों पर पुलिस लगानी पड़ती थी। पुलिस किसानों पर लाठी बरसाती थी।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस ने जिन हालातों को बिगाड़ा था, हमारी सरकार उन्हें सुधारने के लिए एडी-चोटी की ताकत लगा रही है। और इन्होंने इतना बुरा किया,इतना बुरा किया कि, 11 साल से मेहनत करने के बाद भी, अभी मुझे और बहुत कुछ करना बाकी है। काँग्रेस के दौर में फर्टिलाइज़र्स फ़ैक्टरियां बंद होती थीं। जबकि हमारी सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, रामागुंडम जैसे अनेक प्लांट्स शुरू किए हैं। इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। आज इसी का नतीजा है, हम यूरिया के क्षेत्र में आने वाले कुछ समय में आत्मनिर्भर हो सके, उस दिशा में मजबूती से कदम रख रहे हैं।

साथियों,

2014 में देश में सिर्फ 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। आपको आंकड़ा याद रहेगा? आंकड़ा याद रहेगा? मैं आपने मुझे काम दिया 10-11 साल पहले, तब उत्पादन होता था 225 लाख मीट्रिक टन। ये आंकड़ा याद रखिए। पिछले 10-11 साल की मेहनत में हमने उत्पादन बढ़ाकर के करीब 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। लेकिन हमें यहां रूकना नहीं है, क्योंकि अभी भी बहुत करने की जरूरत है। जो काम उनको उस समय करना था, नहीं किया, और इसलिए मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ रही है। और अभी हमें हर साल करीब 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। हम 306 पर पहुंचे हैं, 70-80 और करना है। लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं, हम जिस प्रकार से मेहनत कर रहे हैं, जिस प्रकार से योजना बना रहे हैं और जिस प्रकार से मेरे किसान भाई-बहन हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, हम हो सके उतना जल्दी इस गैप को भरने में कोई कमी नहीं रखेंगे।

और भाइयों और बहनों,

मैं आपको एक और बात बताना चाहता हूं, आपके हितों को लेकर हमारी सरकार बहुत ज्यादा संवेदनशील है। जो यूरिया हमें महंगे दामों पर विदेशों से मंगाना पड़ता है, हम उसकी भी चोट अपने किसानों पर नहीं पड़ने देते। बीजेपी सरकार सब्सिडी देकर वो भार सरकार खुद उठाती है। भारत के किसानों को सिर्फ 300 रुपए में यूरिया की बोरी मिलती है, उस एक बोरी के बदले भारत सरकार को दूसरे देशों को, जहां से हम बोरी लाते हैं, करीब-करीब 3 हजार रुपए देने पड़ते हैं। अब आप सोचिए, हम लाते हैं 3000 में, और देते हैं 300 में। यह सारा बोझ देश के किसानों पर हम नहीं पड़ने देते। ये सारा बोझ सरकार खुद भरती है। ताकि मेरे देश के किसान भाई बहनों पर बोझ ना आए। लेकिन मैं किसान भाई बहनों को भी कहूंगा, कि आपको भी मेरी मदद करनी होगी और वह मेरी मदद है इतना ही नहीं, मेरे किसान भाई-बहन आपकी भी मदद है, और वो है यह धरती माता को बचाना। हम धरती माता को अगर नहीं बचाएंगे तो यूरिया की कितने ही थैले डाल दें, यह धरती मां हमें कुछ नहीं देगी और इसलिए जैसे शरीर में बीमारी हो जाए, तो दवाई भी हिसाब से लेनी पड़ती है, दो गोली की जरूरत है, चार गोली खा लें, तो शरीर को फायदा नहीं नुकसान हो जाता है। वैसा ही इस धरती मां को भी अगर हम जरूरत से ज्यादा पड़ोस वाला ज्यादा बोरी डालता है, इसलिए मैं भी बोरी डाल दूं। इस प्रकार से अगर करते रहेंगे तो यह धरती मां हमसे रूठ जाएगी। यूरिया खिला खिलाकर के हमें धरती माता को मारने का कोई हक नहीं है। यह हमारी मां है, हमें उस मां को भी बचाना है।

साथियों,

आज बीज से बाजार तक भाजपा सरकार किसानों के साथ खड़ी है। खेत के काम के लिए सीधे खाते में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं, ताकि किसान को उधार के लिए भटकना न पड़े। अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के लगभग 4 लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे गए हैं। आंकड़ा याद रहेगा? भूल जाएंगे? 4 लाख करोड़ रूपया मेरे देश के किसानों के खाते में सीधे जमा किए हैं। इसी साल, किसानों की मदद के लिए 35 हजार करोड़ रुपए की दो योजनाएं नई योजनाएं शुरू की हैं 35 हजार करोड़। पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

हम किसानों की हर जरूरत को ध्यान रखते हुए काम कर रहे हैं। खराब मौसम की वजह से फसल नुकसान होने पर किसान को फसल बीमा योजना का सहारा मिल रहा है। फसल का सही दाम मिले, इसके लिए खरीद की व्यवस्था सुधारी गई है। हमारी सरकार का साफ मानना है कि देश तभी आगे बढ़ेगा, जब मेरा किसान मजबूत होगा। और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

साथियों,

केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद हमने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से पशुपालकों और मछलीपालकों को भी जोड़ दिया था। किसान क्रेडिट कार्ड, KCC, ये KCC की सुविधा मिलने के बाद हमारे पशुपालक, हमारे मछली पालन करने वाले इन सबको खूब लाभ उठा रहा है। KCC से इस साल किसानों को, ये आंकड़ा भी याद रखो, KCC से इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी गई है। 10 लाख करोड़ रुपया। बायो-फर्टिलाइजर पर GST कम होने से भी किसानों को बहुत फायदा हुआ है। भाजपा सरकार भारत के किसानों को नैचुरल फार्मिंग के लिए भी बहुत प्रोत्साहन दे रही है। और मैं तो चाहूंगा असम के अंदर कुछ तहसील ऐसे आने चाहिए आगे, जो शत प्रतिशत नेचुरल फार्मिंग करते हैं। आप देखिए हिंदुस्तान को असम दिशा दिखा सकता है। असम का किसान देश को दिशा दिखा सकता है। हमने National Mission On Natural Farming शुरू की, आज लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं। बीते कुछ सालों में देश में 10 हजार किसान उत्पाद संघ- FPO’s बने हैं। नॉर्थ ईस्ट को विशेष ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने खाद्य तेलों- पाम ऑयल से जुड़ा मिशन भी शुरू किया। ये मिशन भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर तो बनाएगा ही, यहां के किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

साथियों,

यहां इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हमारे टी-गार्डन वर्कर्स भी हैं। ये भाजपा की ही सरकार है जिसने असम के साढ़े सात लाख टी-गार्डन वर्कर्स के जनधन बैंक खाते खुलवाए। अब बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने की वजह से इन वर्कर्स के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे जाने की सुविधा मिली है। हमारी सरकार टी-गार्डन वाले क्षेत्रों में स्कूल, रोड, बिजली, पानी, अस्पताल की सुविधाएं बढ़ा रही है।

साथियों,

हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारा ये विजन, देश के गरीब वर्ग के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया है। पिछले 11 वर्षों में हमारे प्रयासों से, योजनाओं से, योजनाओं को धरती पर उतारने के कारण 25 करोड़ लोग, ये आंकड़ा भी याद रखना, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। देश में एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है। ये इसलिए हुआ है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत के गरीब परिवारों के जीवन-स्तर में निरंतर सुधार हुआ है। कुछ ताजा आंकड़े आए हैं, जो भारत में हो रहे बदलावों के प्रतीक हैं।

साथियों,

और मैं मीडिया में ये सारी चीजें बहुत काम आती हैं, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं मैं जो बातें बताता हूं जरा याद रख के औरों को बताना।

साथियों,

पहले गांवों के सबसे गरीब परिवारों में, 10 परिवारों में से 1 के पास बाइक तक होती नहीं थी। 10 में से 1 के पास भी नहीं होती थी। अभी जो सर्वे आए हैं, अब गांव में रहने वाले करीब–करीब आधे परिवारों के पास बाइक या कार होती है। इतना ही नहीं मोबाइल फोन तो लगभग हर घर में पहुंच चुके हैं। फ्रिज जैसी चीज़ें, जो पहले “लग्ज़री” मानी जाती थीं, अब ये हमारे नियो मिडल क्लास के घरों में भी नजर आने लगी है। आज गांवों की रसोई में भी वो जगह बना चुका है। नए आंकड़े बता रहे हैं कि स्मार्टफोन के बावजूद, गांव में टीवी रखने का चलन भी बढ़ रहा है। ये बदलाव अपने आप नहीं हुआ। ये बदलाव इसलिए हुआ है क्योंकि आज देश का गरीब सशक्त हो रहा है, दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तक भी विकास का लाभ पहुंचने लगा है।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं की सरकार है। इसीलिए, हमारी सरकार असम और नॉर्थ ईस्ट में दशकों की हिंसा खत्म करने में जुटी है। हमारी सरकार ने हमेशा असम की पहचान और असम की संस्कृति को सर्वोपरि रखा है। भाजपा सरकार असमिया गौरव के प्रतीकों को हर मंच पर हाइलाइट करती है। इसलिए, हम गर्व से महावीर लसित बोरफुकन की 125 फीट की प्रतिमा बनाते हैं, हम असम के गौरव भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी का वर्ष मनाते हैं। हम असम की कला और शिल्प को, असम के गोमोशा को दुनिया में पहचान दिलाते हैं, अभी कुछ दिन पहले ही Russia के राष्ट्रपति श्रीमान पुतिन यहां आए थे, जब दिल्ली में आए, तो मैंने बड़े गर्व के साथ उनको असम की ब्लैक-टी गिफ्ट किया था। हम असम की मान-मर्यादा बढ़ाने वाले हर काम को प्राथमिकता देते हैं।

लेकिन भाइयों बहनों,

भाजपा जब ये काम करती है तो सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस को होती है। आपको याद होगा, जब हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न दिया था, तो काँग्रेस ने खुलकर उसका विरोध किया था। काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था कि, मोदी नाचने-गाने वालों को भारत रत्न दे रहा है। मुझे बताइए, ये भूपेन दा का अपमान है कि नहीं है? कला संस्कृति का अपमान है कि नहीं है? असम का अपमान है कि नहीं है? ये कांग्रेस दिन रात करती है, अपमान करना। हमने असम में सेमीकंडक्टर यूनिट लगवाई, तो भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया। आप मत भूलिए, यही काँग्रेस सरकार थी, जिसने इतने दशकों तक टी कम्यूनिटी के भाई-बहनों को जमीन के अधिकार नहीं मिलने दिये! बीजेपी की सरकार ने उन्हें जमीन के अधिकार भी दिये और गरिमापूर्ण जीवन भी दिया। और मैं तो चाय वाला हूं, मैं नहीं करूंगा तो कौन करेगा? ये कांग्रेस अब भी देशविरोधी सोच को आगे बढ़ा रही है। ये लोग असम के जंगल जमीन पर उन बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना चाहते हैं। जिनसे इनका वोट बैंक मजबूत होता है, आप बर्बाद हो जाए, उनको इनकी परवाह नहीं है, उनको अपनी वोट बैंक मजबूत करनी है।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस को असम और असम के लोगों से, आप लोगों की पहचान से कोई लेना देना नहीं है। इनको केवल सत्ता,सरकार और फिर जो काम पहले करते थे, वो करने में इंटरेस्ट है। इसीलिए, इन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ज्यादा अच्छे लगते हैं। अवैध घुसपैठियों को काँग्रेस ने ही बसाया, और काँग्रेस ही उन्हें बचा रही है। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण का विरोध कर रही है। तुष्टीकरण और वोटबैंक के इस काँग्रेसी जहर से हमें असम को बचाकर रखना है। मैं आज आपको एक गारंटी देता हूं, असम की पहचान, और असम के सम्मान की रक्षा के लिए भाजपा, बीजेपी फौलाद बनकर आपके साथ खड़ी है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में, आपके ये आशीर्वाद यही मेरी ताकत है। आपका ये प्यार यही मेरी पूंजी है। और इसीलिए पल-पल आपके लिए जीने का मुझे आनंद आता है। विकसित भारत के निर्माण में पूर्वी भारत की, हमारे नॉर्थ ईस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मैंने पहले भी कहा है कि पूर्वी भारत, भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा। नामरूप की ये नई यूनिट इसी बदलाव की मिसाल है। यहां जो खाद बनेगी, वो सिर्फ असम के खेतों तक नहीं रुकेगी। ये बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी। ये कोई छोटी बात नहीं है। ये देश की खाद जरूरत में नॉर्थ ईस्ट की भागीदारी है। नामरूप जैसे प्रोजेक्ट, ये दिखाते हैं कि, आने वाले समय में नॉर्थ ईस्ट, आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। सच्चे अर्थ में अष्टलक्ष्मी बन के रहेगा। मैं एक बार फिर आप सभी को नए फर्टिलाइजर प्लांट की बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

और इस वर्ष तो वंदे मातरम के 150 साल हमारे गौरवपूर्ण पल, आइए हम सब बोलें-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।